पॉजिटिव न्यूज: जैविक खेती ने झारखंड के कई किसानों की बदली तकदीर,लोगों में भी जैविक उत्पाद पर बढ़ रहा है भरोसा
झारखंड डेस्क
रांची : वैज्ञानिक तकनीकी के विकास और जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाकर अधिक पैदावार के होड़ के बीच शुद्ध भारतीय परंपरा की जैविक खेती से भी किसानों की तकदीर बदलती जा रही है।
आज किसानों द्वरा रसायनिक खाद और कीटनाशक दबाइयों का उपयोग करने से उसके कई साइड इफेक्ट भी मानव स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।
इसके कारण लोगों की दिलचस्पी जैविक खेती की ओर बढ़ी है ।क्योंकि पर्यावरण संकट के मौजूदा दौर में खेती-किसानी चुनौती बनती जा रही है.
खेती के आधुनिक तौर तरीके, जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग होता है, से उत्पादकता तो बढ़ी है, पर इसके दुष्परिणाम भी सामने आ रहे हैं. फसलों और सब्जियों में हानिकारक रासायनिक तत्वों की मौजूदगी काफी ज्यादा है. इस कारण कई तरह की बीमारियां हो रही हैं. साथ ही मिट्टी की उर्वरकता पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. इस कारण कई किसान जैविक खेती की ओर आकृष्ट हो रहे हैं.
झारखंड के संवाद नामक संस्था विगत कई सालों से जैविक खेती को लेकर किसानों के बीच जागरूकता फैलाने का काम कर रही है. पिछले पांच वर्षों में संस्था ने राज्य के 14 जिलों के 600 गांवों में जैविक खेती को लेकर जागरूकता फैलाने का काम किया है. इन गांवों के 7344 किसानों ने जैविक खेती की पद्धति को अपनाया है. इन 7344 में से 3661 किसान महिलाएं हैं. कुल 34970.64 एकड़ भूमि पर जैविक खेती हो रही है.
जैविक खेती ने कई किसानों की बदली तकदीर
जैविक खेती से कई किसानों की तकदीर बदली है। रांची के इटकी की रहनेवाली संतोषी नामक महिला पिछले पांच-छह वर्षों से जैविक खेती कर रही हैं. अभी हाल ही में उन्होंने राहड़ दाल की फसल काटी है. अब गर्मियों में वह भिंडी और बोदी जैसी सब्जियों की खेती की तैयारी कर रही हैं.
हजारीबाग के सिमराकोनी गांव के आशीष कुमार ने बीते साल 20,000 डिसमिल जमीन में पीला तरबूज लगाया था, जिससे 30,000 रुपये की आमदनी हुई.
इस बार फिर वह तरबूज सहित अन्य फसलों को लगा रहे हैं. संदीप प्रजापति ने लाल भिंडी और टमाटर की खेती से 65000 रुपये की आमदनी प्राप्त की. हजारीबाग के ही पुरनी, आडरा, बाघमारा, चिची सहित अन्य गांवों के किसान भी अब जैविक खेती में रुचि लेने लगे हैं.
दुमका के महादेवरायडीह गांव के युवा छोटेलाल टुडू को जब काफी कोशिश के बाद भी नौकरी नहीं मिली, तो उन्होंने जैविक खेती के प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया. अब वह अपने गांव में ही मूली, करेला व झिंगी की खेती कर अपने परिवार को चला रहा है.
इस तरह कई किसान है जो जैविक खेती कर आम निर्भर हो रहे हैं।लोगों का क्रेज भी जैविक खेती द्वारा उपजाए गए सामानों के प्रति बढ़ी है।लोग महंगे साग ,सब्जी तथा अनाज जैविक खेती द्वारा उत्पादित होने पर खरीदने के लिए तैयार रहते हैं।
जैविक खेती का क्रेज इतना बढ़ा है कि धोनी जैसे सेलेब्रेटिं भी इस तरह के खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं।
आज जैवी खेती में अपार संभावनाएं है साथ ही कृषि योग्य भूमि की सेफ्टी और लोगों के स्वास्थ्य ठीक रहने के लिए जरूरी है।
Mar 05 2024, 10:08