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कस्बे में पहली बार हुआ गरबा नृत्य का आयोजन,डांडिया नृत्य में घंटों थिरकती रहीं युवतियां

खजनी गोरखपुर। कस्बे में स्थित लिटिल स्टार एकेडमी में सामुहिक गरबा डांडिया नृत्य का आयोजन किया गया, जिसमें शामिल युवतियों, महिलाओं एवं छात्राओं ने भक्ति गीतों की धुनों पर घंटों तक नृत्य किया।
इस दौरान नवरात्र पर आधारित क्विज (प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता) तथा भक्ति गीतों के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया।

आयोजिकाओं प्रतिभा गुप्ता और मीना उपाध्याय ने बताया कि शहर में विभिन्न महिला मंडलों के द्वारा नवरात्र में सामुहिक डांडिया नृत्य के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, गरबा नृत्य मां दुर्गा की उपासना के लिए किया जाने वाला गुजरात राज्य का पारंपरिक लोक नृत्य है। पहली बार खजनी कस्बे में इसका सामुहिक आयोजन किया गया है, महिलाओं में जागरूकता बढ़ाने और मुखर अभिव्यक्ति के लिए लोगों के उत्साह को देखते हुए अब इस तरह के आयोजन नियमित रूप से किए जाएंगे।

कार्यक्रम में लोकगायिका रानी पटवा, शीला श्रीवास्तव, किरन गुप्ता, साक्षी गुप्ता, श्रेया गुप्ता, रूबी सिंह, छाया वर्मा, अंजू गुप्ता,नीलम गुप्ता,नेहा मद्धेशिया, अवन्तिका, कविता, दिव्या कन्नौजिया, सोनी कन्नौजिया, अंशिका सिंह, सौम्या, शिवांगी, हर्षिका  समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।
नहाने जा रही युवती से दुष्कर्म का प्रयास, चीख सुनकर परिवारीजनों के पहुंचने पर आरोपित फरार
खजनी गोरखपुर। थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली युवती के साथ स्थानीय युवक ने दुष्कर्म का असफल प्रयास किया। युवक की अश्लील हरकतों से परेशान हो चुके परिवारजनों ने थाने में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई है। युवती के लिखित शिकायत पर थानाध्यक्ष ने केस दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया है।

थाने में दी गई तहरीर में पीड़िता ने बताया है कि वह गांव के निवासी सागर के पुत्र मगन कुमार की अश्लील हरकतों से परेशान हो गई है। युवक आए दिन उसके साथ जोर जबरदस्ती और गंदी हरकतें करता रहता है। परिजनों के दिलाशे और लोक लाज के भय से वह अब तक शांत रही, किंतु आज रविवार को सुबह युवक ने सारी हदें पार कर दी। युवती को नहाने के लिए जाते हुए देखकर अचानक वहां पहुंचे  युवक ने उसे जबरन गोद में उठा लिया और दबोच कर उसे एकांत स्थान की ओर दुष्कर्म की नियत ले जाने लगा।

मौका मिलते ही युवती ने शोर मचाया उसके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर  घर के लोग दौड़ पड़े लोगों को अपनी ओर आते देख कर मनचला युवक युवती को छोड़ कर भाग गया। युवक के दुस्साहस और अश्लील हरकत को देख लड़की के पिता हैरान रह गए।परिवार के लोगों के साथ खजनी थाने में पहुंची युवती ने तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई है। युवती के बयान और महिला अपराध के मामले को गम्भीरता से लेते हुए थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने केस दर्ज कर कार्रवाई का आदेश दिया है।
यूपी/उत्तराखंड ने नॉर्थ इंडिया को 25-14 के अंतर से हराकर ट्रॉफी व खिताब पर कब्जा जमाया

गोरखपुर. सैयद मोदी स्टेडियम गोरखपुर में चल रही थी सीआईएससीई अंडर 14, 17, 19 राष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता के अंतर्गत खेले गए फाइनल मुकाबले में यूपी/ उत्तराखंड ने अंडर 19 में नॉर्थ इंडिया को 25-14 के भारी अंतर से पराजित कर ट्रॉफी व खिताब अपने नाम किया तो वहीं अंडर 17 में यूपी/ उत्तराखंड की टीम ने कर्नाटक को 15-13 के अंतर से हराकर तथा अंडर 14 में यूपी/उत्तराखंड ने महाराष्ट्र की टीम को 11-05 के अंतर से हराकर ट्रॉफी व खिताब पर अपना कब्जा जमाया।

