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परिणय सूत्र में बंधे लोहरदगा के एसपी हरीश बिन जमां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दी बधाई


रांची रांची के यातायात एसपी के पद पर सिंघम के किरदार में नजर आ चुके और ग्रामीण एसपी रांची के पद पर रहते हुए बहुत कम समय में जंगलों में दहाड़ लगाने से लेकर वर्तमान में लोहरदगा जिला के एसपी पद पर पदस्थापित हरीश बिन जमां परिणय सूत्र में बंध गये हैं। 

हारीश बिन जमां की शादी बिहार के आइपीएस शैफुल हक की सुपुत्री नेहार आफरीन के साथ सात अगस्त को पटना में हुई और रिसेप्शन 10 अगस्त को रांची के स्वर्ण भूमि बैंक्विट हॉल में भव्य रिसेप्शन पार्टी का आयोजन किया गया। यहां पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

 पहुंचकर न सिर्फ दूल्हा दुल्हन को आशीर्वाद दिये,बल्कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने जन्मदिन का केक भी दूल्हा-दुल्हन के साथ काटा और सेलिब्रेट किये।

 इस मौके पर अल्पसंख्यक मंत्री हफीजुल हसन,मुख्य सचिव एल ख्यांगते,डीजीपी अनुराग गुप्ता, आइजी अभियान वेनुकांत होमकर,डीआईजी कार्मिक नौशाद आलम,आईजी अखिलेश झा,डीआईजी अनूप बिरथरे, एटीएस एसपी ऋषभ झा,गैंग्स ऑफ़ वासेपुर फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर एवं हिंदी फिल्म के निर्माता-निर्देशक जीशान कादरी, रांची एसएसपी चंद उपस्थित थे.

सीआईडी रिपोर्ट में धनबाद जेल में हुए गैंगस्टर अमन सिंह हत्याकांड में बड़ा खुलासा!

धनबाद : झारखंड के धनबाद जेल में अमन सिंह को मारने के लिए मोबाइल पर कोड वर्ड में दो ब्रेटा पिस्टल जेल के बाहर से मंगाये गये थे। जेल सिपाही शिव स्नेही ने गेट पर पिस्टल को रिसीव किया था जबकि जेल जमादार जितेंद्र सिंह ने खाने के पैकेट में भरकर पिस्टल और गोलियों को विकास बजरंगी के वार्ड तक पहुंचाया था। 

वर्ष 2023 की तीन दिसंबर को उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर अमन सिंह को जेल में गोलियों से भून दिया था। मौके पर ही अमन की मौत हो गयी थी।

अमन सिंह मर्डर केस की जांच कर रही झारखंड सीआईडी की पूरक चार्जशीट से मामले में इस बात का खुलासा हुआ है।

 सीआईडी की पूरक चार्जशीट के अनुसार, यूपी जौनपुर निवासी राहुल सिंह राजपूत ने जांच एजेंसी को दिये गये बयान में उक्त अहम जानकारी दी है। सीआईडी ने धारा 164 के तहत राहुल सिंह का बयान कोर्ट में दर्ज कराया है।

 इस मामले में अब तक रितेश यादव उर्फ सुंदर महतो, विकास कुमार उर्फ विकाश बजरंगी, सतीश कुमार उर्फ गांधी, चंदन यादव उर्फ ब्रजेश यादव, सहजाद कुरैशी, बंटी उर्फ धनु वर्मा, पिंटू सिंह उर्फ जयनेंद्र कुमार, अभिमन्यु कुमार सिंह के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है।

जेल में विकास बजरंगी और अमन सिंह के बीच हुआ था विवाद

राहुल ने सीआईडी को बताया कि एक माह पहले कतरास के कोयला कारोबारी मनोज यादव की हत्या में धनबाद जेल में बंद विकास बजरंगी और अमन सिंह के बीच विवाद हुआ था। अमन सिंह ने विकास के घरवालों को जान से मारने की धमकी दी थी। वहीं विकास ने भी अमन को मारने की चेतावनी दे डाली थी।

 मर्डर से कुछ ही दिन पहले अमन सिंह का करीबी राहुल सिंह अपने गैंग के वैभव यादव से मिलने विकास बजरंगी के वार्ड में गया था। उस दिन उसने विकास को किसी से फोन पर बातचीत करते सुना था। विकास किसी से कोड वर्ड में कह रहा था कि दो सेट और 40 चना भेज देना। 

खाने के पैकेट में डाल कर गेट पर सिपाही स्नेही को देने का निर्देश दिया था। एक घंटे बाद जमादार जितेंद्र सिंह वहां पर थैला में खाने का पैकेट लेकर पहुंचा था।

 सीआईडी जांच में यह भी खुलासा हुआ था कि स्टोर रूम में सब्जी के झोले में छिपा कर पिस्टल रखे गये थे।

सेवक सुंदर महतो ने ही अमन सिंह को भून डाला

गैंगस्टर अमन सिंह को अपनी जान का खतरा था। इसलिए वह अपने आसपास किसी को भटकने तक नहीं देता था। जेल में गिने-चुने ही लोग थे, जो उसके वार्ड से बाहर आने के बाद उससे मिलते व बात करते थे। लेकिन रितेश यादव उर्फ सुंदर महतो जेल के अंदर आते ही उसका करीबी बन गया। सोर्सेज का कहना है कि 25 नवंबर को रितेश जेल में आया। जेल आने के दो दिन के बाद ही रीतेश अमन सिंह का सेवक बन गया। 

वह अमन सिंह का पैर दबाने का काम करता था। लेकिन अमन को कहां पता था जो उसका पैर दबा रहा है, वही उसका कातिल बन जायेगा। सुंदर ने अमन को गोलियों से भून डाला था।वह जानबूझकर बाइक चेकिंग के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़ जेल के अंदर आया था। 

पकड़ाने के दौरान सुंदर ने अपने नाम के आगे महतो लगाकर खुद को स्थानीय बताया था। शातिराना अंदाज में वह जेल पहुंचा और काम तमाम कर दिया। गहन जांच में खुलासा हुआ था कि वह कोई अदना सुंदर महतो नहीं बल्कि रितेश यादव है।

इस रिपोर्ट के खुलासे के साथ धनबाद जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा हुआ है कि कैसे एक एक साजिश के तहत गैंगेस्टर अमन सिंह की हत्याकांड को अंजाम दिया गया …हालांकि अमन की मौत के बाद धनबाद में रंगदारी और दहशत के कारोबार में कमी आई है..धनबाद को अपराध से मुक्त करने के लिए अभी भी झारखंड पुलिस लगी हुई है..खासकर भगौड़े गैंगेस्टर की गिरफ़्तारी के लिए एक विशेष अभियान में लगी हुई है..धनबाद में अमन की शांति की लिए अब बहुत कुछ किया जाना बाकी है..

तीन स्पेशल ट्रेनों के परिचालन से बिहार और झारखंड से दक्षिण भारत की ओर जाने यात्रियों को मिलेगी बहुत बड़ी राहत

धनबाद : बिहार-झारखंड से केरल और तमिलनाडु जाना अब आसान हो जाएगा। रेलवे ने बिहार-झारखंड के मजदूरों को बड़ी खुशखबरी दी है।

 बिहार-झारखंड से केरल और तमिलनाडु जाने के लिए तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनें को परिचालन होना है। इन ट्रेनों की शुरूआत लोगों की बहती संख्या को देख कर की गई है। अब

