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हार के बाद कमलनाथ से नाराज है आलाकमान, एमपी कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने पर संशय

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विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को मध्यप्रदेश में बड़ी हार का सामना करना पड़ा।रविवार को जारी चुनाव परिणाम में बीजेपी को 163 सीटें और कांग्रेस को मात्र 66 सीटों पर ही जीत मिली। वहीं, सत्ता की कुर्सी पर पहले से काबिज भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने परिणाम के तहत दो तिहाई बहुमत हासिल किया। पार्टी की हार के बाद से ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की अध्यक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

130 सीट जीतने का दावा करने वाली कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट कर रह गई। इसके बाद हार के कारणों का पता लगाने के लिएकांग्रेस ने आज भोपाल में कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में समीक्षा बैठक बुलाई गई।राजधानी दिल्ली रवाना होने से पहले कमलनाथ ने मंगलवार को पार्टी के सभी हारे और जीते उम्मीदवारों के साथ बैठक की। भोपाल में प्रदेश कार्यालय में हार की समीक्षा की गई। कमलनाथ ने सभी प्रत्याशियों से वन टू वन चर्चा की। कमलनाथ ने कहा, 'मुझे कुछ विधायकों ने बताया कि उन्हें अपने गांव में 50 वोट मिले। यह कैसे हो सकता है। जिसको पहले से परिणाम पता था, उसने एग्जिट पोल बनवाया होगा। एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए था। 

मिल रही जानकारी के मुताबिक कमलनाथ दिल्ली में खड़गे से मुलाकात कर सकते हैं। साथ ही उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए कहा जा सकता है। कमलनाथ को पद से हटाने की वजह मध्यप्रदेश में कांग्रेस की हार तो है ही। इसके अलावा चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को घटकों को लेकर उनके बयान की वजह से भी कांग्रेस आलाकमान कमलनाथ से नाराज है। चुनाव के दौरान कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो नीतीश कुमार सहित अन्य नेताओं के खिलाफ सीट बंटवारे को लेकर टिप्पणी की थी।

वहीं, पीसीसी चीफ कमलनाथ सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलने पहुंचे थे। कहा जा रहा है कि आलाकमान कमलनाथ के पार्टी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलने और सीएम शिवराज से मिलने की बात से भी नाराज है।

तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनने के लिए तैयार भारत, बनेगा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र, पढ़िए, अमेरिकी रेटिंग एजेंसी की रिपोर्ट

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने मंगलवार को कहा कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, लेकिन देश के लिए एक बड़ी परीक्षा 'विशाल अवसर' को अनलॉक करना और अगला बड़ा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनना होगा। अमेरिका स्थित रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि भारत अगले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी, जिसमें सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 6.4 प्रतिशत से बढ़कर 2026 तक 7 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी।

बता दें कि, मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत बढ़ी। भारत की जीडीपी जून और सितंबर तिमाही में क्रमशः 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत बढ़ी। ये वृद्धि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा जताए गए अनुमान से भी अधिक है। अब अमेरिकी रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि, 'भारत 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है, और हमें उम्मीद है कि यह अगले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होगी। एक सर्वोपरि परीक्षण यह होगा कि क्या भारत अगला बड़ा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन सकता है, ये एक विशाल अवसर है।''

एसएंडपी ने 'ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024: न्यू रिस्क, न्यू प्लेबुक' शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में कहा कि, "एक मजबूत लॉजिस्टिक्स ढांचा विकसित करना भारत को सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था से विनिर्माण-प्रमुख अर्थव्यवस्था में बदलने में महत्वपूर्ण होगा।" वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में 3.73 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आकार के साथ भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत को 2027-28 में तीसरी सबसे बड़ी जीडीपी के साथ 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का अनुमान लगाया है। एसएंडपी ने कहा कि श्रम बाजार की संभावनाओं को अनलॉक करना काफी हद तक श्रमिकों के कौशल बढ़ाने और कार्यबल में महिला भागीदारी बढ़ाने पर निर्भर करेगा। इन दोनों क्षेत्रों में सफलता से भारत को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का एहसास हो सकेगा।