मैच से पहले खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि तथा आयोजक सीआईएससीई यूपी/ उत्तराखंड के जॉइंट रीजनल कोआॅर्डिनेटर तथा सेंट ज्यूड्स स्कूल मोहद्दीपुर गोरखपुर के प्रिंसिपल डेविड सिरिल, डायरेक्टर मोयरा सिरिल, किंडरगार्डन की प्रिंसिपल माननीया ग्लैंडा सिरिल तथा मैडम सामिम सिरिल ने खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन किया तथा मानोबल को बढ़ाया।

इस प्रतियोगिता के समापन पर विजयी टीमों को पुरस्कार, प्रमाण पत्र, ट्रॉफी व खिताब का वितरण किया गया साथ ही उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गई।

24 घंटे में बरामद हुए क्रिकेट के जुनून में घर से भागे दो छात्र

खजनी गोरखपुर। इलाके के बभना और सोनारी रामचंदर गांव में स्थित अपने ननिहाल में रह कर एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्र बीते 3 अक्टूबर को अचानक घर छोड़ कर फरार हो गए। बभना गांव के सत्यम यादव पुत्र श्यामनरायण यादव 14 वर्ष तथा सहर्ष उर्फ सूरज यादव पुत्र देवनरायन यादव निवासी ग्राम सोनारी रामचन्द थाना बांसगांव चौकी हरनहीं के मामा ने बच्चों के अपहरण हो जाने की आशंका जताते हुए खजनी थाने में तहरीर दी।

पुलिस ने मुकदमा अपराध संख्या 384/2024 में बीएनएस की धारा-137 (2) के तहत केस दर्ज कर लिया। थानाध्यक्ष सदानंद सिन्हा ने बच्चों से जुड़े अपराध के मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच और कार्रवाई शुरू कर दी। मोबाइल लोकेशन के आधार पर ट्रेस करते हुए दोनों बच्चों को लखनऊं से 4 अक्टूबर को बरामद कर लिया गया थाने पर ले आने के बाद उन्हें परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया।

पूछताछ में दोनों छात्रों ने बताया कि क्रिकेट खेलने और देखने के जुनून में दोनों घर से भाग निकले थे और मेहनत मजदूरी करके अपने क्रिकेट का शौक पूरा करना चाहते थे।

गोविंदपुर टिकरिया में पकड़ा गया 8 फीट का मगरमच्छ, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

गोरखपुर। चिलवाताल थाना क्षेत्र के मजनू चौकी अंतर्गत गोविंदपुर टिकरिया गांव के तालाब में 27 सितंबर से मगरमच्छ ग्रामीणों में दहशत का माहौल पैदा किया हुआ था आज वन विभाग की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को पकड़ने में सफलता प्राप्त की।

चिलुवाताल थाना क्षेत्र के मजनू चौकी अंतर्गत गोविंदपुर टिकरिया गांव के तालाब में 27 सितंबर को राप्ती नदी से लगभग 8 फीट का मगरमच्छ चला आया था जिसे छोटे-छोटे बच्चों ने देखा था लेकिन बच्चों के परिजनों को विश्वास नहीं हो रहा था जब परिजनों ने मगरमच्छ को देखा तब ग्राम प्रधान सुजीत सिंह तालाब के चारों तरफ गांव के नागरिकों को मगरमच्छ के निगरानी के लिए लगा दिया और वन विभाग के अधिकारियों सहित वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दिया।

मगरमच्छ को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारियों के निगरानी में कर्मचारी प्रतिदिन मगरमच्छ को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे लेकिन तालाब में अत्यधिक पानी होने के कारण मगरमच्छ पकड़ा नहीं जा सका था लेकिन ग्राम प्रधान सुजीत सिंह ने एक हफ्ते से लगातार तालाब का पानी पंपिंग सेट से निकलवाने का कार्य करते रहें जब पानी कम हो गया।

