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अलवर आश्रम में शिष्या से दुष्कर्म के अपराध में आजीवन सजा काट रहे फलाहारी बाबा को 15 दिन के लिये मिला नियमित पैरोल


जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने अलवर स्थित आश्रम में शिष्या के साथ दुष्कर्म करने के अपराध में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फलाहारी बाबा को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कौशलेंद्र प्रपन्नाचार्य उर्फ फलाहारी की पैरोल याचिका को स्वीकार करते हुए दिए.

अदालत ने गत 29 जनवरी की पैरोल कमेटी के आदेश को भी रद्द कर दिया है, जिसमें कमेटी ने अभियुक्त बाबा को पैरोल नहीं देने की सिफारिश की थी. 

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त सात साल से जेल में बंद है. ऐसे में वह पैरोल नियमों के तहत पैरोल लेने का अधिकारी है. इसके अलावा जेल में उसका आचरण भी संतोषजनक मिला है. इसलिए उसे पैरोल पर रिहा किया जाना उचित है.

याचिका में अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता सात साल से अधिक की अवधि से जेल में बंद है. ऐसे में वह 20 दिन के प्रथम नियमित पैरोल का अधिकारी है, लेकिन पुलिस अधीक्षक की विपरीत रिपोर्ट के चलते पैरोल कमेटी ने उसके पैरोल आवेदन को निरस्त कर दिया, जबकि याचिकाकर्ता को लेकर केन्द्रीय कारागार के जेल अधीक्षक और सामाजिक न्याय विभाग की रिपोर्ट संतोषजनक है. इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि पुलिस अधीक्षक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ रिपोर्ट दी है. 

इसके अलावा वह गंभीर अपराध में सजा काट रहा है. यदि उसे पैरोल पर रिहा किया गया तो समाज और पीड़िता पर इसका प्रभाव पड़ेगा.

2018 में हुई थी सजा : 

दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त याचिकाकर्ता को बीस दिन के नियमित पैरोल पर रिहा करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 21 वर्षीय लॉ स्टूडेंट ने सितंबर 2017 को एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि अभियुक्त ने सात अगस्त, 2017 को अलवर स्थित आश्रम में उसके साथ दुष्कर्म किया था. मामले में 26 सितंबर, 2018 को एडीजे कोर्ट ने अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला, महिला की सम्पति पर पति का कोई हक नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 25 लाख रुपये लौटाने का दिया निर्देश

नई दिल्ली। विवाहित जोड़े की संपत्ति से जुड़े एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक पति का पत्नी के 'स्त्रीधन' (महिला की संपत्ति) पर कोई नियंत्रण नहीं होता। 

10 साल से अधिक पुराने इस मुकदमे में अपने हक की लड़ाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला के मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ में हुई। कोर्ट ने पत्नी के 'स्त्रीधन' पर पति का नियंत्रण होने के मामले में अहम टिप्पणी की।

अदालत ने क्या कहा?

अदालत ने कहा कि संकट के समय पति पत्नी के स्त्रीधन का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन संपत्ति लौटाना उसका नैतिक दायित्व है। अदालत ने एक महिला के खोए हुए सोने के बदले 25 लाख रुपये लौटाने का निर्देश देते हुए अपने फैसले में यह अहम बात कही। इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। साथ ही शादी के बाद उनके पिता ने उनके पति को दो लाख रुपये का चेक दिया था।

महिला ने क्या कहा?

महिला के अनुसार, शादी की पहली रात उसके पति ने सभी गहने अपने कब्जे में ले लिए। गहनों को सुरक्षित रूप से सहेजने के नाम पर उसने गहने अपनी मां को दे दिए। महिला के आरोप के अनुसार, पति और उसकी सास ने अपनी पुराने कर्जों का निपटारा करने के लिए उसके गहनों का दुरुपयोग किया। मामला अदालत में पहुंचने के बाद फैमिली कोर्ट ने 2011 में पारित फैसले में महिला के आरोपों को सही पाया।

