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प्रथा : सावन में पांच दिनों तक कपड़े नहीं पहनतीं इस गांव की महिलाएं,वजह जानकार रह जाएंगे आप दंग

 

सावन का महीना शुरू हो गया है. ऐसे में हिंदू धर्म को मानने वाले लोग इस पवित्र महीने में अपनी परंपराओं के अनुसार कई ऐसी चीजें करते हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे. चलिए आज आपको भारत के एक ऐसे ही गांव की कहानी बताते हैं, जहां सावन के महीने में 5 दिनों तक महिलाएं कपड़े नहीं पहनती हैं.इसके साथ ही आपको ये भी बताएंगे कि आखिर वहां की महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं और क्या पुरुषों के लिए भी इस गांव में कोई नियम लागू होते हैं.

कहां है ये गांव


हम जिस भारतीय गांव की बात कर रहे हैं वो हिमाचल प्रदेश के मणिकर्ण घाटी में स्थित है. इस गांव का नाम पिणी गांव है. यहां सदियों से ये परंपरा चली आ रही है. सावन के महीने में खास 5 दिनों तक यहां की महिलाएं कपड़े नहीं पहनतीं. यही वजह है कि इन पांच दिनों में बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश पूरी तरह से बैन रहता है.

महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं


हिमाचल प्रदेश के इस गांव का इतिहास सदियों पुराना है. इसलिए यहां कई ऐसी परंपराएं हैं जो कहीं और देखने को नहीं मिलतीं. सावन में पांच दिनों तक कपड़े ना पहनने की परंपरा भी सदियों पुरानी है. चलिए अब जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है.

दरअसल, एक समय में इस गांव में राक्षसों का इतना आतंक था कि गांव वालों का जीना मुश्किल हो गया था. जब राक्षसों का आतंक बहुत बढ़ा तो इस गांव में लाहुआ घोंड नाम के एक देवता आए और उन्होंने राक्षस का वध कर के गांव वालों को बचा लिया. बताया जाता था कि राक्षस जब गांव में आते थे तो वह सजी-धजी महिलाओं को उठा ले जाते थे. यही वजह है कि आज भी सावन के इन पांच दिनों में महिलाएं कपड़े नहीं पहनतीं.

तो फिर क्या पहनती हैं महिलाएं?

पिणी गांव में आज हर महिला इस परंपरा को नहीं निभाती. लेकिन जो महिलाएं अपनी इच्छ से ये परंपरा निभाती हैं वो इन पांच दिनों में ऊन से बना एक पटका पहनती हैं. परंपरा निभाने वाली महिलाएं इन पांच दिनों में घर से बाहर नहीं निकलीं. इस परंपरा को खासतौर से गांव की शादीशुदा महिलाएं ही निभाती हैं.

क्या पुरुषों के लिए भी कोई नियम है?


ऐसा नहीं है कि इस गांव में सिर्फ महिलाओं के लिए ही नियम है. पुरुषों के लिए नियम है कि वह सावन के महीने में शराब और मांस का सेवन नहीं करेंगे. इन खास पांच दिनों में तो इस परंपरा का पालन करना सबसे ज्यादा जरूरी है. वहीं इस परंपरा के अनुसार, इन पांच दिनों में पति पत्नी एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी नहीं सकते. अगर आप घूमने के शौकीन हैं तो आप इस गांव में जा सकते हैं. हालांकि, सावन के इन पांच दिनों में आपको इस गांव में प्रवेश नहीं मिलेगा. गांव वाले लोग इन पांच दिनों को बेहद पवित्र मानते हैं और इसे त्योहार की तरह मनाते हैं. ऐसे में वह किसी बाहरी व्यक्ति को इन पांच दिनों में अपने गांव में प्रवेश नहीं देते.

जंगल के बीच मौजूद इस प्राचीन मंदिर में साक्षात निवास करते हैं भगवान शिव

रांची: झारखंड के प्रसिद्ध टांगीनाथ धाम में मौजूद हैं अनेकों शिवलिंग. यह श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र है. यहां सावन महीने में खास श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है. 

