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पीएम मोदी पर राहुल गांधी के हमले के बाद नोटिस भेजे जाने के बाद भी कांग्रेस के वही तेवर बरकरार, सोशल मीडिया पर की एक और टिप्पणी

क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में भारतीय टीम की हार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से जोड़ते हुए उन्हें पनौती बता दिया था। इस पर भाजपा ने उनकी चुनाव आयोग में शिकायत की थी। इस पर आयोग ने उन्हें नोटिस भी जारी किया था, लेकिन कांग्रेस अब भी अपने तेवर वही बनाए हुए है। उसने अब सोशल मीडिया पर एक और विवादित टिप्पणी करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को पनौती-ए-आजम बता दिया है। एक पोस्टर जारी करते हुए लिखा है, 'पनौती तुम कब जाओगे।' इस पोस्टर में कांग्रेस ने पीएम मोदी को चंद्रयान-2 की असफलता, कोरोना और फाइनल में हार के लिए जिम्मेदार बताया है।

दरअसल अहमदाबाद में हुए वर्ल्ड कप फाइनल को देखने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी भी पहुंचे थे। उसी का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने उन्हें लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था। किसी चीज या व्यक्ति को अशुभ बताने के लिए पनौती शब्द का इस्तेमाल लोग करते हैं। ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इस तरह की बात करना कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। 2019 के आम चुनाव से पहले भाजपा ने पीएम मोदी के लिए चौकीदार चोर है बोलने को हथियार बना लिया था। अब राहुल गांधी के इस बयान पर भी भाजपा मुद्दा बना सकती है। राहुल गांधी और कांग्रेस पर पीएम मोदी को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए भाजपा आक्रामक हो सकती है।

इस मसले पर चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। अब कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 1960 की फिल्म मुगल-ए-आजम की तर्ज पर एक पोस्टर जारी किया है। इसका शीर्षक पनौती-ए-आजम दिया गया है। यही नहीं एक पोस्टर पंजाब कांग्रेस ने जारी किया है, जिसमें लिखा गया है- पनौती तुम कब जाओगे। गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी पहले भी कांग्रेस की ओर से खुद पर किए गए हमलों को ही हथियार बनाकर चुनाव में उतरते रहे हैं।

पहले भी 'नीच' और चायवाला जैसे बयानों पर भुगत चुकी है कांग्रेस

अब तक इन बयानों पर पीएम मोदी ने कुछ नहीं कहा है। लेकिन किसी अहम मौके पर या फिर लोकसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी अपने ही अंदाज में इसका जवाब दे सकते हैं। इससे पहले कांग्रेस को 'मौत का सौदागर', नीच आदमी और चाय वाला जैसी टिप्पणियां भारी पड़ी हैं। इस तरह भाजपा एक बार फिर से इस मसले पर फायर हो सकती है और 2024 से पहले पीएम के अपमान को जोर-शोर से मुद्दा बनाया जा सकता है।

दुनिया की बढ़ती आबादी के बीच राहत की खबर, दुनिया के कई देशों में जन्मदर में सुधार, भारत ने भी किया शानदार प्रदर्शन, पढ़िए, रिपोर्ट

दुनिया की बढ़ती आबादी के बीच एक राहत की खबर सामने आई है। दुनिया के कई देशों में जन्मदर में काफी सुधार हुआ है। भारत ने भी इस मामले में शानदार प्रदर्शन किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 300 वर्षों में दुनिया की आबादी 8 अरब से घटकर 2 अरब तक हो जाएगी। वर्तमान समय की बात करें तो भारत और चीन की ही जनसंख्या 3 अरब के करीब है। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 से लेकर 2080 के बीच दुनिया की जनसंख्या सर्वाधिक करीब 10 अरब के करीब पहुंचेगी। इसके बाद इसमें कमी देखने को मिलेगी।

टेक्सास विश्वविद्यालय के जनसंख्या शोध केंद्र में काम करने वाले महान अर्थशास्त्री डीन स्पीर्स ने द न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए लिखे अपने लेख में कई खुलासे किए हैं। उन्होंने कहा है कि अगले 300 वर्षों में दुनिया में मनुष्यों का जन्मदर 1.5 के करीब बना रहेगा। वर्तमान समय में कई देशों में यह 2 से भी अधिक है। दक्षिण अफ्रीका का साल 2022 में जन्म दर 2.1, इंडोनेशिया में 1.9 और भारत में 1.8 के करीब रहा।

भारत ने बढ़ते जन्मदर के मामले में काफी सुधार किया है। 2020 में यह 2 के करीब था। अब यह 1.8 तक लुढ़का है। इसके और नीचे जाने की संभावना है। भारत में वर्तमान समय में युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। औसतन 28 साल की सर्वाधिक जनसंख्या है। हालांकि, 2048 तक यह 40 तक जा सकता है। जापान की बात करें तो यह अभी ही 49 के करीब है। 

