EVM पर सवाल उठाने वालों को बड़ा झटका, VVPAT से मिलान वाली याचिका खारिज
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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के वोटों की वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) पर्चियों से 100 फीसदी मिलान संबंधी याचिकाओं को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी याचिकाओं का निस्तारण करते हुए शुक्रवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत की दो जजों की पीठ ने इससे जुड़ी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए प्रत्याशियों के खर्च पर वोटों का वेरिफिकेशन कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि ईवीएम में छेड़छाड़ पाए जाने की स्थिति में प्रत्याशियों का पैसा लौटाना होगा।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की दो जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया। कोर्ट ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी खारिज कर दी। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार चाहे तो चुनाव परिणाम घोषित होने के सात दिन के भीतर रिजल्ट की दोबारा जांच की मांग कर सकता है। ऐसी स्थिति में माइक्रो कंटोलर की मेमोरी की जांच इंजीनियर के द्वारा की जाएगी।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि किसी सिस्टम पर आंख मूंदकर संदेह करना सही नहीं है। इसलिए हमारे अनुसार सार्थक आलोचना की आवश्यकता है, चाहे वह न्यायपालिका हो, विधायिका हो। लोकतंत्र का अर्थ सभी स्तंभों के बीच सद्भाव और विश्वास बनाए रखना है। विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देकर हम अपने लोकतंत्र की आवाज को मजबूत कर सकते हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वीवीपैट की गिनती में मशीन की मदद लेने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अगर कोई प्रत्याशी वेरिफिकेशन की मांग करता है तो उस स्थिति में इसका खर्चा उसी से वसूला जाए। लेकिन, यदि ईवीएम में कोई छेड़छाड़ पाया जाता है तो संबंधित प्रत्याशी का पैसा वापस होना चाहिए। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि Symbol Loading Unit की प्रक्रिया पूरी होने के बाद उसे सील कर दिया जाए। SLU को वोटिंग के बाद 45 दिन तक सुरक्षित रखने का भी आदेश दिया गया है।
अदालत ने ये भी निर्देश दिया कि निर्वाचन सीट पर चुनाव के बाद पांच प्रतिशत ईवीएम मशीनों, जिनमें ईवीएम के साथ कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वीवीपैट भी शामिल हो, उनके इस्तेमाल हुए मेमोरी सेमीकंट्रोलर्स, ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर्स द्वारा चेक किए जाएं। दूसरे और तीसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों की लिखित मांग पर जांच हो सकती है। चुनाव नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर यह मांग की जा सकती है। जांच की मांग करने वाले उम्मीदवार को ही इसकी लागत वहन करनी होगी और अगर ईवीएम में छेड़छाड़ का आरोप सही साबित हुआ तो चुनाव आयोग को उम्मीदवार को लागत के पैसे लौटाने होंगे।
इससे पहले हुई सुनवाई में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी से ईवीएम की कार्य-प्रणाली के संबंध में पांच प्रश्न पूछे थे। इसमें यह प्रश्न भी शामिल था कि क्या ईवीएम में लगे 'माइक्रोकंट्रोलर' को फिर से प्रोग्राम किया जा सकता है या नहीं। पीठ ने कहा था कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है क्योंकि आयोग की तरफ से ईवीएम के बारे में 'बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्नों' (FAQ) पर दिए गए उत्तरों को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है। पीठ ने कहा था कि हम अपने निष्कर्षों में तथ्यात्मक रूप से गलत नहीं होना चाहते, बल्कि पूरी तरह सुनिश्चित होना चाहते हैं।
Apr 26 2024, 14:54