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रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने तोड़ा 11 दिन का उपवास,

#pm_modi_broke_his_11_day_fast

अयोध्या राम मंदिर का उदघाटन हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी समेत संत समाज की उपस्थिति में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक अनुष्ठान संपन्न हो चुका है। इस दौरान गर्भ गृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में यह अनुष्ठान पुरा हुआ है। जैसे ही अनुष्ठान पूरा हुआ पीएम मोदी ने अपना उपवास तोड़ा। महंत गोविन्द देव गिरि ने उनका उपवास तोड़ा है।

आपको बता दें कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पीएम मोदी यम नियमों का पालन कर रहे थे। जिसके तहत वो 11 दिनों के विशेष अनुष्ठान पर थे। अपने विशेष अनुष्ठान के तहत पीएम मोदी यम-नियम का कठोरता से पालन कर रहे थे। पीएम प्राण प्रतिष्ठा के यजमान के अति आवश्यक नियमों का विशेष ध्यान रख रहे थे। फर्श पर सोते थे, आहार सिर्फ नारियल पानी 12 जनवरी से शुरू हुए उनके यम-नियम अनुष्ठान अब पूरा हो चुका है। ऐसे में इन 11 दिनों तक पीएम मोदी ने अन्न नहीं खाया। यह नियम कठोर तपस्या के समान होते हैं, जिसके तहत पीएम मोदी उपवास पर थे और वो सिर्फ दिन में 2 बार नारियल पानी ही पीते थे। साथ ही जमीन पर फर्श पर सोते थे।

राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में पीएम नरेंद्र मोदी, संघ प्रमुख भागवत, और सीएम योगी आदित्यनाथ यजमान बने हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की। इस भव्य और दिव्य समारोह का साक्षी पूरा देश बना। इस दौरान अयोध्या में समारोह स्थल पर बॉलीवुड, क्रिकेट और उद्योग जगत के साथ तमाम सेक्टर्स से जुड़े दिग्गज मौजूद रहे. इस पल को देश दुनिया भर से लोगों ने लाइव देखा है।

सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए, प्राण प्रतिष्ठा के बाद बोले पीएम मोदी

#ayodhyarammandiropeningpran_pratishat

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पूरी हो गई है। इसी के साथ रामभक्तों का 500 साल का लंबा इंतजार खत्म हो गया है।रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने समारोह में मौजूद लोगों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि सदियों के इंतजार के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। वो अब टेंट में नहीं रहेंगे। वो भव्य मंदिर में रहेंगे।पीएम मोदी ने कहा कि गर्भगृह में साक्षी बनकर आपके सामने खड़ा हूं। ये क्षण आलौकिक है। उन्होंने कहा कि ये क्षण पवित्र है। प्रभु राम का हम सबपर आर्शीवाद है।

पीएम मोदी ने कहा कि यह सामान्य समय नहीं है। यह काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं। साथियों हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवनपुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं। मैं रामभक्त हनुमान को प्रणाम करता हूं। मैं माता जानकी, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को प्रणाम करता हूं। मैं सबको प्रणाम करता हूं। मैं इस पल दैवीय अनुभव कर रहा हूं। वे दिव्य आत्माएं, वे दैवीय विभूतियां भी हमारे आसपास उपस्थित हैं। मैं इन सबको नमन करता हूं। मैं प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग और तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य नहीं कर पाए।

हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की चर्चा करेंगे-पीएम मोदी

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से हजार साल बाद भी लोग आज की इस तारीख की, आज के इस पल की चर्चा करेंगे। ये कितनी बड़ी राम कृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं और इसे साक्षात घटित होते देख रहे हैं। मैं आज प्रभु श्री राम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक यह कार्य कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु श्री राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।

अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा-पीएम मोदी

लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया। त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।

सवा लाख दीयों से जगमगाएगा जानकी मंदिर, नेपाल ने की जश्न की तैयारी, यहीं हुआ था राम-सीता का विवाह

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर आज प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयार है, वहीं नेपाल के जनकपुर में मां सीता के जन्मस्थान पर मंदिर इस अवसर का जश्न मनाने के लिए तैयार हो रहा है। नेपाल के जनकपुर धाम मंदिर में, श्री राम की जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा का जश्न मनाने के लिए आज 1 लाख 25,000 मिट्टी के दीये जलाए जाएंगे।

