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अहमदाबाद के 8 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी वाला ईमेल मिला! शहर में हड़कंप, हालांकि बम निरोधक दस्ते को कुछ नहीं मिला!

अहमदाबाद के आठ स्कूलों को आज सुबह बम से उड़ाने की धमकी भरे ईमेल मिले। बताया गया कि एक रूसी हैंडलर से यह धमकी भरा मेल आया। इस ईमेल के बाद पुलिस चौंकन्ना हो गई है और स्कूलों में तलाशी ली। लेकिन, किसी स्कूल में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। अहमदाबाद प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि घबराने की बात नहीं। खतरे जैसी कोई बात नहीं है। बम निरोधक दस्ता भी स्कूलों में मौजूद है। साइबर अपराध शाखा की पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) लवीना सिन्हा ने कहा कि अहमदाबाद में कुछ स्कूलों को ईमेल से बम विस्फोट की धमकी मिली है। उन्होंने हमें इस बारे में सूचित कर दिया। यह कुछ दिन पहले दिल्ली के स्कूलों को मिली इसी तरह की धमकी जैसा मामला लगता है। उन्होंने कहा कि हमारी प्रारंभिक जांच के अनुसार ईमेल भारत के बाहर से भेजा गया। इसी तरह दिल्ली के करीब 200 स्कूलों को भी ईमेल मिले थे, जिसमें बम से उड़ाने की धमकी दी थी। हालांकि, बाद में यह धमकी फर्जी साबित हुई। इस संबंध में एक एफआईआर भी दर्ज की गई। पुलिस ने कहा था कि बम संबंधी ईमेल भेजने का मकसद बड़े पैमाने पर दहशत पैदा करना और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना था। दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा दर्ज प्राथमिकी में यह दावा किया गया है। सूत्र के अनुसार, बुधवार को सुबह 5:47 बजे से अपराह्न 2:13 बजे के बीच कई स्कूलों की तरफ से, बम धमकी मिलने के बारे में कम से कम 125 कॉल आई.कॉल आने के बाद पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) वाहन स्कूल पहुंचे और जिला पुलिस, बम निरोधक दस्ता (बीडीएस), एमएसी, विशेष प्रकोष्ठ और अपराध नियंत्रण कक्ष, डीडीएमएस, एनडीआरएफ, ‘फायर कैट्स’ व अन्य एजेंसियों को सतर्क किया गया। प्राथमिकी में कहा गया है कि स्कूलों की ओर इन इकाइयों की आवाजाही के कारण काफी असुविधा हुई।
लीक हुआ NEET का पेपर, 10 लाख रुपये लेकरएग्जाम...बिहार, झारखंड, राजस्थान से लेकर पूरे देश में मचा हंगामा

मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए रविवार को देशभर में नीट यूजी की परीक्षा का आयोजन किया गया लेकिन अलग-अलग राज्यों में इसमें सॉल्वर गैंग की एंट्री और फर्जी परीक्षा देने वालों के पकड़े जाने के बाद हड़कंप मच गया है. बिहार, झारखंड और राजस्थान में कई ऐसे मामले सामने आए है जिसमें फर्जी तरीके से सॉल्वर गैंग द्वारा नीट परीक्षा में अभ्यर्थी बैठाए गए थे. बिहार के नालंदा में सॉल्वर गैंग ने नीट यूजी की परीक्षा में कई अभ्यर्थियों की जगह मेडिकल स्टूडेंट्स को बिठाया. इसका खुलासा होने के बाद पुलिस एक्शन में आई और पटना में कई जगह छापेमारी कर पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने नीट परीक्षा में सॉल्वर गैंग की एंट्री को कंफर्म किया है. हालांकि नीट यूजी का पेपर लीक हुआ या है या नहीं इसकी जांच अभी चल रही है. जानकारी के मुताबिक रांची में सबसे पहले दरभंगा मेडिकल कॉलेज के सेकंड ईयर के एक स्टूडेंट आशीष और नालंदा मेडिकल कॉलेज के सोनू कुमार को गिरफ्तार किया गया. यह दोनों किसी दूसरे छात्र की जगह बैठकर नीट यूजी की