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रांची के मोरहाबादी मैदान में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी पूरी


आज किया गया फुल ड्रेस रिहर्सल, खास रहेगा इस बार की झांकी

रांची में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। इस मौके पर फाइनल रिहर्सल किया गया। इस बार परेड में कुल 16 प्लाटून शामिल होंगे। इस बार के परेड में भारतीय सेना और ओडिशा पुलिस के भी एक एक प्लाटून हिस्सा ले रहे हैं। रांची उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा एवं वरीय पुलिस अधीक्षक चंदन सिन्हा की देखरेख में फुल ड्रेस रिहर्सल किया गया। 

रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में गणतंत्र दिवस को लेकर फुल ड्रेस रिहर्सल आज बुधवार को संपन्न हो गया। फुल ड्रेस रिर्हसल के दौरान गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों को रियल टाइम बेसिस पर दुहराया गया। उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने वरीय पुलिस अधीक्षक के साथ परेड का निरीक्षण कर मार्च पास्ट सलामी ली। निरीक्षण के बाद एसएसपी ने परेड में शामिल सभी प्लाटून को आवश्यक निर्देश भी जारी किया, ताकि गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन परेड देखने को मिले।

वही उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने सभी प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों को ससमय प्रतिनियुक्ति स्थल पर पहुंचकर कार्य एवं दायित्व का निर्वहन करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निभायें।

रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में झंडोतोलन जहां राज्यपाल करेंगे। वही इस बार गणतंत्र दिवस के परेड में 16 प्लाटून हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें भारतीय सेना भी शामिल है। गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेने वाले विभिन्न प्लाटून इस तरह से हैंः-

1. सेना 

2. सीआरपीएफ

3. आईटीबीपी 

4. सीआईएसएफ

5. एसएसबी 

6. उड़ीसा़ पुलिस

7. झारखण्ड जगुआर

8. जैप-1

9. जैप-2

10. जैप-10

11. आईआरबी-05

12. रांची जिला पुलिस (पुरुष)

13. रांची जिला पुलिस (महिला)

14. झारखण्ड गृहरक्षा वाहिनी 

15. एनसीसी (ब्वॉयज)

16. एनसीसी (गर्ल्स)

बैण्ड पार्टी निम्न हैंः-

1. सेना बैण्ड

2. जैप-1 बैण्ड

3. जैप-10 बैण्ड 

4. झारखण्ड गृहरक्षा वाहिनी बैण्ड पार्टी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर फर्स्ट इन कमांड के रुप में सेना के मेजर अंकुश चौधरी हैं। सेकेण्ड इन कमांड के रुप में परिक्ष्यमान पुलिस उपाधीक्षक राजीव रंजन रहेंगे हैं।

रांची के मोरहाबादी मैदान में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारी पूरी,आज किया गया फुल ड्रेस रिहर्सल, खास रहेगा इस बार की झांकी

रांची में गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं। इस मौके पर फाइनल रिहर्सल किया गया। इस बार परेड में कुल 16 प्लाटून शामिल होंगे। इस बार के परेड में भारतीय सेना और ओडिशा पुलिस के भी एक एक प्लाटून हिस्सा ले रहे हैं। रांची उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा एवं वरीय पुलिस अधीक्षक चंदन सिन्हा की देखरेख में फुल ड्रेस रिहर्सल किया गया। 

रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में गणतंत्र दिवस को लेकर फुल ड्रेस रिहर्सल आज बुधवार को संपन्न हो गया। फुल ड्रेस रिर्हसल के दौरान गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों को रियल टाइम बेसिस पर दुहराया गया। उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने वरीय पुलिस अधीक्षक के साथ परेड का निरीक्षण कर मार्च पास्ट सलामी ली। निरीक्षण के बाद एसएसपी ने परेड में शामिल सभी प्लाटून को आवश्यक निर्देश भी जारी किया, ताकि गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक बेहतरीन परेड देखने को मिले।