झारखंड के गुमला जिले में स्थित है टांगीनाथ धाम. यह पवित्र धाम अपने समृद्ध इतिहास और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. यहां भगवान शिव और फरसे की पूजा होती है. गुमला जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर मौजूद यह प्राचीन शिवालय टांगीनाथ पहाड़ पर स्थित है. लगभग 300 फीट ऊंचे पहाड़ पर मौजूद टांगीनाथ में भगवान परशुराम के फरसे की पूजा की जाती है. 

वैसे तो पूरे साल टांगीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है. मगर सावन के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन-पूजन करने टांगीनाथ धाम पहुंचते हैं. टांगीनाथ पहाड़ पर अनेकों शिवलिंग के साथ कई देवी देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं. श्रावण मास में टांगीनाथ धाम में विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस दौरान टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं.

यहां होता है श्रावणी मेले का आयोजन

हर साल सावन महीने में टांगीनाथ पहाड़ पर श्रावणी मेले का आयोजन किया जाता है. इस दौरान प्रशासन मंदिर में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ और मेले की तैयारियों का जायजा लेती है. इस साल 22 जुलाई से शुरू हुए सावन माह के साथ श्रावणी मेले का भी आगाज हो गया. सावन के पहले सोमवार पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने टांगीनाथ धाम में भगवान शिव के दर्शन किए. इस दौरान विधि व्यवस्था सुदृढ़ रही. घने जंगल के बीच स्थित टांगीनाथ धाम में हजारों शिव भक्त बाबा के दर्शन करने आते हैं. सावन के दौरान इस जगह का महत्व बढ़ जाता है दूर-दूर से लोग भगवान शिव की आराधना करने टांगीनाथ धाम आते हैं.

इसका भगवान परशुराम से है खास नाता

टांगीनाथ धाम को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं सुनने को मिलती है. इसमें सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार प्राचीन युग में भगवान परशुराम ने टांगीनाथ पहाड़ पर भगवान शिव की आराधना की थी. जिस जगह परशुराम तपस्या कर रहे थे, वहीं बगल में उन्होंने अपना परशु यानी फरसा गाढ़ दिया था. फरसा को टांगी भी कहा जाता है. यही कारण है इस जगह का नाम टांगीनाथ धाम पड़ा. टांगीनाथ पहाड़ पर गड़ा भगवान परशुराम का फरसा काफी रहस्यमय है. इस फरसे की आकृति त्रिशूल से मिलती है, इस कारण भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस फरसे की पूजा करते हैं. सालों से खुले आसमान के नीचे गड़े इस फरसे पर कभी जंग नहीं लगती है. टांगीनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है.

आज का पंचांग- 25 जुलाई 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - श्रावण

अमांत - आषाढ़

तिथि

पञ्चमी - 01:58 ए एम, जुलाई 26 तक

नक्षत्र

पूर्व भाद्रपद - 04:16 पी एम तक

उत्तर भाद्रपद-26 जुलाई 2ः 30 पी एम तक

योग

शोभन - 07:49 ए एम तक

अतिगण्ड - 04:35 ए एम, जुलाई 26 तक

अशुभ काल

राहू - 02:10 पी एम से 03:52 पी एम

यम गण्ड - 05:39 ए एम से 07:21 ए एम

कुलिक - 09:03 ए एम से 10:45 ए एम

दुर्मुहूर्त - 10:11 ए एम से 11:06 ए एम

वर्ज्यम् - 01:10 ए एम, जुलाई 26 से 02:39 ए एम, जुलाई 26

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 12:00 पी एम से 12:55 पी एम

अमृत काल - 11:39 AM- 01:07 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 ए एम से 04:57 ए एम

आज का राशिफल, 25जुलाई 2024:जानिए राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष दैनिक राशिफल 

यदि आप निर्णय लेने में साहसिक दृष्टिकोण अपनाते हैं और पिछले निर्णयों पर विचार करते हैं तो आप कई स्थानों पर जा सकते हैं। ऐसे किसी भी कार्य से शुरुआत करें जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता हो; आपकी कड़ी मेहनत और बारीकियों पर ध्यान आपको एक सफल व्यवसाय स्वामी बनाएगा।

