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क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के मृत्युदंड प्रविधान के तहत कोई मुकदमा चलाया गया है ? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल...!

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि से कहा कि हमें बताएं कि क्या अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम के मृत्युदंड प्रवधान के तहत कोई मुकदमा चलाया गया है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत मौत की सजा के प्रावधान को खत्म करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा कि कुछ डाटा होना जरूरी है कि क्या इस प्रावधान के तहत अपराध हुए हैं।सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा कि क्या इस प्रावधान के तहत दोषसिद्धि का एक भी उदाहरण है।

जवाब में वकील ने कहा कि उनके पास इससे जुड़ा डाटा नहीं है। इसके बाद पीठ ने वेंकटरमणि से जानकारी देने और इस मुद्दे पर एक संक्षिप्त नोट प्रस्तुत करने को कहा। वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि मामला 2019 से लंबित है और भारत संघ द्वारा आज तक कोई प्रतिक्रिया दायर नहीं की गई है।

पीठ ने कहा कि क्या कोई एक भी उदाहरण है, जहां दोषसिद्धि हुई है। क्या आप इस प्रविधान के तहत किसी अभियोजन का पता लगाने के लिए अपने कार्यालयों का उपयोग कर सकते हैं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (2) ऐसे मामले में अनिवार्य मौत की सजा का प्रावधान करती है, जहां अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के एक निर्दोष सदस्य को दोषी ठहराया जाता है और झूठे आरोप के चलते फांसी दी जाती है।

*चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर सख्ती लिए किया दिशा-निर्देश जारी , झूठी-भ्रामक जानकारियों पर अब रखी जायेगी नजर*

नई दिल्ली। चुनावों में फैलायी जाने वाली झूठी व भ्रामक जानकारियों पर रोकथाम के लिए चुनाव आयोग ने अब इंटरनेट मीडिया पर और सख्ती बढ़ाने का फैसला लिया है। इसके तहत प्रत्येक जिले अब इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए एक प्रभावी टीम तैनात होगी।

कौन होंगे इसके अधिकारी?

जिसका मुखिया एसडीएम रैंक का कोई अधिकारी या फिर कम से कम दस सालों का आइटी क्षेत्र से जुड़ा अनुभव रखने वाला जिले का कोई अन्य अधिकारी होगा।जो चुनाव के दौरान प्रत्येक राजनीतिक हलचल के साथ प्रत्याशियों, उनके परिजनों और राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों के इंटरनेट मीडिया से जुड़े सभी प्लेटफार्मों पर उनके खातों पर नजर रखेगा।

लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी

चुनाव आयोग की यह पहल लोकसभा चुनाव से पहले की तैयारियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है। जिसमें आयोग ने मीडिया के साथ ही इंटरनेट मीडिया पर नजर रखने के लिए सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को कुछ जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए है। जिसमें प्रत्येक जिला स्तर से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर चुनावों के दौरान फैलायी जाने वाली झूठी व भ्रामक जानकारियों को लगाम लगाने को कहा गया है।

चुनाव आयोग ने दिशा-निर्देश किए जारी

इतना ही नहीं, आयोग ने ऐसे किसी भी भ्रामक या फिर झूठी जानकारियों पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए है। चुनाव आयोग का मानना है कि निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव के साथ पूरी चुनावी प्रक्रिया पर विश्वसनीयता के लिए जरूरी है कि चुनाव से जुड़ी प्रत्येक झूठी व भ्रामक खबरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। आयोग ने इसके साथ ही चुनाव के दौरान प्रत्याशियों की ओर से भरे जाने वाले शपथ- पत्र में भी मोबाइल, फोन व मेल आइडी के साथ अपने और अपने परिजनों के भी इंटरनेट मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी साझा करने के लिए कहा है।

चुनावी प्रक्रिया पहले से अधिक पारदर्शी

इसके साथ ही जिला स्तर पर राजनीतिक दलों से जुडे प्रत्येक पदाधिकारी के भी इंटरनेट मीडिया से जुड़े खातों की जानकारी रखी जाएगी। आयोग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान झूठी और भ्रामक जानकारियों के फैलाने के पीछे प्रत्याशियों के साथ उनके परिजनों या फिर राजनीतिक दलों से जुड़े पदाधिकारियों की अहम भूमिका देखने को मिलती है।

