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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर आज लग सकती है मुहर, पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक

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कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी ने चुनाव आयोग में आयुक्तों की दो रिक्तियां भरने के लिए पांच उम्मीदवारों की एक सूची तैयार कर ली है। इनमें से दो चुनाव आयुक्तों के नाम तय करने के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक आज यानी गुरुवार को होगी। पीएम मोदी ने इस बैठक के लिए कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को भी नामित किया है। लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर अधीर रंजन बैठक में शामिल होंगे।

चयन समिति की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु चुनाव आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति करेंगी। नियुक्तियों की अधिसूचना जारी होने के बाद नए कानून के तहत की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां होंगी। कानून तीन सदस्यीय चयन समिति को ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने का अधिकार भी देता है जिसे सर्च कमेटी ने 'शार्टलिस्ट' नहीं किया हो।

14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे चुनाव आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद अरुण गोयल ने भी चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे की अधिसूचना नौ मार्च को जारी की गई थी। तबसे आयोग में ये दो पद खाली हैं। दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार चुनाव आयोग के एकमात्र सदस्य रह गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून लागू होने से पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी। परंपरा के मुताबिक, सबसे वरिष्ठ को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता था।

अचानक SUV कार से उतरकर खेत में पहुंचीं एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ की बहू, करने लगी ये काम, देखकर दंग रह गए लोग

मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ की बहू एवं छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ की पत्नी प्रियानाथ गेहूं की फसल काटते दिखाई दी। कांग्रेस सांसद की पत्नी ने खेत में किसानों के साथ फोटो भी क्लिक कराए। दरअसल, प्रियानाथ बुधवार को पांढुर्ना जिले के हिरावाड़ी गांव पहुंची। इस के चलते प्रिया ने एक किसान के खेत मे गेहूं काट रही महिलाओं का हाल चाल पूछा।

वही इसी के चलते प्रिया नाथ ने हाथ में हंसिया लेकर फसल भी काटी। लग्जरी गाड़ी से उतरकर धूप में खेत पहुंची प्रिया नाथ को इस प्रकार फसल काटते देख हर कोई दंग रह गया। सांसद नकुलनाथ पांढुर्ना में आमसभा के लिए पहुंचे थे। साथ उनकी पत्नी भी आई थीं। सभा के पश्चात् प्रियानाथ एक खेत जा पहुंचीं तथा किसानों के साथ धूप में गेंहू काटने लगीं। उनके साथ जिला कांग्रेस अध्यक्ष एवं पांढुर्ना MLA नीलेश उइके उपस्थित थे।  

बता दें कि कमलनाथ ने अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के साथ छिंदवाड़ा संसदीय इलाके में तूफानी दौरे आरम्भ कर दिए हैं। पिता पुत्र 11 से 15 मार्च तक जनसभाओं एवं कार्यकर्ता सम्मेलनों में सम्मिलित होंगे। लोकसभा चुनाव नजदीक है। भाजपा में कांग्रेस के नेताओं का सम्मिलित होना कहीं न कहीं कार्यकर्ताओ में हताशा है। वहीं, कमलनाथ एवं नकुलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलों पर भी विराम लग चुका हो मगर कार्यकर्ता हताश हैं। उनमें जोश भरने अब कमलनाथ एवं नकुलनाथ 11 मार्च से 15 मार्च तक जिले का तूफानी दौरा कर रहे हैं।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर आज लग सकती है मुहर, पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक

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कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी ने चुनाव आयोग में आयुक्तों की दो रिक्तियां भरने के लिए पांच उम्मीदवारों की एक सूची तैयार कर ली है। इनमें से दो चुनाव आयुक्तों के नाम तय करने के लिए पीएम मोदी की अध्यक्षता में चयन समिति की बैठक आज यानी गुरुवार को होगी। पीएम मोदी ने इस बैठक के लिए कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल को भी नामित किया है। लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर अधीर रंजन बैठक में शामिल होंगे।

चयन समिति की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु चुनाव आयोग के दो सदस्यों की नियुक्ति करेंगी। नियुक्तियों की अधिसूचना जारी होने के बाद नए कानून के तहत की जाने वाली ये पहली नियुक्तियां होंगी। कानून तीन सदस्यीय चयन समिति को ऐसे व्यक्ति को नियुक्त करने का अधिकार भी देता है जिसे सर्च कमेटी ने 'शार्टलिस्ट' नहीं किया हो।

