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नीट परीक्षा विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का बड़ा बयान, बोले-कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ

#education_minister_dharmendra_pradhan_reaction_neet_ug_paper_leak

NEET-UG विवाद पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बड़ा बयान दिया है। धर्मेंद्र प्रधान ने नीट-यूजी परीक्षा के पेपर लीक होने के आरोपों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इसका कोई सबूत नहीं है। साथ ही उन्होंने नीट परीक्षा में कोई भ्रष्‍टाचार नहीं हुआ।धर्मेंद्र प्रधान का यह बयान तब आया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेस मॉर्क्‍स पाने वाले 1563 परीक्षार्थियों की दोबारा परीक्षा कराने का आदेश दिया है। यह परीक्षा 23 जून को होगी। इसके नतीजे 30 जून तक आएंगे, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने नीट की काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर धर्मेंद्र प्रधान ने कहा 'कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। नीट की परीक्षा में 24 लाख छात्र बैठे। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और यह सुनवाई 1563 छात्रों के संबंध में है। सरकार कोर्ट में जवाब देने के लिए तैयार है। इस मुद्दे पर सरकार ने शैक्षिक जगत से जुड़े लोगों की एक समिति बनाई जा रही है। इस समिति की रिपोर्ट को कोर्ट में पेश किया जाएगा। एनटीए ने देश में तीन बड़ी परीक्षाएं नीट, जेईई और सीयूईटी सफलतापूर्वक आयोजित कराईं हैं। घटना में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।'

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि 'मैं छात्रों और उनके परिजनों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत सरकार और एनटीए सभी प्रभावितों को न्याय दिलाएगी। 24 लाख छात्रों ने सफलतापूर्वक नीट की परीक्षा दी है। कोई पेपर लीक नहीं हुआ है। न ही इसका कोई सबूत मिला है। 1563 बच्चों की दोबारा परीक्षा के लिए कोर्ट ने जो तरीका सुझाया है, उसके मुताबिक ही काम होगा और हम कोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हैं।'

वहीं, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, सरकार स्कैम पर कोई चर्चा नहीं कर रही है। इस मामले में हम सीबीआई जांच की मांग करते हैं। सरकार इस विषय से भाग रही है, वो चर्चा नहीं करना चाहती है। जिस एजेंसी के नेतृत्व में ये स्कैम हुआ, उसी को जांच की जिम्मेदारी दी गई है।

अरूणाचल प्रदेश में फिर बनी बीजेपी सरकार, पेमा खांडू ने तीसरी बार ली सीएम पद की शपथ*
#pema_khandu_today_took_oath_as_arunachal_pradesh_cm
अरुणाचल प्रदेश में आज नई सरकार का गठन हो गया है।पेमा खांडू ने एक बार फिर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। इस तरह पेमा खांडू लगातार तीसरी बार अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं। पेमा खांडू के साथ ही उनके मंत्रिमंडल में 11 सदस्यों ने भी आज शपथ ले ली।इनके साथ ही चौना मीन ने अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है। शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा भी शामिल हुए। इसके अलावा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी उपस्थित रहे। इससे पहले बुधवार को खांडू को अरुणाचल प्रदेश में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुना गया था। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद खांडू ने एक्स पर एक पोस्ट पर बुधवार को लिखा, "मैं अपने साथी भाजपा विधायकों का मुझ पर भरोसा जताने के लिए आभारी हूं। मैं अपने सांसदों, पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी दिन-रात काम करने के लिए धन्यवाद देता हूं, ताकि चुनावों में शानदार जीत सुनिश्चित हो सके। अब, आइए अरुणाचल प्रदेश में सर्वांगीण विकास की गति को और तेज करने और 2047 तक समावेशी विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए मिलकर कड़ी मेहनत करें।" पेमा खांडू के कैबिनेट में चाउना मीन नई अरुणाचल कैबिनेट में डिप्टी सीएम होंगे। उनके अलावा उनके कैबिनेट के अन्य सदस्य हैं- बियुराम वाघा, न्यातो डुकम, गैनरियल डेनवांग वांगसु, वेंकी लोवांग, पासांग दोरजी सोना, मामा नातुंग, दासांगलू पुल, बालो राजा, केंटो जिनी और ओजिंग तासिंग। खांडू ने साल 2016 में मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया था। तब खांडू कांग्रेस पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी अरुणाचल में शामिल हो गए थे और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। देश में लोकसभा चुनावों के साथ चार राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी हुए थे। 60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के लिए 19 अप्रैल को मतदान कराया गया था। 4 जून को विधानसभा चुनाव के नतीजे आए जिसमें भाजपा ने 46 सीटें जीतीं। हालांकि, मतगणना से पहले ही 10 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए थे। निर्विरोध चुने जाने वालों में राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी शामिल थे। नतीजों के बाद अब नई सरकार का शपथग्रहण हुआ है और पेमा खांडू ने एक बार फिर राज्य की कमान संभाल ली है।
टैंकर माफिया के खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती दिल्ली की केजरीवाल सरकार, जानें सुप्रीम कोर्ट क्या वजह बताई

