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अगर भारत ने शेख हसीना को बांग्लादेश नहीं भेजा तो...',खालिदा जिया की पार्टी के नेता को है संबंधों की चिंता या दे रहे धमकी?

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पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद और देश छोड़ने वालीं शेख हसीना इन दिनों भारत में हैं। मगर शेख हसीना का भारत में होना बांग्लादेश को रास नहीं आ रहा है।बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि शेख हसीना के प्रत्यार्पण को लेकर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर बयान दिया है। हालांकि उनके बयान से उस तरह के सवाल उठ रहे है कि उन्हें दोनों देशों के संबंधों की चिंता सता रही है या वो शेख हसीने के प्रत्यारण के बहाने भारत को धमकाने का कोशिश कर रहे हैं?

दरअसल, खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि भारत-बांग्लादेश संबंधों में एक नया अध्याय शुरू करना महत्वपूर्ण है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण के साथ शुरू होना चाहिए, क्योंकि भारत में उनकी निरंतर उपस्थिति द्विपक्षीय संबंधों को और नुकसान पहुंचा सकती है। बीएनपी में दूसरे नंबर के नेता आलमगीर ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी भारत के साथ मजबूत संबंधों की इच्छुक है। उन्होंने कहा कि वह ‘‘पिछले मतभेदों को दूर करने और सहयोग करने के लिए’’ तैयार हैं।

आलमगीर ने कहा कि अगर भारत हसीना की बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित नहीं करता है, तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध खराब होंगे। उन्होंने कहा, ‘यहां पहले ही भारत के खिलाफ गुस्सा है, क्योंकि उसे शेख हसीना की निरंकुश सरकार के समर्थक के रूप में देखा जाता है। अगर आप बांग्लादेश में किसी से भी पूछेंगे, तो वह यही कहेगा कि भारत ने शेख हसीना को शरण देकर ठीक नहीं किया।‘

बीएनपी नेता ने कहा कि हिंदुओं को निशाना बनाए जाने की खबरें सही नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर घटनाएं सांप्रदायिक होने के बजाय राजनीति से प्रेरित थीं। उन्होंने कहा, ‘शेख हसीना को खुद और अपनी सरकार की ओर से किए गए सभी अपराधों और भ्रष्टाचार के लिए बांग्लादेश के कानून का सामना करना पड़ेगा। इसे संभव बनाने और बांग्लादेश के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए भारत को उनकी बांग्लादेश वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए।‘

एक साक्षात्कार में आलमगीर ने कहा कि अगर बीएनपी सत्ता में आती है, तो वह आवामी लीग सरकार के दौरान हुए ‘विवादित’ अडाणी बिजली समझौते की समीक्षा और पुन: मूल्यांकन करेगी, क्योंकि इससे बांग्लादेश के लोगों पर ‘भारी दबाव’ पड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह भारत की कूटनीतिक विफलता है कि वह बांग्लादेश के लोगों की मानसिकता को समझने में नाकाम रहा। आलमगीर ने कहा कि जन आक्रोश के बीच हसीना सरकार के पतन के बाद भी ‘भारत सरकार ने अभी तक बीएनपी से बातचीत नहीं की है, जबकि चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और पाकिस्तान पहले ही बात कर चुके हैं।’

बता दें कि पिछले महीने अगस्त में आरक्षण के खिलाफ बांग्लादेश में हिंसका छात्र आंदोलन में 400 से अधिक लोगों की जान गई थी। छात्र आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था में सुधार किया लेकिन बाद में छात्रों ने शेख हसीना से इस्तीफे की मांग की। उग्र भीड़ ढाका में पीएम आवास की तरफ बढ़ने लगी थी। बांग्लादेश सेना के दबाव में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और अपना देश भी छोड़ना पड़ा था।

हिन्दुओं को कुत्ता-काफिर कहने वाले मौलाना अजहरी की रिहाई के लिए जुटी मुस्लिम भीड़, वीडियो हो रहा वायरल

उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुए एक कार्यक्रम के दौरान मुस्लिम समुदाय ने मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के लिए प्रदर्शन किया। फरवरी 2024 से गुजरात की जेल में बंद मौलाना अज़हरी ने खुले मंच से हिन्दुओं को कुत्ता काफिर कहा था और सांप्रदायिक नफरत फ़ैलाने वाले भाषण दिए थे। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हुए और उन्होंने बैनर-पोस्टर लेकर मुफ़्ती की रिहाई की माँग की। इस भीड़ ने कार्यक्रम के दौरान शोर मचाया और रिहाई के समर्थन में नारे लगाए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना बरेली में उर्स-ए-रजवी के मौके पर हुई, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग शामिल हुए थे। कार्यक्रम के समापन के दिन, 30 अगस्त 2024 को, भीड़ ने मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के समर्थन में नारे लगाए। मंच पर मौजूद मौलानाओं ने भी इस मांग का समर्थन किया और सलमान अजहरी के साथ खड़े होने की बात कही। एक मौलाना आकिल रजवी ने यह भी कहा कि किसी सहाबी के खिलाफ बोलने वालों की जुबान बंद कर दी जाएगी। मंच से मुफ़्ती सलमान अजहरी की रिहाई के लिए दुआ भी पढ़ी गई और कार्यक्रम के अंत में फिलिस्तीन के लिए भी दुआ की गई। मुफ़्ती सलमान अजहरी को फरवरी 2024 में गुजरात की एक जेल में भेजा गया था। उसने जनवरी 2024 में एक कार्यक्रम में हिन्दुओं की तुलना कुत्ते से की थी और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था। इसके बाद उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और मुंबई से गुजरात की एटीएस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके अतिरिक्त, उसके खिलाफ महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी कई FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें दंगा भड़काने और संपत्ति नष्ट करने के मामले शामिल हैं। इधर, विद्वान लोगों के बीच चर्चा जोरों पर है कि मुस्लिम भीड़ इस तरह के अपराधियों के समर्थन में क्यों इकट्ठा होती है, जो समाज में नफरत और विष फैलाते हैं? समाज में राष्ट्रप्रेम और एकता का संदेश देने वाले व्यक्तियों जैसे मिसाइलमैन अब्दुल कलाम, वीर अब्दुल हामिद, और शहीद अशफाकुल्लाह खान को प्रेरणा के रूप में क्यों नहीं देखा जाता? क्या कारण है कि आखिर समाज में इन सकारात्मक उदाहरणों की जगह हिंसा और घृणा फैलाने वालों को अधिक महत्व दिया जाता है।
उज्जैन में महाकाल की सवारी में इस्लामिक शब्द- 'शाही' पर छिड़ा बवाल, यहां जानिए, क्या है पूरा मामला

महाकाल की नगरी उज्जैन में इन दिनों आक्रोश व्याप्त है। हालांकि, यह आक्रोश सड़कों पर नहीं बल्कि विद्वानों के विमर्श के जरिए व्यवस्था में परिवर्तन की मांग के रूप में उभर रहा है। इसका कारण है उज्जैन के राजा और ब्रह्मांड के अधिपति महाकाल की सवारी को 'शाही सवारी' कहना। विद्वानों, संस्कृतज्ञों, अखाड़ों के साधुओं तथा सनातन धर्म के अनुयायियों का मानना है कि 'शाही' शब्द में इस्लामिक आक्रांताओं और राजशाही की गंध आती है। इसलिए, महाकाल की सवारी को 'शाही सवारी' न कहा जाए। इसकी जगह, संस्कृत या हिंदी का कोई उपयुक्त शब्द प्रचलन में लाया जाना चाहिए। विद्वतजन यह भी कहते हैं कि इस परिवर्तन के लिए सीएम डॉ. मोहन यादव को स्वयं पहल करनी होगी, तभी सरकार के दस्तावेजों से लेकर आम जनजीवन तक में 'शाही' शब्द को हटाया जा सकेगा। गौरतलब है कि इस बार सावन-भाद्रपद मास की अंतिम सवारी आज, सोमवार 2 सितंबर को निकाली जाएगी। यह इस साल की महाकाल की अंतिम तथा भव्यातिभव्य सवारी होगी, जिसे देखने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु आएंगे। इसी अंतिम सवारी से पहले, इसे 'शाही' कहे जाने के विरोध में विद्वानों का यह आक्रोश सामने आया है। आक्रोश का कारण प्रतिवर्ष श्रावण-भाद्रपद मास के प्रत्येक सोमवार को महाकाल की सवारी निकलती है, जिसमें महाकाल पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। महाकाल की अंतिम सवारी सबसे भव्य होती है, इसलिए इसे 'शाही सवारी' कहा जाता रहा है। किन्तु, इसे 'शाही' कहने पर उज्जैन के संतों, विद्वानों और अखाड़ों के साधुओं में असहमति और आक्रोश है। उनका कहना है कि जिस महाकालेश्वर मंदिर पर साल 1234 में क्रूर इस्लामिक शासक इल्तुतमिश ने हमला किया था तथा कत्लेआम मचाया था, उसी इस्लामिक शब्द 'शाही' को महाकाल की सवारी से जोड़ना अनुचित है। इसलिए, इसे तुरंत हटाकर संस्कृत या हिंदी का कोई ऐसा शब्द अपनाया जाए जो इस सवारी की पवित्रता और भव्यता को सही अर्थों में व्यक्त कर सके। विद्वानों की प्रतिक्रिया कालिदास संस्कृत अकादमी, उज्जैन के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे का कहना है कि महाकाल की सवारी को 'शाही' बोलना उनका अपमान है। 'शाह' तो मुगलों तथा यवनों का शब्द है। यह पराधीनता के प्रभाव में प्रचलन में आ गया होगा। जब इसे लोक ने मान्यता दी, तो शास्त्रों ने भी हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन अब इसे हटाना आवश्यक है। इसके लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरुरत है। महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के पूर्व कुलपति डॉ. मोहन गुप्त कहते हैं कि 'शाही' शब्द सामंती परंपरा का प्रतीक है। महाकालेश्वर कोई शाह या सामंत नहीं, बल्कि भगवान हैं। इसलिए, 'शाही' शब्द को हटाया जाना चाहिए।
दिल्ली के ओखला से आप विधायक अमानतुल्लाह खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी ने कहा, मां को कैंसर है, कुछ भी हुआ तो कोर्ट लेकर जाऊंगी

