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मथुरा शाही ईदगाह के सर्वे को लेकर हिन्दू पक्ष को लगा झटका, SC ने आदेश पर रोक लगाते हुए कही ये बात

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि केस में हिंदू पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका लग गया है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगाई है, जिसमें शाही ईदगाह का सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर के नियुक्त करने का आदेश भी जारी कर दिया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष 14 दिसंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के सर्वे को मंजूरी दी थी, जिसके विरुद्ध मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख भी कर लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए बोला है, इस केस में हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहने वाली है, लेकिन सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति पर अंतरिम रोक रहने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष पर प्रश्न उठाते हुए बोला है कि आपकी अर्जी स्पष्ट नहीं है। आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप क्या चाह रहे हैं। इसके साथ साथ ट्रांसफर का केस भी न्यायालय में लंबित है। हमें उस पर भी निर्णय लेना है। 

शाही ईदगाह में सर्वे की मांग के लिए भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दर्ज कर ASI सर्वे की मांग की थी। याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान मस्जिद के नीच ही है वहां कई संकेत हैं जो स्थापित करते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने इस बारें में कहा था कि याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया था कि वहां एक कमल के आकार का स्तंभ मौजूद है जो हिंदू मंदिरों की विशेषता थी।

इसके साथ साथ वहां 'शेषनाग' की एक छवि भी मौजूद है, जो हिंदू देवताओं में से एक कहे जाते हैं। उन्होंने जन्म वाली रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। अदालत में यह भी प्रस्तुत किया गया कि मस्जिद के स्तंभों के निचले हिस्से पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी है। आवेदक ने कोर्ट से अनुरोध किया था कि कुछ निर्धारित वक़्त अवधि के भीतर शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वेक्षण करने के उपरांत अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशिष्ट निर्देशों के साथ कमीशन की नियुक्ति की जाने वाली है। वहीं अब ख़बरें है कि मथुरा कृष्णा जन्मभूमि पर 23 जनवरी को अलगी सुनवाई की जाएगी।

आज से दक्षिण भारत के 2 दिन के दौरे पर होंगे पीएम मोदी, देंगे कस्टम एंड नारकोटिक्स नेशनल एकेडमी की सौगात, कई कार्यक्रम में होंगे शामिल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज दो दिन के साउथ के दौरे पर जाने वाले है। प्रधानमंत्री मोदी आज 16 जनवरी को आंध्र प्रदेश और 17 जनवरी को केरल में तमाम कार्यक्रमों में शिरकत कर सकते है। इस दौरान प्रधामंत्री मोदी तमाम परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन भी करने वाले है। लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी का साउथ का दौरा महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अपनी आंध्र प्रदेश विजिट के बीच प्रधानमंत्री मोदी देश को नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम, इनडायरेक्ट टैक्स एंड नारकोटिक्स (NACIN) की सौगात देने वाले है। यह आंध्र प्रदेश के श्री सत्यसाईं जिले में बनाया गया है।

नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम का होगा उद्घाटन

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बीच IRS के 74वें और 75वें बैच के ट्रेनी अफसरों से भी संवाद जकरने वाले है। इस कार्यक्रम में रॉयल सिविल सर्विस ऑफ भूटान के ट्रेनी अफसर भी मौजूद होने वाले है। खबरों का कहना है कि आज दोपहर साढ़े 3 बजे प्रधनमंत्री मोदी आंध्र प्रदेश के श्री सत्यसाईं जिले में पहुंच जाएंगे और वहां NACIN का उद्घाटन करने वाले है। यह एकेडमी 500 एकड़ में बनाई जा चुकी है।

केरल के मंदिर में पूजा करेंगे पीएम मोदी

17 जनवरी को प्रधनमंत्री मोदी केरल पहुंचेंगे और गुरुवायूर मंदिर में पूजा और दर्शन करने वाले है. इसके अलावा पीएम त्रिप्रयार के श्री रामास्वामी मंदिर में सुबह साढ़े 10 बजे पहुंचेंगे। इसके उपरांत दोपहर को पीएम मोदी पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज से जुड़े तमाम प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी करने वाले है।