वही उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने सभी प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों को ससमय प्रतिनियुक्ति स्थल पर पहुंचकर कार्य एवं दायित्व का निर्वहन करने हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारी निष्ठापूर्वक निभायें।

रांची के मोरहाबादी मैदान में होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह में झंडोतोलन जहां राज्यपाल करेंगे। वही इस बार गणतंत्र दिवस के परेड में 16 प्लाटून हिस्सा ले रहे हैं। जिसमें भारतीय सेना भी शामिल है। गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लेने वाले विभिन्न प्लाटून इस तरह से हैंः-

1. सेना 

2. सीआरपीएफ

3. आईटीबीपी 

4. सीआईएसएफ

5. एसएसबी 

6. उड़ीसा़ पुलिस

7. झारखण्ड जगुआर

8. जैप-1

9. जैप-2

10. जैप-10

11. आईआरबी-05

12. रांची जिला पुलिस (पुरुष)

13. रांची जिला पुलिस (महिला)

14. झारखण्ड गृहरक्षा वाहिनी 

15. एनसीसी (ब्वॉयज)

16. एनसीसी (गर्ल्स)

बैण्ड पार्टी निम्न हैंः-

1. सेना बैण्ड

2. जैप-1 बैण्ड

3. जैप-10 बैण्ड 

4. झारखण्ड गृहरक्षा वाहिनी बैण्ड पार्टी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर फर्स्ट इन कमांड के रुप में सेना के मेजर अंकुश चौधरी हैं। सेकेण्ड इन कमांड के रुप में परिक्ष्यमान पुलिस उपाधीक्षक राजीव रंजन रहेंगे हैं।

भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने फिर चली उल्टी चाल, चीन के जासूसी जहाज को घुसने की दी इजाजत


 भारत से राजनयिक विवाद के बीच मालदीव ने एक बार फिर उल्टी चाल चली है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना मित्र बताने वाले मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के खिलाफ नई साजिश रची है। उन्होंने चीन के जासूसी जहाज को अपने क्षेत्र में घुसने की इजाजत दे दी। भारत से तनावपूर्ण संबंधों के बीच मालदीव ने चीनी जहाज के माले आने की पुष्टि करते हुए कहा कि मित्र राष्ट्रों के जहाजों का स्वागत है। चीनी जहाज के कुछ हफ्तों में मालदीव पहुंचने की संभावना है। इसने भारत की चिंता बढ़ा दी है भारत की चिंता इसलिए भी गंभीर है क्योंकि पिछले साल चीन ने अपने जासूसी जहाज को श्रीलंकाई धरती पर उतारा था, तब भी काफी बवाल हुआ था।

मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद से मोहम्मद मुइज़ू के उठाए कदम भारत के खिलाफ ही रहे हैं। मालदीव का सर्वेसर्वा बनने से पहले उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय सेना की आलोचना की थी और जीतने पर भारतीय सेना को देश से बाहर करने का वादा भी किया था। राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने किया भी ऐसा ही। मुइज्जू सरकार ने भारत को सेना के वापस चले जाने के लिए 15 फरवरी तक का वक्त दिया है। इतना ही नहीं मालदीव की परंपरा को तोड़ते हुए मालदीव के राष्ट्रपति भारत न जाकर चीन दौरे पर गए। इसी महीने मुइज्जू ने शी जिनपिंग से मुलाकात की थी, यह उनकी पहली राजकीय यात्रा भी थी। 

एक स्वतंत्र खुफिया शोधकर्ता और ओपन सोर्स डेटा के अनुसार, एक चीनी जासूसी जहाज के जल्द ही मालदीव पहुंचने की संभावना है। बता दें कि चीनी जासूसी जहाज पिछले साल श्रीलंकाई धरती पर उतरा था, जिसके बाद चीनी जहाज पर भारत की जासूसी करने के आरोप भी लगे थे। चीन ने इस बार मालदीव के सहारे भारत पर निशाना साधने की कोशिश की है।

