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15 अगस्त को ही क्यों मिली आजादी जान इससे जुड़े रोचक सवालों के जवाब

रिपोर्टर जयंत कुमार 

रांची : आज पुरा देश अपना 78वां स्वतंत्रता मना रहा है। भारत को आधिकारिक रूप से 15 अगस्त 1947 के दिन आजादी मिली थी। जिसके बाद से ही हर साल प्रत्येक देशवासी के लिए गौरव का दिन है। हालांकि, सवाल ये है कि आखिर भारत की आजादी के लिए यही दिन क्यों चुना गया था और क्यों 15 अगस्त को ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। आइए जानते हैं इससे जुड़ी रोचक जानकारी।

सबसे बड़ा सवाल है कि 15 अगस्त को ही आजादी का दिन क्यों चुना गया

ब्रिटेन के तात्कालिक प्रधानमंत्री एटली ने फरवरी 1947 में ऐलान किया कि 30 जून 1948 तक ब्रिटेन भारत को आजाद कर देगा। इसके लिए आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी और बंटवारे के प्लान में तेजी दिखाई। माउंटबेटन के सुझावों पर ब्रिटेन की संसद ने 4 जुलाई, 1947 को इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट पारित किया। इसमें 15 अगस्त 1947 को भारत से ब्रिटिश शासन खत्म करने का प्रावधान था। अब सवाल उठता है कि 15 अगस्त ही क्यों? दरअसल, 15 अगस्त 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ था और ब्रिटिश आर्मी के सामने जापानी सेना आत्मसमर्पण कर दिया था। उस वक्त ब्रिटेन की सेना में लार्ड माउंटबेटन अलाइड फोर्सेज में कमांडर थे। ऐसे में वह इस दिन को खास मानते थे। 

जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, ऐसे में माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। 

आजादी के समय महात्मा गांधी शामिल नहीं हुए थे। 

 आजादी के जश्न में आशीर्वाद लेने के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल पत्र भेज कर बुलाया था। उन्होंने पत्र के जवाब में कहा मैं शामिल नहीं हो सकता। दुर्भाग्य से आज हमें जिस तरह आजादी मिली है, उसमें भारत-पाकिस्तान के बीच भविष्य के संघर्ष के बीज भी हैं। मेरे लिए आजादी की घोषणा की तुलना में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शांति अधिक महत्वपूर्ण है।

भारत के नोटों का ही इस्तेमाल करते थे पाकिस्तानी 

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों के गुलामी के आजाद हुआ तो आजादी के साथ उसे दो हिस्सों में बांट दिया। अब नए मुल्क पाकिस्तान के सामने समस्या थी कि क्या वहां भारत के नोट चलाए जाएं? कुछ पाकिस्तानी नेताओं ने नासिक प्रिंटिंग प्रेस बांटने की मांग की, लेकिन यह प्रैक्टिकली संभव नहीं था। भारत-पाक के नेताओं ने चर्चा की इसके बाद निर्णय लिया गया कि। नोट यहीं नासिक में छपना चाहिए। इसके लिए पाक का एक प्रतिनिधि यहां तैनात होगा, जो प्रोसेस पर नजर रखेगा।समस्या ये थी कि बंटवारे के बाद दूसरे देश का आदमी नोट प्रेस जैसी गोपनीय जगह पर कैसे रह सकता है। इसके लिए बंटवारा कमेटी ने 19 जुलाई 1947 को वित्त विभाग के सामने रिपोर्ट पेश कर अनुमति मांगी तब जाकर उसे यहां रहने की सहमति मिली।

डीएसपी संदीप कुमार गुप्ता सहित अन्य सम्मानित


धनबाद : 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा स्टेडियम (गोल्फ ग्राउंड) में आयोजित मुख्य समारोह में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए पुलिस पदाधिकारी, प्रशासनिक पदाधिकारी व अन्य विभागों के कर्मियों को सम्मानित किया गया।

