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बंगाल में बवाल, बंद के दौरान भाजपा नेता की कार पर फेंके गए बम, गोलीबारी भी हुई

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सरकारी आरजी अस्पताल में प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दरिंदगी की घटना के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग पर राज्य सचिवालय नवान्न तक छात्र समाज के मार्च में भाग लेने वालों पर पुलिस की कार्रवाई के विरोध में प्रदेश भाजपा द्वारा बुधवार को बुलाए गए 12 घंटे के बंगाल बंद का व्यापक असर दिख रहा है। सुबह से बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे भाजपा समर्थकों ने हावड़ा व सियालदह मंडल सहित कई जगहों पर ट्रेन सेवा को बाधित कर दिया। विभिन्न स्टेशनों पर बंद समर्थक ट्रेन के सामने खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिससे दूरगामी ट्रेन सेवा भी प्रभावित हुई है।

बंगाल बंद के बीच भाटपाड़ा में बीजेपी नेता पर फायरिंग हुई है। इस हमले में दो लोग घायल हुए हैं। बीजेपी नेता अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया कि हमारी पार्टी के नेता प्रियंगु पांडे की कार पर हमला हुआ है। उन पर सात राउंड गोली चली हैं। हमले में दो लोग घायल हुए हैं। कार चालक भी जख्मी हुआ है।

इस घटना का वीडियो भाजपा ने जारी की है। वीडियो जारी करते हुए कैप्शन में लिखा गया," टीएमसी के गुंडों ने गोलियां चलाईं- भाटपारा में भाजपा नेता प्रियंगु पांडे की गाड़ी पर गोलियां चलाईं, जिससे उनका ड्राइवर घायल हो गए। यह ममता बनर्जी की घिनौनी हताशा का प्रदर्शन है! चाहे वे कितना भी खून बहा दें। बंगालबंद एक शानदार सफलता है क्योंकि बंगाल में बहुत कुछ हो चुका है! ममता के गुंडे और उनकी कठपुतली पुलिस हमें सड़कों से नहीं डरा पाएगी। भाजपा तब तक लड़ती रहेगी जब तक उनका भ्रष्ट शासन खत्म नहीं हो जाता।

मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे से भारत सतर्क, टेस्ट के लिए बनाई पहली स्वदेशी आरटी-पीसीआर किट

दुनियाभर में मंकीपॉक्स वायरस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है।विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकी पॉक्स को लेकर गंभीर चिंता जताई है। साथ ही इस बीमारी को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित की है। इस वायरस का नया स्ट्रेन (क्लैड-1) अधिक संक्रामक माना जाता है और इसकी मृत्यु दर अधिक है। हालांकि, राहत की बात यह है कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स वायरस नहीं पहुंचा है। मगर इसके बढ़ते मामलों को देखते हुए इससे बचाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। इस बीच, स्वास्थ्य उपकरण बनाने वाली एक भारतीय कंपनी ने दावा किया है कि उसने मंकीपॉक्स का पता लगाने वाली एक रियल टाइम किट तैयार की है।

इस किट को सीमेंस हेल्थिनियर्स कंपनी ने बनाया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इसे मंजूरी दे दी है। सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड ने कहा, यह हमारी ''मेक इन इंडिया'' पहल के लिए बड़ी उपलब्धि है। इस किट से केवल 40 मिनट में एमपॉक्स की जांच के सटीक परिणाम मिल सकेंगे, जबकि इस समय एमपॉक्स की जांच में एक से दो घंटे लगते हैं।

भारतीय कंपनी सीमेंस हेल्थिनर्स ने बताया कि आरटी-पीसीआर परीक्षण किट को वडोदरा की एक इकाई में तैयार किया जाएगा। हर साल करीब 10 लाख किट बनाई जा सकेंगी। हम यह किट लोगों को उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