स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहींः SC

कोर्ट ने पति और उसकी मां से उक्त दुरुपयोग से हुए नुकसान की भरपाई करने का निर्देश दिया। बाद में मामला केरल हाई कोर्ट पहुंचा। यहां कोर्ट ने पारिवारिक अदालत से मिली राहत को आंशिक रूप से खारिज कर कहा कि महिला पति और उसकी मां द्वारा सोने के आभूषणों की हेराफेरी को साबित करने में असफल रही। हालांकि, मामला जब सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो शीर्ष अदालत ने कहा कि स्त्रीधन पत्नी और पति की संयुक्त संपत्ति नहीं है।

पति का नहीं है इस पर कोई नियंत्रण

पति के पास मालिक के रूप में ऐसी संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। कोर्ट ने साफ किया कि किसी महिला को शादी से पहले, शादी के समय या विदाई के समय या उसके बाद उपहार में दी गई संपत्तियां स्त्रीधन संपत्तियां हैं। यह महिला की पूर्ण संपत्ति है। उसे अपनी खुशी के अनुसार इनका निपटान करने का पूरा अधिकार है। पति का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।

यौन शोषण मामले में ब्रजभूषण सिंह के फिर से जांच की याचिका को दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने किया खारिज,7 मई को फैसला सुनाया जाएगा

दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने महिला पहलवानों के यौन शोषण आरोप के मामले में सांसद बृजभूषण शरण सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने इस मामले की फिर से जांच की मांग की थी.

 एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रियंका राजपूत ने उनके खिलाफ आरोप के मामले पर 7 मई को फैसला सुनाने का आदेश दिया.

दरअसल, 18 अप्रैल को कोर्ट ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुनाने वाला था, लेकिन 18 अप्रैल को ही बृजभूषण शरण सिंह की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था कि 7 सितंबर 2022 को घटना वाले दिन वह भारत में नहीं थे. 

इस तथ्य की उन्होंने दिल्ली पुलिस से जांच कराने का आदेश देने की मांग की थी. इसपर शुक्रवार को कोर्ट का यह फैसला आया.

बता दें कि कोर्ट ने चार अप्रैल को आरोप तय करने के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. 27 फरवरी को दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया था कि अगर हम चाहते तो आरोपियों के खिलाफ छह अलग-अलग एफआईआर दर्ज कर सकते थे, लेकिन इससे ट्रायल में देरी होती. इसका विरोध करते हुए बृजभूषण भूषण शरण सिंह के वकील ने कहा था कि अगर आरोपों में निरंतरता नहीं है, तो अलग-अलग आरोपों में एक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती.

बृजभूषण शरण सिंह की ओर से इस मामले में आरोप मुक्त करने की मांग की गई थी. उनकी तरफ से कहा गया था कि अपराध की सूचना देने में काफी देरी की गई. साथ ही शिकायतकर्ता के बयानों में काफी विरोधाभास है.

 शिकायतकर्ता की ओर से टोक्यो, मंगोलिया, बुल्गारिया, जकार्ता, कजाकिस्तान, तुर्की आदि में हुई घटना का क्षेत्राधिकार इस अदालत के पास नहीं है. ऐसे में मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी से इजाजत लेनी होती है.

बता दें कि 23 जनवरी को महिला पहलवानों की ओर से ओवरसाइट कमेटी के गठन और उसकी जांच पर सवाल उठाया गया था. महिला पहलावानों की ओर से वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने कहा था कि ओवरसाइट कमेटी का गठन प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट (पॉश) के प्रावधानों के अनुरुप नहीं किया गया था. 

ओवरसाइट कमेटी आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी नहीं है. ऐसे में ओवरसाइट कमेटी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त आधार है.

दूरदर्शन की बंगला शाखा की एंकर हीटवेव की खबर पढ़ते वक्त गर्मी से हुई बेहोश,लाइव वीडियो वायरल


नई दिल्ली : भारत के कई हिस्से लू की चपेट में हैं और कई इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से लेकर 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. भीषण गर्मी के बीच, एक टीवी एंकर लाइव प्रसारण के दौरान हीटवेव अपडेट पढ़ते समय बेहोश हो गईं. उनका रक्तचाप अचानक कम हो गया।

दूरदर्शन की कोलकाता शाखा की एंकर लोपामुद्रा सिन्हा को गर्मी की खबर पढ़ते समय बेहोश होते हुए धीरे-धीरे बोलते हुए सुना जा सकता है।

