सरकारी योजनाओं से जनता को कितना लुभा पाएगी झारखंड सरकार...?
क्या इन योजनाओं में होगा स्थायित्व या पूर्व की सरकार के तरह वोट के बाद हो जाएगी बंद...!
झारखंड डेस्क
झारखंड में चुनाव निकट है।एनडीए हो चाहे इंडिया गठबंधन सभी जनता को लुभाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। चुनाव जैसे हीं नज़दीक आता है नेताओं को जनता 4की दुख तकलीफ दिखने लगती है।
सरकार नई योजनाओं के द्वारा जनता को लाभ पहुंचाने लगते हैं और विपक्ष में बैठे लोग सरकार में वापस आने के लिए योजनाओं की झड़ी लगाने लगते हैं।
झारखंड में भी सरकार ने जनता के लिए सरकार का खजाना खोल दिया है। एक माह पहले मंईयां सम्मान योजना की शुरुआत हुई है। इसके तहत 18 साल से 49 साल की युवतियों और महिलाओं के खाते में सम्मान राशि के रूप में एक-एक हजार दिये जा रहे हैं।
अब तक दो किस्त जारी भी हो चुकी है। इस योजना के लाभार्थियों की संख्या 50 लाख से ज्यादा हो चुकी है। वहीं सर्वजन पेंशन योजना के तहत 50 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांग को भी हर माह एक-एक हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
इस योजना के लाभुकों की संख्या करीब 27 लाख हो चुकी$ है.यही स्थिति 2019 के विधानसभा चुनाव के वक्त भी दिखी थी। तब झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी। उस सरकार ने किसानों को टारगेट करते हुए प्रति एकड़ पांच हजार और अधिकतम पांच एकड़ के बदले 25 हजार रु देना शुरू किया था। अक्टूबर, 2019 के अंत तक 16.14 लाख किसानों को मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना के तहत प्रथम किस्त का भुगतान किया गया था। जबकि 9.27 लाख किसानों को दूसरी किस्त भी मिल गई थी। हालांकि सरकार बदलते ही वह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। यही हाल महिलाओं के नाम से एक रुपए में 50 लाख रु.तक की जमीन रजिस्ट्री प्लान का भी हुआ।
इन योजनाओं के लिए कहां से आएंगे पैसे?
अब सवाल उठता है कि हर साल मंईयां सम्मान योजना मद में करीब 6000 करोड़ रु सर्वजन पेंशन योजना मद में करीब 3,200 रु. यानी कुल 9,200 करोड़ रु. कहां से आएंगे।
इसे चुनावी फायदे के मकसद से तो शुरू किया गया है। इसपर राज्य के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव से मीडिया के सबाल पर जो जवाब आया है उसके अनुसार बजट के मामले को लेकर डिस्कस नहीं किया उन्होंने कहा इस पर डिसकस करना उचित नही है ,लेकिन हर साल इतनी बड़ी राशि कहां से आएगी इसके जवाब में उन्होंने बताया कि सरकार अलग-अलग टैक्स से पैसे वसूलती है। उसका इस्तेमाल इन योजनाओं को जारी रखने के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि संभव है कि इंफ्रास्ट्रक्चर के काम पर थोड़ा असर पड़े। लेकिन उससे ज्यादा जरुरी है गरीबों और जरुरतमंदों को उनके पैरों पर खड़ा करना।
वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का कहना है कि आज मंईयां सम्मान के साथ-साथ सर्वजन पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है। एक परिवार में औसतन तीन से पांच हजार रु. पहुंच रहे हैं।
यह समझना जरूरी है कि इससे जनता की पर्चेजिंग कैपेसिटी बढ़ेगी। इससे राज्य की बुनियादी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम ही होता है सवाल खड़े करना। इसको चुनावी फायदे से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि सरकार की आर्थिक स्थिति बेहतर है। इसलिए ये दोनों योजनाएं चलती रहेंगी।
क्या वोट के लिए यह सब हो रहा है..?
विपक्ष का यही आरोप है कि वोट के लिए हो रहा है यह सब।इसी लिए मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना का जोरशोर से प्रचार प्रसार हो रहा है।
वैसे सीएम हेमंत सोरेन को भरोसा है कि इसकी बदौलत विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को आधी आबादी का आशीर्वाद मिलेगा। लेकिन विपक्षी दल खासकर भाजपा और आजसू इसको लेकर सरकार की नीयत पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
इसे वोट लेने का हथकंडा बताया जा रहा है।
भाजपा नेता बार-बार सरकार के वादों को याद दिला रहे हैं। पूछ रहे हैं कि " हमे तो नहीं मिला, आपको मिला क्या"।
हर साल 5 लाख युवाओं को नौकरी का वादा, बेरोजगारी भत्ता, महिलाओं को बिना ब्याज 50 हजार के ऋण का वादा, हर महिला को प्रति माह 2000 रु. चूल्हा भत्ता, सभी प्रखंड में 264 कोल्ड स्टोरेज का निर्माण, गरीब परिवारों को 72,000 रु. हर साल, विधवा महिलाओं को हर माह 2,500 रु., तीन जिलों (चाईबासा, पलामू और हजारीबाग) को उप-राजधानी बनाने का वादा, अनुबंध और संविदाकर्मियों का स्थायीकरण, गरीब बेटियों की शादी के वक्त सोने का सिक्का देने का वादा क्यों पूरा नहीं हुआ।
हेमंत सरकार को योजना से जनता के आशीर्वाद की आस है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंईयां सम्मान योजना और सर्वजन पेंशन योजना को लेकर आशान्वित हैं।
उनको भरोसा है कि इसबार का चुनाव में भी उनको जनता का आशीर्वाद मिलेगा। 13 सितंबर को मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त जारी करते वक्त दिल की बात उनकी जुबां पर आ गई थी। उन्होंने लाभुकों से पूछा था कि "आपलोगों का आशीर्वाद हमलोग पर है ना। आशीर्वाद रहेगा? आगे हमको याद रखिएगा कि नहीं ". वहीं भाजपा के नेतृत्व में एनडीए ने बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से घट रही आदिवासी आबादी को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया है. लिहाजा, इस बार के चुनाव में राहत बनाम अस्तित्व वाली लड़ाई देखने को मिल सकती है.यह भी पढ़ें:मंईयां सम्मान योजना की दूसरी किस्त जारी, पोडियम पर वॉक करते हुए सीएम ने पूछा- आगे हमको याद रखिएगा कि नहीं।
Sep 16 2024, 19:06