यह पीसीआर सेटअप किट सभी लैब वर्कफ़्लो में आसानी से फ़िट हो जाती है। जिससे आप दूसरे मशीन की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। मौजूदा कोविड परीक्षण बुनियादी ढांचे का उपयोग करने की क्षमता दक्षता को बढ़ाएगी। सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरिहरन सुब्रमण्यन ने कहा कि सटीक और सटीक निदान की आवश्यकता ही सबसे महत्वपूर्ण है। भारत में तैयार किया गया यह मंकीपॉक्स डिटेक्शन आरटी- पीसीआर किट हर तरफ से संपन्न है। इस बीमारी से लड़ने में काफी ज्याजा मददगार है। इसके इस्तेमाल से आप बिना समय गवाएं बीमारी का पता लगा सकते हैं।

इस राज्य में भारी बारिश ने मचाई तबाही, 15 लोगों की मौत, 11 हजार से ज्यादा लोगों को किया गया शिफ्ट, 27 जिलों में रेड अलर्ट

गुजरात में बारिश का आफतकाल चल रहा है. रिकॉर्ड बारिश से गुजरात के 27 जिलों में मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है. पहले से 48 घंटे की मूसलाधार बारिश ने गुजरात के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बना दिए थे. अब मौसम विभाग ने 28 और 29 अगस्त के लिए रेड अलर्ट जारी कर दिया है. राज्य के ज्यादातर डैम ओवरफ्लो हो चुके हैं. नदियां खतरे के निशान को पार कर तबाही मचाने को बेकरार हैं. रिहायशी इलाके टापू में तब्दील हो चुके हैं. मूसलाधार बारिश के बाद हुए कई फीट तक जलजमाव ने लोगों को अपने घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया है.

गुजरात पर आसमानी आफत कहर बनकर टूटी है. जामनगर से जूनागढ़ तक, वडोदरा से बनासकांठा तक और अरावली से अहमदाबाद तक पानी का प्रकोप दिख रहा है. पॉश इलाके में रहने वाले लोग भी पानी भरने से परेशान दिखे. सैलाब के बीच खड़ीं बाइक और स्कूटी करीब करीब डूब चुकी हैं. मूसलाधार बारिश की वजह से श्मशान घाट तक में पानी भर गया. 

वहीं वडोदरा में भी बारिश मुश्किलें लेकर आई. जिन सड़कों पर गाड़ियां फर्राटा भरती थीं. आज वहां कई फीट पानी भरा है. वडोदरा में 48 घंटे से जोरदार बारिश ने शहर की रफ्तार पर भी ब्रेक लगा दिया. लोग कह रहे हैं कि उन्हें किसी तरह सैलाब के सितम से राहत मिल जाए. प्रशासन और एडीआरएफ की टीम निचले इलाकों में रहने वाले लोगों का रेस्क्यू कर रही है. दरअसल, वडोदरा में विश्वामित्र नदी में आजवा सरोवर से पानी छोड़ा जा रहा है. जिसके चलते विश्वामित्र नदी उफान पर है. ये नदी डेंजर लेवल से 8 फीट ऊपर बह रही है. जिसके चलते निचले इलाकों पर डूबने का खतरा मंडरा रहा है. प्रशासन की टीम अब तक 4 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा चुकी है. 

मौसम विभाग के मुताबिक, 29 अगस्त को भी सौराष्ट्र में भारी बारिश का अनुमान है. उत्तर गुजरात के जिलों को छोड़कर सभी जिलों में रेड अलर्ट है. कच्छ, सौराष्ट्र के सभी जिलों में भारी बारिश के साथ रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. अहमदाबाद, खेड़ा, आणंद, दाहोद, महिसागर, वडोदरा, पंचमहल, छोटाउदेपुर, भरूच और नर्मदा में भारी बारिश के साथ रेड अलर्ट पर हैं. सूरत, तापी, नवसारी, डांग, वलसाड, दमन और दादरा नगर हवेली में भी रेड अलर्ट है. 