आज पुन: वन विभाग के प्रशिक्षु कर्मचारी कैंपियरगंज से पहुंचकर तालाब में उतरकर मगरमच्छ को पकड़ने का काम किया गांव के अगल-बगल के ग्रामीण मगरमच्छ को देखने के लिए काफी भीड़ इकट्ठा कर दिए थे जिनकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए चौकी इंचार्ज मजनू अमित चौधरी सहित चौकी की पूरी फोर्स के साथ सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहे अंतोगत्वा तालाब से मगरमच्छ पकड़ लिया गया। तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

अविमुक्तेश्वरानंद के शिष्यों ने सौंपा गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने का पत्रक

गोरखपुर। ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के द्वारा पूरे देश में गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने और गौ हत्या बंद करने के चलाए जा रहे अभियान के क्रम में रविवार को गोरखपुर के सहारा स्टेट कॉलोनी में संघ की शाखा में पहुंचे RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को, शंकराचार्य के दीक्षित शिष्य एडवोकेट मनीष पांडेय के नेतृत्व में सैकड़ो शिष्यों ने, एक पत्रक सौंपा। इस दौरान उनसे लोगों ने उसने विनम्र अनुरोध किया कि, इस विषय पर संघ गंभीरता से विचार करते हुए, गौ माता को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए, उन्हें राष्ट्र माता घोषित करने के लिए अपना संकल्प ले।

इसके साथ ही केंद्रीय सरकार को इसके लिए कानून बनाने के लिए प्रेरित करें। शंकराचार्य भगवान के शिष्यों ने इस दौरान दत्तात्रेय होसबोले का स्वागत भी किया। उन्हें गोरक्षभूमि पर गीता और शंकराचार्य भगवान की तरफ से प्रसाद स्वरूप भेजी गई साल भी भेंट किया गया।

इस दौरान शंकराचार्य के शिष्य एडवोकेट मनीष पांडेय ने कहा कि, सर्वविदित है कि भारतीय संस्कृति और सनातन सभ्यता में गौ माता को सर्व पूजनीय और धार्मिक रूप से सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उनके लिए वेदों में "गांवो विश्वस्य मातर:" की उक्ति का प्रयोग भी किया गया है। जिसका अर्थ यह है कि गाय विश्व की माता है। ऐसा हमारी सभ्यता में सदियों से रचा बसा रहा है। लेकिन यह देखने को मिला कि भारत देश में स्वतंत्रता के बाद से अनेकों सरकारें तो बनी लेकिन किसी ने गौ संवर्धन एवं रक्षा हेतु कोई भी कार्य नहीं किया। जबकि गायों की रक्षा और गौ हत्या निषेध कानून की मांग लंबे समय से हिंदू धर्माचार्य करते आ रहे हैं।

वर्तमान समय में गौ हत्या निषेध कानून की मांग व्यापक रूप से चारों शंकराचार्य पीठें, पांचो वैष्णवाकार्य पीठेँ और 13 अखाड़ों द्वारा, हिंदुओं के परंपरागत और सार्वभौमिक प्रतिदिन होने के कारण लगातार किया जा रहा है। जो हिंदू जनमानस और वेदों की आज्ञा के अनुरूप है।

इसी क्रम में वर्तमान में पूरे भारत देश के सभी प्रांतों की राजधानियों में गौ ध्वज को ज्योतिषपीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती 1008 द्वारा फहराकर, गौ हत्या निषेध कानून की मांग की जा रही है। जिसके तहत वेद लक्षणा गाय को पशु श्रेणी से निकालकर, राष्ट्र माता की श्रेणी में रखने की मांग है। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी जो कि भारत देश में, सनातन हिंदू गौरव को नए उदीयमान सूर्य की भांति लेकर चल रहा है, उससे अपेक्षा वर्तमान दशा में और भी बढ़ जाती है। संघ वेद लक्षणा गाय को पशु श्रेणी से निकालकर राष्ट्र माता का दर्जा देने हेतु एक प्रभावी संकल्पित प्रयास करें जिससे, एक केंद्रीय कानून गौ हत्या निषेध का बन सके और सनातन का उत्थान हो। ऐसा ही सभी हिंदू राष्ट्रीय सेवक संघ से अपेक्षा लगाए बैठे हैं। उसी क्रम में संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले जी को हम सभी शंकराचार्य भगवान के शिष्यगण मिलकर पत्रक सौंपने का कार्य किए हैं। जिसपर निर्णय और विचार करने का उनसे अनुरोध भी किया गया है।

