/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz कश्मीर को कब मिलेगा राज्य का दर्जा? अमित शाह ने दिया जवाब India
कश्मीर को कब मिलेगा राज्य का दर्जा? अमित शाह ने दिया जवाब

#jammu_kashmir_statehood_amit_shah_reaction

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना है।सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने की शक्ति थी। अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पास बाक़ी राज्यों से अलग कोई संप्रभुता नहीं है। साथ ही कोर्ट ने जल्द से जल्द चुनाव कराने का भी निर्देश दिया।कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को देश को आश्वस्त किया कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद से मुक्त 'नए और विकसित कश्मीर' के निर्माण की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हुई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उचित समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।राज्यसभा में उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के उच्चतम न्यायालय के सोमवार के फैसले को 'ऐतिहासिक' बताया और कहा कि अब केवल 'एक संविधान, एक राष्ट्रीय ध्वज और एक प्रधानमंत्री' होगा।

फिर नेहरू की गलती की तरफ खींचा ध्यान

जम्मू कश्मीर के संदर्भ में लाए गए दो नए विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए राज्यसभा में गृह मंत्री ने कश्मीर समस्या के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराया। शाह का कहना था कि गलत समय पर युद्धविराम का आदेश देकर और मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जा कर भारी गलती हुई। शाह ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि वह अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में जमीनी स्तर पर बदलाव नहीं देख पा रहा है। जबकि पूरा देश समझ गया है कि कश्मीर मुद्दे से निपटने में पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की गलती थी। 

पीओके के लोगों के लिए 24 सीटों का आरक्षण

शाह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी इसे छीन नहीं सकता। अमित शाह ने यहां तक कहा कि जब देश की एक इंच जमीन भी छोड़ने की बात आएगी तो भाजपा कोई बड़ा दिल नहीं दिखाएगी। साथ ही नई व्यवस्था के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पीओके के लोगों के लिए 24 सीटों के आरक्षण की भी बात शाह ने की।

क्या था अनुच्छेद 370, जानें सरकार की इसे हटाने की पीछे की वजह

#whatwasarticle_370

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुना दिया है।सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सही ठहराया है, जिसमें आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि 5 अगस्त 2019 का निर्णय वैध था और यह जम्मू कश्मीर के एकीकरण के लिए था।

केन्द्र की मोदी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए साल 2019 को देश से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था। आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का एक प्रावधान था। जो जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता था। आर्टिकल 370 के प्रावधान ऐसे थे कि भारतीय संविधान भी जम्मू कश्मीर में सीमित हो जाती थी, जिससे देश के सरकारें राज्य के फैसले को लेकर हमेशा बंधी रहती थीं। 

अनुच्छेद 370 क्या था?

अनुच्छेद 370 से जुड़े मामले की शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह से हुई थी। अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा।मार्च 1948 में, महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधान मंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार नियुक्त की। जुलाई 1949 में, शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की, जिससे अनुच्छेद 370 को अपनाया गया।

अनुच्छेद-370 के प्रावधान क्या थे?

1. इस अनुच्छेद में प्रावधान किया गया कि रक्षा, विदेश, वित्त और संचार मामलों को छोड़कर भारतीय संसद को राज्य में किसी कानून को लागू करने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी।  

2. इसके चलते जम्मू और कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों का कानून शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग था। अनुच्छेद-370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद-370 के तहत, केंद्र को राज्य में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की शक्ति नहीं थी।

3. अनुच्छेद-370 (1) (सी) में उल्लेख किया गया था कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 अनुच्छेद-370 के माध्यम से कश्मीर पर लागू होता है। अनुच्छेद 1 संघ के राज्यों को सूचीबद्ध करता है। इसका मतलब है कि यह अनुच्छेद-370 है जो जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संघ से जोड़ता है।  

4. जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 3 में कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है और रहेगा। अनुच्छेद 5 में कहा गया कि राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद को भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है। 

क्या था जम्मू और कश्मीर का संविधान?

