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हेल्थ टिप्स:सुबह की शुरुआत तुलसी के पानी के सेवन करने से स्वास्थ को मिलते है कई अद्भुत लाभ, आईए जानते हैं।


भारत में तुलसी पौधे की पूजा सदियों से की जा रही है। ये एक ऐसा पौधा है जो हर घर में आसानी से मिल जाएगा। इसके औषधीय गुणों के कारण इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।तुलसी एक ऐसा पौधा है, जो अपने औषधीय गुणों के अलावा यह अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जानी जाती है। 

हिंदू धर्म में इसे बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है और सदियों से यह विभिन्न समस्याओं और विकारों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। इस पौधे का हर एक हिस्सा लाभकारी होता है।

यूं तो किसी भी तरह इसका सेवन सेहत को फायदा पहुंचाता है, लेकिन सुबह के समय खाली पेट तुलसी का पानी (Tulsi Water Benefits) पीने से काफी फायदा मिलता है। अपनी मॉर्निंग टी को तुलसी के पानी से रिप्लेस करने से सेहत को गजब के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं ऐसी वजह, जिसके लिए आपको सुबह खाली पेट तुलसी का पानी पीना चाहिए।

वेट मैनेजमेंट में मदद करे

तुलसी शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देने में मदद करती है और शरीर के एक्सट्रा फैट को कम करती है, जो वजन घटाने में सहायता करती है।

हार्ट हेल्थ सुधारे

सुबह खाली पेट तुलसी का पानी पीने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होते हैं, जिससे ब्लड वेसल्स में प्लाक निर्माण कम होता है और कोलेस्ट्रॉल का भी लेवल भी कम होता है, जिससे हार्ट हेल्थ बेहतर होती है।

डायबिटीज में फायदेमंद

अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं, तो तुलसी का पानी जरूर पिएं। इसमें मौजूद फाइटोकेमिकल्स इंसुलिन सीक्रिशन को बढ़ाते हैं और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करते हैं, जो शरीर में ग्लूकोज के स्तर को संतुलित करता है।

इम्युनिटी बढ़ाए

तुलसी जरूरी एंटीऑक्सीडेंट की भारी मात्रा होती है, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं और संक्रमण से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।

पाचन स्वास्थ्य में मददगार

तुलसी के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सूजन को कम करते हैं और पेट की परत को शांत करते हैं, जिससे पेट को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।

स्ट्रेस और एंग्जायटी करे दूर

स्ट्रेस और एंग्जायटी की समस्या में भी तुलसी काफी गुणकारी होती है। इसमें मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड कोर्टिसोल के लेवल को नियंत्रित करते हैं, जो तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन है।

किडनी की फंक्शनिंग में सुधार

तुलसी का पानी डिटॉक्सिफिकेशन को बढ़ाकर और ब्लड में यूरिक एसिड के स्तर को कम करके किडनी की फंक्शनिंग बेहतर करने में सहायता करता है।

स्किन हेल्थ के लिए जरूरी

तुलसी शरीर से टॉक्सिन्स को खत्म करने में मदद करती है, जिसकी वजह से आपकी त्वचा साफ हो सकती है।

आईए जानते है शरीर में विटामिन की कमी से होने वाली समस्याएं और उनके समाधान के बारे में


नींद, थकान, और कमजोरी जैसी समस्याएं अक्सर शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकती हैं। इनमें विशेष रूप से तीन विटामिन्स की कमी का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है:

1. विटामिन D की कमी

महत्व: विटामिन D हड्डियों के स्वास्थ्य और इम्यून सिस्टम के लिए आवश्यक है। यह शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर को नियंत्रित करता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

कमी के लक्षण: विटामिन D की कमी से हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी, और सामान्य थकान हो सकती है। इससे नींद में खलल आ सकता है, जिससे दिनभर थकान महसूस होती है।

स्रोत: सूर्य की रोशनी, मछली, अंडे की जर्दी, और फोर्टिफाइड दूध और अनाज इसके प्रमुख स्रोत हैं।

2. विटामिन B12 की कमी

महत्व: विटामिन B12 शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण और तंत्रिका तंत्र के सही कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है।