लोपामुद्रा सिन्हा ने अपने फेसबुक पेज पर साझा किए गए एक वीडियो में कहा, "टेलीप्रॉम्प्टर धुंधला पड़ गया और मैं बेहोश हो गई... मैं अपनी कुर्सी पर गिर गई." लोपामुद्रा सिन्हा ने कहा कि वह "अत्यधिक गर्मी के कारण और रक्तचाप अचानक कम हो जाने के कारण बेहोश हो गईं". एंकर ने यह भी कहा कि कूलिंग सिस्टम में कुछ खराबी के कारण स्टूडियो के अंदर अत्यधिक गर्मी थी.

लोपामुद्रा सिन्हा ने बांग्ला में कहा कि गुरुवार सुबह प्रसारण से पहले वह अस्वस्थ और प्यासी महसूस कर रही थीं. उन्होंने कहा, "मैं कभी भी अपने साथ पानी की बोतल नहीं रखती. चाहे पंद्रह मिनट का प्रसारण हो या आधे घंटे का. मुझे अपने 21 साल के करियर में प्रसारण के दौरान कभी भी पानी पीने की जरूरत महसूस नहीं हुई, लेकिन इस बार प्रसारण समाप्त होने से 15 मिनट पहले मुझे प्यास लगी।उस समय टीवी पर मेरे चेहरे की जगह नहीं विजुअल्स चल रहे थे तो मैंने फ़्लोर मैनेजर को इशारा किया और पानी की बोतल मांगी।

लोपामुद्रा सिन्हा ने आगे कहा कि उन्हें पानी पीने का मौका नहीं मिल रहा था क्योंकि बिना किसी बाइट्स के केवल सामान्य न्यूज ही चल रही थीं. बुलेटिन के अंत में, एक बाइट आई और मैंने इस अवसर का उपयोग पानी पीने के लिए किया. पानी पीने के थोड़ी देर बाद मैं बेहोश हो गईं. मेरी आवाज अस्पष्ट होने लगी.

ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को प्रभावित करने वाली चल रही लू इस महीने की दूसरी लू है. पहले हीटवेव ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात के कुछ हिस्सों को झुलसा दिया. शनिवार को कुछ स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से सात से आठ डिग्री अधिक दर्ज किया गया.पश्चिम बंगाल के मिदनापुर और बांकुरा में क्रमश: 44.5 डिग्री सेल्सियस और 44.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

इतिहास में आज: 21 अप्रैल के ही दिन भारत में पड़ी थी मुगल शासन की नींव

नई दिल्ली : 1526 में वह 21 अप्रैल का ही दिन था, जब काबुल के शासक जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर और दिल्ली की सल्तनत के सम्राट इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई हुई।

इस लड़ाई में बाबर ने जहां तोपों का इस्तेमाल किया वहीं लोदी ने हाथियों की परंपरागत ताकत के दम पर जंग लड़ी, लेकिन बाबर की सेना संख्या में कम होने के बावजूद लोदी की सेना पर भारी पड़ी। इस लड़ाई में लोदी मारा गया और भारत में मुगल साम्राज्य की नींव पड़ी।

इतिहास के पन्नों में 21 अप्रैल

6 दिनों में ही रक्तवाहिकाएँ 18 साल की उम्र जैसी हो जाएँगी! बस रोज सुबह खाली पेट यह करना है

अपनी नसें साफ करो! यह रास्ता है

1451 : लोदी वंश का संस्थापक बहलोल खां लोदी दिल्ली का शासक बना।

1526 : मुगल शासक बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी मारा गया और भारत में मुगल शासन की नींव पड़ी।

1895 : अमेरिका में विकसित पहले फिल्म प्रोजेक्टर ‘पैनटॉप्टिकॉन’ का प्रदर्शन किया गया।

1926 : इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म। उनका पूरा नाम एलिजाबेथ एलेक्जेंद्रा मेरी है और वह सबसे लंबे समय तक इंग्लैंड पर शासन करने का रिकार्ड बना चुकी हैं।

1938 : सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍ता हमारा… के रचयिता मशहूर शायर मोहम्मद इकबाल का पाकिस्तान के लाहौर में निधन।