इस भव्य अवसर का जश्न मनाने के लिए जनकपुर धाम में जानकी मंदिर को रोशनी से सजाया गया था। जनकपुर सीता की जन्मभूमि है। नेपाल में तराई क्षेत्र के धनुषा जिले में स्थित यह शहर कई मंदिरों, मठों और कलात्मक केंद्रों का दावा करता है। यह प्राचीन मिथिला साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जहाँ सीता के पिता जनक कभी राजा थे। इस शहर में नेपाल का सबसे बड़ा मंदिर, जानकी मंदिर है, जो राजकुमारी सीता के लिए बनाया गया था, जिन्होंने इसी शहर में भगवान राम से विवाह किया था।

जनकपुर धाम का हर कोना, हर चौराहा सीता और राम को समर्पित है। यह शहर आज भी अपनी प्रिय राजकुमारी का जश्न मनाता है और हर साल विवाह पंचमी पर उसकी शादी पूरे धूमधाम और गौरव के साथ मनाता है। मई 2018 में, पीएम मोदी ने तत्कालीन नेपाल पीएम केपी ओली के साथ जनकपुर धाम में जानकी मंदिर का दौरा किया। पीएम मोदी ने जनकपुर अयोध्या बस सेवा का उद्घाटन किया था। 

यहां उल्लेखनीय है कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले श्री राम के लिए हजारों उपहार लेकर नेपाल, विशेषकर जनकपुर से भक्तों का एक भव्य दल पहुंचा है। राम नेपाली हिंदुओं के प्रिय भगवान हैं जो उन्हें अपना दामाद भी कहते हैं। भक्त श्री राम और मां सीता के लिए हजारों पारंपरिक विवाह उपहार लेकर पहुंचे थे। भारतीय मीडिया से बात करते हुए भक्तों ने कहा था कि वे खुश हैं कि आखिरकार श्री राम को एक भव्य मंदिर मिल गया है और वे अपनी बहन के नए घर के लिए उपहार लाए हैं। जानकी मंदिर भी अयोध्या में भव्य राम मंदिर की भव्य प्रतिष्ठा का जश्न मनाने के लिए विशेष पूजा और समर्पित अनुष्ठानों का आयोजन कर रहा है।

आ गए भगवान राम, गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, पीएम ने की पहली आरती, यहां जानिए, कब क्या क्या हुए अनुष्ठान


 अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। 500 वर्षों से अधिक का इंतजार खत्म हो गया है। रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं।

दो संतों ने पीएम मोदी को पहनाई अंगूठी

पीएम मोदी अब गर्भगृह से बाहर आ गए हैं। गर्भगृह से निकलते समय एक संत ने मोदी को सोने की अंगुठी पहनाई और दूसरे संत ने तुलसी की माला पहनाई। एक और संत ने मोदी को सोने की अंगुठी पहनाई है।

पीएम मोदी ने रामलला को किया साष्टांग प्रणाम्

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान राम लला को दंडवत प्रणाम् किया।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला की आरती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की आरती की। प्रधानमंत्री ने पहले 11 दिवसीय अनुष्ठान किया था, उन्होंने ही ‘प्राण प्रतिष्ठा’ अनुष्ठान का नेतृत्व किया, जो भगवान विष्णु की प्रार्थना के साथ शुरू हुआ।

हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा

श्री राम जन्मभूमि मंदिर परिसर के ऊपर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा की जा रही है।

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर से राम लला की प्रतिमा की पहली झलक।

पीएम ने किया नेतृत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अनुष्ठान का नेतृत्व किया।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा हुई।

रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान

रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में पीएम मोदी, संघ प्रमुख भागवत और सीएम योगी यजमान बने।

राम लला की मूर्ति का अनावरण

पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की मूर्ति का अनावरण किया

पीएम मोदी और भागवत ने हाथ में कुशा धारण की

प्रधानमंत्री मोदी और मोहन भागवत ने हाथ में कुशा धारण की। गर्भ गृह में प्रधानमंत्री मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठे हैं।

चांदी का छत्र लेकर राम मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चांदी का छत्र लेकर राम मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे थे।

राम मंदिर आंदोलन की वो दो नायिकाएं, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मिलीं तो गले लगकर रो पड़ी, जानें आंसू के पीछे की कहानी

