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सिपाही भर्ती परीक्षा से पहले 16 प्रवेश पत्र के साथ दो युवक गिरफ्तार
दरभंगा केन्द्रीय चयन पर्षद द्वारा आयोजित सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा से पहले बुधवार को कोतवाली थाना क्षेत्र के एक होटल से छापेमारी कर एक युवक को 16 अभ्यर्थियों के प्रवेशपत्रों के साथ गिरफ्तार किया गया।

गिरफ्तार युवक की पहचान समस्तीपुर जिला के हथौड़ी थाना क्षेत्र अन्तर्गत अखतवाड़ा निवासी दीपक कुमार सिंह के रूप में हुई है।

गिरफ्तार युवक की निशानदेही पर समस्तीपुर जिला के खानपुर थाना क्षेत्र अन्तर्गत मथनाहा निवासी शशिकांत सिंह शशि उर्फ कलमदेव को उस के घर से छापेमारी कर गिरफ्तार किया गया।

इस संबंध में सिटी एसपी शुभम आर्य ने बताया कि 7 अगस्त को केन्द्रीय चयन पर्षद द्वारा आयोजित सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा को लेकर कोतवाली थाना क्षेत्र अन्तर्गत पड़ने वाले सभी होटल लॉज को 6 अगस्त की रात करीब 1:30 बजे कोतवाली थानाध्यक्ष राहुल कुमार एवं अन्य पुलिस कर्मी के द्वारा जांच की जा रही थी जिसमें आरोपियों को पकड़ा गया।
विवि की जमीन पर नहीं बनेगा अल्पसंख्यक छात्रावास
दरभंगा में अल्पसंख्यक छात्रावास जो अल्पसंख्यकों के पढ़ने वाले बच्चों के लिए बनना था। इस पर तत्काल दरभंगा नगर विधायक संजय सरावगी के शिकायत के बाद रोक लगा दी गई है। विधायक ने कुल सचिव पर बिना सहमति के आदेश पारित करने का आरोप लगाया है। जिसे लेकर राजभवन ने विश्वविद्यालय से जवाब तलब भी किया है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की भूमि पर अल्पसंख्यक (बालक-बालिका) छात्रावास का निर्माण कार्य अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

जमीन बिना किसी सहमति के दे दी

नगर विधायक संजय सरावगी ने कुलाधिपति से शिकायत की है। जिसमें बताया है कि तत्कालीन कुलसचिव प्रो. मुश्ताक अहमद ने विश्वविद्यालय की जमीन बिना किसी सक्षम प्राधिकार की सहमति दे दी गई। न ही विवि स्तर के सीनेट और सिंडिकेट से आदेश पारित कराया।

शहर के वार्ड संख्या चार स्थित नीमपोखर-कादिराबाद के खेसरा संख्या 394, 395 और 396 पर एक सौ बेड का अल्पसंख्यक छात्रावास निर्माण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को जमीन दे दी थी। इतना ही नहीं छात्रावास निर्माण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने छह करोड़ 41 लाख रुपए प्राक्कलन पर प्रशासनिक स्वीकृति भी प्रदान की है।

राज्यपाल के प्रधान सचिव राबर्ड एल चोंग्थू ने कुलपति को दिए निर्देश में विधायक के पत्र की प्रति संलग्न करते हुए पूछा है कि तत्कालीन कुलसचिव ने छात्रावास के निर्माण के लिए सीनेट और सिंडिकेट का अनुमोदन प्राप्त किया था या नहीं।
18 वर्षों से अभाविप के सर्जना निखार शिविर से हुनर सीख कर 830 से अधिक छात्राएं बनी आत्मनिर्भर
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आयोजित सर्जना निखार शिविर का समापन समारोह मंगलवार को मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में हुआ। इसमें मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव अजय कुमार पंडित, परीक्षा नियंत्रक विनोद कुमार ओझा, अभाविप उत्तर बिहार प्रान्त संगठन मंत्री धीरज कुमार, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पूजा कश्यप, विभाग प्रमुख अमृत झा, जिला प्रमुख बिन्दु चौहान, नगर मंत्री शाश्वत स्नेहिल ने सामूहिक रुप से दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती माता एवं स्वामी विवेकानंद के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

पूजा कश्यप ने कहा कि सर्जना निखार शिविर पिछले 18 वर्षों से आयोजित हो रहा है। इसके माध्यम से प्रतिवर्ष सैकड़ों छात्राओं की प्रतिभाओं का कौशल विकास कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का काम किया जा रहा है। कुलसचिव कुमार पंडित ने बताया कि अभाविप का यह अद्भुत कार्यक्रम काफी सराहनीय है।

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन को संवारने का कार्य एक स्त्री ही करती हैं इसलिए उनका कौशल विकास हो तभी वे हम सभी को मजबूत कर सकती हैं ताकि हम आगे चलकर राष्ट्र हित में समाज हित में अपना योगदान दे सकें। परीक्षा नियंत्रक विनोद कुमार ओझा, धीरज कुमार , बिंदु चौहान आदि ने कहा कि सर्जना निखार शिविर के 18 वर्षों में अभी तक 7500 से अधिक छात्राएं प्रशिक्षित हुई हैं

साथ ही 830 से अधिक छात्राएं आत्मनिर्भर बनी हैं।कार्यक्रम का संचालन नगर सह मंत्री नीली रानी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन विभाग संयोजक राहुल सिंह ने किया। कार्यक्रम संयोजक सोनम कुमारी, सुमेधा श्रीवास्तव, हरिओम झा, विकास कुमार, नवनीत कुमार, राघव आचार्य, वागीश झा, रवि यादव, मृत्युंजय कुमार, नीलेश कुमार, शशिभूषण यादव, राहुल कुमार, नीली रानी, कुमारी खुशी, संजीव कुमार, सूर्यकांत सिंह, शिवसुंदर चौधरी, रूपेश, राजकुमार, आदर्श कुमार आदि मौजूद थे।
LNMU में ऑन स्पॉट नामांकन प्रक्रिया कैंसिल
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन बेगूसराय के अंगीभूत और संबद्ध कॉलेजों में चल रहे स्नातक प्रथम सेमेस्टर सत्र 2024-28 में आन स्पाट नामांकन की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है। अब नए सिरे से सभी चयनित छात्रों का चयन पत्र वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। अध्यक्ष छात्र कल्याण ने उक्त जिले के सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को निर्देशित करते हुए कहा कि 4 साल के स्नातक प्रथम सेमेस्टर में स्पाट नामांकन पोर्टल में आई तकनीकी खराबी के कारण कुछ विषयों में रिक्त सीटों से अधिक चयन पत्र जारी हो गया है।

शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार किसी भी विषय में निर्धारित सीट से अधिक नामांकन नहीं लिया जाना है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर ऑनलाइन नामांकन के लिए छात्रों को सभी विषयों में जारी सभी चयन पत्र को निरस्त कर दिया गया है। अगर किसी कॉलेज में किसी भी विषय में आन स्पाट छात्रों का नामांकन लिया गया है, तो उसे निरस्त कर दिया गया है।

अब सभी विषय में आन स्पाट नामांकन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन जल्द ही सूचना जारी करेगा। इधर, अध्यक्ष छात्र कल्याण डॉ.विजय कुमार यादव ने दरभंगा, मधुबनी और समस्तीपुर के विभिन्न कॉलेजों के प्रधानाचार्यों के नाम जारी कर सूचना में बताया है कि अब तक कॉलेजों की ओर से लिए गए स्पाट नामांकन संबंधित जानकारी विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई गई।

डैसबोर्ड पर अपडेट करेंगे। इससे पता लगाया जाएगा कि उक्त सभी जिलों के कॉलेजों में रिक्त सीटों के अतिरिक्त एक भी नामांकन तो नहीं हुआ है। बता दें कि बेगूसराय के कई कॉलेजों में निर्धारित सीट से अधिक चयन पत्र जारी हो गया था। इस कारण नामांकन की प्रक्रिया बाधित हो गई थी।

अब फिर से नियमानुसार वेबसाइट पर चयन पत्र जारी की जाएगी। स्पाट नामांकन की तिथि 3 से विस्तारित कर 10 अगस्त तक कर दिया गया है। विभिन्न कॉलेजों में 29 जुलाई से ही पोर्टल पर ऑनलाइन नामांकन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। पहले दिन सिर्फ 2 घंटे तक पोर्टल चालू रहा। इसके बाद इसमें तकनीकी खराबी आ गई। इसके बाद 30 और 31 जुलाई को पोर्टल 1 से 2 घंटे काम करने के बाद पूरी तरह काम करना बंद कर दिया था। पोर्टल की गति काफी धीमी होने के बाद 1 अगस्त को अध्यक्ष छात्र कल्याण ने तत्काल प्रभाव से नामांकन स्थगित करने की सूचना जारी कर दी थी।

इसके बाद पोर्टल दुरुस्त करने के बाद नामांकन की तिथि 10 अगस्त तक विस्तारित कर दी। अब पोर्टल तो काम कर रहा है। लेकिन सीट से अधिक चयन पत्र डाउनलोड होने की बात कह कॉलेज के प्रशासक नामांकन सुनिश्चित नहीं कर रहे थे।
ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों को मिथिला सर्किट के माध्यम से विकास करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा
मिथिला का केंद्र बिंदु दरभंगा मिथिला की अघोषित राजधानी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यहां के चतुर्दिक विकास के लिए अनेकों प्रयास और पहल किए जा रहे हैं। लेकिन यहां के विकास कार्यों को देश के मानचित्र पर स्थापित करना उनके संसदीय जीवन की सबसे बड़ी अनेकों है। दरभंगा के भाजपा सांसद तथा लोकसभा में पार्टी के सचेतक डॉ. गोपालजी ठाकुर ने पटना में बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा से एक औपचारिक भेंट मुलाकात के बाद उपरोक्त बातें कही।

सांसद डा ठाकुर ने अपने सहयोगियों के साथ उनसे मुलाकात की एवं इस क्रम में मिथिला की परंपरा के अनुसर उप मुख्यमंत्री को पाग अंगवस्त्र तथा मखाना के माला से सम्मानित भी किया। संसद डा ठाकुर ने उप मुख्यमंत्री सिन्हा को दरभंगा संसदीय क्षेत्र से सम्बन्धित विभिन्न मौलिक समस्यायों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा की देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष अनुकम्पा की देन है कि आज दरभंगा के विकास की चर्चा देश स्तर पर की जा रही है

लेकिन कुछ अन्य लंबित मुद्दों के समाधान के लिए पहल करने की जरूरत है। उन्होंने शहर में दोनार गुमती आरओबी 25 की प्रशासनिक स्वीकृति, निर्माणाधीन देकुली सिसौनी 44 किमी की सड़क में तेजी लाने, अशोक पेपर मील विदेश्वर स्थान सड़क, सकरी धरौरा निर्माणाधीन सड़क, बरूना रसियारी एसएच 88 जैसे निर्माणाधीन सड़क को अविलंब पूरा करने तथा इस सड़क को आगे विस्तारित कर कोशी पश्चिमी तटबंध में मिलाने मिथिला के सभी ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों को मिथिला सर्किट के माध्यम से विकास करने के मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा यथाशीघ्र समाधान की जरूरत है।
जनसुराज विचार मंच की बैठक आयोजित की गई
दरभंगा स्थित सर्वे कार्यालय में जन सुराज विचार मंच की एक बैठक जिला प्रभारी संजय कुमार राय की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक का संचालन संतोष सिंह कर रहें थे। मंच पर जिला प्रभारी राय के अलावे आशीष झा, केदार साह, ज्योति सिंह, विनीत कुमार नन्हे, उमाकांत राय मौजूद थे। आयोजित बैठक में फ्रेंड ऑफ आनंद के संतोष सिंह ने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जनसुराज की सदस्यता ली। प्रभारी राय ने कहा कि बिहार की स्थिति दयनीय है।

बेरोजगारी बड़ी समस्या हैं। कहा कि जिस धरती पर हमारी बैठक हो रही हैं। यह धरती खुद में सक्षम हैं लेकिन विगत तीस वर्षों में राज्य के सभी नेताओं ने खासकर मिथिला के क्षेत्र से नेतृत्व कर रहें हैं उनकी कार्यशैली सही नहीं रही।
डायवर्सन पर चढ़ा बारिश का पानी, आवागमन ठप
दरभंगा के घनश्यामपुर प्रखंड क्षेत्र के देउरी गांव से पाली जाने रास्ते में देउरी मुख्य मार्ग में मोटकहा पुल के समीप अ‌र्द्धनिर्मित पुल है। जिसके बगल में आने-जाने के लिए डायवर्सन बनाया गया है। जो काफी दिनों से बारिश के पानी से डूबा हुआ है। छोटे बच्चे तो गांव के विद्यालय में पढ़ लेते हैं लेकिन 9वीं और 10वीं कक्षा के स्कूली बच्चों को देउरी गांव से अहिरैण स्कूल जाने में घुठने भर पानी से होकर जाना पड़ता है। साइकिल को कंधा पर लेकर पानी को पार कर विद्यालय जाने की मजबूरी है। कभी भी बड़ी घटना हो सकती है। देउरी गांव के लोगों को पाली बाजार जाने के लिए 4 किमी घूम कर घनश्यामपुर चौक होते हुए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही है।

पुल का काम 2023 से शुरू हुआ

देउरी गांव से पाली मुख्य मार्ग पर मोटकाहा पुल के समीप 357.8543 लाख की लागत से पुल का निर्माण कराया जा रहा था, जिसकी लम्बाई 28.12 मीटर है। पुल का निर्माण कार्य दिसम्बर 2023 से शुरू हुआ था, लेकिन आज तक पूरा नही हुआ है। पुल निर्माण कार्य प्रारंभ करने से पहले विभागीय नियमानुसार आवाजाही चालू रखने के लिए पक्का डायवर्सन बनाने का प्रावधान है।

लेकिन विभागीय उदासीनता की वजह से संवेदक ने सड़क के समानांतर डायवर्सन का निर्माण नहीं किया। ग्रामीण जय प्रकाश मंडल, मो. सहिद ने बताया है कि आए दिन डर बना रहता है कि डायवर्सन पर अत्यधिक पानी होने के कारण कही कोई बड़ा घटना न हो जाए। जिस कारण अपने बच्चे को हाई स्कूल अहिरैन नहीं जाने देते हैं।

एक सप्ताह में कार्य शुरू करने की आश्वासन

पुल निर्माण कार्य के ठेकेदार संत कुमार ने बताया कि डायवर्सन तो बनाया गया था, पर उसपर बारिश का पानी आ गया है। जिस कारण यातायात बाधित है। एक सप्ताह के अंदर नए डायवर्सन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

वहीं, स्थानीय लोग भगवान कुमार, संतोष कुमार, अनिल कुमार, मो. मुस्तुफा ने बताया है कि एक सप्ताह में डायवर्सन कार्य का निर्माण नहीं किया जाता है तो हम लोग प्रखंड मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे।।
दरभंगा की ग्रामीण एसपी काम्या मिश्रा का इस्तीफा
दरभंगा की ग्रामीण एसपी काम्या मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पीछे उन्होंने निजी और पारिवारिक कारण बताया है। उन्होंने कहा कि मन इस काम में बहुत लग रहा था, लेकिन निजी कारणों से ऐसा निर्णय लिया है। 'लेडी सिंघम’ के नाम से मशहूर IPS काम्या मिश्रा 2019 में पुलिस सेवा में आईं थीं। उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी का एग्जाम क्लियर किया था। एक महीने से रिजाइन करने का मन बना रहीं थीं। दरभंगा में ग्रामीण एसपी के पद पर रहते हुए उन्हें बिरौल और बेनीपुर अनुमंडल की जिमेदारी सौंपी गई थीं। इस संबंध में काम्या मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उसने संपर्क नहीं हुआ। उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

अक्सर इस्तीफा देने की बात करती थीं काम्या मिश्रा

दरभंगा पुलिस सूत्र बताते हैं कि काम्या मिश्रा अक्सर इस्तीफा देने की बात करती थीं। कहती थी कि उनका मन नहीं लग रहा है। हालांकि, उनके साथी अधिकारी और पुलिसकर्मी इसे मजाक समझते थे।


गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से नहीं हो सकी पुष्टि

प्रावधान के अनुसार आईपीएस अधिकारी अपना इस्तीफा कैडर राज्य के गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय को भेजते हैं। इधर गृह विभाग और पुलिस मुख्यालय से इस्तीफे की जानकारी लेने की कोशिश की, लेकिन अभी तक किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

पहले ही अटेम्प्ट में क्रैक किया था यूपीएससी काम्‍या मिश्रा ने महज 22 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल की थी। उन्होंने 172वीं रैंक हासिल किया था और इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) के लिए उनका चयन हुआ। मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली काम्या को हिमाचल कैडर से बिहार कैडर में स्थानांतरित किया गया था। काम्या मिश्रा बचपन से ही पढ़ाई में होनहार रहीं हैं। 12वीं की परीक्षा 98 फीसदी अंक से पास की।दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज से स्नातक के बाद पहले ही प्रयास में वो आइपीएस अफसर बन गईं। पति सरोज भी आईपीएस

काम्या मिश्रा के पति अवधेश सरोज भी आईपीएस हैं। उन्होंने भी कामना मिश्रा के इस्तीफे के पीछे निजी कारण ही बताया है। वह 2021 बैच के बिहार कैडर के पुलिस अधिकारी हैं। अवधेश सरोज दीक्षित अभी मुजफ्फरपुर में सिटी एसपी के तौर पर पोस्टेड हैं। इन दोनों ने उदयपुर में शादी की थी। अवधेश ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक किया है।


डीएपी की किल्लत, किसान 200 रुपए अधिक देने को तैयार
जिले में खरीफ मौसम के तहत विभिन्न फसलों की बुआई शुरू हो चुकी है। किसानों को डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) और एनपीके खाद को लेकर दिक्कत शुरू हो गई है। किसानों को डीएपी खाद मिलने में कठिनाई हो रही है। करीब एक-दो महीने से जिले में डीएपी की भारी किल्लत चल रही है। किसानों का कहना है कि 1300 रुपए की डीएपी के लिए 1500 रुपए देने के लिए भी तैयार हैं, फिर भी खाद नहीं मिल रही है। मानसून आने के बाद किसानों को डीएपी खाद की किल्लत शुरू हो गई है।

घान, मक्का और उड़द की खेती में जुट गए किसान

बारिश के बाद किसान धान, मरूआ, मक्का, मूंग, उड़द की फसलों की खेती करने में जुट गए हैं। लेकिन डीएपी और एनपीके खाद नहीं मिलने से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बिरौल प्रखंड के किसान अरुण झा कहते हैं पिछले पांच दिनों से बिस्कोमान का चक्कर काट रहे हैं,

लेकिन धान की बुआई के लिए डीएपी नहीं मिल रहा है। डीएपी की किल्लत से मेरे जैसे सैंकड़ों किसान परेशान हैं। कई किसानों ने तो मजबूरी में बिना डीएपी और एनपीके डाले ही धान की बुआई शुरू कर दी है। किसान संगठन से जुड़े रमेश कुमार ठाकुर कहते हैं देश के कई राज्यों में डीएपी खाद की कमी है। इसकी वजह है कि केंद्र सरकार ने राज्यों का कोटा घटा दिया है। बिहार, पंजाब, यूपी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के कोटे घटाए गए हैं।

डीएपी खाद की प्रति बैग की कीमत 1300 रुपए

जिस तरह से लगातार कमी की खबर आ रही है इसमें कालाबाजारी से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। डीएपी खाद की प्रति बैग की कीमत 1300 रुपए है. लेकिन व्यापारी 1650 से लेकर 1700 रुपए तक वसूल रहे हैं। डीएओ कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जुलाई तक जिले में यूरिया की 13997 मीट्रिक टन की आवश्यकता थी। जिले को 7741 मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया। इसी प्रकार से अप्रैल से जुलाई माह तक 4800 मीट्रिक टन डीएपी की आवश्यकता थी। लेकिन 1655 मीट्रिक टन उपलब्ध कराया गया। एनपीके की अप्रैल से जुलाई माह तक 4473 मीट्रिक टन की आवश्यकता थी। लेकिन 2656 मीट्रिक टन ही उपलब्ध कराया गया।

जिले में खाद की कोई कमी नहीं है

जिला कृषि पदाधिकारी दरभंगा बिपिन बिहारी सिन्हा ने बताया कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं है। सरकार डीएपी की जगह मिक्सचर की आपूर्ति अधिक कर रही है, ताकि किसानों को खेती की लागत में कमी आ सके। एक बोरी डीएपी की जितनी कीमत है। उतने में किसानों को मिक्सचर मिल रहा है। मिक्सचर में सभी पोषक तत्व मौजूद रहता है।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट
मिथिला विवि को मिली मैथिली भाषा की समृद्धि की जिम्मेवारी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मातृभाषा और भारतीय भाषा में बच्चों को शिक्षा प्रदान करना बुनियादी शर्तो में से एक है। लेकिन, संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली में पढ़ने के लिए बच्चों के पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। उच्च शिक्षा में भी कमोबेश यही हाल है। कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी के प्रयास से मिथिला में मैथिली को समृद्ध कर इस भाषा में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए बुनियादी संसाधन जुटाने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने मिथिला विश्वविद्यालय को सौंपी है।

कुलपति इसके नोडल पदाधिकारी होंगे। इसके अलावा राज्य के 10 विश्वविद्यालय को सदस्य बनाया गया है। इसमें केंद्रीय, डीम्ड, निजी और राज्य सरकार के अधीन के विश्वविद्यालय शामिल होंगे। यह सब मैथिली की भाषा संवर्धन समिति के अधीन काम करेंगे। इसके तहत मैथिली भाषा में पुस्तकों की रचना होगी। इसका सारा व्यय भारतीय भाषा संवर्धन समिति वहन करेगी।

अनुदान आयोग से भी समन्वय स्थापित करेगी

भारतीय भाषा संवर्धन समिति का दायित्व होगा कि वह राज्य के मैथिली भाषा को लेखकों को चिन्हित करे, जो मैथिली भाषा में पुस्तकें लिख सकें। इतना ही नहीं यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से भी इस संबंध में समन्वय स्थापित करेगी। यूजीसी के सचिव प्रो. मनीष आर जोशी ने कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी को पहली अगस्त को लिखे पत्र में याद दिलाया है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय भाषा मैथिली की समृद्धि और विकास के लिए आवश्यक है कि विश्वविद्यालय अपना मानक निर्धारित करें। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का इस बात पर जोर है कि भारतीय भाषा में पढ़ने और सीखने के माध्यम को उच्च शिक्षण संस्थानों में लागू किया जाए। इस दिशा में दरभंगा के ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और इसके कुलपति को उपयुक्त मानते हुए उन्होंने यह महती जिम्मेदारी सौंपी है।

भाषा समिति को भेजा जा चुका है शोध भंडार

बता दें कि इससे पूर्व भारतीय भाषा समिति के विषय विशेषज्ञों की कमेटी राजनीति विज्ञान के 38 सौ शब्दों की मूलभूत शब्दावली को मैथिली में तैयार करने के लिए गहन मंथन किया था।

समिति के मुख्य शैक्षणिक समन्वयक प्रो. अवधेश कुमार मिश्र ने विभिन्न स्नातकोत्तर विभागों के अध्यक्षों के अलावा बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष कामेश्वर झा की उपस्थिति में वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली के मैथिली रूपांतर पर काम किया था।

बताया जा रहा है कि समिति के भ्रमण के बाद केवल राजनीति शास्त्र ही नहीं कई अन्य विषयों में भी मैथिली बड़ा शोध भंडार तैयार कर भारतीय भाषा समिति को भेजा जा चुका है। लेकिन कुलपति मात्र इतने से संतुष्ट नहीं हैं, उनका प्रयास है कि मैथिली को अन्य प्रचलित दूसरी भाषाओं की तरह ही प्राथमिक से लेकर उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में सीखने और पढ़ने की भाषा बना दिया जाए।

दरभंगा से आरफा प्रवीन की रिपोर्ट