इसके अलावा राजकोट में 2 दिनों में 20 इंच से ज्यादा बारिश से शहर में जलभराव लोगों की मुसीबत बढ़ा रहा है. जिससे राजकोट शहर के एंट्री प्वॉइंट माधापर चौकड़ी पर गाड़ियों की आवाजाही प्रभावित है. जूनागढ़ में भी लगातार बारिश से नदियां उफान पर हैं. डैम ओवरफ्लो हो रहे हैं. डैम लबालब होने से पास के इलाकों में दहशत का माहौल है. मौसम विभाग का रेड अलर्ट बता रहा है कि, अभी आसमानी आफत का खतरा टला नहीं है. 

गौरतलब है कि गुजरात में पिछले तीन दिनों में हुई भारी बारिश में 15 लोगों की मौत हो चुकी है. मोरबी में 1, गांधीनगर में 2, आणंद में 6, वडोदरा में 1, खेड़ा में 1, महीसागर में 2, भरूच में 1 और अहमदाबाद में 1 शख्स की जान चली गई. वहीं पिछले तीन दिनों में 11,043 लोगों को स्थानांतरित किया गया. जिसमें सबसे ज्यादा नवसारी जिले में 4160, वलसाड में 1158, आणंद में 1081, वडोदरा में 1008 लोगों को स्थानांतरित किया गया है. अब तक बाढ़ के पानी, भारी बारिश मे फंसे हुए 353 लोगों को बचाया गया है, जिसमें सबसे ज्यादा आणंद जिले में 150, खेड़ा में 108, मोरबी में 59, नवसारी में 20 और सुरेंद्रनगर से 10 लोगों को बचाया गया.

राज्यसभा में बीजेपी की “बल्ले-बल्ले”, 10 साल में पहली बार एनडीए को बहुमत, 12 में से 11 सीटों पर कब्जा*
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राज्यसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव में सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। 12 में से एनडीए को 11 पर जीत मिली है। इनमें भाजपा 9, अजीत पवार गुट और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट मिली हैं। वहीं, कांग्रेस का एक उम्मीदवार जीता है। नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ ही राज्यज्सभा में बीजेपी की संख्या 96 तक पहुंच गई है। वहीं, एनडीए 112 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही उच्च सदन में जहां भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुंच गई है, जबकि एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। इतिहास में पहली बार है कि एनडीए राज्यसभा में आत्मनिर्भर हुई है, जिससे मोदी सरकार को बिल पास करवाने में आसानी होगी। *कौन-कौन निर्विरोध निर्वाचित हुए?* राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं। राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए। वहीं, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं। तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए। *राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा* राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से आठ सीटें खाली हैं। इसमें 4 जम्मू-कश्मीर और चार मनोनीत सदस्य शामिल हैं। फिलहाल सदन में सदस्यों की संख्या 237 है। बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है। राज्यसभा में बीजेपी के 9 और उम्मीदवार जीतने के बाद उसकी उच्च में सदस्यों की संख्या 96 पहुंच गई है और उसके सहयोगी दलों के 16 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की संख्या 112 हो गई है। हालांकि वह अभी संपूर्ण रूप से बहुमत तक नहीं पहुंची है, लेकिन 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। अब एनडीए को कोई जरूरी बिल पास कराने के लिए बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उच्च सदन में बीजेपी के सहयोगी दलों में जेडी(यू), एनसीपी, जेडी(एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, आरएलडी, आरएलएम, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और यूपीपीएल शामिल हैं। *सरकार के लिए राज्यसभा में अहम बिल पास कराना होगा आसान* उच्च सदन में बहुमत का यह आंकड़ा विपक्ष के काफी विरोधों को बावजूद सरकार के लिए जरूरी विधेयकों को पास कराना आसान बना देगा। पिछले कुछ वर्षों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी। उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पास करवाया जा सका है। लेकिन अब ये दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं।ओडिशा में भाजपा के हाथों बीजद की हार और आंध्र प्रदेश में एनडीए के एक सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के सामने वाईएसआर कांग्रेस हार के बाद उनके समर्थन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा। *राज्यसभा में कांग्रेस के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित* इधर, तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने जाने के बाद पार्टी की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी। राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर 27 हो गई है। विपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहने के लिए 25 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस के पास दो सदस्य अधिक हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों की संख्या 85 हो गई है।
राज्यसभा में बीजेपी की “बल्ले-बल्ले”, 10 साल में पहली बार एनडीए को बहुमत, 12 में से 11 सीटों पर कब्जा