#sadhvi_ritambhara_get_emotional_after_she_hugged_uma_bharti

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। आज के दिन का सपना देश के लाखों लोगों ने देखा था। इसके लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी गई। राम मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले लोग इस दौरान श्रीरामलला की धरती पर मौजूद हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती भी पहुंची हैं। साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती ने अपने सपने को भव्य राम मंदिर के रूप में साकार होता देख अपने आंसू नहीं रोक पाई और दोनों एक दूसरे को गले लगकर खूब रोईं। दोनों की तस्वीरें सामने आईं हैं। 

आज अयोध्या में राम मंदिर परिसर के भीतर जब उमा भारती और साध्‍वी ऋतंभरा ने एक दूसरे से मुलाकात की तो यह पल भावुक कर देने वाला था। साध्‍वी ऋतंभरा और उमा भारती ने एक दूसरे को गले लगाया। इस दौरान साध्‍वी ऋतंभरा रोने लगीं।90 के दशक में दोनों ने राम मंदिर आंदोलन को एक अलग स्वरूप दिया था। राम के मुद्दे को घर-घर तक पहुंचने में दोनों की बड़ी भूमिका थी।  

राम मंदिर के लिए जेल भरो आंदोलन के तहत गिरफ्तारी देने की बात हो या फिर कारसेवा करने का काम रहा हो, दोनों साध्‍वी पीछे नहीं रहीं।6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में लाखों कारसेवक पहुंचे थे तो उनके बीच साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती के भाषणों का प्रभाव था। लोग बार- बार उग्र हो गए। लाखों कारसेवक जब उग्र हो गए। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल जब कारसेवकों को नियंत्रित करने में विफल हो गए। उस समय उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और आचार्य धर्मेंद्र ने मंच से कारसेवकों को कंट्रोल किया। 

राम मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने अलग माहौल बनाया। दोनों नेताओं के भाषण के ऑडियो कैसेट उस समय बनाए जाते थे। हिंदू वर्ग के बीच इन कैसेटों को बांटा जाता था। विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से इन कैसेटों को लोगों को पहुंचाते थे। उनके भाषणों का ऐसा प्रभाव था, जिसने हिंदुओं को राम के प्रति आकर्षित किया। लोगों में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक अलग भावना पैदा हुई।

राम मंदिर आंदोलन की वो दो नायिकाएं, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मिलीं तो गले लगकर रो पड़ी, जानें आंसू के पीछे की कहानी

#sadhvi_ritambhara_get_emotional_after_she_hugged_uma_bharti

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है। रामलला राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गए हैं। आज के दिन का सपना देश के लाखों लोगों ने देखा था। इसके लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी गई। राम मंदिर आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाने वाले लोग इस दौरान श्रीरामलला की धरती पर मौजूद हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती भी पहुंची हैं। साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती ने अपने सपने को भव्य राम मंदिर के रूप में साकार होता देख अपने आंसू नहीं रोक पाई और दोनों एक दूसरे को गले लगकर खूब रोईं। दोनों की तस्वीरें सामने आईं हैं। 

आज अयोध्या में राम मंदिर परिसर के भीतर जब उमा भारती और साध्‍वी ऋतंभरा ने एक दूसरे से मुलाकात की तो यह पल भावुक कर देने वाला था। साध्‍वी ऋतंभरा और उमा भारती ने एक दूसरे को गले लगाया। इस दौरान साध्‍वी ऋतंभरा रोने लगीं।90 के दशक में दोनों ने राम मंदिर आंदोलन को एक अलग स्वरूप दिया था। राम के मुद्दे को घर-घर तक पहुंचने में दोनों की बड़ी भूमिका थी।  

राम मंदिर के लिए जेल भरो आंदोलन के तहत गिरफ्तारी देने की बात हो या फिर कारसेवा करने का काम रहा हो, दोनों साध्‍वी पीछे नहीं रहीं।6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में लाखों कारसेवक पहुंचे थे तो उनके बीच साध्वी ऋतंभरा और उमा भारती के भाषणों का प्रभाव था। लोग बार- बार उग्र हो गए। लाखों कारसेवक जब उग्र हो गए। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल जब कारसेवकों को नियंत्रित करने में विफल हो गए। उस समय उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और आचार्य धर्मेंद्र ने मंच से कारसेवकों को कंट्रोल किया। 

राम मंदिर आंदोलन के दौरान उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा के भाषणों ने अलग माहौल बनाया। दोनों नेताओं के भाषण के ऑडियो कैसेट उस समय बनाए जाते थे। हिंदू वर्ग के बीच इन कैसेटों को बांटा जाता था। विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस और भाजपा के कार्यकर्ता गुपचुप तरीके से इन कैसेटों को लोगों को पहुंचाते थे। उनके भाषणों का ऐसा प्रभाव था, जिसने हिंदुओं को राम के प्रति आकर्षित किया। लोगों में राम मंदिर निर्माण को लेकर एक अलग भावना पैदा हुई।

