/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1507598607729159.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1507598607729159.png StreetBuzz राशिफल 11 जुलाई 2024:जानिए राशि के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा? Sanatan Dharm
राशिफल 11 जुलाई 2024:जानिए राशि के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा?

मेष राशि- ज्ञानार्जन के लिए सही समय। लिखने-पढ़ने के लिए सही समय। प्रेम में थोड़ा भावुकता पर नियंत्रण रखें। बच्चों पर ध्यान दें। स्वास्थ्य अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें।

वृषभ राशि- भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि दिख रही है। मां का साथ होगा। मां के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कलहकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। बाकि प्रेम, व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

मिथुन राशि- ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा। व्यावसायिक ऊर्जा होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान का साथ होगा। अपनों का साथ होगा। भगवान विष्णु को प्रणाम करते रहें।

कर्क राशि- जुबान अनियंत्रित न होने दें। जुआ-सट्टा लॉटरी में पैसे न लगाएं। स्वास्थ्य में सुधार। प्रेम, संतान का साथ व व्यापार भी अच्छा है। बजरंगबली को प्रणाम करते रहें।

सिंह राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। जरूरत के हिसाब से जीवन में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। स्वास्थ्य अच्चा है। प्रेम, संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। सूर्य को जल देते रहें।

कन्या राशि- कलहकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। यूं कहिए कि चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। मन परेशान रहेगा। स्वास्थ्य थोड़ा ऊपर-नीचे रहेगा। प्रेम-संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

तुला राशि- रुका हुआ धन वापस मिलेगा। आय के नवीन साधन बनेंगे। शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा। सूर्य को जल देते रहें।

वृश्चिक राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। पिता का साथ होगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान भी अच्छा। तांबे की वस्तु पास रखें।

धनु राशि- भाग्यवर्धक दिनों का निर्माण हो रहा है। रास्ते की बाधाएं दूर हो जाएंगी। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म का हिस्सा बनेंगे। शुभ समय। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार अच्छा। सूर्य को जल देते रहें।

मकर राशि- एक और दिन थोड़ा नकारात्मक है। बचकर पार करें। स्वास्थ्य में ध्यान दीजिए। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- नौकरी चाकरी की स्थिति अच्छी होगी। आनंददायक जीवन गुजरेगा। स्वास्थ्य में सुधार। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा। गणेश जी को प्रणाम करते रहें।

मीन राशि- शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। रुका हुआ काम चल पड़ेगा। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम, प्रेम-संतान नरम-गरम व व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।
आज का पंचांग, 11 जुलाई 2024: जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

राष्ट्रीय मिति आषाढ़ 20 शक सम्वत् 1946, आषाढ़, शुक्ला, पंचमी, बृहस्पतिवार, विक्रम सम्वत् 2081। सौर आषाढ़ मास प्रविष्टे 28, मुहर्रम 04, हिजरी 1446 (मुस्लिम) तदनुसार अंगे्रजी तारीख 11 जुलाई सन् 2024 ई। सूर्य दक्षिणायन, उत्तर गोल, वर्षा ऋतु। राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। पंचमी तिथि पूर्वाह्न 10 बजकर 04 मिनट तक उपरांत षष्ठी तिथि का आरंभ। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र अपराह्न 01 बजकर 04 मिनट तक उपरांत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का आरंभ। वरीयान योग अगले दिन तड़के 04 बजकर 09 मिनट तक उपरांत परिधि योग का आरंभ। बालव करण पूर्वाह्न 10 बजकर 04 मिनट तक उपरांत तैतिल करण का आरंभ। चन्द्रमा सायं 07 बजकर 50 मिनट तक सिंह उपरांत कन्या राशि पर संचार करेगा। आज के व्रत त्योहार स्कंद (कुमार) षष्ठी (पूर्वविद्धा)। सूर्योदय का समय 11 जुलाई 2024 : सुबह 5 बजकर 31 मिनट पर। सूर्यास्त का समय 11 जुलाई 2024 : शाम में 7 बजकर 22 मिनट पर। आज का शुभ मुहूर्त 11 जुलाई 2024 : ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 10 मिनट से 4 बजकर 51 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। निशिथ काल मध्‍यरात्रि रात में 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 7 बजकर 21 मिनट से 7 बजकर 41 मिनट तक। अमृत काल सुबह 5 बजकर 31 मिनट से 7 बजकर 15 मिनट तक। आज का अशुभ मुहूर्त 11 जुलाई 2024 : राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। इसके बाद सुबह में 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक यमगंड। दुर्मुहूर्त काल सुबह 10 बजकर 8 मिनट से 11 बजकर 4 मिनट तक। इसके बाद दोपहर में 3 बजकर 40 मिनट से 4 बजकर 36 मिनट तक। उपाय : भगवान विष्णु को गांठ वाली सात हल्दी अर्पित करें।
332 साल पुराना है रांची का भगवान जगन्नाथ मंदिर, नागवंशी राजा एनी नाथ सहदेव ने करवाया था 1691 में इसका निर्माण

झा.डेस्क

रांची :रांची के जगन्नाथ मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा एनी नाथ सहदेव ने करवाया था. 1691 में बने इस मंदिर से मनमोहक दृश्य दिखते हैं. इस मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है. तो आइए आज आपको बताते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ बातें.