इस दौरान शंकराचार्य के शिष्यगणों में मुन्ना सिंह, सुनील पांडेय, मयंक मिश्रा, अवधेश सिंह, मुकेश पाण्डेय, अष्टभुजा सिंह, राजकुमार मिश्रा, कृष्ण कुमार भार्गव, अभय शाही, धीरज सिंह, धर्मेंद्र दिवेदी, आशुतोष शुक्ला, अनिवेश सिंह, राहुल चतुर्वेदी, प्रमोद गौड़, आमोद गौंड, सौरभ गुप्ता, हेमंत त्रिपाठी, विनय पांडेय आदि मौजूद रहे।

इस्लाम तौहीद व इंसानियत की शिक्षा देता है : उलमा किराम

गोरखपुर। नौजवान मिलाद कमेटी की ओर से बहादुर शाह जफर कॉलोनी बहरामपुर में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी का आयोजन हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत कारी नसीमुल्लाह ने की। मुख्य वक्ता मुफ्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन ने कहा कि आज मुसलमान बहुत परेशान हैं। तेल सहित तमाम खज़ाना है मुसलमानों के पास, लेकिन मुसलमान बर्बाद हो रहा है, ज़ुल्म का शिकार हो रहा है। इसकी मुख्य वजह पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं से दूरी है। जब तक हम अपने अंदर बदलाव नहीं लायेंगे तब तक हमारी स्थिति बदलने वाली नहीं है। पैग़ंबरे इस्लाम की ज़ात से खुद को जोड़ना होगा। सहाबा किराम वाला दीनी ज़ज़्बा पैदा करना होगा। क़ुरआन व हदीस पर अमल करना होगा। इल्म हासिल करना होगा। बुराईयों से दूरी बनानी होगी। दूसरों के दुख दर्द में शामिल होना होगा। सुन्नते नबवी पर चलना होगा। फर्ज की वक्तों पर अदायगी करनी होगी। तब जाकर हमारा भविष्य रोशन होगा।

विशिष्ट वक्ता कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि इस्लाम तौहीद व इंसानियत की शिक्षा देता है। इस्लाम की शिक्षा में तौहीद, प्यार व भाईचारगी है। इस्लाम की सभी शिक्षा सिर्फ और सिर्फ इंसानियत की भलाई के लिए है। इंसानियत के हित में जितना भी तरीका और शिक्षा इस्लाम में दी गई वह कहीं और नहीं मिलेगी। इस्लाम की शिक्षा व मुहब्बत लोगों के दिलों में रचती बसती जा रही और लोग इस्लाम अपनाते जा रहे हैं।

विशिष्ट वक्ता मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने अवाम से कहा कि अल्लाह की इबादत कीजिए। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए रास्ते पर चलिए। मस्जिदों को अपने सजदों से आबाद कीजिए। बुराई, नशा, फिजूल बातों से दूर रहिए। पैग़ंबरे इस्लाम की शिक्षाओं पर अमल कर दुनिया वालों के लिए बेहतरीन आइडियल बनिए। पैग़ंबरे इस्लाम हमारे आदर्श हैं। जिन कामों से उन्होंने मना किया है उससे दूर रहिए वह काम करिए जिसे पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पसंद फरमाया है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में सुख शांति की दुआ मांगी गई। जलसे में वरिष्ठ शिक्षक मुख्तार अहमद, परवेज आलम, मो. शहबाज, रेहान अहमद, मो. आसिफ, गोलू, मो. नईम, असगर अली, अकबर अली, मो. फैजान, जुनैद आलम, अहमद फाइज, अली शान, आतिफ अली, नूर मोहम्मद, मो. कादिर, मल्लू, मौलाना सद्दाम हुसैन, हाफिज रहमत अली, मौलाना महमूद रज़ा, मौलाना दानिश रज़ा, अहमद आतिफ, एजाज, हाफिज हम्माद आदि मौजूद रहे।