1941 : यूनान ने नाजी जर्मनी के समक्ष आत्मसमर्पण किया।

1945 : दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ की सेना ने जर्मनी के बर्लिन शहर के कुछ बाहरी इलाक़ों पर कब्जा कर लिया। इसे हिटलर के खिलाफ एक बड़ी जीत माना गया।

1960 : ब्रासीलिया शहर को ब्राजील की राजधानी बनाया गया।

1975 : दक्षिण विएतनाम के राष्ट्रपति थिऊ ने इस्तीफ़ा दिया। टेलीविजन और रेडियो पर अपने संबोधन में उन्होंने अमेरिका को खरी खरी सुनाई।

1987: श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में बम धमाके में 100 से ज्यादा लोगों की मौत। कार में रखे विस्फोटक में धमाके का आरोप लिट्टे पर लगा। घटना में 300 लोग घायल भी हुए।

1989 : चीन के थ्येनआन मन चौराहे पर छात्रों का विशाल प्रदर्शन।

1996 : भारतीय वायु सेना के अधिकारी संजय थापर को पैराशूट के जरिए उत्तरी धुव्र पर उतारा गया।

आज का इतिहास : आज के ही दिन हुआ था तानाशाह हिटलर का जन्म, नाम सुनते ही कांप जाते थे लोग

नई दिल्ली : दुनिया में अपनी क्रूरता और तानाशाह के लिए मशहूर एडोल्‍फ हिटलर का जन्‍म आज 20 अप्रैल को साल 1889 में हुआ था। हिटलर ने जर्मनी पर राज किया, लेकिन उसका जन्‍म ऑस्‍ट्र‍िया में हुआ था। 

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस खुंखार तानाशाह को कला में बेहद रुचि थी और वह इसी में पढाई भी करना चाहता था। उसे ड्रॉइंग बनाने का शौक था। ऐसा कहा जाता है कि हिटलर जितना जालिम दिल था, वह अय्याशी भी उतनी ही करता था। लेकिन हिटलर को सिगरेट और शराब पसंद नहीं थे।

आज से 23 बरस पहले 20 अप्रैल के दिन अमेरिका के इतिहास में स्कूल में गोलीबारी की भीषणतम घटना हुई, जब एक हाई स्कूल में पढ़ने वाले दो छात्र अपने साथ राइफलें, पिस्तौल और विस्फोटक लेकर स्कूल में दाखिल हुए और अंधाधुंध गोलियां चलाकर अपने 12 सहपाठियों और एक शिक्षक की जान ले ली। इस दौरान 21 लोग घायल भी हुए। 20 अप्रैल 1999 को हुई इस दुखद घटना में इन दोनों ने तकरीबन 20 मिनट तक गोलियां चलाईं और बाद में खुद को भी गोली मार ली।

अधिकारियों को बाद में कैफेटेरिया से दो बम मिले। अगर उन दोनों हत्यारों ने इन बमों का इस्तेमाल किया होता तो मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा होती। इस तरह की घटनाओं के लिए बच्चों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति और घातक हथियारों की सुलभ उपलब्धता को जिम्मेदार ठहराया गया। 

देश दुनिया के इतिहास में 20 अप्रैल की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:-

1592: अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि जॉन इलियट का जन्म। 

1611: विख्यात उपन्यासकार विलियम शैक्सपियर के नाटक ‘मैकबेथ’’ का पहला ज्ञात मंचन हुआ। 

1712 : जहांदार शाह दिल्ली की गद्दी पर बैठा। इस मुगल सम्राट ने 1713 तक शासन किया। वह बहादुरशाह का बड़ा पुत्र था। 

1889 : जर्मन तानाशाह अडोल्फ हिटलर का जन्म। 

1946 : संयुक्त राष्ट्र की पूर्ववर्ती संस्था लीग ऑफ नेशन्स भंग की गई। 

1953 : कोरिया और संयुक्त राष्ट्र सेना के बीच बीमार युद्ध बंदियों का आदान प्रदान हुआ। रिहा किए गए 100 संयुक्त राष्ट्र सैनिकों में ब्रिटेन के 12, अमेरिका के 30, दक्षिण कोरिया के 50 और कुछ अन्य देशों के सैनिक थे। 