इसमें डीएसपी मुख्यालय 2 श्री संदीप कुमार गुप्ता, डीएसपी श्रीमती अर्चना स्मृति खलको, कार्यपालक दंडाधिकारी श्री रवींद्रनाथ ठाकुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बाघमारा के डॉ प्रभात कुमार, आयुष्मान आरोग्य मंदिर खरकाबाद की अनीता टुडू, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र टुंडी की पुष्पलता कुमारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र केन्दुआडीह की रीता कुमारी, स्वास्थ्य सहिया सजदा खातून, सहायक अवर निरीक्षक बिरसा उरांव, ओम प्रकाश साव, रामकुमार सिंह, नजारत शाखा के नकुल महतो, एनआइसी के सुनील कुमार, समाज कल्याण कार्यालय की हेमा कुमारी, पंचायती राज कार्यालय के निर्मल कुमार रजवार तथा सामाजिक सुरक्षा कोषांग के टिंकू चंद्र दाँ को सम्मानित किया गया।

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा, वरीय पुलिस अधीक्षक श्री हृदीप पी जनार्दनन, डीडीसी श्री सादात अनवर, ग्रामीण एसपी श्री कपिल चौधरी, तथा अनुमंडल पदाधिकारी श्री उदय रजक ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

सीआरपीएफ पलाटून को मिला प्रथम पुरस्कार


धनबाद : 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शहीद रणधीर प्रसाद वर्मा स्टेडियम (गोल्फ ग्राउंड) में आयोजित मुख्य समारोह में सीआरपीएफ के प्लाटून को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

वहीं सीआइएसएफ को द्वितीय तथा डीएपी महिला प्लाटून को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।

मुख्य समारोह में सीआरपीएफ, सीआईएसफ, आरपीएसएफ, जैप 3, जिला सशस्त्र पुलिस बल (पुरुष एवं महिला), गृहरक्षक वाहिनी, एनसीसी (बॉयज एवं गर्ल्स), भारतीय स्काउट एंड गाइड के प्लाटून ने परेड में हिस्सा लिया।

प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्लाटून को उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी सुश्री माधवी मिश्रा व वरीय पुलिस अधीक्षक श्री हृदीप पी जनार्दनन ने पुरस्कृत किया।

1857 के क्रांति के पूर्व हीं झारखण्ड के आदिम जन जातियों ने अंग्रेजों के खिलाफ शुरू किया विद्रोह,जानिये आजादी के लड़ाई में झारखण्ड का योगदान..!*

