आखिर क्यों नहीं लाना चाहिए मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के प्रसाद को घर ?जानते है इस मंदिर की पीछे की इतिहास
हमारे देश में मंदिरों की संख्या अनगिनत हैं, लेकिन कुछ-कुछ मंदिरों की काफी ज्यादा विशेषताएं और प्रसिद्ध है, जिसमें राजस्थान में स्थिति मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर भी शामिल है। यह एक हनुमान जी का मंदिर है, जहां हर दिन लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के कई रहस्य और चमत्कार सुनने को मिलते हैं। इस मंदिर को लेकर यह मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन मात्र से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते जाते हैं। साथ ही यहां आने वाले भक्तों को भूत-प्रेतों और किये-कराये से भी मुक्ति मिल सकती है।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहां है और क्या है इसकी खासियत?
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर भगवान हनुमान जी का है। इस मंदिर में हनुमान जी के अलावा कई अन्य हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। बालाजी भगवान हनुमान जी का ही दूसरा नाम है। ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी के बचपन का नाम बालाजी है, जो हिन्दी और संस्कृत में इस्तेमाल होता है।
इस मंदिर में स्थिति बाला जी की मूर्ति के बाई छाती की ओर एक छोटा सा छेद है, जिसमें से लगातार पानी की एक पतली धारा बहती रहती है। इसी धारा से निकले पानी को टैंक में जमा करके भगवान बाला जी के चरणों में रखा जाता है, जिसके बाद प्रसाद के रूप में इसे वितरित किया जाता है।
इस मंदिर का दर्शन के लिए लोग देश के लगभग हर एक कोने से आते हैं। यहां पर ऊपरी चक्कर और प्रेत आत्माओं से मुक्ति के लिए अर्जी लगाई जाती है। इस मंदिर में प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की भी मूर्ति विराजित है। कहा जाता है कि किसी भी नकारात्मक साया के लिए यहां अर्जी लगाई जाती है। भूत-प्रेत के साए को भगाने के लिए यहां कीर्तन इत्यादि किया जाता है।
बालाजी के मंदिर का प्रसाद घर पर क्यों नहीं लाना चाहिए?
ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के दर्शन से भूत-प्रेत, किये-कराए जैसी इत्यादि बाधाओं से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस मंदिर के प्रसाद या फिर इस मंदिर से जुड़ी किसी भी सुगंधित चीज को घर पर लाना सही नहीं माना जाता है। क्योंकि ऐसा करने से घर में ऊपरी साया आने का खतरा रहता है।
कैसे लगाई जाती है बालाजी में अर्जी?
बालाजी मंदिर पहुंचने के बाद वहां का दुकानदार आपको एक थाली देता है, जिसमें आपको एक अर्जी का दोना भी मिलता है। इसके साथ ही कटोरी में घी भी दिया जाता है। अर्जी लगाने के लिए इस थाली को सिर पर रखें और फिर अपना नाम, अपने पिता का नाम लें। अगर आप शादी-शुदा महिला हैं, तो अपने नाम के साथ अपने पति का पूरा नाम लें। अपने मन में अपनी तीन समस्याओं के बारे में सोचें।
अब मंदिर पहुंचने के बाद इस थाली को महंत जी के हाथ में दे लें और फिर महाराज जी थाली में रखे लड्डू और घी को हवन कुंड में डाल देते हैं। पूरी प्रक्रिया में मन में उन्हीं तीन समस्याओं के बारे में दोहराना होता है। इसके बाद आपको अपनी दरख्वास्त करनी है और फिर दुकानदार के पास चले आएं। इस दौरान थाली में 6 लड्डू होती है, आपको लड्डू सहित दुकानदार को दे देना है।
