*लोकनृत्य व गायन के समागम में श्रद्धालुओं ने लगाया गोता*
प्रयागराज। संगम तट पर भक्ति के साथ लोककला की बयार बह रही है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के माघ मेला स्थित सांस्कृतिक केंद्र शिविर में एक भारत श्रेष्ठ भारत के अंतर्गत चलो मन गंगा यमुना तीर के मंच पर मंगलवार को विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विभिन्न रूपों को लोकगीत व लोकनृत्य के माध्यम से प्रस्तुत कर दर्शकों से खूब प्रशंसा बटोरी। कार्यक्रम के दूसरे दिन कलाकारों ने अनेक शानदार प्रस्तुतियां दी।
कार्यक्रम की शुरूआत प्रयागराज के भोला सिंह व दुखीराम यादव के बिरहा गायन से होती है। ‘गंगा के निर्मल पानी नहाई चले तीनों भवानी’, ‘अबला बनी बेचारी माटी होइग मंगल -जंगल मे शेबरी रोवत चल पणी’ व ‘झुकावे प्रयागराज के माथ अति संन्यासी लहरी’ की प्रस्तुति देकर पूरे पंडाल को भक्तिमय कर दिया। ‘हम गरीबन के तुहि सहारा गंगा माई’,’अब हमरी ओरहिहा निहारा गंगा माई तथा ले ले आइहा बालम बज़रिया से चुनरिया’ जैसे लोकगीत को प्रतिमा मिश्रा ने स्वरलहरी बहाकर खूब तालियां बटोरी। इसके बाद भोजपुरी गायिका कुसुम पाण्डेय ने ‘कब घरे ईब हो सांवरिया, रही रही धड़के छतिया मोरी और छोटी से बड़ी हम हाईवे , ‘अखियां भीजे तो भीजे हो की सुरीली प्रस्तुति दी तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा।
संगीता आहूजा एवं साथी कलाकारों ने ‘फुलवरिया में मिले सियाराम, ‘गंगा तोरी चमके लहरिया व ‘ राम राम रटबै में हम सागरी उमरिया कबहू तो आइहै राम हमरी डगरिया’ गीतों पर राम विवाह पर आधारित मनमोहक अवधी लोकनृत्य प्रस्तुत कर खूब वाहवाही पायी। राजस्थान से पधारे सुरम नाथ और साथी कलाकारों ने घूमर व भवई नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। असम का बिहू लोकनृत्य श्रद्धालुओं को खूब रास आया। संदीप यादव एवं दल ने हरियाणा का फाग नृत्य की प्रस्तुति दी। साथी कलाकरों में तबले पर अविनाश, पैड पर वीरेंद्र, हारमोनियम पर संजीव पांडेय ने साथ दिया।
Feb 07 2024, 09:17