14 फरवरी को अनूप चंद्र पांडे चुनाव आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके बाद अरुण गोयल ने भी चुनाव आयुक्त के पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे की अधिसूचना नौ मार्च को जारी की गई थी। तबसे आयोग में ये दो पद खाली हैं। दो चुनाव आयुक्तों के पद खाली होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार चुनाव आयोग के एकमात्र सदस्य रह गए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर नया कानून लागू होने से पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की सिफारिश राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी। परंपरा के मुताबिक, सबसे वरिष्ठ को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता था।

कोरोना महामारी ने इतने साल कम कर दी जिंदगी, अब पहले से कम जी रहा इंसान, ताजा रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा, चौंक गए वैज्ञानिक!

द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक ताजा रिसर्च के मुताबिक, कोविड महामारी ने दुनिया भर में लोगों की औसत उम्र 1.6 साल कम कर दी है। रिसर्च में बताया गया है कि 2020 और 2021 में दुनिया भर में 13.1 करोड़ लोगों की मौत हुई, जिनमें से 1.6 करोड़ लोगों की मौत कोरोना महामारी के कारण हुई।

नए रिसर्च ने कोरोना के गंभीर स्वास्थय जोखिम को उजागर कर दिया है। कई दूसरे अध्ययनों में भी यह बात सामने आ चुकी है कि कैसे कोविड ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। संक्रमण ने कई लाखों जिंदगियों की जान ले ली तो जो इससे बच गए उनका पीछा भी कोरोना ने नहीं छोड़ा। कई दूसरी बीमारियों से लोग घिरते चले गए कि आज भी इससे उबर नहीं पाए हैं। 

कोरोना महामारी ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य को कई प्रकार से प्रभावित किया है। संक्रमण के दौरान जहां लोगों में गंभीर रोगों का खतरा अधिक देखा गया वहीं ठीक हो चुके लोगों में लंबे समय तक बनी लॉन्ग कोविड की दिक्कतें स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता बढ़ा रही हैं। अध्ययनों में पाया गया है कि कोविड से ठीक हो चुके लोगों में एक साल से अधिक समय तक भी वायरस के अंश मौजूद हो सकते हैं, इसके अलावा लॉन्ग कोविड में रोगियों में हार्ट, फेफड़ों और ब्रेन से संबंधित दिक्कतें देखी जा रही हैं। कोविड के दुष्प्रभावों को जानने के लिए हाल ही में किए एक अध्ययन में इसके एक और गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को लेकर सावधान किया गया है।

रिसर्च के मुताबिक महामारी आने तक वैश्विक जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ रही थी। लाइफ एक्सपेक्टेंसी से मतलब है एक व्यक्ति अपने जन्म के समय से कितने वर्षों तक जीने की उम्मीद कर सकता है। 1950 में लोगों की औसत आयु 49 साल से बढ़कर 2019 में 73 साल से अधिक हो गई है। लेकिन 2019 और 2021 के बीच इसमें 1.6 गिरावट आई। एक्सपर्टस का कहना है कि ये कोविड के सबसे गंभीर दुष्प्रभावों में से एक है। साल 2020-2021 के दौरान ये अध्ययन किया गया। 

अमेरिका स्थित इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्यूएशन (आईएचएमई) के डेटा की जांच करने वाले शोधकर्ताओं ने बताया, वैश्विक जीवन प्रत्याशा में पिछले कुछ दशकों में काफी सुधार देखा जा रहा था, हालांकि महामारी ने इस वृद्धि में नाटकीय रूप से बड़ा परिवर्तन कर दिया है।

मृत्यु दर में वृद्धि 

रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण मृत्यु दर में काफी वृद्धि हुई है। 2020 और 2021 में दुनिया भर में मृत्यु दर 16% बढ़ी है।

रिसर्च का महत्व

यह रिसर्च कोरोना महामारी के गंभीर परिणामों को उजागर करती है। रिसर्च से पता चलता है कि कोरोना महामारी ने न सिर्फ लोगों की जान ली, बल्कि उनकी जिंदगी भी कम कर दी।

अन्य महत्वपूर्ण बात

रिसर्च में बताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण महिलाओं की जीवन प्रत्याशा पुरुषों की तुलना में अधिक कम हुई है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण गरीब और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में लोगों की जीवन प्रत्याशा अधिक कम हुई है।

शेयर बाजार के भूचाल से निवेशकों को तगड़ा झटका, डूब गए 14 लाख करोड़, अडानी को 66000 करोड़ तो अंबानी को 36000 करोड़ का नुकसान