*वैज्ञानिक तकनीकी से खेती कर बढ़ाएं उत्पादन:डॉ विमलेश*

गोला गोरखपुर।देश में खेती योग्य जमीन का क्षेत्रफल घटने जनसंख्या बढ़ने के कारण अधिकतम खाद्यान्न उत्पादन की आवश्यकता है। हर नागरिक को भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार वैज्ञानिक कृषि विभाग एवं किसान भाइयों की है। अधिकतम उत्पादन तब संभव है जब किसान भाई आधुनिक कृषि यंत्रों संतुलित उर्वरक उन्नतशील बीज सरकार की कृषक उपयोगी योजना वैज्ञानिक तकनीकी का सार्थक उपयोग कर खेती कर कम लागत में उत्पादन बढ़ाकर देश प्रदेश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएं। सरकार किसान भाइयों का हर संभव सहयोग कर रही है।उक्त जानकारी विकास खंड बांसगांव परिसर में कृषि सूचना तंत्र के सुदृढ़ीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम अंतर्गत आयोजित किसान गोष्ठी में मुख्य अतथि विधानसभा बांसगांव क्षेत्र के विधायक डॉ विमलेश पासवान ने दी।

गोष्ठी में कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के अधीक्षक शस्य वैज्ञानिक डॉ एसके तोमर डॉ एसपी सिंह पूर्व अपर जिला कृषि अधिकारी राम अधार यादव ने प्राकृतिक खेती कृषि यंत्रों की खेती में उपयोगिता उत्पादन में उन्नतशील बीज का महत्व संतुलित उर्वरक प्रयोग फसल अवशेष प्रबंध जैविक खेती आदि पर विस्तार से दी जानकारी। गोष्ठी में बीज भंडार प्रभारी राजू गुप्ता जवाहर प्रसाद शिव शंकर यादव पंकज कुमार राज कुमार मौर्य अमलेंद्र वर्मा ने सरकार की कृषि उपयोगी योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि फसल बीमा बैंक द्वारा संचालित योजना कृषि निवेशकी व्यवस्था पर विस्तार से दी जानकारी।

मुख्य अतिथि द्वारा तीन किसान भाइयों को तोरिया का मिनी किट निशुल्क दिया गया। अध्यक्षता संजय सिंह संचालन सहायक विकास अधिकारी धर्मेंद्र पांडेय द्वारा किया गया। इस अवसर पर विधायक प्रतिनिधि अरविंद पांडेय मृत्युंजय सिंह जितेंद्र सिंह रमेश कुमार सुबाष राय दिनेश सिंह अविनाश सिंह सरिता देवी संगीता वीटम श्रीवास्तव शनिचरा देवी अमरकांत यादव राजेश प्रताप पाल बृजेश राय सहित अधिक संख्या में जनप्रतिनिधि एवं प्रगतिशील किसानगण मौजूद रहे।

*श्रीे श्री रामलीला समिति आर्यनगर , मानसरोवर गोरखनाथ का चौथा दिन,,,*

कैकेई ने दिया राम को वनवास

आज मदन मोहन मंदिर आर्य नगर से निकाली गई वन गमन यात्रा

राजा दशरथ श्री राम जी अपने मंत्रियों से मंत्राणा करके युवराज घोषित करते हैं और उन्हें राज सौंपने का निर्णय लेते हैं। इधर बात रनिवास में पहुंचती है इस पर कैकेई सहित सभी रानियां खुश होती हैं परंतु दासी मंथरा को यह अच्छा नहीं लगता वह जा करके कैकेई से कहती है कि तुम्हारा पुत्र भरत दास बन जाएगा। परंतु कैकेई नहीं मानती है । इस पर मंथरा बार-बार समझती है अंत में कैकेई मान जाती हैं। और कैकेई राजा दशरथ के पास जाती है और उनसे दो वरदान मांगती है जिसको देने के लिए राजा पहले से प्रतिबद्ध थे। कैकेई ने राम के लिए 14 वर्ष वनवास एवं भरत के लिए राजगद्दी मांगती हैं । राजा दशरथ बहुत दुखी होते हैं परंतु कैकेई नहीं मानती हैं फिर राम लक्ष्मण एवं सीता सहित वन के लिए प्रस्थान करते हैं।