एसएंडपी ने कहा कि एक तेजी से बढ़ता घरेलू डिजिटल बाजार अगले दशक के दौरान भारत के उच्च-विकास स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में विस्तार को बढ़ावा दे सकता है, विशेष रूप से वित्तीय और उपभोक्ता प्रौद्योगिकी में, ऑटोमोटिव क्षेत्र में, भारत विकास, बुनियादी ढांचे पर निर्माण, निवेश के लिए तैयार है। एसएंडपी ने आगे कहा कि 2024 में 50 से अधिक देशों में चुनाव (राष्ट्रपति और/या विधायी) होने हैं, जिनमें से कई के वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं। युद्ध में फंसे रूस और यूक्रेन दोनों में, जो जल्द ही अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश करेगा, मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होंगे।

एसएंडपी ने कहा कि नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति और विधायी चुनाव मध्य पूर्व और रूस-यूक्रेन दोनों स्थितियों में अनिश्चितता की एक परत जोड़ रहे हैं, यूक्रेन और इज़राइल के लिए अतिरिक्त फंडिंग के समर्थन के संबंध में कांग्रेस में अलग-अलग स्थिति है। इसमें आगे कहा गया है कि इंडोनेशिया, भारत, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको सहित कई उभरते बाजारों में 2024 में चुनाव होंगे। नीतिगत पूर्वानुमान का निम्न स्तर निवेशकों की भावना को कमजोर कर सकता है और मौजूदा निवेश क्षमता को पटरी से उतार सकता है। एसएंडपी ने कहा कि, उभरते बाजारों को अभी भी संरचनात्मक अवसरों से लाभ उठाने के लिए काम करना है। उदाहरण के लिए, इन विकासशील रुझानों में निवेश आकर्षित करने के लिए नीति दृश्यता बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा।

एनसीआरबी की रिपोर्ट, भारत में 2022 में हत्या के मामलों की कुल 28,522 प्राथमिकी हूंई, रोजाना 78 या प्रति घंटे तीन से अधिक मामले दर्ज किए गए


भारत में 2022 में हत्या के मामलों की कुल 28,522 प्राथमिकी दर्ज की गईं यानी रोजाना 78 मामले या प्रति घंटे तीन से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। आंकड़ों के अनुसार, 2022 में हत्या के मामलों में सबसे अधिक प्राथमिकी उत्तर प्रदेश में दर्ज की गईं। उत्तर प्रदेश में इन मामलों में 3,491 प्राथमिकी दर्ज की गई। इसके बाद बिहार (2,930) में प्राथमिकी दर्ज की गईं। एनसीआरबी ने बताया कि 2021 में 29,272 और 2020 में 29,193 मामले दर्ज किए गए थे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाले एनसीआरबी की वार्षिक अपराध रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में हत्या का सबसे बड़ा कारण 'विवाद' था। देश में 9,962 मामलों में हत्या का कारण 'विवाद' रहा। इसके बाद 3,761 मामलों में 'निजी प्रतिशोध या दुश्मनी' और 1,884 मामलों में 'लाभ' के लिए हत्या की गई। एनसीआरबी के अनुसार, देश में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या की दर 2.1 थी, जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 81.5 थी। 2022 में हत्या के मामलों में यूपी और बिहार के बाद महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और राजस्थान (1,834) में प्राथमिकी दर्ज की गईं। देशभर में हत्या के कुल मामलों में से इन शीर्ष पांच राज्यों में 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।

एनसीआरबी के अनुसार, जिन राज्यों में हत्या के मामलों की सबसे कम प्राथमिकी दर्ज की गईं, उनमें सिक्किम (नौ), नगालैंड (21), मिजोरम (31), गोवा (44), और मणिपुर (47) शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव (16), अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह (सात), लद्दाख (सात) और लक्षद्वीप (शून्य) में मामले दर्ज किए गए।

पूरे भारत में 2022 में हत्या की दर झारखंड (चार) में सबसे अधिक थी। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4), असम (तीन) और ओडिशा (तीन) में हत्या की दर सबसे अधिक रही। प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा। एनसीआरबी के अनुसार, हत्या संबंधी मामलों के पीड़ितों में 8,125 महिलाएं और नौ तृतीय लिंगी व्यक्ति थे जबकि लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे।

एमपी में CM पद की अटकलों के बीच शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान, बोले- 'मैं मुख्यमंत्री का दावेदार...', पढ़िए उन्होंने क्या कहा


