अगर आप भी करते हैं जितिया का व्रत तो व्रत के समय सुनें ये कथा, संतान सुखी रहेगी
डेस्क :– अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं।बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा।
*जितिया व्रत की तारीख*
हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है। 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा। शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है। 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी। इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।
*जितिया व्रत कथा*
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं। जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया।महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं।
अपने बेटे की सलामती के लिए मां निर्जला व्रत रखती है जिसे जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत की काफी मान्यता है और ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन सच्चे मन से भगवान की पूजा की जाए तो बच्चों को लंबी उम्र के साथ बेहतर स्वास्थ्य मिलता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से और कथा पढ़ने से कई लाभ मिलते हैं. बता रहे हैं कि जितिया व्रत की पूजा विधि क्या है और इस दिन कौन सी कथा पढ़ने से भक्तों को फल मिलेगा.
*जितिया व्रत की तारीख*
हिंदू पंचांग के मुताबिक आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया लगता है. इस बार ये दो दिन मनाया जा रहा है. 2024 में 24 सितंबर को 12 बजकर 36 मिनट से जितिया व्रत शुरू हो रहा है जो 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगा. शुभ मुहूर्त की बात करें तो 25 सितंबर 2024 को जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 41 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है. 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत के नहाय-खाय की पूजा होगी. इसके बाद ओठगन होगा और फिर निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाएगी।
*जितिया व्रत कथा*
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नैमिषारण्य के निवासी ऋषियों ने संसार के कल्याण के लिए सूतजी से पूछा कि भविष्य काल में लोगों के बालक किस तरह दीर्घायु होंगे। सूतजी ने कहा- जब द्वापर का अन्त और कलियुग का आरंभ था, उसी समय बहुत-सी फिक्रमंद महिलाओं ने आपस में सलाह की थी कि क्या इस कलियुग में माता के जीवित रहते पुत्र मर जाएंगे? जब वे आपस में कुछ निर्णय नहीं कर पाईं तो गौतमजी के पास गईं. जब उनके पास पहुंचीं, तो उस समय गौतमजी आनन्द के साथ बैठे थे। उनके सामने जाकर उन्होंने मस्तक झुकाकर नमस्कार किया। महिलाओं ने पूछा कि हे प्रभु, इस कलयुग में लोगों के पुत्र जीवित रहें, किसी आपता का शिकार ना हों, ऐसा कोई उपाय है क्या? इसके लिए कोई व्रत हो या कोई तपस्या हो तो राह दिखाएं.
महिलाओं की बात सुनकर गौतमजी बोले- आप सभी को मैं वो बात बताने जा रहा हूं जो मैंने कभी सुनी थी। जब महाभारत युद्ध का अन्त हो गया और द्रोणपुत्र अश्वत्थामा द्वारा अपने बेटों को मरा देखकर सब पाण्डव बड़े दुःखी हुए, तो पुत्र के शोक से व्याकुल होकर द्रौपदी अपनी सखियों के साथ ब्राह्मण-श्रेष्ठ धौम्य के पास गईं और कहा-‘हे विप्रेन्द्र। कौन-सा उपाय करने से बच्चे दीर्घायु हो सकते हैं, कृपया बताएं। धौम्य बोले- सत्ययुग में सत्यवचन बोलने वाला, श्रेष्ठ आचरण वाला, समदर्शी जीमूतवाहन नामक एक राजा हुआ करता था।
*राजा जीमूतवाहन का किस्सा*
एक दफा हालात कुछ ऐसे हुए कि वह अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल गया और वहीं रहने लगा। एक दिन आधी रात के समय पुत्र के शोक से व्याकुल कोई स्त्री रोने लगी, क्योंकि वह अपने बेटे को खोकर निराश थी। वह रोती हुई कहती थी-‘हाय, मुझ बूढ़ी माता के सामने मेरा बेटा मरा जा रहा है।’ उसका रोना सुनकर राजा जीमूतवाहन का निर्मल हृदय मायूस हो गया।
वह उस महिला के पास गए और पूछा- तुम्हारा बेटा कैसे मरा है? बूढ़ी माता ने कहा- गरुड़ प्रतिदिन आकर गांव के लड़कों को खा जाता है। इस पर दयालु राजा ने कहा- माता! अब तू रो मत। आनन्द से बैठो. मैं तुम्हारे बच्चे को बचाने का प्रयास करता हूं। ऐसा कहकर राजा उस स्थान पर गया, जहां गरुड़ रोज आता था और मांस का सेवन करता था। उसी समय गरुड़ भी उस पर टूट पड़ा और मांस खाने लगा। जब अतिशय तेजस्वी गरुड़ ने राजा का बायाँ अंग खा लिया तो झटपट राजा ने अपना दाहिना अंग फेरकर गरुड़ के सामने कर दिया।
यह देखकर गरुड़जी ने कहा- कौन हो तुम? क्या तुम कोई देवता हो? तुम मनुष्य तो नहीं लगते. अच्छा, अपना जन्म और कुल बताओ। पीड़ा से तड़पते राजा ने कहा- हे पक्षिराज. इस तरह के प्रश्न करना व्यर्थ है, तुम अपनी इच्छाभर मेरा मांस खाओ’। यह सुनकर गरुड़ रुक गए और बड़े आदर से राजा के जन्म और कुल की बात पूछने लगे।
राजा ने कहा- मेरी माता का नाम है शैव्या और मेरे पिता का नाम शालिवाहन है। सूर्यवंश में मेरा जन्म हुआ है और जीमूतवाहन मेरा नाम है’। राजा की दयालुता देखकर गरुड़ ने कहा- हे देवपुरुष, तुम्हारे मन में जो अभिलाषा हो वह वर मांगो। राजा ने कहा- हे पक्षिराज। यदि आप मुझे वर दे रहे हैं तो वर दीजिए कि आपने अब तक जिन प्राणियों को खाया है वे सब जीवित हो जाएं। हे स्वामिन्! अबसे आप यहां बालकों को ना खायें और कोई ऐसा उपाय करें कि जहां जो उत्पन्न हों वे लोग बहुत दिनों तक जीवित रहें। धौम्य ने कहा, पक्षीराज गरुड़ राजा को वरदान देकर स्वयं अमृत के लिए नागलोक चले। वहां से अमृत लाकर उन्होंने उन मरे मनुष्यों की हड्डियों पर बरसाया। ऐसा करने से सब लोग जीवित हो गए, जिनको पहले गरुड़ ने खाया था। इस कथा का पाठ करने से और निर्जला व्रत रखने से संतान की सेहत बढ़िया होती है और आयु में वृद्धि होती है।
Sep 25 2024, 12:31