स्वाधीनता के आंदोलन में झारखंड की आदिम जनजातियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से 100 साल पूर्व से ही झारखंड की जनजातियों ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ विद्रोह करना शुरू कर दिया था. झारखंड की सांस्कृतिक पहचान का राजनीतिक अर्थ भी पहली बार 1831 के “कोन विद्रोह” से सामने आया . इस विद्रोह के केंद्र था रांची, सिंहभूम और पलामू. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ यह संभवत: पहला सबसे बड़ा आदिवासी विद्रोह था. इस आंदोलन के नेतृत्कर्ता तिलका मांझी थे. इसके अलावे “तमाड़ विद्रोह” , बंडू में “मुंडा विद्रोह” , मानभूम में “भूमिज विद्रोह” ने अंग्रेजी हुकूमत को को हिलाकर रख दिया. पहली स्वतंत्रता संग्राम (1857) से पूर्व ही यहां की जनजातियाँ पहले से ही ब्रिटिश शासन से अपनी भूमि को मुक्त करने के लिए सशस्त्र संघर्ष की एक श्रृंखला में लगी थीं. यहां के झारखंडियों को तिलका मांझी (जबरा पहाड़िया), सिद्धू कान्हू, बिरसा मुंडा, काना भगत आदि जैसे दिग्गज आदिवासी नेताओं ने आदिवासी संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. झारखंड में आदिवासी संघर्ष ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा दी. बता दें कि सन् 1855 में संथाल के आदिवासी वीर योद्धा सिद्धू और कान्हू का विद्रोह हुआ। इसमें 30-35 हजार आदिवासियों ने भाग लिया। आंदोलन हिंसक रूप ले लिया, अनेक अंग्रेज सैनिक और अधिकारी मारे गए। अंत में पूरे क्षेत्र को सेना से सुपुर्द कर दिया गया। मार्शल लॉ लागू कर दिया गया। देखते ही गोली मारने का आदेश सेना को दे दिए गया। कत्लेआम हुआ.इसमें 10 हजार आदिवासी मारे गए। रमणिका गुप्ता तथा माता प्रसाद ने इन आंकड़ों की पुष्टि की है इसी तरह सन 1913 में मानगढ़ में हुए आदिवासी आंदोलन में भी 15 सौ आदिवासी शहीद हुए थे. ये आंकड़े बताते हैं कि आदिवासी आंदोलनों में लाखों आदिवासियों की जाने गई. भारत में सबसे पहले आदिवासियों ने स्वतंत्र आंदोलन सन् 1780 में संथाल परगना में प्रारंभ किया। दो आदिवासी वीरों तिलका और मांझी ने आंदोलन का नेतृत्व किया। यह आंदोलन सन् 1790 तक चला इसे “दामिन विद्रोह”कहते हैं इस विद्रोह से अंग्रेजी हुकूमत तरबतर हो गया था. पकड़ने के लिए मि. क्लीवलैंड कि नेतृत्व में सेना भेजी गई परंतु तिलका ने अपने तीर से क्लीवलैंड के सीने में तीर मार कर जान ले लिया तब अंग्रेजी सैनिकों ने छापामार युद्ध के तहत तिलका को पकड़कर पेड़ से लटका कर फांसी दे दिया. “दलित दस्तक”के अनुसार दिल का स्वतंत्रता आंदोलन का पहला शहीद माना जाना चाहिए परंतु 1857 की क्रांति में शहीद हुए मंगल पांडे को स्वतंत्रता संग्राम का पहला शहीद घोषित कर दिया. जबकि सच्चाई यह है कि मंगल पांडे से 70 साल पहले स्वतंत्रता आंदोलन में तिलका शहीद हुआ था. बता दें कि सन् 1780 से सन् 1857 तक आदिवासियों ने अनेक स्वतंत्रता आंदोलन किए। सन 1780 का “दामिनी विद्रोह” तिलका मांझी ने चलाया, सन् 1855 का “सिद्धू कान्हू विद्रोह” सन् 1858 से 1832 तक बुधु भगत द्वारा चलाया गया “लरका आंदोलन” बहुत प्रसिद्ध आदिवासी आंदोलन है जिनका जिक्र इतिहास में नहीं मिल पाता है। पूरे भारत में आदिवासियों ने अपने में क्षेत्र में जल जंगल जमीन का छीनने का प्रयास जब जब हुआ तब उन लोगों ने अपने हक अधिकार के लिए आंदोलन किए परंतु आज भी उन्हें अपने हक अधिकार के लिए वंचित रखा जा रहा है. शेख भिखारी ने सन् 1857 ई. के संग्राम में उन्होंने अपनी वीरता, साहस, बुद्धि एवं राजनीति से अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिये थे. टिकैत उमराव सिंह के साथ मिलकर शेख़ भिखारी ने पिठोरिया तक अंग्रेज़ों को छकाया था. कहा जाता है कि शेख भिखारी की तलवार में इतनी ताकत थी कि अंग्रेज़ कमिश्नर मैकडोनाल्ड ने इसका ‘गजट’ में ज़िक्र किया था और उन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में खतरनाक बागी करार दिया था. शेख़ भिखारी ओरमांझी खुदिया के राजा टिकैत उमराव सिंह के दीवान और कुशल सेनापति भी थे.1858 ई. में अंग्रेज़ों ने छल-बल के साथ चुटूपालू के निकट भीषण लड़ाई के बाद शेख़ भिखारी को गिरफ्तार कर लिया और 7 जनवरी को उन पर मुकदमा चलाया गया.इस दौरान उनकी वीरता और साहस से भयभीत अंग्रेज़ों ने अदालती कारवाई पूरे किये बिना ही टिकैत उमराव सिंह के साथ शेख़ भिखारी को बरगद के पेड़ पर फाँसी दे दी. झारखंड की महिला स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका भी उतना ही महत्वपूर्ण है, सरस्वती देवी, राजेश्वरी सरोज दास, शैलबाला राय, जाम्बवती देवी, प्रेमा देवी, उपा रानी मुखर्जी समेत झारखण्ड में एसे अनगिनत नाम हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपनी जान हथेली पर रखकर सम्पूर्ण महिला समाज को सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित किया. इनके बलिदान और संघर्ष की गाथा इतिहास के पन्नों को आज भी जीवंतता प्रदान कर रही है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी कई बार रांची आए. इतिहासकार बताते हैं कि चंपारण सत्याग्रह की रणनीति रांची में ही बनी थी. कांग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन के दौरान गांधीजी ने जिस कार का इस्तेमाल किया था वो आज भी रांची में सुरक्षित है.
राहुल गांधी से मिली मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, कहा- झारखण्ड के लोगों के जनभावनाओं को समझना होगा*

रांची : मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तथा लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के विशेष आमंत्रण पर बुधवार को नयी दिल्ली में उनसे मुलाकात की। शिल्पी ने कहा कि उन्होंने राहुल गांधी से बस एक ही बात कही कि कांग्रेस देश में लोगों के दिलों में है और जनमानस की भावनाओं को समझकर यदि रणनीति तैयार की जाये तो इसके अच्छे नतीजे आयेंगे। साथ ही अनेक वैसी जटिल समस्याओं के समाधान में सहायता मिलेगी जो पिछले 10 साल में पैदा हुई हैं। *संगठन की स्थिति की जानकारी ली* गौरतलब है कि 13 अगस्त को फोन पर श्री गांधी के कार्यालय ने शिल्पी नेहा तिर्की को बुधवार को एक विशेष बैठक और मुलाकात के लिये आमंत्रित किया था। मुलाकात के दौरान राहुल गांधी ने शिल्पी नेहा तिर्की से झारखंड में कांग्रेस की संगठनात्मक स्थिति के साथ ही सरकार की गतिविधियों की भी जानकारी ली। राहुल ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में आनेवाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र एकजुटता के साथ इंडिया गठबंधन चुनाव लड़ेगा और लोगों को सच्चाई तथा ज़मीनी हक़ीक़त बताने की जरूरत है।
हॉकी खेलने जा रहे खिलाड़ी आए वज्रपात की चपेट में*

*तीन की हुई मौत, 05 खिलाड़ी घायल* झा. डेस्क कोलेबिरा थाना क्षेत्र के टूटिकेल में एक हॉकी प्रतियोगिता चल रही थी। इसी प्रतियोगिता में खेलने के लिए जा रहे खिलाड़ी वज्रपात की चपेट में आ गए। जिसमें तीन लोगों की मौके पर मौत हो गई। वहीं पांच लोग गंभीर रूप से घायल हैं। बताया गया कि टूटीकेल पंचायत के झपला में हॉकी प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए खिलाड़ी एक जगह तैयार होने के लिए जा रहे थे। इसी क्रम में तेज बारिश होने लगी बारिश से बचने के लिए सभी एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए इसी दौरान अचानक तेज बारिश हुआ और आकाशी बिजली उसी पेड़ के पास गिरी, जिस पेड़ के नीचे सभी खिलाड़ी खड़े थे। वज्रपात की चपेट में आने से सेनंन डांग, निर्मल होरो और अनीस नामक खिलाड़ी की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उनके साथ खड़े क्लेमेंट बागे, जैलेश बागे, सलीम बागे, पतरस बागे और पतिराम बागे गंभीर रूप से घायल हो गए। घटना की सूचना मिलने के बाद मेडिकल टीम और पुलिस की टीम तुरंत घटनास्थल पहुंची और घायलों को कोलेबिरा अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने तीनों मृतकों के कहा को कब्जे में ले लिया है। पुलिस पूरे मामले में अग्रसर कार्रवाई कर रही है। इधर घटना की सूचना मिलने के बाद कोलेबिरा सीओ अनूप कच्छप, जिला परिषद अध्यक्ष रोस प्रतिमा सोरेंग, प्रखंड प्रमुख दुतमी हेमरोम, कोलेबिरा विधायक के प्रखंड प्रतिनिधि, कांग्रेस प्रखंड कमिटी के लोग कोलेबिरा अस्पताल पहुंचकर सभी घायलों के परिजनों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित परिवार को मुवाबजा दिलाने की बात कही है।
स्कूली बच्चों से भरी एक मैजिक वैन को एक दूसरी वाहन ने मारी टक्कर, कई बच्चे घायल