केवल खनिज संपदा नहीं बल्कि प्राचीन मंदिरों से भी समृद्ध है झारखंड

 झारखंड न केवल प्रकृति सौंदर्य बल्कि प्राचीन मंदिरों से भी समृद्ध राज्य है. यहां मां छिन्नमस्तिका मंदिर, बाबा धाम, देवड़ी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर सहित कई प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं. जहां हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. झारखंड की राजधानी रांची में पुरी के तर्ज पर बना प्राचीन जगन्नाथ मंदिर मौजूद है. इस मंदिर का इतिहास 332 साल पुराना है. यह मंदिर अपने इतिहास और खूबसूरती के लिए मशहूर है.

कहां है यह मंदिर

झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा क्षेत्र में मौजूद है प्राचीन जगन्नाथ मंदिर. यहां आप रेल, हवाई और सड़क मार्ग से आ सकते हैं. इसका निकटतम रेलवे स्टेशन हटिया जंक्शन है. अल्बर्ट एक्का चौक से 10 किमी की दूरी पर मौजूद जगन्नाथ मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए लोगों के बीच लोकप्रिय है.

क्या है महत्व

जगन्नाथ मंदिर प्रकृति के गोद में बसा अध्यात्म का केंद्र है. हर वर्ष पुरी जगन्नाथ मंदिर की ही तरह रांची में भी भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकलती है. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु रथ खींचने पहुंचते हैं. ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नौ दिनों तक मौसीबाड़ी में रुकते हैं, जो मुख्य मंदिर से कुछ दूरी पर ही स्थित है. रथ यात्रा के दौरान रांची में मेले का आयोजन किया जाता है. बड़ी संख्या में लोग प्रभु के दर्शन करने मौसीबाड़ी पहुंचते हैं. नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने 1691 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को अद्भुत भक्तिमय दृश्य देखने को मिलता है. इस मंदिर का निर्माण करीब 80-90 मीटर ऊंची छोटी पहाड़ी पर किया गया है, जहां से रांची शहर का दृश्य मनोरम दिखाई देता है. इस मंदिर की वास्तुकला भी नायाब है जिसमें प्राचीन शिल्पकारी की झलक दिखाई पड़ती है.

शिव ज्योतिर्लिंग: -बारह शिव ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ मंदिर अपनी आध्यात्मिकता और धार्मिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है,आइए जानते हैं

-विनोद आनंद

बारह शिव ज्योतिर्लिंग के श्रृंखला में हम जिक्र करेंगे आज वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर की जो अपनी आध्यात्मिकता और धार्मिक मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है।भारत में भगवान शिव के सबसे ख्याति प्राप्त और सुप्रसिद्ध मंदिरों में से यह एक है काशी विश्वनाथ मंदिर! 

यह प्राचीन मंदिर उत्तर भारत के वाराणसी में गंगा के तट पर स्थित है. इस मंदिर में बाबा विश्वनाथ की पूजा की जाती है जिन्हें ब्रह्मांड का देवता भी कहते हैं। वाराणसी को काशी के नाम से भी जाना जाता है और काशी में स्थित होने के चलते ही इस मंदिर का नाम काशी विश्वनाथ मंदिर पड़ा है।

 मुस्लिम शासकों द्वारा इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया है और इसी विध्वंस और निर्माण से जुड़ी बेहद दिलचस्प है इस मंदिर की कहानी!

काशी विश्वनाथ मंदिर की उत्पत्ति और उससे जुड़ी किंवदंती

काशी विश्वनाथ मंदिर की उत्पत्ति का पता प्राचीन काल से लगाया जा सकता है, और इसका इतिहास वाराणसी के पौराणिक शहर से जुड़ा हुआ है, जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के सात सबसे पवित्र शहरों में से एक काशी को भगवान शिव का निवास माना जाता है, जो ब्रह्मांड के विध्वंसक और परिवर्तनकर्ता हैं।

कहा जाता है कि मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण और काशी खंड सहित विभिन्न हिंदू धर्मग्रंथों में मिलता है। 

किंवदंती के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं इस स्थान पर अपने निराकार लिंगम (लिंग) के पवित्र प्रतीक ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। इस ज्योतिर्लिंग को दिव्य शक्ति का अवतार माना जाता है और यह दुनिया के सभी कोनों से भक्तों को आकर्षित करता है।