भारत से सीखे कोंगो और नाइजीरिया जैसे देश

दुनिया के कई देशों में जन्मदर के मामले में सुधार हुआ है, लेकिन आज भी कई ऐसे देश हैं जहां की स्थिति ठीक नहीं है। उन देशों में कोंगो, नाइजीरिया और इथोपिया भी शामिल है, जिसे भारत से सीख लेने की जरूरत है। 1981 से 2020 के बीच भारत के 12 राज्यों ने जन्मदर के मामले में काफी शानदार काम किया है। हरियाणा में जन्मदर में 60 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश, पंजाब और पश्चिम बंगाल में भी 60 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, ओडिशा, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

बिहार की 12 फ्लाइट अगले महीने हो जाएगी बंद, पटना एयरपोर्ट से नहीं भरेगी उड़ान, यात्री हो रहे परेशान


अगले महीने पटना से चलने वाली एक दर्जन से अधिक फ्लाइट बंद हो जायेगी। इनमें से कुछ पहले सप्ताह में बंद हो जायेगी, जबकि कुछ 15 दिसंबर के आसपास बंद हो जायेगी। इसकी वजह धुंध का बढ़ना है। सुबह में पटना एयरपोर्ट के आसपास घना कुहासा छाने लगा है। इससे सुबह सात बजे जब पटना एयरपोर्ट पर पहली फ्लाइट की लैंडिंग का समय होता है, तो उस समय दृश्यता गिरकर 600 से 800 मीटर के बीच पहुंच चुकी होती है। बीते सप्ताह से ही विमानों के परिचालन पर इसका असर दिखने लगा है। दो दिनों से पटना से विमान डायवर्ट होने लगे हैं। घनी धुंध से जब पटना एयरपोर्ट का रनवे पायलट को नहीं दिखता है, तो विमान को बनारस, रांची, भुवनेश्वर या कोलकाता एयरपोर्ट पर ले जाना पड़ता है।

सुबह 10:30 बजे के पहले नहीं उड़ेंगे विमान

सुबह 10:30 बजे से पहले और रात आठ बजे के बाद की फ्लाइटें बंद हो जायेंगी। अभी ऐसी 13 फ्लाइटें चल रही हैं। सुबह 10:30 बजे तक पटना एयरपोर्ट से आठ विमानों का शेड्यूल है. इनमें सात इंडिगो की हैं, जिनमें तीन दिल्ली आती-जाती हैं, जबकि एक-एक कोलकाता, बेंगलुरु, चंडीगढ़ और हैदराबाद आती-जाती है। एक फ्लाइट स्पाइसजेट की है. रात आठ बजे के बाद पटना एयरपोर्ट से पांच फ्लाइटें आती-जाती हैं। इनमें इंडिगो की तीन हैं। एक स्पाइसजेट की है जो बेंगलुरु जाती है, जबकि एक फ्लाइबिग की है, जो कोलकाता जाती है. इनमें अधिकतर फ्लाइटें बंद हो जायेंगी।

दृश्यता की जरूरत 1400 मीटर तक 

पटना एयरपोर्ट पर बीते वर्ष विमान उतरने के लिए एक हजार मीटर दृश्यता की जरूरत थी, क्योंकि घनी धुंध की स्थिति में भी इसे इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम और 400 मीटर एप्रोच लाइट की सुविधा मिल जाती थी। लेकिन मार्च से इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम के मेंटेनेंस का काम चल रहा है, इससे लैंडिंग के लिए दृश्यता की जरूरत बढ़कर 1400 मीटर तक पहुंच गयी है. दिसंबर और जनवरी में 1400 मीटर की दृश्यता की जरूरत बनी रही, तो 15 जोड़ी से अधिक फ्लाइटें नहीं उड़ पायेंगी।

आठ घंटे देर से उड़ी स्पाइसजेट की फ्लाइट

धुंध का असर पटना एयरपोर्ट से विमानों के परिचालन पर शनिवार को भी दिखा। ऑपरेशनल वजह से मुंबई से पटना आने वाली स्पाइसजेट की फ्लाइट आठ घंटे देर से आयी और लगभग उतने ही देर से गयी जबकि धुंध के कारण 14 अन्य विमान भी देर से आये गये। इनमें से दो विमानों की देरी दो घंटे से अधिक जबकि चार विमानों की देरी एक घंटे से अधिक रही। विमानों की देरी से यात्री परेशान रहे और कई ने हंगामा भी किया जिन्हें एयरलाइंस के कर्मियों और सीआइएसएफ के कर्मियों ने समझा-बुझा कर शांत कराया।