#kejriwal_govt_tells_supreme_court_water_tanker_mafia_entering_delhi_from_haryana 

दिल्ली में पानी की बूंद-बूंद के लिए हाहाकार मचा है। लोग टैंकर देख कर पानी के लिए दौंड़ लगा रहे हैं। जिसके बाद से दिल्ली में जारी जल संकट का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत ने दिल्ली सरकार से कई सवाल किए। कोर्ट ने टैंकर माफिया पर सवाल उठाए और दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या टैंकर माफिया के खिलाफ कोई कदम उठाया गया है या कार्रवाई की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि अगर आप टैंकर माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे तो हम दिल्ली पुलिस से उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहेंगे।

दिल्ली सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने कहा कि वो टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती, क्योंकि वे यमुना के दूसरे किनारे से पानी ले रहे हैं जो हरियाणा में पड़ता है। सरकार ने कहा कि अदालत इस मामले में हरियाणा से पूछे कि कार्रवाई क्यों नहीं की गई?

इससे एक दिन पहले यानी बुधवार को जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार से कहा कि अगर वह टैंकर माफिया से नहीं निपट सकती तो वह शहर की पुलिस से टैंकर माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने को कहेगी।

टैंकर माफिया पर दिल्ली सरकार ने कहा कि टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा की ओर सक्रिय हैं। याचिकाकर्ता के पास इसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है। यह हरियाणा को बताना है कि वह दिल्ली को पानी की पूरी आपूर्ति को जारी करने के बिंदु और प्राप्ति के बिंदु के बीच संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है।

बता दें कि शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर ये सुनवाई कर रही है, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में जल संकट को कम करने के लिए हिमाचल प्रदेश द्वारा उपलब्ध कराए गए पानी को जारी करने के लिए हरियाणा को निर्देश देने की मांग की गई थी।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार पानी की किल्लत के लिए हरियाणा सरकार को दोषी ठहरा रही है। जल मंत्री आतिशी ने कहा कि हरियाणा आवश्यक 1050 क्यूसेक पानी नहीं छोड़ रहा है। आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से भी मुलाकात की थी। विनय सक्सेना ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह हरियाणा सरकार से बात करके सुनिश्चित करेंगे कि राष्ट्रीय राजधानी के हिस्से का 1,050 क्यूसेक पानी मुनक नहर में छोड़ा जाए।

