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असम का एक ऐसा गावं है, जहा पक्षी लेकिन आकर  कर लेते हैं आत्महत्या
डेस्क :–भारत की आत्मा गांव में बसती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने यह बात कही थी। शहर में कितने भी सुख सुविधाओं के संसाधन हो, लेकिन किसी भी इंसानों को गांव में जाने पर ही सुकून मिलता है। गांव के पेड़ों की ठंडी छांव में जो बात है, वो एसी में नहीं है। असम का एक ऐसा गावं है, जहां इसानों को भले ही सुकून मिलता हो, लेकिन यहां आकर पक्षी आत्महत्या कर लेते हैं। आज तक इस रहस्य का पता नहीं लग पाया है कि आखिर इस गांव में क्यों पक्षी आकर मौत को गले लगा लेते हैं?

यह गांव असम के बरेल पर्वत श्रेणी में मौजूद है। भारत के किसी दूसरे गांव की तरह ही यह गांव भी है। हालांकि, इस गांव में सदियों से एक रहस्य छिपा हुआ है। यह पक्षियों की मौत का रहस्य है। इस रहस्य को वैज्ञानिक और शोधकर्ता अभी तक नहीं सुलझा पाए हैं। सितंबर से अक्टूबर के महीने में हर शाम 6 बजे से रात 10 बजे के बीच प्रवासी पक्षियों का झुंड यहां पहुंचता है।

असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी के बीच स्थित जतिंगा गांव में पक्षी आकर आत्महत्या करते हैं। इस गांव में न सिर्फ स्थानीय पक्षी, बल्कि प्रवासी पक्षी भी पहुंच जाते हैं, तो वे आत्महत्या कर लेते हैं। इसकी वजह से जतिंगा गांव को काफी रहस्यमयी माना जाता है। इस रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी जांच-पड़ताल की, लेकिन आत्महत्या की वजह का पता नहीं चल पाया।

जतिंगा गांव में डेढ़ किमी लंबी एक सड़क है, जिसके ऊपर उड़ान भर रहे पक्षी कूदकर अपनी जान दे देते हैं। सूर्यास्त के बाद सैंकड़ों पक्षी तेज रफ्तार से आसमान से जमीन की तरफ आते हैं और अपनी जान देते हैं।

असम के जतिंगा गांव में पहले जेमे नागा रहते थे। एक दिन धान की खेतों की रखवाली कर रहे नागा आदिवासी समुदाय के लोगों ने पक्षियों के सामुहिक आत्महत्या की घटना देखी। प्रकृति के इस रूप को उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। इस घटना से समुदाय के लोग डर गए। 1905 में नागा समुदाय ने जैंतिया समुदाय को यहां की जमीन बेच दी।
दुनिया में कई ऐसे टैक्स भी लगते हैं, जिनके बारे में जानकर  हैरान रह जाएंगे आप

डेस्क :– भारत में इनकम टैक्स के अलावा जीएसटी सबसे अहम टैक्स, जो लोगों द्वारा खरीदे गए सामानों पर लगता है। लोगों को अपनी आय के मुताबिक सरकार को टैक्स देना होता है और देना भी चाहिए, क्योंकि इससे देश का विकास होता है। लेकिन दुनिया में कई ऐसे टैक्स भी लगते हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। कई स्थानों पर टॉयलेट फ्लश को लेकर टैक्स देना पड़ता है, तो कहीं टैटू बनवाने पर भी टैक्स लगता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही टैक्स के बारे में बताते हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे।

*कद्दू पर टैक्स*

अगर आपको पता चले कि कद्दू पर भी टैक्स लगता है, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन अमेरिका के न्यू जर्सी में ऐसा ही होता है। यहां पर लोगों को कद्दू खरीदने के लिए भी टैक्स देना पड़ता है।

*टैटू पर टैक्स*

वर्तमान समय में टैटू बनवाना हर किसी का शौक बन चुका है, लेकिन अगर आपको इसपर भी टैक्स देना पड़े तो। जी हां, अमेरिकी राज्य अरकंसास में लोगों को टैटू के लिए छह प्रतिशत सेल्स टैक्स देना पड़ता है।