परीक्षा दे रहे थे. इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद जो जानकारी मिली उसके बाद पटना में ताबड़तोड़ कई जगहों पर छापेमारी की गई. पटना के बोर्ड कॉलोनी स्थित एक स्कूल से परीक्षा देकर बाहर निकल रहे एक सॉल्वर को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. यह सॉल्वर भी मेडिकल कॉलेज का स्टूडेंट है और वह आयुष नाम के एक छात्र के बदले नीट यूजी की परीक्षा देकर बाहर निकाला था. वहीं दूसरी तरफ राजस्थान के बाड़मेर में भी ऐसा ही मामला सामने आया है जहां भाई को डॉक्टर बनाने के लिए एमबीबीएस का छात्र नीट की परीक्षा देने पहुंचा था. पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. बाड़मेर जिला मुख्यालय में एक सरकारी स्कूल में फर्जी अभ्यर्थी भागीरथ अपने भाई की जगह एग्जाम दे रहा था. संदेह के आधार पर वीक्षक ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद पुलिस ने पहले फर्जी अभ्यर्थी और फिर बाद में उसके भाई दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने भागीरथ राम नामक अभ्यर्थी को पकड़ा तो उसने पूछताछ में बताया कि वो अपने छोटे भाई गोपालराम की जगह डमी अभ्यर्थी बनकर फर्जी तरीके से परीक्षा दे रहा था. 2023 की नीट परीक्षा में ही भागीरथ का सेलेक्शन हुआ था. नीट में फर्जीवाड़े का एक मामला भरतपुर में भी सामने आया है. एक छात्र की जगह परीक्षा दे रहे सॉल्वर गैंग के एक सदस्य सहित पुलिस ने कुल पांच लोगों को पकड़ा है. उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि सरकारी कॉलेज का छात्र अभिषेक गुप्ता अपने कॉलेज के साथी रवि मीना द्वारा चलाए जा रहे रैकेट का हिस्सा था, जिसने उम्मीदवार राहुल गुर्जर से 10 लाख रुपये लिए थे. सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) अकलेश कुमार ने कहा, 'एक परीक्षा केंद्र पर अभिषेक को राहुल गुर्जर की जगह परीक्षा देते हुए पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि उनके साथी परीक्षा केंद्र के बाहर एक कार में बैठे थे.' एएसपी ने कहा कि सभी आरोपियों से पूछताछ की जा रही है. कुछ जगहों पर छात्रों ने भी आरोप लगाया कि हिन्दी में परीक्षा देने वाले लोगों को अंग्रेजी में प्रश्न पत्र उपलब्ध कराया गया और शिकायत करने पर पुलिस ने उनकी पिटाई कर दी.
विदिशा-गुना समेत मप्र की इन 9 सीटों पर कल होगी वोटिंग, शिवराज-सिंधिया, दिग्विजय सिंह समेत कई दिग्गजों की किसमत दांव पर

तीसरे चरण के आम चुनाव के लए 7 मई को वोटिंग होनी है. ऐसे में मतदान के 48 घंटे पहले चुनावी शोरगुल थम गया है. आम चुनाव के तीसरे चरण के दौरान MP की 9 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. ऐसे में रविवार शाम 6 बजते ही इन सभी 9 सीटों पर चुनावी प्रचार शांत हो गया. जानिए इन 9 सीटों के प्रत्याशियों के बारे में-... MP में तीसरे चरण के चुनाव के दौरान प्रदेश की 9 सीट- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, भोपाल, विदिशा, राजगढ़ और बैतूल पर वोटिंग होगी. इन सभी सीटों पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे. तीसरे चरण के दौरान प्रदेश की 9 सीटों पर होने वाली वोटिंग के लिए कुल 127 उम्मीदवार मैदान में हैं. इन 9 संसदीय क्षेत्रों में कुल 1.77 करोड़ वोटर्स हैं. चुनाव आयोग ने तीसरे चरण की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है. भोपाल: भोपाल लोकसभा सीट पर इस बार BJP ने आलोक शर्मा