इसके लिए पहले साल 1951 में जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा का गठन किया गया। इसमें कुल 75 सदस्य थे। सभा को जम्मू और कश्मीर के संविधान का अलग मसौदा तैयार करने को कहा गया। जो नवंबर, 1956 पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया, इसके बाद जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का अस्तित्व ख़त्म हो गया था। 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति ने एक आदेश जारी करके जम्मू और कश्मीर के संविधान को निष्प्रभावी बना दिया था। इसे 'संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 2019 (सीओ 272)' नाम दिया गया था।

अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बौखलाया पाकिस्तान, जानें क्या रही प्रतिक्रिया

#pakistanupsetoversupremecourtsdecisiononarticle_370

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को अनुच्छेद 370 से जुड़ा ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया। केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला दिया गया।कोर्ट ने भी स्वीकार किया है कि राष्ट्रपति का फैसला संवैधानिक तौर पर वैध था। अनुच्छेद 370 अस्थायी था। संविधान के सभी प्रावधान जम्मू कश्मीर में लागू होंगे। सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद पाकिस्तान बौखला गया है।पाकिस्तान की अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री जलील अब्बास जिलानी ने भारतीय सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर दिए गए फ़ैसले पर टिप्पणी की है। 

भारत की ओर से उठाया गया अवैध- जलील अब्बास जिलानी

जिलानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है, “अंतरराष्ट्रीय क़ानून, पांच अगस्त, 2019 को भारत की ओर से उठाया गया अवैध और एकतरफ़ा कदम स्वीकार नहीं करता है। भारत के सुप्रीम कोर्ट की ओर से इस मुद्दे पर दिए गए न्यायिक समर्थन का कोई क़ानूनी मूल्य नहीं है। संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रस्तावों के तहत कश्मीरियों के पास आत्म निर्णय का अधिकार है।

शहबाज शरीफ ने कहा-अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के खिलाफ फैसला देकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है।उन्होंने कहा कि अदालत ने लाखों कश्मीरियों के बलिदान को धोखा दिया है और इस फैसले को न्याय की हत्या को मान्यता देने के तौर पर देखा जाएगा। 

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

पाकिस्तान सरकार के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर एक विस्तृत बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है – “पिछले सात दशकों से संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के एजेंडे में शामिल रहा जम्मू-कश्मीर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त विवाद है. जम्मू-कश्मीर का अंतिम समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रासंगिक प्रावधानों और कश्मीरी अवाम के आकाँक्षाओं के अनुरूप किया जाना है। भारत को कश्मीरी अवाम और पाकिस्तान की इच्छा के विपरीत इस विवादित क्षेत्र की स्थिति के बारे में एकतरफ़ा फ़ैसले करने का अधिकार नहीं है।पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान की सर्वोच्चता स्वीकार नहीं करता है। भारतीय संविधान के अधीन किसी भी प्रक्रिया का कोई क़ानून महत्व नहीं है। भारत अपने क़ानूनों और न्यायिक फ़ैसलों के दम पर अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से पीछे नहीं हट सकता।

बता दें कि जब अनुच्छेद 370 को साल 2019 में हटाया गया था, तो पाकिस्तान ने इसका विरोध किया था। कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान ने इसका जिक्र किया था। इस साल भारत ने जी-20 की कुछ बैठकों का आयोजन कश्मीर में भी किया था।

बीजेपी ने फिर चौंकाया, मध्यप्रदेश के सीएम होंगे मोहन यादव, जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला बनेंगे डिप्टी सीएम

#mohan_yadav_will_be_the_cm_of_madhya_pradesh

छत्तीसगढ़ के बाद मध्य प्रदेश के सीएम फेस से बी पर्दा उठ गया है। नए सीएम का ऐलान हो गया है। मोहन यादव को जिम्मेदारी दी गई है। मोहन यादव का नाम सीएम के रूप में काफी चौंकाने वाला है। शिवराज सिंह ने मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव रखा था। 

मध्य प्रदेश में तीन दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे। राज्य में मिली बंपर जीत के बाद भी सीएम के नाम को लेकर ऊहापोह की स्थिति बरकरार थी। पिछले आठ दिन के मंथन के बाद पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर दिया है।ओबीसी समाज से आने वाले मोहन यादव के नाम पर बीजेपी विधायक की बैठक में मुहर लगी।इससे पहले मध्य प्रदेश सीएम का नाम तय करने के लिए पर्यवेक्षकों ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात की। इसके बाद पर्यवेक्षक हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, भाजपा सांसद के लक्ष्मण और पार्टी नेता आशा लकड़ा ने भोपाल स्थिज राज्य मुख्यालय में विधायकों के साथ बैठक की। इसी में सीएम के नाम पर मुहर लगी।