विजिबलिटी कम हाेने से विमानों को करना पड़ रहा डायवर्ट

बता दें कि पटना एयरपाेर्ट पर विजिबलिटी कम हाेने से विमानों को इन दिनों लगातार डायवर्ट करना पड़ रहा है। शुक्रवार काे भी दाे विमान पटना आने के बाद डायवर्ट हाे गये। इंडिगाे की काेलकाता-पटना फ्लाइट 6इ 668 डायवर्ट हाेकर रायपुर चली गयी, जबकि दिल्ली-पटना का विमान 6इ 2163 एयरपाेर्ट का दाे-तीन चक्कर लगाने के बाद काेलकाता चली गयी। काेलकाता एयरपाेर्ट व्यस्त हाेने से काेलकाता-पटना फ्लाइट काे काेलकाता नहीं भेजा गया और रायपुर डायवर्ट कर दिया गया। इससे 186 और दिल्ली-पटना फ्लाइट से 173 यात्रियाें काे पटना आना था। इनके अलावा 22 जोड़ी अन्य फ्लाइटें भी पटना एयरपोर्ट पर देर से आयी गयी. 1000 मीटर से कम विजिबलिटी हाेने से सुबह में विमानाें का ऑपरेशन नहीं हाे सका। 11.30 बजे चंडीगढ़ से आयी फ्लाइट की पटना एयरपाेर्ट पर पहली लैंडिंग हुई। दिल्ली-पटना की फ्लाइट के आने का समय सुबह 8:30 बजे था, पर सवा घंटे देर से 9:45 बजे पटना में एयर बाेर्न हाे चुकी थी। पर विजिबलिटी 800 मीटर हाेने से दाे-तीन चक्कर लगाने के बाद विमान काे काेलकाता भेज दिया गया. वहीं काेलकाता-पटना फ्लाइट निर्धारित समय पर 9:45 बजे आ चुकी थी, पर विजिबलिटी कम हाेने की वजह से रायपुर डायवर्ट हाे गयी। बाद में दिल्ली-पटना की फ्लाइट काेलकाता से रवाना हाेकर करीब 1 बजे पहुंची,वहीं दिल्ली-काेलकाता फ्लाइट रायपुर से पटना एयरपाेर्ट पर 12 बजे पहुंची।

यात्री हो रहे परेशान

विमानाें काे डायवर्ट हाेने से यात्री भी हंगामा कर रहे हैं। शुक्रवार को पटना से दिल्ली जाने वाले 175 यात्री और पटना से काेलकाता जाने वाले 174 यात्री पटना एयरपाेर्ट पर विमान से जाने के लिए पांच घंटे तक अटके रहे। कोलकाता जा रहे एक यात्री ने बताया कि 10:30 बजे बताया गया कि 12 बजे फ्लाइट जायेगी। एयरपोर्ट पर बैठने तक की जगह नहीं थी। लोगों को जानकारी भी नहीं दी जा रही थी कि विमान के देरी से आने या जाने की वजह क्या है। कुछ यात्रियों ने हंगामा किया, तो उन्हें नाश्ते का पैकेट दिया गया। कुछ लोगों को यह नहीं भी दिया गया।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट विश्वसनीय नहीं, आपके पास अडानी के खिलाफ क्या सबूत ? वकील प्रशांत भूषण से CJI चंद्रचूड़ का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित समूह की उस रिपोर्ट से जुड़े मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सख्त सवाल उठाए, जिसमें अडानी समूह को निशाना बनाया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण से शुक्रवार को कहा है कि, 'हमें विदेशी रिपोर्टों को सच क्यों मानना चाहिए? हम रिपोर्ट को खारिज नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमें सबूत चाहिए। तो आपके पास अडानी समूह के खिलाफ क्या सबूत है?' 

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि, "किसी प्रकाशन के काम को सत्य का सुसमाचार नहीं माना जा सकता।" बता दें कि, अरबपति जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) ने दो विदेशी निवेशकों के माध्यम से अडानी समूह में अंदरूनी व्यापार का आरोप लगाया था। अडानी समूह ने इन्हें "पुनर्नवीनीकरण आरोप" कहा है और "योग्यताहीन हिंडनबर्ग रिपोर्ट" को पुनर्जीवित करने के लिए विदेशी मीडिया के एक वर्ग द्वारा समर्थित सोरोस-वित्त पोषित हितों द्वारा एक और ठोस प्रयास कहा है।