1960 : एअर इंडिया ने लंदन की अपनी पहली बोइंग 707 उड़ान के साथ जेट युग में प्रवेश किया। 

1972: अपोलो 16 अंतरिक्ष यान छह घंटे तक इंजन की समस्या से प्रभावित रहने के बाद आखिरकार चंद्रमा पर उतरा। 

1974 : सत्तर के दशक में आंतरिक हिंसा से बुरी तरह प्रभावित उत्तरी आयरलैंड के संघर्ष में मरने वालों की संख्या 1000 पहुंची। 

1997: इंद्र कुमार गुजराल देश के 12वें प्रधानमंत्री बने। 

1999 : अमेरिका के डेनवर शहर के एक स्कूल में दो छात्रों ने अंधाधुंध गोलियां चलाकर 13 लोगों की जान ले ली। घटना में 21 अन्य लोग घायल हुए। 

2010 : मैक्सिको की खाड़ी में स्थित गहरे पानी के तेल भंडार में विस्फोट से इतिहास का सबसे बड़ा तेल रिसाव हुआ। 

2011 : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के उपग्रह प्रक्षेपण यान 'पीएसएलवी' ने तीन उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित किया। 

2020 : दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या 1,65,216 हो गई।

आईए जानते है रामनवमी के दिन क्यों फहराई जाती है हनुमान पताका? क्या है इसके पीछे का रहस्य


नई दिल्ली :- रामनवमी के दिन लोग अपने घर में हनुमान जी की ध्वजा जिसे हनुमान पताका के नाम से भी जाना जाता है का आरोहण करते हैं। इसे विजय पताका के रूप में भी देखा जाता है। श्रीरामचंद्र जी के जन्मोत्सव को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रामलला का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोहर 12:00 बजे हुआ था। 

इस वर्ष रामनवमी के दिन रवि योग बन रहा है जिस कारण रामनवमी का महत्व और भी बढ़ गया है। रामनवमी के दिन भगवान राम की पूजा अर्चना के साथ साथ उनके अनन्य भक्त हनुमान जी की आराधना की जाती है।

कहते हैं रामनवमी के दिन हनुमान जी की पूजा करने से भक्तों के सभी प्रकार के संकट का हरण हो जाता है। साथ ही बजरंगबली की पूजा करने से प्रभु श्री रामचंद्र जी भी प्रसन्न हो जाते हैं। 

रामनवमी के दिन क्यों होती है हनुमान जी की पूजा

रामनवमी के दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है, क्योंकि हनुमान जी भगवान श्री राम के सबसे अनन्य भक्त हैं और हनुमान जी की पूजा करने से प्रभु श्री रामचंद्र जी भी प्रसन्न होते हैं। रामनवमी के दिन लोग अपने घर में हनुमान जी की ध्वजा जिसे हनुमान पताका के नाम से भी जाना जाता है का आरोहण करते हैं।इसे विजय पताका के रूप में भी देखा जाता है। 

हनुमान पताका का रहस्य

शास्त्रों के अनुसार कौरव-पांडव युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के आदेशानुसार अर्जुन के रथ पर स्वयं पवन पुत्र विराजित हुए। महाभारत युद्ध के दौरान हनुमान जी अर्जुन के रथ पर मौजूद उसके झंडे पर विराजमान थे। 

उन्होंने अर्जुन की पग-पग पर रक्षा की थी। महाभारत का युद्ध समाप्त हुआ तभी भीम और दुर्योधन के मध्य गदा युद्ध प्रारंभ हुआ। गदा युद्ध में भीम ने दुर्योधन को पराजित कर दिया। दुर्योधन को मृत अवस्था में छोड़कर सभी पांडव अपने शिविर में लौट आए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को संबोधित करते हुए कहा कि हे पार्थ! सबसे पहले तुम अपने गांडीव धनुष और अक्षय तरकश को लेकर रथ से उतर जाओ।

अर्जुन ने श्रीकृष्ण के निर्देशों का पालन किया। इसके बाद श्रीकृष्ण भी रथ से उतर गए। श्रीकृष्ण के रथ से उतरते ही अर्जुन के रथ पर झंडे में विराजित हनुमान जी भी रथ को छोड़कर उड़ गए। तभी अर्जुन का रथ जलकर भस्म हो गया।