चीन के पास रिसर्च और जासूसी क्षेत्रों में जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है, जिसके बारे में विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह वैज्ञानिक और सैन्य दोनों उद्देश्यों की पूर्ति करने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार, चीनी पोत जियांग यांग होंग 03 "हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है और माले की ओर कदम बढ़ा चुका है। उधर, मालदीव ने भी पुष्टि कर दी है कि चीनी जहाज को उसने अपने क्षेत्र में आने की इजाजत दे दी है। मालदीव ने आधिकारिक बयान में कहा कि मित्र राष्ट्र चीन का उसके क्षेत्र में स्वागत है। उधर, हिन्द महासागर में चीन की उपस्थिति ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।

चीनी जहाज कब निकला और कब पहुंचेगा मालदीव

शिपस्पॉटिंग पोर्टल Marinetraffic.com के आंकड़ों के अनुसार , जियांग यांग होंग 03 पोत 16 जनवरी को चीनी बंदरगाह से माले के लिए रवाना हुआ था। वर्तमान में जावा सागर में मंडराते हुए जहाज के 8 फरवरी के आसपास मालदीव पहुंचने की उम्मीद है, हालांकि उम्मीद यह भी है कि जहाज 30 जनवरी तक भी पहुंच सकता है। 

हालांकि इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है कि भारत ने चीन के जासूसी जहाज की यात्रा पर मालदीव के साथ आपत्ति व्यक्त की है या नहीं, लेकिन नई दिल्ली सरकार ने पहले भी ठोस कदम उठाए थे, जब चीनी जहाज ने पड़ोसी देश श्रीलंका का दौरा किया था। रक्षा सूत्रों का कहना है कि भारतीय नौसेना जहाज की गतिविधि पर नजर रख रही है।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री के कार्यक्रम की अनुमति नही मिलने को लेकर दायर संशोधित याचिका की सुनवाई आज

रांची: पलामू में बाबा बागेश्वर धाम पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रस्तावित कार्यक्रम को लेकर प्रार्थी की ओर से झारखंड हाइकोर्ट में संशोधित याचिका दायर कर दी गयी है. यह मामला हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में 24 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. 

उल्लेखनीय है कि प्रार्थी हनुमंत कथा आयोजन समिति की ओर से संयोजक मेदिनीनगर के पूर्व मेयर अरुणा शंकर, सचिव दीनानाथ प्रसाद ने संशोधित याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि पलामू के उपायुक्त द्वारा आयोजन की अनुमति नहीं दी जा रही है. 

अनुमति के लिए उन्हें विस्तृत प्लान दिया गया था, लेकिन उन्होंने 10 जनवरी को कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका जाहिर करते हुए अनुमति नहीं देने से संबंधी आदेश जारी कर दिया, जो सही नहीं है. कार्यक्रम के आयोजन को अनुमति दी जानी चाहिए. 

प्रार्थी ने कार्यक्रम के दौरान विधि-व्यवस्था, फायर सेफ्टी, ट्रैफिक, मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भी निर्देश देने का आग्रह किया है. पलामू के चैनपुर प्रखंड के ओरनार गांव में 10 फरवरी से लेकर 15 फरवरी तक बाबा बागेश्वर का कार्यक्रम प्रस्तावित है.

रांची के लोकसभा सांसद संजय सेठ को दादा साहेब फाल्के आइकॉन गोल्ड अवार्ड से आज नई दिल्ली में किया जाएगा सम्मानित


रांची :रांची के लोकसभा सांसद संजय सेठ को दादासाहेब फाल्के आइकन गोल्ड अवार्ड के लिए चयन किया गया उन्हें सर्वश्रेष्ठ आइकन संसद के लिए लिए चयनित किया गया सांसद सेठ को यह अवार्ड आज को नई दिल्ली में दिया जाएगा। दादासाहब फाल्के संस्थान के द्वारा संसद को बेस्ट आइकॉन एमपी झारखंड के रूप में चुना गया है। 

सांसद का यह चुनाव क्षेत्र में आम जनता के बीच सक्रियता, लोकसभा में उपस्थित, सत्र में सवाल जवाब, क्षेत्र में विकास कार्यों , सोशल मीडिया पर सक्रियता सहित सामाजिक क्षेत्र में किए जाने वाले किए गए कार्यों को लेकर हुआ है।