दिल्ली के ओखला से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। यह घटना आज सोमवार (2 सितंबर 2024) सुबह की है, जब ईडी के अधिकारी उनके घर पहुँचे। इससे पहले, अमानतुल्लाह खान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर जानकारी दी थी कि ईडी के अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने आए हैं। हालांकि, उस समय मीडिया में कहीं भी ईडी की ओर से इस गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं की गई थी, लेकिन अब एक वीडियो सामने आई है जिसमें अधिकारियों को उन्हें ले जाते हुए दिखाया गया है। बताया जा रहा है कि ये मामला वक्फ बोर्ड में भर्तियों से जुड़ी गड़बड़ी का है, जिसमे अमानतुल्लाह आरोपी हैं। खुद अमानतुल्लाह खान ने एक वीडियो साझा की थी जिसमें उनकी और ईडी अधिकारियों की बातचीत दिखाई गई थी। वीडियो में खान दरवाजे पर खड़े अधिकारियों से पूछते नजर आ रहे थे कि, “मैंने आपसे चार दिन का समय माँगा था, मेरी सास का हाल ही में ऑपरेशन हुआ है, और आप मुझे अरेस्ट करने के लिए आ गए।” इस पर अधिकारियों ने जवाब दिया, “आपने यह कैसे मान लिया कि हम आपको अरेस्ट करने आए हैं।” इस पर खान ने फिर पूछा, “अगर आप अरेस्ट करने नहीं आए हैं तो क्यों आए हैं?” वहीं, उनकी पत्नी ने कहा, “तीन कमरों के घर में किस चीज का सर्च है? मेरी माँ को कैंसर है और उनका ऑपरेशन हुआ है। अगर मेरी माँ को कुछ भी हुआ तो मैं आपको कोर्ट लेकर जाऊँगी।” इस दौरान, अमानतुल्लाह खान लगातार पूछते रहे, “मेरे पास क्या है जो आप लोग सर्च करने आए हैं?” उन्होंने वीडियो में बताया, “सुबह के 7 बजे हैं और ईडी वाले मेरे घर पर सर्च वारंट के नाम पर मुझे अरेस्ट करने के लिए आए हैं। मेरी सास को कैंसर है और अभी चार दिन पहले उनका ऑपरेशन हुआ है। मैंने हर नोटिस का जवाब दिया है, लेकिन इनका मकसद सिर्फ मुझे गिरफ्तार करना है और हमारे कामों को रोकना है।” खान ने आगे कहा कि ईडी वाले आम आदमी पार्टी को लगातार परेशान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री और पूर्व उप मुख्यमंत्री को जेल भेजा गया, सत्येंद्र जैन अभी भी जेल में हैं, और अब उन्हें भी गिरफ्तार करने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि इनका मकसद पार्टी को तोड़ना है, लेकिन वे डरने वाले नहीं हैं और जेल जाने के लिए तैयार हैं। उन्हें कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद है। अमानतुल्लाह खान ने यह भी कहा कि मामला 2016 का है, जिसकी जाँच पहले ही एसीबी, सीबीआई, और ईडी कर चुकी है, और सीबीआई ने कहा था कि कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, फिर भी अब ये लोग फिर से आ गए हैं। इस बीच, खान के घर के बाहर की एक वीडियो भी सामने आई थी, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती दिखाई दे रही थी।
कांग्रेस में भी कास्टिंग काउच !, वही महिला आगे जाती है जो..', कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सिमी रोजबेल जॉन ने किया दावा