को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने अरुण श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है. इस क्षेत्र में कुल 8 विधानसभा सीट- बेरसिया, भोपाल दक्षिण-पश्चिम, हुजूर, भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य, सिहौर, नरेला और गोविंदपुरा शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP की प्रज्ञा ठाकुर सांसद हैं. राजगढ़: राजगढ़ लोकसभा पर BJP के रोडमल नागर और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के बीच मुकाबला है. इस लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा सीट- खिलचीपुर, चाचौड़ा, नरसिंहगढ़, ब्यावरा, राघौगढ़, राजगढ़, सारंगपुर और सुसनेर शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP के रोडमल नागर सांसद हैं. गुना: गुना लोकसभा सीट पर BJP ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. उनके खिलाफ कांग्रेस ने यादवेंद्र राव को टिकट दिया है. इस क्षेत्र में भी कुल 8 विधानसभा सीट- शिवपुरी, पिछोर, कोलारस, बमोरी, गुना, अशोक नगर, चंदेरी, मुंगावली शामिल हैं. वर्तमान में यहां से KP यादव सांसद हैं. मुरैना: गुना लोकसभा सीट पर BJP के शिवमंगल सिंह तोमर और कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार के बीच मुकाबला है. इस संसदीय क्षेत्र में भी कुल 8 विधानसभा सीट- विजयपुर, और मुरैना जिले की सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमानी और अंबाह शामिल है. 2019 में BJP प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर ने इस सीट पर जीत हासिल की थी. भिंड: भिंड लोकसभा सीट पर BJP की संध्या राय और कांग्रेस के फूल सिंह बैरया के बीच मुकाबला है. ये सीट ST के लिए रिजर्व है. इस सीट में भी कुल 8 विधानसभा सीट- भिंड, अटेर, मेहगांव, लहार, गोहद, दतिया, सेवड़ा और भांडेर शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP की संध्या राय सांसद हैं. सागर: सागर लोकसभा सीट से BJP की लता वानखेड़े और कांग्रेस के गुड्डू राजा बुंदेला के बीच मुकाबला है. इस सीट में 8 विधानसभा सीट- बीना, खुरई, सुरखी, नरयावली, सागर, कुरवाई, सिरोंज और शमशाबाद शामिल हैं. वर्तमान में इस सीट से BJP के राजबहादुर सिंह सांसद हैं. ग्वालियर: ग्वालियर लोकसभा सीट पर BJP के भारतसिंह कुशवाह और कांग्रेस के प्रवीण पाठक के बीच मुकाबला है. इस सीट में भी 8 विधानसभा सीट- ग्वालियर, भीतरवार, ग्वालियर दक्षिण, ग्वालियर पूर्व, डबरा, ग्वालियर ग्रामीण , पोहरी और करैरा शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के विवेक नारायण शेजवालकर सांसद हैं. विदिशा: ग्वालियर लोकसभा सीट पर BJP के शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रताप भानू शर्मा के बीच मुकाबला है. यहां पर भी 8 विधानसभा सीट- भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, बासौदा, बुधनी, इच्छावर और खातेगांव शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के रमाकांत भार्गव सांसद हैं. बैतूल: बैतूल लोकसभा सीट पर BJP के दुर्गादास उइके और कांग्रेस के रामू टेकाम के बीच मुकाबला है. ये अनुसूचित जानजाति के लिए आरक्षित है. इस लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट- मुल्ताई, आमला, बैतुल, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, टिमरनी, हरदा और हरसूद शामिल हैं. वर्तमान में यहां से BJP के दुर्गादास उइके सासंद हैं.