उक्त संस्था ने एक सर्वे के बाद सांसद को इस अवार्ड के लिए नामित किया है। विगत वर्षों में सांसद ने लोकसभा में अपनी सत्र प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई है। सवालों के मामले में भी सांसद सक्रिय रहे हैं। क्षेत्र के मुद्दे को उन्होंने मुखरता से लोकसभा में रखा है। 3 वर्षों से बुक बैंक के माध्यम से लाखों पुस्तकों का वितरण किया गया। टॉय बैंक के माध्यम से हजारों खिलौने का वितरण किया गया।

इसके अतिरिक्त सेठ ने सांसद खेल महोत्सव, सांसद सांस्कृतिक महोत्सव, परीक्षा पर चर्चा को लेकर ड्राइविंग कंपटीशन जैसे कई ऐसे कार्य किए हैं, जिनकी चर्चा राष्ट्रीय पटल पर हुई है। सोशल मीडिया पर भी सांसद की सक्रियता बहुत अच्छी रहती है। उनके इन्हीं कार्यों को लेकर दादासाहब फाल्के संस्थान ने उन्हें गोल्ड अवार्ड के लिए चुना है। अपने चुनाव पर सांसद संजय सेठ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित तमाम वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में मैं कार्य कर रहा हूं। उसी का परिणाम आज इस रूप में सामने आया है।

सांसद ने कहा की क्षेत्र के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की अनथक मेहनत, उनके सुझाव, आम जनता का आशीर्वाद और विश्वास के परिणाम स्वरूप आज वह राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में है और उन्हें यह सम्मान मिल रहा है। सांसद ने कहा कि यह पुरस्कार क्षेत्र की जनता को समर्पित है क्योंकि क्षेत्र की जनता के स्नेह प्यार और विश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा है। 

यह सम्मान उन्हें आज नई दिल्ली में दिया जाएगा। इस सम्मान के लिए संसद ने दादा साहबफाल्के संस्थान के प्रति भी कृतज्ञता प्रकट की है।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर दी श्रद्धांजलि

राँची: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती, आज पूरा देश "पराक्रम दिवस" के रूप में मना रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राजधानी रांची के नेताजी सुभाष चंद्र बोस उद्यान स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की निर्णायक भूमिका रही थी। आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को हम कभी भूल नहीं सकते। उन्होंने आम जनमानस के गौरव को स्थापित किया। हमें इस बात का गर्व है कि हम एक ऐसे लोकतांत्रिक देश में रहते हैं जहां अनेक वीरों तथा वीरांगनाओं ने जन्म लिया। इनके नाम इतिहास के सुनहले पन्नों पर दर्ज हैं। हम अपने इन अमर वीर शहीदों के सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं ।

कटलरी डिजाइन प्रतियोगिता" में शीर्ष 7 संस्थानों में आईएचएम रांची ने बनायी अपनी जगह


राँची: इंस्टिट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) राँची ने पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एनसीएचएमसीटी, नॉएडा के समन्वय से 15 जनवरी को इंडियन कलिनरी इंस्टिट्यूट, नोएडा में आयोजीत "एड़ीबल कटलरी डिजाइन प्रतियोगिता" में देशभर के सभी होटल प्रबंधन संस्थानों में शीर्ष 7 में अपनी जगह बनाकर एक नया कृतिमान स्थापित किया है। 

इसकी जानकारी देते हुए आईएचएम के प्राचार्य भूपेश कुमार ने बताया कि इस प्रतियोगिता में पूरे देशभर के कुल 23 होटल प्रबंधन संस्थानों ने भाग लिया, जिसमें आईएचएम राँची के प्राचार्य डॉ.भूपेश कुमार के नेतृत्व् एवं डॉ लाडली रानी, बायो टेक्नोलॉजी विभाग, रांची विश्वविद्यालय और प्रवीण रमन, सम्पादक, हैलो लाइफ पत्रिका के मार्ग दर्शन में शेफ टॉम थॉमस, व्याख्याता तथा तृतीय वर्ष के छात्र सारांश सोनी, अलंकृत सहाय ने मडुआ से बने खाद्य कटलरी/क्रोकरी जैसे चमच, कटोरी, प्लेट एवम ग्लास इत्यादी प्रस्तुत की।

प्रतियोगिता के निर्णायक मंडली में भारत के शेफ मंजीत गिल, शेफ निशांत चौबे और पर्यटन मंत्रालय,भारत सरकार के 3 अधिकारीयों ने मूल्यांकन किया। शीर्ष 7 संस्थानों में आईएचएम राँची, आईएचएम मुंबई, आईएचएम रायपुर, आईएचएम गुरदासपुर, एआईएचएम चंडीगढ़, एसआईएचएम इंदौर, एवं आईएचएम लखनऊ शामिल रहें। डिजाइन कटलरी प्रतियोगिता में टॉप 3 विजेताओं के लिए अंतिम निर्णय दिल्ली में, फरवरी माह के पहले हफ्ते में होगा। 

 आईएचएम राँची के प्राचार्य डॉ. कुमार ने इस कृतिमान हेतु संस्थान की पूरी टीम के साथ छात्रों की कड़ी मेहनत की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। उन्होंने कहा कि संस्थान अपने स्थापना के पश्चात एक के बाद एक नया मुकाम हासिल कर रहा इसे संस्थान के साथ साथ पर्यटन विभाग झारखंड सरकार के लिए बहुत गर्व की बात है।

दिल की सेहत का रखना चाहते है ख्याल तो अपने डायट में शामिल करे ये चार चीजे

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आज कल के बेतरतीब जीवनशैली में हार्ट की बीमारी आम हो गई है। इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगो को बस काम की चिंता होती है, काम के प्रेशर के कारण लोग अपनी सेहत को नजर अंदाज कर देते है। अपने खान पान का ठीक से ख्याल नहीं रखते। जिस कारण कम आयु के युवा वर्ग को भी हार्ट अटैक,हार्ट फेल का खतरा बढ़ गया हैं।

दिल को हेल्दी रखने के लिए वर्कआउट के साथ-साथ सही डाइट का भी अहम रोल होता है. हेल्दी डाइट शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ रोगों से लड़ने की क्षमता देता है।

रिसर्च के मुताबिक जो लोग हेल्दी डाइट फॉलो करते हैं, उनमें दिल की बीमारियों का खतरा 31 फीसदी तक कम होता है.आइए जानते है,दिल की सेहत को स्वस्थ रखने के लिए कौन-कौन से फूड खाने चाहिए।

अखरोट

अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है. ये हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करता है. रोजाना अखरोट खाने से धमनियों की सूजन को कम किया जा सकता है. अखरोट के हेल्दी फैट्स से दिल भी स्वस्थ रहता है.

संतरा

हाई ब्लड प्रेशर भी दिल की बीमारियों का संकेत हो सकता है. हाई बीपी की शिकायत रहने पर संतरा काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसमें विटामिन सी के अलावा पेक्टिन फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इसे नियमित खाने से हाई बीपी की समस्या भी दूर रहती है.

अलसी

अलसी भी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है. अलसी को डाइट में शामिल करने ब्लड का फ्लो ठीक रहता है. बॉडी में फाइबर और फाइटोकेमिकल्स की कमी को पूरा करने वाली अलसी को भून कर और दूसरी रेसिपीज में एड करके खा सकते हैं.

हरे रंग की सब्जियां

हरे रंग की सब्जियों में विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा, इनमें नाइट्रेट भी पाया जाता है. दिल को स्वस्थ रखने के लिए पालक, बीन्स, सरसों का सार और मेथी को डाइट में शामिल करना चाहिए. इन्हें खाने से शरीर में आयरन की कमी भी दूर होती है. हरी सब्जियां खाने से ऑक्सीजन रिच ब्लड आपके हार्ट तक आसानी से पहुंच पाता है।

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर विशेषःआज भी बरकरार है नेताजी की मौत का रहस्य, क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?