मूल मंदिर का निर्माण प्राचीन काल में राजा हरिश्चंद्र नामक एक भक्त ने करवाया था। सदियों से, इसमें कई पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार हुए हैं, जो विभिन्न युगों की बदलती वास्तुकला शैलियों और धार्मिक प्रथाओं को दर्शाते हैं।

अन्य पौराणिक कथा

दैविक काल से बनारस देव भूमि के नाम से जाना जाता है। यह शहर पवित्र गंगा नदी के किनारे बसा है। गंगा के किनारे कुल 88 घाट हैं। बनारस अपनी धार्मिक महत्व के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। हर साल दुनियाभर से पर्यटक बनारस घूमने आते हैं। लोग गंगा आरती में शामिल होकर ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर बाबा के दरेशन करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि दैविक काल में महादेव काशी में ही रहते थे। आइए, काशी विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा जानते हैं-

धार्मिक किदवंती के अनुसार, एक बार देवताओं ने भगवान ब्रह्मा देव और विष्णु जी से पूछा कि- हे जगत के रचयिता और पालनहार कृपा कर बताएं कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन है? देवताओं के इस सवाल से ब्रह्मा और विष्णु जी में श्रेष्ठता साबित करने की होड़ लग गई। इसके बाद सभी देवतागण, ब्रह्मा और विष्णु जी सहित कैलाश पहुंचे और भगवान भोलेनाथ से पूछा गया कि- हे देवों के देव महादेव आप ही बताएं कि ब्रह्मांड में सबसे श्रेष्ठ कौन हैं?

देवताओं के इस सवाल पर तत्क्षण भगवान शिव जी के तेजोमय और कांतिमय शरीर से ज्योति कुञ्ज निकली, जो नभ और पाताल की दिशा में बढ़ रही थी। तब महादेव ने ब्रह्मा और विष्णु जी से कहा- आप दोनों में जो सबसे पहले इस ज्योति की अंतिम छोर पर पहुंचेंगे। वहीं, सबसे श्रेष्ठ है। इसके बाद ब्रह्मा और विष्णु जी अनंत ज्योति की छोर तक पहुंचने के लिए निकल पड़े। कुछ समय बाद ब्रम्हा और विष्णु जी लौट आए तो शिव जी ने उनसे पूछा-हे देव क्या आपको अंतिम छोर प्राप्त हुआ।

इस पर विष्णु जी ने कहा-हे महादेव यह ज्योति अनंत है, इसका कोई अंत नहीं है। जबकि ब्रम्हा जी झूठ बोल गए, उन्होंने कहा- मैं इसके अंतिम छोर तक पहुंच गया था। यह जान शिव जी ने विष्णु जी को श्रेष्ठ घोषित कर दिया। इससे ब्रह्मा जी क्रोधित हो उठें, और शिव जी के प्रति अपमान जनक शब्दों का प्रयोग करने लगे।

यह सुन भगवान शिव क्रोधित हो उठें और उनके क्रोध से काल भैरव की उत्पत्ति हुई, जिन्होंने ब्रम्हा जी के चौथे मुख को धड़ से अलग कर दिया। उस समय ब्रह्मा जी को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने तत्क्षण भगवान शिव जी से क्षमा याचना की। इसके बाद कैलाश पर्वत पर काल भैरव देव के जयकारे लगने लगे। यह ज्योति द्वादश ज्योतिर्लिंगकाशी विश्वनाथ कहलाया।

ऐतिहासिक विकास

काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास निर्माण, विनाश और पुनर्निर्माण के विभिन्न चरणों से चिह्नित है, जो आक्रमणों, संघर्षों और प्राकृतिक आपदाओं की एक श्रृंखला के कारण हुआ। मंदिर की लचीलापन और स्थायी आध्यात्मिक महत्व ने इसे कई बार राख से उठने की अनुमति दी है, जो हिंदू भक्ति की अदम्य भावना को दर्शाता है।

जैसा कि पहले बताया गया है, मंदिर की उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई थी जब इसे राजा हरिश्चंद्र ने स्थापित किया था। उस समय मंदिर एक साधारण संरचना थी, लेकिन इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक था।

 मंदिर को सबसे पहले 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के आक्रमण के दौरान सबसे बड़ा खतरा झेलना पड़ा। इस्लामी विजेता महमूद ने काशी विश्वनाथ मंदिर सहित उत्तर भारत के कई मंदिरों को लूटा और नष्ट कर दिया। यह मंदिर के इतिहास में उथल-पुथल भरे दौर की शुरुआत थी।

राजाओं द्वारा पुनर्निर्माण: 

विनाश के बावजूद, मराठों, मुगलों और राजपूतों सहित क्षेत्र के विभिन्न हिंदू राजाओं और शासकों ने सदियों से मंदिर के पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार के प्रयास किए। इस दौरान मंदिर में कई जीर्णोद्धार और विस्तार हुए, जिनमें से प्रत्येक ने इसकी वास्तुकला की भव्यता में योगदान दिया।

औरंगजेब द्वारा विध्वंस:

 मंदिर के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक 17वीं शताब्दी के अंत में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल के दौरान हुई थी। औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने और उसके स्थान पर एक मस्जिद बनाने का आदेश दिया, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है। मंदिर के मूल ज्योतिर्लिंग को विनाश से बचाने के लिए एक अस्थायी स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया था।

विश्वनाथ की पुनर्स्थापना और मंदिर निर्माण

 औरंगज़ेब के शासन के बाद की अवधि में हिंदुओं द्वारा मंदिर को उसके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास किए गए। वर्तमान मंदिर परिसर, जैसा कि आज है, 18वीं शताब्दी में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा बनवाया गया था। यह ध्यान देने योग्य है कि अहिल्याबाई होल्कर एक प्रमुख शासक थीं जिन्हें मंदिर निर्माण और हिंदू पुनरुत्थानवाद में उनके योगदान के लिए जाना जाता था।

मंदिर का वर्तमान स्थान ज्ञानवापी मस्जिद के निकट है, जो आज भी धार्मिक और राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है। इन विवादों के बावजूद, काशी विश्वनाथ मंदिर आस्था और भक्ति के प्रतीक के रूप में फलता-फूलता रहा है।

आधुनिक जीर्णोद्धार और संरक्षण: 

हाल के दिनों में, मंदिर की वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए विभिन्न जीर्णोद्धार और संरक्षण प्रयास किए गए हैं। इन पहलों का उद्देश्य मंदिर को पर्यावरणीय कारकों से बचाना और भक्तों की भावी पीढ़ियों के लिए इसकी दीर्घायु सुनिश्चित करना है।

भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव



काशी विश्वनाथ मंदिर का भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है। यह हिंदू धर्म की स्थायी प्रकृति और चुनौतियों के बावजूद अनुकूलन और विकास करने की इसकी क्षमता का प्रतीक है। मंदिर ने वाराणसी को शिक्षा, संस्कृति और आध्यात्मिकता के केंद्र के रूप में विकसित करने में भी भूमिका निभाई है।

वाराणसी शहर, जिसमें मंदिर स्थित है, दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे शहरों में से एक माना जाता है। यह सदियों से विद्वानों, कलाकारों और आध्यात्मिक ज्ञान के साधकों का केंद्र रहा है। मंदिर की उपस्थिति ने वाराणसी को शिक्षा और ज्ञान के शहर के रूप में प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

.

आज का रशिफल,10 जुलाई 2024:जानिए रशिफल के अनुसार आप का दिन कैसा रहेगा...?

मेष राशि (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)

आज का दिन आपके लिए बेहद खास रहने वाला है.नौकरीपेशा जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है .आर्थिक स्थिति में पहले से सुधार देखने को मिलेगा.समाज में आपको मान-सम्मान मिलेगा.आज अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नही रहेगा. ऐसे में सलाह दी जाती है कि शब्दों का चुनाव सही तरीके से करे अन्यथा रिश्तों में दूरियां बढ़ सकती है.

लकी नंबर- 3

लकी कलर- हरा

वृषभ राशि (ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

आज का दिन आपके लिए बहुत शुभ रहने वाला है. विद्यार्थी वर्ग प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त करेगा .कारोबार में वृद्धि के संकेत हैं.अधिक व्यस्तता के चलते स्वास्‍थ्य खराब हो सकता है. धन प्राप्ति के नए रास्ते मिलेंगे.आकस्मिक धन लाभ होने की संभावना है.अपनी निजी बातों को सार्वजनिक करने से बचे अन्यथा लाभ की जगह नुकसान होने की संभावना हैं.

लकी नंबर- 8

लकी कलर-सफेद

मिथुन राशि (का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, हा)

आज का दिन आपके लिए अच्छा रहने वाला है .नौकरी में तरक्की के योग हैं.बेरोजगारों के रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगेआज कोई भी फैसला जल्दबाजी में ना लें .वरना नुकसान हो सकता है. घर से दूर रहते हैं तो घरवालों की याद आ सकती हैं.इसके चलते आप भावुक भी हो सकते हैं. ऐसे में किसी अपने के साथ बातचीत करेंगे तो स्थिति बेहतर रहेगी.

लकी नंबर-1

लकी कलर-गुलाबी

कर्क राशि (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

आज आपको जीवनसाथी का पूरा सहयोग प्राप्त होगा.आज निवेश करते समय जल्दबाजी न करें.दस्तावेजों को अच्छी तरह देख व पढ़ लें .नियम और शर्तों को अच्छी तरह समझ लें.मित्रों का सहयोग मिलेगा .अधूरे कार्य समय पर पूर्ण होंगे.अगर आप अविवाहित हैं और कहीं रिश्ते की बात चल रही है तो आज बात आगे बढ़ सकती हैं.परिवार में खुशी का माहौल रहेगा .