केरल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सिमी रोजबेल जॉन ने पार्टी में महिलाओं के साथ हो रहे शोषण को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पार्टी में भी फिल्म इंडस्ट्री की तरह कास्टिंग काउच जैसी स्थिति है, जहां केवल उन महिलाओं को आगे बढ़ाया जाता है, जो बड़े नेताओं की करीबी हैं। इस बयान के बाद दावा किया जा रहा है कि सिमी रोजबेल के इन आरोपों की जांच करने के बजाए, कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिमी रोजबेल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि महिलाओं का शोषण राजनीति और दफ्तरों में भी होता है। उन्होंने बताया कि कई महिला सहयोगियों ने उन्हें अपने बुरे अनुभव साझा किए हैं और उन्होंने हमेशा सलाह दी है कि वे अकेले नेताओं से न मिलें और अपने परिवार के किसी सदस्य या दोस्त को भी साथ ले जाएं। रोजबेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में भी फिल्म उद्योग की तरह कास्टिंग काउच जैसे हालात हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में केवल वही महिलाएं तरक्की करती हैं जो शीर्ष नेताओं के करीबी संपर्क में होती हैं। उन्होंने कई महिला नेताओं की राजनीतिक क्षमता पर भी सवाल उठाए। सिमी रोजबेल ने यह भी कहा कि उनके पास कई महिलाओं के अनुभव और सबूत मौजूद हैं, लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव का कोई खुलासा नहीं किया। इन आरोपों के बाद, कांग्रेस ने कोई जवाब देने या सबूत देखकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए, सिमी रोजबेल को ही पार्टी से निष्कासित कर दिया है। जिससे देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस पर सवाल उठने लगे हैं। आलोचकों का कहना है कि यूँ तो प्रियंका गांधी, लड़की हूँ लड़ सकती हुईं के नारे लगाती है, लेकिन उनकी पार्टी में एक महिला को अपनी बात का भी हक नहीं। वहीं, पार्टी से निकाले जाने के बाद भी सिमी रोजबेल की प्रतिक्रिया सामने आई है, उन्होंने कहा है कि कांग्रेस में उन महिलाओं को काम करने का मौका नहीं मिलता, जिनके पास गरिमा होती है। उन्होंने केरल के बड़े नेता वीडी सतीशन पर भी आरोप लगाए। सिमी रोजबेल के आरोपों के बाद, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी CPIM ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सवाल उठाए हैं। हालाँकि, ये पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस ने अपनी महिला नेताओं को आवाज़ उठाने के लिए बाहर का रास्ता दिखाया है। इससे पहले भी कॉन्ग्रेस ने उन नेताओं को पार्टी से बाहर किया है, जिन्होंने बड़े नेताओं के खिलाफ बोलने की कोशिश की। उदाहरण के तौर पर, यूथ कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्ष अंगकिता दत्ता को भी पार्टी से निकाल दिया गया था, जिन्होंने यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास और सेक्रेटरी इंचार्ज वर्धन यादव पर लैंगिक भेदभाव, उत्पीड़न और बदजुबानी का आरोप लगाया था। दत्ता ने कहा था कि राहुल गांधी ने उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया और उनका उत्पीड़न जारी रहा। इसी तरह कांग्रेस प्रवक्ता राधिका खेड़ा के साथ हुआ था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के बड़े नेताओं ने शराब पीकर उनके साथ छेड़खानी की है। राधिका ने इसके लिए राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, भूपेश बघेल, सचिन पायलट से भी शिकायत की और न्याय की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की। 10 साल तक कांग्रेस में सेवाएं देने वाली प्रियंका चतुर्वेदी का भी ऐसा ही किस्सा है, उनके साथ मथुरा में एक प्रेस वार्ता के दौरान कांग्रेस नेताओं ने बदसलूकी की थी। जिसके बाद प्रियंका ने प्रेस वार्ता छोड़ दी, लेकिन तब कांग्रेस नेता उनके कमरे तक पहुँच गए और बदतमीजी की। शिकायत पर 8 कांग्रेस नेताओं को कुछ दिन के लिए निलंबित किया गया, लेकिन जल्द ही उनकी वापसी हो गई। आखिरकार प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस छोड़कर शिवसेना (उद्धव गुट) ज्वाइन कर ली। इसके अलावा महिलाओं के लिए कांग्रेस नेताओं के बयान भी काफी चर्चित रहे हैं। फिर वो पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का एक महिला को टंच माल कहना हो या दिग्गज कांग्रेसी कमलनाथ द्वारा एक महिला विधायक को आइटम कहना हो। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी भी पीछे नहीं हैं, उन्होंने महिला विधायक इमरती देवी पर कहा था कि इमरती देवी का तो रस ख़त्म हो चुका है। हालाँकि, इन नेताओं के बयान पर कांग्रेस हाईकमान ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कोई दोषी है तो भी घर को ध्वस्त करना कानून के खिलाफ*
#supreme_court_strict_comment_regarding_bulldozer_action बुलडोजर एक्शन के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल खड़े किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं हो सकती, यह कानून के खिलाफ है। दरअसल जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हाल ही में यूपी, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए बुलडोजर एक्शन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या कोई किसी का भी घर सिर्फ इसलिए तबाह कर सकता है, क्योंकि वह आरोपी है? न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जमीयत उलेमा ए हिंद की ओर से सीनियर एडवोकेट दुष्यन्त दवे ने कहा कि सारे विवाद पर विराम लग सकता है अगर सरकार आश्वस्त कर दे कि बुलडोजर जस्टिस के नाम पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। जस्टिस गवई ने बुलडोजर कार्रवाई पर सवाल उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है तो भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना उसके घर को ध्वस्त नहीं किया जा सकता। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किसी का घर सिर्फ इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि वह किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा।   सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुददे पर अगस्त 2022 में सरकार ने हलफनामा दायर कर साफ किया है कि केवल आरोपी होने से किसी की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। केवल म्युनिसिपल कानून के उल्लंघन में ही ऐसा किया जा सकता है. जिन जगहों पर कार्रवाई हुई है, वहां नोटिस जारी किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में गाइडलाइन बनाए जाने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को सुनने के बाद हम इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करेंगे, जो पूरे देश भर में लागू होगा इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों से सुझाव मांगा है। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों का सुझाव आने दीजिए, हम राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे। इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख तय की गई है।
आप विधायक अमानतुल्लाह खान गिरफ्तार, पूछताछ के बाद ईडी की टीम ने घर से उठाया