पंजाब में कांग्रेस को एक और तगड़ा झटका, अब इस दिग्गज नेता ने सैकड़ों समर्थकों के साथ छोड़ी पार्टी, CM ने किया स्वागत

लोकसभा चुनाव के चलते पंजाब की राजनीति में हलचल जारी है। इसके साथ ही नेताओं के पार्टियों में दल बदल का सिलसिला भी जारी है। इसी बीच कांग्रेस से बड़ी खबर सामने आ रही है। दरअसल, यूथ कांग्रेस के नेता चुस्पिंदरबीर चहल आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। अपने सैकड़ों साथियों के साथ आम आदमी पार्टी को जॉइन किया है. उनका मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्वागत किया है। चुस्पिंदर चहल यूथ कांग्रेस महासचिव के रहे हैं। सीएम भगवंत मान ने उन्होंने खुद पार्टी में शामिल करवाया है। इसको लेकर आप पार्टी ने ट्विटर पर ट्वीट भी किया है। उन्होंने लिखा ‘सीएम भगवंत मान के नेतृत्व में कांग्रेस के महासचिव रहे चुस्पिंदरबीर सिंह अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए।’
लोकसभा चुनाव के बीच सामने आई बड़ी खबर, इस सीट पर बदला गया उम्मीदवार, जानिए अब किसे दिया टिकट


लोकसभा चुनाव के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) ने जौनपुर से बाहुबली नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह का टिकट काट दिया है. आज यहां नामांकन की आखिरी तारीख है. इससे पहले मायावती ने यहां से उम्मीदवार बदलते हुए श्याम सिंह यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है. बताया जा रहा है कि श्याम सिंह यादव दोपर 1 बजे नामांकन दाखिल करेंगे. इस बात की पुष्टि श्याम सिंह और बीएसपी के जोनल कॉर्डिनेटर ने की है. बीएसपी से टिकट कटने के बाद श्रीकला रेड्डी के पति और जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह अपने घर पर करीबी लोगों की बैठक बुलाई है. इस बैठक में ये तय होगा कि BSP से टिकट कटने के बाद उनकी पत्नी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी या नहीं. उनकी पत्नी श्रीकला ने चार दिन पहले ही बीएसपी से नामांकन दाखिल किया था. उम्मीदवारी तय होने के बाद श्याम सिंह यादव ने कहा कि एक ज्योतिषी ने बताया था की अगले सांसद आप ही होंगे. उन्होंने कहा कि बहनजी ने फोन करके लड़ने के लिए कहा. बता दें कि श्याम सिंह यादव जौनपुर से सीटिंग सांसद भी हैं. बता दें कि जौनपुर में छठे चरण में 25 मई को मतदान है. इस दिन पूर्वांचल की पांच सीटों लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर और भदोही में वोटिंग होगी. यूपी में जारी लोकसभा चुनाव के बीच उम्मीदवारों के बदलने का सिलसिला लगातार जारी है. सपा और बसपा दोनों पार्टियां ये काम कर रही हैं. चार दिन पहले ही बसपा ने वाराणसी में अपना उम्मीदवार बदल दिया था. बसपा ने गुरुवार (2 मई) को उम्मीदवारों की 12वीं लिस्ट जारी की थी. इस लिस्ट में वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ दूसरी बार उम्मीदवार बदल दिया था. पहले अतहर जमाल लारी को टिकट दिया था. इसके बाद उनकी जगह सैयद नेयाज अली को प्रत्याशी बनाया. फिर नेयाज की जगह फिर से लारी को उम्मीदवार बनाया गया. इससे पहले मायावती ने अमेठी से अपना उम्मीदवार बदल दिया था. मायावती ने यहां से पहले रवि प्रकाश मौर्य को टिकट दिया था. मगर 24 घंटे बाद ही उन्होंने यहां से नन्हे सिंह चौहान को उम्मीदवार घोषित किया.
राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? जानें क्या कहते हैं आंकड़े*
#rae_bareli_challenge_for_rahul_gandhi “मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
राहुल गांधी के लिए रायबरेली सीट जीतना कितनी बड़ी है चुनौती? जानें क्या कहते हैं आंकड़े*
#rae_bareli_challenge_for_rahul_gandhi “मां ने भरोसे के साथ परिवार की कर्मभूमि सौंपी है।” रायबरेली से नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी खुद ही ये कह चुके हैं। ऐसे मं बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी मां के भरोसे पर खरे उतरेंगे? 2019 में अमेठी से हार के बाद दक्षिण की ओर पलायन कर चुके राहुल के लिए रायबरेली उत्तर प्रदेश में सुरक्षित है या फिर मुश्किल? और अगर सुरक्षित है तो जीतना कितनी बड़ी चुनौती है? कांग्रेस ने काफी “माथापच्ची” के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट से राहुल गांधी को उतारा है। रायबरेली सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। हालांकि, कुछ मौके ऐसे भी रहे हैं जब परिवार ने अपने किसी नज़दीकी को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी से पहले कैप्टन सतीश शर्मा, राजीव गांधी के दोस्त के तौर पर ही यहां से चुनाव लड़े थे, लेकिन 2004 से सोनिया गांधी लगातार रायबरेली से सांसद रही हैं। 2024 का लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी राज्यसभा चली गईं। उसके बाद से रायबरेली की जनता में इस बात को लेकर उत्सुकता होने लगी कि इस बार रायबरेली से कौन चुनाव लड़ेगा? पहले चर्चा थी राहुल गांधी अमेठी से और प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी। अब यहां राहुल का मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। कांग्रेस का मानना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने का असर यूपी की सभी सीटों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने इस बार राहुल को अमेठी की जगह सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से मैदान में उतारा तो उसके पीछे इस सीट का पुरानी सीट से अधिक सुरक्षित होना भी था। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के रायबरेली चयन पर ढेरों कारण गिना दिए। राहुल गांधी को ‘मास्टरमाइंड’ कहते हुए जयराम रमेश ने कहा, इस पर बहुत सारे लोगों की बहुत सारी राय है। लेकिन वे राजनीति और शतरंज के मंजे हुए खिलाड़ी हैं और सोच समझ कर दांव चलते हैं। ऐसा निर्णय पार्टी के नेतृत्व ने बहुत विचार विमर्श करके बड़ी रणनीति के तहत लिया है। इस निर्णय से भाजपा, उनके समर्थक और चापलूस धराशायी हो गये हैं। बेचारे स्वयंभू चाणक्य जो 'परंपरागत सीट' की बात करते थे, उनको समझ नहीं आ रहा अब क्या करें? हालांकि, बीजेपी का दावा है कि कांग्रेस अब रायबरेली भी अमेठी की तरह हार सकती है। अब सावल उठता है कि बीजेपी के इस दावे में कितना दम है। अमेठी में राहुल गांधी की जीत का अंतर 2014 में बहुत हम हुआ और 2019 में वे हार ही गए। सोनिया गांधी के साथ कुछ ऐसा ही रायबरेली में भी हो रहा था। 2009 में सोनिया गांधी को 72.23% वोट मिले थे। जबकि बीजेपी को सिर्फ 3.82% वोट मिला। बीजेपी और कांग्रेस के बीच तब वोटों का अंतर 68.41% का था। इसके बाद 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी को 63.80% वोट मिले और बीजेपी को 21.05% वोट मिले. यानी कांग्रेस को (-8.43%) वोट का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.23%) वोट का फायदा। दोनों पार्टियों के वोट का अंतर घटकर 42.75% फीसदी हो गया। 2019 में सोनिया गांधी को 55.78% वोट मिले और बीजेपी को 38.35% वोट मिले, यानी कांग्रेस को (-8.02%) का नुकसान हुआ और बीजेपी को (+17.3%) का फायदा. जीत हार का अंतर घटकर 17.43% फीसदी रह गया है। अब चौथी अहम बात ये है कि रायबरेली में पिछली बार बीजेपी 17.43 फीसदी वोट के अंतर से हारी है और लगातार दो चुनाव में 17% से ज्यादा वोट बढ़ाती आ रही है। पिछले चुनावों के नतीजें देखें तो राहुल गांधी की राह आसान नहीं है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी को अपनी परंपरागत सीट का फायदा होता है या उन्हें एक बार फिर अमेठी तरह हार का मूंह देखना पड़ेगा?