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राज्यसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव में सभी उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए। 12 में से एनडीए को 11 पर जीत मिली है। इनमें भाजपा 9, अजीत पवार गुट और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक-एक सीट मिली हैं। वहीं, कांग्रेस का एक उम्मीदवार जीता है। नौ और सदस्यों के जुड़ने के साथ ही राज्यज्सभा में बीजेपी की संख्या 96 तक पहुंच गई है। वहीं, एनडीए 112 पर पहुंच गया है। इसके साथ ही उच्च सदन में जहां भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुंच गई है, जबकि एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। इतिहास में पहली बार है कि एनडीए राज्यसभा में आत्मनिर्भर हुई है, जिससे मोदी सरकार को बिल पास करवाने में आसानी होगी।

कौन-कौन निर्विरोध निर्वाचित हुए?

राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए भाजपा उम्मीदवारों में असम से मिशन रंजन दास और रामेश्वर तेली, बिहार से मनन कुमार मिश्रा, हरियाणा से किरण चौधरी, मध्य प्रदेश से जॉर्ज कुरियन, महाराष्ट्र से धिर्य शील पाटिल, ओडिशा से ममता मोहंता, त्रिपुरा से भट्टाचार्जी, राजस्थान से रवनीत सिंह बिट्टू और राजीव शामिल हैं। राकांपा अजित पवार गुट के नितिन पाटिल महाराष्ट्र से निर्वाचित हुए। वहीं, आरएलएम के उपेंद्र कुशवाहा बिहार से उच्च सदन में पहुंचे हैं। तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने गए।

राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा

राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 245 है, जिसमें से आठ सीटें खाली हैं। इसमें 4 जम्मू-कश्मीर और चार मनोनीत सदस्य शामिल हैं। फिलहाल सदन में सदस्यों की संख्या 237 है। बहुमत के आंकड़े तक पहुंचने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत है।

राज्यसभा में बीजेपी के 9 और उम्मीदवार जीतने के बाद उसकी उच्च में सदस्यों की संख्या 96 पहुंच गई है और उसके सहयोगी दलों के 16 सदस्य हैं। ऐसे में राज्यसभा में एनडीए की संख्या 112 हो गई है। हालांकि वह अभी संपूर्ण रूप से बहुमत तक नहीं पहुंची है, लेकिन 6 मनोनीत और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन से बहुमत का आंकड़ा छू लिया है। अब एनडीए को कोई जरूरी बिल पास कराने के लिए बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। उच्च सदन में बीजेपी के सहयोगी दलों में जेडी(यू), एनसीपी, जेडी(एस), आरपीआई(ए), शिवसेना, आरएलडी, आरएलएम, एनपीपी, पीएमके, तमिल मनीला कांग्रेस और यूपीपीएल शामिल हैं।

सरकार के लिए राज्यसभा में अहम बिल पास कराना होगा आसान

उच्च सदन में बहुमत का यह आंकड़ा विपक्ष के काफी विरोधों को बावजूद सरकार के लिए जरूरी विधेयकों को पास कराना आसान बना देगा। पिछले कुछ वर्षों में, विपक्ष की बड़ी संख्या अक्सर विवादास्पद सरकारी विधेयकों को उच्च सदन में रोके रखती थी। उनमें से कुछ को नवीन पटनायक की बीजू जनता दल और वाईएस जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस जैसे गुटनिरपेक्ष दलों की मदद से पास करवाया जा सका है। लेकिन अब ये दोनों पार्टियां अपने-अपने राज्यों में सत्ता खो चुकी हैं।ओडिशा में भाजपा के हाथों बीजद की हार और आंध्र प्रदेश में एनडीए के एक सहयोगी चंद्रबाबू नायडू के सामने वाईएसआर कांग्रेस हार के बाद उनके समर्थन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि, बहुमत का आंकड़ा छूने के बाद अब भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को महत्वपूर्ण बिल पारित कराने के लिए बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस और एआईएडीएमके पर निर्भर नहीं रहना होगा।