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आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। एजेंसी ने उनके घर पर छापेमारी की और उनसे छह घंटे तक पूछताछ की। जानकारी मिली है कि ईडी की टीम घंटों तलाशी के बाद अमानतुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया है। तलाशी अभियान के बाद ईडी विधायक को अपने साथ लेकर गई।

आज सुबह से ईडी की अमानतुल्लाह खान के घर पर रेड जारी थी। सोमवार सुबह अमानतुल्लाह खान ने एक्स के जरिए जानकारी दी थी की केंद्रीय एजेंसी ने उनके घर पर रेड मारी है और उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची है।

आप विधायक अमानतुल्लाह खान ने कहा कि ईडी के लोग मेरे आवास पर सर्च वॉरेंट के नाम पर मुझे अरेस्ट करने आए हैं। सर्च वॉरेंट के नाम पर उनका उद्देश्य केवल मुझे गिरफ्तार करना है। मुझे ही नहीं मेरी पूरी पार्टी को तंग किया जा रहा है। उनका मकसद है केवल मुझे और मेरी पार्टी को तोड़ना है। आगे कहा कि मैं वादा करता हूं कि जो भी मेरे काम अधूरे हैं वो मेरी टीम, मेरी सरकार करवाएगी। मुझे पूरा यकीन है कि पहले जैसे हमें कोर्ट से इंसाफ मिला है वैसे ही फिर हमें इंसाफ मिलेगा।

वहीं आप राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अमानतुल्लाह खान के इस दावे की पुष्टि की है। उन्होंने आप विधायक के समर्थन में एक्स पर एक पोस्ट लिखा है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा ‘ईडी की निर्दयता देखिए। अमानतुल्लाह खान पहले ईडी की जांच में शामिल हुए, उनसे आगे के लिए समय मांगा। उनकी सास को कैंसर है। उनका ऑपरेशन हुआ है। इस बीच ईडी ने उनके घर में सुबह-सुबह धावा बोल दिया। अमानतुल्लाह खान के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। लेकिन मोदी की तानाशाही और ईडी की गुडांगर्दी दोनों जारी है।

अमानतुल्लाह खान पर क्या आरोप?