गौरतलब है कि चुनाव के दौरान झूठी और भ्रामक जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को पहले से ही काफी पारदर्शी बनाया है। इसमें रैली से लेकर प्रचार से जुड़ी अनुमति देने की आनलाइन व्यवस्था तैयार की है। जिसमें पहले आओ और पहले पाओ की व्यवस्था लागू की गई।

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के चार दोषियों की सजा दिल्ली हाई कोर्ट ने की निलंबित,दोषी इस मामले में 14 वर्षों से थे जेल में बंद

नई दिल्ली: पिछले 14 वर्षों से जेल में बंद टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या के चार दोषियों की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया है.

 कोर्ट ने कहा कि सजा को चुनौती देने वाली दोषियों की अपील पर फैसला होने तक सजा निलंबित रहेगी. जस्टिस सुरेश कैत की अध्यक्षता वाली बेंच ने जिन दोषियों की सजा को निलंबित किया है उनमें रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक शामिल हैं. कोर्ट ने कहा कि चारों दोषी करीब 14 वर्षों से जेल में बंद हैं, ऐसे में इनकी सजा निलंबित की जाती है.

बता दें कि 25 नवंबर 2023 को साकेत कोर्ट ने सौम्या विश्वनाथन की हत्या के मामले के चार दोषियों को उम्रकैद और एक दोषी को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलबीर मालिक और अजय कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. साथ ही कोर्ट ने चारों पर हत्या के लिए 25 हजार रुपये और मकोका के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 

इसके आलावा कोर्ट ने अजय सेठी को तीन साल की कैद की सजा और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

साकेत कोर्ट ने रवि कपूर, अमित शुक्ला, अजय कुमार और बलजीत मलिक को टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का दोषी पाया था. कोर्ट ने इन चारों आरोपियों को मकोका की धारा 3(1)(i) का भी दोषी पाया था. इस मामले के चौथे आरोपी अजय सेठी को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 और मकोका की धारा 3(2) और 3(5) के तहत दोषी पाया था.बता दें कि सौम्या विश्वनाथन की हत्या 30 सितंबर 2008 की रात में अपने दफ्तर से लौटते वक्त नेल्सन मंडेला रोड पर कर दी गई थी. पुलिस के मुताबिक, हत्या का मकसद लूटपाट था. वहीं, रवि कपूर और अमित शुक्ला 2009 में आईटी एक्जीक्यूटिव जिगिषा घोष मर्डर केस में दोषी करार दिया गया था.

*प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के संदिग्ध मास्टर ट्रेनर केरल से गिरफ्तार, NIA ने अब तक 60 लोगों के खिलाफ किया है आरोपपत्र दाखिल*

नई दिल्ली। एनआईए ने प्रतिबंधित पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के एक संदिग्ध मास्टर ट्रेनर को केरल में उसके घर से गिरफ्तार किया है। एनआईए के प्रवक्ता ने कहा कि गिरफ्तार आरोपित जफर भीमंतविदा 2022 में दर्ज प्रतिबंधित संगठन की साजिश से संबंधित एक मामले में वांछित था। मामले में यह 59वीं गिरफ्तारी है।

अब तक 60 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल

इस मामले में एनआईए ने अब तक 60 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए हैं। एनआईए ने कहा कि उसकी जांच से पता चला है कि भीमंतविदा पीएफआई मशीनरी का हिस्सा था जो 2047 तक देश में इस्लामी शासन स्थापित करने के लिए काम कर रहा था।

उस पर पीएफआई मास्टर ट्रेनर होने का संदेह था, जो कैडरों को हथियार प्रशिक्षण देकर उन्हें संगठन के सदस्यों के रूप में काम करने के लिए तैयार करने में लगा था। ऐसी टीम या दस्ते को लक्षित हमलों को अंजाम देने और पीएफआई नेतृत्व के आदेशों के क्रियान्वयन में बल प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

अन्य आरोपियों की जा रही छानबीन

अधिकारी ने कहा कि वह पहले भी केरल में विभिन्न हत्या के प्रयास और हमले के मामलों में शामिल था। जांच अब भी जारी है और साजिश में शामिल अन्य फरार आरोपितों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

*अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को देनी होगी अपनी संपत्ति की जानकारी, सरकार बनाने जा रही है इसके लिए नियम*

 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति की जानकारी घोषित करनी होगी। सरकार ने एक संसदीय समिति को बताया है कि वह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों द्वारा संपत्ति की घोषणा के लिए वैधानिक प्रावधान करने की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रही है।

शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ किया जा रहा परामर्श

कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने कहा कि इस संबंध में शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ परामर्श शुरू कर दिया गया है और इस मुद्दे पर उसकी प्रतिक्रिया का इंतजार है। कार्रवाई रिपोर्ट में दर्ज सरकार की प्रतिक्रिया के आधार पर कानून और कार्मिक विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने न्याय विभाग से इस मामले में वैधानिक प्रविधान के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के साथ परामर्श प्रक्रिया को तेज करने के लिए कहा है।

समिति ने क्या कहा है?

न्यायिक प्रक्रियाओं और सुधारों पर अपनी पिछली रिपोर्ट पर कार्रवाई रिपोर्ट हाल ही में समाप्त हुए बजट सत्र में पिछले सप्ताह संसद में पेश की गई थी। अपनी पिछली रिपोर्ट में सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि सामान्य प्रथा के रूप में सभी संवैधानिक पदाधिकारियों और सरकारी सेवकों को अपनी संपत्ति और देनदारियों का वार्षिक रिटर्न अवश्य दाखिल करना चाहिए।

प्रणाली में आएगी विश्वसनीयता

राजकोष से वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति का वार्षिक रिटर्न दाखिल करना चाहिए। समिति ने यह भी कहा था कि उच्च न्यायपालिका-उच्चतम न्यायालय और 25 हाई कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संपत्ति की घोषणा से प्रणाली में विश्वसनीयता आएगी।

समिति ने सरकार को उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों के लिए अपनी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य बनाने के लिए उचित कानून लाने की सिफारिश की है। अपनी प्रतिक्रिया में सरकार ने कहा कि समिति द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर न्याय विभाग नियम बनाने का प्रस्ताव कर रहा है।

*UGC ने की उच्च शिक्षा से युवाओं को जोड़ने की दिशा में पहल, ड्राफ्ट तैयार करने के लिए किया निर्देश जारी*

नई दिल्ली। देश के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को उच्च शिक्षा से जोड़ने और उन्हें देश में ही अच्छी शिक्षा मुहैया कराने की दिशा में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी ) ने पहल तेज की है। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से अपने विकास का एक खाका तैयार करने को कहा है। 

जिसमें अगले सालों में वह संस्थानों किस रूप में देखना चाहते है। उसके लिए उन्हें किन-किन चीजों की जरूरत होगी। वह अपने संस्थानों में कितने छात्रों को और किन-किन विषयों की शिक्षा दे सकेंगे।

2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य

यूजीसी ने इसके लिए एक गाइडलाइन भी जारी की। जिसके आधार पर ही संस्थान अपने भविष्य की योजना को तैयार करने को कहा है। यूजीसी ने यह पहल तब की है, देश को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य दिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को भी विकसित देशों के मुकाबले खड़ा करना है। जो अमेरिका में मौजूदा समय में 88, ब्रिटेन में 60, जर्मनी में 70 और कनाडा में 69 प्रतिशत है। यानी इन देशों में उच्च शिक्षा हासिल करने की आयु वर्ग वाले प्रति सौ युवाओं में यह संख्या है।

शिक्षा का जीईआर 50 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य

वहीं भारत में मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का जीईआर 28.4 प्रतिशत है जो इन विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी) के तहत केंद्र सरकार ने इस दिशा में पहल तेज की है। वर्ष 2035 तक देश के उच्च शिक्षा का जीईआर 50 प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।

विकास और इंडस्ट्री पर फोकस

मोदी सरकार के पिछले दस सालों में इनमें बढ़त दर्ज हुई है, जो 2014-15 में 23.7 से बढ़कर हाल में जारी हुई 2021-22 की रिपोर्ट में 28.4 प्रतिशत हो गई है। यूजीसी ने इसके साथ ही सभी संस्थानों को भारतीय ज्ञान परंपरा, शोध, कौशल विकास और इंडस्ट्री की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने की योजनाओं भी काम करने को कहा है।