झारखंड के हजारीबाग में स्कूली बच्चों से भरी एक गाड़ी हादसे का शिकार हो गई है। यह हादसा चौपारण में हुआ है। जीटी रोड स्थित बारा मोड़ के पास एक थार गाड़ी ने मैजिक वैन को टक्कर मार दी।

 मैजिक में डैफोडिल स्कूल के बच्चे सवाल थे। जानकारी के मुताबिक, इस सड़क दुर्घटना में करीब आधा दर्जन बच्चे चोटिल हो गए हैं।

जानकारी के मुताबिक, इस हादसे में करीब छह बच्चे घायल हो गए हैं। अन्य बच्चों को घर भेज दिया गया है। दरअसल, एक थार गाड़ी बच्चों के मैजिक वैन से टकरा गई। यह हादसा किस वजह से हुआ इस बारे में अभी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।

शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, हजारीबाग में हवलदार चोहन हेंब्रम की हत्या के बाद पुलिस रेस,कई जगहों पर मारे छापेमारी


शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, हजारीबाग में हवलदार चोहन हेंब्रम की हत्या के बाद पुलिस-प्रशासन रेस हो गया है। आरोपी जेपी कारा के कैदी शाहिद अंसारी की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी ने मंगलवार को उसके धनबाद स्थित आवास समेत अन्य जगहों पर छापे मारे। एसपी अरविंद सिंह जेेपी कारा पहुंचे और कैदियों से पूछताछ की।

इधर, एसपी ने ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में हवलदार चोहन हेम्ब्रम के साथ अस्पताल में तैनात सिपाही बासुदेव महतो और बृजेन्द्र कुमार को निलबिंत कर दिया गया है। दोनों घटना के वक्त बैरक में सोते मिले। 

बता दें कि अस्पताल में भर्ती कैदी शाहीद ने रविवार की रात करीब 11.40 बजे हवलदार चोहन हेंब्रम की हत्या कर फरार हो गया था। आरोपी शाहीद धनबाद के पाथरडीह चासनाला का रहने वाला है और जेपी केंद्रीय कारा में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे धनबाद जेल से यहां शिफ्ट किया गया था।

हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल से पुलिसकर्मी की हत्या कर फरार आरोपी शाहीद अंसारी की तलाश में पुलिस लगातार जगह-जगह छापेमारी कर रही है। पुलिस टेक्निकल सेल की मदद से शाहीद की तलाश में जुटी है। वहीं पुलिस शाहीद की मां मोमिना खातून से कड़ी पूछताछ की। 

मोमिना ने पुलिस पूछताछ में बताया कि हजारीबाग जेल से 24 जुलाई को मेरे मोबाइल पर फोन आया कि तुम्हारा पुत्र शाहीद की तबीयत ठीक नहीं है, वह अस्पताल में भर्ती है। 

25 जुलाई को हजारीबाग लोक नायक जय प्रकाश नारायण केंद्रीय कारागार पहुंची, जहां मुझे एक चिट्ठी मिली, जिससे पता चला कि मेरा बेटा शेख भिखारी मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती है। मोमिना ने बताया कि बेटा के साथ अस्पताल में दो से तीन दिन रह कर बेटा की सेवा किया। पुत्र को पेट में काफी दर्द था। वह कपड़े काफी गंदे पहने हुए थे, जिसे मैंने साफ कर दिया। जब पुत्र जेल में था तो फोन किया करता था। अब फोन नहीं आ रहा है।

पुलिस ने अपराधी शाहीद के ससुराल एवं शादीशुदा बहन मुमताज बेगम एवं शाहिदा खातून बहनों से फोन पर बात कर जानकारी मांगी है। मां ने बताया कि मेरे पति मरहूम अजीज मियां इस्को कंपनी के चासनाला में कार्य करते थे। चासनाला साउथ कॉलोनी शिव मंदिर के पास टायर मरम्मत की दुकान चलाते थे। पुत्र भी उसी दुकान में काम करता था। शाहिद कभी अपराधी चरित्र का नहीं था। बाद में किसी संगत में पड़कर उसने मेरे घर को बर्बाद कर दिया।

वहीं पाथरडीह थाना प्रभारी पवन चंद्र पाठक ने बताया कि हजारीबाग पुलिस के साथ चासनाला साउथ कॉलोनी अपराधी शाहिद अंसारी के घर में तलाशी किया गया, लेकिन शाहिद घर पर नहीं मिला। मां एवं घर में उसकी पुत्री अफसाना खातून 17 वर्ष से पूछताछ की गई। हजारीबाग पुलिस की एसआईटी टीम मामले की छानबीन कर रही है।

बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार एवं हत्याएं रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए !

धनबाद : बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। 

आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ आन्दोलन अब हिंदुओं के खिलाफ हो गया है। प्रदर्शनकारी हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं और जानबूझकर हत्याएं की जा रही हैं। हिंदू घरों पर हमले, दुकानों की लूट, तोड़फोड़, मंदिरों में आगजनी और बलात्कार लगातार हो रहे हैं। इससे अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय में भय का माहौल पैदा हो गया है। भले ही बांग्लादेश की सेना ने हिंदुओं की रक्षा करने का वादा किया है, लेकिन भारत सरकार को इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए और वहां के हिंदू समुदाय और मंदिरों की रक्षा के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। 

ऐसी मांग हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति ने आन्दोलन के माध्यम से की है। यह आन्दोलन धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर किया गया। 

इस आंदोलन में इस्कॉन, विश्व हिन्दू परिषद् , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, तरुण हिन्दू, आर्य समाज, हिन्दू जनजागृति समिति, सनातन संस्था के साथ अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन भी सहभागी थे।

समन्वय समिति ने निम्न मुद्दों पर मा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से मांगे की है -

सबसे पहले बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले, घरों की लूट, मंदिरों पर हमले, मूर्तियों की तोड़फोड़, महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए वहां की सेना को कठोर निर्देश दिए जाएं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ते हमलों को देखते हुए वहां के हिंदुओं को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए और उन्हें तुरंत सुरक्षा प्रदान की जाए। अब तक वहां के हिंदुओं की जो जान या संपत्ति की हानि हुई है, उसकी तुरंत भरपाई की जाए। 

भारत सरकार को इस विषय को तुरंत ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ में उठाकर बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रतिनिधिमंडल को भेजने की मांग करनी चाहिए। बांग्लादेश में हिंसा के कारण जो हिंदू विस्थापित होकर भारत में शरण मांग रहे हैं, उन्हें ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (सीएए) के माध्यम से भारत सरकार शरण दे। साथ ही पहले से ही लगभग 5 करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिए भारत में घुसे हुए हैं, इस घटना के बाद फिर से इस घुसपैठ की संभावना को देखते हुए भारतीय सीमा पर कड़ा बंदोबस्त किया जाए।

इन मांगों को लेकर धनबाद जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन भी दिया गया।

राज्य स्तरीय तीरंदाजी स्पर्धा में धनबाद जिला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन


रांची: विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर पर्यटनकला-संस्कृति, 

खेलकूद एवं युवा विभाग द्वारा राँची में आयोजित राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में धनबाद जिला का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। 

जिला खेल पदाधिकारी, दिलीप कुमार ने जानकारी दी कि विभागीय राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता के पुरुष स्पर्धा अंडर 19 में धनबाद जिला के शिवा हांसदा ने बाजी मारी। 

वहीं महिला अंडर 19 तीरंदाजी में धनबाद की बिमल सोरेन ने प्रथम स्थान पर कब्जा किया।

19 वर्ष से ऊपर तीरंदाजी स्पर्धा में धनबाद जिला की प्रियंका हांसदा ने राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया वहीं इस प्रतियोगिता में प्रियंका कुमारी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया।

तीरंदाजी स्पर्धा में धनबाद जिला का नाम राज्य स्तर पर रौशन करने पर विजेताओं को माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, माननीय खेल मंत्री श्री हफीजुल हसन द्वारा सम्मानित किया गया। माननीय मुख्यमंत्री ने सभी विजेताओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करने हुए शुभकामनाएं दी। तीरंदाजी कोच नामित कुमारी टुडू ने बताया कि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्पर्धा में धनबाद ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।