अमानतुल्लाह खान पर आरोप है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए 2022 में उन्होंने 32 लोगों को अवैध रूप से बोर्ड में भर्ती किया था, साथ ही उन्होंने कथित तौर पर अवैध रूप से दिल्ली वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को किराए पर दिया है। दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट से विधायक अमानतुल्ला खान पर दिल्ली वक्फ बोर्ड के धन का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगा है, जिसके बाद उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मामला दर्ज किया गया था।

रिलायंस ने कर्मचारियों की संख्या में की 11 फीसदी की कटौती, 42,000 लोगों की नौकरी पर असर*
#reliance_industries_reduced_the_number_of_employees

देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री में कॉस्ट कटिंग की बात सामने आई है। देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री में पिछले एक साल में बड़ी संख्या में कॉस्ट कटिंग हुई है। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 वित्तीय वर्ष में अपने कर्मचारियों की संख्या में 42,000 की कमी की है, जो कि उसके कुल कर्मचारियों की संख्या का 11% है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्तवर्ष 2023 में रिलायंस इडंस्ट्री में कुल कर्मचारियों की संख्या 3,89,000 थी जो 2024 में घटाकर 3,47,000 हो गई है। जो कॉस्ट एफिशिएंसी और विशेष रूप से रिटेल सेक्टर में कम नियुक्तियों को दर्शाता है, जिसमें स्टोर बंद होने और धीमी ग्रोथ रेट भी देखी गई। आरआईएल की लेटेस्ट सालाना रिपोर्ट के अनुसार, नई भर्तियों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कटौती करके 1,70,000 कर दी गई है, जो एक तिहाई से अधिक की कमी है। रिलायंस ग्रुप ने सबसे अधिक कॉस्ट कटिंग रिलायंस रिटेल वर्टिकल में किया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक साल पहले की तुलना में वित्त वर्ष 24 में अपने कर्मचारियों की संख्या में लगभग 11% या 42,000 की कमी की है। Shaadi.com के संस्थापक अनुपम मित्तल ने इसे “चिंताजनक” पाया है और आश्चर्य जताया है कि इस बारे में कोई शोर क्यों नहीं मचा। मित्तल ने एक सवाल के जवाब मे कहा, अगर हमारी सबसे बड़ी कंपनियाँ कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, तो नौकरी की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। हमें पहले से ही हर साल 8-10 मिलियन नई नौकरियों की ज़रूरत है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें रिलायंस के साथ इस मुद्दे को उठाने की ज़रूरत है, बल्कि मैं कह रहा हूँ कि हमें एक ऐसी साहसिक योजना की ज़रूरत है जो कारगर हो। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने ग्रुप में नौकरियों में कटौती की खबरों को खारिज किया है। उन्होंने इस खबर को भ्रामक बताया है। अंबानी ने स्पष्ट किया कि रिलायंस ने वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तव में लाखों नौकरियां जोड़ी हैं। रिलायंस के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल रिलायंस ने कुल 1.7 लाख नई नौकरियां दी हैं। इसी के साथ अब कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 6.5 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने एजीएम में दावा किया कि आज की तारीख रिलायंस ग्रुप देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है।
रिलायंस ने कर्मचारियों की संख्या में की 11 फीसदी की कटौती, 42,000 लोगों की नौकरी पर असर*
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देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री में कॉस्ट कटिंग की बात सामने आई है। देश की दिग्गज कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री में पिछले एक साल में बड़ी संख्या में कॉस्ट कटिंग हुई है। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 वित्तीय वर्ष में अपने कर्मचारियों की संख्या में 42,000 की कमी की है, जो कि उसके कुल कर्मचारियों की संख्या का 11% है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वित्तवर्ष 2023 में रिलायंस इडंस्ट्री में कुल कर्मचारियों की संख्या 3,89,000 थी जो 2024 में घटाकर 3,47,000 हो गई है। जो कॉस्ट एफिशिएंसी और विशेष रूप से रिटेल सेक्टर में कम नियुक्तियों को दर्शाता है, जिसमें स्टोर बंद होने और धीमी ग्रोथ रेट भी देखी गई। आरआईएल की लेटेस्ट सालाना रिपोर्ट के अनुसार, नई भर्तियों की संख्या में एक तिहाई से अधिक की कटौती करके 1,70,000 कर दी गई है, जो एक तिहाई से अधिक की कमी है। रिलायंस ग्रुप ने सबसे अधिक कॉस्ट कटिंग रिलायंस रिटेल वर्टिकल में किया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने एक साल पहले की तुलना में वित्त वर्ष 24 में अपने कर्मचारियों की संख्या में लगभग 11% या 42,000 की कमी की है। Shaadi.com के संस्थापक अनुपम मित्तल ने इसे “चिंताजनक” पाया है और आश्चर्य जताया है कि इस बारे में कोई शोर क्यों नहीं मचा। मित्तल ने एक सवाल के जवाब मे कहा, अगर हमारी सबसे बड़ी कंपनियाँ कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं, तो नौकरी की स्थिति और भी खराब हो जाएगी। हमें पहले से ही हर साल 8-10 मिलियन नई नौकरियों की ज़रूरत है। मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि उन्हें रिलायंस के साथ इस मुद्दे को उठाने की ज़रूरत है, बल्कि मैं कह रहा हूँ कि हमें एक ऐसी साहसिक योजना की ज़रूरत है जो कारगर हो। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने अपने ग्रुप में नौकरियों में कटौती की खबरों को खारिज किया है। उन्होंने इस खबर को भ्रामक बताया है। अंबानी ने स्पष्ट किया कि रिलायंस ने वित्त वर्ष 2023-24 में वास्तव में लाखों नौकरियां जोड़ी हैं। रिलायंस के अध्यक्ष ने बताया कि पिछले साल रिलायंस ने कुल 1.7 लाख नई नौकरियां दी हैं। इसी के साथ अब कंपनी के कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 6.5 लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने एजीएम में दावा किया कि आज की तारीख रिलायंस ग्रुप देश का सबसे बड़ा नियोक्ता है।
मस्जिदों में घुसकर चुन-चुनकर मारेंगे, मुस्लिमों को लेकर बीजेपी विधायक नितेश राणे का भड़काऊ भाषण, मामला दर्ज*
#firs_filed_against_bjp_mla_nitesh_rane_for_making_inflammatory_speeches

