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जयाप्रदा के खिलाफ 7वीं बार जारी हुआ गैर जमानती वारंट, कोर्ट ने गिरफ्तार कर पेश करने का जारी किया आदेश

#jaya_prada_code_of_conduct_violation_seventh_non_bailable_warrant_issued 

चुनाव आचार संहिता उल्‍लंघन मामले में फिल्‍म अभिनेत्री और पूर्व सांसद जयाप्रदा एक बार फिर रामपुर की एमपी- एमएलए कोर्ट में नहीं पहुंचीं। कोर्ट ने जया प्रदा के खिलाफ 7वीं बार गैर जमानती वारंट जारी किया है। इस केस में 27 फरवरी को सुनवाई होगी। कोर्ट ने जया प्रदा को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अधीक्षक को विशेष टीम गठित करने का आदेश दिया है।

रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अभिनेत्री के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। यह 7वीं बार है, जब पुलिस ने एक्ट्रेस के खिलाफ वारंट जारी किया है।सीनियर प्रोसेक्यूशन ऑफिसर अमरनाथ तिवारी ने बताया कि जया प्रदा के खिलाफ सातवीं बार गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद भी वह सोमवार को सुनवाई के लिए कोर्ट नहीं पहुंचीं। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को स्पेशल टीम बनाकर जया प्रदा को गिरफ्तार करने और कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है।

जयाप्रदा के खिलाफ रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट में दो मामले चल रहे हैं। जयाप्रदा के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के दोनों मामले वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के हैं। तब जयाप्रदा रामपुर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। वह चुनाव हार गई थीं। 

उनके खिलाफ स्वार और केमरी थाने में चुनाव आचार संहिता उल्लंघन की प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इनमें स्वार में दर्ज प्राथमिकी में उन पर आचार संहिता के बावजूद नूरपुर गांव में सड़क का उद्घाटन करने का आरोप है। दूसरा मामला केमरी थाने का है, जिसमें उन पर पिपलिया मिश्र गांव में आयोजित जनसभा में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है। दोनों मामलों में पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिए थे। इन मामलों की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) में चल रही है। वह सुनवाई के लिए कई तारीखों से कोर्ट में नहीं आ रही थीं, जिस पर दोनों मामलों में गैर जमानती वारंट जारी किए थे।

किसान आंदोलनः सीमेंट बैरिकेड को किसानों ने ट्रैक्टर से हटाया, पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले

#farmers_protest 

किसान एक बार फिर दिल्‍ली की दहलीज पर अड़े हैं। पंजाब के किसान स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, एमएसपी पर गारंटी, लखीमपुर खीरी हादसे पर सख्त कार्रवाई करने जैसी कई मांगों पर अड़े किसान आज दिल्ली कूच कर रहे हैं। किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बहुस्तरीय अवरोधक, कंक्रीट के अवरोधक, लोहे की कीलों और कंटेनर की दीवारें लगाकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली की तीन सीमाओं - सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर दंगा-रोधी वर्दी में पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को अत्यधिक संख्या में तैनात किया गया है।

किसानों ने फ्लाईओवर पर लगे सेफ्टी बैरियर को तोड़ा

अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने हरियाणा-पंजाब शंभू सीमा पर फ्लाईओवर पर लगे सेफ्टी बैरियर को तोड़ दिया है। हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पार करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने ट्रैक्टरों से सीमेंट के बैरिकेड को जबरन हटा दिया। ऐसे में पुलिस ने आंसू गैस के गोले पर छोड़े हैं। शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे हैं। इस बीच, प्रदर्शनकारी किसान तितर-बितर हो गए और पंजाब-हरियाणा सीमा पर खेतों में घुस गए। उन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की है। कई किसानों को हिरासत में भी लिया गया है। 

हरियाणा पुलिस का बयान

शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों द्वारा हरियाणा पुलिस पर पथराव किया गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हरियाणा पुलिस द्वारा आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। उपद्रव फैलाने की अनुमति किसी को नहीं है, ऐसा करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