ड्राफ्ट तैयार करने के निर्देश

संस्थानों को शिक्षकों की संख्या, लैब, पूर्व छात्रों के नेटवर्क, डिजिटल सुविधाओं को जुटाने सहित उन सभी विश्वस्तरीय मानकों के आधार पर भी तैयारी करने के निर्देश दिए है, जिसके चलते मौजूदा समय में हर साल देश से बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए विदेशी संस्थानों की ओर रुख कर लेते है। मौजूदा समय में देश में करीब 11 सौ विश्वविद्यालय और करीब 45 हजार कालेज है।

*महाराष्ट्र स्पीकर के आदेश को चुनौती देने वाली ठाकरे गुट की याचिका सुप्रीम कोर्ट सूचीबद्ध करने को तैयार*

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के विभाजन विवाद को लेकर सोमवार को कहा कि वह महाराष्ट्र के स्पीकर के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को सूचीबद्ध करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "जून 2022 शिवसेना के विभाजन के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को वास्तविक राजनीतिक दल घोषित करने के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के आदेश को चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को सूचीबद्ध करेगा।

"ठाकरे गुट की याचिका सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी, लेकिन समय की कमी के कारण दिन में मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी।

हम इसे सूचीबद्ध करेंगे- सीजेआई चंद्रचूड़

ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि उन्हें (शिंदे गुट को) जवाब दाखिल करने दीजिए। नोटिस पहले जारी किया गया था। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।'

दो अदालतों में एक साथ कार्यवाही नहीं चल सकती

इस बीच, शिंदे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि क्योंकि इस मुद्दे पर एक याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट में भी लंबित है, इसलिए दो अदालतों में एक साथ कार्यवाही नहीं चल सकती।

शिंदे गुट के सांसदों को नोटिस जारी किया था

इससे पहले, 5 फरवरी को चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली पीठ ने ठाकरे गुट की याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर सहमति जताई थी। शीर्ष कोर्ट ने 22 जनवरी को स्पीकर राहुल नार्वेकर के आदेश को चुनौती देने वाली ठाकरे गुट की याचिका पर मुख्यमंत्री शिंदे और उनके गुट के अन्य सांसदों को नोटिस जारी किया था।

स्पीकर ने ठाकरे गुट की याचिका खारिज की थी

उद्धव ठाकरे गुट ने आरोप लगाया है कि शिंदे ने असंवैधानिक रूप से सत्ता हथिया ली और वह महाराष्ट्र में 'असंवैधानिक सरकार' का नेतृत्व कर रहे हैं। बता दें कि 10 जनवरी को पारित अपने आदेश में स्पीकर नार्वेकर ने शिंदे सहित सत्तारूढ़ खेमे के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की ठाकरे गुट की याचिका को भी खारिज कर दिया था।

अयोध्या धाम दर्शन हेतु अगर जाना चाहते हैं, तो पहले जान लें ये जरूरी जानकारी

प्रस्तुति:- विजय कुमार रजक(सराईकेला)

 अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही सब लोगो के मन मे तीव्र उत्कंठा है कि हम भी रामलला के दर्शनों हेतु जल्दी से जल्दी जाए, लेकिन ज्यादा भीड़ की चिंता के चलते जाने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है, तो आप जान लीजिए कि निश्चिन्त होकर जाइये, भीड़ तो अयोध्या नगरी में अब आने वाले लंबे समय तक रहेगी लेकिन भीड़ के चलते वहां आपको रामजी के दर्शनों में कोई दिक्कत नही आएगी।

अयोध्या जी मे प्रतिदिन करीब 3 से 4 लाख लोग रामलला के दर्शन कर रहे है, प्रशासन की व्यबस्थाये इतनी बेहतरीन और सुव्यवस्तिथ है कि आपको दर्शनों में कोई दिक्कत नही आएगी।बस कुछ बातों का ध्यान रखना है ।

1. अयोध्या जी मे बाहरी वाहनों का प्रवेश वर्जित है, अगर आप अपनी गाड़ी से अयोध्या जा रहे है तो आपको अपनी गाड़ी अयोध्या के बाहर ही मैन हाईवे से उतरते ही बनी पार्किंग में खड़ी करनी पड़ेगी वहां से मंदिर करीब 3 किलोमीटर दूर है। 