*टॉयलेट के फ्लश पर टैक्स*

सबसे हैरानी वाली है कि अमेरिका के मैरीलैंड में टॉयलेट के फ्लश पर भी टैक्स लगता है। आपको यह जानकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह बिल्कुल सच है। यहां की सरकार टॉयलेट फ्लश के इस्तेमाल पर लोगों से प्रति महीने करीब 355 रुपये टैक्स वसूलती है। हालांकि, इन पैसों का इस्तेमाल नालों की साफ-सफाई पर किया जाता है।

*आइस ब्लॉक पर टैक्स*

अमेरिका के एरिजोना में बर्फ का टुकड़ा (आइस ब्लॉक) खरीदने पर भी लोगों से टैक्स लिया जाता है। लेकिन, अगर लोग आइस क्यूब खरीदते हैं, तो उसके लिए कोई टैक्स नहीं है।

*ताश के पत्ते पर टैक्स*

अमेरिका के अलबामा में लोगों को ताश के पत्ते खरीदने या बेचने के लिए भी टैक्स देना होता है। खरीदने वाले को 10 फीसदी प्रति 'ताश की गड्डी', जबकि बेचने वाले को 71 रुपये फीस के साथ ही 213 रुपये सालाना लाइसेंस के लिए टैक्स देने पड़ते हैं। हालांकि, यह टैक्स सिर्फ ताश के 54 पत्ते या उससे कम खरीदने वालों पर लागू होता है।

मौसम बदलते ही सर्दी-जुकाम कर देती है परेशान? आईए जानते हैं क्या है इसकी वजह और कैसे करें बचाव
डेस्क :– सर्दी-जुकाम हो या फ्लू की समस्या, सभी उम्र के लोगों में ये काफी आम है। बदलते मौसम में इसका खतरा और भी बढ़ जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है उनमें इस तरह की समस्याओं का जोखिम अधिक देखा जाता रहा है। इंफ्लूएंजा वायरस का संक्रमण सर्दी-जुकाम होने का सबसे आम कारण है, मौसम में बदलाव के साथ इस वायरस का प्रकोप बढ़ने लगता है।

सितंबर-अक्तूबर के महीनों में आमतौर पर जब मौसम में परिवर्तन शुरू हो जाता है, तो सर्दी-जुकाम जैसे वायरल संक्रमण के मामले भी तेजी से बढ़ने लगते हैं। ये समय डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों का भी होता है।

*कमजोर इम्युनिटी वालों में जोखिम*

डॉक्टर बताते हैं, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में फ्लू और सर्दी होने की अधिक आशंका हो सकती है। बार-बार संक्रमण होना, अक्सर बीमार रहना, घावों का जल्दी न भरना, थकान-कमजोरी बने रहना इस बात का संकेत है कि आपकी इम्युनिटी लो हो सकती है। इसे दुरुस्त करने के लिए उपाय करना जरूरी है।

*इम्युनिटी बढ़ाने के लिए करिए उपाय*

दिनचर्या और आहार में कुछ बदलाव करके रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। हल्दी वाला दूध (गोल्डन मिल्क) पीना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हल्दी में प्राकृतिक एंटीबायोटिक गुण होते हैं जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं। इसके साथ हरी-सब्जियों-फलों, मसालों का सेवन करें। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती हैं। 

*तुलसी के पत्ते का काढ़ा*

वायरल संक्रमण और सर्दी-जुकाम की समस्या में काढ़ा पीना सबसे फायदेमंद हो सकता है। तुलसी के पत्ते और काली मिर्च को उबालकर काढ़ा बनाएं। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है और सर्दी-जुकाम से लड़ने में मददगार है। इसके अलावा अदरक का रस निकालकर शहद में मिलाकर सेवन करने से गले की खराश और खांसी में आराम मिलता है।

दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी, हर्बल टी, सूप और नींबू पानी पीते रहें।

*शरीर को दें आराम*

वायरल संक्रमण की स्थिति में शरीर को पर्याप्त आराम देना जरूरी हो जाता है। इसके लिए 7-8 घंटे की नींद लें। पर्याप्त आराम करने से शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए ऊर्जा मिलती है। नींद के दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है, जिससे लक्षणों में जल्द आराम होता है। वायरल बुखार में डॉक्टर की सलाह पर सिर्फ पैरासिटामोल टैबेलेट का ही सेवन करें।


नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
महिलाओं में कैंसर के खतरे को कम करने की दिशा में एक राहत भरी खबर