राज्यसभा में कांग्रेस के लिए विपक्ष की कुर्सी सुरक्षित

इधर, तेलंगाना से कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी निर्विरोध चुने जाने के बाद पार्टी की राज्यसभा में नेता विपक्ष की कुर्सी भी सुरक्षित रहेगी। राज्यसभा में कांग्रेस की संख्या एक बढ़कर 27 हो गई है। विपक्ष की कुर्सी पर काबिज रहने के लिए 25 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस के पास दो सदस्य अधिक हैं। वहीं, राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों की संख्या 85 हो गई है।

मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई*
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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है। *क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?* मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है। *भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!* सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है। *क्या है एएसएल सिक्योरिटी?* सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।
मोहन भागवत को मिलेगी पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सिक्योरिटी, जानें सुरक्षा Z+ से क्यों बढ़ाई गई

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केद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा को और मजबूत कर दिया है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के सुरक्षा प्रोटोकॉल को जेड-प्लस से बढ़ा दिया गया है। उन्हें अब वही सुरक्षा घेरा मिलेगा जो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह को मिली हुई है।यह सुरक्षा घेरा एडवांस सिक्योरिटी लाइजन (एएसएल) कहा जाता है।एएसएल सुरक्षा पीएम और गृह मंत्री को मिलती है।

क्यों बढ़ाई गई भागवत की सुरक्षा?

मोहन भागवत की सुरक्षा बढ़ाए जाने के बाद सवाल उठने लगा है कि आखिर उनको किससे खतरा है कि उनको पीएम मोदी और अमित शाह के स्तर की सुरक्षा दी गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर एक पखवाड़े पहले सुरक्षा बढ़ाने को अंतिम रूप दिया गया था। कथित तौर पर गैर-बीजेपी दलों द्वारा शासित राज्यों में मोहन भागवत के दौरे के दौरान उनकी सुरक्षा 'ढीली' पाई गई थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया है।

भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं भागवत!

सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय को कुछ राज्यों में भागवत की सुरक्षा में ढिलाई देखने को मिली थी, जिसके बाद नए सुरक्षा प्रोटोकॉल पर काम किया गया और उनकी सुरक्षा को मजबूत किया गया। ऐसा माना जा रहा है कि वह कई भारत विरोधी संगठनों के निशाने पर हैं। बढ़ती चिंता और तमाम एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद गृह मंत्रालय ने भागवत को एएसएल सुरक्षा देने का फैसला किया। सुरक्षा बढ़ाए जाने के संबंध में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जानकारी दी गई है।

क्या है एएसएल सिक्योरिटी?

सिक्यॉरिटी का यह बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा है। इसमें हेलीकॉप्टर यात्रा भी केवल विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलीकॉप्टरों में दी जाती है और तयशुदा प्रोटोकॉल इस पर लागू किया जाता है। नए प्रोटोकॉल के तहत, जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग सहित स्थानीय एजेंसियां भागवत की सुरक्षा में मुस्तैद रहेंगी और सक्रिय भूमिका में होंगी। इस रणनीति में बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा, सख्त तोड़फोड़ विरोधी उपाय और किसी भी दौरे से पहले समीक्षा और रिहर्सल शामिल हैं।

