NOTA से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को जारी किया नोटिस, जानें क्या है मामला
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लोकसभा चुनाव 2024 के बीच NOTA ( (None Of The Above) का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट ने NOTA से जुड़ी एक याचिका पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका मोटिवेशनल स्पीकर और You Can Win के लेखक शिव खेड़ा ने लगाई है। इसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है। ख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया।
याचिका शिव खेड़ा ने आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि यदि NOTA को किसी कैंडिडेट से ज्यादा वोट मिलते हैं, तो उस सीट पर हुए चुनाव को रद्द कर दिया जाए, साथ ही नए सिरे से चुनाव कराए जाएं। याचिका में यह नियम बनाने की भी मांग की गई है कि NOTA से कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को 5 साल के लिए सभी चुनाव लड़ने से बैन कर दिया जाए। साथ ही NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार के तौर पर देखा जाए।
याचिका सूरत में 22 अप्रैल को बीजेपी कैंडिडेट मुकेश दलाल की निर्विरोध जीत के संदर्भ में दायर की गई है। बता दें कि यहां से कांग्रेस कैंडिडेट नीलेश कुंभाणी का पर्चा रद्द हो गया था। दरअसल, उनके पर्चे में गवाहों के नाम और हस्ताक्षर में गड़बड़ी थी। इस सीट पर BJP और कांग्रेस समेत 10 प्रत्याशी मैदान में थे। साथ ही 21 अप्रैल को 7 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने अपना नामांकन वापस ले लिया। वहीं सोमवार 22 अप्रैल को बीएसपी कैंडिडेट प्यारे लाल भारती ने भी पर्चा वापस ले लिया। इस तरह मुकेश दलाल निर्विरोध चुन लिए गए।
याचिका में ये 4 दलीलें भी दी गईं
• याचिकाकर्ता के मुताबिक NOTA के स्वरूप में सबसे अहम बदलाव महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और पुडुचेरी में देखा गया। इन राज्यों के चुनाव आयोगों (SEC) ने ऐलान किया कि यदि किसी चुनाव में NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो वहां दोबारा वोटिंग होगी। NOTA की शुरुआत के बाद से चुनावी प्रक्रिया में यह पहला बड़ा बदलाव था।
• राज्य चुनाव आयोगों ने नोटिफिकेशन जारी किया, जिनमें NOTA को एक काल्पनिक उम्मीदवार बताया। इसमें साफतौर पर कहा गया- अगर NOTA को सबसे ज्यादा वोट मिले तो दूसरे नंबर के उम्मीदवार को विजेता घोषित करना NOTA के सिद्धांत और उद्देश्य का उल्लंघन है।
• सुप्रीम कोर्ट का NOTA लाने का मकसद यह उम्मीद करना था कि इससे चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ेगी, लेकिन ऐसा लगता है कि ऐसा नहीं हुआ। ऐसा तभी हो सकता है जब राज्य और केंद्र चुनाव आयोग महाराष्ट्र, दिल्ली, पुडुचेरी और हरियाणा की तरह NOTA को भी अधिकार दें।
• महाराष्ट्र, दिल्ली, पुडुचेरी और हरियाणा में पंचायत और नगरपालिका चुनावों से NOTA के लिए जो प्रयास शुरू हुआ है, उसे सभी स्तरों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए।
क्या है नन ऑफ द अबव (NOTA)
NOTA एक वोटिंग ऑप्शन है, जिसे वोटिंग सिस्टम में सभी उम्मीदवारों के लिए असहमति दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे भारत में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के फैसले में 2013 के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद EVM में जोड़ा गया था। हालांकि, भारत में NOTA राइट टू रिजेक्ट के लिए नहीं दिया गया है।
मौजूदा कानून के मुताबिक, NOTA को ज्यादा वोट मिलते हैं तो इसका कोई कानूनी नतीजा नहीं होता। ऐसी स्थिति में अगले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाएगा।
Apr 27 2024, 10:37