*NEET रिजल्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों के ग्रेस मार्क वापस, फिर से देनी होगी परीक्षा
#neet_ug_2024_hearing_1563_students_will_have_to_appear_for_the_exam_again
नीट परीक्षा को लेकर जारी विवाद के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। नीट रिजल्ट के बाद दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि ग्रेस मार्क्स पाने वाले 1563 छात्रों को फिर से परीक्षा देनी होगी। ये वो छात्र हैं जिन्हें ग्रेस मार्क दिया गया ता। ऐसे उम्मीदवारों को 23 जून को फिर से परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। इसके नतीजे 30 जून को आएंगे।बड़ी बात यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट ने छह जुलाई को होने वाली काउंसलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। दरअसल केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 1563 उम्मीदवारों के स्कोरकार्ड रद्द करने का निर्णय लिया गया है, जिन्हें ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। केंद्र ने कहा था कि इन 1563 छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया जाएगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश दिया है। वकील जे साई दीपक ने कहा कि हम मनमाने ढंग से अनुग्रह अंक देने और अनुचित तरीके अपनाने के खिलाफ हैं। यह कहना होगा कि यह यहां लंबित याचिका के परिणामों के अधीन है अन्यथा यह असफल हो जाएगा। एनटीए की ओर से वकील कनु अग्ररवाल ने कहा कि 12 जून को हुई बैठक के बाद एक निर्णय लिया गया है। बता दें कि कोर्ट तीन याचिकाओं पर विचार कर रहा है, जिसमें अनियमितताओं और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा 1500 से अधिक उम्मीदवारों को “लॉस ऑफ टाइम” के आधार पर परीक्षा में ग्रेस मार्किंग देने के संबंध में संदेह जताने के लिए नीट यूजी 2024 के रिजल्टों को चुनौती दी गई है। इनमें से एक याचिका फिजिक्स वाला के सीईओ अलख पांडे ने दायर की थी। दायर की गई याचिका में दावा किया था कि एनटीए का ग्रेस मार्क्स देने का फैसला “मनमाना” था। कथित तौर पर पांडे ने लगभग 20,000 छात्रों से प्रतिनिधित्व एकत्र किया, जिसमें दिखाया गया कि कम से कम 1,500 छात्रों को लगभग 70-80 अंक ग्रेस मार्क्स के रूप में दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में नीट यूजी परीक्षा को लेकर दूसरी याचिका एसआईओ के सदस्य अब्दुल्ला मोहम्मद फैज और डॉ. शेख रोशन मोहिद्दीन ने दायर की थी। दायर की गई इस याचिका में नीट-यूजी 2024 के रिजल्टों को वापस लेने और नए सिरे से परीक्षा आयोजित करने की मांग की गई थी। नीट यूजी को लेकर तीसरी याचिका नीट उम्मीदवार जरीपिति कार्तिक ने दायर की थी। इसमें परीक्षा के दौरान कथित रूप से लॉस ऑफ टाइम के लिए मुआवजे के रूप में ग्रेस मार्क्स दिए जाने को चुनौती दी गई थी।
क्या महाराष्ट्र में फिर आने वाला है सियासी भूचाल? शरद पवार का बड़ा बयान, बोले-4 से6 महीनों में बदल दूंगा सरकार

#wait_for_four_six_months_change_the_govt

देश में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में काफी उलटफेर देखा गया। एक तरफ 400 सीटें जीतने का दावा कर रही बीजेपी 250 सीट भी नहीं जीत सकी। वहीं,कांग्रेस 100 के करीब पहुंच गई। यूपी में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। त्तर प्रदेश की सबसे हम मानी जाने वाली अयोध्या सीट ही भाजपा नहीं बचा सकी। महाराष्ट्र में भी विपक्षी खेमे ने शानदार प्रदर्शन किया। राज्य में 48 में से 41 सीटों पर जीत हासिल की। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति के दो बड़े नेता उद्धव ठाकरे और शरद पवार को पार्टी में विभाजन का सामना करना पड़ा। हालांकि चुनाव नतीजे उनके पक्ष में आने से वह काफी गदगद हैं और अगला विधानसभा चुनाव में एनडीए को हराने का दंभ भर रहे हैं।

अब राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी (शरद गुट) प्रमुख शरद पवार ने बड़ा दावा किया है। कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने का निर्देश देने वाले पवार ने बीते दिन किसानों और ग्रामीणों के साथ बैठक कर फिर सरकार बदलने की बात कही।