कमी के लक्षण: इसकी कमी से एनीमिया, मानसिक कमजोरी, थकान, और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है। यह नींद के पैटर्न को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे आपको दिनभर थकान महसूस हो सकती है।

स्रोत: मांस, मछली, अंडे, और डेयरी उत्पाद इसके प्रमुख स्रोत हैं।

शाकाहारी लोगों को इसे सप्लीमेंट के रूप में लेना पड़ सकता है।

3. विटामिन C की कमी

महत्व: विटामिन C शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह कोलेजन के निर्माण में भी सहायता करता है, जो त्वचा, बालों और जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण है।

कमी के लक्षण: विटामिन C की कमी से थकान, उदासी, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और घावों के धीरे-धीरे भरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

स्रोत: खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, कीवी, बेल पेपर, और ब्रोकली इसके प्रमुख स्रोत हैं।

निष्कर्ष

अगर आपको बार-बार थकान, कमजोरी, और नींद की समस्या हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपके शरीर में इन तीन विटामिन्स की कमी है। सही समय पर जांच और उपयुक्त आहार लेने से आप इन समस्याओं से बच सकते हैं। यदि समस्या अधिक गंभीर है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।

चावल खाने से वजन बढ़ता है या नहीं? जानें वजन घटाने में चावल का सही उपयोग

वजन घटाने की प्रक्रिया में डाइट का महत्वपूर्ण योगदान होता है। अक्सर लोगों को यह भ्रम होता है कि चावल खाने से वजन बढ़ता है और इसलिए इसे डाइट से बाहर कर देना चाहिए। हालांकि, सही तरीके से चावल को डाइट में शामिल करके आप वजन घटाने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि चावल को किस तरह से पकाया और खाया जा सकता है जिससे यह आपकी वजन घटाने की योजना का हिस्सा बन सके।

चावल के पोषक तत्व

चावल एक महत्वपूर्ण अनाज है जिसमें कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन बी, फाइबर और मिनरल्स होते हैं। सफेद चावल की तुलना में ब्राउन चावल अधिक पौष्टिक होते हैं, क्योंकि इसमें फाइबर और पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है।

वजन घटाने में चावल का सही उपयोग

ब्राउन चावल का उपयोग: ब्राउन चावल में फाइबर अधिक होता है जो पाचन को धीमा करता है और लंबे समय तक पेट भरा महसूस कराता है। यह वजन घटाने में मदद कर सकता है।

छोटे हिस्से में चावल का सेवन: चावल खाने के दौरान इसकी मात्रा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। यदि आप चावल खाना चाहते हैं, तो एक छोटे हिस्से में खाएं और इसे सब्जियों या दालों के साथ मिलाकर खाएं।

सब्जियों के साथ चावल: चावल को उबालकर उसमें हरी सब्जियां मिलाकर खाएं। सब्जियों में फाइबर और विटामिन होते हैं जो वजन घटाने में मदद करते हैं।

फर्मेंटेड चावल: दक्षिण भारत में फर्मेंटेड चावल का सेवन आम है। यह प्रोबायोटिक्स से भरपूर होता है जो आंतों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है और वजन घटाने में मदद करता है।

हाई-प्रोटीन फूड के साथ चावल: चावल को उच्च प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों जैसे कि चिकन, मछली या टोफू के साथ मिलाकर खाएं। प्रोटीन पाचन को धीमा करता है और शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करता है।

चावल बनाने के सुझाव

उबालना: चावल को उबालने के बाद पानी निकाल दें, इससे अतिरिक्त स्टार्च हट जाएगा और चावल हल्का हो जाएगा।

भाप में पकाना: चावल को भाप में पकाने से इसके पोषक तत्व बने रहते हैं और यह पचाने में आसान होता है।

ऑलिव ऑयल का प्रयोग: चावल पकाने के दौरान थोड़ा सा ऑलिव ऑयल डालने से इसके पौष्टिक तत्व बढ़ सकते हैं और यह चावल को स्वादिष्ट भी बनाएगा।

निष्कर्ष

चावल को डाइट से पूरी तरह हटाने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे सही तरीके से तैयार करके और सीमित मात्रा में खाकर आप वजन घटाने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। चावल के साथ सब्जियों, प्रोटीन और फाइबर का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है। ध्यान रहे कि वजन घटाने के लिए संतुलित डाइट और नियमित व्यायाम भी आवश्यक है।