2. पार्किंग के बाहर से आपको ई रिक्शा मिल जाएगी जो आपको मन्दिर से करीब आधा किलोमीटर पहले उतार देगी, सुरक्षा के चलते रास्तों पर आवाजाही बदलती रहती है तो हो सकता हैंकि आपको थोड़ा पैदल चलना पड़े, इसलिए कम से कम 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलने के लिए मानसिक व शारीरिक रूप से तैयार रहे।

3. अयोध्या जी मे बड़ी संख्या में बजट होटल व धर्मशालाएं है इसलिए सामान्य व्यवस्था में रुकने में कोई दिक्कत नही है। 

4. मंदिर में दर्शन के लिए जाए तो कोशिश करे कि जेब मे सिर्फ पैसे रखकर ले जाये। क्योकि मन्दिर में मोबाइल, घड़ी, पेन, चाभी आदि ले जाना मना है। मन्दिर में सुरक्षा जांच से पूर्व लाकर रूम बने है जहां आप अपना सामान जमा करा के आगे जाते है। 

5. अगर आप लाकर रूम में सामान रखते है तो वहां भीड़ के चलते आपको करीब एक से डेढ़ घण्टे का समय लग सकता है वरना आप मात्र 20 से 30 मिनेट में दर्शन करके बाहर आ सकते है।

6. सुरक्षा जांच के बाद जब आप मन्दिर में प्रवेश करते है तो मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते ही आपको रामलला दूर से ही दिखाई पड़ने लगते है, आप पहले हॉल से चलकर जाते हुए पांचवे हाल में रामलला के दर्शन करते है। भीड़ के चलते आपको वहां खड़े नही होने दिय्या जाएगा लाइन चलती रहेगी और आप दर्शन करते रहेंगे इसलिये पहले हॉल से ही अपने ध्यान को रामलला पर केंद्रित कर लीजिए ताकि आपको बाद में ये मलाल न हो दर्शन ठीक से नही हुए।

7. मंदिर परिसर से बाहर आते समय आपको मंदिर प्रसासन की तरफ से निशुल्क प्रसाद दिया जाता है, निकास द्वार से बाहर आते समय इस बात का ध्यान रखे और अपना प्रसाद जरूर लें ले।

8. अयोध्या जी मे इस समय ठंड बहुत है, अपने कपड़ो की पैकिंग करते समय ध्यान रखे।

और अंत मे ध्यान रखे कि मंदिर प्रशासन और पुलिस का व्यबहार व व्यबस्था बहुत ही शानदार है तो उसके जवाब में हमारा आचरण भी सौम्य और सहयोगपूर्ण हो, 

अयोध्या इस समय उत्सव नगरी बनी हुई है, उसी माहौल में उसी भांव के साथ रहे और बनाई गई व्यबस्थाओ के हिसाब से ही आचरण करे।

तो बना लीजिए प्रोग्राम रामलला के दर्शनों का, जय श्री राम

राम भक्तों के लिए जरूरी सूचना

अयोध्या के कुछ महत्वपूर्ण नम्बर एवं ठहरने के स्थान

पुलिस     100

अग्निशमन  101

एंबुलेंस     102

रेल पूछताछ 139

श्री राम अस्पताल +91-5278-232149

अयोध्या आँख का अस्पताल +91-5278-232828"

"कहाँ ठहरें

राही टूरिस्ट बंगला

 (उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम)

निकट रेलवे स्टेशन, यात्री निवास (उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम)

सरयू तट, निकट रामकथा पार्क, जनपद अयोध्या,

ई-मेल: रामप्रस्थ

निकट रामकथा संग्रहालय, अयोध्या

(+91 5278-232110, 9721691096") 

श्रीराम होटल

निकट दंत धवन कुंड, अयोध्या

(+91 5278-232512)"

राम धाम गेस्ट हाउस

रेलवे स्टेशन रोड, अयोध्या"

राम अनुग्रह विश्राम सदन

छोटी छावनी मार्ग, अयोध्या

कनक भवन धर्मशाला

अयोध्या

(91-5278-232024, 232901)"

बिड़ला धर्मशाला

निकट पुराना बस स्टेशन, अयोध्या

(+91-5278-232252)