महाराष्ट्र के अहमदनगर में बीजेपी विधायक नितेश राणे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। राणे पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है।नितेश राणे ने अहमदनगर में सकल हिंदू समाज आंदोलन में हिस्सा लिया था और वहां भाषण दिए थे। जिसमें वह कहते दिख रहे हैं कि मस्जिद में घुस-घुसकर मारेंगे। अहमदनगर में रामगिरी महाराज के समर्थन में मोर्चा निकाला गया। इस मोर्चे में बड़े पैमाने पर हिंदू समाज के लोक मौजूद थे। मोर्चे के बाद नितेश राणे की एक सभा हुई, इसमें उन्होंने मुसलमानों को खुली धमकी दी। राणे ने कहा, ‘हमारे रामगिरी महाराज के खिलाफ अगर किसी ने कुछ कहा तो मस्जिदों मे आकर चुन चुन कर मारेंगे। महाराष्ट्र के अहमदनगर में बीजेपी के विधायक नीतीश राणे का एक बयान काफी वायरल हो रहा है। जिसके बाद भाजपा विधायक नितेश राणे एक बार फिर मुश्किलों में घिरते दिख रहे हैं। उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। अहमदनगर पुलिस के मुताबिक, बीते दिन अहमदनगर जिले के श्रीरामपुर और तोपखाना पुलिस के इलाके में दो अलग-अलग मौकों पर भड़काऊ भाषण देने के लिए भाजपा विधायक नितेश राणे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। महंत रामगिरी महाराज ने मुस्लिम समाज के पैगंबर पर टिप्पणी करणे बाद राज्य के अलग-अलग जिले में महाराज के खिलाफ मोर्चे निकाले गए थे। उसके बाद अब अहमदनगर में सकल हिंदू समाज की ओर से रामगिरी महाराज के समर्थन में बीजेपी नेता नितेश राणे के नेतृत्व में मोर्चा निकाला गया था।