भारतीय शेयर बाजार बुधवार को भारी गिरावट की चपेट में आ गया, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। दुनिया के दिग्गज कारोबारियों में शामिल अंबानी और अडानी की कमाई पर भी शेयर मार्केट के टूटने का असर हुआ है। इस गिरावट में अडानी समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के प्रमुख गौतम अडानी और मुकेश अंबानी को क्रमशः ₹66,000 करोड़ और ₹30,000 करोड़ से अधिक का व्यक्तिगत नुकसान हुआ।

अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी को 66,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ और वो 100 अरब डॉलर के क्लब से बाहर हो गए तो वहीं दूसरी ओर देश की सबसे वैल्युएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को भी 36,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 

यह गिरावट वैश्विक बाजारों के कमजोर रुझानों और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंकाओं के कारण हुई। इससे निवेशकों में जोखिम से बचने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो गई, जिससे उन्होंने बड़े पैमाने पर शेयरों को बेचना शुरू कर दिया।

विवरण में स्पष्टीकरण

अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, खासकर अडानी ग्रीन एनर्जी में, जिसका स्टॉक 13% तक लुढ़क गया।

इसी तरह, RIL के शेयरों में भी गिरावट आई, जिससे अंबानी की निजी संपत्ति में कमी आई। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव एक सामान्य घटना है, और यह घटना किसी भी विशिष्ट कंपनी के मूलभूत प्रदर्शन का संकेत नहीं देती है।

शेयर बाजार का प्रदर्शन जटिल कारकों से प्रभावित होता है, और यह आलेख किसी भी तरह से निवेश सलाह का गठन नहीं करता है। निवेश निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए।

दिल्ली के रामलीला मैदान में किसानों की महापंचायत आज, जुटें हजारों किसान

#mahapanchayat_of_farmers_in_ramlila_maidan_delhi 

आज दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान मजदूर महापंचायत का आयोजन होने जा रहा है। इस महापंचायत में शामिल होने के लिए बुधवार शाम से ही पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई दूसरे राज्यों से किसानों का जत्था दिल्ली पहुंच रहा है।इस महापंचायत में शामिल होने के लिए पुलिस ने करीब 5000 लोगों की ही परमिशन दी है। वहीं किसान नेताओं का दावा है कि इसमें 25 से 30 हजार किसान भाग लेंगे। वहीं किसान नेताओं का दावा है कि इस महापंचायत में कई ट्रेड यूनियन, क्षेत्रीय फेडरेशनों और असोसिएशनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

इससे पहले ट्रैक्टर और ट्रॉली से दिल्ली आ रहे किसानों को रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं को पुलिस ने बंद कर दिया था। बाद में किसान और प्रशासन के बीच बनी सहमति के बाद किसान इस महापंचायत में शामिल होने के लिए बस, ट्रेन और पर्सनल गाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

महापंचायत को लेकर दिल्ली पुलिस ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए हैं।सुरक्षा व्यवस्था पर डीसीपी सेंट्रल एम हर्ष वर्धन ने कहा, 'हमने यह सुनिश्चित करने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है कि कानून एवं व्यवस्था बनी रहे। आयोजक समूह ने एक लिखित आश्वासन भी दिया है जिसमें कानून और व्यवस्था बनाए रखने से संबंधित विभिन्न बिंदु हैं। हम कानून-व्यवस्था बनाए रखेंगे। बहुत सारे किसान आए हैं, लेकिन हमें उम्मीद है कि यह एसकेएम नेताओं ने हमें जो बताया है, उसकी सीमा के तहत होगा। हमारे पास पर्याप्त बल उपलब्ध हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि बिना किसी कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी के यहां पर सब कुछ हो जाए।

पुलिस ने कहा कि गुरुवार को रामलीला मैदान में किसानों के एकत्र होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न हिस्सों में यातायात प्रभावित हो सकता है। गौतम बौद्ध नगर पुलिस ने बुधवार को दिल्ली में प्रस्तावित किसानों के विरोध के मद्देनजर नोएडा-दिल्ली मार्गों पर यातायात की गति धीमी होने की संभावना के बारे में यात्रियों को आगाह किया है।दिल्ली में किसानों के जुटान के देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है. जारी एडवाजरी के अनुसार , जवाहरलाल नेहरू मार्ग, बाराखंभा रोड, बहादुरशाह जफर मार्ग, टॉल्स्टॉय मार्ग, आसफ अली रोड, जय सिंह रोड, स्वामी विवेकानंद मार्ग, संसद मार्ग, नेताजी सुभाष मार्ग, बाबा खड़ग सिंह मार्ग, मिंटो रोड, अशोक रोड, महाराजा रणजीत सिंह फ्लाईओवर, कनॉट सर्कस, भवभूति मार्ग, डीडीयू मार्ग और चमन लाल मार्ग प्रभावित होने की संभावना है।

संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से जयकिशन आंदोलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविक शाह ने एनबीटी से कहा कि यह दिल्ली की रामलीला ग्राउंड में होने वाली ऐतिहासिक महापंचायत होगी। इसमें मजदूर, किसान, छात्र संगठन, बेरोजगार लोगों की महापंचायत होगी जिसमें कई घोषणाएं की जाएंगी। सरकार की गलत नीतियों को उजागर करने के लिए इस महापंचायत को रखा गया है, जिसमें किसानों को उनकी फसलों पर एमएसपी की गारंटी हो, इसकी मांग की जाएगी। वहीं इस महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के अंदर पड़ी फूट को भी कम करने की कोशिश की जाएगी। अभी तक संयुक्त किसान मोर्चा से भाकियू (चढूनी) का ग्रुप दूर था। उनके सहित कई और दूसरे किसान यूनियन को भी जोड़ने की कोशिश की जाएगी।

सीएए कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा, ये कोई समझौता नहीं”, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया स्पष्ट

#unionhomeministeramitshahsayscaalawwillneverbetakenback 

केंद्र सरकार ने पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू कर दिया है। गृह मंत्रालय ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन नियम को लागू कर दिया। सीएए लागू किए जाने के बाद से देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है। सीएए लागू होने के साथ ही देश में कई तरह की अफवाहों और भ्रांतियों का बाजार गर्म होने लगा है। खासतौर से भारतीय मुसलमानों को लेकर। विपक्ष का कहना है कि सरकार सीएए को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लाई है, ताकि धार्मिक धुव्रीकरण किया जा सके।इसे लेकर हो रही राजनीति के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया कि सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा। शाह ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार इसके साथ कभी समझौता नहीं करेगी।

सीएए को लेकर पूरे देश में जागरूकता फैलाएंगे-शाह

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने इंडिया गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा, ‘इंडिया गठबंधन जानता है कि वह सत्ता में नहीं आएगा। सीएए बीजेपी की ओर से लाया गया है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे लेकर आई है। इसे रद्द करना असंभव है। सीएए कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा। हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु अधिकार है, हम इससे कभी समझौता नहीं करेंगे। हम पूरे देश में इसके बारे में जागरूकता फैलाएंगे, ताकि जो लोग इसे रद्द करवाना चाहते हैं उन्हें जगह न मिले। केंद्रीय मंत्री ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि जिसमें कहा जा रहा था कि सीएए असंवैधानिक है। अमित शाह का कहना है कि यह संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है।

नरेंद्र मोदी ने जो कहा है, वह पत्थर की लकीर है-शाह

विपक्ष के इस आरोप पर कि ‘भाजपा सीएए के जरिए नया वोट बैंक बना रही है’ पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘विपक्ष के पास कोई और काम नहीं है…उनका इतिहास है कि वे जो कहते हैं वह करते नहीं हैं, प्रधानमंत्री मोदी का इतिहास है कि जो भी भाजपा ने कहा है और नरेंद्र मोदी ने जो कहा है, वह पत्थर की लकीर है। पीएम मोदी की हर गारंटी पूरी होती है।’ उन्होंने यहां तक कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक में राजनीतिक फायदा है, तो क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाना भी हमारे राजनीतिक फायदे के लिए था। हम 1950 से कह रहे हैं कि हम अनुच्छेद 370 को हटाएंगे।

ममता बनर्जी शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच का अंतर नहीं समझतीं-शाह

सीएए नोटिफिकेशन पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 'वह दिन दूर नहीं है, जब बंगाल में भाजपा की सरकार होगी और तब हम घुसपैठ रोकेंगे। अगर आप (ममता बनर्जी) राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर इस तरह की राजनीति करेंगे और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते घुसपैठ को बढ़ावा देंगे और शरणार्थियों के भारतीय नागरिकता लेने का विरोध करेंगे तो फिर लोग आपके साथ नहीं रहेंगे। ममता बनर्जी एक शरणार्थी और घुसपैठिए के बीच का अंतर नहीं समझती हैं।