लकी नंबर-6

लकी कलर- केसरिया

सिंह राशि (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

आज आपको व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा. वरिष्ट अधिकारियों का सहयोग प्राप्त होगा. बहुत दिनों से लंबित कार्य आज पूरे हो जाएंगे.आज आपका मन पूजा-पाठ में अधिक लगेगा. आज आपको किसी साधु-संत का आशीवार्द भी प्राप्त हो सकता है.मन शांत रहेगा तथा नए-नए विचार मन में आएंगे.आज अपने पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें.

लकी नंबर- 4

लकी कलर- नीला

कन्या राशि (टो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

आज आपका व्यवसाय ठीक-ठाक चलेगा. आज कोई पुराना रोग उभर सकता है. दूर से कोई दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है.व्यर्थ की भागदौड़ हो सकती है ,जिसके कारण आप थकान का अनुभव करेंगे.किसी व्यक्ति के व्यवहार से आपको दुख पहुँच सकता है.आज अपेक्षित कार्य विलंब से होंगे. सहकर्मियों के प्रति ईर्ष्या की भावना हावी हो सकती है .

लकी नंबर -8

लकी कलर -पीला

तुला राशि (रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

आज आपको कार्यस्थल पर मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा. बहुत दिनों से लंबित कार्य आज पूर्ण होने की संभावना है .आज सामाजिक कार्यों में मन लगेगा.किसी पुराने मित्र से भेंट हो सकती है जिससे आपको प्रसन्नता मिलेगी .आज आपको आर्थिक लाभ तो मिलेगा लेकिन कहीं से नुकसान होने की भी प्रबल संभावना हैं. ऐसे में पहले से सतर्क रहेंगे तो सही रहेगा.

लकी नंबर – 1

लकी कलर- गुलाबी

वृश्चिक राशि (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

आज के दिन व्यापार को लेकर कोई नई योजना बना सकते हैं.इस नई योजना से आपको तत्काल तो कोई आर्थिक लाभ नहीं होगा लेकिन आपकी कार्यप्रणाली में सुधार जरूर होगा. सामाजिक कार्य करने में रुचि रहेगी.आज आपको समाज में मान-सम्मान मिलेगा. कल घर के किसी सदस्य को कोई तकलीफ हो सकती हैं जिससे घर का माहौल अशांत रहेगा.

लकी नंबर- 4

लकी कलर-भूरा

धनु राशि (ये, यो, भा, भी, भू, ध, फा, ढा, भे)

आज आपके बकाया वसूली के प्रयास सफल रहेंगे. नौकरी में थोड़ा आराम मिलेगा.आज धनहानि संभव है, इसलिए अपनी तरफ से सावधानी रखें. किसी व्यक्ति के कठोर व्यवहार से आपके स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है.आज कोई विवाद किसी सामान्य बात से शुरू होगा लेकिन देखते ही देखते बहुत बढ़ जाएगा .जिसका पछतावा आपको बाद में होगा.

लकी नंबर-5

लकी कलर-हरा

मकर राशि (भो, जा, जी, खी, खू, खा, खो, गा, गी)

आज परिवार के किसी सदस्य का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है.इसके चलते आप कुछ चिंतित रह सकते हैं .आज पैसों के लेन-देन में सावधानी रखें.महत्वपूर्ण निर्णय बहुत सोच-समझकर लें ,तो लाभ होगा.मानसिक अवसाद के कारण शराब का सहारा ले सकते हैं लेकिन इससे स्थिति और बिगड़ जाएगी.ऐसे में किसी विश्वसनीय मित्र के साथ बातचीत करेंगे तो बेहतर रहेगा.

लकी नंबर-9

लकी कलर-महरून

कुंभ राशि (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

आज आपकी व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी.आज आपको कहीं से अप्रत्याशित आर्थिक लाभ हो सकता है. व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा. आज परीक्षा व साक्षात्कार आदि में सफलता प्राप्त होगी.आज आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा.आज आपके शत्रु सक्रिय रहेंगे.इसलिए अपने दुश्मनों से सावधान रहें .कोई शारीरिक कष्‍ट आज आपको परेशान कर सकता है.

लकी नंबर 9

लकी कलर -लाल

मीन राशि (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

आज आपको नौकरी में पदोन्नति मिलने के योग हैं.आज घर में प्रिय अतिथियों का आगमन होगा.जिससे व्यय तो बढ़ेगा,किन्तु मन में प्रसन्नता का अनुभव होगा .पारिवारिक जीवन और नौकरी में सामंजस्य बैठाने का प्रयास करेंगे लेकिन काम के अत्यधिक बोझ के कारण ऐसा कर नहीं पाएंगे.परिवार के लोग आपकी भावनाओं को नहीं समझ पायेंगे.