 गुजरात भवन धर्मशाला

निकट दंत धवन कुंड , अयोध्या

(+91-5278-232075)"

जैन धर्मशाला

राय गंज, अयोध्या

(+91-5278-232308)"

जानकी महल ट्रस्ट धर्मशाला

नया घाट, अयोध्या

(+91-5278-232032)

पंडित बंशीधर धर्मशाला

नया घाट, अयोध्या"

रामचरितमानस ट्रस्ट धर्मशाला

अयोध्या

(+91-5278-233040)"

दामोदर धर्मशाला

सुभाष नगर, फैज़ाबाद

(+91-5278-223561) 

श्याम सुंदर धर्मशाला

रीड गंज, फैज़ाबाद

(+91-5278-240704)"

    

उपरोक्त में से दो की जानकारी इस प्रकार है।

1) अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास गुजराती धर्मशाला में आप 100 रुपए से लेकर 1000 रुपए तक की कीमत के साथ रूम ले सकते हैं। साथ में खाना भी यहां फ्री में मिलता है। कम बजट के लोगों के लिए यहां एक बड़ा हॉल भी है, जिसमें कई सिंगल बैड के साथ पंखे भी लगे हुए हैं, जिनकी कीमत 100 रुपए प्रति व्यक्ति है। साथ में आप लोगों को अनलिमिटेड खाना भी दिया जाएगा, वो भी फ्री। वहीं अगर आप प्राइवेट रूम लेकर रहना चाहते हैं, 2, 3 और 5 बैडरूम के कमरे भी यहां मिल जाएंगे।

यह रेलवे स्टेशन से दो मिनट पैदल की दूरी पर है।

 2) अयोध्या में सबसे सस्ती और अच्छी जगह बिरला धर्मशाला भी है, जहां आपको 200 से 500 रुपए में थ्री स्टार जैसी सुविधाएं मिल जाएंगी। खास बात ये है यहां खाना फ्री में मिलता है, जिसका अलग से कोई भी चार्ज नहीं लगता। आप अपने कितने भी बड़े ग्रुप के साथ आएं यहां आपको रूम आसानी से मिल सकते हैं।

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रामायण और रामचरितमानस के 10 बड़े अंतर, वाल्मीकि कृत रामायण और तुलसीदास कृत रामायण में है कई बड़े अंतर*

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प्रस्तुति :- विजय रजक(सराईकेला)

प्रथम काल का अंतर : महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना प्रभु श्रीराम के जीवन काल में ही की थी। राम का काल 5114 ईसा पूर्व का माना जाता है, जबकि गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को मध्यकाल अर्थात विक्रम संवत संवत्‌ 1631 अंग्रेंजी सन् 1573 में रामचरित मान का लेखन प्रारंभ किया और विक्रम संवत 1633 अर्थात 1575 में पूर्ण किया था।

 एक शोध के अनुसार रामायण का लिखित रूप 600 ईसा पूर्व का माना जाता है।

दृतीय भाषा का अंतर : 

महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा गया था जबकि तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को अवधी में लिखा गया है। हालांकि रामचरितमानस की भाषा के बारे में विद्वान एकमत नहीं हैं। कोई इसे अवधि मानता है तो कोई भोजपुरी। कुछ लोक मानस की भाषा अवधी और भोजपुरी की मिलीजुली भाषा मानते हैं। मानस की भाषा बुंदेली मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है।

 

तृतीय कथा के आधार में अंतर :

 महर्षि वाल्मीकि जी ने श्रीराम के जीवन को अपनी आंखों से देखा था। उनकी कथा का आधार खुद राम का जीवन ही था जबकि तुलसीदासजी ने रामायण सहित अन्य कई रामायणों को आधार बनाकर रामचरितमानस को लिखा था। यह भी कहते हैं कि उनकी सहायता हनुमानजी ने की थी। 

 

4.श्लोक और चौपाई :

 रामायण को संस्कृत काव्य की भाषा में लिखा गया जिसमें सर्ग और श्लोक होते हैं, जबकि रामचरित मानस के दोहो और चौपाइयों की संख्या अधिक है। रामायण में 24000 हजार श्लोक और 500 सर्ग तथा 7 कांड है। रामचरित मानस में श्लोक संख्या 27 है, चौपाई संख्या 4608 है, दोहा 1074 है, सोरठा संख्या 207 है और 86 छन्द है।