पूंजी बाजार नियामक SEBI ने भी "विदेशी गैर-लाभकारी (NGO)" से आई रिपोर्ट को अविश्वसनीय बताते हुए खारिज कर दिया है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि, "अगर हम ऐसी रिपोर्टों पर कार्रवाई करेंगे तो हमारी एजेंसियां क्या करेंगी? विदेशी रिपोर्टों द्वारा भारतीय नीतियों को प्रभावित करने का एक नया चलन है।" SEBI ने कहा कि उसने अधिक जानकारी के लिए OCCRP से संपर्क किया, लेकिन जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित गैर-लाभकारी संस्था ने नियामक को प्रशांत भूषण द्वारा संचालित एक NGO से संपर्क करने के लिए कहा।

तुषार मेहता ने कहा कि, "आप इस तथाकथित जनहित याचिका में पेश होते हैं, कुछ रिपोर्ट तैयार करते हैं और स्रोत का खुलासा किए बिना यह पूछते हैं? मैं आपको शर्मिंदा नहीं करना चाहता था। लेकिन यह हितों का टकराव है।" सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर SEBI इस बात की जांच कर रही है कि क्या हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने से पहले और बाद में कोई उल्लंघन हुआ था। मेहता ने कहा कि सेबी ने संदिग्ध लेनदेन के 24 मामलों में से 22 की जांच पूरी कर ली है, और शेष दो के लिए विदेशी एजेंसियों से जानकारी की प्रतीक्षा की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जो निवेशकों की सुरक्षा के लिए भारत के नियामक तंत्र को देखने वाली अदालत द्वारा नियुक्त समिति पर संदेह पैदा करती प्रतीत होती थी।

प्रशांत भूषण की इस दलील पर कि विशेषज्ञ समिति के कुछ सदस्यों ने अडानी समूह के लिए काम किया है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैनल का गठन उसने (कोर्ट ने) किया था, अडानी ने नहीं। CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि, "अगर कोई वकील 2006 में अडानी के लिए पेश हुआ, तो हम 2023 में उससे पूछताछ नहीं कर सकते। समिति पर संदेह उठाना अनुचित है। क्या किसी आरोपी के वकील को कभी जज नहीं बनाया जाएगा? आपको आरोप लगाते समय सावधान रहना चाहिए। किसी पर भी आरोप लगाना आसान है, लेकिन उसे साबित करने के लिए सबूत होना चाहिए।' 

बता दें कि, जांच समिति ने मई में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में अडानी ग्रुप को क्लीन चिट दे दी थी। इसने कहा था कि SEBI की ओर से कोई नियामक विफलता नहीं थी, और अडानी समूह की ओर से कोई मूल्य हेरफेर नहीं हुआ था और समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद गंभीर बाजार उथल-पुथल के बीच खुदरा निवेशकों को आराम देने के लिए आवश्यक कदम उठाए थे। बता दें कि, अडानी समूह पर आरोप शेयर बाजार नियमों के उल्लंघन से संबंधित हैं, जिसको लेकर भारत में काफी सियासी बवाल भी मचा था। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने तो यहाँ तक कह दिया था कि, अडानी देश का पैसा लेकर भाग जाएंगे। लेकिन, अभी तक कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट से अडानी समूह को क्लीन चिट मिल चुकी है और कुछ मामलों की जांच जारी है। हालाँकि, अब तक अडानी समूह के खिलाफ गड़बड़ी या हेरफेर करने का कोई सबूत नहीं मिला है।

आज पूरे भारत में मनाया जा रहा संविधान दिवस, जानिए, दुनिया के सबसे लंबे लिखित भारतीय संविधान के कुछ रोचक तथ्य


हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। लोकतंत्र भारत का सार संविधान से उत्पन्न होता है, जिसे सांसदों और नागरिकों दोनों द्वारा सम्मान दिया जाता है, जो हमें स्वतंत्रता, जीवन जीने की भावना, समानता और एक नागरिक द्वारा गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक हर चीज प्रदान करने की क्षमता के लिए इसका विशेष महत्व है. 26 नवंबर, 1949, वह 'पवित्र' दिन था जब स्वतंत्र भारत की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया और देश के कामकाज में इसके महत्व को बरकरार रखा।

इन लोगों ने संविधान को अपनाया

डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान सभा की मसौदा समिति के अन्य सदस्यों के साथ, जिनमें केएम मुंशी, मुहम्मद सादुल्लाह, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाल स्वामी अयंगर, एन. माधव राव शामिल थे, 1928 में नेहरू द्वारा पूर्ण स्वराज के विचार को मनाने के लिए संविधान को विधिवत अपनाया।

भारत का संविधान

भारत का संविधान, देश का सर्वोच्च कानून, मौलिक राजनीतिक संहिता, संगठनात्मक संरचना, संचालन प्रक्रियाओं और सरकारी संस्थानों की जिम्मेदारियों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों, मार्गदर्शक सिद्धांतों और नागरिकों के कर्तव्यों को परिभाषित करने के लिए रूपरेखा स्थापित करता है। यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित राष्ट्रीय संविधान है। भारतीय संविधान सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान को मंजूरी दी, और यह 26 जनवरी, 1950 को प्रभावी हुआ।

