प्रणब मुखर्जी की बेटी की कांग्रेस को बड़ी नसीहत, बोलीं-पार्टी की बेहतरी के लिए गांधी परिवार से बाहर देखने की जरूरत
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देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। देश के 28 राज्यों और विधानसभा वाले 2 केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर अब 16 ऐसे राज्य हैं जहां या तो बीजेपी या फिर उसके गठबंधन एनडीए की सरकार है और 12 राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्री। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले 7 राज्य ऐसे थे जहां कांग्रेस की सरकार थी या फिर पार्टी वहां सत्ता में भागीदार थी। लेकिन अब यह संख्या घटकर 6 रह गई है। पार्टी की इस हालात पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस को बड़ी नसीहत दी है।शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी बुरी तरह हारे। दोनों चुनावों में वो पार्टी की चेहरा थे। अगर कोई पार्टी किसी खास नेता के नेतृत्व में लगातार हार रही है तो पार्टी को इस बारे में सोचने की दरकार है।कांग्रेस को सोचना चाहिए कि पार्टी का चेहरा कौन होना चाहिए।
सोमवार को 17वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से इतर पत्रकारों से बातचीत में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कांग्रेस देश में अब भी मुख्य विपक्षी दल है। इसका स्थान निर्विवाद है, लेकिन यह प्रश्न है कि इसे मजबूत कैसे किया जाए? इस पर विचार करना पार्टी नेताओं का काम है। उन्होंने कहा कि पार्टी में लोकतंत्र की बहाली, सदस्यता अभियान, पार्टी के भीतर संगठनात्मक चुनाव और नीतिगत निर्णयों की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को शामिल करने की जरूरत है, जैसा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी अपनी डायरी में लिखा है। इसके अलावा कोई जादू की छड़ी नहीं है।
शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे अपने पिता का जिक्र करते हुए कहा कि आज मेरे पिता होते तो कांग्रेस के मौजूदा हालत से काफी परेशान होते। उन्होंने कांग्रेस की मौजूदा हालातों को लेकर चिंता जताई। पार्टी में जो इस समय हालत है, उसे देखकर मुझे परेशानी होती है।
वहीं, उन्होंने बीजेपी में जाने की अफवाह को खारिज कर दिया। शर्मिष्ठा ने कहा कि मेरा किसी भी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा बनने का कोई इरादा नहीं है। मैं हार्ड कोर कांग्रेसी हूं। मैं कहीं नहीं जा रही। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी को लेकर चिंतित हूं। अब पार्टी नेतृत्व के लिए नेहरू-गांधी परिवार से बाहर देखने की जरूरत है।पूर्व राष्ट्रपति की बेटी ने आगे कहा कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, आप उनकी विचारधारा से सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व गलत है। इसलिए बातचीत होना जरूरी है।
Feb 06 2024, 10:43