बंगाल में छात्रों पर एक्शन से गरमाई सियासत, पुलिस की सख्ती के खिलाफ बीजेपी ने बुलाया बंद*
#kolkata_doctor_rape_murder_case_bjp_bengal_bandh पश्चिम बंगाल में ट्रेनी डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या के विरोध में देशभर नाराजगी है। इस बीच मंगलवार यानी 27 अगस्त को राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ तक प्रदर्शनकारियों के पहुंचने के प्रयासों के दौरान कई स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें हुईं। कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। राज्यभर में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके विरोध में भाजपा की बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने 12 घंटे के 'बंगाल बंद' का आह्वान किया है। बीजेपी ने आज पश्चिम बंगाल में 12 घंटे के लिए सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक के लिए बंद बुलाया है। बीजेपी का आरोप है कि ममता सरकार दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। बंगाल बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल को पत्र लिखा है और छात्रों को रिहा करने की मांग की है। राज्य सचिवालय तक मार्च के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में भाजपा द्वारा आहूत 12 घंटे के बंद के कारण बुधवार को पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में जनजीवन कुछ हद तक प्रभावित दिख रहा है। राज्य की राजधानी कोलकाता में, अन्य दिनों की सुबह की तरह सड़कों पर सामान्य चहल-पहल नहीं दिखी, क्योंकि बसें, ऑटो-रिक्शा और टैक्सियां कम संख्या में चल रही थीं। निजी वाहनों की संख्या भी काफी कम थी, जबकि बाजार और दुकानें हमेशा की तरह खुली रहीं। हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने इस बंद की इजाजत देने से साफ इनकार कर दिया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने लोगों से बीजेपी के बंद में भाग नहीं लेने की अपील की है। सरकार ने नोटिस जारी कर कहा है कि सभी कर्मचारियों को दफ्तर आना है। कोई भी छुट्टी, कैजुअल लीव सैंक्शन नहीं की जाएगी।अगर कोई दफ्तर नहीं आएगा तो उसे कारण बताओं नोटिस जारी किया जाएगा।
जम्मू कश्मीर चुनावः संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई भी मैदान में, जानें और कौन से अलगाववादी ठोंक रहे ताल

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जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही चुनावी हलचल तेज है। चुनाव के लिए सभी पार्टियां जोर-शोर से तैयारियां कर रही हैं। इस बीच खबर सामने आई है कि संसद पर हमला करने वाले आतंकी अफजल गुरू का भाई भी विधानसभा चुनाव लड़ सकता है।

2001 संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का भाई एजाज अहमद गुरु के भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकता है। अफजल को 2001 में हुए संसद हमलों के दो दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। दोषी पाए जाने पर अफजल को फांसी की सजा दी गई थी। अब एजाज ने विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बनाया है।

आतंकी अफजल गुरू का भाई ही अकेले चुनावी मैदान में नहीं है, इस बार अलगाववादी नेता और उनके रिश्तेदार भी चुनावी मैदान में दिखने वाले हैं। बता दें एक अलगाववादी नेता ने हाल ही में राजनीतिक पार्टी 'तहरीक-ए-आवाम' का गठन किया है। ये पार्टी पहली बार विधानसभा चुनाव में हिस्सेदारी करने वाली है। अधिकतर अलगाववादी नेता और उनके रिश्तेदार इस पार्टी के बैनर तले ही चुनाव लड़ने वाले हैं।

अलगाववादी पहले चुनावों का बहिष्कार करते थे, लेकिन अब मुख्यधारा में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। इस समूह में प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर जमात-ए-इस्लामी के पूर्व सदस्य शामिल हैं, जिनमें से कई चुनावी दौड़ में शामिल होने की योजना बना रहे हैं।

जमाते इस्लामी पर भारत सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा है। उसके वरिष्ठ नेता सयार अहमद रेशी ने कुलगाम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय उतरने का फैसला किया है। उसने अपना नामांकन जमा कर दिया है। सयार अहमद रेशी ने इस दौरान कहा कि वह कश्मीर में शांति का माहौल बनाना चाहते हैं। वह चुनाव लड़ रहे हैं क्योंकि यहां से बुराईयों को खत्म करना है। इज्जत मिलेगी या नहीं यह सब अल्लाह के हाथ में हैं। मैं शिक्षक रहा हूं। मैंने हमेशा लोगों की भलाई के लिए काम किया है।

टीओआई के अनुसार, इन पूर्व अलगाववादियों का यह फैसला अब्दुल रशीद शेख की सफलता से प्रभावित था, जिन्हें इंजीनियर रशीद के नाम से जाना जाता है। अब्दुल रशीद शेख ने जेल में रहने के बावजूद नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को लोकसभा चुनावों में हराया था।