मध्य प्रदेश में बीजेपी का सीएम पद के दावेदारों की अटकलों के बीच निवर्तमान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ना तो पहले कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और ना आज हैं। उन्होंने कहा कि वह पार्टी के कार्यकर्ता हैं तथा पार्टी जो भी काम देगी उसे पूरी क्षमता और ईमानदारी से करेंगे। हाल ही में एक वीडियो संदेश साझा कर शिवराज सिंह चौहान ने कहा, 'मैं मुख्यमंत्री का दावेदार ना तो पहले कभी रहा और ना आज हूं। मैं एक कार्यकर्ता के नाते सदैव, भारतीय जनता पार्टी मुझे जो भी काम देगी उसे समर्पित भाव से अपनी संपूर्ण शक्ति, क्षमता, और प्रमाणिकता, ईमानदारी से सदैव करता रहूंगा। मोदी जी हमारे नेता हैं और उनके साथ काम करने में हमने सदैव गर्व और आनंद का अनुभव किया है। प्रदेश की जनता का एक बार फिर से आभार।'

शिवराज सिंह चौहान ने यह बात ऐसे वक़्त पर कही है जब मध्य प्रदेश में सरकार गठन की प्रक्रिया तथा मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर हलचल तेज है। बीजेपी ने इस बार शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित नहीं किया था। पार्टी ने तीन मंत्रियों सहित सात सांसदों तथा दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा था। तब से अटकलें लगाईं जा रही हैं कि बीजेपी इस बार राज्य में नेतृत्व में परिवर्तन कर सकती है। हालांकि, बीजेपी की तरफ से अभी स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान की अगुआई में प्रचंड बहुमत हासिल किया है। बीजेपी ने 230 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में 163 पर जीत हासिल की है। कांग्रेस को सिर्फ 66 सीटों से संतोष करना पड़ा है। ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर सीएम बनाया जा सकता है। राजनीतिक विश्लेषक एवं बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि चौहान रेस में सबसे आगे हैं। जिस प्रकार का प्रचंड बहुमत पार्टी को मिला है उससे संकेत प्राप्त हुआ है कि शिवराज के खिलाफ जनता में किसी प्रकार की नाराजगी नहीं है, बल्कि 'मामा' की लोकप्रियता कायम है। ऐसे में उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सकता है।

नहीं रहे CID के ‘फ्रेडी’ दिनेश फडनीस, लीवर की बीमारी से झूज रहे थे एक्टर, एक दिसम्बर को तबीयत हुई थी खराब

टीवी एक्टर दिनेश फडनीस के फैंस के लिए एक बुरी खबर है। एक्टर हमेशा के लिए इस दुनिया का छोड़कर चले गए। एक दिसंबर को एक्टर की तबीयत खराब हुई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया था। पिछले चार दिनों वेंटीलेटर पर थे, जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे थे। जो वह ये लड़ाई हार गए।

एक्टर के निधन की खबर उनके को-स्टार और दयानंद शेट्टी ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि उनके दोस्त ने रात 12.08 बजे अंतिम सांस ली। महज 57 साल की उम्र में एक्ट्रेस इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जाने की खबर से टीवी इंडस्ट्री में शोक की लहर है।

बता दें, रविवार को की सबुह खबर सामने आई थी कि दिनेश फडनीस को हार्ट हटैक आया था, जिसके चलते उन्हें मुंबई के तुंगा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहीं शाम होते होते उनकी हेल्थ अपडेट भी सामने आया था। दयानंद शेट्टी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उन्हें हार्ट हटैक नहीं आया था, बल्कि उनका लीवर डैमेज हुआ, जिस कारण उन्हें भर्ती करवाया गया।

दिनेश का एक्टिंग करियर

दिनेश फडनीस ने ‘सीआईडी’ कई सालों तक काम किया था। उन्होंने साल 1998 से 2018 तक फ्रेडरिक्स की भूमिका निभाई थी। इसके वह ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में भी कैमियो रोल में नजर आए थे। इसके अलावा वह आमिर खान की फिल्म ‘सरफरोश’ और ऋतिक रोशन की ‘सुपर 30’ में भी नजर आए थे।

करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की घर में घुसकर हत्या, इलाके में मचा हड़कंप


राजस्थान से एक बड़ी खबर सामने आ रही है यहां राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेशाध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को आज राजधानी जयपुर में गोली मार दी गई। तत्पश्चात, उन्हें मानसरोवर स्थित मेट्रो मास अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिसमे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। श्याम नगर थाने इलाके का मामला बताया जा रहा है।

खबरों के अनुसार, गोली उनके श्याम नगर स्थित उनके आवास के पास ही मारी गई बताई जा रही है। इस गोलीकांड के पश्चात् मेट्रो मास हॉस्पिटल पर भारी भीड़ लग गई है। हालात को संभालने के लिए वहां भी पुलिस फोर्स तैनात की गई है। सुखदेव सिंह को दो गोलियां मारी गई बताई जा रही है। गोलियां किन लोगों ने चलाई है इसका भी अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी लंबे वक़्त से राष्ट्रीय करणी सेना से जुड़े हैं। उन्होंने करणी सेना संगठन में बहुत वक़्त पहले हुए विवाद के बाद राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के नाम से अलग संगठन बना लिया था। गोगामेड़ी उसके अध्यक्ष हैं। वे फिल्म पद्मावत और गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर केस के पश्चात् राजस्थान में हुए विरोध प्रदर्शन से खासा ख़बरों में आए थे। इन मुद्दों को लेकर उनके कई वीडियो भी वायरल हुए थे। सुखदेव सिंह को गोली मारने के पश्चात् इसकी खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई। हालात को देखते हुए पूरे जयपुर शहर में पुलिस हाई अलर्ट मोड पर आ गई। वहीं प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी अलर्ट कर दिया गया। हमलावर कौन थे और कहां से आए थे इसका अभी तक कुछ नहीं चल पाया है। पुलिस अपराधियों की तलाश में जुट गई है। वहीं प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है। बताया जा रहा है कि गोगामेड़ी बीते बहुत वक़्त से सुरक्षा की मांग कर रहे थे।

'20 साल पहले भी कांग्रेस 3 राज्य हारी थी, फिर लोकसभा चुनाव में..', शिकस्त में जयराम रमेश को दिखी आशा की किरण, कही ये बात

विधानसभा चुनाव नतीजों में भाजपा को तीन राज्यों - मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में प्रचंड बहुमत प्राप्त हुआ है। इन तीनों राज्यों में प्रबल दावेदार होने के बावजूद कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है, दो राज्यों में जहाँ उसके हाथ से सत्ता निकली है, वहीं मध्य प्रदेश में वो 20 साल (बीच में डेढ़ साल छोड़कर) के सूखे के बाद भी सत्ता हासिल करने में नाकाम रही। हालांकि, पार्टी ने इसमें एक बड़ी उम्मीद की किरण देखी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने विधानसभा चुनावों में मिली हार को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की संभावित जीत के रूप में देखा है। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है कि, ''ठीक 20 साल पहले, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में राज्य चुनाव हार गई थी, जबकि केवल दिल्ली में जीत हासिल की थी। लेकिन कुछ ही महीनों में पार्टी ने वापसी की और लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और केंद्र में सरकार बनाई। यह आशा, विश्वास और दृढ़ संकल्प और लचीलेपन की भावना के साथ है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रही है। जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया!''

जयराम रमेश का कहना है कि, 20 साल पहले भी ऐसा ही संयोग बना था और फिर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में बैठी थी, इस बार भी ऐसा हुआ है, तो पार्टी अगले साल लोकसभा चुनाव में इसी सोच और तैयारी के साथ उतरेगी। इससे पहले जयराम ने तीनों राज्यों में कांग्रेस को मिले वोट प्रतिशत के आंकड़े साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि, उनकी पार्टी भाजपा से अधिक पीछे नहीं है।

