एस्ट्राजेनेका ने कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात मानी, इस बीमारी का बढ़ सकता है खतरा
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कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञनिकों ने कई वैक्सीन की खोज की। जिसके बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि, कई बार कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
कंपनी कोर्ट में एक मुकदमे का सामना कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इससे मौत का खतरा है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो बच्चों के पिता एमी स्कॉट ने पिछले साल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद उनके शरीर में खून का थक्का जम गया था, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गए थे। अप्रैल 2021 में टीका लगने के बाद उन्हें मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई थी। दिमाग में यह चोट खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट की वजह से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय में इस तरह के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें पीड़ितों ने मुआवजे के रूप में एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।
भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी
यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था।
टीटीएस कौन सी बीमारी है
फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित की है। ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। अब सवाल उठता है कि टीटीएस यानी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम क्या है। टीटीएस शरीर में खून में थक्के जमने यानी ब्लड क्लॉट की वजह बन रही है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट जैसे जानलेवा खतरे बढ़ते हैं। इसके अलावा इस सिंड्रोम की वजह से प्लेटलेट्स काउंट भी गिर सकता है।
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण
• हार्ट अटैक के लक्षण
• नाक, मसूड़ों या महिलाओं में पीरियड के दौरान ज्यादा खून आना
• यूरीन में ब्लड आना
• स्किन पर बैंगनी-लाल रंग के दाने होना, जिसे पेटीचिया भी कहते हैं
थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई दिनों या सालों तक रह सकता है। इस बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसका इलाज होता है। अगर यह समस्या किसी दवा या वैक्सीन से हुआ है तो डॉक्टर जांच के आधार पर इलाज करते हैं। जब प्लेटलेट का लेवल काफी कम हो जाता है, तब डॉक्टर खोए ब्लड को पैक्ड लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स के बदल सकते हैं। अगर मरीज की कंडीशन इम्यून सिस्टम की समस्या से जु़ड़ी है तो डॉक्टर प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए दवाईयां लिख सकते हैं।
Apr 30 2024, 12:04