अफ्रीका में बंधक बेगूसराय के अमित समेत 5 लौटे भारत, सुनाई आपबीती
बेगूसराय : अफ्रीका के इथोपिया में करीब 2 माह से बंधक बने यूपी-बिहार के 20 लोगों के भारत लौटने का सिलसिला जारी है। आज सुबह बेगूसराय के अमित कुमार पाठक इथोपिया से रिहा होकर दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके साथ सीवान के संजय यादव, गोरखपुर के विनोद मौर्य, कुशीनगर के सुधीर पाठक और देवरिया के अमरलाल प्रसाद प्लाइट से मुंबई पहुंचे। उनका दिल्ली का टिकट नहीं था।
अमित कल सोमवार को शाम तक अपने घर बेगूसराय के बलिया थाना क्षेत्र स्थित पहाड़पुर गांव पहुंचेंगे। उन्हें अपने घर तक आने के लिए 50 हजार रुपए खर्च करने पड़े। बंधक बनाने वाली कंपनी यीशु पीएलसी ग्लैन ने तीन महीने का मजदूरी 2400 डॉलर नहीं दिया। अबतक सात लोग वहां से लौट चुके हैं।
दिल्ली उतरते ही अमित कुमार पाठक ने कहा है कि मैं अपने वतन वापस आ गया हूं, दिल्ली पहुंचा हूं। अमित ने बताया कि हम पांच लोग कल इथोपिया से रवाना हुए, जबकि दो दिन पहले सिवान के राजकुमार यादव और गोपालगंज के राममणि यादव आ चुके हैं।
वहां उत्तर प्रदेश स्थित देवरिया के अजय सिंह, दिनेश मिलन, कुशीनगर के नागेन्द्र गुप्ता, मुन्ना कुमार यादव, महाराजगंज के दुर्ग विजय मौर्य, प्रयागराज के सूरज यादव, जौनपुर के विपिन सिंह और बिहार से छपरा के विजेन्द्र कुमार राय, रोहित कुमार, गोपालगंज के बैरिस्टर सिंह, सीवान के शम्भू कुमार भगत, शिवहर के शंकर कुमार और हिमाचल प्रदेश के सुरेन्द्र कुमार भारत आने की प्रतीक्षा में रुके हुए हैं। यह लोग भी जल्द ही आने वाले हैं, जिसकी लगभग सभी औपचारिकता पूरी कर ली गई है।
दरअसल बेगूसराय के अमित कुमार पाठक सहित बिहार और यूपी के 20 लोग 15 दिसंबर 2022 को एक एजेंट के जरिए रोजगार के लिए इथोपिया गए थे। वहां सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, करीब तीन महीने पहले काम करने वाली कंपनी में एक हादसा होने के बाद सभी लोग डर गए और अपने घर जाने की मांग करने लगे। इसके बाद कंपनी ने सभी का वीजा पासपोर्ट रख लिया था। दो महीने पहले इन लोगों को एक कैंपस में बंद कर बंधक बना लिया था।
जानकारी मिलने के बाद अमित के भाई मुकेश कुमार पाठक सहित अन्य के परिजनों ने 14 जून को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित स्थानीय सांसदों और अधिकारियों को आवेदन दिया था। स्ट्रीट बज ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया तो ह्यूमन राइट्स अंब्रेला फाउंडेशन के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता विशाल रंजन दफ्तुआर ने इस पर पहल की।
मामले की जानकारी इथोपिया स्थित भारतीय दूतावास को दी गई। उसके बाद दूतावास में तुरंत बंधक बने सभी लोगों से संपर्क किया और इन लोगों का जॉब एग्रीमेंट कैंसिल करने के साथ-साथ सभी का पासपोर्ट और वीजा वापस दिलवाया। पासपोर्ट और वीजा मिलने के बाद सभी क्रमबद्ध लौट रहे हैं।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Jul 08 2024, 20:17