सीएम पद की रेस में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, वीडी शर्मा और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम सामने आया था लेकिन मोहन यादव को सीएम बनाए जाने से सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया है। शुरू से ही ऐसी खबरें थीं कि भाजपा इस बार शिवराज के बजाय किसी अन्य को सीएम पद पर बैठा सकती है। मध्य प्रदेश के नए सीएम मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव खुद राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। बता दें कि मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।

साल 2013 में वह पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक बने थे। 2018 के मध्य प्रदेश विधान सभा चुनाव में एक बार फिर उज्जैन दक्षिण सीट से जनता ने उनको विधायक चुना। 2 जुलाई 2020 को शिवराज सिंह चौहान सरकार में वह कैबिनेट मंत्री बने और उनको उच्च शिक्षा मंत्री का कामकाज सौंपा गया। उनकी छवि हिंदुवादी नेता की रही है और मोहन यादव आएसएस के भी करीबी माने जाते हैं।

सीएम मोहन यादव के दो डिप्टी सीएम होंगे। जगबीर देवड़ा और राजेश शुक्ला डिप्टी सीएम चुने गए हैं।ओबीसी सीएम के साथ दलित और ब्राह्मण का समीकरण बनाया गया है।वहीं, नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार संभालेंगे।

आज का फैसला सिर्फ कानूनी फैसला नहीं, उम्‍मीद की किरण", अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर बोले पीएम मोदी

#pm_modi_bjp_reaction_on_supreme_court_verdict_on_article_370

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाना वैध माना है।आर्टिकल 370 पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा जम्मू-कश्मीर के लोगों को बेहतर भविष्य का आश्वासन दिया। उन्होंने इस फैसले को आशा की किरण बताया।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पोस्‍ट में कहा, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर आज का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है और 5 अगस्त 2019 को भारत की संसद द्वारा लिए गए फैसले को संवैधानिक रूप से बरकरार रखता है। यह जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में हमारी बहनों और भाइयों के लिए आशा, प्रगति और एकता की एक शानदार घोषणा है। न्यायालय ने अपने गहन ज्ञान से, एकता के मूल सार को मजबूत किया है, जि हम भारतीय होने के नाते बाकी सब से ऊपर प्रिय मानते हैं और संजोते हैं।

पीएम मोदी ने आगे लिखा, मैं जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि आपके सपनों को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रगति का लाभ न केवल आप तक पहुँचे, बल्कि इसका लाभ हमारे समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले वर्गों तक भी पहुँचे, जो अनुच्छेद 370 के कारण पीड़ित थे।

पोस्‍ट के अंत में पीएम मोदी ने ‘नया जम्मू-कश्मीर’ हैशटैग के साथ लिखा, “आज का फैसला सिर्फ कानूनी फैसला नहीं है; यह आशा की किरण है, उज्जवल भविष्य का वादा है और एक मजबूत, अधिक एकजुट भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प का प्रमाण है।

बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर आज (11 दिसंबर 2023) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गईं थी। उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी 11 दिसंबर को अपना फैसला सुनाया। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को संवैधानिक तौर पर वैध माना है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 अस्थायी तौर पर लागू था और जम्मू कश्मीर का अपनी कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं है। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

सांसदी जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची महुआ मोइत्रा, लोकसभा निष्कासन को दी चुनौती

#mahua_moitra_filed_petition_in_supreme_court

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कैश फॉर क्वेश्चन मामले में महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को लोकसभा ने सदस्यता से वंचित कर दिया था। अब उन्होंने इस निर्णय को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।बता दें कि इस मामले में शुक्रवार 8 दिसंबर को महुआ की सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

महुआ पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद एथिक्स कमिटी का गठन किया गया और फिर एथिक्स कमिटी ने लोकसभा में लंबी जांच-पड़ताल के बाद शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपा था।रिपोर्ट में एथिक्स कमिटी ने लोकसभा अध्यक्ष से महुआ मोइत्रा को सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट पेश होने के बाद लोकसभा में चर्चा के बाद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव जारी किया गया।

कृष्णानगर लोकसभा सीट से पहली बार संसद पहुंचीं मोइत्रा को लोकसभा की आचार समिति की रिपोर्ट में उन्हें ‘अनैतिक एवं अशोभनीय आचरण’ के लिए जिम्मेदार ठहराया गया जिससे उनके निष्कासन का रास्ता बना। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हंगामेदार चर्चा के बाद लोकसभा में मोइत्रा के निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। चर्चा में मोइत्रा को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया।