5. रामायण से ज्यादा प्रचलित है रामचरित मानस : 

वर्तमान में वाल्मीकि कृत रामायण को पढ़ना और समझना कठिन है क्योंकि उसकी भाषा संस्कृत है जबकि रामचरित मानस को वर्तमान की आम बोलचाल की भाषा में लिखा गया है। जनामनस की इस भाषा के कारण ही रामचरित मानस का पाठ हर जगह प्रचलित है।

 

6.राम के चरित्र का अंतर : 

वाल्मीकि कृत रामायण में राम को एक साधारण लेकिन उत्तम पुरुष के रूप में चित्रित किया है, जबकि रामचरित मानस में पात्रों और घटनाओं का अलंकारिक चित्रण किया गया है। इस चरित्र चित्रण में तुलसीदास ने हिन्दी भाषा के अनुप्रास अलंकार, श्रृंगार, शांत और वीररस का प्रयोग मिलेगा। 

इसमें तुलसीदासजी ने भगवान राम के हर रूप का चित्रण किया गया है। रामचरित मानस में राम ही नहीं रामायण के हर पात्र को महत्व दिया गया है। सभी के चरित्र का खुलासा हुआ है। तुलसीदासजी ने राम के चरित को एक महानायक और महाशक्ति के रूप में चित्रित किया।

7. घटनाओं में अंतर : 

वाल्मीकि कृत रामायण और गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस में घटनाओं में कुछ अंतर मिलेगा। जैसे श्रीराम और सीता जनकपुरी में बाग में एक दूसरे को देखते हैं तब सीताजी शिवजी से प्रार्थना करती हैं कि श्रीराम से ही उनका विवाह हो यह प्रसंग तुलसीकृत रामचरित मानस में है वाल्मीकि रामायण में नहीं।

धनुष प्रसंग भी तुलसीकृत रामचरित मानस में भिन्न मिलेगा। अंगद के पैर का नहीं हिलना, हनुमानजी का सीना चीरकर रामसीता का चित्र दिखाना, अहिरावण का प्रसंग यह तुलसीकृत रामचरित मानस में ही मिलेगा। वाल्मीकि रामायण में इंद्र के द्वारा भेजे गए मातलि राम कोय बताते हैं कि रावण का वध कैसे करना है जबकि तुलसीकृत रामचरित मानस में यह प्रसंग नहीं मिलता। रावण के वध के लिए ह्रदय में उस समय वार करना जब रावण अति पीड़ा से सीताजी के बारे में विचार न कर रहा हो यह विभीषण द्वारा बताया जाना भी तुलसीकृत रामचरितमानस में है जबकि रामायण में नहीं। 

 

वाल्मीकि रामायण में रावण इत्यादि की तप साधना के बारे में विस्तार से वर्णन है जबकि तुलसीकृत रामायण में नहीं। विश्वामित्र द्वारा दशरथ से राम को राक्षसों के वध के लिए मांगने का प्रसंग भी तुलसीकृत रामायण में भिन्न मिलेगा। विश्वामित्रजी से बला और अतिबला नमक विद्या की प्राप्ति का वर्णन भी तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। ताड़का वध प्रसंग प्रसंग भी थोड़ा अलग है।

कैकेयी द्वारा वरदान का वर्णन भी भिन्न मिलेगा। जब भरत श्री रामचन्द्रजी को लेने वन में जाते हैं तो वहां राजा जनक भी पधारते हैं। जनक का उल्लेख तुलसीकृत रामायण में नहीं मिलेगा। इसी तरह और भी कई प्रसंग है जो या तो तुलसीकृत रामचरित मानस में नहीं हैं और है तो भिन्न रूप में।

दरअसल, गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस को लिखने के पहले उत्तर और दक्षिण भारत की सभी रामायणों का अध्ययन किया था। उन्होंने रामचरित मानस में उसी प्रसंग को रखा जो कि महत्वपूर्ण थे। कहते हैं कि रामायण में जो वाल्मीकि नहीं लिख पाए उन्होने वह आध्यात्म रामायण में लिखी थी। तुलसीदानसजी ने कुछ प्रसंग आध्यात्म रामायण से भी उठाएं थे। 