कुछ रोचक तथ्य

भारत के संविधान को 'उधार के थैले' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें विभिन्न देशों के संविधानों से प्रांतों को उधार लिया गया है। हालांकि, इसे भारत के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, भौगोलिक विविधता और सांस्कृतिक और पारंपरिक विशेषताओं के अनुसार तैयार किया गया था।

भारत का संविधान, जो दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है, प्रेम नारायण रायजादा द्वारा हिंदी और अंग्रेजी दोनों में हस्तलिखित और सुलेखित किया गया है और देहरादून में उनके द्वारा प्रकाशित किया गया था।

संविधान के पहले मसौदे में लगभग 2000 संशोधन किए गए थे।

भारत का संविधान लागू होने के बाद भारतीय महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला। पहले उन्हें इस अधिकार से वंचित रखा गया था। केवल पुरुषों को वोट डालने की अनुमति थी।

1950 का मूल संविधान नई दिल्ली में संसद भवन में नाइट्रोजन से भरे एक केस में संरक्षित है।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले व्यक्ति थे। संविधान सभा के तत्कालीन अध्यक्ष फिरोज गांधी इस पर हस्ताक्षर करने वाले अंतिम व्यक्ति थे।

1976 के 42वें संशोधन अधिनियम को "लघु संविधान" के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसने भारतीय संविधान में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इसने भारत के विवरण को "संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य" से बदलकर "संप्रभु, समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य" कर दिया और "राष्ट्र की एकता" शब्दों को "राष्ट्र की एकता और अखंडता" में भी बदल दिया।

लगभग 64 लाख रुपये के कुल खर्च के साथ संविधान लागू हुआ। एमएन रॉय 1934 में संविधान सभा की स्थापना का सुझाव देने वाले पहले व्यक्ति थे, जो अंततः 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक आधिकारिक मांग बन गई।

डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर एक बार संविधान को जलाना चाहते थे। "यह छोटे समुदायों और छोटे लोगों की भावनाओं को शांत करने से है, जो डरते हैं कि बहुमत गलत कर सकता है, कि ब्रिटिश संसद काम करती है. महोदय, मेरे मित्र मुझसे कहते हैं कि मैंने संविधान बनाया है। लेकिन मैं यह कहने के लिए काफी तैयार हूं कि मैं इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति बनूंगा।

हैदराबाद से लाई गई प्लाज्मा कटर तेजी से कर रही कार्य, महज 14 मीटर की दूरी, सुरंग में फंसे मजदूरों के निकलने में बस कुछ ही घंटे का इंतजार

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जान जोखिम में है। रेस्क्यू की राह में कई तरह के अवरोध आ रहे हैं। जो मशीनें खोज बचाव के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचाई जा रही हैं, उन्हें सिलक्यारा पहुंचने में बदहाल सड़कों से जिल्लत झेलनी पड़ रही है। फिर भी रेस्क्यू जारी है, जल्द ही मजदूर बाहर आएंगे…

चारधाम ऑलवेदर परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए बचाव अभियान चल रहा है। पखवाड़े भर से टनल के अंदर फंसे श्रमिकों का रेस्क्यू जारी है लेकिन ड्रिलिंग के लगातार अवरुद्ध होने से देरी हो रही है। हालांकि मजदूरों का स्वास्थ ठीक है और उन्हें पाइप के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है।

 प्लाज्मा मशीन ने कार्य करना किया शुरू : सीएम धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हैदराबाद से जो प्लाज्मा मशीन लाई गई है, उसने काम करना शुरू कर दिया है। कटाई तेजी से चल रही है। अब कुल 14 मीटर की दूरी शेष बची हुई है जो अगले कुछ घंटों में पूरी कर ली जाएगी। उसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू होगा।”

ऑगर से पेंच काटने में जुटी टीम

 उत्तरकाशी में बचाव टीम ऑगर से पेंच काट रही है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए इंजीनियरिंग समूह लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) से बचाव टीम को एक प्लाज्मा मशीन मिली है। इस मशीन को एलएंडटी का क्रिस कूपर कहा जाता है।

हैदराबाद से लाई गई प्लाज्मा कटर तेजी से कर रही कार्य, महज 14 मीटर की दूरी, सुरंग में फंसे मजदूरों के निकलने में बस कुछ ही घंटे का इंतजार


उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जान जोखिम में है। रेस्क्यू की राह में कई तरह के अवरोध आ रहे हैं। जो मशीनें खोज बचाव के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचाई जा रही हैं, उन्हें सिलक्यारा पहुंचने में बदहाल सड़कों से जिल्लत झेलनी पड़ रही है। फिर भी रेस्क्यू जारी है, जल्द ही मजदूर बाहर आएंगे…

चारधाम ऑलवेदर परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने के लिए बचाव अभियान चल रहा है। पखवाड़े भर से टनल के अंदर फंसे श्रमिकों का रेस्क्यू जारी है लेकिन ड्रिलिंग के लगातार अवरुद्ध होने से देरी हो रही है। हालांकि मजदूरों का स्वास्थ ठीक है और उन्हें पाइप के जरिए खाना पहुंचाया जा रहा है।

 प्लाज्मा मशीन ने कार्य करना किया शुरू : सीएम धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हैदराबाद से जो प्लाज्मा मशीन लाई गई है, उसने काम करना शुरू कर दिया है। कटाई तेजी से चल रही है। अब कुल 14 मीटर की दूरी शेष बची हुई है जो अगले कुछ घंटों में पूरी कर ली जाएगी। उसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग का काम शुरू होगा।”

ऑगर से पेंच काटने में जुटी टीम

 उत्तरकाशी में बचाव टीम ऑगर से पेंच काट रही है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए इंजीनियरिंग समूह लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) से बचाव टीम को एक प्लाज्मा मशीन मिली है। इस मशीन को एलएंडटी का क्रिस कूपर कहा जाता है।

राजस्थान में मतदान के बीच फतेहपुर में जमकर पथराव और हिंसा, 5 बजे तक 68.24 फीसद वोटिंग

 राजस्थान में 199 विधानसभा सीटों के लिए मतदान में आज उस समय अस्थायी रुकावट आ गई जब फतेहपुर शेखावाटी से हिंसा की खबरें सामने आईं। आम तौर पर शांतिपूर्ण चुनावी प्रक्रिया के बावजूद, दो समूहों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप एक घंटे तक भारी पथराव हुआ। इस बीच राजस्थान में 5 बजे तक 68.24 फीसद मतदान दर्ज किया गया है।

हिंसक झड़प

दो समूहों के बीच संघर्ष के कारण अराजक स्थिति पैदा हो गई और भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई। भारी पथराव उपद्रव का केंद्र बिंदु बन गया, जिससे मतदान प्रक्रिया में थोड़ी देर के लिए व्यवधान उत्पन्न हुआ। सुरक्षा बलों ने तुरंत हस्तक्षेप किया, जिससे स्थिति नियंत्रण में आ गई। व्यवस्था बहाल होते ही हिंसा भड़काने वाले लोग घटनास्थल से भागते दिखे।

समाधान और बहाली

सुरक्षा बलों के हस्तक्षेप के बाद स्थिति शांत हुई और मतदान प्रक्रिया फिर से शुरू हुई। हालाँकि तनाव थोड़े समय के लिए ही रहा, लेकिन इस घटना में अशांति का क्षण दिखाई दिया, लोगों ने छतों से पत्थर फेंके। फिलहाल, व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान वहां तैनात हैं।

सुरक्षा उपाय

राजस्थान चुनाव के लिए एक मजबूत सुरक्षा तंत्र लगाया गया है, जिसमें कुल 1,02,290 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। इसमें 69,114 पुलिसकर्मी, 32,876 राजस्थान होम गार्ड, फॉरेस्ट गार्ड और आरएसी के जवानों के साथ-साथ सीएपीएफ की 700 कंपनियां शामिल हैं।

चुनावी अवलोकन

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने राज्य में 36,101 मतदान स्थलों सहित व्यापक मतदान बुनियादी ढांचे पर विवरण प्रदान किया। इनमें से 10,501 शहरी क्षेत्रों में और 41,006 ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए 26,393 मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग लागू की गई है।

30 वर्षों से आरक्षण मांग रहे 'अनुसूचित' समुदाय के लिए पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान, निर्देश जारी

 चुनावी राज्य तेलंगाना के कामारेड्डी में एक सार्वजनिक संबोधन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार (25 नवंबर) को मडिगा समुदाय के लिए अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण में उप-वर्गीकरण को संबोधित करने के लिए एक समिति के शीघ्र गठन का आश्वासन दिया। मडिगा समुदाय के लिए चिंता व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, "भाजपा मडिगा समुदाय के साथ हुए अन्याय को समझती है। भारत सरकार इस अन्याय को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है।" 

