चहनिया प्रमुख की कुर्सी रहेगी बरकरार, न्यायालय के आदेश में डीएम ने लगाया नया पेंच
श्रीप्रकाश यादव
चंदौली/ जनपद के चहनिया ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी घड़ी के पेंडुलम की तरह कभी पक्ष में कभी विपक्ष में लटकती नजर आ रही है। जहां शनिवार को उच्च न्यायालय ने ब्लॉक प्रमुख चहनिया अरुण जायसवाल के खिलाफ तख्ता पलटने वाला आदेश, नाराज क्षेत्र पंचायत सदस्यों के पक्ष में दिया था।
क्षेत्र पंचायत सदस्य फुलबसा देवी की रिट संख्या 31171/2024 पर उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी चंदौली को 3 दिन के अंदर डेट निश्चित कर अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही किये जाने का निर्देश दिया था। लेकिन चंदौली के जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुंडे ने उच्च न्यायालय के आदेश को पंचायत जिला व क्षेत्र पंचायत अधिनियम 1961 के धारा 15 (2) के निर्देश के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के लिए प्रमुख को नोटिस जारी नहीं किए जाने के कारण न्यालय के आदेश को अस्वीकृत कर दिया है। साथ ही साथ यह बताया है कि आखिर वह क्यों कोर्ट के आदेश को करने के लिए बाध्य नहीं है।
जिलाधिकारी ने आदेश को नहीं मानते हुए अपनी दलील दी है। उन्होंने उल्लेख किया गया है कि क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम 1961 के धारा 15 (2) में उल्लिखित है कि क्षेत्र पंचायत प्रमुख या उप प्रमुख के अविश्वास प्रस्ताव के दिए गए नियम के अनुसूची में प्रारूप एक, जो कि क्षेत्र पंचायत के प्रमुख या उप प्रमुख के अविश्वास प्रस्ताव प्रकट करने के प्रस्ताव के अभिप्राय से लिखित नोटिस का नियत प्रारूप है। इसके अनुसार अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस प्रस्तुत नहीं किया गया है।
प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव नियम संगत नहीं है। इस आधार पर ग्राह्य किए जाने योग्य नहीं है। इस आधार उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुरूप किए गए परीक्षण में अविश्वास प्रस्ताव देने वाली श्रीमती फुलबासा देवी और अन्य द्वारा प्रस्तुत क्षेत्र पंचायत ब्लॉक प्रमुख चहनिया अरुण जायसवाल के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव के लिए दिए गए नोटिस उत्तर प्रदेश जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत अधिनियम 1961 के धारा 15(2)के उल्लिखित प्रपत्र के अनुरूप न होने के कारण इसे अस्वीकार किया जाता है।
इसे भी पढ़ें - इन 5 महिला बीडीसी सदस्यों ने खोली प्रमुख की पोल, हमें सारनाथ घुमाने का देते हैं ऑफर जिलाधिकारी के इस आदेश के बाद ब्लॉक प्रमुख बदलने की आस लगाए नाराज क्षेत्र पंचायत सदस्यों का आरोप है कि जिलाधिकारी सत्ता पक्ष के नेताओं के दबाव में आकर न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रहे हैं। हम लोग फिर न्यायालय की शरण में जाकर अपनी बात को रखेंगे। साथ ही साथ कंटेम्पट ऑफ़ कोर्ट की भी गुहार लगाएंगे।
Oct 01 2024, 17:02