विपक्ष झूठ की राजनीति कर रहे-शाह

विपक्षी पार्टियों द्वारा सीएए की अधिसूचना की टाइमिंग पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाए जाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, सारे विपक्षी दल, चाहे असदुद्दीन ओवैसी हों, राहुल गांधी, ममता बनर्जी हों या केजरीवाल हों ये लोग झूठ की राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बयान उस कि शरणार्थियों को नागरिकता देने से चोरी और बलात्कार के मामले बढ़ेंगे; का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, ‘भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री आपा खो बैठे हैं। वह नहीं जानते हैं कि ये सभी लोग पहले से ही भारत में आकर रह रहे हैं। अगर उन्हें इतनी ही चिंता है तो बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात क्यों नहीं करते या रोहिंग्या का विरोध क्यों नहीं करते? वो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की दूसरी सूची जारी, गडकरी को नागपुर, तो करनाल से मनोहर लाल लड़ेंगे चुनाव

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लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है।सूची में 10 राज्यों के 72 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को करनाल से टिकट मिला है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नागपुर से चुनाव लड़ेंगे। दो दिन पहले भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इन नामों पर मंथन किया गया था। इसके बाद से ही माना जा रहा था कि भाजपा कभी भी दूसरी सूची जारी कर सकती है। इससे पहले पार्टी 195 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर चुकी है।

दूसरी सूची में बीजेपी ने दिल्ली की बची हुई दो सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पूर्वी दिल्ली से हर्ष मल्होत्रा और उत्तर पश्चिम दिल्ली से योगेंद्र चंदोलिया को टिकट दिया गया है। वहीं, दादर नगर हवेली से कलाबेन देलकर को टिकट मिला है।भाजपा की दूरी सूची में त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरिद्वार से टिकट दिया गया है। तेजस्वी सूर्या को बेंग्लौर साउथ से मैदान में उतारा गया है। बीड़ से पंकजा मुंडे, गढ़वाल से अनिल बलूनी, त्रिपुरा से प्रीती सिंह देव वर्मा, अंबाला से बंतो कटारिया, गुरुग्राम से राव इंद्रजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है।

इससे पहले बीजेपी ने 2 मार्च को 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी।पहली सूची में प्रधानमंत्री मोदी (वाराणसी), शाह (गांधीनगर) और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (लखनऊ) के नाम भी शामिल थे। इस सूची में 34 केंद्रीय मंत्रियों के नाम शामिल थे जबकि तीन मंत्रियों के टिकट काट दिए गए थे। पार्टी की पहली सूची में 28 महिलाएं और 47 युवा शामिल थे, जबकि 27 उम्मीदवार अनुसूचित जाति से, 18 अनुसूचित जनजाति से और 57 अन्य पिछड़ा वर्ग से हैं। सूची में उत्तर प्रदेश की 51 सीट, पश्चिम बंगाल की 20, मध्य प्रदेश की 24, गुजरात और राजस्थान की 15-15 सीट, केरल और तेलंगाना की 12-12 सीट, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम की 11-11 सीट और दिल्ली की पांच सीट सहित कुछ अन्य प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों में उम्मीदवारों की घोषणा की गई थी।

योगी की राह पर शिदें! महाराष्ट्र में बदला अहमदनगर जिले का नाम, अब अहिल्या नगर से होगी पहचान

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लगत है अब महाराष्ट्र सरकार ने भी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की राह पर चलने का फैसला कर लिया है। जिस तरह यूपी की योगी सरकार ने मुगलकालीन नामों को बदलने का काम शुरू किया है ठीक उसी तरह महाराष्ट्र की एकनाथ शिदें सरकार भी करती दिख रही है। महाराष्ट्र में एक और जिले का नाम बदलने का फैसला किया गया है। इसे महाराष्ट्र कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। अहमदनगर जिला का नाम अब बदलकर अहिल्या नगर करने का फैसला किया गया है। इससे पहले औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा गया था।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने बुधवार को अहमदनगर का नाम बदलकर अहिल्या नगर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। पिछले साल सीएम एकनाथ शिंदे ने 18वीं सदी की मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर के सम्मान में अहमदनगर शहर का नाम बदलकर 'अहिल्यानगर' करने की घोषणा की थी। यह घोषणा अहिल्याबाई होल्कर की 298वीं जयंती पर की गई थी।