डेस्क–कैंसर के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। पुरुष हो या महिला, बच्चे हों या बुजुर्ग, सभी लोगों में कैंसर और इसके जोखिम कारक देखे जाते रहे हैं। पुरुषों में लंग्स और प्रोस्टेट जबकि महिलाओं में स्तन-ओवरी और सर्वाइकल कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते हैं।

आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2022 में, दुनियाभर में महिलाओं में कैंसर से मृत्युदर प्रति एक लाख लोगों पर 76.4 थी। स्तन कैंसर महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण था, वहीं ओवेरियन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।

हालांकि महिलाओं में कैंसर के खतरे को कम करने की दिशा में एक राहत भरी खबर सामने आ रही है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, ओवेरियन कैंसर (डिम्बग्रंथि के कैंसर) के लिए दुनिया का पहला टीका यूके में विकसित किया जा रहा है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि टीके से इस घातक बीमारी के जोखिमों को पूरी तरह से खत्म करने में मदद मिल सकती है।

अगर ये टीका परीक्षणों में सफल रहता है तो हर साल ओवेरियन कैंसर के कारण होने वाली लाखों मौतों को रोका जा सकता है।

*ओवेरियन कैंसर के लिए वैक्सीन*

वैज्ञानिकों की टीम ने इस वैक्सीन को 'ओवेरियनवैक्स' नाम दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, कैंसर के खिलाफ निवारक उपाय के रूप में महिलाओं को यह टीका दिया जाएगा। इसकी मॉडलिंग उसी तरह से की गई है जैसा कि सर्वाइकल कैंसर की एचपीवी वैक्सीन की है।

रिपोर्ट्स के अनुसार टीके को इस तरह से निर्मित किया जा रहा है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ओवेरियन कैंसर को शुरुआत में ही पकड़ ले और कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोके या नष्ट कर दे।

कैंसर कोशिकाओं को पहचानेगी वैक्सीन

ओवेरियनवैक्स टीके के बारे में जानकारी देते हुए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में ओवेरियन कैंसर सेल लेबोरेटरी के निदेशक डॉ. अहमद अहमद ने बताया, ये वैक्सीन सेलुलर टारगेट की तरह काम करेगी। वैज्ञानिकों की टीम ये समझने की कोशिश कर रही है कि प्रारंभिक चरण में कैंसर कोशिकाओं की सतह पर कौन से प्रोटीन हो सकते हैं, जिन्हें वैक्सीन सबसे जल्दी पता लगा सकती है। इसके आगे के चरणों में वैक्सीन के माध्यम से उन कोशिकाओं को लक्षित करने पर काम किया जाएगा, जो कैंसर का कारण बन सकती हैं।

*भारत में भी ओवेरियन कैंसर का बढ़ रहा है खतरा*

ओवेरियन कैंसर कई मामलों में गंभीर चिंता का कारण है। ये भारतीय महिलाओं में तीसरा सबसे आम कैंसर है। चूंकि इस कैंसर के लिए कोई विशिष्ट स्क्रीनिंग टेस्ट नहीं है और लक्षण भी अन्य पेट के रोगों से मिलते-जुलते हो सकते हैं, यही कारण है कि इसका समय पर निदान भी नहीं हो पाता है।

कैंसर रिसर्च यूके में अनुसंधान के प्रमुख डॉ डेविड क्रॉस्बी ने कहा कि किसी भी संभावित वैक्सीन के व्यापक उपयोग के लिए तैयार होने में कई साल लग सकते हैं। इस टीके को लेकर वैज्ञानिकों की टीम आशावादी है, उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में हम ओवेरियन कैंसर को कम करने में सफलता पा सकते हैं।

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डांडिया खेलते समय रखें अपने पैरों का खास ख्याल, जरूर कर लें ये काम
डेस्क :– शारदीय नवरात्रि के पर्व को अधिक उत्साह के साथ मनाने के लिए डांडिया और गरबा का आयोजन किया जाता है। खासतौर पर गुजरात में हर उम्र और वर्ग के लोग डांडिया की धुन पर नाचते हैं, लेकिन अब देश के लगभग हर हिस्से में गरबा और डांडिया का आयोजन धूमधाम से किया जाता है। यह नृत्य और संगीत की अनोखी परंपरा लोगों को एक साथ जोड़ने का काम करती है। 