शंभू बॉर्डर पर 10 हजार किसान जमा- सरवन सिंह

किसानों के प्रदर्शन की अगुवाई कर रही पंजाब किसान मंजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर 10 हजार किसान मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि किसान शांति बनाए हुए हैं, लेकिन हमारे ऊपर ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागे गए। जब तक हमारी मांग नहीं मानी जाएगी, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।

क्या कांग्रेस से किनारा चाहते हैं केजरीवाल? दिल्ली में दिया 1 सीट का ऑफर, पंजाब में गठबंधन से इनकार

#aapoffersoneseattocongressin_delhi 

केन्द्र की सत्ता पर बीजेपी की तीसरी बार वापसी ना हो, इसके लिए विपक्षी दलों ने गठबंधन किया था। हालांकि विपक्षी दलों का गठबंधन “इंडिया” लोकसबा चुनाव से पहले ही बिखरा-बिखरा नजर आ रहा है। सीट शेयरिंग पर दलों में सहमति नहीं बन पा रही है। सीट शेयरिंग पर पहले ही ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस अपना हाथ खीच चुकी हैं। अब केजरीवाल भी कांग्रेस से किनारा करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, आम आदमी पार्टी ने भी सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस को ऑफर दे दिया है। 

आम आदमी पार्टी (आप) ने आगामी लोकसभा चुनाव में दिल्ली में कांग्रेस से गठबंधन करने की इच्छा तो जताई है। हालांकि आप कांग्रेस दिल्ली को कांग्रेस की सिर्फ एक लोकसभा सीट देने के पक्ष में है जबकि बाकी की 6 सीटों पर वह अपने पास रखना चाहती है।

सीट बंटवारे पर आप नेता संदीप पाठक का कहना है, 'दिल्ली के चुनाव में देखें तो लोकसभा और विधानसभा में कांग्रेस की जीरो सीट हैं। एमसीडी चुनाव में 250 सीटों में से 9 सीटें कांग्रेस पार्टी की आई...योग्यता के आधार पर, कांग्रेस पार्टी इस डेटा के आधार पर दिल्ली में एक भी सीट की हकदार नहीं है, लेकिन डेटा अहम नहीं है, 'गठबंधन के धर्म' को ध्यान में रखते हुए हम उन्हें दिल्ली में एक सीट की पेशकश कर रहे हैं। हम कांग्रेस पार्टी को 1 सीट और आप को 6 सीटों पर लड़ने का प्रस्ताव देते हैं।'

देरी बिल्कुल भी ठीक नहीं-आप

आप सांसद संदीप पाठक का कहना है कि सीट बंटवारे को लेकर हमारी कांग्रेस पार्टी के साथ दो आधिकारिक बैठकें हुईं लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला। इन दो आधिकारिक बैठकों के अलावा, पिछले एक महीने में कोई अन्य बैठक नहीं हुई है। हम अगली बैठक का इंतजार कर रहे हैं, कांग्रेस के नेताओं को भी अगली बैठक की जानकारी नहीं है। पाठक की ओर से इस दौरान यह भी कहा गया कि वे लोग गठबंधन धर्म निभाना चाहते हैं पर जिस तरह की देरी हो रही है वह बिल्कुल भी ठीक नहीं है।

गोवा-गुजरात में उम्मीदवार घोषित

आप सांसद पाठक ने कहा, गोवा में दो सीटें हैं। हम कांग्रेस के साथ गठबंधन को देखते हुए एक सीट पर उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं। साउथ गोवा से वैंजी जो हमारे विधायक हैं, हम उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं। आप नेता ने कहा, गुजरात में गठबंधन में हमारी 8 सीटें बनती हैं। इसे देखते हुए हम गुजरात के भरूच से चैतर बसावा और भावनगर से उमेश भाई मखवाना को उम्मीदवार घोषित कर रहे है। हमें लगता है कि कांग्रेस इस मांग पर समर्थन करेगी।