वन गमन शोभा यात्रा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी की सवारी ठाकुर मदन मोहन जी मंदिर आर्यनगर से उठकर बक्शीपुर, हिंदी बाजार, लाल डिग्गी, जाफर बाजार, बेनीगंज होते हुए आर्यनगर पहुंची। रास्ते में जगह-जगह पर श्रद्धालुओं ने वनयात्रा पर श्री राम जी के सवारी पर पुष्प वर्षा किया, आरती किये तथा श्री राम के जय घोष से पूरा वातावरण गुंजायमान होता रहा।

भव्य रथ यात्रा व भगवान की आरती में मुख्य अतिथि महापौर मंगलेश श्रीवास्तव,पुष्प दन्त जैन, राजीव रंजन अग्रवाल, मनीष अग्रवाल (सरार्फ), दीप अग्रवाल, अनुराग गुप्ता, संतोष राजभर, जीतू अग्रवाल, भागवत दास अग्रवाल, जितेंद्र सैनी, अमन गोड़, राजा जैन, गोवर्धन दास अग्रवाल, संंजय अग्रवाल, पवन गुप्ता, चतुर्भुज प्रसाद, चन्दन श्रीवास्तव, श्रवन तिवारी, नवदीप त्रिपाठी, विजय अग्रहरी, गंगेश्वर त्रिपाठी,अन्य शामिल रहे।

*जो समाज अपनी कविता, कला, भाषा को नहीं बचा सकता, वह गुलामी से नहीं बच सकता:प्रो.चित्तरंजन मिश्र*

आलोचना का काम जड़ता से टकराना है : प्रो. चित्तरंजन मिश्र

मौलिक मेधा अपनी भाषा में पनपती है : प्रो. नन्दकिशोर पाण्डेय

सत्ता और जनता की भाषा एक होनी चाहिए: प्रो.नंदकिशोर पाण्डेय

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन प्रो. चित्तरंजन मिश्र ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आलोचना सहृदय संवाद है, और यह सह्रदय संवाद करते हुए रचना की अर्थ मीमांसा में उतरना पड़ता है. अर्थ की मीमांसा में उतरे बिना यदि रचना पर आप कुछ अपने मन का थोपते हैं तो आप रचना के साथ न्याय नहीं कर सकते हैं. समकालीन आलोचना समसामयिकता के गहरे दबाव में है. जिसकी वजह से वह अपनी परंपरा के प्रति अपरिचय का भाव पैदा करती है.

उन्होंने कहा कि कविता को घटना की तरह नहीं पढ़ना चाहिए. जो समाज अपनी कविता, कला, भाषा को नहीं बचा सकता वह गुलामी से भी नहीं बच सकता. आलोचना का काम जड़ता से टकराना है. एकरूपता को तोड़ना है. सारी दुनिया परस्पर विनिमय से चलती है. विचार विश्व भर के होते हैं. बुद्ध इस धरती के थे लेकिन उनका विचार दुनिया में फैला

प्रो. नन्दकिशोर पाण्डेय ने कहा कि मौलिक मेधा अपनी भाषा में पनपती है. जब हम भारतीय भाषाओं में पढ़ते थे तब कई वैज्ञानिक उपलब्धियां हासिल किए. परंतु, जबसे देश में फारसी और अंग्रेजी का प्रचलन बढा तब से हमें कोई वैज्ञानिक या तकनीकी उपलब्धि हासिल नहीं हुई. उन्होंने आगे कहा कि भाषा को बचाने के लिए उसका व्याकरण, शब्दकोश और उसके लोक साहित्य का संग्रह होना चाहिए.