वहीं, संसद सदस्यता खत्म होने के बाद महुआ मोइत्रा ने कहा, मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। मैंने अडाणी का मुद्दा उठाया था, मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए मेरी सदस्यता रद्द की गई है। समिति ने अच्छे से जांच नहीं की। अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए मोइत्रा ने इस फैसले की तुलना ‘कंगारू अदालत’ द्वारा सजा दिए जाने से करते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोकसभा की आचार समिति को, विपक्ष को झुकने के लिए मजबूर करने का हथियार बना रही है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये सरकार के अंत की शुरुआत है।

क्या कर्नाटक में गिर रही है कांग्रेस की सरकार? जानें कुमारस्वामी के दावों की सच्चाई

#jds_kumaraswamy_claim_collapse_karnataka_congress_govt

दक्षिणी राज्य कर्नाटक में सियासी हलचल तेज होती दिख रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या कर्नाटक में कांग्रेस सरकार गिरने वाली है? ये सवाल उठ रहे हैं जनता दल (सेक्युलर) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी के दावों के बाद।राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दावा किया है कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ज्यादा समय तक नहीं चलने वाली है और वह बहुत जल्द गिर जाएगी। उन्होंने दावा किया है कि प्रदेश के एक प्रभावशाली मंत्री 50 से अधिक विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल होने की तैयारी में हैं।

अपने खिलाफ दर्ज मामलों से बचने के लिए मंत्री का बड़ा कदम- कुमारस्वामी

जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने संवाददाताओं से कहा, कांग्रेस सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। मुझे नहीं पता कि यह सरकार कब गिर जाएगी। एक प्रभावशाली मंत्री अपने खिलाफ दर्ज मामलों से बचने के लिये बेताब हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि केंद्र ने उनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जिनसे ‘बच’ निकलने की कोई संभावना नहीं है।

छोटे नेताओं से ऐसे निर्भीक कदम की उम्मीद नहीं- कुमारस्वामी

जब कुमारस्वामी से नेता का नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा कि छोटे नेताओं से ऐसे निर्भीक कदम की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि केवल प्रभावशाली लोग ही ऐसा कर सकते हैं। जद (एस) के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कर्नाटक में किसी भी समय महाराष्ट्र जैसा कुछ हो सकता है। उन्होंने कहा मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए कुछ भी हो सकता है। कुमार स्वामी ने महाराष्ट्र का जिक्र करते यह बयान ऐसे वक्त पर दिया है जब इसी महीने महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर फैसला लेंगे।

कोई भी नेता ईमानदार नहीं- कुमारस्वामी

पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने कहा, मौजूदा राजनीतिक माहौल को देखते हुए यहां कुछ भी हो सकता है। साथ ही यह भी कहा कि कोई भी नेता अब पार्टी के प्रति ईमानदार या प्रतिबद्ध नहीं है। वे अपने व्यक्तिगत लाभ को भी देखते हैं। राजनीति में ऐसा हमेशा होता आया है। जब कोई राजनेता अपनी सुविधा के लिए दलबदल कर लेते हैं तो विचारधाराएं पीछे रह जाती हैं

MP के लिए तय हो गए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के नाम, CM शिवराज के साथ पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे पर्यवेक्षक

 मध्य प्रदेश में विधायक दल की बैठक के लिए तीनों ही केन्द्रीय पर्यवेक्षक मनोहर लाल खट्टर, के. लक्ष्मण, आशा लाकड़ा भोपाल पहुंच गए हैं। इस बीच पर्यवेक्षक के. लक्ष्मण ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का फैसला आला कमान करेगा। हम केवल विधायकों से वन टू वन चर्चा करेंगे। लक्ष्मण के बयान से स्पष्ट हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने मध्यप्रदेश के लिए सीएम और डिप्टी सीएम के नाम पहले से तय कर दिए हैं।

वही प्रदेश भाजपा कार्यालय जाने के पूर्व पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री हाउस जाकर शिवराज सिंह से मिलने पहुंचे। प्रह्लाद पटेल के बंगले की सुरक्षा बढ़ाई गई। कैलाश विजयवर्गीय बोले, कोई भी नहीं है किसी रेस में। पार्टी जिसे जिम्मेदारी देगी, सभी उसके पीछे हो जायेंगे। पर्यवेक्षक मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, वहां शिवराज सिंह चौहान ने उनका स्वागत किया। इससे पहले पर्यवेक्षकों का भोपाल हवाईअड्डे पर स्वागत किया गया। 