भीगे हुए अखरोट खाने से मिलते डबल फायदा जाने भीगे अखरोट खाने से होने वाले फायदे के बारे में


भीगे हुए अखरोट खाने के कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं, जो आपके शरीर के लिए अत्यंत फायदेमंद हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि अखरोट को भिगोकर खाने से आपको किस तरह के फायदे मिल सकते हैं:

1. दिल की सेहत में सुधार:

अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो दिल की धमनियों को स्वस्थ रखने और दिल की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। भीगे हुए अखरोट का सेवन करने से ये तत्व और भी बेहतर तरीके से अवशोषित होते हैं, जिससे दिल की सेहत में सुधार होता है।

2. हड्डियों को मजबूती:

अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। भीगे हुए अखरोट का नियमित सेवन करने से हड्डियों की मजबूती बढ़ती है।

3. पाचन में सुधार:

भीगे हुए अखरोट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। यह पेट की समस्याओं जैसे कब्ज और एसिडिटी को कम करने में भी मदद करता है।

4. दिमागी शक्ति में वृद्धि:

अखरोट को अक्सर "ब्रेन फूड" भी कहा जाता है। यह दिमागी शक्ति बढ़ाने में मदद करता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है। भीगे हुए अखरोट का सेवन मस्तिष्क के कार्यों को सक्रिय बनाए रखने में सहायक होता है।

5. त्वचा के लिए फायदेमंद:

अखरोट में विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद करते हैं। भीगे हुए अखरोट का नियमित सेवन त्वचा की चमक को बढ़ाने और उम्र बढ़ने के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।

6. वजन नियंत्रण:

भीगे हुए अखरोट खाने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है, जिससे अनावश्यक खाने की आदत पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह वजन घटाने में भी सहायक होता है।

7. मधुमेह नियंत्रण:

भीगे हुए अखरोट का सेवन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे मधुमेह के रोगियों को फायदा होता है।

अखरोट को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से इन सभी फायदों का अधिक लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि, किसी भी चीज़ का अत्यधिक सेवन करने से बचें और संतुलित मात्रा में ही इनका सेवन करें।

रात में सोने से पहले पी लें ये हर्बल ड्रिंक,शरीर में जमा चर्बी होगी बर्न,वजन होगा कम


मोटापा आजकल एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जिससे निपटने के लिए लोग विभिन्न उपायों की तलाश में रहते हैं। यदि आप भी शरीर में जमा चर्बी को कम करना चाहते हैं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना चाहते हैं, तो हर्बल ड्रिंक्स एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकते हैं। रात में सोने से पहले इन ड्रिंक्स का सेवन करने से वजन कम करने में सहायता मिल सकती है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे हर्बल ड्रिंक्स के बारे में जो चर्बी को बर्न करने में मददगार साबित हो सकते हैं।

1. मेथी का पानी

मेथी के दानों में ऐसे गुण होते हैं जो आपके मेटाबोलिज्म को तेज करते हैं और चर्बी को बर्न करने में सहायता करते हैं। एक गिलास पानी में एक चम्मच मेथी के दाने भिगो दें और रातभर के लिए छोड़ दें। सुबह उठकर इसे छानकर पी लें। यह आपकी भूख को नियंत्रित करेगा और चर्बी को बर्न करने में मदद करेगा।

2. दालचीनी और शहद का ड्रिंक

 

दालचीनी में थर्मोजेनिक गुण होते हैं, जो शरीर की मेटाबोलिक दर को बढ़ाने में मदद करते हैं। रात में सोने से पहले एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच दालचीनी और एक चम्मच शहद मिलाएं और इसे पी लें। यह ड्रिंक आपके शरीर की चर्बी को बर्न करने में सहायता करेगा और साथ ही सोने में भी मदद करेगा।

3. अदरक की चाय

अदरक शरीर की चर्बी को बर्न करने के लिए एक अद्भुत उपाय है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और शरीर के अंदर की चर्बी को घटाने में मदद करता है। एक कप पानी में अदरक का छोटा टुकड़ा डालकर उबालें और इसे छानकर सोने से पहले पी लें। इससे मेटाबोलिज्म तेज होगा और वजन कम होगा।