गरबा और डांडिया में जितनी भूमिका हाथों की ताली या डांडिया की होती है, उतनी ही पैरों की भी होती है। सही फुटवर्क नृत्य को और भी खूबसूरत बनाता है। इसलिए नौ दिनों के इस उत्सव से पहले अक्सर रिहर्सल क्लासेस का आयोजन किया जाता है ताकि नए लोग भी गरबा और डांडिया की कला को सीख सकें। यह न केवल एक मनोरंजन का साधन है बल्कि एक अच्छी एक्सरसाइज भी है। हालांकि, कभी-कभी लोग उत्साह में नृत्य तो करते हैं लेकिन अपने पैरों की सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे दर्द, सूजन या फ्रैक्चर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में कुछ सावधानियां बरतें।

*वार्म अप करें*

गरबा शुरू करने से पहले मांसपेशियों को स्ट्रेच करने के लिए वार्म अप करें ताकि चोट का खतरा कम हो। विशेषकर अपने पैरों, कूल्हों और पीठ पर ध्यान दें क्योंकि डांस करने के दौरान ये हिस्से सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं।

*आरामदायक जूते पहनें*

गरबा या डांडिया खेलते समय सपोर्ट वाले फ्लैट और आरामदायक जूते पहनें। ऊंची एड़ी के जूते पहनने से बचें ताकि गिरने या चोट का जोखिम कम हो सके। हाथों की सुरक्षा के लिए बैंड का इस्तेमाल करें।

*स्ट्रेचिंग करें*

स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियां लचीली होती हैं। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से पैरों को मजबूती मिलती है, जिससे आप डांडिया के हर स्टेप को आसानी से कर पाते हैं और बिना थके नृत्य का आनंद ले सकते हैं।

*स्ट्रेचिंग के तरीके*

*पंजों को छूना*

यह सामान्य स्ट्रेचिंग है, लेकिन शरीर को जितना लचीला लगे उतना ही करें। जबरदस्ती न करें। इसके लिए समतल स्थान पर बैठ जाएं और पैरों को सीधा रखें। अब शरीर के ऊपरी हिस्से को झुकाते हुए पंजों तक दोनों हाथ लेकर जाकर छूने का प्रयास करें।

शरीर का लचीलापन बढ़ाने के लिए दो तरह के योगासनों का अभ्यास कर सकते हैं, जिससे डांडिया और गरबा नाइट्स में पैरों को भी आराम मिलेगा।

पहला है चेयर पोज, जिसे उत्कटासन कहते हैं, उसका अभ्यास अभी से शुरू कर  दें। इस आसन में शरीर को इस तरह की पोजिशन में लाएं जैसे आप कुर्सी पर बैठते हैं।

दूसरा है वीरभद्रासन योग, इसमें एक पैर को आगे बढ़ाकर, घुटने को हल्का मोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाया जाता है।

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इस सब्जी का जूस पीएं खाली पेट, शरीर से निचोड़कर बाहर निकाल फेंकेगी यूरिक एसिड

डेस्क : – शरीर में बढ़े यूरिक एसिड लेवल को कम करने के लिए अगर आप अपनी डाइट में कुछ बदलाव करें तो इससे आपको लाभ हो सकता है। दरअसल, शरीर में जब प्यूरीन का लेवल बढ़ जाता है तो इससे आपके शरीर में यूरिक एसिड का निर्माण होने लगता है। यह यूरिक एसिड पैरों के पंजों में जमा होने लगता है। इससे पैरों की उंगलियों में गांठें बनने लगती है और मरीज को तेज दर्द महसूस होने लगता है। यह सूजन और दर्द इतना तेज होता है कि लोगों के लिए साधारण तरीके से चल-फिर पाना और जूते पहन पाना भी मुश्किल हो सकता है।

प्यूरीन का लेवल गलत तरीके के खान-पान की वजह से शरीर में बढ़ने लगता है। वहीं,  कुछ खाने-पीने की चीजों की मदद से इसे घटाया भी जा सकता है। आपको बस इस बात का ध्यान रखना है कि आप किसी भी ऐसी चीज का सेवन ना करें जो आपके शरीर में प्यूरीन बढ़ाने का काम करती हो। शरीर में यूरिक एसिड लेवल को कम करने के लिए आप लौकी की सब्जी का जूस पी सकते हैं। यह प्यूरीन लेवल कम करने और यूरिक एसिड लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।