इस दृश्य को देखकर अर्जुन ने कृष्ण से रथ को जलने का कारण पूछा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हे पार्थ! तुम्हारा रथ तो अनेक दिव्यास्त्रों के प्रभाव से पहले ही जल चुका था लेकिन तुम्हारे रथ पर मेरे और पवन पुत्र हनुमान जी के विराजमान रहने के कारण ही तुम्हारा यह रथ ठीक स्थिति में था। और हे अर्जुन जब तुम्हारा युद्ध कर्तव्य पूरा हो गया तो मैंने और हनुमान जी ने तुम्हारे रथ का त्याग कर दिया। इसलिए तुम्हारा रथ भस्म हो गया है।

इसिलिए कहा जाता है रामनवमी के दिन जिस घर में हनुमान पताका फहराई जाती है वहां पर हनुमान जी के साथ साथ श्री राम भी विराजमान होते हैं। 

रामनवमी के दिन ऐसे करें भगवान राम और हनुमान जी की पूजा

रामनवमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। 

स्नान ध्यान कर नवमी तिथि की पूजा करें।  

इसके बाद भगवान राम की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाकर सभी देवी-देवताओं का ध्यान करें। 

श्री रामचंद्र जी को फूल, मिष्ठान और फल आदि का भोग लगाएं। 

इसके बाद भगवान श्री रामचंद्र जी की आरती करें। 

रामनवमी के दिन लाल वस्त्र पहनकर हनुमान जी की आराधना करें। 

उन्हें पंचामृत चढ़ाएं तथा बजरंग बाण या सुंदरकांड का पाठ करें। 

ऐसा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के संकट समाप्त होते हैं।

बड़ा एक्शन : पतंजलि का शहद जांच में फेल, बड़ा एक्शन; खाद्य सुरक्षा विभाग ने नमूना भरा, मानक पर खरा नहीं उतरा, 1 लाख का जुर्माना


नयी दिल्ली : आयुर्वेद कंपनी पतंजलि के पैक्ड शहद के जांच में फेल होने पर बड़ा एक्शन हुआ है। पतंजलि शहद का नमूना मानक पर खरा नहीं उतरा। जिसके बाद अपर जिला मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) की कोर्ट ने खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा दायर मुकदमे में सुनवाई करते हुए संबन्धित कारोबारकर्ता व स्टॉकिस्ट डिस्ट्रीब्यूटर पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, करीब चार साल पहले जुलाई 2020 में खाद्य सुरक्षा विभाग ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट से में गौरव ट्रेडिंग कंपनी से पैक्ड पतंजलि शहद का नमूना एकत्रित किया था और जांच के लिए राजकीय प्रयोगशाला रूद्रपुर भेजा गया था। 

वहीं यहां जांच के दौरान पतंजलि के पैक्ड शहद का नमूना अधोमानक पाया गया। यानि मानक पर खरा नहीं उतरा।

बतया जाता है कि, शहद के नमूने में सुक्रोज की मात्रा दोगुनी से ज्यादा थी। जांच में शहद में सुक्रोज की मात्रा मानकानुसार पांच फीसदी की जगह 11.1 प्रतिशत पाई गई। जिसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने नवंबर 2021 में संबंधित कारोबारी विक्रेता के खिलाफ मुकदमा दायर किया। 

जहां अब चार साल बाद जाके बीते शुक्रवार को अपर जिला मजिस्ट्रेट पिथौरागढ़ की कोर्ट ने फैसला सुनाया। अपर जिला मजिस्ट्रेट ने विक्रेता गौरव ट्रेडिंग कंपनी पर 40 हजार व सुपर स्टॉकिस्ट कान्हाजी डिस्ट्रीब्यूटर रामनगर पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया।

प्रख्यात संत प्रेमानंद की अचानक तबीयत बिगड़ी, सीने में दर्द की शिकायत पर शिष्यों ने उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में भर्ती करवाया


वृंदावन। प्रख्यात संत प्रेमानंद की शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगड़ गई। सीने में दर्द की शिकायत पर शिष्यों ने उन्हें रामकृष्ण मिशन अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती करवाया। जहां चिकित्सकों की टीम संत प्रेमानंद का गहन परीक्षण कर रही है।

