हिंद महासागर में चीन का बढ़ता दबदबाः ड्रैगन के मुकाबले कितनी मजबूत है भारतीय नौसेना
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इस समय दुनिया में युद्ध के कई मुहाने खुले हुए हैं। एक तरफ पिछले लगभग लगभग 3 वर्षों से रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा है। वहीं अक्टूबर 2023 में इजरायल-फिलिस्तीन का युद्ध शुरू हो गया। इस बीच चीन ने खुद को इस जगह पर खड़ा कर लिया है, जहां से देखें तो वो जंग के लिए लालायित दिख रहा है। चीन की अपने पड़ोसी देशों की सीमाओं पर दखलअंदाजी कभी भी बड़ा “धमाका” करा सकती है। इस बीच चीन “स्ट्रिंग्स ऑफ पल्स प्रोजेक्ट” के जरिये भारत को उसकी सीमा के भीतर चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रहा है। साथ ही पिछले कई वर्षों से हिंद महासागर में चीन ने अपनी मौजूदगी बढ़ा कर भारत की चिंता बढ़ाने का कम किया है।
भारत और चीन एशिया की दो महाशक्तियां मानी जातीं हैं।चीन-भारत प्रतिद्वंद्विता के संदर्भ में भारत की नौसैनिक क्षमताओं पर कोई भी चर्चा हिंद महासागर पर केंद्रित होनी चाहिए। भारत इसे अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है और वहां एक प्रमुख भूमिका निभाना चाहता है। हालांकि बिजिंग का कहना है कि “हिंद महासागर भारत का महासागर नहीं है।”
पिछले कई वर्षों से भारत हिंद महासागर में और खास तौर पर अपने नजदीकी पड़ोस में चीन की बढ़ती नौसैनिक मौजूदगी को लेकर चिंतित है। भारतीय अधिकारियों ने श्रीलंका के तट पर चीनी नौसैनिक जहाजों की मौजूदगी और बांग्लादेश द्वारा चीनी नौसैनिक प्लेटफॉर्म और पनडुब्बियों की खरीद पर बार-बार चिंता व्यक्त की है। इस संबंध में भारत के लक्ष्य रणनीतिक और भौगोलिक रूप से अच्छी तरह से परिभाषित हैं। भारत हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर पर नियंत्रण को अपनी सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए केंद्रीय मानता है।
भारत दक्षिण चीन सागर में चीन के क़दमों को लेकर चिंतित है। भारत नहीं चाहता कि चीनी नौसेना हिंद महासागर में भी अपनी गतिविधि बढ़ाए। भारत की चिंता की बड़ी वजह ये थी कि हंबनटोटा से चेन्नई, कोच्चि, और विशाखापत्तनम बंदरगाहों का फासला क़रीब 900 से 1500 किलोमीटर ही है। साथ ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए लॉन्च बेस इंफ्रास्ट्रक्चर देने वाला सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा भी क़रीब 1100 किलोमीटर की दूरी पर ही है। चीनी नौसेना की संख्या और गतिविधियां जिस तरह से हिन्द महासागर क्षेत्र में बढ़ती दिख रही हैं, जासूसी की सम्भावना भारत जैसे देशों के लिए एक बड़ी चिंता बन रही है।
यही वजह है कि भारत, पूर्व एशिया के देशों जैसे फिलीपींस, मलेशिया, वियतनाम के साथ सैन्य सहयोग बढ़ा रहा है। दरअसल, दक्षिण चीन सागर में इन देशों का चीन से सीमा विवाद है।वहीं, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दख़ल से मुक़ाबला करने के लिए भारत अपनी सेना ख़ासकर नौसेना की क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है। इसके लिए भारत अपने समुद्री बेड़े में कई नई पनडुब्बियों को शामिल करने के अलावा सेना के उपकरणों को आधुनिक बना रहा है।
चीन के बढ़ते नौसैनिक प्रभाव के बीच बड़ा सवाल ये है कि चीनी नौसेना भारत के लिए कितना बड़ा ख़तरा है और उसके मुक़ाबले भारतीय नौसेना कहां खड़ी है?
चीनी नौसेना नंबर के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी है और ये तेजी से अपना आकार बढा रही है। तीन एयरक्राफ्ट कैरियर उसके पास मौजूद है और वो चौथे सुपर कैरियर की तैयारी कर चुका है। अभी नहीं लेकिन अगले 2-3 साल के अंदर ये एयरक्राफ्ट कैरियर हिंद महासागर क्षेत्र में भी दिखाई दे सकते हैं। सबमरीन और जंगी जहाज तो इस इलाके से होकर गुजरते ही हैं। लिहाजा एयरक्राफ्ट कैरियर और वॉरशिप का सबसे बड़ा किलर यानी सबमरीन की ताकत भारतीय नौसेना युद्ध स्तर पर बढ़ा रही है।
दुनिया में फिलहाल तीन तरह के सबमरीन है। पहला डीजल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन है। फिलहाल भारत के पास 16 डीजल इलेक्ट्रिक पावर्ड सबमरीन और 1 बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन है, जिसमें 1 बैलेस्टिक मिसाइल न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) INS अरिहंत तो सूत्रों के मुताबिक दूसरी अरिघात का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है और जल्द वो भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। सूत्रों की माने तो भारतीय नौसेना को उनकी न्यूक्लियर पॉवर्ड अटैक सबमरीन (SSN) की मंजूरी भी सरकार से मिल सकती है।
ग्लोबल फायर पॉवर ने इस साल की शुरूआत में दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की सूची जारी की थी।इस सूची के हिसाब से अमेरिका की सेना सबसे ताकतवर है। वहीं दूसरे नंबर पर रूस है वहीं चीन की सेना दुनिया में तीसरे नंबर पर आती है। इसके बाद भारत का नंबर आता है।सैन्य विमानों की तुलना करें तो चीन में 3,304 विमान हैं जबकि भारत के पास 2,296 विमान हैं।इसके साथ ही भारत के पास 4,614 टैंक मौजूद हैं तो चीन के पास 5,000 टैंक हैं। थल सेना के अलावा भारत की वायुसेना में 3,10,575 वायुसैनिक हैं और जलसेना में 1,42,252 सैनिक देश की जल सीमाओं की सुरक्षा कर रहे हैं। वहीं चीन की वायुसेना में 4,00,000 जवान है और इनकी जलसेना में 3,80,000 सैनिक हैं।
भारतीय नौसेना की शक्ति की बात की जाए तो नौसेना के पास दो एयरक्राफ्ट करियर हैं। आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत। भारतीय नौसेना के 11 से ज्यादा बेस हैं। जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा कर्नाटक और गुजरात में मौजूद हैं। भारतीय नौसेना के सबसे जरूरी काम है एम्यूनिशन सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस सपोर्स, मार्कोस बेस, एयर स्टेशन, फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस, सबमरीन और मिसाइल बोट बेस आदि। आठ टैंक लैंडिंग जहाज, 12 विध्वंसक, 12 फ्रिगेट, दो न्यूकिल्यर बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन, 16 हमला सबमरीन, 22 कार्वेट, आठ लैंडिंग क्राफ्ट उपयोगिताएं, दस बड़े ऑफशोर पेट्रोलिंग शिप, पांच फ्लीट टैंकर और इसके साथ ही कई सारे सहायक जहाज और छोटी पेट्रोलिंग बोट्स भी मौजूद हैं।
Aug 29 2024, 09:54