 बिहार-झारखंड के मजदूरों का केरल तमिलनाडु जाना आसान होगा। 

दरअसल, पहले से चल रही तीन जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का समय बढ़ा दिया गया है। ट्रेन नंबर 06085 एर्नाकुलम-पटना स्पेशल अब 16 अगस्त 2024 से 6 सितंबर 2024 तक हर शुक्रवार को एर्नाकुलम से चलेगी। वापसी में, ट्रेन नंबर 06086 पटना-एर्नाकुलम स्पेशल 19 अगस्त 2024 से 9 सितंबर 2024 तक हर सोमवार को पटना से चलेगी।

वहीं कोयंबटूर से बरौनी के लिए भी स्पेशल ट्रेन है। ट्रेन नंबर 06059 कोयंबटूर-बरौनी स्पेशल 13 अगस्त 2024 से 3 सितंबर 2024 तक हर मंगलवार को चलेगी। बरौनी से वापस आने के लिए, ट्रेन नंबर 06060 बरौनी-कोयंबटूर स्पेशल 16 अगस्त 2024 से 6 सितंबर 2024 तक हर शुक्रवार को चलेगी।

धनबाद से कोयंबटूर जाने वालों के लिए, ट्रेन नंबर 06063 कोयंबटूर-धनबाद स्पेशल 16 अगस्त 2024 से 6 सितंबर 2024 तक हर शुक्रवार को चलेगी। वापसी में, ट्रेन नंबर 06064 धनबाद-कोयंबटूर स्पेशल 19 अगस्त 2024 से 9 सितंबर 2024 तक हर सोमवार को चलेगी।

इन तीन स्पेशल ट्रेनों के परिचालन से बिहार और झारखंड से दक्षिण भारत की ओर जाने वाले रेल यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि, बड़ी संख्या में छात्र, मजदूर या फिर इलाज करना के लिए लोग भी दक्षिण भारत जाते हैं। ऐसे में इन लोगों को बिहार-झारखंड से केरल और तमिलनाडु जाना आसान होगा।

झारखंड के दो दर्जन से अधिक आइएएस अधिकारियों का हुआ तबादला,

झा. डेस्क 

रांची । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर झारखंड के दो दर्जन से अधिक आइएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। इनमें मुख्यमंत्री के सचिव अरवा राजकमल भी शामिल हैं।

राज भवन में तैनात डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को कृषि विभाग का प्रधान सचिव बनाया गया है। इसके साथ ही प्रधान सचिव मस्तराम मीणा को अपने कार्यों के अलावा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव का दायित्व दिया गया है।

पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव सुनील कुमार को अपने कार्यों के अलावा नगर विकास एवं आवास विभाग के बीच जिम्मेदारी दी गई है।

खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के सचिव अमिताभ कौशल को हटाकर सूचना प्रौद्योगिकी विभाग का सचिव बनाया गया है।

अगले आदेश तक उनके पास वाणिज्य कर सचिव का भी प्रभार रहेगा। भवन निर्माण सचिव मनीष रंजन को श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान का निदेशक बनाया गया है।

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव राजेश शर्मा को आपदा प्रबंधन विभाग का सचिव बनाया गया है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।

पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका ख़ारिज,


आलम ने बताया अपने को निर्दोष तों ईडी ने दिया तर्क, प्रभावशाली होने के कारण कर सकते साक्ष्य को प्रभावित

झा. डेस्क 

झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम का कोर्ट ने जमानत खारिज की जमानत याचिका

झारखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम ने मई महीने में गिरफ्तारी के 64 दिनों बाद 18 जुलाई को जमानत की गुहार लगाई थी। दाखिल याचिका में अपने आप को मामले में निर्दोष बताया था।

झारखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम को झटका देते हुए कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। PMLA के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने आलम की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के कारण सबूतों को छिपा सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।

न्यायाधीश प्रभात कुमार शर्मा ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक खतरा है और यह अपराधियों द्वारा उचित साजिश, जानबूझकर डिजाइन और व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से किया जाता है, भले ही समाज और अर्थव्यवस्था पर इसका कोई असर न पड़े। आलमगीर आलम ठेकों में कमीशनखोरी से प्राप्त बड़ी रकम की मनी लांड्रिंग करने के आरोप में जेल में बंद है।

74 वर्षीय कांग्रेस नेता ग्रामीण विकास मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने नियमित जमानत के लिए अदालत का रुख किया था और कहा था कि वह बिल्कुल निर्दोष हैं और उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, जैसा कि आरोप लगाया गया है और उन्हें संदेह के आधार पर इस मामले में झूठा फंसाया गया है, जबकि उनके खिलाफ कोई कानूनी सबूत नहीं है।

ईडी की तरफ से विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने आलम को जमानत देने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आलम के खिलाफ अभियोजन शिकायत(चार्जशीट) दाखिल है और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत भी है। याचिकाकर्ता की ओर से 7 अगस्त को ही बहस पूरी कर ली गई थी और लगभग 1500 पन्नों की लिखित बहस अदालत में फाइल की गई थी। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

बता दें कि आलमगीर आलम को 15 मई को ईडी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के 64 दिनों बाद 18 जुलाई को जमानत की गुहार लगाई थी। दाखिल याचिका में उन्होंने अपने आप को निर्दोष बताया था। आलम की गिरफ्तारी उनके सचिव संजीव कुमार लाल एवं उसके नौकर जहांगीर आलम के यहां से मिले 32.30 करोड़ रुपए नकद बरामदी मामले में की गई थी। इसी मामले में ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम समेत नौ आरोपी जेल में है।

झारखंड पुलिस की बड़ी उपलब्धि,पलामू जिला के झपिया पहाड़ के जंगल से 10 लाख का इनामी नक्सली को दबोचा

झारखंड डेस्क 

झारखंड पुलिस ने पलामू जिला के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र स्थित झपिया पहाड़ के जंगल से 10 लाख के इनामी माओवादी कमांडर सीताराम रजवार उर्फ रमन रजवार को गिरफ्तार किया।

 शुक्रवार को उसे जेल भेज दिया। पलामू के विभिन्न थानों में उसपर 28 और बिहार के विभिन्न थाना में 23 मामले दर्ज हैं। वह मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के एनटीपीसी खैरा थाना क्षेत्र के सलैया गांव का रहने वाला है।

पलामू एसपी रीष्मा रमेशन ने शुक्रवार को मेदिनीनगर में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि हुसैनाबाद के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को माओवादी संगठन के टॉप कमांडर नीतेश यादव के दस्ते के जोनल कमांडर सीताराम रजवार उर्फ रमन रजवार, संजय यादव उर्फ गोदराम एवं अन्य के साथ झरगड़ा गांव से सटे झपिया पहाड़ के जंगल में जुटे होने की सूचना मिली थी।

बताया गया था कि वे किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में है। इस सूचना पर पुलिस अधीक्षक स्तर से हुसैनाबाद एसडीपीओ के नेतृत्व में टीम गठित की गई। टीम में थाना प्रभारी संजय कुमार यादव, लठेया पिकेट प्रभारी धर्मवीर कुमार यादव तथा सशस्त्र बल को शामिल कर दो टीम, झपिया पहाड़ के समीप पहुंचे। पुलिस को देखते चार-पांच की संख्या में लोग पहाड एवं जंगल की तरफ भागने लगे। पीछा करते हुए सशस्त्र बलों ने एक व्यक्ति को पकड़ लिया जिसकी पहचान 65 वर्षीय सीताराम रजवार के रूप में हुई है।

वहीं दूसरी ओर खूंटी पुलिस ने कामडारा थाना क्षेत्र के चुआंटोली स्थित मार्टिन केरकेट्टा के घर और उसकी ससुराल टंगराटोली में गुरुवार रात छापा मारा। एसपी अमन कुमार ने बताया कि तोरपा एसडीओपी ख्रिस्टोफर केरकेट्टा के नेतृत्व में की गई छापेमारी के क्रम में पूछताछ के लिए उसके साला पवन केरकेट्टा को हिरासत में लिया है। एसडीपीओ ने परिवारवालों से मार्टिन को आत्मसमर्पण कराने को कहा है। वहीं, एसपी ने भाकपा माओवादी और पीएलएफआई उग्रवादियों पर कार्रवाई के लिए ढाई घंटे तक मैराथन बैठक कर पुलिस पदाधिकारियों को कई दिशा-निर्देश दिए।

राजधानी रांची में लेवी वसूलने वालों से दहाशत,जमीन कारोबारी से उग्रवादी संघठन के नाम पर मांगी गयी एक करोड़ रूपये


झा. डेस्क 

इन दिनों झारखंड में व्यापार-कारोबार करने वाले सुरक्षित नहीं हैं.उनसे धमकी देकर पैसे वसूली का कारोबार खूब फल फूल रहा है. ताज़ा मामला झारखंड के राजधानी रांची से आ रहा है जहाँ जमीन कारोबारी से अपराधियों एवं उग्रवादी संगठन ने एक करोड़ रूपये कि मांग की है. मामला सुखदेवनगर थाना क्षेत्र की है.सुखदेवनगर मुहल्ला में रहने वाले जमीन कारोबारी जगदीश प्रसाद से एक करोड़ रुपए की लेवी मांगी गई है। 

इस संबंध में जमीन कारोबारी ने शुक्रवार को शाम सुखदेवनगर थाना में लिखित सूचना देकर जानमाल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। जमीन का धंधा करने वाले जगदीश के मोबाइल फोन पर व्हाट्सअप कॉल कर लेवी मांगने वाले ने स्वयं का परिचय पीएलएफआई के एरिया कमांडर के तौर पर दिया था। 

कॉल करने वाले उग्रवादी ने पांच दिन के अंदर रुपये नहीं देने पर गंभीर परिणाम भुगतने को चेताया था।

वर्ष 2022 में 30 मई को एक जमीन कारोबारी कमल भूषण की हुई थी हत्या

रातू रोड के मधुकम में रहने वाले जमीन कारोबारी कमल भूषण की ग्लैक्सिया मॉल के पास अपराधियों ने वर्ष 2022 में 30 मई को दिन में हत्या कर दी थी। इस मामले में अभी गवाही पूरी हो गई है। मामले में एक आरोपी मुनव्वर अफात सरकारी गवाह है। इस मामले में जल्द फैसला आ सकता है। कमल भूषण के साझेदार रहे डब्लू कुजूर, पत्नी सुशीला कुजूर, बेटा राहुल कुजूर, भाई छोटू कुजूर, मंजूर आलम, सोनू कुमार समेत अन्य जेल में बंद हैं।

दिवंगत कमल और जगदीश साथ करते थे कारोबार

पुलिस के मुताबिक, जमीन कारोबारी से नगड़ी थाना के दलादली ओपी क्षेत्र में आठ-दस साल पहले एक बड़े भूखंड पर चहारदीवारी खड़ा करने के एवज में लेवी की मांग की गई थी। जगदीश प्रसाद ने जमीन कारोबारी दिवंगत कमल भूषण के साथ मिलकर दलादली में एक भूखंड पर चहारदीवारी का निर्माण कराया था।

कमल भूषण की हत्या के बाद उसके मैनेजर की भी हुई थी हत्या 

कमल भूषण की हत्या के बाद मैनेजर संजय कुमार सिंह की भी पिछले साल पांच जुलाई को रातू रोड में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कमल भूषण की हत्या मामले आठ लोग जेल में बंद हैं। आरोपी डब्लू कुजूर, छोटू कुजूर, राहुल, यामिनी, साहिल बाड़ा, विवेक कुमार शर्मा, आकाश कुमार वर्मा, संदीप कुमार प्रसाद जेल में बंद हैं।

बोकारो थर्मल में नए श्रम अधीक्षक रंजीत कुमार ने ग्रहण किया पदभार


बोकारो : सहायक श्रमायुक्त कार्यालय बोकारो थर्मल में नए श्रम अधीक्षक सह सहायक श्रमायुक्त रंजीत कुमार ने 8 अगस्त को पदभार ग्रहण किया। इनसे पहले प्रवीण कुमार बोकारो थर्मल के श्रम अधीक्षक थे, जिनका तबादला धनबाद कर दिया गया है।

यहां बोकारो थर्मल में पदस्थापित नए श्रम अधीक्षक का स्वागत पूर्व श्रम अधीक्षक प्रवीण कुमार सहित अन्य कर्मचारियों ने गुलदस्ता देकर किया। साथ ही उन्हें शुभकामनाएं दी।

नव पदस्थापित श्रम अधीक्षक रंजित कुमार ने बताया कि क्षेत्र के मजदूरों के समस्याओं का पूर्ण समाधान करवाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। इसके अलावे सरकारी योजनाओं का लाभ हर महिला पुरुष मजदूरों को मिले, इसके लिए भी पहल तेज किया जाएगा। 

इस अवसर पर राजेश कुमार, एनके वर्मा, गणेश राम, लोकनाथ महतो, जगू महतो, मनोज सिंह सहित कई कर्मचारी व सहायक मित्र उपस्थित थे।

मैनहर्ट कंपनी ने किया सरयू राय पर कोर्ट में 100 करोड़ के मानहानि का दावा, राय ने कहा कोर्ट में दूंगा जवाब


झारखंड डेस्क 

मैनहर्ट कंपनी की ओर से जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय पर रांची के सिविल कोर्ट में 100 करोड़ की मानहानि का दावा करते हुए केस दर्ज किया गया है। 

कोर्ट में दाखिल आवेदन में कहा गया है कि सरयू राय द्वारा बार-बार मुद्दा उठा कर कंपनी पर अनियमितता का आरोप लगाकर 

 कंपनी की छवि खराब की जा रही है जिसके कारण कंपनी को आर्थिक क्षति हो रही है। ऐसे में अदालत कंपनी को 100 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाए।

मैनहर्ट कंपनी को यह बौखलाहट सरयू राय द्वारा लिखें गए एक किताब में मैनहर्ट का जिक्र किया है. इस सम्बन्ध में सरयू राय ने कहा कि वे इस केस को कोर्ट में लड़ेंगे.

उल्लेखनीय है कि कंपनी ने आरोप लगाया कि तत्कालीन सरकार ने सरयू राय के मुताबिक निर्णय नहीं लिया गया तो मामले को विवादित करते रहे। इस मुद्दे पर किताब लिखकर भी मानहानि की है।

कंपनी ने दावा किया है कि रांची में वर्ष 2005-06 में सीवरेज-ड्रेनेज की कंसल्टेंसी के संबंध में प्रारंभ से लेकर अंत कर सारे निर्णय कैबिनेट या सक्षम स्तर से लिए गए हैं। शुरू में यह कार्य ओआरजी कंपनी को दिया गया था, लेकिन उसका कार्य संतोषजनक नहीं होने पर उस कंपनी का कार्यादेश निरस्त कर दिया गया। 

सरयू राय कंपनी पर शुरू से ही अनेकों बार अलग-अलग आरोप लगाकर मुद्दा उठाते रहे हैं। इस मामले की विभाग और एक्सपर्ट कमेटी ने जांच की। दो बार तत्कालीन महाधिवक्ता से मंतव्य लिया गया और सारे निर्णय कैबिनेट से लिए गए।

 इसको लेकर विधानसभा की इंप्लीमेंटेशन कमेटी के चेयरमैन के तौर पर सरयू राय मामले में जांचकर्ता बने। कमेटी की रिपोर्ट और हाईकोर्ट के निर्णय के बाद सरकार के उच्चस्तर पर निर्णय लेते हुए मैनहर्ट को काम करने और भुगतान करने का आदेश दिया गया।

सरयू राय ने कहा न्यायालय में इस केस का जवाब दूंगा 

पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने कहा कि घपला करने वालों की सम्मिलित साजिश है। ऐसा करके दोषी लोग सजा से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इतने लंबे समय के बाद कंपनी की नींद खुली है। 

इसके पीछे मंशा को आसानी से समझा जा सकता है। मैंने एक पुस्तक भी लिखी है लम्हों की खता। इसे पढ़कर भी बहुत कुछ जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने डोरंडा थाने में केस भी कराया है। न्यायालय में केस लड़ने के लिए वह तैयार हैं। यह चुनौती उन्हें स्वीकार है।

बांगलादेशी घुसपैठिये पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर हाईकोर्ट नाराज, कोर्ट ने क्या की टिप्पणी, पढ़िए पूरी खबर

झा. डेस्क 

दानियल दानिश द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुये झारखंड हाई कोर्ट ने संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े मामले को लेकर केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जाहिर की है.

 हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता है। वहां के हालात ठीक नहीं हैं। घुसपैठियों के मामले में केंद्र और राज्य सरकार उदासीन है। क्या घुसपैठियों के प्रवेश कर जाने के बाद ही केंद्र सरकार कार्रवाई करेगी।

एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की अदालत ने इंटेलिजेंस ब्यूरो(आईबी) के निदेशक, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त, सीमा सुरक्षा के महानिदेशक, और यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के महानिदेशक को प्रतिवादी बनाते हुए अगली तिथि को पक्ष रखने का निर्देश दिया। 

आईबी को सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी। बता दें कि संथाल इलाके में बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने को लेकर दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर की है।

सुनवाई के दौरान पूर्व निर्देश के आलोक में देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों द्वारा जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई। 

कोर्ट ने मौखिक कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए के आने की बात संज्ञान में लाई गई है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर अबतक जवाब नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण है।

घुसपैठियों के आधार और वोटर कार्ड का सत्यापन करे प्रशासन 

सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए फर्जी ढंग से आधार कार्ड और वोटर कार्ड बना रहे हैं। वहां की भोली-भाली आदिवासी लड़कियों से शादी कर उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। इसपर कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक कहा कि सरकार को संथाल परगना जैसे इलाकों में औचक निरीक्षण कर लोगों के आधार कार्ड एवं वोटर कार्ड का सत्यापन करना चाहिए, ताकि घुसपैठियों की पहचान हो सके। 

कोर्ट ने मौखिक कहा कि झारखंड में घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें तुरंत निकालना जरूरी है, अन्यथा और घुसपैठिए झारखंड आते रहेंगे। राज्य सरकार को झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस फोर्स को मजबूत कर घुसपैठियों को रोकना होगा। राज्य एवं केंद्र सरकार दोनों को देश एवं राज्य में घुसपैठ पर मिलकर काम करना होगा।

उपायुक्त द्वारा शपथपत्र दाखिल नहीं करने पर कोर्ट हुआ नाराज

पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने संथाल परगना के छह जिलों के उपायुक्तों की बजाय कनीय अधिकारियों द्वारा शपथपत्र दाखिल किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी। अदालत ने कहा था कि कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है। अदालत ने देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा के उपायुक्तों को दोबारा शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। अदालत ने सभी उपायुक्तों को यह निर्देश दिया था कि आपसी सामंजस्य से बांग्लादेश की तरफ से आने वाले घुसपैठियों को चिह्नित कर उन्हें वापस भेजने की एक कार्ययोजना तैयार कर काम करें। संबंधित जिलों के एसपी घुसपैठ का डाटा उपलब्ध कराने में उपायुक्तों को सहयोग करेंगे। मुख्य सचिव इन सभी की निगरानी करेंगे