NCRT ने सोशल स्टडी की छठी कक्षा की किताब में किए कई बदलाव,जातीय भेदभाव को भी हटाया
झा. डेस्क
पाठ्यपुस्तक में बताया गया है कि ग्रीनविच मध्य रखा से पहले भी एक ‘मध्य रेखा’ थी जो कि उज्जैन से होकर गुजरती थी।इसके अलावा पाठ्युपुस्तक में जाति आधारित भेदभाव का उल्लेख नहीं किया गया है। अब तक पढ़ाई जाने वाली हड़प्पा सभ्यता को ‘सिंधु-सरस्वती’ सभ्यता बताया गया है।
सोशल स्टडी यानी सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक के अनुसार ग्रीनविच मध्यरेखा से काफी पहले भारत की अपनी प्रधान मध्यरेखा थी जिसे ‘मध्यरेखा’ कहा जाता था और जो मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से गुजरती थी।वास्तव में, यूरोप से कई शताब्दियों पहले, भारत की अपनी एक प्रधान मध्यरेखा थी।
अंबेडकर के विचार के संदर्भ में बदलाव
नए पाठ्यक्रम के अनुसार विकसित पाठ्यपुस्तक में जो बदलाव किए गए हैं उनमें जाति-आधारित भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
भेदभाव के बारे में BR आंबेडकर के अनुभव के संदर्भ में बदलाव किया गया है। इसमें वेदों का विवरण दिया गया है और कहा गया है कि महिलाओं और शूद्रों को इन ग्रंथों का अध्ययन करने का अधिकार नहीं था।
बता दें कि पुरानी पुस्तक में कहा गया था कि कुछ पुजारियों ने लोगों को चार समूह में विभाजित किया था जिसे वर्ण व्यवस्था कही जाती थी।महिलाओं ओर शूद्रों को वैदिक अध्ययन की अनुमति नहीं थी। महिलाओं को भी शूद्रों के वर्ग में रखा जाता था।
Jul 22 2024, 19:05