 वृषभ दैनिक राशिफल 

व्यक्तिगत स्तर पर, प्रगति पर यह ध्यान आपके प्रेम जीवन में बदल जाता है। संभावना है कि आप अपने दिल की इच्छाओं को पूरा करेंगे और अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे, एक मजबूत बंधन बनाने के लिए किसी भी अनकही कठिनाइयों का समाधान करेंगे।

मिथुन दैनिक राशिफल 

आज, आपकी फिटनेस को बेहतर बनाने के लिए बेहतर अवसर आने की संभावना है, जिससे आपके पास सुधार के लिए काफी गुंजाइश बचेगी। कार्यस्थल पर आपकी मुलाकात नए साथियों से हो सकती है और आप उनसे मित्र बनाने में सक्षम होंगे।

कर्क दैनिक राशिफल.

आज आपका विनम्र रवैया आपको अपना कौशल दिखाने और पहचान हासिल करने में मदद करेगा। हालाँकि, घर पर आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता हो सकती है। कठिन विषयों पर बात करते समय सावधान रहें कि आप किन शब्दों का प्रयोग करते हैं।

सिंह दैनिक राशिफल 

आज आपको अपने आवेगपूर्ण व्यवहार पर दृढ़ नियंत्रण बनाए रखना होगा अन्यथा यह आपके प्रेम जीवन को नुकसान पहुंचाएगा। सिंह, आपके काम और निजी जीवन के बीच एक सुंदर संतुलन के लिए सितारे संरेखित हो रहे हैं। घरेलू मोर्चे पर, अपने साथी को अधिक समय देने के आपके प्रयासों को गर्मजोशी और सराहना मिलने की संभावना है।

कन्या दैनिक राशिफल 

आपके द्वारा हाल ही में बनाए गए नए सामाजिक संबंध भविष्य में भी फायदेमंद साबित हो सकते हैं, इसलिए इन रिश्तों को पोषित करें। अपने करियर की ओर मुड़ते हुए, प्रेरणा की एक मजबूत भावना आपको नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करती है। हालाँकि, याद रखें कि अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच स्वयं की देखभाल को प्राथमिकता दें।

तुला दैनिक राशिफल 

एक संतुलित दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि आप आज भी अपने जीवन के सभी पहलुओं में चमकते रहें। आज आप स्वास्थ्य संबंधी जो भी निर्णय लेंगे, उससे बाद में आपको लाभ होने की संभावना है, इसलिए शुरुआत से ही अनुशासित अभ्यास स्थापित करने का लक्ष्य रखें।

वृश्चिक दैनिक राशिफल 

अपने जीवन के प्यार के सहयोग से, आप किसी उत्कृष्ट कार्य ज़िम्मेदारी को पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं। यदि आपमें अधिक ऊर्जा और उत्साह है तो सफलता की सीढ़ी चढ़ना आसान होगा। आज वह दिन हो सकता है जब प्रबंधन आपको अधिक जिम्मेदारी देकर आपके नेतृत्व कौशल को क्रियान्वित करेगा।

धनु दैनिक राशिफल 

आज, आप ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की अधिक संभावना रखते हैं जो आपको आनंदित करती हैं, और आपके जीवन में बहुत आवश्यक संतुलन लाती हैं। अपने बच्चे के स्वास्थ्य पर आपका ध्यान ताज़ा फिटनेस दिनचर्या का अवसर प्रदान करता है जिसे आप एक साथ शुरू कर सकते हैं।

मकर दैनिक राशिफल 

कुछ दिलचस्प अवसर, व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों, आपके बायोडाटा को बढ़ाएंगे और एकल लोगों को आगे बढ़ने में मदद करेंगे। ग्रह आपके पक्ष में हैं, और बढ़े हुए फोकस और ऊर्जा के साथ, आप अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में अधूरे काम को पूरा करने में सक्षम होंगे।

कुंभ दैनिक राशिफल 

जीवनशैली में बदलाव करना, जैसे अनुशासित दिनचर्या स्थापित करना और सकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करना, आपको जीवन का एक नया तरीका खोजने में मदद करेगा। रिश्ते संबंधी संदेह अपरिहार्य हैं लेकिन उन्हें आप जो मानते हैं उसे प्रभावित करने की अनुमति न दें। इसके बजाय, इन चिंताओं को शांत और स्पष्ट दिमाग से देखें।

मीन दैनिक राशिफल 

कार्यस्थल पर बातचीत के दौरान भावनात्मक नियंत्रण बनाए रखना समाधान खोजने की कुंजी होगी। सौभाग्य से, आपके करियर की संभावनाओं में सुधार होता दिख रहा है! इसलिए, अपने रास्ते में आने वाले किसी भी मौके का लाभ उठाएं, क्योंकि यह एक सफल यात्रा की शुरुआत हो सकती है।

आज का राशिफल, 24 जुलाई 2024:जानिए राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा....?

ग्रहों की स्थिति : वृषभ राशि में मंगल और गुरु, सूर्य और शुक्र कर्क राशि में, केतु कन्या राशि में, शनि और चंद्रमा का विष योग, अप्रत्यक्ष विष योग क्योंकि शनि वक्री हैं, कुंभ राशि में चल रहे हैं। राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं। राशिफल देखते हैं-

मेष राशि : मन परेशान रहेगा। आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। भ्रामक समाचार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार मध्यम दिख रहा है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

वृषभ राशि : किसी नए व्यापार की शुरुआत न करें। पिता के स्वास्थ्य पर ध्यान दें। स्वयं के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें। सीने में विकार संभव है, उस पर भी ध्यान दें। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार मध्यम। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

मिथुन राशि : अपमानित होने का भय रहेगा। यात्रा कष्टकारी हो सकती है। भाग्य पर भरोसा करके कोई काम न करें। स्वास्थ्य ठीक है। प्रेम-संतान ठीक है। व्यापार मध्यम है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

कर्क राशि : चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। बहुत बचकर पार करें। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान लगभग ठीक है। व्यापार भी ठीक है। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि : जीवनसाथी के स्वास्थ्य व साथ पर ध्यान दें। खुद के स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें, प्रेम-संतान और व्यापार मध्यम दिख रहा है। बचकर पार करें। नीली वस्तु का दान करें।

कन्या राशि : शत्रुओं पर विजय पाएंगे। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य थोड़ा मध्यम रहेगा। प्रेम-संतान भी मध्यम और व्यापार अच्छा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

तुला राशि : मन व्यथित रहेगा। बच्चों की सेहत को लेकर मन परेशान रहेगा। प्रेम में तूतू-मैंमैं का संकेत है। मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ रहेगा। व्यापार सही चलता रहेगा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

वृश्चिक राशि : घरेलू सुख बाधित होगा। घर में कोई बड़े स्तर का लड़ाई-झगड़ा न हो इस बात का ध्यान रखें। स्वास्थ्य मध्यम। सीने में विकार संभव है। प्रेम-संतान अच्छा और व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें।

आज 18 साल बाद भारत में दिखेगा शनि का चंद्रग्रहण, कुछ घंटों के लिए रात में जारी रहेगी लुकाछिपी

धनु राशि : पराक्रम रंग लाएगा। रोजी-रोजगार में तरक्की करेंगे। लेकिन नए व्यापार की शुरुआत अभी न करें। स्वास्थ्य मध्यम, नाक-कान व गला की परेशानी हो सकती है। प्रेम-संतान अच्छा और व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि: धन हानि के संकेत हैं। निवेश मत करिएगा। जुआ-सट्टा लॉटरी में पैसे न लगाएं। मुख रोग के शिकार हो सकते हैं। बाकी प्रेम-संतान, व्यापार अच्छा है। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि : घबराहट, बेचैनी बनी रहेगी। ऊर्जा का स्तर घटता-बढ़ता रहेगा। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि : खर्च की अधिकता मन को परेशान करेगी। सिर दर्द, नेत्र पीड़ा संभव है। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान मध्यम, व्यापार मध्यम। शिवजी को प्रणाम करते रहें और उनका जलाभिषेक करते रहें, शुभ होगा।

आज का पंचांग- 24 जुलाई 2024:जानिए पंचांग के अनुसार. आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - श्रावण