सूत्रों का कहना है कि पर्यवेक्षक पहले विधायकों से वन-टू-वन चर्चा करेंगे। फिर 4 बजे बैठक शुरू होगी। के लक्ष्मण ने भोपाल के लिए रवाना होने से पहले कहा कि हम विधायकों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। उसे केंद्रीय नेतृत्व को सौंपा जाएगा। फैसला आलाकमान लेगा। आपको बता दें कि अब तक बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल सहित लगभग 40 विधायक पहुंच चुके हैं, रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। भोजन के पश्चात् सभी विधायकों का समूह फोटो होगा, जिसके लिए सभी 163 विधायकों को उपस्थित रहने के निर्देश हैं। थोड़ी देर में पर्यवेक्षक भी बीजेपी के प्रदेश कार्यालय पहुंच जाएंगे।

भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा”, आर्टिकल 370 पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई ने कही कई अहम बातें

#article370wastemporarysupreme_court

सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की प्रक्रिया को सही करार दिया है। सोमवार को फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रपति और संसद के पास 370 पर फैसला लेने का अधिकार है। इस तरह 5 अगस्त 2019 का भारत सरकार का फैसला बना रहेगा। जानते हैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातेः

विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा

सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा। कोर्ट ने माना है कि इसकी आंतरिक संप्रभुता नहीं है।चीफ जस्टिस ने कहा कि संविधान में कहीं इसका उल्लेख नहीं है कि जम्मू कश्मीर की कोई आंतरिक संप्रभुता है। युवराज कर्ण सिंह की साल 1949 में की गई उद्घोषणा और संविधान से इसकी पुष्टि होती है। संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत ही जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा बन गया था। भारत में विलय के बाद जम्मू कश्मीर की कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं बची थी। 

अस्थायी प्रावधान था संविधान का अनुच्छेद 370

सीजेआई ने कहा कि हमारा मानना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। हस्तांतरण के उद्देश्य से इसे लागू किया गया था। सीजेआई ने कहा कि राज्य में युद्ध के हालात के चलते विशेष परिस्थितियों में इसे लागू किया गया था। इसके लिए संविधान में प्रावधान किए गए हैं। राष्ट्रपति के आदेश की संवैधानिकता पर सीजेआई ने कहा कि फैसले के वक्त राज्य की विधानसभा भंग थी, ऐसे में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का नोटिफिकेश जारी करना राष्ट्रपति की शक्तियों के तहत आता है।

राष्ट्रपति की शक्तियों को चुनौती देना संवैधानिक स्थिति नहीं

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि370 का स्थायी होना या न होना, उसे हटाने की प्रक्रिया का सही होना या गलत होना, राज्य को 2 हिस्सों में बांटना सही या गलत- यह मुख्य सवाल है। हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। पीठ ने कहा, अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए।

30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये भी कहा कि केंद्र ने जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा देने को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया है, उसके मुताबिक निर्देश दिया जाता है कि जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि 30 सितंबर 2024 तक राज्य में विधानसभा चुनाव कराए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फ़ैसले को बरकरार रखा, कहा-केंद्र सरकार का निर्णय सही

#article_370_verdict

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज अनुच्छेद 370 पर सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया।सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पाँच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फ़ैसला देते हुए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म करने का फ़ैसला बरकरार रखा है।सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगले साल सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने के लिए क़दम उठाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा जितनी जल्दी बहाल किया जा सकता है, कर देना चाहिए।

फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फ़ैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है। अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था। इसके टेक्स्ट को देखें तो भी पता चलता है कि यह अस्थायी प्रावधान था।अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के ख़िलाफ़ याचिकाकर्ताओं ने एक दलील ये भी दी थी कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र सरकार राज्य की तरफ से इतना अहम फ़ैसला नहीं ले सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्टिकल-370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई है। आर्टिकल 370 हटाना संवैधानिक रूप से वैध है। सीजीआई ने सुनवाई के दौरान कहा, हमें सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिया जाएगा। लद्दाख केंद्र शासित क्षेत्र रहेगा। हम निर्देश देते हैं कि चुनाव आयोग नए परिसीमन के आधार पर 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाए। राज्य का दर्जा भी जितना जल्द संभव हो, बहाल किया जाए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 16 दिनों की बहस के बाद 5 सितंबर को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाया है।