लकी नंबर-7

लकी कलर- पीला

आज का पंचांग- 10 जुलाई 2024:जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्तऔर ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081 पिङ्गल

शक सम्वत - 1946 क्रोधी

आषाढ़ - पूर्णिमान्त

आषाढ़ - अमान्त

तिथि

चतुर्थी - 07:51 ए एम तक

नक्षत्र

मघा - 10:15 ए एम तक

योग

व्यतीपात - 03:10 ए एम, जुलाई 11 तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 05:31 ए एम

सूर्यास्त - 07:22 पी एम

चन्द्रोदय - 09:21 ए एम

चन्द्रास्त - 10:27 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं

अमृत काल - 07:37 ए एम से 09:22 ए एम

बह्म मुहूर्त - 04:10 ए एम से 04:50 ए एम

अशुभ काल

राहूकाल- 12:26 पी एम से 02:10 पी एम

यम गण्ड - 07:15 ए एम से 08:59 ए एम

गुलिक - 10:43 ए एम से 12:26 पी एम

दुर्मुहूर्त - 11:59 ए एम से 12:54 पी एम

वर्ज्य - 07:11 पी एम से 08:59 पी एम

आज का राशिफल,9 जुलाई 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

 मेष राशि- आज आपको किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत करना होगा.आप किसी बाहरी व्यक्ति के बहकावे में आकर अपना काम बिगाड़ कर सकते हैं. क्रोध और अहंकार को दूर रखें. आज आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा.आज सामाजिक गतिविधियों में आपका समय व्यतीत होगा.आर्थिक दृष्टिकोण से आज का दिन बहुत अच्छा है.

वृष राशि – आज का दिन आर्थिक दृष्टिकोण से अच्छा रहने वाला है.कारोबार के लिए आज का दिन बहुत सुंदर है. शुभ ग्रह के प्रभाव से आज असफलता भी सफलता में बदलने लगेगी . छोटी -छोटी बातों में विवाद न करें .लीवर से संबंधित समस्या है तो स्वास्थ्य पर ध्यान दें .समय नष्ट न करें. एकाग्र होकर अपना काम करें. आज का दिन आपके लिए वरदान सिद्ध होगा.

मिथुन राशि – आर्थिक और कारोबार की दृष्टि से आज का दिन बहुत लाभदायक है .अगर आप कोशिश करेंगे तो आपको सफलता मिलेगी .आपकी बुद्धि आज अच्छा काम करेगी इसीलिए आज आप सही फैसले ले पायेंगे. यदि आपको किसी चीज से एलर्जी है तो अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें. सबसे प्यार से पेश आयें .

कर्क राशि – आज का दिन आपके लिए सफलता पाने का दिन है. खेलकूद हो ,राजनीति हो, या फिर आप जिस भी कारोबार से जुड़े हुए हैं उसमें आज आपको सफलता मिलेगी .अपने स्पष्ट बोलने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण रखें. स्वार्थी और अंधविश्वासी लोगों से दूर रहने की कोशिश करें .सर्दी और कब्ज से संबंधित समस्या है तो अपनी सेहत का ध्यान रखें.

सिंह राशि – आज का दिन आजीविका के लिए बहुत अच्छा है .आप जिस भी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं आपकी सफलता के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है. आपत्तिजनक संवाद करने वाले लोगों से आज दूरी बनाकर रखें ,नहीं तो आप समस्या में फंस सकते हैं. ऑफिस में, घर में, आज आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी. पेट और कोलेस्ट्रोल से संबंधित समस्या है तो आज सावधानी से रखें. .

कन्या राशि – आज किसी के भी साथ शालीनता से पेश आयें .व्यावसायिक दृष्टि से आज आपका दिन मिश्रित फल देने वाला है .कुछ खट्टे मीठे अनुभव होंगे .आज अपने बुद्धि और विवेक का अच्छा उपयोग करके सफलता प्राप्त कर सकते है.अगर पेट से संबंधित समस्या है तो आज अपना विशेष ध्यान रखिएगा .आज अपने धन का उपयोग सोच समझकर कर करें.

तुला राशि -आज आपका बाजार में भाव बढ़ेगा. आपका कारोबार अच्छा चलेगा. आपका व्यवसाय आज रंग लाएगा. वाले जो लोग बौद्धिक व्यवसाय से जुड़े हुए हैं उनके लिए आज सुनहरा दिन है .छोटी-छोटी कल्पनाओं को नया रूप दीजिए और अपने कारोबार को ईमानदारी से कीजिए सफलता जरुर मिलेगी. श्री गणेश भगवान का ध्यान करें.

वृश्चिक राशि – आज स्थिति आपके अनुकूल रहेगी.समय और समाज दोनों आपका साथ देंगे. आज आपका अपना व्यक्तित्व भी एक अलग रूप में होगा . आज आप जहां प्रयास करेंगे आपको सफलता मिलेगी .अगर लीवर और रक्त से संबंधित समस्या है तो अपना ध्यान रखें. अपने घर में, अपने ऑफिस में ,अपने कारोबार में मिलनसार बन कर रहना आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

धनु राशि – आज आपका चिंतन आपकी परिस्थिति के अनुकूल होगा. अपने कामों में बिना वजह दूसरों का हस्तक्षेप स्वीकार न करें. घमंड न करें, लेकिन आज अधिकांश निर्णय आप स्वयं लीजिए. आज आपका कारोबार और बढ़ेगा. विश्वसनीय लोगों से आपको आज अच्छी सहायता मिलेगी. अपने शत्रुओं से दूरी बनाकर रखिएगा.