केरल को मिलेगी 4000 करोड़ की सौगात

 अपनी केरल विजिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोच्चि में 4000 करोड़ के तीन बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने वाले है. इसमें न्यू ड्राई डॉक, ISRF और LPG इम्पोर्ट टर्मिल ऑफ इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड का उद्घाटन कर सकते हैं। इतना ही नहीं पीएम मोदी इन दिनों राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 11 दिन का व्रत भी कर रहे है। पीएम मोदी जब साउथ के इन दो राज्यों में जाएंगे तो वहां रैली के बीच राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का जिक्र करने वाले है। जिससे साउथ में भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हर्षोल्लास बढ़ सकता है।

पहली बार उत्तराखंड के टनकपुर से भी होगी आदि कैलास यात्रा, ये होंगी पैकेज की दरें, पीएम के बीते साल दौरे के बाद पर्यटकों के लिए बना पहली पसंद

कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएवीएन) ने आदि कैलास व ओम पर्वत यात्रा का कार्यक्रम जारी कर दिया है। निगम प्रबंधन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा को अमलीजामा पहनाते हुए पहली बार टनकपुर से वाया काठगोदाम तथा टनकपुर से वापस टनकपुर तक यात्रा रूट निर्धारित किया है।

इस बार काठगोदाम, टनकपुर से यात्रा एक्सप्रेस (त्वरित) माडल पर भी आधारित होगी। 13 मई से जून अंत तक होने वाली यात्रा में 60 दल भेजे जाएंगे। इसके बाद नवंबर तक के लिए अलग से दल तय होंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अक्टूबर 2023 में आदि कैलास के दौरे के बाद से यह क्षेत्र राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर आने के साथ ही पर्यटकों की पहली पसंद बन गया है।

इस बार और अधिक यात्रियों के आदि कैलास व ओम पर्वत के भ्रमण पर आने की उम्मीद की जा रही है। केएमवीएन ने दल वार कार्यक्रम, व्यवस्था, सुविधाएं, आवेदन प्रपत्र एवं दरों का निर्धारण कर लिया है। जिसे निगम की वेबसाइट (www.kmvn.in) पर अपलोड भी किया गया है। निगम के जनसंपर्क कार्यालयों या केंद्रीय आरक्षण केंद्र नैनीताल के माध्यम से भी श्रद्धालु बुकिंग करा सकते हैं।

जीएम (प्रशासन) एपी बाजपेयी ने बताया कि काठगोदाम से काठगोदाम तक सात रात एवं आठ दिन, काठगोदाम से काठगोदाम त्वरित चार रात एवं पांच दिन, टनकपुर से काठगोदाम सात रात व आठ दिन, टनकपुर से टनकपुर से त्वरित टनकपुर पांच रात्रि व छह दिन तथा धारचूला से धारचूला चार रात एवं पांच दिन की तिथि निर्धारित की गई है।

यह होंगी पैकेज की दरें

जीएम एपी बाजपेयी के अनुसार निगम संचालित यात्रा 2024 के लिए दरें काठगोदाम से काठगोदाम तक 40 हजार रुपये और त्वरित पैकेज में यह 33 हजार रुपये होगी। टनकपुर से काठगोदाम 40 हजार रुपये, टनकपुर से टनकपुर 35 हजार रुपये, धारचूला से धारचूला 30 हजार रुपये प्रति यात्री दर निर्धारित की गई हैं। इस पैकेज में निगम की ओर से आवास, भोजन, परिवहन, गाइड आदि सुविधाएं शामिल हैं।