4. लेमन डिटॉक्स वॉटर

नींबू में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं और चर्बी को बर्न करने में मदद करते हैं। एक गिलास गुनगुने पानी में आधे नींबू का रस मिलाएं और इसे रात में सोने से पहले पी लें। यह आपकी चर्बी को कम करने में काफी सहायक हो सकता है।

5. तुलसी का पानी

तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की चर्बी को कम करने में मदद करते हैं। रात में सोने से पहले तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से आपका वजन कम हो सकता है और आपकी नींद भी बेहतर हो सकती है।

निष्कर्ष

इन हर्बल ड्रिंक्स का सेवन करने के साथ-साथ आपको एक संतुलित आहार और नियमित व्यायाम की भी आवश्यकता होगी। केवल ड्रिंक्स के सहारे वजन कम करना संभव नहीं है, लेकिन ये ड्रिंक्स आपके वजन घटाने के सफर को सरल और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। नियमित रूप से इनका सेवन करें और धीरे-धीरे अपने शरीर में बदलाव महसूस करें।

गर्भावस्था में अमरूद खाने से मिलते है कई लाभ,आइए जानते है गर्भावस्था में अमरूद खाने के फायदे के बारे में...


प्रेग्नेंसी एक महिला के लिए सबसे खूबसूरत पल होता है। प्रेगनेंसी में महिलाओं को अपने सेहत पर खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि इसे उसे और होने वाले बच्चे दोनों पर असर पड़ता है। हर महिला को अपने साथ अपने होने वाले बच्चे का भी पूरा ध्यान रखना होता है। उनकी डायट में कई तरह के बदलाव किए जाते हैं और उन्‍हें फल, सब्जियां, सूखे मेवे और अन्‍य पौष्टिक चीज़ों को शामिल करने की सलाह दी जाती है। क्योकिं यह पौष्टिक चीज़े उनके और उनके शिशु के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। कुछ फल ऐसे हैं, जिन्हें प्रेगनेंसी में खाने के लिए मना किया जाता है।

कुछ ऐसे हैं जिन्हें ज़रूर खाने की सलाह भी दी जाती है । अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान अमरूद खाने की सोच रही हैं कि इसे खाना सुरक्षित होगा कि नहीं तो हम आपको बता दें प्रेगनेंसी में अमरूद का सेवन एकदम सुरक्षित होता है। अमरूद पोषण से भरा फल है। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं। परन्तु इसको सीमित मात्रा में खाना चाहिए। 100-125 ग्राम अमरूद की मात्रा रोजाना खाना सुरक्षित माना जाता है। यहां हम आपको बताएंगे अमरूद को खाने के आश्चर्यजनक लाभ-

1. विटामिन सी का स्त्रोत-

अमरूद विटामिन सी का अच्छा स्रोत होता है। गर्भावस्था के दौरान अमरूद खाने से यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखने में मदद करता है और शिशु को संक्रमण से बचाने में सहायता प्रदान करता है।

2. डायबिटीज को कंट्रोल करता है -

प्रेगनेंसी में डायबिटीज की समस्या काफी देखी जाती है। अगर आप प्रेगनेंट हैं और डायबिटीज से बचना चाहती हैं, तो आप अमरूद का सेवन कर सकती हैं । इससे टाइप 2 डायबिटीज को भी कंट्रोल करा जा सकता है।

,3. पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है-

अमरूद में अच्छी मात्रा में फाइबर होती है, जिससे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह कब्ज को दूर करता है और आपको पेट की समस्याओं से राहत देता है।

4. हाइड्रेटेड रखता है-

प्रेगनेंसी में शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है अगर आप पानी का ज्यादा सेवन नहीं कर पा रही हैं, तो आप लिक्विड चीजों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें या फिर ऐसे फलों को डाइट में शामिल करें जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है। अमरूद में अच्छी खासी पानी की मात्रा पाई जाती है, जो हाइड्रेशन से बचाने में मददगार है।