मकर राशि – आज किसी बात का तनाव लेने से बचें. अगर आपको कोई कुछ बोल रहा है फिर भी मुंह नहीं खोले. शांति से अपना काम करें.समाज में आपका मान सम्मान बढेगा .यदि आपको आंत से संबंधित समस्या है तो खान-पान पर नियंत्रण रखे. कार्यस्थल पर मेलजोल बढ़ाने की कोशिश करें.

कुम्भ राशि – आज स्थिति आपके अनुकूल रहेगी.आज आपका दिन हर तरह से अच्छा है .अपनी चंचलता पर नियंत्रण रखें. स्वास्थ्य पर ध्यान दें और आज की सफलता का आनंद लें .मानसिक तनाव ,अनिद्रा की समस्या है तो योग कीजिए, खेलकूद में भाग लीजिए, मेडिटेशन कीजिए और बीमारी से दूर रहिए.

मीन राशि – आज का दिन कारोबार और आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला .आज का दिन आपकी सफलता के लिए एक श्रृंगार है . आज आपका स्वभाव परिस्थिति के अनुसार बदलते रहेगा. क्रोध पर नियंत्रण रखें.अनजान लोगों से आर्थिक लेनदेन नहीं करें . दांपत्य प्रेम बढ़ेगा, घर परिवार में आज शांति से रहेगी.

आज का पंचांग- 9 जुलाई 2024, जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत - 2081, पिंगल

शक सम्वत - 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत - आषाढ़

अमांत - आषाढ़

तिथि

शुक्ल पक्ष तृतीया- जुलाई 08 04:59 AM- जुलाई 09 06:09 AM

शुक्ल पक्ष चतुर्थी- जुलाई 09 06:09 AM- जुलाई 10 07:52 AM

नक्षत्र

आश्लेषा - जुलाई 08 06:02 AM- जुलाई 09 07:52 AM

मघा - जुलाई 09 07:52 AM- जुलाई 10 10:15 AM

योग

सिद्धि - जुलाई 09 02:06 AM- जुलाई 10 02:26 AM

व्यातीपात - जुलाई 10 02:26 AM- जुलाई 11 03:09 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय - 5:52 AM

सूर्यास्त - 7:12 PM

चन्द्रोदय - जुलाई 09 8:39 AM

चन्द्रास्त - जुलाई 09 9:56 PM

अशुभ काल

राहू - 3:52 PM- 5:32 PM

यम गण्ड - 9:12 AM- 10:52 AM

कुलिक - 12:32 PM- 2:12 PM

दुर्मुहूर्त - 08:32 AM- 09:25 AM, 11:28 PM- 12:11 AM

वर्ज्यम् - 09:03 PM- 10:48 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त - 12:05 PM- 12:58 PM

अमृत काल - 06:07 AM- 07:51 AM

ब्रह्म मुहूर्त - 04:16 AM- 05:04 AM

शुभ योग

सर्वार्थसिद्धि योग - जुलाई 09 05:52 AM - जुलाई 09 07:52 AM (अश्लेषा और मंगलवार)

शिव ज्योतिर्लिंग-7 : महाराष्ट्र का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर भक्तों के लिए है एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल

- विनोद आनंद 

शिव महापुराण की किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव- विघ्न के देवता के रूप में माने जाते हैं. ये भारत भर में 12 अलग-अलग स्थानों पर प्रकाश के एक जीवंत स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे. इन स्थलों को ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है और उन्हें पवित्र तीर्थस्थलों के रूप में पूजा जाता है। ऐसा ही एक ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में भी है.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। यह न केवल धार्मिक महत्व का स्थान है, बल्कि हरे-भरे हरियाली से घिरा एक वास्तुशिल्प चमत्कार भी है। यह मंदिर भीमा नदी के किनारे स्थित है और इसके निर्माण से जुड़ी एक आकर्षक पौराणिक कथा है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास

महाराष्ट्र में सह्याद्री पहाड़ियों की गोद में स्थित भीमाशंकर मंदिर, प्रतिष्ठित ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इसका एक गहरा और मनोरम इतिहास है जो हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक भक्ति से मेल खाता है। इसकी उत्पत्ति भगवान शिव की दिव्य शक्तियों से हुआ जो राक्षसी शक्तियों के खिलाफ लड़ाई की प्राचीन कहानियों में निहित है।