इसके साथ ही महाराष्ट्र कैबिनेट ने आठ मुंबई रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला किया है। महाराष्ट्र कैबिनेट ने फैसला किया है कि ब्रिटिश काल के नाम वाले स्टेशनों के नाम बदल दिए जाएंगे। 

लंबे समय हो रही थी नाम बदलने की मांग

अहमदनगर का नाम बदलने की मांग लंबे समय से चल रही थी। साल 2022 में भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर ने तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर जिले का नाम बदलकर “अहिल्यानगर” करने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में कहा था कि अहमदनगर रानी अहिल्यादेवी होलकर का जन्म स्थान है। इसलिए अहमदनगर शहर का नाम बदलकर अहिल्यानगर करना रानी अहिल्या देवी होलकर का सम्मान करने जैसा है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में पडलकर ने लिखा था कि यह सिर्फ उनकी मांग नहीं हैं, बल्कि लोगों की भावना है कि अहमदनगर का नाम अहिल्यानगर हो। उन्होंने कहा कि जब मुगल सैनिक हिंदू मंदिर गिरा रहे थे, तब अहिल्यादेवी होलकर ने उनका पुनर्निर्माण कराकर हिंदू संस्कृति को बचाया था। इसलिए वह हर हिंदू के लिए आदर्श हैं। 

पहले भी बदले जा चुने हैं 2 जिलों के नाम

इससे पहले राज्य सरकार ने औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव रखा था। लोकसभा चुनाव से पहले अहमदनगर का नाम बदलने से यह राजनैतिक मुद्दा बन सकता है।

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी परमाणु हमले की चेतावनी, बोले- देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता को जरा खतरा हुआ तो.

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 रूस और यूक्रेन की जंग जारी है। पश्चिमी देश लगातार यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। पश्चिमी देशों की मदद से यूक्रेन लगातार रूस पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ी चेतावनी दे डाली है। व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अगर रूस की संप्रभुता या स्वतंत्रता को कोई खतरा होता है, तो उनका देश परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है।

बुधवार तड़के जारी रूसी राज्य टेलीविजन के साथ एक इंटरव्यू में बोलते हुए पुतिन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका किसी भी ऐसे तनाव से बचेगा जो परमाणु युद्ध को जन्म दे सकता है, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि रूस की परमाणु ताकतें इसके लिए तैयार हैं। पुतिन ने कहा कि अमेरिका समझता है कि अगर उसने रूसी क्षेत्र या यूक्रेन पर अमेरिकी सैनिकों को तैनाती की तो रूस इसे हस्तक्षेप के रूप में लेगा। पुतिन ने आगे कहा, रूस-अमेरिका संबंधों और रणनीतिक संयम के क्षेत्र में वहां कई एक्सपर्ट हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता है कि परमाणु युद्ध का कोई माहौल बन रहा है, लेकिन हम निश्चित रूप से तैयार हैं। 

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कभी यूक्रेन में युद्धक्षेत्र में परमाणु हथियारों का उपयोग करने पर विचार किया है, पुतिन ने जवाब दिया कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि मॉस्को यूक्रेन में अपने लक्ष्यों को हासिल करेगा और बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखे, इस बात पर जोर दिया कि किसी भी सौदे के लिए पश्चिम से ठोस गारंटी की आवश्यकता होगी।

पुतिन की परमाणु युद्ध की चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब पश्चिम ने यूक्रेन पर बातचीत के लिए एक और प्रस्ताव दिया है। अमेरिका का कहना है कि पुतिन यूक्रेन पर गंभीर बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं। 

रूस और यूक्रेन के बीच पिछले दो साल से भीषण युद्ध जारी है। पुतिन ने फरवरी 2022 में यूक्रेन के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया था। दो साल से जारी अभियान में रूस ने यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर नियंत्रण स्थापित किया है और तेजी से बढ़त बनाए हुए है। रूस को भी इस युद्ध से गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस पूरी लड़ाई में रूस के हजारों सैनिक मारे गए हैं। अगर पश्चिमी देशों के आंकड़ों को देखे तो इस युद्ध में रूस के 3 लाख से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं। इस कारण रूस की सेना में सैनिको कि कमी पड़ रही है। उधर, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद मिल रही है। इससे यूक्रेन और हमलावर हो गया है। वहीं, पश्चिम इस बात से जूझ रहा है कि रूस के खिलाफ यूक्रेन को समर्थन कैसे जारी रखा जाए।