महाराष्ट्र विधानसभा में पारित हुआ मराठा आरक्षण बिल, शिक्षा और नौकरियों में मिलेगा 10% आरक्षण
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मराठा आरक्षण विधेयक एकमत से महाराष्ट्र विधानसभा से पास हो गया। इस बिल में मराठा समुदाय के लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी का आरक्षण देने का फैसला लिया गया है। बिल को मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब मनोज जरांगे पाटिल लगातार 11वें दिन भूख हड़ताल पर हैं। वहीं मराठा आरक्षण विधेयक विधानसभा से पारित होते ही लोगों में लोग जश्न मनाने लगे। महाराष्ट्र विधानसभा के बाहर भी लोग ढोल मंजीरे के साथ जश्न मनाते हुए नजर आए।
विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि चाहे ओबीसी भाई हों, या कोई अन्य समुदाय...हमने किसी के आरक्षण से छेड़छाड़ किए बिना मराठा समुदाय के लिए शैक्षिक और नौकरी आरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया है। विधेयक पर चर्चा के दौरान सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि मैंने शिवाजी की प्रतिमा के सामने कसम खाई थी कि मैं मराठाओं को आरक्षण दूंगा और सदन में ये एक मत से पारित हुआ है।
सीएम शिंदे ने कहा, इस काम में उन कानूनी विशेषज्ञों की भी मदद ली जा रही है, जिन्होंने हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण की जोरदार वकालत की है। एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया। हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायिक स्तरों पर मराठा समुदाय का आरक्षण कैसे बरकरार रखा जाएगा, इस पर सरकार और आयोग के बीच समन्वय बनाया गया।मुख्यमंत्री ने आगे कहा, हमने मराठा आरक्षण के पक्ष में बहस करने के लिए राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ परिषदों की एक सेना खड़ी की है। चार दिनों तक हमने मराठा समुदाय की स्थिति पर बहुत गंभीरता और धैर्य के साथ अपने विचार व्यक्त किए हैं। हमने मराठा आरक्षण को रद्द करते समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा दर्ज किए गए निष्कर्षों पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया। मुझे विश्वास है कि सफलता मिलेगी।
बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की गठबंधन सरकार ने मंगलवार को 10 प्रतिशत मराठा कोटा के जिस विधेयक को मंजूरी दी है, वह तत्कालीन देवेंद्र फड़नवीस सरकार द्वारा पेश किए गए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम, 2018 के समान है। एक दशक में यह तीसरी बार है जब राज्य ने मराठा कोटा के लिए कानून पेश किया है। साल 2014 में पृथ्वीराज चव्हाण सरकार ने मराठा समाज को 16% आरक्षण दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया। इसके बाद 2018 में फडणवीस सरकार ने सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ा होने के आधार और मराठा समाज को 16% आरक्षण देने का फैसला किया। लेकिन 2019 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे घटाकर शिक्षा में 12% और नौकरी में 13 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कोई असाधारण स्तिथि नहीं दिखती, जिसके आधार पर मराठा को पिछड़ा मानते हुए उन्हें आरक्षण दिया जाए।
Feb 20 2024, 15:25