अमेरिका जितना कैशलेस लेनदेन तीन साल में करता है, उतना भारत एक महीने में करता है, नाइजीरिया में बोले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

 विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका जितना कैशलेस लेनदेन तीन साल में करता है, उतना भारत एक महीने में करता है। जयशंकर का यह बयान तब आया जब वह रविवार को नाइजीरिया में भारतीय समुदाय के लोगों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, "प्रत्येक भारतीय नागरिक का जीवन आसान हो गया है और इसका कारण यह है कि हमने प्रौद्योगिकी को बहुत गहराई से अपनाया है। आप इसे भुगतान में देख सकते हैं, आज बहुत कम लोग नकद में भुगतान करते हैं और बहुत कम लोग नकद स्वीकार करते हैं। आज, भारत में एक महीने में इतने सारे कैशलेस भुगतान होते हैं, जितना अमेरिका तीन साल में करता है।''

उन्होंने आगे उन पांच प्रमुख उदाहरणों पर प्रकाश डाला जो पिछले दशक में भारत के परिवर्तन को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि "मेरे लिए, एक देश एक चुनौती से कैसे निपटता है, चुनौती से उबरता है, और इतना मजबूत आर्थिक प्रदर्शन करने में सक्षम होता है, कैसे एक औसत नागरिक का जीवन बेहतर होता है, कैसे हम कुछ ऐसा करने में सक्षम होते हैं जो लोगों की कल्पना को पकड़ लेता है। दुनिया और हम देश के बाहर अपने लोगों की देखभाल कैसे करते हैं। ये पांच सच्चे उदाहरण हैं कि पिछले दशक में भारत में क्या बदलाव आया है।''

 भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली के बारे में व्यापारिक धारणा में सुधार हुआ है और इसके परिणामस्वरूप, देश में निवेश का प्रवाह अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। जयशंकर ने कहा कि, "आज अर्थव्यवस्था में क्या हो रहा है, हम दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, लेकिन यह उससे कहीं अधिक है। आज, यदि आप भारत में आर्थिक गतिविधि देखते हैं, जहां भी आप जाते हैं, कुछ न कुछ बन रहा है।" मेट्रो बन रही है, सड़क बन रही है, नए हवाई अड्डे बन रहे हैं, नई रेलगाड़ियाँ आ रही हैं, रेलवे स्टेशन बन रहे हैं। अगर आप अपने गाँव जाते हैं, तो पाइप से पानी आ रहा है, बिजली कनेक्शन आ रहा है। कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने भारत के कोविड-19 महामारी से निपटने के तरीके की भी सराहना की। 

"भारत ने इससे कैसे निपटा, इस पर मेरा दिल, बड़ी आशा और बड़ा विश्वास है। जब कोविड शुरू हुआ, तो 2020 में एक आभासी बैठक के दौरान, यह कहा गया था कि जो देश कोविड से निपटने में सबसे अधिक असमर्थ होगा, वह भारत होगा। दो वर्षों बाद, मैंने देखा कि हम कोविड की लहर और लॉकडाउन से गुजर रहे थे। हमने बाकी दुनिया के लिए दवाएं बनाना शुरू कर दिया,'' जयशंकर ने सभा को बताया।

विदेश मंत्री युगांडा में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद नाइजीरिया पहुंचे। जयशंकर अपने समकक्ष के साथ छठी भारत-नाइजीरिया संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) की सह-अध्यक्षता करेंगे और अन्य नेताओं से मुलाकात करेंगे। वह नाइजीरिया-भारत बिजनेस काउंसिल की बैठक के तीसरे संस्करण का भी उद्घाटन करेंगे, नाइजीरियाई इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में भाषण देंगे, व्यापार प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे और महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का उद्घाटन करेंगे। वह भारतीय मिशन प्रमुखों के क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता भी करेंगे।

खत्म हुआ 500 सालों का इंतजार, गर्भगृह में विराजे राम, पीएम मोदी ने की प्राण प्रतिष्ठा

#ram_mandir_pran_pratishtha

आज अयोध्या में करीब 500 सालों का लंबा इंतजार खत्म हो गया। भगवान रामलला अपने भव्य मंदिर में विराज चुके हैं। अभिजीत मुहूर्त में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। 84 सेकंड के मुहूर्त में पीएम मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की।

