1991 का 10वां आम चुनाव : 'मंडल कमीशन-मंदिर' पर लड़ा गया और झामुमो को पहली बार 6 सीट भाजपा को 5 सीट मिलीं
साल 1989 में हुए आम चुनाव के 16 महीने ही हुए थे कि नौवीं लोकसभा भंग कर दी गई। देश 1991 के 10वें आम चुनाव के मुहाने पर था जो कि मध्यावधि चुनाव था। चुनाव ऐसे माहौल में हो रहा था जब मंडल कमिशन का मुद्दा और राम मंदिर मामला देश की राजनीति की दिशा तय कर रहे थे।
राम जन्मभूमि, बाबरी मस्जिद और मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के विरोध में यह चुनाव लड़ा जा रहा था। देश में गठबंधन की अस्थिर राजनीति का आगाज हो चुका था। वीपी सिंह की सरकार में मंडल कमिशन की सिफारिशें लागू की गईं और ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया। इसके बाद देशभर में सवर्णों का आंदोलन शुरू हो गया।
साथ ही साथ अयोध्या में बाबरी मस्जिद भी विवाद का विषय बन गया।मंदिर मुद्दे को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसा भी हुई।
20 मई को पहले चरण के मतदान हुए ही थे कि तमिलनाडु में एक रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई। इसके बाद बाकी बचे दो चरणों के मतदान 12 और 15 जून के लिए पोस्टपोन कर दिए गए। पहले चरण के हुए मतदान में कांग्रेस की हालत खराब थी, लेकिन बाद के चरणों में इसे जबरदस्त कामयाबी मिली। इसके बाद नरसिम्हा राव की अगुवाई में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी।
इसी दसवें आम चुनाव में संयुक्त बिहार में अगर झारखंड की बात करें तो झारखंड में राजीव गांधी की हत्या से बनी सहानुभूति का कोई असर नहीं रहा। पहली बार झामुमो से 6 सांसद चुनाकर एक साथ संसद पहुंचे। राजमहल से साइमन मरांडी, गोड्डा से सूरज मंडल, दुमका से शिबू सोरेन गिरिडीह से विनोद बिहारी महतो जमशेदपुर से शैलेंद्र महतो और सिंहभूम से कृष्णा मरांडी जीतकर संसद पहुंचे। वहीं भाजपा को राम मंदिर के मुद्दे पर थोड़ा लाभ हुआ और पांच सांसदों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वहीं कांग्रेस का इस क्षेत्र से खाता भी नहीं खुला।
इस आम चुनाव में पूरे देश की बात करें तो कांग्रेस को 244 सीटें मिलीं। 120 सीटों के साथ भारतीय जनता पार्टी दूसरे नंबर पर रही। उसे मंदिर मुद्दे का फायदा मिला था। जनता दल को 63 सीटें और CPM को 36 सीटें हासिल हुईं। कांग्रेस का वोट प्रतिशत 35.66 था और बीजेपी को 20.04 प्रतिशत वोट मिले।
Apr 11 2024, 19:37