उन्होंने तीन तलाक के उन्मूलन, अनुच्छेद 370 को हटाने और राम मंदिर के निर्माण का हवाला देते हुए वादों को पूरा करने में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि, "लोगों ने राष्ट्रीय राजनीति में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड देखा है। भाजपा जो वादा करती है उसे पूरा करती है। हमने अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा किया था; यह किया गया। हमने 'तीन तलाक' को खत्म करने का वादा किया था; हमने इसे किया। हमने संसद में महिला आरक्षण का अपना वादा पूरा किया। हमने वन रैंक वन पेंशन (OROP) का अपना वादा पूरा किया। हमने वादा किया था कि (अयोध्या में) राम मंदिर जरूर बनाया जाएगा और हम इसे पूरा कर रहे हैं।''

 

पीएम मोदी ने गरीबों, किसानों, दलितों और पिछड़ों की आकांक्षाओं को संबोधित करते हुए भाजपा के घोषणापत्र को इन आकांक्षाओं का प्रतीक बताया। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा तेलंगाना में हल्दी बोर्ड का वादा पूरा करने का उल्लेख किया। तेलंगाना में आगामी चुनावों के बारे में आशावाद व्यक्त करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि, "मुझे तेलंगाना में बदलाव की लहर दिख रही है। तेलंगाना के लोग BRS सरकार के 9 साल के शासन से तंग आ चुके हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं। इस बार भाजपा के पक्ष में हवा चल रही है।"

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मडिगा समुदाय की मांगों के जवाब में, पीएम मोदी ने शुक्रवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और वरिष्ठ अधिकारियों को मडिगा समुदाय के लिए अनुसूचित जाति आरक्षण के उप-वर्गीकरण के लिए एक समिति के गठन में तेजी लाने का निर्देश दिया है। यह कदम तेलंगाना में मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (MRPS) द्वारा आयोजित एक रैली में पीएम मोदी की पूर्व घोषणा के बाद आया है। 

बता दें कि, मडिगा समुदाय, तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) का एक प्रमुख घटक हैं। MRPS पिछले 30 सालों से इस आधार पर SC के वर्गीकरण की मांग कर रहा है कि आरक्षण का लाभ उन तक नहीं पहुंचा है। तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होने हैं, जिसमें सत्तारूढ़ BRS, कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है।

हमारे चार गिरफ्तार हुए, तो हम तुम्हारे आठ पकड़ेंगे..', भ्रष्टाचार के मामलों में TMC नेताओं की गिरफ़्तारी पर भड़कीं ममता बनर्जी, दी खुली धमकी

 बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में टीएमसी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक में शामिल हुईं थीं। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ने अपने भाषण में भाजपा पर हमला बोला। ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी को धमकी देते हुए कहा कि, 'अगर वे हमारे चार नेताओं को गिरफ्तार करेंगे, तो हम उनके आठ नेताओं को गिरफ्तार करेंगे।'

भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए गए अपनी पार्टी (TMC) के नेताओं का बचाव करते हुए, ममता बनर्जी ने कहा कि, 'मैं नहीं मानती कि वे चोर हैं। हमारे चार विधायकों को जेल भेज दिया गया है। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे हमारी संख्या कम कर सकेंगे। मैं यहां से यह घोषणा कर रही हूं कि अगर वे हमारे चार नेताओं को गिरफ्तार करेंगे, तो हम उनके आठ नेताओं को गिरफ्तार करेंगे।' ममता बनर्जी ने कहा कि, 'आप हमारी पार्टी के नेताओं अनुब्रत मंडल, पार्थ चटर्जी, माणिक भट्टाचार्य, ज्योति प्रिया मल्लिक और अन्य लोगों के रूप में हंस रहे हैं जो जेल में हैं। भविष्य में, जब आपके पास शक्ति नहीं होगी, तो आप जेल में होंगे।'

बता दें कि, अक्टूबर 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राशन वितरण घोटाले के संबंध में TMC मंत्री ज्योति प्रिया मलिक को गिरफ्तार किया था। इससे पहले गत वर्ष, केंद्रीय एजेंसियों ने शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी, पार्टी विधायकों माणिक भट्टाचार्य और जीबन कृष्ण साहा को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, प्रमुख TMC नेता अनुब्रत मंडल, गौतस्करी मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। साथ ही बंगाल में नगर निगम भर्ती घोटाला, कोयला घोटाला मामले में जांच चल ही रही है, जिसमे मुख्यमंत्री ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी घिरे हुए हैं और उनसे ED पूछताछ भी कर चुकी है। ऐसे में जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार पर ममता बनर्जी का गुस्सा फूट पड़ा है। 

इस दौरान ममता बनर्जी, विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन में अपने सहयोगियों का बचाव भी करने लगीं। गठबंधन में आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और राजस्थान के मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता अशोक गहलोत शामिल हैं। ममता ने कहा कि, ''आपको ऐसा लगता है कि आप कुछ भी करेंगे क्योंकि आप केंद्र में सत्ता में हैं। आप जो TMC, अरविंद केजरीवाल और अशोक गहलोत के बेटे के खिलाफ कर रहे हैं, वही हश्र आपका होगा। ये वही अधिकारी होंगे, जो आपके सत्ता से बाहर होने के बाद आपके पीछे आएंगे।'