*यूरिक एसिड कम करने के लिए लौकी का सेवन कैसे करना चाहिए?*


*लौकी का सब्जी*

आप दिन में एक बार लौकी की सब्जी खा सकते हैं। इसके लिए आप जीरा-नमक का तड़का लगाएं और बहुत कम मसालों में लौकी की सब्जी पकाएं। इस सिम्पल सी सब्जी को खाने से आपका वेट भी कंट्रोल में रहेगाऔर यूरिक एसिड लेवल भी कम होगा।

*लौकी का जूस पीएं*

एक ताजी लौकी लें और छीलकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।थोड़े-से पानी के साथ लौकी को मिक्सी या ब्लेंडर में पीस लें।अब इसे  छान लें और लौकी के जूस में स्वादानुसार सफेद नमक या काला नमक मिलाएं।

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नवरात्रि के शुभ अवसर पर आईआरसीटीसी आपके लिए लेकर आया एक शानदार टूर पैकेज

डेस्क : – अगर नवरात्रि के दिनों में आप किसी धार्मिक जगह पर घूमने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर खास आपके लिए है। नवरात्रि पर आपके लिए आईआरसीटीसी एक बेहद ही शानदार टूर पैकेज लेकर आया है। इस टूर पैकेज के अंतर्गत आपको देवभूमि हरिद्वार और ऋषिकेश घूमने का मौका मिल रहा है। हरिद्वार और ऋषिकेश की गिनती भारत के पवित्र और लोकप्रिय तीर्थस्थलों में की जाती है। हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां पर आते हैं। यहां आपको कई प्राचीन मंदिर और आश्रम देखने को मिलेंगे। हरिद्वार को गंगाद्वार भी कहा जाता है।

इसके अलावा पुराणों में इसको मायापुरी भी कहा गया है। इसी से कुछ दूरी पर खूबसूरत आध्यात्मिक नगरी ऋषिकेश भी स्थित है। ऐसे में आपको आईआरसीटीसी के ऋषिकेश और हरिद्वार घूमने के इस टूर पैकेज को मिस नहीं करना चाहिए। इसी कड़ी में आइए जानते हैं इस पैकेज के बारे में विस्तार से -

आईआरसीटीसी के इस टूर पैकेज का नाम DEVBHOOMI HARIDWAR - RISHIKESH है। इसका पैकेज कोड WAR015 है। इस टूर पैकेज के तहत आपको कुल 4 रातों और 5 दिनों तक हरिद्वार और ऋषिकेश में घुमाया जाएगा।

आईआरसीटीसी का यह एक ट्रेन टूर पैकेज है। इसकी शुरुआत 9 अक्तूबर 2024 को इन जगहों (अबू रोड, अहमदाबाद, अजमेर, फालना, गांधीनगर कैप, कालोल, महेसाणा जंक्शन, मारवाड़ जंक्शन, पालनपुर जंक्शन, साबरमती जंक्शन, सिद्धपुर, उंझा) से हो रही है।

पैकेज के अंतर्गत आपको हरिद्वार और ऋषिकेश घुमाया जाएगा। यात्रा के दौरान आपको किसी भी चीज की चिंता नहीं करनी है। आईआरसीटीसी द्वारा आपके खाने पीने से लेकर ठहरने के लिए होटल की व्यवस्था की जाएगी। इसके अलावा बाकी जगहों पर घुमाने के लिए कैब की व्यवस्था भी टूर पैकेज के अंतर्गत की गई है।

वहीं बात अगर किराये की करें तो 3AC में अकेले सफर करने पर आपको 27,900 रुपये किराये के रूप में देने हैं। दो लोगों के साथ सफर करने पर प्रति व्यक्ति किराया 16,900 रुपये है। इसके अलावा अगर आप तीन लोगों के साथ यात्रा कर रहे हैं तो आपको प्रति व्यक्ति 14,100 रुपये देने होंगे। वहीं कंफर्ट क्लास के किराये और टूर से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए आप इस लिंक https://www.irctctourism.com/pacakage_description?packageCode=WAR015 पर विजिट कर सकते हैं।
युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है कोलोन कैंसर, शुरूआत में ही दिखेंगे ये 5 लक्षण, ना करें इग्नोर
डेस्क :–कोलोन कैंसर किसी भी व्यक्ति की ओवरऑल हेल्थ को बिगाड़ने का काम कर सकता है।  इसीलिए, कोलोन कैंसर का जितना जल्दी पता चले मरीज के स्वास्थ्य के लिए उतना ही अच्छा है।

