बिहार को उच्च शिक्षा के विकास के लिए अगले दो सालों में मिलेगे 600 करोड़, पीएम उषा को लागू करने की राज्य कैबिनेट से मिली स्वीकृति
डेस्क : बिहार को उच्च शिक्षा के विकास में अगले दो सालों में 600 करोड़ मिलने का रास्ता साफ हो गया है। प्रधानमंत्री उच्च शिक्षा अभियान (पीएम उषा) को लागू करने की राज्य कैबिनेट से स्वीकृति मिल गई है। पीएम उषा को जून, 2023 में ही राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च किया गया था, पर बिहार में इसे अब स्वीकृति मिली है।
पीएम उषा के तहत राज्य के विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में आधारभूत संरचना, शिक्षण व्यवस्था, शोध, प्रशिक्षण आदि के विकास के लिए आर्थिक मदद मिलेगी। इसके तहत हुई खर्च की राशि में केंद्र और राज्य का हिस्सा 6040 का होगा। पीएम उषा के तहत राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रावधानों को लागू किया जाना है। उच्च शिक्षा के संस्थानों में आधारभूत संरचना के विकास, परीक्षा प्रणाली में सुधार आदि इस अभियान के मुख्य उद्देश्य हैं। साथ ही राज्यों में रोजगार क्षमता बढ़ाना भी इसका मकसद है।
19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद
पीएम उषा के अंतर्गत बिहार के चिह्नित 19 जिलों के कॉलेजों को विशेष मदद का प्रस्ताव है। इन जिलों में मधेपुरा, गया, किशनगंज, पूर्णियां, जमुई, औरंगाबाद, लखीसराय, खगड़िया, मुंगेर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सीतामढ़ी, सुपौल और अररिया आदि शामिल हैं।
क्या है पीएम उषा
उच्च शिक्षा के विकास के लिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) को नये रूप में जून, 2023 में पीएम उषा के नाम से देश में लागू किया गया। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में रूसा की जगह पीएम उषा लागू हुआ। अभियान के लिए राज्यों में राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद का गठन किया गया है। परिषद के माध्यम से रूसा के तहत राज्यों को आर्थिक मदद मिल रही थी।
रूसा का दूसरा चरण वर्ष 2018 में लागू हुआ। इन दोनों चरणों में मिलने वाली राशि में बिहार का 62 करोड़ हिस्सा बकाया है। उषा कार्यक्रम को लागू नहीं किये जाने के कारण यह बकाया राशि केंद्र से नहीं मिल रही थी। अब, इस राशि की मांग राज्य उच्च शिक्षा परिषद के माध्यम से किया जाएगा। विभिन्न राज्यों में पीएम उषा वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही लागू हो गया था। बिहार में यह इस साल से लागू हो रहा है।
Jul 16 2024, 12:08