राम मंदिर स्थापना के बाद भी अयोध्या में बीजेपी की क्यों हुई हार?
#whybjplost_ayodhya
यूपी में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे बीजेपी के लिए काफी खराब है। इस चुनाव में बीजेपी ने अपनी कई जीती हुई सीटें गवां दी। यहां तक कि फैजाबाद लोकसभा सीट भी समाजवादी पार्टी ने छीन लिया। यही वो सीट है जहां अयोध्या का राम मंदिर मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में बन कर तैयार हुआ। अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी बीजेपी के हाथों से ये सीट निकल जाएगी।फैजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी के हाथ से निकल जाने का जितना मलाल पार्टी को है, उससे ज्यादा ये लोगों के बीच चर्चा का मुद्दा बना हुआ है।
सालों से तंबू में रखे गए भगवान राम को भव्य मंदिर में प्रतिष्ठित किया गया। फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या कर दिया गया। मंडल भी अयोध्या बना दिया गया। फैजाबाद रेलवे स्टेशन अयोध्या छावनी बना दिया गया। अयोध्या स्टेशन पर यात्रियों के ठहरने के बेहतरीन इंतजाम किए गए। अयोध्या शहर का कायाकल्प भी किया गया। चौक चौराहे सजाए गए। छोटी मोटी दुकानों को तोड़, सलीके से व्यावसायिक कांप्लेक्स तमीर कर दिए गए। मंदिर बनने के बाद रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु भी अयोध्या आने लगे। इस सव से लोग खुश थे। तो बड़ा सवाल है, बीजेपी कैसे हार गई?
जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए पूर्व सांसद
लोगों की माने तो अयोध्या में विकास काफी हुआ है लेकीन यहाँ के कैंडिडेट लल्लू सिंह के वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। लल्लू सिंह जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़ नहीं पाए हैं। कहा जा रहा है कि वे मतदाताओं से कनेक्ट करने की बजाय अपने समर्थकों को 400 सीटें लाकर संविधान बदलने की बात कहते सुने गए। उनका एक वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। लल्लू सिंह ने नाराजगी के अलावा जो भी वोट भाजपा को मिले वह पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के मुद्दे पर ही पड़े।
मंदिर की व्यवस्था से परेशानियां
यही नहीं, अयोध्या के लोगों को मंदिर की व्यवस्था से परेशानियों से जूझना पड़ा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद चुनाव तक मंदिर में लगातार वीआईपी दर्शनार्थियों का आना लगा रहा। इस दौरान प्रशासन सुरक्षा के नाम पर ऐसा इंतजाम करता रहा है कि लोगों का मंदिर के आस पास जाना दूभर हो जाता था। अयोध्या – फैजाबाद के लोग मंदिर दर्शन करने जा ही नहीं सके। मंदिर के आस पास जो भी स्कूल और अस्पताल वगैरह है वहां जाने आने में रोज लोगों को मुसीबतों से दो चार होना पड़ा है।
कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और सांसद से नाराजगी
मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया जा रहा है कि अयोध्या जिले में भाजपा के सामान्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई। मंदिर बनने के बाद VIP जिला होने से यहाँ बड़े नेताओं की ही चली और स्थानीय कार्यकर्ताओं का फीडबैक ऊपर तक नहीं पहुँचा। इसी कारण से कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग उदासीन हो गया और नाराज रहा, जिससे नुकसान हुआ।
जमीन अधिग्रहण और मुआवजा
अयोध्या में विकास के लिए काफी जमीन अधिग्रहण किया गया। प्रशासन ने इसके लिए स्थानीय लोगों की काफी जमीन ली। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि अयोध्या में जमीन अधिग्रहण में गड़बड़ियाँ हुईं और मुआवजे का बँटवारा सही से नहीं हुआ। कई लोगों के घर तोड़े गए और उनकी सुनी नहीं गई। इस कारण से लोगों में गुस्सा रहा और उन्होंने वोट नहीं दिया।
सपा का दलित प्रत्याशी उतारना
बीजेपी की हार का एक बड़ा कारण सपा का इस सीट से दलित प्रत्याशी उतारना था। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद 9 बार के विधायक हैं। उनको दलितों का वोट काफी बड़े स्तर पर मिला। भाजपा से दलित वोट का छिटकना भी एक हार का एक बड़ा कारण रहा। बताया गया कि इस लोकसभा क्षेत्र में 26% दलित वोट को सपा ने अपने प्रत्याशी के चयन से ही अपनी तरफ मिला लिया। इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी एकतरफा सपा की तरफ गए जिसने यहाँ उसे बढ़त दिलाई। सपा से कॉन्ग्रेस के गठबंधन के कारण मुस्लिम वोट छिटका नहीं। बड़े स्तर पर मुस्लिम वोट ने सपा को यहाँ बढ़त दिलाई, जिससे उसे जीत हासिल करने में आसानी हुई।
Jun 06 2024, 20:31