पुरंदर तालुका में किसानों से बातचीत करते हुए शरद पवार ने कहा कि जब तक सरकार नहीं बदलेगी तब तक किसानों के लिए हम कुछ नहीं कर पाएंगे। पवार ने आगे कहा कि हम जो किसानों के लिए नई नीतियां लाना चाहते हैं, वो सब सरकार बदलने पर ही होगा। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि शिंदे सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती है। इसलिए मैं कुछ महीनों में सरकार बदल दूंगा।। उन्होंने दावा करते हुए कहा, 'थोड़ा इंतजार कीजिए, मैं सरकार बदलने वाला हूं, लेकिन किसानों की समस्या के लिए सभी को सड़कों पर उतरना होगा।'

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही शरद पवार की पार्टी का कॉन्फिडेंस हाई है। उनके बयान से संकेत साफ हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी राज्य के किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी।

कुवैत अग्निकांड: मंगफ त्रासदी में 42 भारतीयों की मौत,केरल के थे अधिकतर लोग।

दक्षिणी कुवैत के मंगफ इलाके में करीब 195 प्रवासी श्रमिकों के आवास वाली एक इमारत में सुबह-सुबह लगी भीषण आग में करीब 42 भारतीयों की मौत हो गई, जिनमें केरल के कम से कम पांच लोग शामिल हैं और 50 से अधिक लोग घायल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अल-मंगफ इमारत में मरने वालों की कुल संख्या 49 है और उनमें से 42 भारतीय बताए जा रहे हैं; बाकी पाकिस्तानी, फिलिपिनो, मिस्र और नेपाली नागरिक हैं।विदेश मंत्रालय ने बुधवार देर रात एक बयान में कहा, "कुवैत के मंगफ इलाके में श्रमिक आवास सुविधा में आज सुबह एक दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद आग लगने की घटना में करीब 40 भारतीयों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए।" 

यह घटना कुवैत के इतिहास में सबसे भीषण इमारत में लगी आग थी, और इसने मकान मालिकों और कंपनी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, "जो लागत कम करने के लिए अत्यधिक असुरक्षित परिस्थितियों में बड़ी संख्या में विदेशी मजदूरों को रखने के लिए कानून का उल्लंघन करते हैं”, कुवैत टाइम्स अखबार। पीड़ितों में 48 वर्षीय वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस भी शामिल थे, जो NBTC समूह के सुपरवाइजर थे, जिसके प्रबंध निदेशक केरल के व्यवसायी केजी अब्राहम हैं। वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस कोल्लम के आदिचनल्लूर पंचायत के निवासी थे, और पिछले 18 वर्षों से कुवैत में थे।

केरल के वैयंकारा के निवासी शमीर उमरुद्दीन कुवैत में भारी वाहन चालक के रूप में काम करते थे। ओनमनोरमा ने उनके रिश्तेदारों का हवाला देते हुए बताया कि शमीर उमरुद्दीन ने घबराहट में फ्लैट से छलांग लगा दी होगी। वह उमरुद्दीन और सफीना का दूसरा बेटा था। उसकी शादी सुरुमी से हुई थी। शमीर और उनका परिवार पहले पूयापल्ली ग्राम पंचायत के पय्याकोड़े में रहता था। बाद में वे वैयंकारा चले गए। दो साल पहले उनकी शादी हुई थी। उन्होंने चार दिन पहले कुवैत से अपने माता-पिता और परिवार को फोन किया था। वह नौ महीने पहले घर आया था, ऐसा बताया गया। शमीर के एक रिश्तेदार ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि परिवार को बुधवार सुबह 11 बजे घटना के बारे में पता चला। 

कुवैत में आग लगने की घटना में कासरगोड के मूल निवासी केलू पोनमलेरी की भी मौत हो गई। कासरगोड के त्रिकारीपुर कस्बे के निवासी केलू पोनमलेरी एनबीटीसी ग्रुप में प्रोडक्शन इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। उनके परिवार में उनकी पत्नी केएन मणि हैं, जो पंचायत कर्मचारी हैं और दो बेटे हैं। दूसरे मृतक की पहचान कासरगोड के 34 वर्षीय रंजीत के रूप में हुई है, जो पिछले 10 सालों से कुवैत में काम कर रहे थे। 