दूसरे चरण में अर्जी लगाने के लिए चावल की थाली दी जाएगी, जिसे प्रेतराज के दरबार पर जाना है। यहां जाते हुए भी वही प्रक्रिया दोहरानी है। फिर मंदिर से बाहर आने के बाद एक जगह रूकें और थाली में बची सारी चीजों को सात बार उतारें और पीछे गिराएं। पीछे मुड़कर नहीं देखना होता है और सीथे इस प्रक्रिया के बाद दुकानदार के पास वापस चले जाएं। दोनों थालियों को दुकानदार को देना है, यहां दुकानदार आपको लड्डू देगा, जिसे वहीं खाना है। इस लड्डू को दूसरों को न खिलाएं।
फिर तीसरे चरण में अर्जी लगानी है, जिसके लिए दुकानदार आपको एक दोना देगा। इस दोने को लेकर आपको उस लाइन में खड़ा होना है, जिस लाइन में आप पहली बार खड़ थे। मन ही मन आपको अपना नाम और पता कहना है। साथ ही यह बोलना है कि “ बालाजी मैंने आज आपकी अर्जी लगाई है, जिसे मंजूर करना।” इसे मन ही मन दोहराएं, इससे आपकी अर्जी लग जाएगी।
मेहंदीपुर बालाजी का इतिहास
यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। मान्यता है कि एक बार मंदिर के पुराने महंत ने एक सपना देखा था, जिसमें उन्हें मंदिर में तीनों देवताओं के दर्शन हुए। यह बालाजी मंदिर के निर्माण की पहला संकेत था। कहा जाता है कि सपने में जंगली जानवरों और जंगली पेड़ों से भरे जगह पर भगवान प्रकट हुए और फिर तीनों देवताओं ने महंत को आदेश दिया कि वे सेवा करके अपने कर्तव्यों का पालन करे। इसके बाद महंत ने मंदिर में तीनों देवताओं बालाजी, प्रेतराज और भैरों महाराज की स्थापना की।
इस मंदिर के पहले महंत गणेश पुरी जी महाराज थे, फिलहाल मंदिर के श्री किशोर पूरी जी हैं। वह काफी धार्मिक निष्ठा भावना से मंदिर की पूजा करते हैं।
कैसी है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की बनावट?
राजस्थान में स्थित बालाजी मंदिर की बनावट राजपूत शैली में की गई है, जिसकी वास्तुकला देखकर आप पूरी तरह से आकर्षित हो सकते हैं। इस मंदिर के 4 प्रांगण है, जिसके पहले 2 प्रांगण में भैरव बाबा की मूर्ति और बालाजी महाराज की मूर्ति है। वहीं, तीसरे और चौथे प्रांगण में प्रेतराज की मूर्ति स्थापित है।
कब जाना चाहिए मेहंदीपुर बालाजी मंदिर?
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आप 12 महीने जा सकते हैं। इस मंदिर में कोई भी कभी भी दर्शन के लिए जा सकता है। आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर जाने से पहले क्या करें तैयारी?
बालाजी मंदिर के दर्शन से पहले आप जिस तारीख को निकल रहे हैं, उसके करीब 10 दिन पहले से प्याज और लहसुन जैसी चीजें खाना बंद कर लें।
मंदिर के दर्शन से 10 दिन पहले रोजाना अच्छे से नहा धोकर हनुमान चालीसा पढ़ें।
दर्शन के लिए निकलने से पहले एक डेढ़ मीटर के लाल कपड़े में 1 सूखा नारियल, लौंग, लाल मिर्च, अक्षत यानी खड़ा चावल, घर के चारों कोनों की धूल और 21 रुपये डालकर 3 गांठ लगाकर बांध लें।
आपके साथ परिवार का जो भी सदस्य जा रहा है, उसके सिर के चारों ओर इस लाल कपड़े को 21 बार घुमा लें और फिर इसे एक खूंटी में टांग दें।
अब अगले दिन सुबह-सुबह जल्दी उठकर नहा धोकर अपने परिवार के साथ बालाजी मंदिर के लिए निकले।
घर से जब बालाजी मंदिर के लिए निकले, तो इस लाल कपड़े को फिर से परिवार के सदस्यों के सिर के चारों ओर घुमाएं और फिर घर से तुरंत बाहर निकल जाएं।
घर से जब एक बार बाहर निकल जाएं, तो दोबारा मुड़कर न देखें और न ही किसी चीज के लिए लौटें।
अपने लिए दो सेट कपड़े जरूर बांध लें। साथ ही रास्ते के लिए बिना प्याज और लहसुन का खाना बांध लें।
Aug 31 2024, 13:45