संगीतकार जयदेव की 106 वीं जयंती आज :घर से भागकर हीरो बनने के लिए मुंबई गए थे जयदेव
नयी दिल्ली : साठ के दशक की बात है. मशहूर अभिनेता देव आनंद फिल्म- ‘हम दोनों’ बना रहे थे. इस फिल्म में उनके साथ नंदा, साधना शिवदासानी, लीला चिटनिस और ललिता पवार थे. अभिनेता देव आनंद और विजय आनंद ने इस फिल्म में संगीत बनाने का जिम्मा महान संगीतकार जयदेव को दिया था.
आज उन्हीं दिग्गज संगीतकार जयदेव की सालगिरह है. देव आनंद अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर बहुत मेहनत किया करते थे. गीत लिखने का जिम्मा साहिर लुधियानवी पर था. साहिर ने इस फिल्म के लिए एक से बढ़कर एक गीत लिखे.
‘अल्लाह तेरो नाम’ गाने के बनने की कहानी है दिलचस्प
‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, ‘अभी ना जाओ छोड़कर, ‘कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया’ जैसे सुपरहिट नगमें इस फिल्म में थे. जयदेव ने यूं तो तमाम फिल्मों में संगीत दिया, लेकिन इन गानों को अब तक कोई भूला नहीं है. इसी फिल्म के भजन अल्लाह तेरो नाम की कहानी बहुत दिलचस्प है.
अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम…, इस गाने के लिए देव आनंद और विजय आनंद ने तय किया कि इसे लता मंगेशकर ही गाएंगी. परेशानी ये थी कि उन दिनों लता मंगेशकर और फिल्म के संगीतकार जयदेव के बीच बातचीत बंद थी. इस फिल्म से पहले किसी बात पर जयदेव और लता जी में मतभेद हो गया था और लता मंगेशकर ने जयदेव के संगीतबद्ध गानों को गाने से मना कर दिया था.
मुसीबत तब और बढ़ गई जब देव आनंद और विजय आनंद ने तय किया कि अगर इस गाने को लता जी से गवाने के लिए संगीतकार को बदलना पड़ा तो उससे भी वो चूकेंगे नहीं.
अपनी बात को लता मंगेशकर के साथ साझा करने के लिए वो दोनों लता मंगेशकर के घर पहुंच गए. दोनों भाइयों ने लगभग जिद करने जैसी हालत में लता जी को बता भी दिया कि अगर वो गाना नहीं गाएंगी तो वो संगीतकार को ही बदल देंगे.
लता मंगेशकर के लिए बड़ी दुविधा का वक्त था. वो ये नहीं चाहती थीं कि छोटी सी बात पर हुए मतभेद के लिए जयदेव को फिल्म से हटा दिया जाए.
नतीजा, उन्होंने गाने के लिए हामी भर दी. इस गाने को तैयार करने के दौरान ही जयदेव और लता मंगेशकर में फिर से बातचीत शुरू हुई. इस गाने की लोकप्रियता के बारे में कुछ भी कहा जाए वो कम है.
लता मंगेशकर ने अपने लगभग ज्यादातर स्टेज शो में इस गाने को गाया है. इस गाने की रिकॉर्डिंग के बाद जयदेव और लता मंगेशकर ने काफी फिल्मों में साथ काम किया.
घर से भागकर हीरो बनने के लिए मुंबई गए थे जयदेव
जयदेव से जुड़ा दिलचस्प किस्सा ये भी है कि जब वो करीब 15 साल के थे, तो वो पंजाब से भागकर बॉम्बे गए थे. उन्हें अभिनेता बनना था. उन्होंने बतौर बाल कलाकार कुछ फिल्मों में अभिनय भी किया, लेकिन घर के आर्थिक हालात बिगड़ने पर उन्हें वापस लुधियाना लौटना पड़ा.
40 के दशक में उन्होंने दिग्गज सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान से संगीत की बाकयदा तालीम ली थी. उन्होंने उस्ताद अली अकबर खान और एसडी बर्मन जैसे दिग्गज कलाकारों के सहायक के तौर पर भी काम किया.
फिल्म हम दोनों के अलावा रेशमा और शेरा, घरौंदा और गमन जैसी फिल्मों के संगीत के लिए भी उन्हें याद किया जाता है.
अमिताभ बच्चन के पिता साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला का जो वर्जन हम लोगों ने मन्ना डे की आवाज में सुना है, उसका संगीत भी जयदेव का ही था.
Aug 03 2024, 15:40