कुवैत के लिए रवाना हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह।

कुवैत में स्थिति का जायजा लेने के लिए वहां रवाना होने से पहले, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि "कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है।" कीर्ति वर्धन ने कहा, "बाकी स्थिति तब स्पष्ट होगी जब हम वहां पहुंचेंगे।" कुवैत के लिए उड़ान भरने से पहले दिल्ली एयरपोर्ट पर एएनआई से बात करते हुए, राज्य मंत्री ने कहा, "हमने कल शाम प्रधानमंत्री के साथ बैठक की, यह इस दुखद त्रासदी के बारे में हमारे पास आखिरी अपडेट है...बाकी स्थिति तब स्पष्ट होगी जब हम वहां पहुंचेंगे..." ,जान गंवाने वालों के शवों को वापस लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, "स्थिति यह है कि पीड़ित ज्यादातर जले हुए हैं और कुछ शव इतने जल गए हैं कि उनकी पहचान नहीं हो पा रही है। इसलिए पीड़ितों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट किया जा रहा है।"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत में आग लगने की घटना पर बुधवार शाम विदेश मंत्रालय और अन्य अधिकारियों की टीम के साथ बैठक की। मोदी ने आग दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि उनकी संवेदनाएं घटना के पीड़ितों के परिवार और करीबी लोगों के साथ हैं।

जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आज इटली के लिए रवाना होंगे पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से हो सकती है मुलाकात*
#pm_modi_leave_for_italy_to_attend_g_7_summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार पीएम बनकर इतिहास रच दिया है। वहीं पीएम मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर जाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज इटली जा रहे हैं। मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने नई दिल्‍ली में बताया कि शुक्रवार को होने वाले सम्‍मेलन में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और ग्‍लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ जुड़ने का अवसर होगा। क्वात्रा ने कहा, हमने हमेशा यह माना है कि संवाद और कूटनीति ही इसका समाधान करने का सर्वोत्तम विकल्प है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को भी याद किया कि “आज का युग युद्ध का नहीं है”। क्वात्रा ने युद्ध के परिणामों के बारे में बात की, जिसमें भोजन, ईंधन और उर्वरक की उपलब्धता पर पड़ने वाले प्रभाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए चुनौतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यवधान शामिल हैं। *इटली की पीएम मेलोनी के साथ कर सकते हैं बैठक* शिखर सम्मेलन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी। प्रधानमंत्री आउटरीच सत्र में शामिल होंगे। सम्मेलन से अलग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठके करने की संभावना है।साथ ही पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ भी बैठक करेंगे। क्वात्रा ने कहा कि मोदी के इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा करने तथा अगले कदमों के लिए दिशा-निर्देश देने की उम्मीद है। *जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं पीएम मोदी* अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इटली में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। अमेरिका से इटली के लिए रवाना होते समय जेक सुलिवन ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही। सुलिवन ने कहा कि 'उन्हें (बाइडन) उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी भी इटली आएंगे। भारत ने फिलहाल औपचारिक रूप से उनकी (मोदी) उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों नेता एक-दूसरे से मिल सकते हैं। मुलाकात कैसी होगी फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि कार्यक्रम बेहद व्यस्त है।' भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे और अन्य नेताओं के साथ कार्यक्रम पर विचार किया जा रहा है।
जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आज इटली के लिए रवाना होंगे पीएम मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से हो सकती है मुलाकात

#pmmodileaveforitalytoattendg7_summit

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के लोकसभा चुनाव जीतकर लगातार तीसरी बार पीएम बनकर इतिहास रच दिया है। वहीं पीएम मोदी 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर जाने को तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-7 समूह के वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज इटली जा रहे हैं। मोदी एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ 14 जून को होने वाले शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र में भाग लेने के लिए इटली रवाना हो रहे हैं।

विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने नई दिल्‍ली में बताया कि शुक्रवार को होने वाले सम्‍मेलन में भारत को एक आउटरीच देश के रूप में आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा भारत और ग्‍लोबल साउथ के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ जुड़ने का अवसर होगा। क्वात्रा ने कहा, हमने हमेशा यह माना है कि संवाद और कूटनीति ही इसका समाधान करने का सर्वोत्तम विकल्प है। उन्होंने सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को भी याद किया कि “आज का युग युद्ध का नहीं है”। क्वात्रा ने युद्ध के परिणामों के बारे में बात की, जिसमें भोजन, ईंधन और उर्वरक की उपलब्धता पर पड़ने वाले प्रभाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए चुनौतियां और वैश्विक अर्थव्यवस्था में व्यवधान शामिल हैं। 

इटली की पीएम मेलोनी के साथ कर सकते हैं बैठक

शिखर सम्मेलन में भारत की यह 11वीं और पीएम मोदी की लगातार पांचवीं भागीदारी होगी। प्रधानमंत्री आउटरीच सत्र में शामिल होंगे। सम्मेलन से अलग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी7 देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठके करने की संभावना है।साथ ही पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ भी बैठक करेंगे। क्वात्रा ने कहा कि मोदी के इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, बैठक में दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा करने तथा अगले कदमों के लिए दिशा-निर्देश देने की उम्मीद है।

जो बाइडन से मुलाकात कर सकते हैं पीएम मोदी

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इटली में जी7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी। अमेरिका से इटली के लिए रवाना होते समय जेक सुलिवन ने मीडिया से बात करते हुए यह बात कही। सुलिवन ने कहा कि 'उन्हें (बाइडन) उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी भी इटली आएंगे। भारत ने फिलहाल औपचारिक रूप से उनकी (मोदी) उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है लेकिन हमें उम्मीद है कि दोनों नेता एक-दूसरे से मिल सकते हैं। मुलाकात कैसी होगी फिलहाल इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि कार्यक्रम बेहद व्यस्त है।' भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि पीएम मोदी इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात करेंगे और अन्य नेताओं के साथ कार्यक्रम पर विचार किया जा रहा है।

भारत तिब्बत में 30 जगहों के नाम बदलने जा रहा! चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी

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जैसे को तैसा...ये कहावत तो सुनी होगी सबने। भारत इसी की तर्ज पर चीन को जवाब देने की तैयारी में है।केंद्र में सरकार बनते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कडे़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। ऐसा ही फैसला तिब्बत को लेकर लिया गया है। द डिप्लोमैट की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन को काउंटर करने के लिए भारत अब तिब्बत की 30 से ज्यादा जगहों के नाम बदलने जा रहा है।इस फैसले को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन की नामकरण नीति का जवाब माना जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी के नेतृत्व में नई NDA सरकार ने तिब्बत के इन स्थानों के नाम बदलने को मंजूरी भी दे दी है। भारतीय सेना जल्द ही जगहों की लिस्ट के साथ चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का नया मैप जारी करेगी।तिब्बत के इलाकों का नाम बदलने के लिए काफी रिसर्च की गई। भारतीय भाषा में पुराने नामों को आधार बनाकर इन जगहों के नए नाम रखे गए हैं। 

रिपोर्ट में ये बताया गया कि भारतीय सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में अरुणाचल प्रदेश के उन इलाकों का दौरा भी किया, जिन्हें चीन अपना बताता है। इस दौरान पत्रकारों के जरिए क्षेत्रीय लोगों से भी बात की गई। उन्होंने चीन के दावों को खारिज करते हुए खुद को भारतीय नागरिक कहा। भारतीय सेना की इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर डिवीजन को इलाकों के नाम बदलने का जिम्मा सौंपा गया था। यह वही डिवीजन है, जो गहरी रिसर्च के बाद चीन की तरफ से रखे गए अरुणाचल प्रदेश के इलाकों के नए नामों को भी खारिज करती है। 

