खत्म होगा टोल प्लाजा और फास्ट टैग का झंझट, आ रहा है नया सिस्टम, सरकार ऐसे वसूलेगी टैक्स
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बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने तकनीक के क्षेत्र के काफी उन्नति की है। इसी क्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ी घोषणा की है। गडकरी के मुताबिक जल्द ही देश में नेशनल हाईवे पर टोल कलेक्शन के लिए सैटेलाइट बेस्ड सिस्टम को लॉन्च किया जाएगा। यानी सरकार जल्द ही टोल सिस्टल को खत्म करने का प्लान बना रही है। बता दें कि बीते साल दिसंबर महीने में ही सड़क परिवहन मंत्री ने एलान किया था कि एनएचएआई मार्च 2024 से हाईवे पर टोल कलेक्शन के नए सिस्टम को रोल आउट करेगी।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि टोल बैरियर्स को सैटेलाइट बेस्ड टोल कलेक्शन सिस्टम से बदल दिया जाएगा, जो वाहनों से शुल्क काटने के लिए जीपीएस और कैमरे का उपयोग करेगा। गडकरी ने कहा है कि नया टोल कलेक्शन जल्द लागू हो सकता है। हालांकि अभी कोई डेडलाइन सामने नहीं आई है। वर्तमान में इसकी व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिए जीपीएस बेस्ड टोल कलेक्शन का एक पायलट रन चल रहा है।
ऐसे काम करेगा सिस्टम
नई टोल संग्रह प्रणाली सीधे उपयोगकर्ता के बैंक खाते से शुल्क काट लेगी। टोल की राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि वाहन ने कितनी दूरी तय की है। ये सारी जानकारी जीपीएस के जरिए जुटाई जाएगी। वर्तमान में वाहन द्वारा तय की गई दूरी की परवाह किए बिना हर प्लाजा पर टोल शुल्क तय है।
सैटेलाइट बेस्ड टोल से क्या होगा फायदा?
टोल सिस्टम खत्म होने के बाद सबसे बड़ी सुविधा ये होगी कि आपको किसी भी हाल में कार को रोकना नहीं होगा, यानी टोल आने पर भी आप रफ्तार कम नहीं करेंगे और आगे बढ़ जाएंगे। इससे आपका टाइम बचेगा। इसका दूसरा सबसे बड़ा फायदा समय के साथ पेट्रोल-डीजल के खर्च में बचत है। आप लंबे सफर में ईंधन के खर्च में अच्छी खासी बचत कर पाएंगे।
जितनी दूरी उतना टोल
फास्टैग आधारित मौजूदा टोल सिस्टम में हाईवे का इस्तेमाल करने पर आपको कम दूरी के लिए भी पूरे टोल का भुगतान करना पड़ता है। हालांकि, सैटेलाइट टोल सिस्टम में आप जितनी दूरी तय करेंगे आपसे उतनी ही दूरी के लिए टोल जाएगा। यानी आप अतरिक्त टोल टैक्स के भुगतान से बच सकेंगे। हालांकि, सरकार कितनी दूरी के लिए कितना टोल टैक्स लगाएगी इसका खुलासा सैटेलाइट टोल सिस्टम के लागू होने के बाद होगा।
अभी कैसे वसूलते हैं टोल?
राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल प्लाजा वर्तमान में फास्टैग (आरएफआईडी तकनीक) के माध्यम से टोल शुल्क काटते हैं। इसे 15 फरवरी, 2021 से अनिवार्य टोल संग्रह प्रणाली के रूप में लागू किया गया था। आरएफआईडी-सक्षम बैरियर से लैस टोल प्लाजा पर टोल शुल्क काटा जाता है। बैरियर पर लगे कैमरे वाहनों की फास्टैग आईडी को पढ़ते हैं और पिछले टोल प्लाजा से दूरी के आधार पर शुल्क लेते हैं। टोल शुल्क का भुगतान भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को किया जाता है।
Mar 29 2024, 11:56