*लोकसभा चुनाव 2024: शिवपाल यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज, मायावती को लेकर दिया था विवादित बयान*

डेस्क: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती को लेकर अभद्र टिप्पणी करना सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव को भारी पड़ गया है। बदायूं के बसपा जिलाध्यक्ष की तहरील पर मायावती के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के आरोप में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि बसपा के जिला अध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी की तहरीर पर शिवपाल यादव के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 504 (जानबूझकर अपमान करना) और 505 (सामाजिक उपद्रव फैलाने वाला वक्तव्य देना) के तहत रविवार देर रात मुकदमा दर्ज किया गया है। कार्यकर्ताओं में रोष इस मामले में वादी बसपा के जिला अध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी ने दावा किया कि उन्होंने गत 3 मई को अपने मोबाइल फोन पर एक चैनल की समाचार क्लिपिंग देखी थी, जिसमें शिवपाल ने बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के खिलाफ अमर्यादित व अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया था। उन्होंने कहा कि मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उनके लिए अपमानजनक शब्द प्रयोग करने से बसपा कार्यकर्ताओं में बहुत रोष है। जांच के बाद दर्ज हुआ मुकदमा बसपा जिलाध्यक्ष राम प्रकाश त्यागी के अनुसार इसी वजह से उन्होंने पुलिस को उस टिप्पणी का वीडियो उपलब्ध कराया था, जिसकी जांच करने के बाद कोतवाली सिविल लाइंस में शिवपाल के विरुद्ध उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। त्यागी ने कहा कि इस मामले पर राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को भी संज्ञान लेना चाहिए। बता दें कि शिवपाल के बेटे आदित्य यादव बदायूं लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हैं। समाजवादी पार्टी यहां से पहले भी अपने दो उम्मीदवार बदल चुकी है। समाजवादी पार्टी ने पहले इस सीट से धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा था। बाद में एक अन्य सूची में पार्टी ने धर्मेंद्र यादव की जगह शिवपाल यादव को बदायूं से प्रत्याशी बनाया। इसके बाद एक अन्य लिस्ट जारी कर शिवपाल यादव की जगह बदायूं सीट से उनके बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया।
अमेठी-रायबरेली में प्रियंका करेंगी कांग्रेस का “बेड़ा पार”, अपनी टीम के साथ आज से करेंगी कैंप
#priyanka_gandhi_will_take_charge_of_congress_campaign_in_amethi_and_raebareli
गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाली रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीट पर पांचवें चरण में चुनाव है। कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से केएल शर्मा चुनाव लड़ रहे हैं। ये दोनों सीट कांग्रेस की प्रतिष्ठा से जुड़ी है। ऐसे में कांग्रेस ने दोनों सीटों पर कब्जा जमाने के लिए खास रणनीति बनाई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अब सब कुछ छोड़कर रायबरेली और अमेठी में चुनाव प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। प्रियंका गांधी ने भले ही लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया हो, पर वह अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए डटी रहेंगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी के 80 सीटों में से मात्र एक सीट ही जीत सकी थी। मोदी लहर में भी सोनिया गांधी परिवार के पारंपरिक सीट रायबरेली को बचाने में कामयाब रही थी। हालांकि, राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से गांधी परिवार के वफादार किशोरी लाल शर्मा चुनाव मैदान में हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस हर हाल में अमेठी और रायबरेली में लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है। रायबरेली में भाई राहुल और अमेठी में केएल शर्मा के जीत के लिए प्रियंका गांधी दोनों सीटों पर आज (सोमवार) से डेरा जमाने जा रही हैं। 