चंपई सोरेन बीजेपी को कितना फायदा करवाएंगे ? कोल्हान पर नजर, आदिवासियों के गढ़ में ‘घुसपैठियों’ को बनाएंगे मुद्दा!
डेस्क: हेमंत सोरेन के फिर से झारखंड का मुख्यमंत्री बनने के बाद चंपई सोरेन ने अपने सारे पत्ते खुलकर स्पष्ट कर दिए हैं। वह 30 अगस्त को बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। चंपई सोरेन के इस फैसले के बाद हेमंत सोरेन कैंप की तरफ से आए पहले रिएक्शन में कहा गया कि यह हमारे लिए ग्रेट न्यूज है क्योंकि चंपई सोरेन अब एक्पोज हो चुके हैं। अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ते हो हमारे लिए कठिनाई होती क्योंकि वो जेएमएम के वोट शेयर में सेंध लगा सकते थे।
हालांकि राज्य के सियासी घेरों की बात करें तो यहां चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ नेताओं का मानना है कि यह जेएमएम को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन में अकेले प्रभावशाली नेता हैं। इस डिवीजन में तीन जिले – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां शामिल हैं। यहां कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।
हिमंत द्वारा चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की घोषणा के बाद यह बात पुष्ट हो गई। इसके बाद चंपई ने अपने X पोस्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ की बात भी की। उन्होंने कहा कि इस बारे में सिर्फ बीजेपी सीरियस दिखाई दे रही है औऱ अन्य दल वोटों की खातिर इसे इग्नोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।”
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के नैरेटिव के चंपई ने समर्थन किया है। बीजेपी उनके साथ आदिवासियों के लिए रिजर्व कम से कम 10 एसटी सीटें जीतना चाहती है। राज्य में कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं। JMM सूत्रों ने चंपई के BJP में शामिल होने की वजह कुछ मामलों के सिलसिले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उन पर डाले जा रहे “बढ़ते दबाव” को बताया है।
वहीं जेएमएम के एक विधायक ने माना कि कोल्हान बेल्ट में उनके प्रभाव को नाकारा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि चंपई कोल्हान में 30-35 सालों से काम कर रहे हैं। अगर इस इलाके में किसी को समस्या होती है तो चंपई दादा उसके पास जाते हैं। वह वहां की विधानसभाओं में कई लोगों को जानते हैं और उनकी भावनात्मक स्पीच से लोकल आदिवासी कनेक्ट करते हैं। जेएमएम को उनके खिलाफ यूज किए जाने वाले शब्दों का सावधानी से चयन करना चाहिए क्योंकि हम उन्हें विलेन बनाने की स्थिति में नहीं है।
Aug 29 2024, 11:11