उन्होंने एक पोस्ट में लिखा था कि, 'यह सच है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक था और हमारी अपनी उम्मीदों से काफी नीचे था। लेकिन वोट शेयर उस कांग्रेस की कहानी बताते हैं जो भाजपा से बहुत पीछे नहीं है - वास्तव में, काफी करीब है। यह आशा और पुनरुद्धार का कारण है।" चुनावी आंकड़ों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा और कांग्रेस के लिए वोट शेयर क्रमशः 46.3 प्रतिशत और 42.2 प्रतिशत थे। रमेश ने कहा, मध्य प्रदेश में भाजपा का वोट शेयर 48.6 प्रतिशत और कांग्रेस का 40.4 प्रतिशत था। उन्होंने कहा, राजस्थान में भाजपा के पास 41.7 प्रतिशत वोट शेयर था और कांग्रेस के पास 39.5 प्रतिशत था। कांग्रेस नेता ने पोस्ट को "जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया" के साथ समाप्त किया। बता दें कि, ये 26 विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA की टैग लाइन है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए एकजुट हुए हैं।

बीजेपी के लिए बड़ा सवाल-कौन होगा राजस्थान का सीएम? वसुंधरा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया तो इन नामों पर हो सकता है विचार

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राजस्थान में बीजेपी ने चुनावी रण जीत लिया है। 199 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली है। यानी बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है।बीजेपी ने किसी को भी सीएम चेहरा बना कर चुनाव नहीं लड़ा। इसलिए अब ये सवाल काफ़ी अहम हो गया है कि आख़िर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा। भाजपा के लिए यह निर्णय करना अभी मुश्किल साबित हो रहा है।

राजस्थान में सीएम का फैसला संसदीय बोर्ड करेगा

इस बीच जयपुर पहुंचे प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह का बड़ा बयान सामने आया है। नई दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपने के बाद जयपुर पहुंचे प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि प्रदेश में पीएम मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा गया है, ऐसे में मुख्यमंत्री का फैसला भी संसदीय बोर्ड तय करेगा।बता दें कि अरुण सिंह सीपी जोशी के आवास पर भी मिलने पहुंचे। इस दौरान उनसे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे के आवास पर विधायकों की मुलाकात को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली, लेकिन सीएम फेस को लेकर साफ कह दिया कि जो बोर्ड तय करेगा, वह सभी को मान्य होगा।

आलाकमान को अपनी ताकत दिखाने में जुटी वसुंधरा

मुख्यमंत्री की रेस को लेकर बीजेपी में सियासत का पारा चढ़ा हुआ है। वसुंधरा भी आलाकमान को अपनी ताकत दिखाने में जुट गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कहीं ना कहीं इस बात का एहसास हो रहा है कि पार्टी हाई कमान इस बार उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाते हुए कोई नया चेहरा ला रही है। इसके बाद से वसुंधरा सोमवार को सक्रिय हो गई। इस दौरान वसुंधरा राजे के समर्थक करीब 47 विधायक उनसे मिलने उनके आवास पर पहुंचे। हालांकि इसे एक औपचारिक मुलाकात बताया जा रहा है। लेकिन सियासी गलियारों में इस मुलाकात को शक्ति प्रदर्शन से देखकर जोड़ा जा रहा है। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि वसुंधरा की जोर आजमाइश के बीच बीजेपी हाई कमान के लिए नया सीएम बनाया जाना आसान नहीं होगा।

वसुंधरा नहीं तो कौन?

राजस्थान की दो बार मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया के बारे में कहा जा रहा है कि वह आलाकमान की पसंद नहीं हैं। इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि वो नहीं तो कौन? राजस्थान में सीएम वसुंधरा नहीं तो कौन के सवाल के जवाब में अक्सर जो नाम आता है दीया कुमारी का।राजसमंद की सांसद दीया कुमारी भी वसुंधरा राजे की तरह राजपरिवार से आती हैं और उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी समेत पूरे बीजेपी आलाकमान का पसंदीदा माना जाता है।वहीं, राजनीतिक विश्लेषक ओम बिरला और बाबा बालक नाथ के नामों को भी मजबूत दावेदार बता रहे हैं।

हार के साइड इफेक्ट! कल होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक टली, ममता-नीतीश-अखिलेश के इनकार के बाद लिया गया फैसला