प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में पीएम मोदी, आरएसएस भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पाटिल मौजूद रहे।

राहुल गांधी को असम में मंदिर जाने से रोका गया, विरोध में धरने पर बैठे, बोले- आज सिर्फ एक व्यक्ति मंदिर जा सकता है

#rahul_gandhi_was_stopped_from_going_to_temple_in_assam

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा के नौवें दिन सोमवार को राहुल गांधी असम के नगांव पहुंचे। वे यहां बोर्दोवा थान में संत श्री शंकरदेव के जन्मस्थल पर दर्शन करने आए थे, लेकिन उन्हें एंट्री नहीं दी गई। मंदिर में जाने से रोके जाने के बाद राहुल गांधी धरने पर बैठ गए। उनके साथ कांग्रेस के अन्य नेता और समर्थक धरने पर बैठ गए हैं।

कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याया यात्रा इस वक्त असम से गुजर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी असम के वैष्णव विद्वान श्रीमंत शंकरदेव के जन्मस्थान पर पूजा-अर्चना करने के लिए जाने वाले थे, लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे उन्हें मंदिर जाने से रोक दिया गया। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

इस घटना के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, हम मंदिर में जाने की कोशिश कर रहे हैं। हमें बुलाया गया था और अब हमें जाने नहीं दिया जा रहा है। हम कुछ भी जबरदस्ती नहीं करेंगे, हम यहां अपनी यात्रा करने आए हैं, हम तो उसने कारण जानना चाह रहे हैं। राहुल गांधी ने ये भी कहा- लगता है आज सिर्फ़ एक ही व्यक्ति (पीएम नरेंद्र मोदी) मंदिर जा सकता है।

क्या पीएम तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने मंदिर में जाने से रोके जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों से पूछा कि क्या अब यह प्रधानमंत्री मोदी तय करेंगे कि मंदिर में कौन जाएगा? हम कोई समस्या पैदा नहीं करना चाहते, केवल मंदिर में पूजा करना चाहते हैं।

सबकुछ राज्य सरकार के दबाव में हो रहा-जयराम रमेश

वहीं, कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश ने कहा है कि ये सबकुछ राज्य सरकार के दबाव में हो रहा है। रमेश के मुताबिक कांग्रेस पार्टी के दो विधायकों ने मंदिर के मेनेजमेंट से समय लिया था, मंदिर प्रबंधकों को भी कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन अब राज्य सरकार के दबाव के बाद ये सबकुछ किया जा रहा है। जयराम रमेश ने कहा है कि पहले हमें सुबह सात बजे आने को कहा गया था पर अब कहा जा रहा है कि हम शाम तीन बजे तक मंदिर में नहीं जा सकते।

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में नहीं जाएंगे आडवाणी, खराब मौसम बनी वजह

#lkadvaniwillnotgotoayodhyainramlallapran_pratishtha

बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा लेने के लिए अयोध्या नहीं जाएंगे।उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्योता दिया गया था लेकिन मौसम खराब होने की वजह से आडवाणी इस समारोह में भाग नहीं लेंगे। 96 साल के लालकृष्ण आडवाणी की सेहत को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक के पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, रामलाल और आलोक कुमार ने लालकृष्ण आडवाणी को उनके घर जाकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्योता दिया था। तब आयोजकों ने कहा था कि आडवाणी को हर जरूरी मेडिकल सुविधा मुहैया कराई जाएगी। हालांकि, उत्तर प्रदेश में मौसम खराब है और कम तापमान को देखते हुए उनका अयोध्या दौरा कैंसिल कर दिया गया है।

चंपत राय ने किया था अनुरोध

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने एल.के. आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से पहले महीने मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने का अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा था, दोनों परिवार के बुजुर्ग हैं और उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उनसे न आने का अनुरोध किया गया है, जिसे दोनों ने स्वीकार कर लिया। चंपत राय ने कहा था कि स्वास्थ्य और उम्र संबंधी कारणों से आडवाणी और जोशी अभिषेक समारोह में शामिल नहीं हो सकते हैं।. आडवाणी अब 96 साल के हैं और जोशी अगले महीने 90 साल के हो जाएंगे।

राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में हैं आडवाणी

बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल रहे हैं। उन्होंने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर बहुचर्चित रथयात्रा निकाली थी। उनकी मौजूजगी में ही अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था।