कोलोन या बड़ी आंत की अंदरूनी परत में शुरू होता है। यह एक गम्भीर स्थिति है और इस मामले में लापरवाही करने से गम्भीर नुकसान हो सकते हैं।  कोलोन कैंसर के भी कई प्रकार हैं और कोलोन कैंसर धीरे-धीरे गम्भीर होता है। इसका मतलब है समय बीतने के साथ बीमारी गम्भीर होने लगती है और मरीज की तबियत लगातार खराब होती रहती है। कोलोन कैंसर की शुरूआत तो एक छोटी-सी गांठ से होती है लेकिन धीरे-धीरे ट्यूमर बढ़ने लगता है और कैंसर गम्भीर होने लगता है। इसीलिए , शुरुआती स्तर पर ही कोलोन कैंसर की पहचान हो जाना इलाज के लिहाज से महत्वपूर्ण है।

*कोलोन कैंसर के लक्षण क्या हैं?*

कोलोन कैंसर की शुरूआत में ये लक्षण दिखायी देते हैं। विशेषकर, कम उम्र के मरीजों में ये लक्षण दिखायी दें तो इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए-

*बोवेल मूवमेंट में बदलाव*

कॉन्स्टिपेशन, पेट में भारीपन या गैस जैसी समस्याएं अचानक से बढ़ जाएं। डायरिया या लूज़ मोशन्स बार-बार हों तो इसे नजरअंदाज ना करें।

*मल में खून*

अगर  स्टूल पास करते समय खून भी गिरे तो यह कोलोन कैंसर का एक लक्षण हो सकता है।

*पेट में लगातार दर्द*

अगर आपको पेट में लगातार और तेज दर्द महसूस हो जो कई-कई दिनों तक होता रहे या कुछ-कुछ दिनों बाद यह दर्द शुरू होता रहे तो हो सकता है कि ये सब समस्याएं ट्यूमर की वजह से हो रही हों। विशेषकर पेट के निचले हिस्से या बाहिनी तरफ दर्द हो तो उसे इग्नोर ना करें।

*थकान*

कोलोन में लगातार हो रही ब्लीडिंग की वजह से आपके शरीर में शक्ति कम हो सकती है। ब्लीडिंग की वजह से रेड ब्लड सेल्स भी कम होने लगती हैं जिससे आपको कमजोरी महसूस हो सकती है।

*अचानक से वजन कम होना*

शरीर में होने वाली ब्लीडिंग और पोषक तत्वों के अवशोषण से जुड़ी समस्याओं के कारण आपको कमजोरी आ सकती है। इससे आपका वजन भी बहुत तेजी से कम हो सकता है।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
सुबह खाली पेट अगर गुनगुने पानी में आप शहद और नींबू का रस घोलकर पीते हैं तो इससे केवल फायदे नहीं बल्कि हो सकते हैं कई नुकसान

डेस्क:– सुबह उठने के बाद आप सबसे पहले क्या पीते है यह आपकी फिजिकल हेल्थ, स्किन की हेल्थ और यहां तक कि मेंटल हेल्थ को भी मेंटेन करने में मदद कर सकता है। बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन और वेट लॉस से लेकर डाइजेशन बढ़ाने के लिए लोग सुबह अलग-अलग तरह के हर्बल ड्रिंक्स पीते हैं। ऐसा ही एक पॉप्युलर मॉर्निंग ड्रिंक है शहद वाला नींबू पानी। सुबह खाली पेट गुनुगने पानी के साथ शहद और नींबू का रस मिलाकर पीने से पेट साफ होने और वेट लॉस में मदद होने जैसे दावे किए जाते हैं। इसीलिए, बहुत-से लोग सुबह नींबू-शहद और गर्म पानी का यह मिश्रण तैयार करते हैं और पीते हैं। लेकिन, इस ड्रिंक का सेवन करते समय कुछ सावधानियां भी बरतना जरूरी है वर्ना इससे नुकसान भी हो सकता है।

*इन लोगों को नही पीना चाहिए गर्म पानी के साथ नींबू-शहद*


नींबू पानी और शहद का मिश्रण जहां फैट बर्न करने का काम करता है। लेकिन, हर किसी के लिए नींबू पानी और शहद  का यह मिश्रण फायदेमंद साबित हो सकता है। डॉ. दीक्षा के अनुसार, गुनगुने पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पीने से फैट बर्न होता है और यह लिवर की सफाई भी करता है। साथ ही साथ पेट की गैस जैसी समस्याओं से भी शहद-नींबू का पानी पीने से आराम मिलता है।

ऐसे लोग जिन्हें गठिया की समस्या हो उन्हें यह ड्रिंक नहीं पीना चाहिए।

ऐसे लोग जिनकी हड्डियां कमजोर हों या दांत हिल रहे हैं उन्हें भी गर्म नींबू पानी से परहेज करना चाहिए।

हाइपरएसिडिटी और पित्त दोष वाले लोगों को भी गुनगुने पानी के साथ नींबू-शहद का सेवन खाली पेट नहीं करना चाहिए।

मुंह के छाले या माउथ अल्सर की समस्याहो तो भी शहद वाला नींबू पानी पीने से बचना चाहिए।

*नींबू-शहद और गर्म पानी पीते समय रखें इन बातों का भी ध्यान*

पानी हमेशा हल्का गर्म या गुनगुना ही पीएं। बहुत गर्म पानी पीने से बचें।

शहद को हमेशा ड्रिंक पीने से ठीक पहले मिलाएं। बहुत गर्म पानी में शहद को ना घोलें। ध्यान रखें कि शहद गरम करने या पकाने से वह जहरीला बन जाता है।

एक बार में आधा से एक चम्मच ही शहद इस्तेमाल करेँ।नींबू की भी मात्रा कम रखें। अगर आप पहली बार नींबू पानी पी रहे हैं तो आधा नींबू का रस मिलाएं, फिर अगर कोई साइड-इफेक्ट्स ना दिखें तो एक से दो नींबू का रस भी मिल सकते हैं।
नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।
आइए जानते हैं हाई कोलेस्ट्रॉल में पेशाब में दिखने वाले लक्षण क्या हैं?
डेस्क:– कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में मौजूद चिपचिपा पदार्थ है, जो पीले रंग का पोता है। इसकी अधिकता कई तरह की परेशानियों को जन्म ले सकता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर छाती में दर्द, दबाव बढ़ना, चक्कर आना, पैरों में दर्द इत्यादि की परेशानी हो सकती हैं। वहीं, इसके कारण स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा रहता है। ऐसे में हाई कोलेस्ट्रॉल को घटाना बहुत ही जरूरी हो जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में पेशाब करने के दौरान भी कई तरह के लक्षण दिखते हैंं। इसपर ध्यान देकर आप स्थिति में सुधार कर सकते हैं। इस लेख में हम आपको हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर पेशाब में दिखने वाले लक्षणों के बारे में बताएंगे।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर पेशाब में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जिसपर ध्यान देकर आप स्थिति का इलाज समय पर शुरू करा सकते हैं।

*1. पेशाब में कोलेस्ट्रॉल के क्रिस्टल निकलना*

शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाने की स्थिति में पेशाब में कोलेस्ट्रॉल के क्रिस्टल निकलने लगते हैं। यूरिन में कोलेस्ट्रॉल क्रिस्टल की थोड़ी मात्रा सामान्य है, लेकिन हाई स्तर में किडनी डैमेज होने का खतरा रहता है। यह नेफ्रोटिक सिंड्रोम का भी संकेत हो सकता है। अगर आपको इस तरह के संकेत दिख रहे हैं, तो एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लें। ताकि स्थिति का समय पर इलाज हो सके।

2. पेशाब झागदार होना
कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाने की स्थिति में मरीजों का पेशाब झागदार आने लगता है। अगर आपके पेशाब का रंग काफी डार्क या फिर झागदार हो रहा है, तो इस स्थिति में एक बार डॉक्टर की सलाह लें। ताकि स्थिति का इलाज समय पर किया जा सके।

शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं।आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-

डिहाइड्रेशन की परेशानी होना

काफी ज्यादा थकान महसूस होना

स्किन पर खुजली होना

स्किन ड्राई होना

हाई ब्लड प्रेशर होना, इत्यादि।

नोट: हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।