5. ओरल हेल्थ बेहतर बनाता है-

अमरूद गले के इंफेक्शन को कम करने में मदद कर सकता है और मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसमें मौखिक अल्सर और मसूड़ों की समस्याओं को कम करने वाले गुण होते हैं।

6. शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है-

प्रेगनेंसी के दौरान अमरूद का सेवन ऊर्जा प्रदान करता है क्योकिं इसमें मध्यम रूप से कैलोरी होती हैं। इससे आपकी थकान और कमजोरी कम हो सकती है।

7. इम्यूनिटी को बढ़ाता है-

अमरूद में विटामिन ई, सी व बी की मात्रा भरपूर होती है। यह तीनों ही विटामिन प्रेगनेंसी के दौरान शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती हैं। अमरूद में बहुत से एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं जो आपको बीमारियों से बचाते हैं। इसलिए हर एक महिला को जो मां बनने वाली है उन्हें अमरूद जरूर खाना चाहिए।

8. एनीमिया होने से बचाता है-

एनीमिया आयरन की कमी के कारण होता है और यह प्रेगनेंट महिलाओं में अक्सर मिलने वाली आम समस्या है। इसलिए यदि महिलाए इस दौरान अमरूद खाती हैं तो उनको इससे पर्याप्त मात्रा में आयरन मिल सकता है। जिससे उनके शरीर में आयरन की कमी नहीं होगी।

अगर आप भी स्ट्रेस ईटिंग के हो गए हैं शिकार, तो जानें इसे कंट्रोल करने के कारगर तरीके

आजकल की तेज़-तर्रार जीवनशैली और बढ़ते तनाव ने कई लोगों को स्ट्रेस ईटिंग का शिकार बना दिया है। स्ट्रेस ईटिंग वह अवस्था है जब व्यक्ति तनाव के समय अधिक भोजन का सेवन करने लगता है, खासकर उन खाद्य पदार्थों का जो उच्च कैलोरी और शुगर से भरपूर होते हैं। इससे वजन बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है। इस आर्टिकल में हम स्ट्रेस ईटिंग को नियंत्रित करने के कुछ कारगर तरीकों पर चर्चा करेंगे।

1. तनाव के स्रोत की पहचान करें:

स्ट्रेस ईटिंग को नियंत्रित करने का पहला कदम है अपने तनाव के स्रोत की पहचान करना। यह समझना महत्वपूर्ण है कि किन परिस्थितियों में आप अधिक खाने की आदत डाल लेते हैं। जब आप तनाव के कारणों को समझ लेते हैं, तो आप उनके समाधान के लिए उचित कदम उठा सकते हैं।

2. स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनें:

जब भी आपको तनाव के कारण कुछ खाने की इच्छा हो, तो कोशिश करें कि आप स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनें। फलों, नट्स, और सलाद जैसे हल्के और पौष्टिक खाद्य पदार्थ आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इससे न केवल आपका पेट भरेगा बल्कि आपको अधिक कैलोरी का सेवन करने से भी बचाएगा।

3. नियमित व्यायाम करें:

व्यायाम न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। नियमित व्यायाम करने से आपका तनाव कम होता है और आप बेहतर महसूस करते हैं। इससे आपके स्ट्रेस ईटिंग की आदत को भी कम करने में मदद मिलेगी।

4. भोजन का समय निर्धारित करें:

स्ट्रेस ईटिंग को नियंत्रित करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने भोजन का समय निर्धारित करें। जब आप निश्चित समय पर भोजन करेंगे, तो अनावश्यक खाने की संभावना कम हो जाएगी। साथ ही, यह सुनिश्चित करें कि आप हर बार संतुलित आहार लें।

5. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें:

कई बार स्ट्रेस ईटिंग का मुख्य कारण मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। ध्यान, योग, और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करके आप अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। इससे न केवल आपका तनाव कम होगा बल्कि आपका मन भी शांत रहेगा।

6. हाइड्रेटेड रहें:

कई बार हम प्यास को भूख समझ लेते हैं और कुछ खाने की तरफ बढ़ जाते हैं। इसलिए, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और खुद को हाइड्रेटेड रखें। इससे आपकी स्ट्रेस ईटिंग की आदत को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

निष्कर्ष:

स्ट्रेस ईटिंग एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नियंत्रित करना भी संभव है। ऊपर बताए गए उपायों को अपनाकर आप न केवल अपने खाने की आदतों में सुधार कर सकते हैं बल्कि अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। अपने तनाव को नियंत्रित करने के लिए सही तरीके अपनाएं और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें।

आइए जानते हैं रोज बादाम और अखरोट खाने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं।


बादाम और अखरोट रोजाना खाने से अनेक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। ये दोनों ही मेवे पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं कि बादाम और अखरोट रोज खाने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं:

1. हृदय स्वास्थ्य में सुधार:

बादाम: इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स, विटामिन ई और मैग्नीशियम होता है, जो हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है।

अखरोट: इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो हृदय की धमनियों को साफ रखते हैं और हृदय रोगों का खतरा कम करते हैं।

2. मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाना:

बादाम: इसमें रिबोफ्लेविन और एल-कार्निटाइन होता है, जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और याददाश्त को बेहतर करता है।

अखरोट: यह मस्तिष्क के लिए एक सुपरफूड माना जाता है। इसमें पाए जाने वाले ओमेगा-3 फैटी एसिड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं।

3. वजन प्रबंधन:

बादाम: यह फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखता है और अनावश्यक भूख को कम करता है, जिससे वजन प्रबंधन में मदद मिलती है।

अखरोट: इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स और प्रोटीन भी वजन नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।

4. त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद:

बादाम: इसमें विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो त्वचा को चमकदार बनाते हैं और बालों को मजबूत करते हैं।

अखरोट: यह भी बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद बायोटिन बालों को स्वस्थ बनाता है और त्वचा को नमी प्रदान करता है।

5. हड्डियों को मजबूत बनाना:

बादाम: इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, और फॉस्फोरस होते हैं, जो हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक होते हैं।

अखरोट: इसमें भी महत्वपूर्ण मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।

6. डायबिटीज नियंत्रण में मददगार:

बादाम: यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और इंसुलिन सेंसिटिविटी को सुधारता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।

अखरोट: इसमें पाया जाने वाला फाइबर और हेल्दी फैट्स ब्लड शुगर लेवल को स्थिर रखने में मदद करते हैं।

7. पाचन तंत्र को बेहतर बनाना:

बादाम: यह फाइबर का अच्छा स्रोत है, जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है।

अखरोट: इसमें मौजूद फाइबर भी पाचन में सहायक होता है और आंतों की सेहत को सुधारता है।

निष्कर्ष:

बादाम और अखरोट रोजाना खाने से शरीर को पोषण मिलता है और यह कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव में मदद करते हैं। हालांकि, इन्हें सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए क्योंकि इनमें कैलोरी अधिक होती है। रोजाना 5-7 बादाम और 2-3 अखरोट पर्याप्त होते हैं

आइए जानते है कैसे करे राइस वाटर का इस्तेमाल की चेहरे की चमक हमेशा बनी रहें


राइस वाटर, या चावल का पानी, चेहरे की चमक को बनाए रखने के लिए एक प्राचीन और प्राकृतिक उपाय है। इसमें मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी त्वचा को स्वस्थ और निखारने में मदद करते हैं। आइए जानते हैं कैसे करें राइस वाटर का इस्तेमाल:

1. राइस वाटर कैसे बनाएं:

चावल धोएं: आधा कप चावल लें और इसे पानी में अच्छे से धो लें ताकि धूल और गंदगी निकल जाए।

भिगोना: धोए गए चावल को 2-3 कप पानी में 30 मिनट के लिए भिगो दें।

पानी छानें: भीगे हुए चावल से पानी को छान लें। यही पानी राइस वाटर के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

2. राइस वाटर का उपयोग कैसे

 करें:

फेस वॉश: आप राइस वाटर को फेस वॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे चेहरा धोने पर त्वचा को नमी और पोषण मिलेगा।

टोनर: राइस वाटर को टोनर के रूप में उपयोग करें। इसे एक स्प्रे बॉटल में भर लें और चेहरे पर हल्के हाथों से स्प्रे करें। कुछ मिनट के बाद चेहरे को साफ पानी से धो लें।