जुलाई से नवंबर के लिए तय होंगे दल

मई एवं जून में 60 दलों के माध्यम से यात्रा संचालित की जाएगी। जबकि जुलाई से नवंबर के लिए अलग से दलों का निर्धारण किया जाएगा। एक दल में अधिकतम 35 यात्री होंगे। यात्रा के पड़ाव काठगोदाम, टनकपुर के बाद पिथौरागढ़, धारचूला गुंजी-बूंदी-चौकोड़ी, पाताल भुवनेश्वर, गंगोलीहाट, लोहाघाट, एबटमाउंट व भीमताल में रात्रि विश्राम होगा।

काठगोदाम से यात्रा वाया भीमताल, कैंची, अल्मोड़ा, चितई, जागेश्वर, पिथौरागढ़, जौलजीबी, धारचूला, बूंदी, छियालेख, गर्बियांग, नपलच्यू, कालापानी, नाभीढांग (ओम पर्वत) होते हुए वापस गुंजी, नाबी, कुट्टी, ज्योलिंगकांग (आदि कैलाश एवं पार्वती सरोवर) जाएगी। वापसी में गुजी, बूंदी, धारचूला डीडीहाट, चौकोड़ी, पाताल भुवनेश्वर, शेराघाट, अल्मोड़ा, भीमताल होते हुए काठगोदाम में यात्रा समाप्त होगी।

डिटेल में जानिए, भारत और मालदीव के रिश्तों में खटास आने का कारण, आखिर क्यों लगातार बिगड़ रहे हालात

मालदीव और भारत के बीच रिश्ते फिलहाल एकदम ठीक नजर नहीं आ रहे हैं। हालात भी ऐसे समय पर बन रहे हैं, जब मालदीव में बीते कुछ सालों से भारत विरोधी माहौल पनपता नजर आ रहा है। चीन के समर्थक माने जाने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू 15 मार्च तक भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग उठा चुके हैं। अब सवाल है कि आखिर मुइज्जू भारत को क्यों तेवर दिखा रहे हैं? यहां डिटेल में पढ़िए ...

क्या मालदीव की राजनीति है वजह

राष्ट्रपति बनने से पहले मुइज्जू ने चुनाव ही 'इंडिया आउट' के मुद्दे पर लड़ा था। पीपुल्स नेशनल कांग्रेस और द प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव्स चीन समर्थित नीति का पालन कर रही है और हर उस चीज को हटाने पर उतारू है, जिसे वे भारतीय प्रभाव समझते हैं। सितंबर के अंत में मुइज्जू की पार्टी के समर्थकों ने माहौल बनाना शुरू कर दिया था कि इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की पार्टी पर भारत का प्रभाव है।

अब यहां भारत की तरफ से भेजे गए दो हेलीकॉप्टरों को सैन्य मौजदूगी की तरह दिखाने की कोशिश की गई। दरअसल, फरवरी 2021 में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, जिसके तहत भारत को मालदीव की राजधानी माले के पास हार्बर और डॉकयार्ड तैयार करना और उसका रखरखाव करना था। अब इसे लेकर भी कई तरह की अटकलें लगाई गईं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय मीडिया का एक वर्ग यह दावा करता रहा कि यह प्रोजेक्ट बाद में भारतीय नेवल बेस बन जाएगा।

मुइज्जू की चीन यात्रा

खास बात है कि मालदीव के राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद मुइज्जू भारत से पहले चीन पहुंच गए। इससे पहले लंबे समय तक मालदीव के राष्ट्रपति पहले भारत का दौरा करते थे। अब मुइज्जू की चीन से वापसी होते ही भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग और तेज हो गई।

कहा जाता है कि हिंद महासागर में मालदीव की मौजूदगी को देखते हुए चीन यहां अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। साथ ही मालदीव सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक पर भी है, जहां से चीन का करीब 80 फीसदी तेल आयात गुजरता है। इधर, ताजा दौरे पर मुइज्जू ने चीन के साथ 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। चीन ने मालदीव को 130 मिलियन डॉलर की मदद देने का ऐलान किया है।

विवेक रामास्वामी ने छोड़ी अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दावेदारी, डोनाल्ड ट्रंप का किया समर्थन

#vivek_ramaswamy_quits_us_presidential_race

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी सफलता मिली है।भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी विवेक रामास्वामी ने आयोवा रिपब्लिकन कॉकस में खराब प्रदर्शन के बाद आज 2024 में होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ से हटने की घोषणा की है।बता दें कि राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय करने के लिए आयोवा के रिपब्लिकन कॉकस में हुई वोटिंग में डोनाल्ड ट्रंप को जीत मिली और रामास्वामी का प्रदर्शन इस दौरान काफी खराब रहा। जिसके बाद उन्होंने खुद को चुनाव से बाहर कर लिया।

 रामास्वामी ने कहा कि फिलहाल मैं इस राष्ट्रपति अभियान को रोक रहा हूं। मैंने डोनाल्ड ट्रंप को ये बताने के लिए फोन किया कि अब आगे चलकर राष्ट्रपति पद के लिए उन्हें मेरा पूरा समर्थन मिलेगा।विवेक रामास्वामी अमेरिका के राजनीतिक परिदृश्य में अंजान चेहरा थे, लेकिन फरवरी 2023 में अपनी उम्मीदवारी के एलान के बाद विवेक रामास्वामी ने रिपब्लिकन मतदाताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा। रामास्वामी इमीग्रेशन पर अपने कड़े विचारों और अमेरिका फर्स्ट की अपनी नीति के चलते मतदाताओं के बीच थोड़े ही समय में काफी लोकप्रिय हो गए थे। हालांकि अब रामास्वामी राष्ट्रपति पद की रेस में बुरी तरह से पिछड़ रहे थे।

ट्रंप की जीत के बाद जाहिर है कि डेमोक्रेट्स को बड़ा झटका लगा होगा। लोवा में ट्रंप के जीतने के बाद उनके समर्थकों ने जबरदस्त जश्न मनाया। मतदान से पहले ये कहा जा रहा था कि लोवा में ट्रंप को बाइडेन के चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा पर ऐसा हुआ नहीं। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को 51 फीसदी वोट मिले।

वहीं, 22,781 वोट के साथ दूसरे स्थान पर फ्लोरिडा के गवर्नर रोन देसांतिस रहे। रोन को 21.2 फीसदी वोट मिले. दक्षिण कैरोलिना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली तीसरे स्थान पर रहीं। निक्की को 19.1 फीसदी वोट मिले। वहीं, लोवा चुनाव में भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को करारी शिकस्त मिली। वह चौथे स्थान पर रहे। रामास्वामी को महज 7.7 प्रतिशत वोट मिले। लोवा में मिली इस हार के बाद उन्होंने प्रेसिडेंट रेस से खुद को बाहर कर लिया।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में अपने प्रतिद्वंद्वी विवेक रामास्वामी की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की थी। इस साल के अंत में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए ट्रंप को रामास्वामी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारतीय अमेरिकी उद्यमी नामांकन हासिल करने के लिए ‘‘कपटपूर्ण अभियान के हथकंडे'' अपना रहे हैं। ट्रंप की यह टिप्पणी सोमवार को आयोवा कॉकस (पार्टी की होने वाली बैठक में उम्मीदवार को लेकर सदस्यों के विचार करने) होने से पहले आई थी। यह राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार चुनने के लिए रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी में चलने वाली लंबी प्रक्रिया की शुरुआत है।

उफ! ये कोहरे का कहर और सर्दी का सितम, अगले तीन दिन राहत के आसार नहीं

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देश का उत्तरी हिस्सा जबरदस्त ठंड की आगोश में है। आज भी हाड़ कंपा देने वाली हवाएं चल रही हैं, जिसने लोगों को घरों में कैद करके रख दिया। वहीं, कोहरे की वजह से विजिबिलिटी काफी कम है। मौसम विभाग के मुताबिक, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल व सिक्किम के ज्यादातर क्षेत्रों में सोमवार सुबह घना कोहरा छाया रहा। दिल्ली में लगातार चौथे दिन पारा गिरकर 3.3 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया।वहीं, पंजाब के नवांशहर में न्यूनतम तापमान माइनस 0.2 डिग्री, हरियाणा के महेंद्रगढ़ में 4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

मौसम विज्ञान विभाग ने बताया, उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में अगले तीन दिन शीतलहर चलेगी। एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को 16 जनवरी को प्रभावित कर सकता है। इसके असर से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख में 16-17 जनवरी व उत्तराखंड में 17-18 जनवरी को कहीं हल्की तो कहीं मूसलाधार बारिश हो सकती है। बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ व पूर्वोत्तर के राज्यों में भी कुछ जगह बारिश की संभावना है। 

कोहरे के चलते कई विमानों को रद्द कर दिया गया है, तो कई विमानों के रूट डायवर्ट कर दिए गए है। मंगलवार को दिल्ली हवाई अड्डे से जाने वाली करीब 30 उड़ानें लेट हैं तो वहीं 17 उड़नों को रद्द कर दिया गया है। मंगलवार को न सिर्फ दिल्ली एयरपोर्ट बल्कि देश के अलग-अलग हवाई अड्डों पर भी विजिबिलिटी बहुत कम रही। वाराणसी एय़रपोर्ट पर 0 मीटर, आगरा एयरपोर्ट पर 0 मीटर, ग्वालियर एयरपोर्ट पर 0 मीटर, जम्मू एयरपोर्ट पर 0 मीटर, पठानकोट एयरपोर्ट पर 0मीटर, चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर 0 मीटर, गया एयरपोर्ट पर 20 मीटर, प्रयागराज एयरपोर्ट पर 50 मीटर, तेजपुर एयरपोर्ट पर 50 मीटर, अगरतला एयरपोर्ट पर 100 मीटर, विजयवाड़ा एयरपोर्ट पर 100 मीटर और बागडोगरा एयरपोर्ट पर 100 मीटर की विजिबिलिटी दर्ज की गई।

कोहरे का असर रेलवे पर भी पड़ रहा। ट्रेन एक दो घंटे नहीं बल्कि 10 से 15 घंटे देरी से चल रही हैं। मगंलवार को घने कोहरे के कारण देश के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली आने वाली करीब 30 ट्रेनें देरी से चल रही हैं। रेलवे स्टेशन परलोग ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। देरी होने के चलते कड़ाके की ठंड के बीच स्टेशन पर ही लोग जमीन सो रहे हैं। स्टेशन पर जगह जगह लोग कंबल लपेटे बैठे नजर आ रहे हैं। इंतजार का आलम ये है कि सुबह से शाम और शाम से सुबह हो रही है। ऐसे में यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ईरान ने इराक में मोसाद मुख्यालय पर दागी बैलिस्टिक मिसाइल, चार लोगों की मौत

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ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स (IRGC) ने सोमवार देर रात इराक के एरबिल शहर में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद के दफ्तरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई।ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने ही हमले की जानकारी दी। हाल ही में ईरान में बम धमाका हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। ईरान ने इस्राइल पर हमले का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में ईरान ने मोसाद के मुख्यालय पर हमला किया।

ईरान की स्टेट न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक मिसाइलें ईरान विरोधी आतंकी खुफिया केंद्रों पर दागीं गई हैं। इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक बयान के हवाले से बताया कि हमलों ने इराकी कुर्दिस्तान की राजधानी इर्बिल में ‘एक जासूसी मुख्यालय’ और ‘ईरानी विरोधी आतंकवादी समूहों के जमावड़े’ को नष्ट कर दिया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट के खिलाफ हमला किया है। 

वहीं, इराक की कुर्दिस्तान सुरक्षा परिषद के मुताबिक, इस हमले में चार लोगों की मौत हुई है, जबकि 6 अन्य घायल हुए हैं। कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी ने कहा कि मारे गए नागरिकों में प्रमुख कारोबारी पेश्रा दिजायी भी शामिल थे।

अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक ईरान का हमला कुर्दिस्तान की राजधानी एरबिल से करीब 40 किमी उत्तर-पूर्व में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के करीब हुआ। दूतावास में भी विस्फोटों की आवाज सुनी दी। दो अमेरिकी अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि मिसाइलों के हमले से कोई भी अमेरिकी फैसिलिटी प्रभावित नहीं हुई।

अमेरिका ने इराक में ईरानी हमले की आलोचना की है। अमेरिका ने इसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैट मिलर ने कहा- ये हमला इराक की स्थिरता के लिए करारा झटका है। हम चाहते हैं कि इराक में और कुर्दिस्तान में स्थिरता आए और वहां कि सरकारें इराक के लोगों के लिए ठीक से काम कर पाए। दरअसल, इराक ने आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ लंबी जंग लड़ी है। इसके बाद वहां स्थिरता आनी शुरू हुई है।

पीएम मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर की बात, जानिए किन-किन मुद्दों पर हुई चर्चा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बातचीत हुई। फोन के जरिए हुई इस बातचीत में ब्रिक्स में रूस की अध्यक्षता सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर बताया कि राष्ट्रपति पुतिन से अच्छी बातचीत हुई, इस दौरान दोनों देशों की विशेष रणनीतिक साझेदारी को लेकर चर्चा हुई।

पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से एक पोस्ट में कहा, राष्ट्रपति पुतिन से अच्छी बातचीत हुई। हमने अपनी विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी में विभिन्न सकारात्मक विकासों पर चर्चा की और भविष्य की पहल के लिए एक रोडमैप तैयार करने पर सहमति व्यक्त की। हमने ब्रिक्स की रूस की अध्यक्षता सहित विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया।

दरअसल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस बार रूस में होगा। ब्रिक्स समूह में पांच देश- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। माना जाता है कि यह दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। पहले यह ब्रिक (BRIC) समूह हुआ करता था लेकिन 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इस समूह में शामिल होने पर यह BRICKS हो गया। समूह की पहली बैठक 2006 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में जी-8 समिट के साथ ही हुई थी। वहीं शिखर स्तर की पहली बैठक 16 जून 2009 को रूस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई थी।

मायावती के 'एकला चलो' की नीति से “इंडिया” या भाजपा किसको होगा फायदा?

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उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार (14 जनवरी) को अपने 68वें जन्मदिन पर कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मायावती ने किसी भी गठबंधन से इंकार करते हुए कहा, बहुजन समाज पार्टी किसी भी गठबंधन का हिस्सा होने के बजाए आम चुनाव अकेले लड़ेगी।हालांकि, उन्होंने इस बात के संकेत दिए कि चुनाव के बाद उनकी पार्टी सरकार को बाहर से समर्थन दे सकती है।मायावती ने कहा कि अगर चुनाव के बाद बीएसपी को सत्तारूढ़ दल उचित भागीदारी देते हैं तो पार्टी सरकार में शामिल हो सकती है।

बीएसपी चीफ के ऐलान के बाद तय हो गया है कि उत्तर प्रदेश में 2024 का लोकसभा चुनाव त्रिकोणीय होगा। बीजेपी, बीएसपी और सपा-रालोद-कांग्रेस के गठबंधन के बीच यूपी में फाइनल मुकाबला होगा। मायावती के फैसले से बीजेपी नेताओं ने राहत की सांस ली होगी, क्योंकि 80 लोकसभा सीटों पर वन-टु-वन फाइट की स्थिति भी खत्म हो गई है।दरअसल, 2024 में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए नीतीश कुमार ने सभी लोकसभा सीटों पर वन-टु-वन फाइट का फॉर्मूला दिया था। इंडिया गठबंधन भी इस फॉर्मूले पर राजी था। विपक्षी दलों को कोशिश है कि 2024 में बीजेपी के सामने विपक्ष की ओर से सिर्फ एक उम्मीदवार हो। 

यूपी में ओबीसी वोटर सबसे ज्यादा 45 फीसदी से ज्यादा हैं। दलित 20-21 प्रतिशत और मुस्लिम वोटर 15-16 प्रतिशत हैं। मायावती की राजनीति मुख्य तौर पर दलित और मुस्लिम वोटरों के इर्द-गिर्द घूमती है। अगर वह कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हो जातीं तो न सिर्फ ओबीसी के 10 प्रतिशत यादव बल्कि पूरा दलित वोट विपक्ष के साथ एकजुट दिखाई दे सकता था। 80 लोकसभा सांसद देने वाले राज्य में इससे भाजपा के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर होती। सपा और बसपा का एकसाथ होना अपने आप में बड़े वोट बैंक को विपक्ष के साथ कर देता।

दलित वोट पाने के मुकाबले में मायावती के रूप में तीसरा केंद्र उभरने से सीधा नुकसान विपक्ष के गठबंधन को होगा। मायावती का अकेले चुनाव लड़ना एक तरह से भाजपा के लिए राहत भरी खबर है। भाजपा को वोट न देने वाले यानी विरोधी वोटर अब दो विकल्पों में बंटेंगे। हो सकता है कुछ मुस्लिम वोटर सपा के साथ जाएं, कुछ बसपा के। इसी तरह दलित भी भाजपा, बसपा, सपा-कांग्रेस में बंट जाएंगे। ऐसे में बीजेपी खुद को अच्छी पोजीशन में देख रही होगी।

बता दें कि बीजेपी की नरेन्द्र मोदी सरकार के विजय रथ को रोकने के लिए सभी विपक्षी दल एक छतरी के नीचे इकट्ठा हुए। विपक्षी दलों को नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़ी जीत के लिए 80 लोकसभा सीटों वाले में ज्यादा से ज्यादा सहयोगियों की दरकार थी। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच समझौते की राय बनी। दलों ने बीएसपी प्रमुख मायावती को भी गठबंधन में शामिल करने की कोशिश की, मगर वह नहीं मानी। मगर अपने जन्मदिन पर मायावती ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान कर सपा-कांग्रेस गठबंधन को तगड़ा झटका दे दिया। वहीं, बीजेपी के लिए फील गुड करने का मौका दे दिया है।

उद्धव ठाकरे गुट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, 'असली शिवसेना' को लेकर स्पीकर के फैसले के खिलाफ डाली याचिका

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कुछ दिनों की खामोशी के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से भूचाल आने वाला है। विधायकों को अयोग्य ठहारने की याचिका को खारिज करने के महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले पर उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।याचिका में उद्धव ठाकरे ने कहा है कि स्पीकर का यह फैसला गलत है, जिसमें कहा गया है कि एकनाथ शिंदे गुट के पास विधायकों की संख्या ज्यादा है और पार्टी के संविधान के अनुसार, एकनाथ शिंदे ही असली शिवसेना के नेता हैं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की शिवसेना का एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार (10 जनवरी) को खारिज कर दिया था। नार्वेकर ने इस दौरान कहा था कि शिंदे की शिवसेना ही असली शिवसेना है। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव आयोग ने भी ये बात मानी है। ऐसे में विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी। ये फैसला शिवसेना (यूबीटी) के चीफ उद्धव ठाकरे के लिए बड़ा झटका था।

बता दें कि स्पीकर के फैसले के बाद ही पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हम जनता को साथ लेकर लड़ेंगे और जनता के बीच जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्पीकर का जो आदेश आया है, वह लोकतंत्र की हत्या है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी अपमान है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि राज्यपाल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और गलत किया है। अब हम इस लड़ाई को आगे भी लड़ेंगे और हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। सुप्रीम कोर्ट जनता और शिवसेना को पूरा न्याय दिए बिना नहीं रुकेगा।