क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही शख्स थे? क्या नेताजी ने ही गुमनामी बाबा बनकर अपनी ज़िंदगी के आखिरी वक्त फैजाबाद में गुमनाम ज़िंदगी के तौर पर गुज़ारी थी? ऐसे कई सवाल है जिनपर अभी भी पर्दा पड़ा है, जिनके जवाब आज दशकों बाद भी तलाशे जा रहे हैं।नेताजी की मौत का रहस्य अब भी बरकरार है।

नेताजी को लेकर दावे

क्या नेताजी की मौत 1945 में प्लेन क्रैश में ही हुई थी? इसको लेकर देश विदेश में लगातार खोज चल रही है। कई लोगों का मानना था कि नेताजी जी की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई। नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर रिसर्च करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे।

ना तो मृत्यु का प्रमाण, ना ही कोई तस्वीर

दरअसल गुमनामी बाबा की मौत से पहले उनकी ज़िंदगी एक तरह से गुमनाम सी ही थी। गुमनामी बाबा बेहद रहस्यमयी तरीके से रहा करते थे।आम लोग उनका चेहरा तक नहीं देख पाते थे। थोड़े-थोड़े वक्त पर किराए का घर बदलते रहते थे।यहां तक कि उनके निजी सेवक भी हर कुछ महीने में बदल जाते थे। यहां तक तो तब भी ठीक था,लेकिन शक और सवाल उठने लगे गुमनामी बाबा की मौत के दो दिन बाद।

गुमनामी बाबा आखिरकार 1983 में फैजाबाद में राम भवन के एक आउट-हाउस में बस गए, जहां कथित तौर पर 16 सितंबर, 1985 को उनका निधन हो गया और 18 सितंबर को दो दिन बाद उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।अजीब बात है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि वास्तव में उनका निधन हुआ है। शव यात्रा के दौरान कोई मृत्यु प्रमाण पत्र, शव की तस्वीर या उपस्थित लोगों की कोई तस्वीर नहीं है। कोई श्मशान प्रमाण पत्र भी नहीं है।वास्तव में, गुमनामी बाबा के निधन के बारे में लोगों को पता नहीं था, उनके निधन के 42 दिन बाद लोगों को ये पता चला। उनका जीवन और मृत्यु, दोनों रहस्य में डूबा रहा पर कोई नहीं जानता कि क्यों।

विष्णु सहाय आयोग गुमनामी बाब की पहचान नहीं कर सकी

गुमनामी बाबा के विश्वासियों ने 2010 में अदालत का रुख किया था और उच्च न्यायालय ने उनका पक्ष लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को गुमनामी बाबा की पहचान स्थापित करने का निर्देश दिया गया था। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गुमनामी बाबा की जांच रिपोर्ट के लिए जस्टिस विष्णु सहाय आयोग का गठन 2016 में किया। तीन साल बाद जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने अपनी रिपोर्ट यूपी विधानसभा में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘गुमनामी बाबा’ नेताजी के अनुयायी थे, लेकिन नेताजी नहीं थे। इस रिपोर्ट को यूपी सरकार ने स्वीकार कर लिया है। 

इस रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लिखा है, 'आयोग द्वारा गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान नहीं की जा सकी। गुमनामी बाबा के बारे में आयोग ने कुछ अनुमान लगाए हैं। जैसे गुमनामी बाबा बंगाली थे, गुमनामी बाबा बंगाली, अंग्रेजी और हिंदी भाषा के जानकार थे। गुमनामी बाबा के राम भवन से बंगाली, अंग्रेजी और हिन्दी में अनेक विषयों की पुस्तकें प्राप्त हुई हैं। गुमनामी बाबा के स्वर में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के स्वर जैसा प्राधिकार का भाव था। गुमनामी बाबा नेताजी सुभाषचंद्र बोस के अनुयायी थे। 

गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बात फैली

कहते हैं जब गुमनामी बाबा की मौत के बाद उनके नेताजी होने की बातें फैलने लगीं तो नेताजी की भतीजी ललिता बोस कोलकाता से फैजाबाद आईं। फरवरी 1986 में, नेताजी की भतीजी ललिता बोस गुमनामी बाबा के कमरे में मिली वस्तुओं की पहचान करने के लिए फैजाबाद आई। पहली नजर में, वह अभिभूत हो गईं और यहां तक कि उन्होंने नेताजी के परिवार की कुछ वस्तुओं की पहचान की।

जो सामान गुमनामी बाबा के पास से मिला था।उसमें कोलकाता में हर साल 23 जनवरी को मनाए जाने वाले नेताजी के जन्मोत्सव की तस्वीरें थी।लीला रॉय की मौत पर हुई शोक सभाओं की तस्वीरें थी। नेताजी की तरह के दर्जनों गोल चश्मे थे। 555 सिगरेट और विदेशी शराब थी। सुभाष चंद्र बोस के माता-पिता और परिवार की निजी तस्वीरें भी थी। एक रोलेक्स की जेब घड़ी थी और आज़ाद हिंद फ़ौज की एक यूनिफॉर्म थी।सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच के लिए बने शाहनवाज़ और खोसला आयोग की रिपोर्टें,सैकड़ों टेलीग्राम और पत्र आदि जिन्हें भगवनजी के नाम पर संबोधित किया गया था।

मुखर्जी आयोग भी रहा नाकाम

यही नहीं हाथ से बने हुए उस जगह के नक़्शे भी बरामद हुए थे, जहां नेताजी का विमान क्रैश हुआ था। गुमनामी बाबा की मौत के बाद सामान के साथ कुछ ऐसी बातें भी बाहर आईं जिनको लेकर लोगों को यकीन सा होने लगा था कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे। इसके बाद गुमनामी बाबा के ही नेताजी होने की जांच के लिए कई जगह प्रदर्शन हुए।इस मामले की जांच के लिए मुखर्जी आयोग का गठन किया गया। हालांकि ये साबित नहीं हो पाया कि गुमनामी बाबा ही नेता जी थे।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या में उमड़ा सैलाब, दर्शन के लिए मंदिर के बाहर जुटी श्रद्धालुओं की भारी भीड़


प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद पहली सुबह अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। आज वो पहली सुबह है, जब रामभक्त मंदिर में जाकर अपने आराध्य का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। रामलला की पूजा करने और दर्शन करने के लिए श्री राम मंदिर के मुख्य द्वार पर भक्त सुबह तीन बजे से ही बड़ी संख्या में जुटने शुरू हो गए थे। रामलला आज से आम श्रद्धालुओं को दर्शन दे रहे हैं। सभी भक्तों के लिए नव्य राम मंदिर के द्वार खुल गए हैं।

सोमवार, 22 जनवरी को शुभ मुहूर्त में पूरे विधि विधान से रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होते ही रामभक्तों का बरसों का इंतजार खत्म हो गया और आज से हर आम श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेगा। रामलला के दर्शन सुबह 8 से रात 10 बजे तक होंगे। नए मंदिर में सुबह 3:30 से 4:00 बजे पुजारी मंत्र से रामलला को जगाएंगे, फिर मंगला आरती होगी। 5:30 बजे शृंगार आरती व 6 बजे से दर्शन शुरू होंगे। दोपहर में मध्याह्न भोग आरती होगी। फिर उत्थापन, संध्या आरती व भगवान को सुलाते वक्त शयन आरती होगी। पहला मौका होगा जब रामलला की भोग-सेवा सभी मानक पद्धतियों से होगी। 40 दिन तक रोज रामलला का शेष अभिषेक होगा। 60 दिन तक कलाकार स्वरांजलि देंगे।

बता दें कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा में 7000 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। राम मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का प्रतीक है। मंदिर में भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति स्थापित की गई है, जिसे मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज में तैयार किया है। मूर्ति में भगवान विष्णु के सभी दस अवतारों, भगवान हनुमान जैसे हिंदू देवताओं और अन्य प्रमुख हिंदू धार्मिक प्रतीकों की नक्काशी भी शामिल है।