राधावल्लभीय संप्रदाय के संत प्रेमानंद की शुक्रवार की शाम अचानक तबीयत बिगड़ी। शाम करीब 7 बजकर 15 मिनट पर संत प्रेमानंद के अनुयायी उन्हें लेकर रामकृष्ण मिशन पहुंचे। जहां अस्पताल के चिकित्सकों की टीम ने संत प्रेमानंद का गहन परीक्षण शुरू कर चिकित्सीय राहत देना शुरू कर दिया।

सीने में दर्द के कारण अस्पताल में कराया गया भर्ती

संत प्रेमानंद के बारे में बताया कि शाम को अचानक उनके सीने में दर्द उठा और ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ था। ऐसे में संत के अनुयायी तत्काल उन्हें लेकर रामकृष्ण मिशन पहुंचे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है की हालात सामान्य है। संत प्रेमानंद किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं और उनकी डायलिसिस भी होती रहती है।

बावजूद, इसके रात दो बजे वे अपने निज आवास श्रीकृष्ण शरणम् से पैदल ही रमणरेती स्थित राधाकेलि कुंज आश्रम पहुंचते हैं और देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन देने के साथ आध्यात्मिक प्रवचन भी करते हैं। संत प्रेमानंद के दर्शन के लिए रात एक बजे से ही सड़क पर हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं।

आज ही के दिन जलियांवाला बाग में ,जब गई थी, हजारों मासूमों की जान। उस हत्याकांड को याद कर सिहर उठता है हिंदुस्तान


 13 अप्रैल को देश भर में बैसाखी का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लेकिन 1919 का जलियांवाला बाग कांड भी इसी दिन से जुड़ा हुआ है। जिसने समूचे भारत को हिला कर रख दिया था। 

उन दिनों भारत पर ब्रिटिश आधिपत्य था और भारत गुलाम देश था।1919 में रॉलेट एक्ट के विरोध में पूरे भारत में प्रदर्शन हो रहे थे। 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी के दिन स्वर्ण मंदिर (अमृतसर) के निकट जलियांवाला बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। जिसका उद्देश्य अहिंसात्मक ढंग से अंग्रेजों के प्रति अपना विरोध दर्ज कराना था।

-जलियांवाला बाग हत्याकांड को 13 अप्रैल 1919 को अंजाम दिया गया था। जलियांवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है। 1919 में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था। इस हत्या़कांड में करीब 1000 से ज्यादा लोग मारे गए और 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे।

10 मिनट में चलीं 1650 राउंड गोलियां 120 लोगों के शव उस कुएं से निकाले गए। जिसमें लोग जान बचाने के लिए कूद गए थे। हत्याकांड के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया। जिसकी वजह से कई जख्मी अस्पताल नहीं पहुंच सके। अंग्रेज अफसर ब्रिगेडियर जनरल डायर के आदेश पर 10 मिनट तक 1650 राउंड गोलिया बरसाई गईं थीं। दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी मौजूद हैं। बता दें, कि पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओ डायर ने अपने ही उपनाम वाले जनरल डायर को आदेश दिया कि, वह भारतीयों को सबक सिखाए।

उधम सिंह ने लिया बदला--

इस हत्याकांड के बाद अंग्रेजों के विरुद्ध चलने वाली गतिविधियां और तेज हो गईं। उधम सिंह को भी गोली लगी थी। निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाने की इस घटना का बदला लेने के लिए उधम सिंह ने लंदन में 13 मार्च, 1940 को गवर्नर माइकल ओ डायर को गोली मार दी थी। इसके बाद ऊधमसिंह को 31 जुलाई, 1940 को दंडस्वरूप फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

रबीन्द्रनाथ टैगोर ने लौटाई ‘नाइटहुड’ की उपाधि

 जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड का विरोध जताते हुए गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘नाइटहुड ‘ की उपाधि लौटा दी थी।

इस हत्याकांड को आज भी जलियांवाला बाग स्मृति-दिवस के रूप में स्मरण किया जाता है।

इस हत्याकांड ने तब 12 वर्ष की उम्र के भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। इसकी सूचना मिलते ही भगत सिंह अपने स्कूल से 12 मील पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंच गए थे।