अब जापान को डराने की कोशिश कर रहा ड्रैगन! जासूसी करने का लगा आरोप

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चीन हमेशा अपने पड़ोसी देशों के लिए परेशानी खड़ी करने वाला काम करता है। चीन कुछ ना कुछ ऐसा करता रहता है जिससे उसके पड़ोसी देशों की परेशानी बढ़ जाती है। अब मामला जापान से जुड़ा हुआ सामने आया है। एक बार फिर चीन ने ऐसी ही हरकत की है जिसपर जापान ने आपत्ति जताया है। जापान ने आरोप लगाया क‍ि चीन ने उसके इलाके में जासूसी विमान भेजा है। जवाब में जापान ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट कर दिया। इसके बाद चीन का स्‍पाई विमान वहां से भाग गया।

जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि एक दिन पहले चीनी सैन्य विमान ने कुछ समय के लिए जापानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। उन्होंने इस घटना को 'बिल्कुल अस्वीकार्य' क्षेत्रीय उल्लंघन और सुरक्षा के लिए खतरा बताया। मुख्य कैबिनेट सचिव योशिमासा हयाशी ने कहा कि सोमवार को एक चीनी Y-9 टोही विमान कुछ समय के लिए जापान के दक्षिण-पश्चिमी हवाई क्षेत्र में घुस आया था। हवाई क्षेत्र में विमान के घुसते ही सेना को अपने लड़ाकू विमानों को वापस बुलाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था जब जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्स ने जापान के हवाई क्षेत्र में एक चीनी सैन्य विमान का पता लगाया।

जापान का आरोप-चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा

जापान का आरोप है कि चीन लगातार समुद्री सीमा में उकसावे की कार्रवाई कर रहा है। ऐसे में अब ताजा घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है। जापान का कहना है कि चीन के विमान पहले भी दक्षिण पूर्व की सीमा के आसपास चक्कर लगाते रहे हैं, लेकिन यह पहली बार है कि किसी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। जापान ने कहा कि उन्होंने चीनी विमान के खिलाफ किसी हथियार का प्रयोग नहीं किया। हालांकि चीन की उकसावे वाली कार्रवाई को देखते हुए जापान ने अपनी पूर्वी सीमा पर लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी है।

चीन ने क्‍या कहा?

कुछ देर बाद चीन ने भी बयान जारी क‍िया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता लिन जियान ने कहा, हम जापान के इस दावे की पुष्‍ट‍ि कर रहे हैं क‍ि क्‍या सच में ऐसा कुछ हुआ है। दोनों देशों के बीच कम्‍युनिकेशन के ल‍िए एक चैनल है। मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा क‍ि चीन का कभी भी दूसरे देश में घुसपैठ करने का कोई इरादा नहीं है। उधर, जापानी मीडिया ने कहा, चीन का स्‍पाई विमान देखे जाने के बाद उसे चेतावनी जारी की गई थी, लेकिन फ्लेयर गन जैसे किसी हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया। बाद में वह खुद लौट गया।

साउथ चाइना सी में तनाव

यह घटना ऐसे वक्‍त में हुई है, जब साउथ चाइना सी में तनाव काफी बढ़ा हुआ है। अमेर‍िका इस इलाके में दखल बढ़ा रहा है। अपने श‍िप भी उतार दिए हैं, जिससे चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है। वह साउथ चाइना सी के ज्‍यादातर इलाके को अपना बताता है। वह फ‍िलीपींस के कई द्वीपों पर भी दावा ठोंकता है। यहां तक क‍ि उनकी नेवी को जाने नहीं देता। अक्‍सर दोनों देशों में इसे लेकर टकराव की नौबत आती है। कुछ महीनों पहले एक चीनी जहाज फ‍िलीपींस के जहाज के बिल्‍कुल पास आ गया। तब दोनों के बीच सिर्फ 5 मीटर की दूरी थी।