बताया जा रहा है कि भारत सरकार ने जिन जगहों के नामों को बदलने की मंजूरी दी है, उनमें आवासीय क्षेत्र, पहाड़, नदियां, झील और पहाड़ी दर्रे शामिल हैं। द डिप्लोमैट ने पूर्व खुफिया ब्यूरो अधिकारी बेनू घोष के हवाले से कहा कि पीएम मोदी अपनी मजबूत छवि के दम पर इन चुनावों को जीतना चाहते थे। इसलिए ये स्वाभाविक है कि वे अपनी छवि को बनाए रखने के लिए तिब्बती स्थानों के नाम बदलने की अनुमति देंगे। उन्होंने कहा, ये भारत द्वारा तिब्बत पर फिर से सवाल उठाने जैसा होगा।

इस फैसले को भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में चीन की नामकरण नीति का जवाब माना जा रहा है। यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों के नाम बदलने के जवाब में उठाया गया है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। चीन ने 1 अप्रैल को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर वहां की 30 जगहों के नाम बदल दिए थे। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। हालांकि, इन जगहों के नाम क्या रखे गए, इस बारे में जानकारी नहीं दी गई। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया था। पिछले 7 सालों में ऐसा चार बार हुआ, जब चीन ने अरुणाचल की जगहों के नाम बदले। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

भारत में इंसान को हुआ बर्ड फ्लू, यहां मिला दूसरा केस, WHO ने की पुष्टि*
#bird_flu_virus_infecting_humans_also भारत में एक इंसान को बर्ड फ्लू हुआ है।डब्ल्यूएचओ यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी पुष्टि की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक चार साल के बच्चे को H9N2 वायरस के कारण फरवरी में बर्ड फ्लू हुआ था। भारत में अब तक इंसानों में बर्ड फ्लू के दो ही मामले सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा, ''पश्चिम बंगाल में चार साल के एक बच्चे में एच9एन2 वायरस से उत्पन्न बर्ड फ्लू से मानव संक्रमण का मामला पाया गया है। मरीज को फरवरी में लगातार सांस की गंभीर बीमारी, तेज बुखार और पेट में ऐंठन के कारण स्थानीय अस्पताल की आईसीयू में भर्ती कराया गया था, हालांकि, इलाज के तीन महीने बाद उसे छुट्टी दे दी गई थी। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मरीज घर में और अपने आस-पास पोल्ट्री के संपर्क में था। हालांकि, उसके परिवार अन्य किसी में सांस की गंभीर बीमारी जैसे लक्षण नहीं मिले हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि भारत में इंसानों में बर्ड फ्लू का यह दूसरा मामला है। इससे पहले 2019 में भारत में पहले व्यक्ति को बर्ड फ्लू हुआ था। दुनियाभर में जिस हिसाब से बर्ड फ्लू के मामले जानवरों में बढ़ रहे हैं और अब इंसान भी संक्रमित हो रहे हैं। उससे नई महामारी का खतरा मंडरा रहा है। कुछ महीनों पहले अमेरिका में पशुओं में बर्ड फ्लू यानी H5N1 वायरस फैलने लगा था। हजारों गायों में इस वायरस की पुष्टि हुई थी। इसके बाद डेनमार्क और कनाडा में भी जानवरों में ये वायरस मिला था। करीब 26 प्रजातियों में इसकी पुष्टि हुई थी। यह एक चिंता वाली बात थी क्योंकि बर्ड फ्लू का संक्रमण आमतौर पर पक्षियों में ही देखा जाता था। लेकिन उस दौरान लाखों की संख्या में जानवरों में भी यह वायरस मिला रहा था और यह सिलसिला अभी तक जारी है। अब बर्ड फ्लू एक बड़ा खतरा बड़ा बनता नजर आ रहा है। कुछ दिनों पहले मैक्सिको में एक व्यक्ति की मौत इस वायरस से हुई थी। यह बर्ड फ्लू से इंसान की डेथ का पहला मामला था। इस मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनियाभर में बर्ड फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया था। कुछ दिन ही बीते हैं और अब भारत में भी एक बच्चे में इस वायरस की पुष्टि हुई है।