एक गलत फैसले के कारण चली गई थी लाखों टाइगर की जान? वीडियो देख नहीं होगा यकीन
सन 1955 में बने सरिस्का टाइगर रिजर्व को 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया। जो भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य बाघों की घटती संख्या को रोकना और उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना है। दिल्ली से 240 से दूर स्थित सरिस्का टाइगर रिज़र्व अरावली के शुष्क वन क्षेत्र में स्थित है, यह अभ्यारण्य 866 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे मुख्यतः तीन क्षेत्रों में बांटा गया है - कोर ज़ोन, बफर ज़ोन और टूरिज़्म ज़ोन। कोर ज़ोन में पर्यटकों का प्रवेश सीमित होता है, जबकि बफर और टूरिज़्म ज़ोन में सफारी और पर्यटन की अनुमति है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, घने जंगल, पहाड़ियाँ और जल स्रोत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
सरिस्का में वनस्पति और जीवों की शानदार विविधता देखने को मिलती है। यहाँ धोक, खैर, बेर, टर्मिनलिया और कई अन्य पौधों की प्रजातियाँ हैं। यह क्षेत्र मुख्यतः शुष्क पर्णपाती जंगलों में फैला हुआ है, जो यहां के वन्यजीवों के लिए एक उपयुक्त आवास प्रदान करता है। सरिस्का में पाए जाने वाले वन्यजीवों में बाघ, तेंदुआ, हिरण, जंगली सूअर, नीलगाय और कई प्रकार के पक्षी शामिल हैं। यह रिज़र्व पक्षी प्रेमियों के लिए भी एक स्वर्ग है, क्योंकि यह पेन्टेड स्टॉर्क, गूलर, ग्रीन बी-ईटर और कई अन्य दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का घर है।
सरिस्का रिजर्व टाइगर अपने राजसी रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिए प्रसिद्ध है, ये रणथंभौर से बाघों को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करने वाला दुनिया का पहला बाघ अभयारण्य है। वर्तमान में यहां लगभग 33 बाघ हैं, जिनमें 11 वयस्क बाघ, 14 वयस्क बाघिन एवं 8 शावक शामिल हैं। हालाँकि, सरिस्का में बाघों की स्थिति हमेशा से ऐसी नहीं थी, साल 2004 को सरिस्का का सबसे बुरा समय माना जाता है। उस साल में रिजर्व के सभी बाघों का या तो शिकार कर लिया गया था, या फिर मार कर बेच दिया गया था। जिसके बाद साल 2005 में राजस्थान सरकार ने अवैध शिकार और वन्यजीव आपातकाल के खिलाफ रेड अलर्ट घोषित किया था। फिर प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 4 साल बाद यानि साल 2008 में सरिस्का में एक बार फिर बाघ पुनर्वास कार्यक्रम शुरू किया गया, जिसके तहत रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान से एक बाघ और दो बाघिनों को यहां स्थानांतरित किया गया। इन बाघों के जोड़ों से सभी अनिश्चितताओं को पीछे छोड़ते हुए साल 2012 में अपना बेबी बूम शुरू किया। जिससे साल 2012 और 2013 में यहां 2-2 शावकों का जन्म हुआ, इनकी संख्या साल दर साल बढ़ती गयी जो अब लगभग 33 तक पहुंच चुकी है। हर टाइगर रिजर्व में हर बाघ को एक खास नाम से पहचान दी जाती है। सरिस्का में मशहूर टाइगर को कृष्ण, सुंदरी, रिद्धि, सीता, नल्ला, वीरू और सुल्ताना जैसे नामों से भी जाना जाता है। वहीँ,सरिस्का के सभी बाघों को एसटी और नंबर के आधार पर मुख्य रूप से रिकॉर्ड के हिसाब से जाना जाता है।