बंगाल सीएम ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव करीब आने पर केंद्र सरकार के अगले तीन महीने तक रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार उसके बाद जारी नहीं रहेगी, क्योंकि मोदी सरकार चुनाव हार जाएगी। उन्होंने कहा कि, 'वर्तमान में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने वाली केंद्रीय एजेंसियां ​​2024 के चुनावों के बाद भाजपा के पीछे चले जाएंगी, केंद्र में यह सरकार तीन महीने और रहेगी।' ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि मवेशियों और कोयला तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, क्योंकि इसकी एजेंसियां सूखे ईंधन के उत्पादन और सुरक्षित भंडारण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा के लिए जवाबदेह हैं।

विशेष रूप से, टीएमसी के विभिन्न नेताओं को कोयला और मवेशी तस्करी में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में केंद्रीय एजेंसियों के आरोपों का सामना करना पड़ा है। कोयला घोटाले के बारे में प्रवर्तन निदेशालय ने TMC के दूसरे नंबर के नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की है। बनर्जी ने संकेत दिया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य आरक्षण को खत्म करना है, और उन्होंने ऐसी किसी भी पहल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि, ''भाजपा भी अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के खिलाफ है, लेकिन हम उन्हें ओबीसी कोटा के जरिए इस व्यवस्था के तहत लाएंगे।''

बंगाल में OBC आरक्षण पर बड़ा खेल

बता दें कि, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने विगत 25 फरवरी को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी, जिसमे खुद बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) की रिपोर्ट से पता चला था कि ममता सरकार ने कई मुस्लिम जातियों को भी OBC की सूची में शामिल कर दिया है। पिछड़ा आयोग के इस दौरे में यह भी पता चला है कि बंगाल सरकार ने OBC की लिस्ट में कुल 179 जातियों को शामिल किया है, जिसमे से 118 अकेले मुस्लिमों की है। जबकि, हिंदुओं की महज 61 जातियों को ही OBC की सूची में जगह दी गई है। इसको लेकर NCBC के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसँख्या में से 70% हिंदू हैं और 27% मुस्लिम। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मुस्लिम जातियों को OBC की सूची में जगह दे दी गई है। अहीर ने ये भी कहा था कि, इसी की आड़ में बंगाल में बड़ी तादाद में पिछड़े हिन्दुओं का धर्मान्तरण किया जा रहा है। 

NCBC अध्यक्ष हंसराज अहीर ने यह भी कहा था कि इस दौरे में पिछड़ा आयोग ने पाया कि 2011 से पहले बंगाल में OBC की 108 जातियाँ हुआ करती थीं। मगर, इसके बाद इसमें 71 जातियों को और शामिल किया गया। इन 71 में से 66 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की थी। वहीं, हिंदुओं की महज 5 जातियों को ही OBC आरक्षण का लाभ देने के लिए इस सूची में जगह मिल पाई। आयोग को लगता है कि बंगाल सरकार की संस्था CRI की गलत रिपोर्ट के कारण, मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में OBC आरक्षण को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 179 जातियों को OBC लिस्ट में शामिल किया गया है। इसमें A वर्ग में अति पिछड़ों को रखा गया है। इसमें 89 में से 73 मुस्लिम और केवल 8 हिंदू जातियां हैं। वहीं B श्रेणी में पिछड़ी जातियों को रखा गया है, इसकी सूची में कुल 98 जातियां है, जिसमें 53 हिंदू और 45 मुस्लिम जातियां हैं। यानी बंगाल में कुल 179 पिछड़ी जातियों में से 118 जातियां तो मुस्लिमों की ही है, बाकी 61 पिछड़ी जातियां हिन्दुओं की है। इससे सवाल उठने लगा है कि, जिस इस्लाम में जातिवाद न होने का दावा किया जाता है, वो भारत में अति पिछड़ी जाति श्रेणी में हिन्दुओं (8) से भी अधिक पिछड़े (मुस्लिम 73) कैसे हो गए हैं ? क्या ये लाभ उन्हें और रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को सरकारों द्वारा वोट बैंक की लालच में दिया गया है ? क्योंकि, बीते कई चुनावों में हमने देखा है कि, मुस्लिम समुदाय एकतरफा और एकमुश्त होकर वोट करता है, इसलिए कई सियासी दल हर तरह से उन्हें खुश रखने की कोशिश करते ही हैं। ऐसा राजनेताओं के बयानों में भी कई बार देखा जा चुका है।