किंवदंती के अनुसार, भीमा नदी, जिसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर के बीच एक हिंसक संघर्ष के दौरान पैदा हुई थी। इस महत्वपूर्ण घटना ने मंदिर के नाम और पवित्र स्थान को जन्म दिया। मंदिर की ऐतिहासिक विरासत सदियों पुरानी है और दूर-दूर से तीर्थयात्रियों और भक्तों को आकर्षित करती है जो भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति से जुड़ना चाहते हैं।

ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर का आध्यात्मिक महत्व

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं और भगवान शिव के भक्तों के लिए गहरा आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, जिन्हें भगवान शिव के दिव्य रूप का स्वयंभू प्रतिनिधित्व माना जाता है। तीर्थयात्री आशीर्वाद, आध्यात्मिक ज्ञान और अपनी आत्मा की शुद्धि के लिए इस पवित्र स्थल पर आते हैं।

भक्तों का मानना ​​है कि भीमाशंकर में प्रार्थना करने और अनुष्ठान करने से शांति, समृद्धि और पापों का निवारण होता है। हरे-भरे जंगलों और भीमा नदी के मधुर प्रवाह से घिरा मंदिर का शांतिपूर्ण माहौल आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाता है और ईश्वर के साथ गहरा संबंध बनाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की 

.

वास्तुकला का चमत्कार

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर की वास्तुकला की चमक प्राचीन शिल्प कौशल और कलात्मक अभिव्यक्ति का प्रमाण है। यह प्रसिद्ध मंदिर नागर शैली में बना है। मंदिर का अनूठा डिज़ाइन, जो रथ जैसा दिखता है, वास्तुकला की रचनात्मकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह विशिष्ट विशेषता इसे भगवान शिव को समर्पित अन्य मंदिरों से अलग करती है।

मंदिर की विस्तृत नक्काशी, विस्तृत मूर्तियां और मंदिर का समग्र लेआउट इस उत्कृष्ट कृति को गढ़ने वाले कारीगरों के कौशल और भक्ति को दर्शाता है। मंदिर की वास्तुकला न केवल पूजा स्थल के रूप में कार्य करती है, बल्कि एक कलात्मक चमत्कार के रूप में भी है जो इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बढ़ाती है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी मिथकें

भीमाशंकर मंदिर आकर्षक मिथकों और किंवदंतियों से घिरा हुआ है जो इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को समृद्ध करते हैं। ये मिथक मंदिर के इतिहास में रहस्य की एक परत जोड़ते हैं और भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करते हैं। भीमाशंकर मंदिर से जुड़े कुछ प्रमुख मिथक इस प्रकार हैं

भीमा नदी का जन्म

यह पौराणिक कथा भीमा नदी की उत्पत्ति के बारे में बताती है, जिसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर के बीच एक भीषण युद्ध के दौरान, भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से धरती पर प्रहार किया, जिससे भीमा नदी का उद्भव हुआ। यह दिव्य नदी मंदिर के बगल से बहती है, और इसके जल को भक्त पवित्र मानते हैं।

भगवान शिव का कायाकल्प

एक अन्य किंवदंती भीमाशंकर में भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होने से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि गहन ध्यान की अवधि के बाद, भगवान शिव ने खुद को फिर से जीवंत करने के लिए ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया। यह प्रकटीकरण भगवान शिव की शाश्वत और अनंत प्रकृति को दर्शाता है।

भीम की भक्ति

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भारतीय महाकाव्य महाभारत के पांडव भाइयों में से एक भीम का संबंध इस मंदिर से है। ऐसा कहा जाता है कि भीम ने स्वयं लिंगम (भगवान शिव का प्रतीक) बनाया था और यहाँ बड़ी श्रद्धा से उसकी पूजा की थी। इस क्षेत्र में भगवान शिव के प्रति उनकी श्रद्धा को मंदिर के नाम भीमाशंकर के माध्यम से मनाया जाता है।

. दिव्य रथ

मंदिर की वास्तुकला, जो रथ जैसी दिखती है, का अपना पौराणिक महत्व है। मंदिर के रथ जैसी दिखने की वजह से अक्सर "रथचल" शब्द का इस्तेमाल मंदिर का वर्णन करने के लिए किया जाता है। माना जाता है कि यह डिज़ाइन भगवान शिव को ब्रह्मांड की ब्रह्मांडीय यात्रा का मार्गदर्शन करने वाले दिव्य सारथी के रूप में दर्शाता है।

उपचारात्मक जल

भक्त भीमा नदी के पानी के उपचारात्मक गुणों में भी विश्वास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि नदी में डुबकी लगाने या यहाँ स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और बीमारियाँ ठीक होती हैं।

 ये मिथक और किंवदंतियाँ भीमाशंकर मंदिर के आकर्षण में योगदान करती हैं, जो तीर्थयात्रियों और जिज्ञासु आगंतुकों को महाराष्ट्र के इस पवित्र स्थान की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक आभा का अनुभव करने के लिए समान रूप से आकर्षित करती हैं।