'शंकराचार्य तो छोड़िए, संत भी नहीं हैं अविमुक्तेश्वरानंद..' कोर्ट के आदेश दिखाकर ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने किए बड़े खुलासे
आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक ज्योतिर्मठ ट्रस्ट के स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने रविवार (21 जुलाई) को स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं। स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती ने अविमुक्तेश्वरानंद जी खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए उन्हें ‘फर्जी बाबा’ करार दिया। दावा किया है कि उन्हें कांग्रेस पार्टी का समर्थन प्राप्त है। गोविंदानंद ने कहा कि, "अविमुक्तेश्वरानंद नाम का एक फर्जी बाबा, प्रधानमंत्री उनके पैर छू रहे हैं, अंबानी जैसे उद्योगपति अपने घर पर उनका स्वागत कर रहे हैं, अविमुक्तेश्वरानंद फर्जी नंबर 1 है। शंकराचार्य तो छोड़िए, उनके नाम में 'साधु', 'संत' या 'सन्यासी' जोड़ना भी गलत है।"
स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने एक प्रेस वार्ता में दस्तावेज़ दिखाते हुए कहा कि, "यह वाराणसी कोर्ट का आदेश है। अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था और उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। लंबे समय तक, वह वाराणसी नहीं आए और मध्य प्रदेश में छिपे रहे, जिस पर हमने उन्हें डांटा, जिसके बाद उन्होंने हमारे खिलाफ कानूनी मामले दर्ज किए। हम यह पूरी बातें सुप्रीम कोर्ट को बताना चाहते हैं, लेकिन अदालत हर बार अगली तारीख देती रहती हैं। हमें न्याय चाहिए।"
दरअसल, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में पहचाने जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में दावा किया था कि केदारनाथ से 228 किलो सोना चोरी हो गया है। स्वामी गोविंदानंद ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि, “अविमुक्तेश्वरानंद लोगों की हत्या और अपहरण कर रहे हैं, भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहे हैं, वे संन्यासी होने का दिखावा करके शादियों में जा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि केदारनाथ में 228 किलो सोना गायब है, क्या उन्हें सोने और पीतल में अंतर भी पता है, शायद नहीं, क्योंकि वे खुद एक डुप्लिकेट हैं। अगर हम उनकी कहानियाँ सुनाते रहेंगे, तो इससे समस्या पैदा हो सकती है, लेकिन हम शायद ऐसा करेंगे और वे हमसे कुछ नहीं छीन पाएंगे, क्योंकि हम संत हैं जो 'धर्म' के लिए लड़ते हैं।” उल्लेखनीय है कि, केदारनाथ मंदिर समिति ने भी अविमुक्तेश्वरानंद के इस आरोप पर कहा था कि, अगर उन्हें लगता है कि, सोना चोरी हुआ है, तो हम उन्हें चुनौती देते हैं कि सुप्रीम कोर्ट जाइए, हम वहीं उन्हें जवाब देंगे।
गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने कांग्रेस पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कहा कि, "जब हमारे गुरुजी ब्रह्मलीन हो गए, तो इन लोगों ने कांग्रेस से पत्र मांगा। कांग्रेस ने पत्र जारी किया और अविमुक्तेश्वरानंद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। प्रियंका गांधी वाड्रा ने 13 सितंबर 2022 को उन्हें श्रद्धेय शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी के नाम से संबोधित करते हुए पत्र लिखा। जब सुप्रीम कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य ना मानते हुए स्टे जारी कर दिया था, तब प्रियंका गांधी वाड्रा ने अविमुक्तेश्वरानंद को शंकराचार्य बताते हुए पत्र कैसे लिखा? क्या कांग्रेस तय करेगी कि शंकराचार्य कौन हैं?"
उन्होंने एक पत्र दिखाते हुए कहा कि, "वह प्रधानमंत्री के खिलाफ खड़े हैं और उनका समर्थन कौन कर रहा है? प्रियंका गांधी वाड्रा। जब राहुल गांधी हिंदू हिंसक जैसी हिन्दू विरोधी टिप्पणी करते हैं, तो अविमुक्तेश्वरानंद उनका समर्थन करते हैं। क्यों? इसका कारण यह पत्र है। कांग्रेस एक खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद मात्र एक खिलौना हैं। मैं प्रियंका गांधी वाड्रा से पूछना चाहता हूं कि या तो उन्हें यह पत्र लिखने के लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए या फिर हम उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दर्ज करेंगे।"
इसके साथ ही स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने यह भी आरोप लगाया कि अविमुक्तेश्वरानंद का आपराधिक इतिहास काफी पुराना है। उन्होंने कहा कि, 'जब वाराणसी कोर्ट ने अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था, तो उन्होंने जमानत लेने के लिए वकीलों के साथ बैठक की। 51 सदस्यों के समूह में से सभी लोगों को जमानत मिल गई, सिवाय अविमुक्तेश्वरानंद के। वह बिना संन्यासी वेश के चुपके से अदालत गए, शायद मीडिया से बचने के लिए। उन्होंने जज के सामने सरेंडर किया, वह भी चालाकी से और झूठ बोलते हुए। अविमुक्तेश्वरानंद ने अदालत से कहा कि मैं शंकराचार्य हूं और पूरे देश के भक्त दुखी हैं, रो रहे हैं, हमें उन्हें धार्मिक मार्गदर्शन देना है और मेरी गिरफ्तारी से 'धर्म' को हानि हो सकती है। उन्होंने गलत तथ्य पेश करके कोर्ट से झूठ बोला। क्या वह जेम्स बॉन्ड हैं या कोई अवतारपुरुष? जमानत के लिए वह कोर्ट गए।' बता दें कि, अविमुक्तेश्वरानंद पर फर्जी तरीके से खुद को शंकराचार्य घोषित करने के आरोप लगे हैं। सितम्बर 2022 में अविमुक्तेश्वरानंद के गुरू स्वरूपानंद सरस्वती का हार्ट अटैक से निधन हो गया था, जिसके बाद अविमुक्तेश्वरानंद ने खुद को गुरु का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और शंकराचार्य बनने की तैयारी करने लगे। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने उनके अभिषेक पर रोक लगा दी।
स्वामी श्री गोविंदानंद सरस्वती महाराज ने न्यायालय के आदेश की प्रति दिखाते कहा कि, "न्यायालय के आदेश में लिखा है कि उन्होंने न्यायालय को 50,000 रुपए का जुर्माना देकर अग्रिम जमानत प्राप्त की है। एक अन्य न्यायालय का आदेश है, जिसके अनुसार उन्हें जमानत के लिए 20,000 रुपए देने थे। उनका आपराधिक इतिहास काफी पुराना है।" इससे पहले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे के निजी आवास मातोश्री का दौरा किया था और उद्धव को विश्वासघात से पीड़ित बताया था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि, उद्धव के साथ विश्वासघात हुआ है और जब तक वे वापस मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, तब तक लोगों का दर्द कम नहीं होगा। वहीं, अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी के हिन्दू हिंसक वाले बयान पर कहा था कि, कांग्रेस नेता ने हिन्दू धर्म के खिलाफ कुछ नहीं कहा है। इसके अलावा पूरे लाव लश्कर के साथ अंबानी की शादी में जाने वाले अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या राम मंदिर का निमंत्रण ठुकरा दिया था, जिसके बाद से उन पर सवाल उठने लगे थे।
Jul 22 2024, 14:26