#india_alliance_meeting_postponed

विपक्षी गठबंधन ने जब से आकार लिया, उस वक्त से ही उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते रहे हैं। आए दिन किसी ना किसी तरह के मुनमुटाव की खबरें आती रही है। एक बार फिर गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव को लेकर होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक टल गई है।अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने के लिए इंडिया गठबंधन की नई दिल्ली में बुधवार (6 नवंबर) को बैठक होने वाली थी। कांग्रेस की तरफ से इस बैठक को बुलाया गया था, जिसमें विपक्ष के बड़े नेता हिस्सा लेने वाले थे। हालांकि, अब कई सारे नेताओं के इसमें शामिल नहीं होने की वजह से बैठक को टाल दिया गया है।

दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया था।माना जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के ना आने की खबरों के बीच इंडिया गठबंधन को लेकर उठ रहे सवालों के चलते बैठक टाल दिया गया है।

इधर, जदयू की ओर से सीएम नीतीश कुमार के जाने या नहीं जाने के विषय पर अब तक बयान नहीं दिया गया है। जदयू के नेता का कहना है कि सीएम नीतीश कुमार को डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी है। उन्हें वायरल बुखार हुआ था। इनदिनों उनकी तबीयत ठीक नहीं है। इसलिए दिल्ली में होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो रहे। जदयू राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा इस बैठक शामिल होंगे।

इससे पहले गठबंधन की 6 दिसंबर को होने वाली बैठक पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि ‘मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है और मेरे उत्तर बंगाल के कुछ कार्यक्रम तय हैं। अगर इस बारे में जानकारी होती तो मैं उत्तर बंगाल के कार्यक्रम में नहीं जाती. मैं उत्तर बंगाल के दौरे पर जा रही हूं।अखिलेश यादव भी बैठक में हिस्सा लेने नहीं आ रहे हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं यहां रांची में व्यस्त रहूंगा. मैंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से बात की है। हमारी तरफ से एक प्रतिनिधि बैठक में जा सकता है।

नीरज चोपड़ा ने दी जसमीत बुमराह को काम की सलाह, जैवलिन के अनुभव के आधार बताया कैसे बढ़ाएं बॉलिंग की स्पीड

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भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर और ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा ने टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को बड़े काम की सलाह दी है।नीरज चोपड़ा ने बुमराह को गेंदबाज़ी की रफ्तार बढ़ाने के ले जरूरी सलाह दी है। नीरज चोपड़ा ने अपने जैवलिन थ्रो के अनुभव के आधार पर जसमीत बुमराह को ये सलाह दी है।जसप्रीत बुमराह भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य तेज़ गेंदबाज़ों में से एक हैं। बुमराह करीब 135 से 145 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाज़ी कराते हैं, जिसे बढ़ाने के लिए भारत के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने उन्हें खास मंत्र दिया है।

नीरज चोपड़ा ने बुमराह को अपना पसंदीदा गेंदबाज़ बताया। उन्होंने कहा कि बुमराह का बॉलिंग एक्शन काफी अनोखा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जैवलिन स्टार ने बुमराह को गेंद की रफ्तार बढ़ाने के बारे में सलाह देते हुए कहा, मुझे लगता है कि उन्हें अपना रनअप लंबा करना चाहिए, जिससे उनकी गेंद की रफ्तार बढ़ सके। उन्होंने आगे कहा, वो अपने जैवलिन के तजुर्बे से ये बात बता रहे हैं। हम अक्सर इस बारे में बात करते हैं कि बॉलर्स को अपनी रफ्तार कैसे बढ़ानी चाहिए। वो अगर अपना रनअप थोड़ा पीछ कर लें तो ये हो सकता है।

29 साल के बुमराह ने अब तक 30 टेस्ट में 128 विकेट, 89 वनडे में 149 विकेट और 62 टी20 में 74 विकेट लिए हैं। नीरज की बात करें तो 2023 उनके लिए शानदार रहा था। वह विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। नीरज भारत के महान एथलीट्स में से एक हैं। एशियाई खेलों में उन्होंने लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक अपने नाम किया। नीरज का अगला बड़ा असाइनमेंट 2024 पेरिस ओलंपिक है।

बता दें इस बार टीम इंडिया वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी और इस मैच का लुत्फ लेने के लिए नीरज चोपड़ा भी अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में दिखाई दिए थे। चोपड़ा ने कहा कि मैंने मैच का आनंद लिया लेकिन अगर टीम इंडिया यह मैच जीत जाती तो निश्चित ही वह बहुत ज्यादा खुश होते।