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भारत छोड़ो' की याद, जब आम भारतीय 'करो या मरो' की शपथ लेकर सड़कों पर उतरे थे

नयी दिल्ली : 9 अगस्त 1942 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा जन आंदोलन शुरू हुआ। अंग्रेजों ने क्रूर दमन शुरू किया, लेकिन संदेश साफ था:

भारत छोड़ो आंदोलन, महात्मा गांधी, गांधी करो या मरो। 8 अगस्त, 1942 को बम्बई के गोवालिया टैंक मैदान में लोगों को संबोधित करते किया।

80 साल पहले आज ही के दिन - 9 अगस्त, 1942 को - भारत के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम के निर्णायक अंतिम चरण की शुरुआत की थी। यह औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक ऐसा जन-आंदोलन था जो पहले कभी नहीं देखा गया था, और इसने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्य अस्त होने वाला है।

महात्मा गांधी, जिन्होंने पिछले दिन (8 अगस्त) अंग्रेजों को "भारत छोड़ो" कहा था, पूरे कांग्रेस नेतृत्व के साथ पहले से ही जेल में थे, इसलिए जब 9 अगस्त की सुबह हुई, तो लोग अपने आप सड़कों पर थे - महात्मा के "करो या मरो" के आह्वान से प्रेरित होकर ।

बंगलादेश में हालत बदतर:ट्रकों में भरकर आ रहे लुटेरे हिंदू के घरों में लूटपाट,महिलाओं से रेप...स्थिति भयावह।


ढाका: नफरत की सबसे निर्मम झलक देखनी है तो बांग्लादेश आइए. यहां महिलाओं के चेहरों पर डर, बच्चों की खामोशी और बुजुर्गों की बेबसी आपको बताएगी कि यहां के हालात कितने खराब हैं. एक अच्छे कल के लिए बांग्लादेश की भीड़ ने शेख हसीना की सत्ता को तो उखाड़ फेंका था, लेकिन आज इस देश में जो हो रहा है उससे भविष्य के खतरे पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. देश में हर ओर अराजकता माहौल है. सड़कों पर इंसानियत, कानून और शर्म की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं.

डर के साए में जी रहे लोग

बांग्लादेश में हाल इतने बेहाल हैं कि लोग डर के साए में जी रहे हैं. लोगों के घरों को लूटा जा रहा है. रात भर लोग घरों में जग रहे हैं. उन्हें डर हैं कि कहीं उनके घर को लुटेरे निशाना न बना लें. ये हालात सिर्फ बांग्लादेश की राजधानी ढाका के ही नहीं हैं, बल्कि बांग्लादेश के हर कोने से ऐसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं.

महिलाओं से हो रहे रेप

हालात इतने खराब हैं कि लुटेरे ट्रकों में भरकर आ रहे हैं और पूरे-पूरे इलाके को टारगेट कर रहे हैं. घरों में लूट करने के साथ ही महिलाओं के साथ बलात्कार की भी घटनाएं सामने आ रही हैं. घरों को आग लगा दी जा रही है. बदमाश इतने बेखौफ हैं कि वह अधिकारियों और नेताओं किसी को नहीं छोड़ रहे हैं.

पुलिस नदारद, आर्मी का हेल्पलाइन नंबर बंद

कानून प्रवर्तन एजेंसियों की चल रही हड़ताल के कारण देश में कोई पुलिस नहीं है. सेना ने आतंकियों, बदमाशों और लुटेरों द्वारा किए गए हमलों के ऐसे किसी भी मामले की रिपोर्ट करने के लिए फोन नंबर उपलब्ध कराए हैं. लेकिन हालात ये हैं कि लोग जब इन नंबरों पर कॉल कर रहे हैं तो या तो कोई फोन नहीं उठा रहा या फिर नंबर ही बंद आ रहा है.

हिंदुओं पर हो रहे हमले

हिंदू उपद्रवियों के निशाने पर हैं. मंदिरों को जलाया जा रहा है. हिंदू समुदाय के लोगों का टारगेट करके मारा जा रहा है. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'द डेली स्टार' ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि देश के कम से कम 27 जिलों में भीड़ ने हिंदू घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर हमले किए, तोड़फोड़ और आगजनी की और सामान लूट लिया. खुद जमात-ए-इस्लामी ने माना है कि हिंदुओं पर हमले बढ़ गए हैं।

विश्व आदिवासी दिवस आज आईए जानते है विश्व आदिवासी दिवस क्या है? इस दिन का इतिहास क्या है? और इस दिन से जुड़ी खास बातें।


नयी दिल्ली : भारत में कुल आबादी की करीब 8 फीसदी आबादी आदिवासी लोगों की है।

साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 104 मिलियन लोग आदिवासी हैं। 

दुनियाभर के करीब 90 से भी अधिक देशों में आदिवासी निवास करते हैं।

विश्व आदिवासी दिवस : दुनिया भर में आज यानि 9 अगस्त के दिन विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उदेश्य पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले आदिवासियों का अस्तित्व दुनिया के सामने रखना और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है। गौरतलब है कि आदिवासी हमेशा से कई सामाजिक परेशानियों का सामना करते रहे हैं। ऐसे में हर देश की सरकारें इनकी हिफाजत और इन्हें सम्मान दिलाने के उद्देश्य से कड़े कदम उठाती रहती हैं। आज का यह खास दिन भी आदिवासियों को ही समर्पित है। तो चलिए जानते हैं विश्व आदिवासी दिवस क्या है? इस दिन का इतिहास क्या है? और इस दिन से जुड़ी खास बातें।

भारत में कितने हैं आदिवासी?

आज यदि समूचे भारत में देखा जाए तो कुल आबादी की करीब 8 फीसदी आबादी आदिवासी लोगों की है। यानि आंकड़ों में साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 104 मिलियन लोग आदिवासी हैं। वहीँ देश में सबसे अधिक आदिवासी लोग मध्य प्रदेश में निवास करते हैं। राज्य में रहने वाली कुल आबादी में से करीब 15 मिलियन लोग आदिवासी हैं।

क्या है इस दिन का इतिहास?

दरअसल इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1982 के दौरान जिनेवा में आयोजित एक बैठक में हुई थी। इस बैठक में मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की एक बैठक का आयोजन किया गया था।

इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह निर्णय लिया था कि आदिवासी लोगों के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए। जिसके बाद पहली बार दिसम्बर 1994 में महासभा ने इस दिन को मनाने का फैसला किया था।

क्या है इस दिन का उद्देश्य?

आज दुनियाभर के करीब 90 से भी अधिक देशों में आदिवासी निवास करते हैं। ये आदिवासी जंगलों से लेकर कस्बों और नगरों में निवास करते हैं और हजारों प्रकार की भाषाएँ बोलते हैं। इतनी अधिक आबादी होने के बावजूद भी आदिवासियों को कई बार अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। 

आदिवासियों की इसी अवस्था को देखते हुए उनके अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।

हिरोशिमा और नागासाकी दिवस आज,जाने इतिहास


 

नयी दिल्ली : हिरोशिमा और नागासाकी पर बमबारी मानव इतिहास की सबसे भयावह घटनाओं में से एक है। इस साल इस हमले की 79वीं वर्षगांठ है।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बमबारी के विनाश को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। 

6 अगस्त को 'लिटिल बॉय' और उसके बाद 9 अगस्त को 'फैट मैन' की भयावहता ने परमाणु निरस्त्रीकरण पर वैश्विक चर्चाओं को जन्म दिया। 

इस वर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के आत्मसमर्पण के कारण हुए परमाणु हमले की 79वीं वर्षगांठ है।

हिरोशिमा का एक दृश्य जलते हुए वाहन, फंसे हुए लोग, हमले के बाद हिरोशिमा कुछ ऐसा ही दिख रहा था।

इतिहास

हिरोशिमा और नागासाकी पर बम हमला द्वितीय विश्व युद्ध के समय का है। यह घटना दो तिथियों पर हुई।

हिरोशिमा दिवस: 6 अगस्त 1945 को, अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर लगभग 8:15 बजे परमाणु हथियार, 'लिटिल बॉय' गिराया था। तब से, यह दिन हजारों मौतों के शोक के अवसर के रूप में मनाया जाता है और जीवित बचे लोगों और आने वाली पीढ़ियों को श्रद्धांजलि दी जाती है। 

द्वितीय विश्व युद्ध की भयंकर धुआँ

नागासाकी दिवस: हिरोशिमा के विनाश के ठीक तीन दिन बाद अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम 'फैट मैन' गिराया। यह हमला जापान के नागासाकी शहर में सुबह करीब 11:02 बजे किया गया था। 

बमबारी के बाद भारी तबाही और जान-माल की हानि के साथ-साथ विकिरण जोखिम के कारण दीर्घकालिक प्रभाव भी देखने को मिले। मानव इतिहास में इस घृणित घटना ने वैश्विक निरस्त्रीकरण और शांति पहल को जन्म दिया। 

हर साल मनाया जाने वाला यह शोक हज़ारों निर्दोष लोगों की जान जाने के साथ-साथ बचे हुए लोगों और आने वाली पीढ़ियों पर पड़ने वाले स्थायी प्रभावों को श्रद्धांजलि देता है। इसके अलावा, इस दिन भविष्य की त्रासदियों को रोकने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और परमाणु खतरों से मुक्त दुनिया के लिए वकालत की जाती है।हिरोशिमा पर गिराया गया बम'बालकाई' का मॉडल हिरोशिमा में उतारा गया।

रोचक तथ्य

हिरोशिमा और नागासाकी दिवस से जुड़े कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:

संयुक्त राज्य अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने इतिहास में पहली और एकमात्र बार युद्ध में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया।

हिरोशिमा पर परमाणु हमले का कोडनाम "लिटिल बॉय" था, जबकि नागासाकी पर गिराए गए बम का नाम "फैट मैन" था। 

हिरोशिमा में एक माँ और बच्चापहले से ही पीड़ित एक माँ अपने घायल बच्चे की देखभाल कर रही है। 

लिटिल बॉय यूरेनियम से बना बम था, जबकि फैट मैन प्लूटोनियम से बना बम था।

आज का इतिहास: 1971 में आज ही के दिन भारत-पाकिस्तान ने मैत्री संधि पर किए थे हस्ताक्षर


नयी दिल्ली : देश और दुनिया में 9 अगस्त का इतिहास कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी है और कई महत्वपूर्ण घटनाएं इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गई है।

9 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 1996 में आज ही के दिन महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया था। 

2012 में इंडियन आर्मी ने परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 बैलेस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की थी।

1971 में 9 अगस्त को ही भारत-पाकिस्तान ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए थे। 1973 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने मार्स-07 का प्रक्षेपण किया था।

2012 में आज ही के दिन इंडियन आर्मी ने परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 बैलेस्टिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की थी।

2010 में 9 अगस्त को ही बंगाल ने पंजाब को हराकर 11 साल बाद संतोष ट्रॉफी राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता जीती थी।

2008 में आज ही के दिन अरदाल को राष्ट्रकुल संसदीय संघ (सीपीए) का नया अध्यक्ष चुना गया था।

2006 में 9 अगस्त को ही नेपाल सरकार और माओवादियों के बीच संयुक्त राष्ट्र निगरानी मुद्दे पर सहमति बनी थी।

1996 में 9 अगस्त के दिन ही भारतीय महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान चुना गया था।

1973 में आज ही के दिन सोवियत संघ ने मार्स-07 का प्रक्षेपण किया था।

1971 में 9 अगस्त को ही भारत-पाकिस्तान मैत्री संधि पर हस्ताक्षर हुए थे।

1971 में आज ही के दिन भारत और सोवियत संघ ने 20 साल की अनाक्रमण संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

1965 में 9 अगस्त को ही सिंगापुर मलेशियाई संघ से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना था।

1963 में आज ही के दिन रूस की राजधानी मास्को में परमाणु हथियारों की परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर करने वाला भारत पहला देश बना था।

1945 में 9 अगस्त को ही अमेरिका ने जापान के नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया था।

1942 में आज ही के दिन स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने मलाया (मलेशिया) में जापान की मदद से इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापना की थी।

9 अगस्त को जन्में प्रसिद्ध व्यक्ति

1975 में आज ही के दिन भारतीय अभिनेता महेश बाबू का जन्म हुआ था।

1937 में 9 अगस्त के दिन ही हिंदी के साहित्यकार अभिमन्यु अनत का जन्म हुआ था।

1933 में आज ही के दिन आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध गद्यकार, उपन्यासकार और पत्रकार मनोहर श्याम जोशी का जन्म हुआ था।

1909 में 9 अगस्त के दिन ही ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ भाषा के प्रमुख साहित्यकार विनायक कृष्ण गोकाक का जन्म हुआ था।

1892 में आज ही के दिन विख्यात पुस्तकालाध्यक्ष और शिक्षाशास्त्री एस. आर.रंगनाथन का जन्म हुआ था।

1893 में 9 अगस्त के दिन ही उपन्यासकार शिवपूजन सहाय का जन्म हुआ था।

1631 में आज ही के दिन अंग्रेजी कवि, नाटककार और आलोचक जॉन ड्राइडन का जन्म हुआ था।

9 अगस्त को हुए निधन

2016 में आज ही के दिन अरुणाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री कलिखो पुल का निधन हुआ था।

2002 में 9 अगस्त के दिन ही प्रसिद्ध कथावाचक और हिंदी साहित्यकार रामकिंकर उपाध्याय का निधन हुआ था।

1970 में आज ही के दिन जीवन के 30 वर्ष जेल में बिताने वाले स्वतंत्रता सेनानी त्रिलोकनाथ चक्रवर्ती का निधन हुआ था।

9 अगस्त के प्रमुख उत्सव

नागासाकी दिवस

भारत छोड़ो आन्दोलन स्मृति दिवस

विश्व आदिवासी दिवस

आज का इतिहास:1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी।


नयी दिल्ली : 8 अगस्त का इतिहास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि 2010 में तेजस्विनी सावंत ने म्यूनिख में आयोजित विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता के 50 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था। 

1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी। 1947 में 8 अगस्त को ही पाकिस्तान ने अपने नेशनल फ्लैग को मंजूरी दी थी। 1899 में आज ही के दिन एटी मार्शल ने रेफ्रिजरेटर का पेटेंट कराया था।

2010 में आज ही के दिन म्यूनिख में आयोजित विश्व निशानेबाजी प्रतियोगिता के 50 मीटर की स्पर्धा में तेजस्विनी सावंत ने गोल्ड मेडल जीता था।

2007 में 8 अगस्त को ही एक्सनाना गुसमाओ पूर्वी तिमोर के प्राइम मिनिस्टर बने थे।

2004 में आज ही के दिन जापान ने चीन को हराकर एशिया कप फ़ुटबॉल जीता था।

2003 में 8 अगस्त को ही 15 छोटे देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ में ताइवान की सदस्यता का समर्थन किया था।

1994 में 8 अगस्त को ही चीन और ताइवान के जनप्रतिनिधियों ने सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

1991 में आज ही के दिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तरी और दक्षिण कोरिया की सदस्यता को मंजूरी दी थी।

1988 में 8 अगस्त को ही अफगानिस्तान में 9 साल के युद्ध के बाद रूसी सेना की वापसी शुरू हुई थी।

1947 में आज ही के दिन पाकिस्तान ने अपने नेशनल फ्लैग को मंजूरी दी थी।

1945 में 8 अगस्त को ही सेकंड वर्ल्ड वाॅर में सोवियत संघ ने जापान के खिलाफ युद्ध की घोषणा की थी।

1945 में आज ही के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर साइन किया था। 

1942 में 8 अगस्त को ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने बंबई सेशन में भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया था।

1919 में आज ही के दिन रावलपिंडी संधि के तहत ब्रिटेन ने अफगानिस्तान की आजादी को मान्यता दी थी।

1900 में 8 अगस्त को ही बोस्टन में पहले डेविस कप सीरीज की शुरुआत हुई थी।

1899 में आज ही के दिन एटी मार्शल ने रेफ्रिजरेटर का पेटेंट कराया था।

1700 में आज ही के दिन डेनमार्क और स्वीडन में शांति संधि पर साइन हुए थे।

दुर्दशा : कभी यमुना से भी साफ थी दिल्ली-NCR की हिन्डन यानी हरनंदी नदी


अब नाला भी इससे लगता है साफ,किनारे बने हैं शमशान, कभी होती थी गाजियाबाद की पहचान

नयी दिल्ली : 30 साल पहले तक हरनंदी यानी हिंडन नदी संयुक्त गाजियाबाद की पहचान होती थी, लेकिन गौतमबुद्ध नगर का गठन होने और यहां औद्योगीकरण की दौड़ शुरू होने के बाद इस नदी की दशा दिन प्रतिदिन खराब होती चली गई.आज स्थिति यहां तक आ गई है कि यह नदी नाले से भी बदतर हालत में पहुंच गई है।

बहुत ज्यादा तो नहीं, अभी 30 साल पहले तक गाजियाबाद और नोएडा के लिए हिंडन नदी जीवन दायिनी थी. लोग तीज त्योहारों में इस नदी में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करते थे. उस समय तक यह नदी इतनी साफ थी कि लोग इस नदी के जल से आचमन तक कर लेते थे, लेकिन इन 30 सालों में इस नदी की दशा ही बदल गई है. 

इस समय तो हालत ऐसे हो गए हैं कि नोएडा गाजियाबाद के नाले भी इस नदी से साफ नजर आते हैं. यमुना की प्रमुख सहायक नदियों में शामिल हिंडन के किनारों पर इस प्रकार से अतिक्रमण हो गया है कि कई स्थानों पर लगता ही नहीं कि यह नाला है कि नदी.

इस नदी की मौजूदा स्थिति पर चर्चा शुरू करने से पहले इसकी ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थिति को जान लेना बेहद जरूरी है. हिंडन नदी को पौराणिक ग्रंथों में बेहद पवित्र माना गया है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हिमालय के ऊपरी से निकलने वाली इस नदी के किनारों पर कई ऋषि मुनियों के आश्रम रहे हैं. 

महर्षि वाल्मिकी ने रामायण में इस नदी का कई बार जिक्र किया है. इसी प्रकार श्रीमद भागवत महापुराण और स्कंद पुराण में भी इस नदी के प्रसंग कई जगह मिलते हैं. इस नदी का उद्गम शिवालिक पर्वतमाला में शाकंभरी देवी की पहाडियों में है. यहां आज भी इस नदी की कलकल धारा सनातन धर्मियों को सहज ही आकर्षित करती है.

400 किमी चलकर दिल्ली पहुंचती है हरनंदी

पूर्ण रूप से बारिश के पानी पर आश्रित होने के बावजूद इस नदी का बेसिन क्षेत्र करीब 7083 वर्ग किमी में फैला है. साल के 12 महीने और 365 दिन इसमें जलधारा प्रवाहित होती है. सहारनपुर से चलकर यह नदी गंगा और यमुना के मध्य में करीब 400 किमी का सफर तय करते हुए मुजफ्फरनगर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और नोएडा के रास्ते दिल्ली में प्रवेश करती है और कुछ दूरी चलकर यमुना में मिल जाती है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक प्राचीन काल में इस नदी के किनारों पर कई महान ऋषियों के आश्रम हुआ करते थे.

रावण ने यहीं पर की शिव तांडव स्त्रोतम की रचना

त्रेता युग में राक्षस राज रावण के नाना पुलस्य ऋषि और रावण के पिता विश्रस्वा ऋषि का आश्रम इसी हिंडन के किनारे हुआ करता था. मान्यता है कि नोएडा के बिसरख स्थित विश्रस्वा आश्रम में ही खुद रावण भी अपने किशोरावस्था तक रहा है. 

महर्षि वाल्मिकी के रामायण में कई जगह इस बात का जिक्र मिलता है. इसमें कहा गया है कि रावण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भी यहीं पर हासिल की थी. मान्यता है कि रावण ने भगवान शिव की स्तुति के लिए महान शिव तांडव मंत्र की भी रचना यहीं पर की और उसे गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर में सिद्ध किया था. द्वापर युग में तो इस नदी के किनारे दर्जनों ऋषियों के आश्रम होने के प्रमाण मिलते हैं.

दो एमजी से भी नीचे पहुंच गया आक्सीजन

कलियुग में इस नदी की महत्ता गिरती चली गई. नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) जिला बनने से पहले तक यह नदी गाजियाबाद महानगर की पहचान होती थी. लेकिन अब यह नदी गंदे नाले से भी बदतर स्थिति में आ चुकी है. स्थिति यहां तक आ चुकी है कि इस नदी का पानी पीना तो दूर, अब छूने लायक भी नहीं रहा. नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि इसमें आक्सीजन की मात्रा अपने न्यूतनतम स्तर को प्राप्त कर चुकी है. इसके चलते जलीय जीवों का अस्तित्व पहले ही खत्म हो चुका है. वहीं अब तो कई जगह नदी में धारा भी नहीं बची. 

हिंडन नदी पर शोध करने वाले डॉ. प्रसूम त्यागी कहते हैं कि नदी के पानी में ऑक्सीजन का स्तर 60 लाख मिलीग्राम प्रति लीटर या इससे अधिक होना चाहिए. लेकिन इस समय महज दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर है.

फिर भी है मोक्षदायिनी

इतनी दुर्दशा के बावजूद हिंडन नदी आज भी गाजियाबाद और नोएडा वासियों के लिए मोक्षदायिनी है. आज भी इन दोनों शहरों के करीब 90 फीसदी श्मशान इसी नदी के किनारों पर हैं. इनमें कई श्मशान तो ऐसे भी हैं, जिनमें चिता की अग्नि कभी ठंडी ही नहीं होती. आस्था ऐसी है कि लोग आज भी इसी नदी के रास्ते भवसागर पार करने की अपेक्षा रखते हैं. इस नदी के हालात और इससे जुड़ी आस्था को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट भी कई बार हस्तक्षेप कर चुका है. पिछले महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को कड़ी फटकार लगाई थी और इसकी सफाई और पुर्नजीवन के लिए कार्य योजना मांगी थी.

इस लिए बनी ये स्थिति

गाजियाबाद नोएडा में इंडस्ट्री बढ़ने के साथ यहां आबादी भी बीते 30 सालों में तेजी से बढ़ी है. चूंकि इन दोनों शहरों के विस्तारीकरण करते समय अधिकारियों ने फूलप्रूफ कार्ययोजना नहीं बनाई, ऐसे में यहां के उद्योगों और आवासीय क्षेत्रों से निकलने वाला गंदा पानी हिंडन में गिरने लगा. 

देखते ही देखते स्थिति यहां तक आ पहुंची कि पूरी नदी ही इन दोनों शहरों के लिए नाला बन गई. पिछले कुछ समय में आई जागरुकता की वजह से इस नदी में गिरने वाले कई नालों का रूख मोड़ा गया है, लेकिन इस नदी को पुर्नजीवित करने के लिए अभी काफी काम करने बाकी हैं.

नई योजनाओं से बढ़ी उम्मीद

इस नदी की दशा और दिशा में सुधार के लिए गाजियाबाद और नोएडा विकास प्राधिकरण में कई योजनाओं पर मंथन चल रहा है. इसमें सबसे अहम गाजियाबाद का नाम बदलकर हरनंदी नगर रखने की योजना है. इस योजना के तहत शहर का नाम बदलने के साथ मुख्य फोकस इस नदी पर रखना है. इसमें इसकी सफाई से लेकर इसके पुर्नजीवित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जाना है. 

इसी क्रम में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने अपनी बोर्ड बैठक में एक नई टाउनशिप हरनंदीपुरम को मंजूरी दे दी है. इस टाउनशिप में हिंडन रिवर फ्रंट बनाने की योजना है.

ये भी है योजना

एक अनुमान के मुताबिक गाजियाबाद और नोएडा के करीब दो सौ से अधिक नाले और नालियां हिंडन में गिरती हैं. दोनों विकास प्राधिकरणों ने अब योजना बनाई है कि इन सभी नाले नालियों को डायवर्ट किया जाएगा. इन नाले नालियों के पानी को पहले ट्रीट किया जाएगा और उसके बाद जरूरी हुआ तो साफ हुए पानी को हिंडन में छोड़ा जाएगा. इससे हिंडन को साफ करने में मदद तो मिलेगी ही, इसे पुर्नजीवित भी किया जा सकता है. हालांकि इस योजना पर अमल कब तक होगा, इस संबंध में अभी तक कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है।

वाराणसी में गुस्से में मां गंगा लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण छत पर हो रही विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती


वाराणसी : यूपी के वाराणसी में गंगा गुस्से में दिखाई दे रही है. लगातार बढ़ता गंगा का जलस्तर तेजी से खतरे के निशान की तरफ बढ़ रहा है. घाट और मंदिर डूबने के बाद अब विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती पर भी बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है।

लगातार चार बार गंगा आरती का स्थान बदलने के बाद अब दशाश्वमेध घाट के सीढ़ियों पर नहीं बल्कि छत पर गंगा आरती की जा रही है.

इस दौरान भक्तों की संख्या को भी सीमित कर दिया गया है. मंगलवार को गंगा सेवा निधि के छत पर सांकेतिक तौर पर आरती की गई है. 

गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि जब घाटों की पूरी सीढियां जलमग्न हो गई तो अब गंगा आरती का आयोजन छत पर होने लगी. अब जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक छत पर ही आरती होती रहेगी.

खतरे के निशान के तरफ बढ़ रही गंगा

केंद्रीय जल आयोग के अनुसार वाराणसी में मंगलवार की सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 66.46 मीटर रहा. जो शाम को बढ़ने के साथ 67 मीटर के करीब पहुंच गया. अब भी गंगा के जलस्तर में 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ाव जारी है.

छत पर हो रहा अंतिम संस्कार

वाराणसी में गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण नाव संचालन पर पहले ही रोक लगा दी गई है. वाराणसी के सभी 84 घाटों का संर्पक मार्ग आपस मे टूट गया है और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह भी छत पर हो रहा है. इसके अलावा लगातार बढ़ते जलस्तर के कारण निचले इलाकों में रहने वालों में खलबली भी मची है।

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन,लंबे समय से थे बीमार,80 साल के उम्र में ली अंतिम सांस


पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया है. उन्होंने गुरुवार को अंतिम सांस ली. वह 80 साल के थे. बुद्धदेव भट्टाचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने नवंबर 2000 से मई 2011 तक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।वह दक्षिण कोलकाता के बालीगंज इलाके में दो कमरे के एक छोटे से सरकारी अपार्टमेंट में रहते थे. बुद्धदेव सीपीएम के पोलित ब्यूरो सदस्य थे.

वह क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से पीड़ित थे और पिछले कुछ वर्षों में बहुत कम ही वह घर से निकले थे. उन्हें आखिरी बार 2019 में बाहर देखा गया था जब वह सीपीआई (एम) की एक रैली में गए थे, लेकिन धूल से एलर्जी के कारण वह शामिल नहीं हो सके और घर लौट आए।

बुधवार को ही बिगड़ गई थी तबीयत

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पूर्व सीएम ने गुरुवार सुबह नाश्ता भी किया लेकिन जल्द ही उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि उनकी तबीयत बुधवार को ही बिगड़ गई थी और उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।हालांकि, उन्हें चिकित्सा सहायता दी गई और गुरुवार सुबह 11 बजे एक डॉक्टर को उनसे मिलने जाना था.

2011 के चुनाव में मिली हार

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने 2011 के राज्य चुनावों में सीपीएम का नेतृत्व किया था. हालांकि सीपीएम को हार मिली थी. उस चुनाव में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, जिससे पूर्वी राज्य में कम्युनिस्ट शासन समाप्त हो गया था।

2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान सीपीएम ने बंगाल के मतदाताओं को संबोधित करने के लिए बुद्धदेव भट्टाचार्य का एक AI भाषण जारी किया था. उन्होंने मतदाताओं से बीजेपी और तृणमूल दोनों को खारिज करने का आग्रह किया था. बुद्धदेव भट्टाचार्य एक कवि और अनुवादक थे.

पति के नाम पर जया बच्चन के भड़कने के बाद, अमिताभ ने किया क्रिप्टिक पोस्ट

नयी दिल्ली : अमिताभ बच्चन से शादी के बाद जया भादुड़ी ने उनके सरनेम को खुशी से स्वीकार किया, लेकिन राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने उन्हें 'जया अमिताभ बच्चन' कहकर पुकारा, तो वे भड़क गईं और उनसे अपने पति अमिताभ के नाम का मतलब पूछ लिया. दरअसल, जया बच्चन को यह नया चलन पसंद नहीं आया कि महिलाएं अपने पतियों के नाम से पहचानी जाएं।

जया बच्चन के नाम पर विवाद के बाद अमिताभ बच्चन ने एक क्रप्टिक पोस्ट किया है.जया बच्चन को पिछले हफ्ते भी जब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने 'जया अमिताभ बच्चन' कहकर संबोधित किया, तो उन्होंने अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया था।

उन्होंने याद दिलाया कि वे अपनी पहचान के लिए पति के नाम पर निर्भर नहीं हैं, हालांकि हरिवंश नारायण सिंह ने तर्क में कहा कि उनके दस्तावेजों में उनका नाम 'जया अमिताभ बच्चन' दर्ज है. सभापति जगदीप धनखड़ ने भी उन्हें 'जया अमिताभ बच्चन' कहकर पुकारा, तो उन्होंने पूछा, 'आपको अमिताभ का मतलब पता है?' जया बच्चन की राज्यसभा के सभापति से नाराजगी के बाद अमिताभ बच्चन ने एक नई पोस्ट शेयर की है. अमिताभ बच्चन ने एक्स प्लेटफॉर्म पर समय को लेकर एक क्रिप्टिक पोस्ट किया है।

हालांकि यह जया बच्चन और संसद में नाम को लेकर उनकी आपत्तियों से जुड़ा नहीं लगता है. पोस्ट पढ़कर लगता है कि बिग बी 'कौन बनेगा करोड़पति' के नए सीजन के चलते बिजी कार्यक्रम का जिक्र कर रहे हैं. 

अमिताभ ने हिंदी में लिखा, 'समय बड़ा बलवान! काम के लिए समय निकाल रहे हैं.' उन्होंने अपने ब्लॉग पर भी समय को लेकर अपने विचार साझा किए. उन्होंने अपने ठिकाने के बारे में बताया. अमिताभ ने लिखा, 'काम के लिए भागना, काम से वापस आना, भागमभाग मची हुई है, लेकिन काम के बीच भी शुभचिंतकों और फैंस से जुड़ने के लिए समय निकाल रहा हूं. मेरा आभार और प्यार.'

अमिताभ बच्चन ने आगे लिखा, 'कार्य में विविधता से एक अद्भुत संतुलन मिलता है. फिल्म, टीवी, म्यूजिक, विज्ञापन, कैंपेन और सबसे खास है : बाबू जी के शब्दों की रिकॉर्डिंग. वे अनंत काल तक जीते हैं.'

बिग बी ने पोस्ट के आखिर में लिखा, 'उन लोगों को इन्हें सुनाना जो शब्दों को समझते हैं और उनमें खुद को पाते हैं, कवि की सबसे बड़ी चुनौती और आश्चर्य है. यह सर्वशक्तिमान का उपहार है. मेरा प्यार और बहुत कुछ.'

हरिवंश नारायण सिंह से नाम को लेकर बहस के कुछ दिनों बाद जया बच्चन को विवाद का मजाक उड़ाते हुए देखा गया था, जिससे संसद में भी कुछ हंसी-मजाक हुई. लेकिन यह सोच पाना भी मुश्किल था, जब जया बच्चन ने पति के नाम से पुकारे जाने पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर तंज कसा.

उपराष्ट्रपति ने जया को चुनाव प्रमाणपत्र पर नाम बदलने का सुझाव दिया. हालांकि, जया ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. जया बच्चन ने कहा, 'नहीं सर. मुझे बहुत गर्व है. मुझे अपने नाम और अपने पति और उनकी उपलब्धियों पर गर्व है. ये ड्रामा आप लोगों ने नया शुरू किया है, ऐसा पहले नहीं था।