अमांत - आषाढ़

तिथि

कृष्ण पक्ष तृतीया- जुलाई 23 10:23 AM- जुलाई 24 07:30 AM

कृष्ण पक्ष चतुर्थी [ क्षय तिथि ] - जुलाई 24 07:30 AM- जुलाई 25 04:40 AM

कृष्ण पक्ष पंचमी- जुलाई 25 04:40 AM- जुलाई 26 01:58 AM

नक्षत्र

शतभिषा - जुलाई 23 08:18 PM- जुलाई 24 06:14 PM

पूर्वभाद्रपदा - जुलाई 24 06:14 PM- जुलाई 25 04:16 PM

पंचांग- 24 जुलाई 2024

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - श्रावण

अमांत - आषाढ़

तिथि

कृष्ण पक्ष तृतीया- जुलाई 23 10:23 AM- जुलाई 24 07:30 AM

कृष्ण पक्ष चतुर्थी [ क्षय तिथि ] - जुलाई 24 07:30 AM- जुलाई 25 04:40 AM

कृष्ण पक्ष पंचमी- जुलाई 25 04:40 AM- जुलाई 26 01:58 AM

नक्षत्र

शतभिषा - जुलाई 23 08:18 PM- जुलाई 24 06:14 PM

पूर्वभाद्रपदा - जुलाई 24 06:14 PM- जुलाई 25 04:16 PM

योग

सौभाग्य - जुलाई 23 02:35 PM- जुलाई 24 11:10 AM

शोभन - जुलाई 24 11:10 AM- जुलाई 25 07:48 AM

अशुभ काल

राहू - 12:33 PM- 2:12 PM

यम गण्ड - 7:37 AM- 9:15 AM

कुलिक - 10:54 AM- 12:33 PM

दुर्मुहूर्त - 12:07 PM- 12:59 PM

वर्ज्यम् - 12:07 AM- 01:35 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - Nil

अमृत काल - 11:39 AM- 01:07 PM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:22 AM- 05:10 AM

आस्था : भगवान राम के पुत्र से जुड़ा है अयोध्या के इस प्राचीन शिव मंदिर का इतिहास! जानें मान्यता

मान्यता : इस मंदिर में गये बगैर अयोध्या में श्रीराम के दर्शन रह जाते हैं अधूरे


अयोध्या : सावन का पवित्र महीना चल रहा है और सावन के इस पवित्र महीने में शिव भक्त प्राचीन मठ-मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक कर रहे हैं. तो वहीं मंदिर और मूर्तियों की नगरी अयोध्या में भी प्रभु राम से जुड़ा एक ऐसा शिव मंदिर है जिसकी महिमा अपरंपार है .भगवान राम की जन्मस्थली में कई ऐसे गुप्त दिव्य स्थान है जिसे अधिकतर लोग नहीं जानते हैं. उन्हीं में से एक स्थान है नागेश्वरनाथ मंदिर. यह अयोध्या के उन महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं के बीच उतना प्रसिद्ध नहीं है, लेकिन इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।

इस मंदिर का निर्माण प्रभु राम के पुत्र कुश ने कराया था

पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथो के अनुसार कहा जाता है कि नागेश्वरनाथ मंदिर का निर्माण त्रेता युग में भगवान राम के पुत्र कुश ने करवाया था. पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान राम के पुत्र कुश सरयू में स्नान कर रहे थे। उस वक्त उनकी बांह से कड़ा निकलकर सरयू में गिर गया. कुश ने उसे खूब तलाशा, लेकिन वह नहीं मिला। वह कड़ा सरयू में ही रहने वाले नागराज कुमुद को मिल गया, जिसे उन्होंने अपनी बेटी को दे दिया. जब कुश को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने कुमुद से अपना कड़ा मांगा, लेकिन नागराज ने वह कड़ा देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया और कहा कि बेटी को दिया गया उपहार वापस नहीं लिया जाता है. इस तर्क पर क्रोध से तिलमिलाए कुश ने धनुष उठा लिया और पृथ्वी से संपूर्ण नाग जाति का संहार करने के लिए आगे बढ़ गए. तब कुमुद ने भगवान शिव से प्रार्थना की. भगवान शिव प्रकट हुए और कुश को शांत करवाया.

मान्यता : नागेश्वरनाथ मंदिर में गये बगैर अयोध्या में श्रीराम के दर्शन अधूरे रह जाते हैं

पंडित कल्कि राम बताते हैं कि यहां विधि विधान के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है. सावन और शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में काफी भीड़ होती है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं. इसके अलावा अयोध्या में मंदिरों के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु भी इस मंदिर में जाते हैं. मान्यता कि इस मंदिर में गए बिना अयोध्या में श्रीराम के दर्शन अधूरे रह जाते हैं.

दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, पांडवों ने बनाया था इसे, सावन में जरूर करें इसके दर्शन

 सावन का पावन महीना शुरू हो चुका है. इस सावन आप भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के दर्शन करिए जो दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर है. इस शिव मंदिर का इतिहास पांच हजार साल पुराना है. पौराणिक मान्यता है कि इस मंदिर में ही भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पांडवों ने पूजा की थी और मंदिर का निर्माण करवाया था.

यह शिव मंदिर उत्तराखंड में है और इसका नाम तुंगनाथ मंदिर है. वैसे भी सावन के महीने में शिव मंदिरों में दर्शन औ पूजा-पाठ को सबसे ज्यादा पुण्य देने वाला माना जाता है. देश में भगवान शिव के ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी खूब मान्यता है. इन मंदिरों से पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है और देशभर के श्रद्धालु इन मंदिरों में भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए आते हैं. आइए पवित्र सावन में ऐसे ही शिव मंदिर तुंगनाथ के बारे में जानते हैं.

तुंगनाथ भगवान शिव का सबसे ऊंचाई पर स्थित शिव मंदिर है. यह मंदिर रूद्रप्रयाग जिले में है. तुंगनाथ मंदिर भी पंच केदार में शामिल है. यह मंदिर पहाड़ों की चोटी पर बसा है और समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई पर स्थित है. इस मंदिर के कपाट दिवाली के बाद बंद हो जाते हैं.

तुंगनाथ मंदिर ग्रेनाइट पत्थरों से बना है. तुंगनाथ मंदिर केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर के लगभग बीच में स्थित है. यह क्षेत्र गढ़वाल में पड़ता है. जनवरी और फरवरी में मंदिर बर्फ की चादर से ढक जाता है. इस मंदिर में भगवान शिव के हृदय और भुजाओं की पूजा होती है.

 मान्यता है कि भगवान राम ने जब रावण का वध किया था तब स्वयं को ब्रह्माहत्या के शाप से मुक्त करने के लिए इस मंदिर में भोलेनाथ की पूजा की थी. पौराणिक कथा है कि महाभारत युद्ध में नरसंहार से शिवजी पांडवों से रुष्ट हो गए थे और इसके बाद पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां तपस्या की और फिर इस शिव मंदिर का निर्माण कराया.

ऐसी भी मान्यता है कि माता पार्वती ने शिवजी को पति के रूप प्राप्त करने के लिए तुंगनाथ के पास ही तपस्या की थी. अगर आप इस शिव मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो चंद्रशिला के दर्शन जरूर करें क्योंकि ऐसा माना जाता है कि बिना इसके दर्शन किए तुंगनाथ मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है. 

चंद्रशिला मंदिर, तुंगनाथ मंदिर से कुछ ही दूरी पर है और यहां रावण शिला है. तुंगनाथ मंदिर की खोज ने आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी.

सावन में शिव भक्त क्यों करते हैं कांवड़ यात्रा, क्या है इसका लाभ और महत्व, जानें सब

सोमवार के दिन सावन महीने की शुरुआत हो गई है. सोमवार दिन ही सावन महीने का अंत हो रहा है. सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय भी है. सावन के प्रवेश करते ही सभी शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए शिव भक्तों की भीड़ उमड पड़ती है. 

खासकर सावन के महीने में कावड़ यात्रा का बेहद खास प्रचलन है. कावड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त गंगा नदी से जल भरकर पैदल चलते हैं.भगवान शिव के ऊपर जलाभिषेक करते हैं.

सावन के महीने में भगवान शिव के ऊपर जो भी भक्त जलाभिषेक करते हैं. उनकी मनोकामनाएं भगवान शिव पूर्ण करते हैं. 

वहीं सावन के महीने में कावड़ यात्रा का क्या महत्व है? क्या कहते है देवघर बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित?

देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित प्रमोद सिंगारी ने 'न्यूज़ फास्ट' से बताया कि इस साल बहुत सालों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है. सोमवार के दिन सावन महीने की शुरुआत हो रही है. सोमवार दिन ही सावन महीने का अंत हो रहा है. सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है.इस महीने में कावड़ यात्रा कर भगवान शिव के ऊपर जलाभिषेक करने से भक्तों के बड़े से बड़े पाप समाप्त हो जाते हैं.यहां सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिल जाती है. 

पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी जी यह भी बताते हैं कि सावन के महीने में ही समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में हलाहल किया था. जिस कारण उनका शरीर तपने लगा. तभी सभी देवताओं ने गंगा से जल उठाकर भगवान शिव के ऊपर अर्पण करने लगे और इससे भगवान शिव बेहद प्रसन्न हुए.

सबसे पहले किसने की कांवड़ यात्रा

माना जाता है कि सबसे पहले सावन में कावड़ यात्रा परम शिवभक्त भगवान परशुराम ने शुरू किया था. संतों और ऋषियों के द्वारा कावड़ यात्रा प्रारंभ हो गया. सावन के महीने में कावड़ यात्रा कर भगवान भोलेनाथ के द्वार पर जाकर जो भी भक्त भगवान भोलेनाथ के ऊपर जलार्पण करेगा. उनकी मुरादें अवश्य पूर्ण होगी और जीवन मे सुख समृद्धि की वृद्धि होगी.

देवघर मे भगवान राम किए थे सबसे पहले कांवड़ यात्रा

कुछ प्रचलित धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत भगवान राम ने की थी. मर्यादा पुरुषोत्तम ने बिहार राज्य के सुल्तानगंज से अपने कांवड़ में गंगाजल भरकर बाबा धाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था. यहीं से कांवड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है.

आस्था : तापों - संतापों से मुक्ति देती है सावन में शिव भक्ति

सावन के महीने से भगवान शिव का प्रामाणिक संबंध है। वैसे तो भक्त बारहों महीने भगवान भोलेनाथ की भक्ति और पूजा-आराधना करते रहते हैं, किन्तु देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास व्रत आरंभ होने के कारण इस दिन से साधु-संत और तपस्वीगण एक ही स्थान पर रहते हुए स्वाध्याय, तप, साधना एवं प्रवचन इत्यादि करते हैं।

दरअसल, चातुर्मास काल में भगवान श्रीविष्णु क्षीरसागर में शयन करते हैं, जिसके कारण इस काल में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य यथा विवाहादि आयोजित नहीं किये जाते, किन्तु सृष्टि का संचालन यथावत चलता रहे इसलिए सृष्टि-संचालन का कार्यभार भगवान भोलेनाथ अपने हाथों में ले लेते हैं।

 इस प्रकार प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के दिन से अगले चार महीनों तक भगवान भोलेनाथ ही सृष्टि का संचालन करते हैं। इसी चातुर्मास काल में एक महीना सावन का भी होता है, जो कि भगवान शिव की भक्ति और महिमा के लिए विख्यात है।

सावन हिंदू पंचांग का पांचवां महीना होता है। ज्येष्ठ-आषाढ़ की तपाती गर्मी, उमस और चिलचिलाती धूप से परेशान संपूर्ण प्राणी जगत को सावन महीने की प्रतीक्षा रहती है, क्योंकि इस महीने में होने वाली रिमझिम वर्षा के कारण तापमान में गिरावट आती है और प्रकृति में सुखद परिवर्तन होते हैं। इसके परिणामस्वरूप संपूर्ण सृष्टि में तृप्ति और तुष्टि का प्रसार होता है तथा प्राणियों के जीवन में उमंग, उल्लास और प्रसन्नता का संचार होने लगता है। तात्पर्य यह कि सावन हरियाली, सुंदरता, सकारात्मकता, शुभता और पवित्रता का महीना होता है, जो प्रायः प्रत्येक प्राणी के लिए तृप्ति, तुष्टि, उमंग, उल्लास, प्रसन्नता, नवोन्मेष एवं नवजीवन का उपहार लेकर आता है।

 वैसे धार्मिक-आध्यात्मिक दृष्टि से भी यह महीना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस महीने में हिंदुओं के कई प्रमुख तीज-त्योहारों की शुरुआत होती है, जिनमें हरियाली तीज, रक्षा-बन्धन एवं नाग-पंचमी प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं। साथ ही भगवान शिवजी को अत्यंत प्रिय होने के कारण इस महीने में उनकी विशेष पूजा-आराधना करने का विधान भी शास्त्रों में वर्णित है।

सावन के महीने का भगवान शिव से संबंध होने के कई आध्यात्मिक एवं पौराणिक आधार हैं। इनमें एक प्रमुख आधार यह पौराणिक मान्यता भी है कि इसी महीने में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपने ससुराल गए थे, जहां उनका स्वागत अर्घ्य एवं जलाभिषेक से किया गया था। 

तबसे लेकर आज तक शिवभक्तों के बीच यह मान्यता चली आ रही है कि भगवान शिव प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में भूलोक पर अवतरित होकर अपने ससुराल आते हैं। वस्तुतः भू-लोक वासियों के लिए शिव-कृपा प्राप्त करने का यह उत्तम समय होता है।

इसी प्रकार शिव और सावन के बीच के विशेष संबंधों का दूसरा प्रमुख आधार पौराणिक कथाओं में वर्णित कल्याणकारी एवं समुद्र मंथन का प्रसंग भी है। मान्यता है कि हिन्दू संस्कृति में विशेष रूप से महत्वपूर्ण एवं उल्लेखनीय समुद्र मंथन का कार्य सावन के महीने में ही संपन्न हुआ था। समुद्र मंथन से निकले विष की भयावहता को देखते हुए महाकल्याणी महादेव ने संपूर्ण विश्व को किसी भी प्रकार के अनिष्ट से बचाने हेतु उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विषपान करने के बाद महादेव का कंठ नीलवर्णी हो गया, जिसके कारण ही वे 'नीलकंठ' कहलाये।

विषपान से उत्पन्न ताप को दूर करने तथा भगवान भोलेनाथ को शीतलता प्रदान करने के लिए मेघराज इंद्र ने तो तब घनघोर वर्षा की ही, सभी देवी-देवताओं ने भी उन्हें जल अर्पित किया, जिससे भगवान शिव का ताप कम हुआ और उन्हें शांति मिली। मान्यता है कि तबसे ही महादेव का अभिषेक करने की परंपरा प्रारंभ हुई। इसी प्रकार शिव और सावन के बीच के विशेष संबंधों का तीसरा प्रमुख आधार देवी सती की कथा है। 

कथानुसार उन्होंने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से अपने शरीर का त्याग करने के बाद अपने दूसरे जन्म में पार्वती के नाम से हिमालय के घर में जन्म लिया। पार्वती ने बचपन से ही सावन के महीने में निराहार रहते हुए भगवान भोलेनाथ को जलार्पण कर कठोर व्रत किया। ताकि उन्हें पति के रूप में पुनः शिव प्राप्त हों। पार्वती जी की कठोर साधना से प्रसन्न हुए भगवान शिव ने उन्हें सावन के महीने में ही अर्द्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि आज भी भक्तगण मनचाहा जीवनसाथी पाने की इच्छा से सावन में भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना करते हैं।

कहते हैं कि विशेषतः इन दोनों कारणों से ही सावन के महीने में भगवान शिव को जलार्पण करने का विशेष महत्व होता है। 

भगवान भोलेनाथ को जलार्पण करने तथा उनकी भक्ति एवं आराधना करने से भक्तों को भुक्ति, मुक्ति, भक्ति एवं शक्ति इत्यादि की प्राप्ति के पौराणिक प्रमाण उपलब्ध हैं। इसीलिए सावन के महीने में प्रायः देश भर के ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को जलार्पण कर उनसे सौभाग्य एवं अन्य इच्छित वरदान प्राप्त कर संतुष्ट होते हैं। विश्व भर के शिवालयों में भक्तों की उमड़ती भीड़ तथा 'हर-हर महादेव' एवं 'बोल बम' के घोष से गूंजित वातावरण से शिवमय हुआ सारा संसार मानो अपने जीवन के विभिन्न तापों एवं संतापों को मिटाने की उत्कट अभिलाषा लिए शिवालयों की ओर दौड़ पड़ता है। यह भगवान शिव के प्रति भक्तों की आस्था एवं भक्ति का द्योतक है।