सरिस्का में बाघों के अलावा तेंदुआ, चीता, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, और हाइना जैसे विभिन्न जानवर देखने को मिलते हैं। इसके अलावा यहाँ भालू, जंगली बिल्ली, और सियार भी पाए जाते हैं। सरिस्का के वनस्पति में आपको विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, झाड़ियाँ, और घास के मैदान मिलेंगे। यहाँ की प्रमुख वनस्पतियों में धोक, खैर, बेर, टर्मिनलिया, पलाश, और सालार शामिल हैं। यहाँ के जंगलों में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ और औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं, जो यहां की जैव विविधता को और भी समृद्ध बनाते हैं।
सरिस्का टाइगर रिजर्व घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच होता है, जब मौसम सुहाना रहता है और वन्यजीवों को देखने का अधिक मौका मिलता है। इस समय के दौरान तापमान मध्यम रहता है, जो सफारी के लिए आदर्श है। गर्मियों में भी यहाँ आ सकते हैं, क्योंकि इस समय बाघों को जल स्रोतों के पास देखना आसान होता है। मॉनसून के दौरान पार्क बंद रहता है, ताकि वन्यजीवों को प्रजनन का समय मिल सके। इसलिए, अपनी यात्रा की योजना बनाते समय इन बातों का ध्यान रखें।
अलवर सरिस्का अभयारण्य गर्मी के मौसम में सुबह 6.00 बजे से 10.00 बजे तक और दोपहर में 02.30 से 6.30 तक खुला रहता है और ठंड के मौसम में सुबह 6.30 से 10.30 और दोपहर में 02.30 से 05.30 तक पर्यटकों के घूमने के लिए खुला रहता है। यह पार्क हर साल मानसून के मौसम में यानी जुलाई, अगस्त और सितंबर में बंद रहता है। हालाँकि, टाइगर रिजर्व सरिस्का के कुछ जोन के अलावा अलवर बफर जोन के रूट मानसून के दौरान पर्यटकों के लिए खुले रहते हैं। एंट्री फीस भारतीय पर्यटकों के लिए 80 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए 470 रुपये है। इसके अलावा सफारी के लिए अलग से शुल्क लिया जाता है। यहाँ आप जीप सफारी या केंटर सफारी का आनंद ले सकते हैं। जीप सफारी का शुल्क 4,200 रुपये है, जिसमें 6 लोग शामिल हो सकते हैं, जबकि केंटर सफारी का शुल्क 12,000 रुपये है, जिसमें 20 लोग शामिल हो सकते हैं।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के पास रुकने के लिए रेस्ट हाउस, लॉज और रिसॉर्ट्स उपलब्ध हैं। यहां रुकने के लिए आपको 3 से 6 हजार और शहर के इलाके में ठहरने के लिए 2 से 4 हजार तक खर्च करने पड़ सकते हैं।
सरिस्का नेशनल पार्क दिल्ली से 165 किलोमीटर और जयपुर से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जहाँ आप फ्लाइट, ट्रेन और सड़क मार्ग में से किसी से भी यात्रा करके सरिस्का नेशनल पार्क जा सकते है। अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके सरिस्का नेशनल पार्क जाने का प्लान बना रहे है तो बता दे की सरिस्का नेशनल पार्क का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो सरिस्का नेशनल पार्क से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। आप जयपुर तक किसी भी प्रमुख शहर से उड़ान भरकर पहुच सकते है, और फिर वहा से सरिस्का नेशनल पार्क पहुंचने के लिए बस या एक टैक्सी किराए पर ले सकते है। राज्य के विभिन्न शहरों से अलवर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। चाहे दिन हो या रात इस रूट पर नियमित बसे उपलब्ध रहती हैं। सरिस्का नेशनल पार्क का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है जहां के लिए भारत और राज्य के कई प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेन संचालित हैं। आप ट्रेन से यात्रा करके अलवर पहुच सकते है और वहा से बस से या टैक्सी किराये पर ले कर सरिस्का नेशनल पार्क पहुच सकते हैं।
Jul 09 2024, 12:10