3 मई को ही प्रियंका गांधी ने कहा था कि वह 6 मई को आएंगी और पूरे चुनाव के दौरान अमेठी और रायबरेली में ही रहेंगी। तब उन्होंने नामांकन के जुलूस के दौरान कहा था कि हम अमेठी में सच्चाई और सेवा की राजनीति वापस लाना चाहते हैं। अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर चुनाव पांचवें चरण में 20 मई को होगा। ऐसे में समझा जा रहा है कि अगले दो हफ्ते प्रियंका यहीं से चुनावी दौरे कर सकती हैं। उनका ज्यादातर समय अमेठी और रायबरेली में ही बीतेगा। रायबरेली में भाई राहुल और अमेठी में केएल शर्मा के जीत के लिए प्रियंका गांधी जमीनी रणनीति से सियासी माहौल बनाने तक का काम करेंगी। संगठन और बूथ कमेटी की बैठक के साथ-साथ नुक्कड़ सभा और घर-घर दस्तक देने की प्लानिंग बनी है। वो रायबरेली के एक गेस्ट हाउस में रहकर दोनों चुनाव क्षेत्रों की कमान संभालेंगी। इस दौरान वो केंद्रीय नेताओं के इन दोनों क्षेत्रों में दौरे का समन्वय भी करेंगी। इसके पहले के चुनाव में भी प्रियंका गांधी इन दोनों सीटों पर यह जिम्मेदारी उठा चुकी हैं। बता दें कि रायबरेली और अमेठी कांग्रेस की परंपरागत सीट है। राहुल और प्रियंका गांधी के दादा फिरोज गांधी आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में रायबरेली से ही चुनाव जीते थे। वो 1957 का चुनाव भी रायबरेली से ही जीते थे। वहीं राहुल-प्रियंका की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1967 और 1971 के चुनाव में वहां से सांसद चुनी गईं, लेकिन 1977 के चुनाव में उन्हें जनता पार्टी के राजनरायाण के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। वो 1980 के चुनाव में एक बार फिर रायबरेली पर कब्जा जमाने में कामयाब रहीं। अब तक हुए लोकसभा चुनावों में केवल तीन बार ही विपक्षी दल रायबरेली से जीत हासिल कर पाए हैं। वहीं अगर अमेठी की बात करें तो वहां से गांधी परिवार के संजय गांधी पहली बार 1980 में चुनाव जीते थे। साल 1984 से लेकर 1991 तक राजीव गांधी सांसद चुने गए। उनके निधन के बाद गांधी परिवार के वफादार कैप्टन सतीश शर्मा वहां से दो बार सांसद चुने गए। इसके बाद 1999 में सोनिया गांधी अमेठी से सांसद चुनी गई थीं। उसके बाद 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में राहुल गांधी ने वहां से जीत दर्ज की थी। लेकिन 2019 के चुनाव में राहुल गांधी को हार का सामान करना पड़ा था।
देश के 200 से ज्यादा वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी के खिलाफ खोला मोर्चा, कानूनी कार्रवाई की मांग, जानें क्या है मामला*
#200_vice_chancellors_demands_legal_action_against_rahul_gandhi
देश के लगभग 200 विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्टा खोल दिया है। वाइस चांसलर्स ने राहुल गांधी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है। दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा था कि वाइस चांसलर्स की नियुक्ति योग्यता को ताक पर रख कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जा रही है। अपने इस बयान के बाद राहुल गांधी घिरते नजर आ रहे हैं।देश के लगभग 200 विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर्स ने साझा बयान जारी कर राहुल गांधी के आरोपों की निंदा की है। कुलपतियों और अन्य वरिष्ठ शिक्षाविदों ने साझा बयान में इस आरोप का खंडन किया है। इस पत्र में कहा गया है कि एक ट्वीट से ये हमारे संज्ञान में आया है कि यूनिवर्सिटीज के वाइस चांसलर्स की नियुक्ति कुछ संगठनों से संबंधों के आधार पर की जाती है ना कि योग्यता के आधार पर। इससे वाइंस चांसलर्स की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए हैं। हम इस तरह के दावों को सिरे से खारिज करते हैं। पत्र में कहा गया है कि कुलपतियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से योग्यता के आधार पर हो रही है। कुलपति अपने कामकाज में संस्थाओं की मर्यादा और नैतिकता का ध्यान रखते हैं। ग्लोबल रैंकिंग के हिसाब से देखें तो भारतीय विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। पत्र में कहा गया है कि जिस प्रक्रिया के तहत वाइस चांसलर्स का चुनाव किया जाता है, वह बेहद सख्त और पारदर्शी है। साझा बयान में 180 वाइस चांसलर्स और शिक्षाविदों के हस्ताक्षर भी हैं। दस्तखत करने वालों में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, एनसीआईआरटी, नेशनल बुक ट्रस्ट, एआईसीटीई, यूजीसी आदि के प्रमुख भी शामिल हैं। बता दें कि कुछ महीने पहले राहुल गांधी ने हिंदुस्तान के वाइस चांसलर्स को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, आज हिंदुस्तान के वाइस चांसलर मेरिट के आधार पर नहीं बनते हैं। आज सभी वाइस चांसलर एक ही संगठन के हैं. सारी संस्थाओं पर बीजेपी का कब्जा है।