फेस मास्क: राइस वाटर को बेसन, मुल्तानी मिट्टी, या ऐलोवेरा जेल में मिलाकर फेस मास्क बना सकते हैं। इसे 15-20 मिनट तक चेहरे पर लगाएं और फिर ठंडे पानी से धो लें।

हफ्ते में दो बार: इस प्रक्रिया को हफ्ते में 2-3 बार दोहराएं। इससे त्वचा में निखार आएगा और त्वचा स्वस्थ दिखेगी।

3. राइस वाटर के फायदे:

त्वचा को नमी: राइस वाटर त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करता है, जिससे आपकी त्वचा मुलायम और चमकदार बनती है।

एंटी-एजिंग: इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की उम्र बढ़ने के संकेतों को कम करने में मदद करते हैं।

पिगमेंटेशन कम करता है: नियमित इस्तेमाल से त्वचा का रंग साफ होता है और काले धब्बे कम होते हैं।

4. सावधानियाँ:

अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जी या संवेदनशीलता है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।

हमेशा ताजा राइस वाटर का ही इस्तेमाल करें, इसे लंबे समय तक न रखें।

राइस वाटर का नियमित उपयोग आपकी त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाए रख सकता है। 

यह एक प्राकृतिक और सस्ता उपाय है जो आसानी से घर पर तैयार किया जा सकता है।

हेल्थ टिप्स:PCOS से पीड़ित महिला अपने किचन में रखे कुछ मसालों को अपने डायट में शामिल करके पीसीओएस की समस्या से पा सकती हैं छुटकारा


 

दिल्ली:- पीसीओडी या पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है जो महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है, प्रजनन अंग जो प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में मदद करते हैं। PCOS यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की समस्या से आजकल अधिकतर महिलाएं परेशान हैं। इस बीमारी में महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का अधिक मात्रा में उत्पादन होने लगता है। इसकी वजह से महिलाओं के शरीर में हार्मोंस का असंतुलन हो जाता है। पीसीओएस होने पर महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, इन्सुलिन रेजिस्टेंस, शरीर पर अनचाहे बाल, एक्ने, वजन बढ़ाना और प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

पीसीओएस होने पर आपको डॉक्टर से उचित परामर्श लेना चाहिए। इसके अलावा, हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव के जरिए भी इस समस्या को मैनेज किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं कि हमारी रसोई में कुछ ऐसे मसाले मौजूद हैं, जो इस परेशानी को कम करने में मदद कर सकते हैं। हम आपको ऐसे कुछ मसालों के बारे में बताएंगे, जो हार्मोंस को बैलेंस करके पीसीओएस के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करेंगे।

मेथी दाना – 

पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के लिए मेथी दाना का सेवन लाभकारी हो सकता है। यह इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद मिलती है। इसके सेवन से महिलाओं में हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप रोज सुबह खाली पेट मेथी दाना का पानी पी सकते हैं।

दालचीनी –

 

पीसीओएस की समस्या में दालचीनी का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे वजन घटाने में फायदा होता है। इसके नियमित सेवन से अनियमित पीरियड्स की समस्या को दूर करने में मदद मिल सकती है।

काली मिर्च – 

काली मिर्च का सेवन करने से इन्सुलिन सेंसटिविटी में सुधार होता है। इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण हार्मोंस को बैलेंस करने में मदद करते हैं। साथ ही, यह शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट को कम करने में भी मददगार है। आप सुबह खाली पेट कुटी हुई काली मिर्च को शहद के साथ मिलाकर खा सकती हैं।

सौंफ –

 

पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में सौंफ फायदेमंद साबित हो सकती है। यह पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन एंड्रोजन को कम करने में मदद कर सकती है। इसका सेवन करने के लिए आप रात में एक चम्मच सौंफ को एक गिलास पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इस पानी को करीब 5 मिनट तक उबालें। फिर इसे छानकर इसका सेवन करें।

हल्दी –

हल्दी में मौजूद औषधीय गुण पीसीओएस में हार्मोंस को बैलेंस करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इन्सुलिन रेजिस्टेंस, हाई ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को अपनी डाइट में हल्दी को जरूर शामिल करना चाहिए