 

पंजाब में पहले ही जुदा हुईं राहें

आप का यह बयान अहम माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी पंजाब में कांग्रेस के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार कर चुकी हैं. पिछले महीने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 24 जनवरी कहा कि आप आगामी लोकसभा चुनाव में पंजाब में कांग्रेस से गठबंधन नहीं करेगी। पंजाब के सीएम ने यह दावा भी दोहराया कि आप राज्य की सभी 13 सीट पर जीत दर्ज करेगी। हालांकि ये दोनों पार्टी चंडीमेढ़ मेयर चुनाव में जरुर साथ आईं।

हलाल सर्टिफिकेट से अवैध कमाई ! यूपी पुलिस ने हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के 4 सदस्यों को किया गिरफ्तार, आरोपियों ने कबूला जुर्म

 हलाल सर्टिफिकेशन से जुड़े एक मामले की जांच कर रही उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने के आरोप में मुंबई स्थित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया है। विशेष रूप से, राज्य में बेचे जाने वाले उत्पादों के लिए अवैध हलाल प्रमाणपत्र जारी करने के लिए हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया सहित तीन फर्मों के खिलाफ नवंबर 2023 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में एक FIR दर्ज की गई थी। 

FIR के कुछ दिन बाद मामला लखनऊ पुलिस से जांच के लिए STF को ट्रांसफर कर दिया गया। हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार सदस्यों की पहचान इसके अध्यक्ष मौलाना हबीब यूसुफ पटेल, उपाध्यक्ष मौलाना मोइदशीर सपड़िया, महासचिव मोहम्मद ताहिर जाकिर हुसैन चौहान और कोषाध्यक्ष मोहम्मद अनवर के रूप में की गई है। जांच टीम ने उनके कब्जे से आधार कार्ड, डेबिट कार्ड, पैन कार्ड, फोन और नकदी सहित दस्तावेज बरामद किए। लखनऊ स्थित उनके कार्यालय में पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने एक बयान में बताया है कि आरोपियों ने पूछताछ के दौरान कहा कि उन्होंने राज्य में कई कंपनियों को "हलाल प्रमाणपत्र" प्रदान किया था। कंपनी पर मांस और गैर-मांस उत्पादों के लिए अवैध हलाल प्रमाणपत्र जारी करने का आरोप लगाया गया है। 

पुलिस ने बताया कि हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया,, नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज या किसी अन्य सरकारी एजेंसी द्वारा अधिकृत नहीं है। पुलिस ने कहा कि, “गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों ने पूछताछ के दौरान अपने कार्यों को कबूल कर लिया है। प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई प्रयोगशाला परीक्षण नहीं किया गया। भोजन तैयार करने की प्रक्रिया पर कोई नियंत्रण न होने के बावजूद रेस्तरां के लिए प्रमाणपत्र जारी किए गए। आय और व्यय के संबंध में वित्तीय रिकॉर्ड अस्पष्ट थे।”

कंपनी अपने "ग्राहकों" से प्रमाणन के लिए 10,000 रुपये और प्रति उत्पाद 1,000 रुपये का वार्षिक शुल्क ले रही थी। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रमाणन उत्पादन प्रक्रिया के किसी परीक्षण या सत्यापन के बिना जारी किया गया था।

उत्तर प्रदेश में हलाल बैन

नवंबर 2023 में, योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में हलाल-प्रमाणित खाद्य उत्पादों पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया, जिससे निर्यात के लिए छोड़कर सभी हलाल-प्रमाणित खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और बिक्री को अपराध घोषित कर दिया गया। प्रतिबंध के बाद, हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई), जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट (दिल्ली), जमीयत उलेमा (मुंबई) और हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया (मुंबई) समेत कई कंपनियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120-बी, 153-ए, 298, 384, 420, 467, 468, 471 और 505 के तहत FIR लखनऊ के एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी, जिसमें शिकायतकर्ता ने कुछ कहा था कंपनियां फर्जी हलाल सर्टिफिकेट जारी कर रही थीं। शिकायत में कहा गया है, "ये कंपनियां एक विशिष्ट समुदाय को लक्ष्य करके ये प्रमाणपत्र तैयार कर रही हैं और इन प्रमाणपत्रों के बिना उत्पादों की बिक्री कम करने का आपराधिक कृत्य किया जा रहा है।"

शिकायतकर्ता ने बताया कि गैर-मांस उत्पादों के लिए ऐसे प्रमाणपत्र जारी करने से अन्य धार्मिक समुदायों की व्यावसायिक संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से, तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद, आटा और अन्य उत्पादों को "हलाल प्रमाणित" किया जा रहा था।

SC ने हलाल प्रमाणन फर्मों को दी थी राहत

12 फरवरी को, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि हलाल इंडिया लिमिटेड और जमीयत उलमा सहित हलाल प्रमाणन फर्मों के खिलाफ FIR पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकती है। जमीयत उलमा ए-हिंद ट्रस्ट को 25 जनवरी को शीर्ष अदालत से पहले ही सुरक्षा मिल चुकी है। उन्होंने सुरक्षा के लिए सत्र न्यायालय लखनऊ में अपील दायर की थी, लेकिन वे इसे सुरक्षित करने में विफल रहे। गौरतलब है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य महमूद मदनी जमीयत उलमा ए-हिंद के अध्यक्ष हैं।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि, ''हम वही आदेश पारित करेंगे, जो हमने दूसरी याचिका में जारी किया था। 17 नवंबर, 2023 को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन द्वारा दर्ज एक आपराधिक मामले के संबंध में याचिकाकर्ता और पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।' मुस्लिम संगठनों का दावा है कि यूपी में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध का असर पूरे देश में होगा। 

उन्होंने अदालत को बताया था कि, “अधिसूचना के व्यापक प्रभाव और हलाल-प्रमाणित उत्पादों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और वितरण पर प्रतिबंध ने पूरे भारत में लोगों में भय पैदा कर दिया है। अधिसूचना और FIR का राष्ट्रव्यापी असर हुआ है, जिसने विशेष रूप से इस्लामी समुदाय को प्रभावित किया है और यह आशंका पैदा की है कि यूपी द्वारा शुरू की गई प्रथा को अन्य राज्यों द्वारा दोहराया जा सकता है, जिससे व्यापक भय बढ़ गया है।

सोनिया गांधी को राज्यसभा भेजने की तैयारी में कांग्रेस, नहीं लड़ेंगी लोकसभा का चुनाव, जानें किसके हिस्से जा रही रायबरेली सीट

#sonia_gandhi_rajyasabha_election_priyanka_gandhi_raibareli_seat 

सोनिया गांधी के इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना नहीं है। कांग्रेस सोनिया गांधी को राज्यसभा भेजने की तैयारी में है। सोनिया गांधी फिलहाल रायबरेली से सांसद हैं। ये सीट कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट मानी जाती है। चंद महीनों में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस की ये सीट किसके हिस्से में जा रही है?

कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के घटक दलों के साथ सीट बंटवारे और राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी के संभावित उम्मीदवारों के नामों पर सोमवार को चर्चा की। सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन के नाम संभावित उम्मीदवारों में सबसे प्रमुख हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी को राजस्थान या हिमाचल प्रदेश से उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना है। संख्या बल के हिसाब से दोनों प्रदेशों से कांग्रेस को राज्यसभा की एक-एक सीट मिलेगी।अभी ये तय नहीं है कि सोनिया गांधी हिमाचल से राज्यसभा जाएंगी या फिर राजस्थान से। दोनों जगहों के स्थानीय नेता चाहते हैं कि सोनिया गांधी उनके यहां से सदन जाएं मगर इस सिलसिले में आखिरी फैसला राहुल गांधी से चर्चा, सलाह के बाद लिया जाएगा।

बता दें कि सोनिया गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में कहा था कि यह आखिरी बार है, जब वह आम चुनाव लड़ रही हैं। यदि सोनिया गांधी को राज्यसभा चुनाव के लिये उम्मीदवार बनाया जाता है, तो उनके संसदीय जीवन में पहली बार होगा कि वह उच्च सदन में जाएंगी। सोनिया गांधी 1999 से लोकसभा सदस्य रही हैं।

सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने की स्थिति में बड़ा सावल ये उठता है कि कांग्रेस की परंपरागत सीट रायबरेली से कौन लोकसभा के लिए खड़ा होगा। कहा जा रहा है कि रायबरेली सीट से कांग्रेस पार्टी प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ा सकती है।यहां से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी 2004 से चुनाव लड़ती आ रही हैं। रायबरेली की सीट कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है। 1952 के पहले लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस यहां सिर्फ तीन बार हारी है। वहीं, प्रियंका गांधी ने आज तक कभी चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में प्रियंका गांधी को लोकसभा भेजने के लिए ये सीट सुरक्षित मानी जा रही है।

खतरे की जद में उत्तराखंड की 13 ग्लेशियर झीलें, वैज्ञानिकों ने चेताया, सरकार ने निगरानी बढ़ाई, रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी

उत्तराखंड की 13 ग्लेशियर झीलें खतरे की जद में हैं। सरकार ने इनकी निगरानी तेज कर दी है। वैज्ञानिक संस्थानों ने चेताया है कि इन झीलों का फैलाव तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य में केदारनाथ आपदा जैसे बड़े नुकसान का सबब बन सकता है। इनकी निगरानी के लिए सरकार ने एक विशेषज्ञ टीम का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट केंद्र को भेजकर जोखिम से बचाव का मार्गदर्शन लिया जाएगा।

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के साथ इन 13 ग्लेशियर झीलों की समीक्षा की। वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर की निगरानी की जा रही है। गंगोत्री ग्लेशियर के साथ बहुत सी झीलें हैं, जो अत्यधिक जोखिम में आ रही हैं। इसी प्रकार, बसुधारा ताल में भी जोखिम लगातार बढ़ रहा है, जिसकी निगरानी वाडिया कर रहा है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने बताया कि भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा नदियों के निकट ग्लेशियर झीलों की निगरानी की जा रही है। जिसमें पाया गया कि केदारताल, भिलंगना व गौरीगंगा ग्लेशियर का क्षेत्र निरंतर बढ़ता जा रहा है। जो कि आने वाले समय में आपदा के जोखिम के प्रति संवेदनशील है।

ग्लेशियर झीलों के अध्ययन में कार्यरत संस्था सीडैक के विशेषज्ञों ने बताया कि उन्होंने सिक्किम के तीन प्रभावित ग्लेशियर झीलों का अध्ययन करने के लिए खुद का अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाया है। झीलों की गहराई नापने के लिए बेथिमेट्री सर्वे किया गया, जिससे प्राप्त आंकड़ों से झीलों में हो रहे परिवर्तन पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है।

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने निर्णय लिया कि ग्लेशियरों की निगरानी के लिए एक बहुक्षेत्रीय विशेषज्ञ टीम गठित की जाएगी। जिसमें उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नोडल विभाग के रूप में काम करेगा। यह ग्लेशियर झीलों का अध्ययन करेगी और इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जाएगी। केंद्र से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाएगा कि ग्लेशियर झीलों से पैदा होने वाली आपदाओं का प्रभावी नियंत्रण कैसे हो।

पीएम मोदी ने एक लाख युवाओं को दिए नियुक्ति पत्र, बोले- हमने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया, रिश्वतखोरी रोकी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रोजगार मेले के तहत नवनियुक्त भर्तियों को एक लाख से अधिक नियुक्ति पत्र वितरित किए। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नई दिल्ली में एकीकृत परिसर 'कर्मयोगी भवन' के पहले चरण की आधारशिला भी रखी। यह परिसर मिशन कर्मयोगी के विभिन्न स्तंभों के बीच सहयोग और तालमेल को बढ़ावा देगा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने युवाओं और उनके परिवारों को बधाई दी। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि, "आज 1 लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरियों के लिए नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। आपने कड़ी मेहनत से यह सफलता हासिल की है। मैं आप सभी को और आपके परिवारों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।" नौकरी देने में देरी को लेकर पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, ''भारत सरकार में युवाओं को नौकरी देने का अधिकार लगातार तेज गति से आगे बढ़ रहा है. पहले की सरकारों में इसमें काफी समय लग जाता था। नौकरी के विज्ञापन जारी होने से लेकर नियुक्ति पत्र जारी होने तक का समय लगता था। इस देरी का फायदा उठाकर रिश्वतखोरी का खेल भी उस दौरान बड़े पैमाने पर होता था। हमने अब भारत सरकार में भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से पारदर्शी बना दिया है।"

प्रधानमंत्री ने कहा कि, "इतना ही नहीं, सरकार इस बात पर भी जोर दे रही है कि भर्ती प्रक्रिया तय समय के भीतर पूरी की जाए। इससे हर युवा को अपनी योग्यता साबित करने के लिए समान अवसर मिलने लगे हैं।" प्रधानमंत्री ने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की। उन्होंने कहा कि, "हमारी सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया है। हमारी कोशिश है कि भर्ती प्रक्रिया तय समय-सीमा में पूरी हो ताकि सभी को अपनी क्षमता दिखाने का समान अवसर मिले। आज हर युवा के मन में विश्वास है कि वह मेहनत, काम और प्रतिभा के दम पर अपनी जगह बना सकता है। 2014 से, हमने युवाओं को भारत सरकार के साथ जोड़ने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाने का प्रयास किया है।"

राष्ट्रीय राजधानी में बनाए जा रहे नए प्रशिक्षण परिसर पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि यह क्षमता निर्माण पहल को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि, "आज दिल्ली में एक एकीकृत प्रशिक्षण परिसर की आधारशिला भी रखी गई है। मुझे विश्वास है कि नया प्रशिक्षण परिसर हमारी क्षमता निर्माण पहल को और मजबूत करेगा। 2014 से, हमने युवाओं को मुख्यधारा में लाने और उन्हें राष्ट्र निर्माण में योगदान देने में मदद करने की कोशिश की है। हमने अपने से पहले की सरकारों की तुलना में 10 वर्षों में 1.5 गुना अधिक रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। आज, दिल्ली में एक एकीकृत प्रशिक्षण परिसर का भी उद्घाटन किया गया है। पीएम मोदी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि इससे क्षमता निर्माण का हमारा संकल्प मजबूत होगा।"

उन्होंने कहा कि, इस पहल का समर्थन करने वाले केंद्र सरकार के विभागों और राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों में भर्तियां हो रही हैं। नई भर्तियां विभिन्न मंत्रालयों/विभागों में सरकार में शामिल होंगी। जिसमे राजस्व विभाग, गृह मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, रक्षा मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, जनजातीय मामलों के मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय शामिल होंगे।रोजगार मेला देश में रोजगार सृजन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में एक कदम है।

छह महीने का राशन, पर्याप्त डीजल, पत्थर तोड़ने के औजार और भी बहुत कुछ..! लंबा बैठने की तैयारी से दिल्ली आ रहे किसान

दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हजारों किसानों का कहना है कि वे लंबी यात्रा के लिए तैयार हैं, उनके पास महीनों तक चलने वाला पर्याप्त राशन और डीजल है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाएं सील कर दी गई हैं। किसान अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सहित कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं - यह उनके 2020 के विरोध प्रदर्शन का अगला कदम है, जिसमें उन्होंने 13 महीने तक बॉर्डर्स पर डेरा डाला था।

किसानों का कहना है कि अब उनका प्रदर्शन तब तक नहीं रुकेगा, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। एक किसान नेता हरभजन सिंह ने कहा कि, 'सुई से लेकर हथौड़े तक, हमारी ट्रॉलियों में वह सब कुछ है जो हमें चाहिए, जिसमें पत्थर तोड़ने के उपकरण भी शामिल हैं। हम अपने साथ छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से निकले। हमारे पास पर्याप्त डीजल है, यहां तक कि हरियाणा के अपने भाइयों के लिए भी।" किसान आरोप लगा रहे हैं कि ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों का उपयोग करके उनके मार्च को विफल करने के लिए उन्हें डीजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।

हरभजन सिंह ने कहा कि वह 2020 के किसानों के विरोध का हिस्सा थे, ने कहा कि वे इस बार तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने कहा, "पिछली बार हम 13 महीने तक नहीं रुके। हमसे वादा किया गया था कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया। इस बार, हम अपनी सभी मांगें पूरी होने के बाद ही यहां से हटेंगे।" चंडीगढ़ में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ देर रात की बातचीत विफल होने के बाद किसानों ने आज सुबह फतेहगढ़ साहिब से अपना मार्च शुरू किया।

'दिल्ली चलो' मार्च को रोकने के आखिरी प्रयास में दो केंद्रीय मंत्रियों ने किसान नेताओं से मुलाकात की, जिससे बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने और किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने पर सहमति बनी। हालाँकि, तीन प्रमुख मांगों पर कोई सहमति नहीं बन पाई, जिनमें सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाना, किसान ऋण माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना शामिल है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन उन्हें कुछ मुद्दों पर राज्यों से परामर्श करने की जरूरत है।

किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी कर दी गई है, प्रमुख सीमा बिंदुओं - गाज़ीपुर, टिकरी और सिंघू - पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर कंक्रीट के ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं। पुलिस ने पूरे शहर में सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है। कई मार्ग परिवर्तन और पुलिस जांच चौकियों के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों से भारी यातायात जाम की सूचना मिली है।

घर से उठा ले जाते लड़कियां, बलात्कार आम बात, पुलिस नहीं सुनती, मीडिया भी नहीं दिखाता..! संदेशखाली की भयावह हकीकत, महिलाएं भोग रही नरक

 बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का काफिला तनावग्रस्त संदेशखाली में लोगों से मिलने जा रहा था, तभी तृणमूल कांग्रेस (TMC) समर्थकों ने बीच रास्ते में रोक दिया। समर्थकों ने केंद्र सरकार द्वारा धन जारी नहीं करने के मामले का विरोध किया, जो कि तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेतृत्व वाली बंगाल सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से गतिरोध का मुद्दा रहा है।

सामने आए दृश्यों में TMC के कार्यकर्ता गवर्नर के काफिले के चारों ओर इकट्ठा हो गए और काफी हंगामे के बीच बंगाल के राज्यपाल के काफिले में वाहनों के करीब खड़े होकर पोस्टर दिखा रहे थे। बंगाल पुलिस ने मीडिया को भी संदेशखाली जाने से रोक दिया। सीवी बोस ने बाद में कहा कि वह स्थानीय लोगों से बात करेंगे। गवर्नर बोस ने संडेस्खली की यात्रा के लिए रविवार को अपनी केरल यात्रा बीच में ही छोड़ दी थी। बंगाल भाजपा विधायक भी आज उस गांव का दौरा करने वाले हैं, जहां बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाने वाली धारा 144 लागू कर दी गई है। स्थानीय महिलाओं द्वारा हाल ही में तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां और उनके सहयोगियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया।

संदेशखाली में क्या हो रहा ?

बता दें कि, संदेशखाली इलाके में सैकड़ों कि तादाद में महिलाएं, फरार TMC नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं हैं। उनका कहना है कि शाहजहां शेख और उसके गुंडे उनका यौन शोषण करते हैं, घरों से महिलाओं को उठा ले जाते हैं और मन भरने पर छोड़ जाते हैं। महिलाओं का कहना है कि, यहाँ रेप और गैंगरेप आम बात है। TMC के गुंडे अपनी महिला कार्यकर्ताओं को भी नहीं छोड़ते, उन्हें अकेले मीटिंग में बुलाते हैं, धमकी देते हैं कि नहीं आई तो तुम्हारे पति को मार डालेंगे। प्रदर्शन कर रहीं महिलाओं का कहना है कि, उन्हें (TMC के गुंडों को) जो भी महिला पसंद आ गई, उसे वो घर से उठा ले जाते हैं और रात भर भोगकर, सुबह घर भेज देते हैं। पश्चिम बंगाल की पुलिस TMC के गुंडों की ढाल बन जाती और पीड़ितों को ही दबाती है। 

 

अब शाहजहां शेख के फरार होने के बाद ये महिलाएं आवाज़ उठाने लगी हैं तो बंगाल पुलिस ने इलाके में धारा 144 लगा दी है। मीडिया को वहां जाने नहीं दिया जा रहा है। यहाँ तक कि, गवर्नर जब उन पीड़ित महिलाओं से मिलने जा रहे थे, तो TMC वर्कर्स ने केंद्र सरकार के विरोध के नाम पर उनका काफिला भी रोक दिया।  

 

इस बीच वाम दलों ने आज संदेशखाली में बंद का आह्वान किया है, हालाँकि उन्होंने अपने नेता की गिरफ़्तारी के विरोध में ये बंद बुलाया है। सीवी आनंद बोस सोमवार (12 फ़रवरी) की सुबह कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे और संदेशखाली के रास्ते में अपनी यात्रा शुरू की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि, "मैं केरल में था। जब मैंने संदेशखाली की चौंकाने वाली कहानी सुनी, तो मैंने वहां के स्थानीय लोगों के वास्तविक संदेशों को जानने के लिए केरल का अपना कार्यक्रम छोटा कर दिया।"

अन्नदाताओं को जेल में डालना गलत, उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण..', किसानों के समर्थन में उतरे दिल्ली के सीएम केजरीवाल

आम आदमी पार्टी (AAP) ने आज मंगलवार को किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च का समर्थन किया और कहा कि 'अन्नदाता' को जेल में डालना गलत है। यह बयान तब आया जब AAP ने कहा कि उसने दिल्ली के बवाना स्टेडियम को जेल में बदलने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। 

दरअसल, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को AAP सरकार को 13 फरवरी को किसानों के मार्च के दौरान हिरासत में लिए गए प्रदर्शनकारियों के लिए बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल के रूप में बदलने के लिए लिखा था। इस अनुरोध पर, AAP ने कहा कि किसानों की मांगें वैध और शांतिपूर्ण थीं। संविधान में प्रदर्शन हर नागरिक का अधिकार है। केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी AAP ने कहा, किसान इस देश के अन्नदाता हैं और 'अन्नदाता' को जेल में डालना गलत है।

इस बीच, मंगलवार को किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए बॉर्डर पर मल्टी-लेयर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलों और कंटेनरों की दीवारों के साथ दिल्ली में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। किसान नेताओं और केंद्र के बीच बातचीत बेनतीजा रहने के बाद यह बात सामने आई है। तीन बॉर्डर - सिंघू, टिकरी और गाज़ीपुर - पर दंगा-रोधी गियर में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को भारी संख्या में तैनात किया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि मार्च के मद्देनजर "विशिष्ट स्थानों" पर अस्थायी जेलें भी स्थापित की गईं।