प्रो. पांडेय ने अंग्रेजी का जिक्र करते हुए कहा कि जिन राज्यों में, विशेष तौर पर पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में, राज-काज की भाषा अंग्रेजी है, वहां की स्थानीय भाषा समाप्त हो रही है। सत्ता और जनता की भाषा एक होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज हिन्दी विश्व की जरूरत है. इसे नकारने की सामर्थ्य किसी में नहीं है। यहां तक कि संयुक्त राज्य संघ में भी हिन्दी को सम्मान से सुना जाता है।

प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने अपने संबोधन में कहा कि भाषाओं का सवाल न्याय और अन्य का सवाल है हम कैसा समाज बनाना चाहते हैं यह सवाल भाषा से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा तभी बचेगी जब भारतीय भाषाएं बचेंगी. वंचित व हाशिए की भाषाओं को जब महत्व मिलेगा. उन्होंने कहा की भाषा का सवाल सदैव हास्य पर रखा गया. उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय भाषा का क्षरण, असल में भारतीय संस्कृति और भारतीयता के क्षरण से जुड़ा हुआ सवाल है.

नासिक के प्रो.विजय प्रसाद अवस्थी ने कहा कि हिंदी भाषा के विकास में आम आदमी का सबसे बड़ा योगदान है आम बोलचाल की हिंदी को कोई खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि हिंदी का भविष्य टेक्नोलॉजी एवं भारत की सांस्कृतिक भावात्मक एकता से जुड़ा हुआ है.

इग्नू के प्रोफेसर नरेंद्र मिश्रा ने कहा हिंदी शिक्षा जगत में सिकुड़ रही है लेकिन बाजार में बढ़ रही है इसका उदाहरण फिल्म और मीडिया में देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि भारत में 25 में से 21 हाईकोर्ट की भाषा भारतीय भाषा नहीं है.अफसर शाही नहीं चाहती कि हिंदी ऊपर उठे.उन्होंने कहा कि शिक्षा और सरकारी कामकाज की भाषा एक होनी चाहिए.जब हिंदी में सॉफ्टवेयर होगा, तभी हिंदी वैश्विक भाषा बन सकेगी.

प्रो.रामदरश राय ने आचार्य रामचंद्र तिवारी का स्मरण करते हुए कहा वह ऐसे आलोचक थे जिनकी आलोचनाएं मौलिक थीं। प्रों राय ने हिन्दी की दशा पर चिंता जताते हुए कहा कि इसका वर्तमान अच्छा नहीं है।

प्रो. राजेश मल्ल ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी आलोचना का आरंभ दो प्रश्न तथा दो दिशाओं में विभाजित है. एक पुरानी रीतिवादी कलावादी सामंती दृष्टि से संचालित है तो दूसरी आधुनिक जनवादी और सामंतवादी सौंदर्याभिरुचि के खिलाफ या सामंतवाद विरोधी चेतना से संचालित.

उन्होंने कहा कि आचार्य रामचंद्र तिवारी हम लोगों को आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध और कबीर पढ़ते थे आचार्य शुक्ल उनके प्रिय लेखक थे तो कबीर उनके प्रिय कवि लेकिन उनका मानो जगत तथा आलोचना दृष्टि के पीछे तुलसीदास की समन्वयवादी इसलिए वे दो प्रश्न दो दिशाओं दो धाराओं के बीच में गहरा संतुलन और समन्वय करते चलते थे.

डॉ.दमयंती तिवारी ने कहा कि त्याग में भी आनंन्द है । स्व से पर को जोड़ने का भाव है। अनन्यता बोध से वसुधैव कुटुम्बकम की भावना निःसृत है।

त्रिपुरा की प्रो. मिलन रानी जमातिया ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंधों से हम सभी परिचित हैं, जिनमें भारतीय दृष्टिकोण व्यक्त हुआ है। हमारे जीवन मूल्यों को ध्यान में रखकर रामचंद्र तिवारी ने रामचंद्र शुक्ल के सिद्धांतों का विश्लेषण किया ।

प्रो.गौरव तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष माने जाने वाले आलोचक जितना कलात्मक कसौटियों के प्रति सजग हैं उतनी ही वे साहित्य में सभ्यता समीक्षा के प्रति संवेदनशीलता भी रखते हैं। इन दोनों को साध लेने के कारण ही आचार्य रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामविलास शर्मा और मुक्तिबोध हिंदी के शिखर आलोचक हैं। आलोचकों की दूसरी कोटि वह है जो शास्त्रीय कसौटियों से साहित्य की आलोचना को अपनी प्राथमिकता में रखते हैं। तीसरी कोटि वह है जिसमें साहित्य के मूल्यांकन की कलात्मक कोटियां अनावश्यक मानी जाती हैं और आलोचना शुद्ध रूप से सभ्यता समीक्षा का रूप धारण कर चुकी है। समकालीन हिंदी आलोचना सभ्यता समीक्षा का रूप धारण कर चुकी है।

डॉ. श्रीराम परिहार ने कहा कि हमारी ज्ञान परंपरा में विज्ञान और ज्ञान अलग नहीं है। बिना प्रकृति के मनुष्य का श्रृंगार नहीं हो सकता। कवियों को भी हमारे धरती की संस्कति को समझना होगा । संस्कृति की भूमि पर ही रामचंद्र तिवारी की कलम चली थी. निबंध ने अपनी जमीन कभी नहीं छोड़ी।

प्रो. मंजु त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि राम के घटक तत्वों का विश्लेषण किया जाए तो इसमें राम कथा का लोक मानस रचित आदिरूप, ऐतिहासिक यथार्थ का पोषण करने वाली दो जातियों की संघर्ष गाथा का रूप तथा नैसर्गिक ऋत से आरंभ होकर मानव समाज के विकास के साथ अनेक धार्मिक, सांस्कृतिक व नैतिक मूल्यों से संश्लेषित धर्म गाथा का रूप एकसाथ सुरक्षित है.यही नहीं वाल्मीकि से लेकर तुलसीदास तक अनेक महाकवियों की रचनात्मक प्रतिभा का संस्पर्श पाकर यह कथा भाव और रस की अनेक भूमियों तथा सौंदर्य चेतना के अनेक स्तरों से समृद्ध होकर पूरे विश्व के लिए आकर्षण तथा प्रेरणा का विषय बन गई है. अतः राम कथा की गूढता स्वभावतः सिद्ध होती है.

हैदराबाद के प्रो. आर.एस.सर्राजू ने कहा कि भाषा का प्रयोग वक्ता और श्रोता के बीच होता है, जिसके बीच एक समाज होता है. आलोचना को हम गद्य की एक विधा के रूप में देखते हैं, जबकि भाषाई चेतना के साथ भी इसका संबंध है. आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अंग्रेजी और हिंदी की परंपरा को मिलकर अपनी बात कही.

केंद्रीय हिंदी निदेशालय एवं दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 'हिंदी भाषा और साहित्य: आलोचना का मूल्य और डॉ. रामचंद्र तिवारी' विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का दूसरा दिन तकनीकी सत्रों का था.इसके पहले सत्र का विषय 'हिंदी भाषा : वर्तमान एवं भविष्य' तथा दूसरे सत्र का विषय 'हिंदी निबंध : सांस्कृतिक मूल्य' तथा तीसरे संयुक्त सत्र का विषय 'हिंदी आलोचना का स्वरूप' था. इन सभी तकनीकी सत्रों का सफल संयोजन हुआ.

आज के विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ अखिल मिश्र, डॉ. नरेंद्र कुमार, डॉ. अभिषेक शुक्ल ने किया. डॉ.विजयानंद मिश्र ने किया. संगोष्ठी के संयोजक प्रो.विमलेश मिश्र और हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार गुप्त ने इस दौरान संपूर्ण व्यवस्था को बनाए रखने में अपनी भूमिका का विधिवत निर्वाह किया.

प्रो.टीवी कट्टीमनी की पुस्तक का हुआ विमोचन

प्रो. टी.वी. कट्टीमनी की पुस्तक 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति: गेमचेंजर' का आज संगोष्ठी के दौरान विमोचन हुआ. इस पुस्तक का विमोचन प्रो. सुरेंद्र दुबे की केंद्रीय उपस्थिति में संपन्न हुआ. प्रोफेसर टीवी कट्टीमनी जनजातिय केंद्रीय विश्वविद्यालय, हैदराबाद के कुलपति हैं. इसके पहले वह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं.