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न्यूज़ अपडेट: चक्रधरपुर मंडल के राजखरसवां-बडाबांबो स्टेशन के बीच हुई रेल दुर्घटना से रेल परिचालन पूरी तरह ठप्प,वचाव और राहत कार्य जारी

झा.डेस्क

लगातार रेल दुर्घटना के कारण जहां रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं वहीं रेल यात्रा कितना सुरक्षित रह गया है लोग सोचने के लिए मजबूर हो गए हैं।

आज ताजा खबर है हावड़ा से चलकर मुंबई जाने वाली 12810 मुंबई मेल दुर्घटनाग्रस्त का । यह घटना झारखंड के चक्रधरपुर मंडल के राजखरसवां-बडाबांबो स्टेशन के बीच हुई। घने जंगल, रात का सन्नाटा और अचानक ट्रेन में जोरदार झटका। झारखंड के चक्रधरपुर रेल मंडल में बड़ाबंबू के पास मंगलवार तड़के 3:43 बजे मालगाड़ी से टकराकर हावड़ा-मुंबई मेल (12810) के 20 डिब्बे पटरी से उतर गए। यह हादसा राजखरसावां और बड़ाबंबू स्टेशनों के बीच किलोमीटर संख्या 298/21 पर हुआ। इस भीषण हादसे में कई यात्री घायल हुए हैं।

दुर्घटना के बाद रेल परिचालन पूरी तरह ठप

घटना की वजह से दक्षिण पूर्व रेलवे के टाटानगर-चक्रधरपुर खंड पर रेल परिचालन पूरी तरह ठप हो गया है। इस हादसे के कारण कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है, जबकि कुछ ट्रेनों को परिवर्तित मार्ग से चलाया जा रहा है। रेलवे अधिकारी पटरी की मरम्मत और ट्रेन परिचालन बहाल करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार हावड़ा से चलकर मुंबई जाने वाली मुंबई मेल सोमवार रात 11 बजकर दो मिनट के बजाए दो बजकर 37 मिनट पर टाटानगर पहुंची और दो मिनट के ठहराव के बाद यह अगले स्टेशन चक्रधरपुर के लिए रवाना हो गई लेकिन यह ट्रेन अपने अगले स्टेशन तक पहुंचती उससे पहले यह तीन बजकर 45 मिनट पर बड़ाबांबो से आगे दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

अब तक मिली जानकारी के अनुसार डाउन लाइन से आ रही मालगाड़ी के साथ मेल एक्सप्रेस सट (साइड क्लोजन) गई जिससे ट्रेन के 20 डिब्बे बेपटरी हो गए, वहीं मालगाड़ी के कई डिब्बे क्षतिग्रस्त हो गए। दुर्घटना कितनी भयावाह है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेल एक्सप्रेस के कई डिब्बे आपस में चढ़ गए तो कई गति तेज होने के कारण बीच से मुड़ गए। कई डिब्बे आपस में बुरी तरह से सट चुके हैं। इस दुर्घटना में दर्जनों की संख्या में यात्री घायल होने की संभावना है। चक्रधरपुर मंडल के सीनियर डीसीएम आदित्य कुमार चौधरी ने इस दुर्घटना की पुष्टि की है।

मालगाड़ी और कोचिंग ट्रेन के डिब्बे काफी दूर तक फैलने के कारण थर्ड लाइन भी प्रभावित

इस दुर्घटना के बाद से हावड़ा-मुंबई मार्ग में यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दुर्घटना के बाद मालगाडी और कोचिंग ट्रेन के डिब्बे काफी दूर से फैल गए हैं जिसके कारण थर्ड लाइन भी प्रभावित हुआ है। वहीं दुर्घटना के कारण ओवरहेड लाइन, खंभे और ट्रेन की पटरी भी बुरी से क्षतिग्रस्त हो गई है। हालांकि दुर्घटना किस कारण से हुई, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

घटना के बाद चीख-पुकार से दहल उठा क्षेत्र

 लगभग पौने चार बजे थे। अधिकांश यात्री गहरी नींद में सो रहे थे। तभी अचानक एक तेज आवाज ने सपनों की इस दुनिया को हिला कर रख दिया। ट्रेन बुरी तरह हिलने लगी और देखते ही देखते कई डिब्बे एक के बाद एक पटरी से उतरते चले गए। ट्रेन के अंदर अफरा-तफरी मच गई। चीख़ें गूंज उठी। लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। ऊपर के बर्थ पर सो रहे कई यात्री नीचे गिर गए। सामान बिखर गया।

बच्चों की चीख, बड़ों की बेबसी

इस दर्दनाक हादसे में बच्चों और बुजुर्गों की हालत देखकर रूह कांप उठी। बच्चें अपने माता-पिता से लिपटकर रो रहे थे। बुजुर्ग दर्द से कराह रहे थे। ट्रेन के अंदर चीख-पुकार और चीत्कार से पूरा माहौल चीख उठा। हादसे के बाद ट्रेन में कुछ देर के लिए सन्नाटा पसर गया था। लोग समझ ही नहीं पा रहे थे कि अचानक क्या हुआ।

रेलवे प्रशासन में हड़कंप, राहत और बचाव कार्य जारी

हादसे की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया। राहत और बचाव दल घटनास्थल के लिए रवाना किए गए। घायलों को बड़ाबंबू और चक्रधरपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया जा रहा है। राहत दल के लोग बोगियों में फंसे यात्रियों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं। क्रेन और अन्य मशीनों की मदद से डिब्बों को हटाने और फंसे हुए यात्रियों को निकालने का काम जारी है। हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग पूरी तरह से बाधित है और अन्य ट्रेनों को डायवर्ट किया जा रहा है।

लोको पायलट केवीएसएस राव, सर्वश्रेष्ठ ड्राइवर का पुरस्कार के विजेता थे

ट्रेन के लोको पायलट केवीएसएस राव, सहायक लोको पायलट ए अंसारी और गार्ड मो. रेहान ने तुरंत इसकी सूचना कंट्रोल रूम को दी। हादसे की सूचना मिलते ही चक्रधरपुर रेल मंडल के अधिकारी और बचाव दल घटनास्थल के लिए रवाना हुए। केएसएस राव चक्रधरपुर रेल मंडल में तीन बार सर्वश्रेष्ठ ड्राइवर का पुरस्कार जीत चुके हैं।

साढ़े तीन घंटे देर से चल रही थी ट्रेन

ट्रेन संख्या 12810, जिसमें टाटानगर का इंजन संख्या 37077 लगा हुआ था, टाटानगर स्टेशन से सुबह 2:39 बजे अपने निर्धारित समय से साढ़े तीन घंटा मिनट देरी से रवाना हुई। ट्रेन का टाटानगर स्टेशन पहुंचने का समय 11.02 मिनट था। घटना के समय ट्रेन लगभग 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। घटना के बाद आनन-फानन में राहत एवं बचाव दल मौके पर पहुंचे।

रिलीफ ट्रेन मौके पर रवाना

दुर्घटना के बाद टाटानगर व चक्रधरपुर स्टेशन से रिलीफ ट्रेन को घटनास्थल की ओर रवाना कर दिया गया है। साथ ही दुर्घटना की जांच के लिए इंजीनियरिंग विभाग की टीम को भी रवाना कर दिया गया है। मालूम हो कि अभी एक सप्ताह पहले ही दक्षिण पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार मिश्रा सेक्शन का दौरा कर कोलकाता लौटे हैं और रेलवे बोर्ड के प्रधान कार्यकारी निदेशक (पीडीई) केआरके रेड्डी भी इन दिनों चक्रधरपुर मंडल में ही हैं और मंडल में आने वाली नई रेललाइन की समीक्षा कर रहे हैं।

इस हादसे के बाद रेलवे की तरफ से हेल्पलाइन नंबर किए गए हैं। लोग टाटानगर में 06572290324, चक्रधरपुर में 06587 238072, राउरकेला में 06612501072, 06612500244 और हावड़ा 9433357920, 03326382217 पर संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं।

पूर्व मंत्री और सूर्य देव सिंह के अनुज बच्चा सिंह का निधन,वे कुछ दिनों से बीमार थे, धनबाद में शोक की लहर

झा. डेस्क

धनबाद : झारखंड के पूर्व मंत्री और सूर्य देव सिंह के अनुज बच्चा सिंह का धनबाद में आज सोमवार को निधन हो गया. वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे. उनकी मौत अस्पतल में इलाज के दौरान हो गयी.

 दिल्ली में इलाज कराकर वे धनबाद लौटे थे .जहाँ तबियत फिर खराब हो गयी. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उनकी मौत हो गयी.

वे बाथरूम से गिर गये थे. उसके बाद वे बीमार थे. जब बिहार से झारखंड अलग होकर अलग राज्य बना तो वे बाबूलाल मरांडी की सरकार में मंत्री बने थे.उन्हें नगर विकास मंत्रालय मिली थी.

बच्चा सिंह झारिया से विधायक रह चुके हैं. वह कभी सिंह मेंशन के स्तंभ हुआ करते थे. उन्होंने पहली बार विधानसभा का चुनाव साल 1991 में लड़ा. लेकिन आबो देवी के हाथों उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1995 में उन्होंने दोबारा झारखंड विधानसभा से अपनी किस्मत आजमायी लेकिन फिर हार गये. साल 2000 में उन्होंने पहली बार जीत स्वाद चखा और विधायक बनें. इसके बाद उन्हें बाबूलाल मरांडी की सरकार में नगर विकास मंत्री बनाया गया.

सूर्य देव सिंह के भाई थे,सूर्य देव झरिया से रह चुके हैं विधायक

बच्चा सिंह के बड़े भाई सूर्य देव सिंह भी झारिया विधानसभा से विधायक रह चुके हैं. उन्होंने इस विधानसभा का लगातार चार बार प्रतिनिधित्व किया. 1977 में वे पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1990 तक वे विधायक रहे. एक बार वह आरा लोकसभा से भी किस्मत आजमा चुके हैं. लेकिन परिणाम आने से पहले ही वह लोकसभा का चुनाव हार गये. इसके बाद बच्चा सिंह ने उसी सीट से साल 1991 में उप-चुनाव लड़ा लेकिन उस समय वह चुनाव हार गये. अभी इस सीट पर कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह विधायक हैं. बता दें कि इस सीट पर अधिकतर समय सिंह मेंशन परिवार का ही कब्जा रहा है.

ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर गठबंधन दलों में खींचतान,कांग्रेस कोटे से बने मंत्री इरफान अंसारी ने जताई नाराजगी

 झारखंड में गठबंधन दलों में अंदरूनी कलह तब उभर कर आई जब सीओ बीडीओ की ट्रांसफर का आदेश जारी किया गया.

दरअसल हाल में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ै पैमाने पर सीओ और बीडीओ के ट्रांसफर का आदेश जारी किया. जिसको लेकर कांग्रेस की ओर से यह सवाल खड़ा गया कि इस फैसले में उससे सहमति नहीं ली गयी.

 उसके बाद डीजीपी की नियुक्ति पर भी यही सवाल कांग्रेस ने खड़ा दिया. कांग्रेस कोटे के मंत्री इरफान अंसारी ने साफ कहा कि गठबंधन दलों की सरकार ऐसे नहीं चलतीं. सभी को साथ लेकर ही कोई फैसला लिया जाता है. उन्होंने कहा कि बाईपास करने से काम नहीं चलेगा.

दरअसल राज्यभर में बीडीओ के ट्रांसफर का आदेश मंत्री इरफान अंसारी के विभाग ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी किया गया था जिसको लेकर भी सवाल उठे थे. बाद में उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा. इस पर इरफान अंसारी काफी नाराज नजर आये. 

उन्होंने कहा कि अगर सरकार या गठबंधन ने उनपर भरोसा किया है तो उनके फैसलों पर भरोसा कर उसे लकीर मानना होगा. अगर उनके फैसले पर यकीन नहीं है तो उन्हें फिर से मंत्री पद से हटाकर विधायक बना दिया जाए.

इरफान अंसारी ने कहा कि मैंने साफ साफ कह दिया है कि अगर मुझे जिम्मेदारी दी गयी है तो मुझे काम करने की स्वतंत्रता दी जाए. मुझे मेरे काम में हस्तक्षेप पसंद नहीं है. मुझे इससे गहरा आघात और सदमा लगता है. सिर्फ इतना ही नहीं, मंत्री इरफान अंसारी कांग्रेस के ही एक विधायक पर खासे नाराज नजर आये. उन्होंने कहा कि उस विधायक की मंशा ठीक नहीं है. हर काम में अड़ंगा डाल रहे. उनका इशारा उनके विभाग में ट्रांसफर पोस्टिंग में उस विधायक की ओर से किये गये हस्तक्षेप को लेकर था

चुनावी माहौल में गठबंधन साथी गलबहियां दिखाते हैं. एक दूसरे के फैसले को सलाम करते हैं, लेकिन झारखंड में सबकुछ उल्टा होता नजर आ रहा है. हाल के दिनों में हेमंत सरकार के लिए फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाकर साफ कर दिया है गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. हाल के दिनों में हेमंत सरकार के लिए गये कई फैसलों पर गठबंधन के साथी कांग्रेस ने यह कहकर सवाल उठा दिया है कि उससे इस बारे में सहमति नहीं ली गयी. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या INDIA गठबंधन सरकार में सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है. क्या चुनावी माहौल में सत्ताधारी दलों के बीच आपसी तालमेल बढ़िया है. यह सवाल कांग्रेस के एतराज ने पूछने पर मजबूर कर दिया है.

सर्वोच्च न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 28 जून को हेमन्त सोरेन के जमानत को सही आदेश बताते हुए ईडी की याचिका की खारिज

झारखंड डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें कथित भूमि घोटाले मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी।

 शीर्ष न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 28 जून को पारित आदेश को “सुविचारित आदेश” करार दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जमानत देने के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों का ट्रायल के चरण या किसी अन्य कार्यवाही में ट्रायल जज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ईडी ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा सोरेन को जमानत देने के फैसले के खिलाफ 8 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया, जिसमें तर्क दिया गया कि जमानत आदेश अवैध और पक्षपातपूर्ण था।

 हेमंत सोरेन ने उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के तुरंत बाद 4 जुलाई को झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।

सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत को बताया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी में 8.86 एकड़ जमीन हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार करने से पहले कई बार तलब किया था। राज्य की राजधानी में कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में उनकी गिरफ्तारी के बाद 31 जनवरी को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

उनके इस्तीफे के बाद, सोरेन के करीबी सहयोगी और मौजूदा मंत्री चंपई सोरेन ने सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व संभाला था।

सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि कथित भूमि हड़पना धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराध नहीं है। सिब्बल ने यह भी उल्लेख किया था कि यदि आरोप सत्य भी हों, तो वे संपत्ति के अधिकार पर दीवानी विवाद का मामला होंगे, न कि आपराधिक गतिविधि।

 सोरेन की हिरासत के दौरान, उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में तीन लोकसभा सीटें हासिल करके महत्वपूर्ण चुनावी सफलता हासिल की, जो 2019 की तुलना में एक अधिक है। JMM की सहयोगी कांग्रेस ने भी दो सीटें जीतीं। दूसरी ओर, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने राज्य की 14 लोकसभा सीटों में से नौ सीटें हासिल कीं, जो 2019 की तुलना में 12 कम है।

अवैध संबंध से नाराज पिता ने अपनी बेटी को काट डाला

गिरिडीह: वहीं एक दूसरे मामले में जिले के देवरी थाना क्षेत्र के महेशियादिघी गांव में पिता ने धारदार हथियार से गर्दन रेत कर अपनी 40 वर्षीय शादीशुदा पुत्री की हत्या कर दी। 

हत्या करने के बाद रातभर आंगन में रहकर पुत्री के शव की रखवाली करता रहा। शनिवार को पुलिस ने गांव पहुंचकर शव को बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार लिया। 

पिता के मुताबिक शादीशुदा पुत्री का अवैध संबंध कई लोगों के साथ था, इसलिए उसने घटना को अंजाम दिया।

पिता की हैवानियत, दिव्यांग 9 साल की बेटी को कुदाल से काट कर, कर दी हत्या,

झारखंड के गुमला जिला से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आयी है.मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर पतगच्छा गांव में शुक्रवार की रात एक सनकी पिता ने अपनी नौ साल की मंदबुद्धि और दिव्यांग बेटी की कुदाल काट कर हत्या कर दी। इसके बाद लाश को पास के ही कुएं में फेंक दिया। पुलिस ने हत्या के आरोपी सरजू लोहरा को गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, सरजू अपने पांच वर्षीय बेटे अनुज और नौ वर्षीय दिव्यांग बेटी काजल के साथ पतगच्छा गांव में किराये के मकान में रहता है। पत्नी रूपा परिवार की परवरिश के लिए बेंगलुरू में काम करती है। बेटी काजल जन्म से मंदबुद्धि थी। पैर से दिव्यांग भी थी। इस वजह से नित्यक्रिया में भी परेशानी होती थी।

सरजू शुक्रवार की रात करीब आठ बजे नशे की हालत में घर पहुंचा। इस दौरान दिव्यांग बेटी ने घर में कई जगहों पर शौच कर दिया था। इस गुस्से में सरजू ने पास में रखे कुदाल से बेटी पर प्रहार कर दिया। गले पर गंभीर वार से बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद शव को कुएं में फेंक दिया। ग्रामीणों ने शव को कुएं में फेंकते दिख लिया था।

संतोष गंगवार बनाए गए झारखंड के राज्यपाल, गुलाब चंद कटारिया असम से पंजाब भेजे गए, सीपी राधाकृष्णन झारखंड से महाराष्ट्र

झा. डेस्क 

बरेली से कई बार सांसद रह चुके हैं। इस बार बीजेपी ने उन्हें चुनाव मैदान में नहीं उतारा था। अब उन्हें राज्यपाल बना कर झारखंड भेजा जा रहा है।

देश के कई राज्यों के राज्यपाल बदले गए हैं। राष्ट्रपति भवन की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, संतोष कुमार गंगवार को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया है। रेमन डेका को छत्तीसगढ़ का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।

राष्ट्रपति भवन की तरफ से यह भी जानकारी दी गई है कि असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया को अब पंजाब का गवर्नर नियुक्त किया गया है। इसके अलावा उन्हें केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर की भी जिम्मेदारी दी गई है।

झारखंड के वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णनन को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया है जबकि सीएच विजयंशकर को मेघालय का राज्यपाल बनाया गया है। 

राष्ट्रपति भवन द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को असम का राज्यपाल बनाया गया है। उन्हें मणिपुर की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है।

भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास को हाईकोर्ट से मिली जमानत, आयकर के मामले में निकले वारंट मे किया था आत्मसमर्पण


झा. डेस्क 

भोजपुरी गायक भरत शर्मा को झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार जमानत पर मुक्त करने का आदेश दिया है। उन्होंने 19 जुलाई को आयकर विभाग के तीन मामलों में अदालत में आत्मसमर्पण किया था। हलांकि शुक्रवार को हाईकोर्ट से फैक्स नहीं पहुंचने के कारण उन्हें जमानत नहीं दी गई। शनिवार को संभवत: फैक्स पहुंच जाएगा।

बता दें कि 19 जुलाई को आर्थिक अपराध की विशेष न्यायिक दंडाधिकारी श्वेता कुमारी की अदालत ने भरत शर्मा को तीनों मामलों में न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया था। भरत शर्मा तीनों मामलों में सजायाफ्ता हैं। जेल जाने के दूसरे ही दिन भरत शर्मा की तबीयत बिगड़ गई थी। सीने में दर्द की शिकायत पर उन्हें एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया था। वीआईपी वार्ड में रखकर उनका इलाज किया जा रहा है।

 डॉक्टरों ने बताया कि फिलहाल उनका बीपी और कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ है। बेल मिलने के बाद उन्हें छुट्टी दी जा सकती है।

रांची के खेलगांव स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आज से अग्निबीर के भर्ती के लिए कैम्प शुरू,8 अगस्त तक चलेगा भर्ती अभियान

रांची के खेलगांव स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शनिवार (27 जुलाई) से आठ अगस्त-2024 तक अग्निवीर, सेना भर्ती रैली आयोजित होगी। भर्ती कार्यालय, रांची के भर्ती निदेशक कर्नल विकास भोला ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी।

 कर्नल विकास भोला ने बताया कि परिस्थिति को देखने के बाद रैली 10 अगस्त तक बढ़ायी जा सकती है। झारखंड में अग्निवीरों के लिए यह तीसरी भर्ती रैली है।

22 अप्रैल से तीन मई तक लिखित परीक्षा हुई थी। इसमें 95,549 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। यह पिछले साल के मुकाबले 26 तक रजिस्ट्रेशन बढ़ा है। कर्नल ने कहा, जिन अभ्यर्थियों का एकाउंट लॉक हो गया है या एडमिट कार्ड नहीं मिला है। वे अभ्यर्थी जिन्हें लगता है कि वे लिखित परीक्षा में पास हो चुके हैं और फीजिकल के योग्य हैं। उन्हें भर्ती बोर्ड भर्ती केंद्र पर एडमिट कार्ड उपलब्ध करा देगा।

कब किसकी भर्ती रैली

● 27 जुलाई: धार्मिक अफसर, अग्निवीर टेक्नीकल, अग्निवीर ऑफिस असिस्टेंट

● 28 जुलाई: अग्निवीर ट्रेड्समैन आठवीं और दसवीं पास

● 29 जुलाई से 5 अगस्त: जनरल ड्यूटी सभी जिलों के लिए।

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ भाग -2 : संथाल में बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासियों के अस्तित्व खतरे में

विनोद आनंद

इन दिनों झारखंड में बंगलादेशी घुसपैठियों के कारण न मात्र आंतरिक सुरक्षा पर खतरा बढ़ता जा रहा है बल्कि आदिवासियों के अस्तित्व भी खतरे में है।जिसको बाबूलाल मरांडी ने गंभीरता से उठाया है।

संथाल के दुमका समेत कई जिले ऐसे हैं, जहां बांग्लादेशी मुसलमान न केवल आ रहे, बल्कि घर-बार तक बसा रहे हैं।जिसको लेकर स्थानीय स्तर पर भी कुछ आदिवासी नेताओं ने डर जताया है कि जल्द अगर इस पर रोक नही लगा तो उनकी जमीन हीं नही बेटियों को ये लोग टारगेट कर रहे हैं।उसे अपने प्रेम पाश में फंसा कर शादी तो कर ही रहे हैं साथ हीं दान में जमीन भी लिखा रहे हैं ।

अब पड़ताल करने की जरूरत है कि स्थानीय लोगों के इस डर में कितनी सच्चाई है? क्या इतना आसान है सीमा के उस पार से इस पार आकर बस जाना? क्या ये कथित घुसपैठ, महज रोटी-कपड़ा-मकान जैसी बेसिक जरूरतों के लिए हो रही है या एक पूरा तंत्र स्थापित हो चुका है जो इलाके की डेमोग्राफी बदलकर एक बड़े खतरे की वजह बन सकता है?

 ऐसे कई सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश के लिए हमे संथाल-परगना के मौजूदा हालात का अवलोकन करना होगा।

आदिम जातियों के अस्तित्व को लेकर नही है सरकार गंभीर

संथाल के पाकुड़, साहिबगंज और दुमका में आदिवासियों का अस्तित्व तो खतरे में है हीं। लेकिन पूरे झारखंड छत्तीसग़ढ में भी विभिन्न समुदाय के आदिवासियों को न तो उचित सरक्षण मिल रहा है और नही उनके अस्तित्व को लेकर सरकार गंभीर है।इसी कारण आदिवासियों की संख्यां घटती जा रही है।

 आदिवासियों की गरीबी, अशिक्षा और उनके भोलेपन के कारण उन्हें टारगेट करना ऐसे शक्तियों के लिए आसान हो जाता है जो इस क्षेत्र में घुसपैठ कर अपने स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं।यही हुआ ब्रिटिश हुकूमत के समय अंग्रेजों ने किया , और य आज बांग्ला देशी कर रहे हैं।

अंग्रेजों ने सुविधा और उन्हें प्रलोभन देकर उनका धर्म परिवर्तन कराया और उसे ईसाई बनाया, जिसका बिरसा मुंडा ने विरोध किया था। और आज बांग्ला देशी मुसलमान कर रहे हैं।

 इसके अलावे कई सामाजिक स्थितियां, रूढ़िबाद और सरकार की उपेक्षात्मक नीति के कारण कई आदिवासी समुदाय का अस्तित्व लगातार खतरे में है।उनकी संख्यां लगातार घटती जा रही है।आज भी ये मुख्यधारा से नही जुड़ पाये।सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक नही पहुंच रहा है।दुर्भाग्य तो यह है कि राज्य के सत्ता का कमान आदिवासियों के हाथ में रही इसके वाबजूद आदिम जातियों में कई ऐसे वर्ग है जिसके विकास के लिये कुछ नही हुआ।ऐसे वर्गों में पहाड़िया, बिरहोर और कई ऐसे आदिवासी समूह है जिसका अस्तित्व मिटता गया।मुख्यधारा से कटे ये लोग बीमारियों से ग्रस्त होकर मरते रहे और इनकी संख्यां लगातार घटती गयी।

शादी,दान में जमीन और फिर धर्म परिवर्तन का खेल है जारी

संथाल में बंगलादेशी की घुसपैठ एक साजिश है या उसके रोजीरोटी की जरूरत यह जांच का विषय है जिसे राज्य सरकार और केंद्र सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए, लेकिन संथाल में जो कुछ भी हो रहा है नि:सन्देह आदिवासियों के अस्तित्व पर खतरा है।

 यहां बांग्ला देशी तो घुसपैठ करते हैं रोजगार के नाम पर लेकिन यहां स्थायी रुप से बसने के लिए इनका टारगेट होता है यहां के आदिवासी समुदाय।यहां अपनी शुरुआत तो छोटा मोटा रोजगार से शुरू करते हैं।लेकिन उसके बाद वे लवजिहाद का सहारा लेकर पहले आदिवासी लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाते और उस से शादी कर उसके अभिभावक से दानपत्र में जमीन लिखा कर स्थायी निवास बना लेते हैं।

 इन लोगों का उधेश्य लड़कियों से शादी करना, उसकी संपत्ति पर कब्जा होता है। बताया जाता है कि घुसपैठियों का कथित नेटवर्क मुस्लिम युवक को आदिवासी युवती के नजदीक लाता है, जो चंद रुपयों के लेन-देन के क्रम में प्यार में बदल जाता है। अंतत: लड़की शादी के लिए मान जाती है। शादी के बाद मुस्लिम युवक वहीं बस जाता है। ऐसे कई लोग जिन जगहों पर रह रहे हैं उन्हें संथाल परगना में जमाई टोला कहा जाता है। जमाई का मतलब है दामाद।

शादी के बाद आदिवासी लड़की की जमीन पर भी उनके पति का अधिकार हो जाता है। उनकी जमीनों पर वे खनन पट्टे भी हासिल कर लेते हैं। संथाल परगना में आदिवासी अपनी जमीन बेच नहीं सकते, इस वजह से लैंड गिफ्ट का खेल गिफ्ट डीड के जरिए चलता है। इसका कोई कानूनी महत्व नहीं है। आरोप है कि इसकी आड़ में ही घुसपैठ करने वाले लोग सस्ते में आदिवासियों की जमीन खरीद रहे हैं।

आदिवासियों के बीच काम करने वाले समाजसेवी चंद्रमोहन हांसदा का मानना है कि ‘‘अंतरजातीय विवाह आदिवासी समाज के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हो रहा है। इस समाज में बिठलाहा प्रथा है, जिसके तहत अगर कोई आदिवासी दूसरी जाति या धर्म के लोगों से विवाह करता था तो उसे उसके समाज से निकाल दिया जाता है। यह बंगलादेशी मुसलमानों के लिए इन आदिवासियों को मुस्लिम धर्म अपनाने और मुसलमान बनाने के लिए उनकी राह को और आसान कर दिया जाता है।

सांसद निशिकांत दुबे का दावा,आदिवासियों से बांग्लादेशी की शादी के कारण 10 फीसदी आवादी घटी

झारखंड में लगातार बांग्ला देशी मुस्लिम आबादी की घुसपैठ और उसके द्वारा आदिवासी महिलाएं से शादी का दावा करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि संथाल परगना में साल 2000 में आदिवासियों की जनसंख्या 36 फीसद थी और आज 26 फीसदी रह गई है। ऐसे में 10 फीसदी आदिवासी कहां गायब हो गए? उन्होंने कहा कि हमारे यहां जिला परिषद की जो अध्यक्षा हैं उनके पति मुसलमान हैं. ऐसे में झारखंड में कुल 100 आदिवासी मुखिया है, जो आदिवासी के नाम पर है और उन सभी के पति मुसलमान हैं।

 उन्होंने यह भी दावा किया कि हर 5 साल में 15 से 17 फीसद जनसंख्या बढ़ती है। सांसद ने कहा कि मधुपुर विधानसभा में करीब 267 बूथों पर 117 फीसद मुसलमानों की आबादी बढ़ गई है। ऐसे में समझिए पूरे झारखंड में कम से कम 25 विधानसभा ऐसी है जहां 123 पर 110 पर आबादी बढ़ी है। यह एक बड़ा चिंता का विषय है।उन्होंने तो लोकसभा में मांग किया कि भारत सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। और किशनगंज अररिया, कटियार, मालदा, मुर्शिदाबाद और पूरा संथाल परगना है। इसको भारत सरकार यूनियन टेरिटरी बनाये ताकि इस स्थान पर घुसपैठ को रोका जा सके।

क्या एक बड़ी साजिश से बदलती जा रही है डेमोग्राफी’

सहिबगंज , दुमका , पाकुड़ में बढ़ती मुस्लिम आवादी और घटती आदिवासियों की आवादी को लेकर दुमका के घाट-रसिकपुर गांव की प्रिसला हंसदा ने ने एक मीडिया को बताया कि यहां की मुखिया की पोस्ट आदिवासी महिला के लिए रिजर्व है। यहां की मुखिया प्रिसला हंसदा है और उसने एक मुस्लिम से शादी की है। मुसलमान से शादी करने के वाबजूद प्रिसला ने खुद ये माना है कि आदिवासी लड़कियों का ऐसी शादी करना गलत है। उन्होंने कहा कि इससे उनके समुदाय को नुकसान हो रहा है और ऐसी शादियां रुकनी चाहिए। 

संथाल परगना में आदिवासियों के बीच काम करने वाले सोशल वर्कर्स इस बदलती डेमोग्राफी को एक बड़ी साजिश मानते हैं। उनका कहना है कि एक प्लानिंग के तहत आदिवासी महिलाओं से शादी की जा रही है ताकि आदिवासियों के सियासी अधिकारों पर कब्जा किया जा सके।

दुमका की जामा मस्जिद के इमाम का अजीब तर्क

दुमका के सोशल वर्कर चंद्रमोहन हांसदा ने कहा कि ऐसी शादियों का मकसद आदिवासियों के नाम पर मिलने वाले पट्टों पर कब्जा करना भी होता है। संथाल के आदिवासी भोले होते हैं। यहां बांग्लादेशी मुस्लिम आकर, अपनी जान पहचान बढ़ाकर यहां की बहू बेटियों से शादी कर रहे हैं। वहीं, दुमका की जामा मस्जिद के इमाम ने संथाल परगना में मुसलमानों की आबादी बढ़ने का एक अजीब तर्क दिया। इमाम जमील अख्तर ने कहा कि मुसलमानों के अलावा बाकी सभी समुदायों के लोग नशाखोरी करते हैं, पर चूंकि मुसलमानों के यहां नशा हराम है इसलिए उनकी नशाखोरी से मौत नहीं होती और आबादी बढ़ती जाती है। इमाम जमील अख़्तर ने इसके लिए हाथरस हादसे की मिसाल भी दे डाली।

निष्कर्ष

संथाल में बढ़ते इस बांग्लादेशी घुसपैठ के पीछे साजिश है या मकसद, सरकार को इसकी गहन जांच करनी चाहिए।महज वोट बैंक के लिए देश की सुरक्षा के साथ खिलबाड़ करना और आदिवसियों के अस्तित्व को मिटाने वाले शक्ति को बढ़ावा देना। कतई उचित नही है।इसके लिए सच सामने लाने के लिए सरकार को सर्वे कराकर आंकड़ा सामने लाना चाहिए,उस पर कारबाई करनी चाहिए।

इस मुद्दा को राजनीति से ऊपर उठकर ठोस नीति बनाना चाहिए तथा जो भी कानून सम्मत हो कारबाई किया जाना चाहिए।