 

8. रामायण और रामचरित मानस का अर्थ : 

रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर, राम का आलय या राम का मार्ग, जबकि रामचरित मानस का अर्थ राम के रचित्र का सरोवर। राम के मन का सरोवर। रामररित मानस को राम दर्शन भी कहते हैं। मंदिर में जाने के जो नियम है वही सरोवर में स्नान के नियम है। मंदिर जाने से भी पाप धुल जाते हैं और पवित्र सरोवर में स्नान करने से भी।

9. ऋषि और भक्त की लिखी रामायण :

 महर्षि वाल्मीकि प्रभु श्रीराम के प्रशंसक जरूर थे लेकिन वे भक्त तो भगवान शिव के थे। उन्होंने शिव की मदद से ही इस रामायण को लिखा था, जबकि तुलसीदासजी प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे और उन्होंने स्वप्न में भगवान शिव के आदेश से रामभक्त हनुमान की मदद से रामचरित मानस को लिखा था।

 

10. कांड : रामचरित मानस में आखिरी से पहले काण्ड को लंकाकाण्ड कहा गया जबकि रामायण में आखिरी से पहले काण्ड को युद्धकाण्ड कहा गया। कहते हैं कि उत्तरकांड को बाद में जोड़ा गया था।

दस सालों में अर्थव्यवस्था कांटों से भरी झाड़ी से सही-सलामत निकलकर भविष्योन्मुखी सुधारों की राह पर आगे बढ़ा:-वित्त मंत्री


नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार ने पिछले दस साल में देश की अर्थव्यवस्था को कांटों में फंसी साड़ी की तरह सही-सलामत निकालकर भविष्योन्मुखी सुधारों की राह पर चलाने का प्रयास किया है.

 वित्त मंत्री सीतारमण ने राज्यसभा में श्वेत पत्र पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इस सरकार को जो अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, उसके बारे में विपक्ष द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष के लोग भी कहते हैं कि अटल बिहार वाजपेयी सरकार से जो विरासत संप्रग सरकार को मिली, उसी कारण उसके पहले पांच वर्ष में अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी रही.

उन्होंने कहा कि पहले ही इस बात को स्पष्ट किया जा चुका है कि यदि यह श्वेत पत्र पहले लाया जाता तो लोगों एवं निवेशकों का अपने देश, अर्थव्यवस्था और संस्थानों पर विश्वास डोलने लगता। 

उन्होंने कहा कि प्रश्न किया जाता है कि यह श्वेत पत्र अभी क्यों लाया गया? उन्होंने कहा कि एक निर्वाचित सरकार के नाते उनका यह दायित्व है कि वह संसद के दोनों सदनों के माध्यम से जनता को यह जानकारी दें कि अर्थव्यवस्था की स्थिति दस वर्ष पहले क्या थी और आज वह किस स्तर पर पहुंच गयी है.

सीतारमण ने कहा, 'हम दो पटरियों पर चल रहे थे. एक थी- अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करना, पूर्व के गलत कामों को सही करना, अड़चनों को दूर करना और इनके साथ ही भविष्योन्मुखी सुधारों की ओर भी ध्यान देना...' उन्होंने कहा कि 1991 में आर्थिक सुधारों की प्रक्रिया शुरू हुई थी लेकिन उसे 2004 के बाद पूरा नहीं किया गया, आगे नहीं बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुधारों विशेषकर भविष्योन्मुखी सुधारों पर जोर दिया.

वित्त मंत्री ने एक तमिल कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि 2014 में जो अर्थव्यवस्था उनकी सरकार को मिली थी, उसकी तुलना कांटेदार झाड़ी में फंसी साड़ी से की जा सकती है जिसे कांटों से सही सलामत निकालने की चुनौती रहती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अर्थव्यवस्था को उस कांटेदार झाड़ी से निकाला. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की यह ‘हालात’ थी कि यह विश्व की पांच कमजोर अर्थव्यवस्था में एक थी और आज सरकार के प्रयासों के कारण यह विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गयी है.

सीतारमण ने कहा कि आज अर्थव्यवस्था की जो स्थिति है, उसके आधार पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्वास के साथ यह कह रहे हैं कि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा.