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फिर खौफ के साये में चीन! तेजी से फैल रही रहस्यमयी बीमारी, क्या कोरोना की तरह होगा ?

#mysterious_disease_in_china 

कोरोना वायरस की पहचान चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में हुई थी। धीरे-धीरे इस महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी ज़द में ले लिया था। हालांकि अब अधिकतर देश इस महामारी से निजात पा चुके हैं। लेकिन, चीन अभी भी कोरोना वायरस के मामलों से जूझ रहा हैं। इस बीच, यहां एक और रहस्यमयी निमोनिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है।इस बार वुहान की जगह रहस्यमयी संक्रमण के मामले बीजिंग और लिओनिंग में सामने आए हैं।ये बीमारी बच्चों को अपना शिकार बना रही है। 

इन नई रहस्यमयी बीमारी का खुलासा अंतरराष्ट्रीय संस्था ProMED ने किया है। ये वहीं संस्थान है जिसने कोरोना महामारी के बारे में सबसे पहले दुनिया को आगाह किया था।आमतौर पर सर्दियों के मौसम में निमोनिया के मरीज काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं। खासतौर पर इसका खतरा, कमजोर इम्यीनिटी वाले लोगों, अस्थमा मरीजों और छोटे बच्चों पर मंडराता है या फिर डायबिटीज या ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी इसकी चपेट में आने का डर रहता है। मगर चीन में पसर रहा ये, खौफनाक रहस्यमयी निमोनिया बच्चों को अपना शिकार बना रहा है। जिससे उन्हें फेफड़ों में दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और फेफड़ों में सूजन जैसी शिकायत हो रही हैं।

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

कतर कोर्ट ने स्वीकार की भारत की अर्जी, मौत की सजा पाए आठ पूर्व नेवी अफसरों को मिलेगी राहत?

#qatar_court_accept_indian_ex_navy_officers_appeal_against_death_penalty

कतर में जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाने वाले भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को उम्मीद की किरण दिख रही है। कतर की अदालत ने 8 पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली है।जल्द ही इस मामले पर सुनवाई होगी।बता दें कि नौसेना के इन आठ पूर्व अफसरों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है।

भारत सरकार ने दायर की थी याचिका

आठ पूर्व नेवी अफसरों की मौत की सजा के खिलाफ भारत सरकार ने यह याचिका दायर की है। कतर की अदालत ने 23 नवंबर 2023 को इसे स्वीकार कर लिया और अब अपील का अध्ययन कर जल्द इस पर सुनवाई शुरू करेगी। कतर की अदालत ने कहा है कि वह इस मामले को स्टडी कर रहे हैं और जल्दी ही सुनवाई के लिए तारीख तय करेंगे। दोषी करार दिए गए सभी पूर्व नौसैनिकों के लिए इसे एक राहत की खबर के तौर पर देखा जा रहा है।

अगस्त 2022 में गिरफ्कार किए गए थे सभी अफसर

बता दें कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अफसर कतर में अल-दहरा कंपनी के लिए काम कर रहे थे। यह कंपनी कतर के सशस्त्र बलों को ट्रेनिंग देती थी साथ ही उससे जुड़ी सर्विस मुहैया कराती थी। अगस्त 2022 में इन सभी को गिरफ्तार किया गया। कतर की सरकार ने नौसेना के पूर्व अफसरों पर लगाए गए आरोपों की जानकारी नहीं दी है। 26 अक्तूबर 2023 को कतर की अदालत ने इन पूर्व अफसरों को मौत की सजा सुनाई थी। 

इन पूर्व अधिकारियों को सुनाई गई है सजा

गृह मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार, जिन 8 पूर्व अधिकारियों को सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागे शामिल हैं। इन अधिकारियों में ज्यादातर की उम्र 60 साल से ज्यादा है। बताया जाता है कि जब इन आधिकारियों की गिरफ्तारी हुई थी, तब उनके परिजनों को कतर ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी थी कि उनपर किस आधार पर आरोप तय किए गए हैं। गिरफ्तारी के कई दिनों तक इस मामले को गुप्त रखा गया और कतर में मौजूद भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी नहीं दी गई।

भारत में स्थायी रूप से बंद हुआ अफगानिस्तान का दूतावास, जानें इस फैसले के पीछे की वजह

#afghanistan_announce_permanent_closure_his_embassy_in_new_delhi

भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित अफगानिस्तान के दूतावास को आखिरकार बंद कर दिया गया है।अफगानिस्तान ने भारत में अपने दूतावास को बंद करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है।अफगानिस्तान की सरकार का कहना है कि उन्हें भारत सरकार की तरफ से लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके चलते यह फैसला किया गया है।अफगानिस्तान के डिप्लोमैटिक मिशन बयान जारी कर इसकी जानकारी दी गई है।

दूतावास ने नोटिस जारी करते हुए बताया है कि हमें 23 नवंबर 2023 से नई दिल्ली में अपने राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने की घोषणा करते हुए खेद है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि अफगान गणराज्य का कोई भी राजनयिक भारत में नहीं बचा है। इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास में सेवा देने वाले लोग सुरक्षित रूप से तीसरे देशों में पहुंच गए हैं।

नोटिस में कहा गया है कि भारत में राजनयिक मिशन को स्थायी रूप से बंद करने का निर्णय दूतावास द्वारा 30 सितंबर 2023 को परिचालन बंद करने के बाद लिया गया है। नोटिस में ये भी कहा गया है कि यह कदम इस उम्मीद में उठाया गया था कि भारत सरकार का रुख नई दिल्ली में अफगानिस्तान के दूतावास की सामान्य निरंतरता के लिए अनुकूल रूप से विकसित होगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। 

साथ ही दूतावास ने पिछले 22 वर्षों में अफगानिस्तान को उनके समर्थन और सहायता के लिए भारत के लोगों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया है। अफगान दूतावास ने अपने बयान में यह भी कहा कि दूतावास अफगान मिशन समर्थन के लिए भारत का हार्दिक धन्यवाद करता है। हालांकि, हमने संसाधनों में कमी के बावजूद और काबुल में वैध सरकार की अनुपस्थिति में अफगानी लोगों की बेहतरी के लिए अथक प्रयास किया है। इसके बावजूद पिछले 2 सालों और 3 महीनों में भारत में अफगान समुदाय में छात्रों और व्यापारियों के देश छोड़ने के साथ उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है।

और कितना करना होगा इंतजार, कब टनल में फंसे 41 मजदूर निकलेंगे बाहर? जानें वहां के हालात

#uttarakhand_tunnel_collapse_rescue

दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिक जल्द बाहर आ सकते हैं। रेस्क्यू का आज 13वां दिन है।12 दिन से 41 जिंदगियां खुला आकाश देखने के लिए जूझ रहीं हैं। पिछले तीन दिनों से यही उम्मीद की जा रही है कि आज रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होगा। ऑगर ड्रिलिंग मशीन में तकनीकी खराबी आने के बाद ड्रिलिंग कार्य जो रोक दिया गया था, हालांकि शुक्रवार सुबह को मशीन ठीक कर लिया गया। जल्द ही ड्रिलिंग कार्य फिर से शुरू होगा।संबावना है कि सिलक्यारा में टनल में फंसे 41 मज़दूरों के आज बाहर निकल जाएं।

करीब 10 मीटर पाइप डाला जाना बाकी

मलबे में 50 मीटर तक पाइप डाला जा चुका है जबकि करीब 10 मीटर पाइप डाला जाना बाकी है। 23 नंवबर को केवल तीन मीटर पाइप ही अंदर डाला जा सका। अब केवल 10 मीटर की ड्रिलिंग बाकी रह गई है लेकिन चैलेंज ये है कि कल शाम से रेस्क्यू ऑपरेशन पर रोक लग गई है। ड्रिलिंग का काम रोक दिया गया था। ऑगर मशीन में खराबी के बाद रेस्क्यू रोकना पड़ा है। पूरी रात मशीन को ठीक करने का काम चलता रहा।ऑगर मशीन का बेस हिलने के चलते ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल गया था।

आज शाम तक बड़ी खबर मिलने की उम्मीद- भास्कर खुल्बे

पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर कुल्बे ने कहा कि टनल के भीतर जियो मैपिंग कैमरे के जो रिज़ल्ट आये है उसके मुताबिक़ जहां तक ड्रिल हुई है उसके आगे 5 मीटर तक कोई लोहा या स्टील का स्ट्रक्चर नहीं है यानि कुछ देर बाद जब ड्रिल का काम शुरू होगा तो 5 मीटर आगे तक पाइप आसानी से फ़िट किया जा सकेगा. उसके बाद फिर आगे की स्थिति मैपिंग के ज़रिये देखी जायेगी. यानि आज शाम तक बड़ी खबर मिलने की उम्मीद है।

हाई टेक्नीक ड्रोन का इस्तेमाल

टनल में एक टीम जहां ड्रिलिंग के काम में लगी है वहीं रेस्क्यू के काम में लगे लोगों की सेफ्टी के लिए ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल किया जा रहा है। हिंदुस्तान में पहली बार टनल के अंदर ड्रोन सेंसर रेडार का इस्तेमाल हो रहा है। बेंगलोर से एक्सपर्टस की टीम इस ड्रोन को लेकर टनल के अंदर गई है।बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ड्रोन तकनीक पर स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ ने बताया, यह (ड्रोन) नई टेक्नीक वाला है, जो सुरंग के अंदर और बाकी दुर्गम जगहों पर भी जा सकता है। इस ड्रोन के जरिए लाइव स्ट्रीम भी किया जा सकता है। इसकी मदद से हम पल-पल की नजर बनाए हुए हैं, अगर हल्की हलचल भी हो जाती है तो हमें पता लग जाएगा।

राजस्थान में बुरी तरह हार रही भाजपा, 25 तारीख के बाद मुंह नहीं दिखाएंगे पीएम मोदी..', सीएम अशोक गहलोत का बड़ा दावा

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज गुरुवार (23 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह 25 नवंबर के बाद यहां नहीं आएंगे और लोगों को अपना चेहरा नहीं दिखाएंगे, जिस दिन राज्य भर में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम गहलोत ने कहा कि, ''आपकी (भाजपा) महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में सरकार नहीं गिरा सकी, इसलिए अब पीएम और उनकी पूरी टीम यहां राजस्थान में डेरा डाल रही है, लेकिन वे 25 नवंबर के चुनाव तक यहीं रहेंगे। उसके बाद पीएम मोदी आप सबको अपना मुंह नहीं दिखाएंगे।''

पीएम पर हमला बोलते हुए गहलोत ने कहा कि पीएम और उनकी पार्टी भाजपा इस समय घबराई हुई है, क्योंकि उन्हें पता है कि वे राजस्थान में बुरी तरह हार रहे हैं। महादेव ऐप विवाद का जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा कि, 'जिस तरह से ये लोग साजिशें करते हैं, हाल ही में महादेव ऐप का मामला सामने आया था और उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को गिरफ्तार करने की साजिश रची थी, मुझे दुख हो रहा है, ये लोग साजिश रच रहे हैं।'' गहलोत ने कहा कि पीएम महादेव ऐप और लाल डायरी के बारे में योजना बनाकर बात करते हैं, कोई उचित जांच नहीं है, कुछ भी ठोस नहीं है और पीएम इसके बारे में बोल रहे हैं। उन्होंने उन्हें (भूपेश बघेल) गिरफ्तार करने की साजिश रची, ED और IT ने राजस्थान में 50 बार छापेमारी की, क्या कोई नेता या नौकरशाह पकड़ा गया?'

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने केंद्र की भाजपा सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि गैर-भाजपा शासित राज्यों में सरकारें गिराने के लिए ED और CBI जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। सीएम गहलोत ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि, ''ये एजेंसियां (ED, IT) महत्वपूर्ण हैं, इनका असली काम आर्थिक अपराधियों के लिए है। इनका ध्यान उधर जाना चाहिए, ताकि देश की अर्थव्यवस्था मजबूत रहे और आर्थिक अपराध न हों।'''

राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता ने आगे कहा कि, ''उनका काम (उस दिशा में) नौ साल से बंद है, बस सरकार गिराना और उठना है और इसके लिए वे विधायकों को अपनी पार्टी बदलने के लिए धमकाते हैं। वे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में सरकार गिराने की कोशिश कर रहे हैं। ED के दबाव और IT छापे से, लोगों को यह पसंद नहीं आ रहा है।' गहलोत ने यह भी कहा कि उनके राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसला कांग्रेस आलाकमान करेगा। गहलोत ने कहा कि, "मेरी भूमिका हमेशा वही रही है, जो आलाकमान चाहता है। मैं अपनी भूमिका खुद तय नहीं करता हूं। आलाकमान मुझे जो भूमिका देगा, मैं उस पर कायम रहूंगा।"

सीएम गहलोत की ये प्रतिक्रियाएं पीएम नरेंद्र मोदी की उस भविष्यवाणी के जवाब में आईं, जिसमें उन्होंने कहा था कि कांग्रेस इस बार राज्य में सरकार नहीं बना पाएगी। पीएम मोदी ने कहा था कि, "आज मैं मावजी महाराज जी का आशीर्वाद लेकर एक भविष्यवाणी करने का साहस कर रहा हूं। यह इस पवित्र भूमि की शक्ति है कि मेरे मन में यह विचार आया और मैं मावजी महाराज से क्षमा मांगकर यह साहस कर रहा हूं। प्रदेशवासियों मैं जो कह रहा हूं वो राजस्थान को लिखना चाहिए- भविष्यवाणी ये है कि राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार कभी नहीं बनेगी।''

पीएम मोदी ने यह टिप्पणी चुनावी राज्य राजस्थान के डूंगरपुर के सागवाड़ा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए की थी। उन्होंने पेपर लीक मामले पर भी गहलोत सरकार की आलोचना की और कहा कि शिक्षा के प्रति उसकी भयानक नीतियों के कारण युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार पर सभी सरकारी नियुक्तियों में 'घोटाले' करने का भी आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि, "कांग्रेस के कुशासन के कारण युवाओं के सपने चकनाचूर हो गए हैं। राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने सभी सरकारी नियुक्तियों में घोटाले किए, यह आपके बच्चों के साथ अन्याय है।"

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पीएम मोदी ने कहा कि मोदी की गारंटी वहां से शुरू होती है, जहां लोग कल्याणकारी योजनाओं के मुद्दे पर कांग्रेस से उम्मीदें छोड़ देते हैं। पीएम ने कहा था कि, "गरीब कल्याण, जन कल्याण के प्रति जहां कांग्रेस से उम्मीद खत्म होती है वहां से मोदी की गारंटी शुरू होती है।" उन्होंने लोगों से भारतीय जनता पार्टी को सत्ता में लाने का आग्रह किया और कहा कि कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना महत्वपूर्ण है, ताकि केंद्र सरकार की सभी योजनाओं को राज्य में तेजी से लागू किया जा सके। पीएम मोदी ने राजस्थान के सीएम पर तंज कसते हुए कहा कि जनता इस बार अशोक गहलोत को वोट देने से इनकार कर रही है। कांग्रेस नेता जहां भी वोट मांगने जा रहे हैं, उन्हें एक ही जवाब मिल रहा है- 'गहलोत जी, कोनी मिले वोट जी।'

बता दें कि, राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, वोटों की गिनती 3 दिसंबर को होगी। 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों पर 25 नवंबर को चुनाव होंगे, क्योंकि कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कूनर के निधन के कारण करणपुर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव स्थगित कर दिया गया था। 2018 में, हुए चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं थी, जबकि भाजपा ने 73 सीटें जीतीं थी। गहलोत ने बसपा विधायकों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सीएम पद संभाला था। 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच दोतरफा मुकाबला होने की संभावना है, यहां तक ​​कि विभिन्न क्षेत्रीय और छोटी पार्टियां भी प्रभाव डालने की कोशिश करेंगी।

एक युग का अंत, सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश रहीं फातिमा बीबी का 96 वर्ष की आयु में निधन

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने वाली पहली महिला के रूप में इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाली अग्रणी महिला न्यायविद न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी का 96 वर्ष की आयु में कोल्लम में निधन हो गया है। निधन के समय उनका कोल्लम के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। 

1927 में पथानामथिट्टा में रोथर परिवार के अन्नवेत्तिल मीर साहब और खदीजा बीवी के घर जन्मी फातिमा बीवी ने अपने कानूनी करियर में कई उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 14 नवंबर, 1950 को अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू करने के बाद, वह लगातार कानूनी पदानुक्रम में आगे बढ़ीं और आठ साल बाद मुंसिफ बन गईं। अगस्त 1983 में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के साथ उनकी यात्रा जारी रही। अभूतपूर्व क्षण 1989 में आया जब उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय में पहली महिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने उन्हें भारतीय न्यायिक प्रणाली में इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचने वाली पहली मुस्लिम महिला के रूप में भी चिह्नित किया। सुप्रीम कोर्ट में उनकी सेवा 1992 में उनकी सेवानिवृत्ति तक जारी रही।

न्यायपालिका में अपने योगदान के अलावा, फातिमा बीवी ने मुख्यमंत्री जयललिता के कार्यकाल के दौरान 1997 से 2001 तक तमिलनाडु की राज्यपाल के रूप में कार्य किया। अपनी कई व्यावसायिक उपलब्धियों के बावजूद, वह जीवन भर अविवाहित रहीं। न्यायमूर्ति फातिमा बीवी की विरासत उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों से परे फैली हुई है, जो भारतीय न्यायपालिका के भीतर लिंग और धार्मिक विविधता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है। उनका निधन एक युग के अंत का प्रतीक है, लेकिन देश के कानूनी परिदृश्य के इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ गया है।

Deepfake पर लगाम लगाने की तैयारी, केंद्रीय मंत्री बोले- वीडियो बनाने और उन्हें होस्ट करने वालों को दंडित किया जाएगा

 केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज गुरुवार को कहा कि डीपफेक (Deepfake) को लेकर बढ़ती चिंता से निपटने के लिए केंद्र जल्द ही नया कानून लाएगा या मौजूदा कानूनों में संशोधन करेगा। कहा कि डीपफेक वीडियो बनाने वालों और उन्हें होस्ट करने वाले प्लेटफॉर्मों को दंडित किया जाएगा। IT मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, नैसकॉम और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र के अन्य प्रोफेसरों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ बैठक के बाद कहा कि, "डीपफेक लोकतंत्र के लिए एक नया खतरा बनकर उभरे हैं। ये समाज और इसके संस्थानों में विश्वास को कमजोर कर सकते हैं।" 

वैष्णव ने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले से निपटने के लिए 10 दिनों के भीतर चार स्तंभों पर कार्रवाई योग्य चीजें लेकर आएगी। इनमें डीपफेक का पता लगाना, ऐसी सामग्री के प्रसार को रोकना, रिपोर्टिंग तंत्र को मजबूत करना और मुद्दे पर जागरूकता फैलाना शामिल है। मंत्री ने आगे कहा कि बैठक में उपस्थित सभी हितधारकों ने डीपफेक के संबंध में समान चिंताएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि, "सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीपफेक का पता लगाने के लिए व्यापक तकनीक रखने पर सहमत हुए हैं।" वैष्णव ने बताया कि डीपफेक विज्ञापन या भ्रामक विज्ञापन एक खतरा है, जिसका भारतीय समाज वर्तमान में सामना कर रहा है।

अश्विनी वैष्णव ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि, "सोशल मीडिया का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि डीपफेक बिना किसी रोक-टोक के अधिक महत्वपूर्ण तरीके से तेजी से फैल सकता है और वायरल हो सकता है। यही कारण है कि हमें समाज और हमारे लोकतंत्र में विश्वास को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जिनका इस्तेमाल डीपफेक वीडियो फैलाने के लिए किया जा रहा है, ने मामले से निपटने के लिए उपाय करना शुरू कर दिया है और केंद्र के नोटिस के बाद आंतरिक चर्चा भी की है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, "उपयोगकर्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि क्या प्राकृतिक है और क्या सिंथेटिक है। हमारा ध्यान नुकसान को रोकने और उपयोगकर्ताओं को यह जानने का विकल्प कैसे दिया जाए (असली और डीपफेक के बीच का अंतर) पर होगा।" शनिवार (18 नवंबर) को, वैष्णव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को चेतावनी दी कि सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम में 'सुरक्षित बंदरगाह' खंड के तहत उन्हें जो छूट प्राप्त है, वह लागू नहीं होगी यदि वे डीपफेक के खिलाफ उपाय करने में विफल रहते हैं। क्लॉज में कहा गया है कि किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर साझा की गई सामग्री के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

प्रेस ब्रीफिंग के दौरान वैष्णव ने कहा कि डीपफेक वीडियो बनाने वालों ने लेबलिंग और वॉटरमार्क को भी क्रैक करने के तरीके ढूंढ लिए हैं। मंत्री ने कहा, "इस प्रकार, कुछ ऐसा होना चाहिए जो इससे बाहर निकलने का रास्ता खोज सके।" डीपफेक पर अगली बैठक दिसंबर में होगी, जिसमें वैष्णव ने कहा कि आज की बैठक में अनुवर्ती कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी। वैष्णव ने कहा कि अब सवाल यह है कि क्या डीपफेक बनाने में मदद करने वाले ऐप्स को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए या कुछ प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए।

बता दें कि, यह पूरा घटनाक्रम डीपफेक घटनाओं की एक श्रृंखला के बीच हुआ है, जिसमें बॉलीवुड कलाकार रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ और काजोल भी शामिल थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में अपने एक डीपफेक वीडियो का जिक्र किया था जिसमें वह महिलाओं के एक समूह के साथ गरबा खेलते नजर आ रहे हैं। बाद में उन्होंने कहा कि जब वह छोटे थे, तब से उन्होंने गरबा नहीं खेला है। हालांकि, पीएम मोदी के हमशक्ल कारोबारी विकास महंते ने अब सफाई देते हुए कहा है कि वायरल वीडियो डीपफेक नहीं था, बल्कि उनका गरबा खेलते हुए का था।

जेबकतरा' और 'पनौती' टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को भेजा नोटिस

 चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ टिप्पणी के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को गुरुवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया। यह नोटिस राजस्थान के बाड़मेर में एक चुनावी रैली में गांधी की टिप्पणियों के संबंध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की शिकायत के बाद आया है।

पोल पैनल ने कहा, "यह आरोप लगाया गया है कि एक प्रधानमंत्री की तुलना 'जेबकतरा' से करना और 'पनौती' शब्द का इस्तेमाल करना एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के बहुत वरिष्ठ नेता के लिए अशोभनीय है। इसके अलावा, राहुल ने पिछले नौ वर्षों में भाजपा द्वारा 14,00,000 करोड़ रुपए का लोन माफ़ करने का आरोप भी लगाया है। यह भी तथ्यों पर आधारित नहीं है।''

गांधी को 25 नवंबर को चुनाव आयोग के सामने पेश होने के लिए बुलाया गया है। भाजपा की शिकायत में चुनावी रैली के दौरान गांधी के बयान पर प्रकाश डाला गया, जहां उन्होंने टिप्पणी की, "जेबकतरे कभी अकेले नहीं आते, तीन लोग होते हैं। एक सामने से आता है, एक पीछे से आता है और एक दूर से।।।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काम आपका ध्यान भटकाना है। वो सामने से टीवी पर आते हैं और हिंदू-मुस्लिम, नोटबंदी और जीएसटी का मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान भटकाते हैं। इसी बीच अडानी आ जाते हैं पीछे और पैसे ले लेता है।'

भाजपा की शिकायत में तर्क दिया गया कि "उदाहरण के लिए, किसी भी व्यक्ति को जयबक्त्र कहना न केवल क्रूर दुर्व्यवहार और व्यक्तिगत हमला है, बल्कि उस व्यक्ति का चरित्र हनन भी है, जिसके खिलाफ उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के स्पष्ट इरादे से जनता को गुमराह करने के लिए ऐसी टिप्पणी की गई है।"

सड़कें अवरुद्ध करके लोगों का अनुचित उत्पीड़न बंद करें, जनता आपके खिलाफ हो जाएगी..', किसान यूनियनों को सीएम भगवंत मान ने दी चेतावनी

 पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बुधवार को किसान संघ से राज्य में सड़कें अवरुद्ध करके आम आदमी का अनुचित उत्पीड़न बंद करने को कहा है। आज उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि किसान यूनियनों को आम आदमी के लिए असुविधा पैदा करने से बचना चाहिए, अन्यथा लोग उनके खिलाफ हो जाएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि केवल अपने निहित स्वार्थों की खातिर यूनियनें सड़कों को अवरुद्ध करके लोगों को परेशान कर रही हैं, जिससे उनका दैनिक जीवन खतरे में पड़ रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पंजाब भवन, पंजाब सिविल सचिवालय और कृषि मंत्री के कार्यालय सहित उनके कार्यालय और निवास के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं।

हालांकि, मुख्यमंत्री मान ने कहा कि सड़कों को अवरुद्ध करने और आम आदमी को परेशान करने का कृषि संघों का यह गैर-जिम्मेदाराना रवैया पूरी तरह से अनुचित और अवांछनीय है। उन्होंने किसान यूनियनों को आगाह किया कि अगर यूनियनों ने अपने तरीके नहीं सुधारे और इन प्रथाओं को नहीं छोड़ा, तो उन्हें अपने पक्ष में खड़े होने वाले लोग नहीं मिलेंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यूनियनों को आम आदमी की भावनाओं को समझना चाहिए और इस तरह के हथकंडों से उन्हें परेशान करना बंद करना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूनियनों को उनके द्वारा किये गये सड़क अवरोधों के कारण आम लोगों को हो रही परेशानियों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि किसान यूनियन का समाज के प्रति यह संवेदनहीन और गैर-जिम्मेदाराना रवैया अनुचित और अवांछनीय है। उन्होंने दोहराया कि समाज के हर वर्ग के साथ चर्चा के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं, इसलिए किसानों को आम आदमी के लिए असुविधा पैदा करने के लिए इस तरह के नाटकों का सहारा लेने के बजाय सरकार के साथ बातचीत करनी चाहिए।

राहुल द्रविड़ की जगह लेंगे वीवीएस लक्ष्मण ! टीम इंडिया को मिल सकता है नया कोच, राहुल का अनुबंध क्रिकेट विश्व कप 2023 फाइनल के दिन समाप्त हुआ

भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ शायद आगे उसी भूमिका में बने नहीं रहेंगे। उनका अनुबंध क्रिकेट विश्व कप 2023 फाइनल के दिन समाप्त हो गया। इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि बोर्ड चाहता है कि वह आगे भी बने रहें। हालाँकि, नुकसान ने बहुत सी चीजें बदल दी हैं। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, द्रविड़ अब मुख्य कोच के रूप में अपने प्रवास को बढ़ाने के इच्छुक नहीं हैं और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (NCA) के वर्तमान निदेशक वीवीएस लक्ष्मण यह पद संभालने के लिए तैयार हैं।

NCA प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए, लक्ष्मण अंतरिम मुख्य कोच के रूप में भी कार्य करते हैं। वह वर्तमान में भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया T20I के प्रभारी हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि लक्ष्मण ने अगले मुख्य कोच बनने की इच्छा जताई है। BCCI से जुड़े एक सूत्र का कहना है कि, 'लक्ष्मण ने इस पद के लिए अपनी उत्सुकता व्यक्त की है। विश्व कप के दौरान, लक्ष्मण इस संबंध में BCCI के शीर्ष अधिकारियों से मिलने के लिए अहमदाबाद गए थे। उनके टीम इंडिया के कोच के रूप में एक दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने की संभावना है, और निश्चित रूप से उनके साथ यात्रा करेंगे।" सूत्र का कहना है कि, ''दक्षिण अफ्रीका के आगामी दौरे के लिए उस क्षमता में टीम, जो पूर्णकालिक भारत के मुख्य कोच के रूप में उनका पहला दौरा होगा।''

बता दें कि, द्रविड़ को नवंबर 2021 में दो साल की अवधि के लिए कोच नियुक्त किया गया था। कोच के रूप में उनके कार्यकाल के तहत। टीम इंडिया वनडे वर्ल्ड कप और आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंच गई। उसी सूत्र ने कहा कि द्रविड़ ने BCCI से संपर्क किया और कहा कि भारत के पूर्व कप्तान को NCA के प्रमुख के पद से कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि इससे उन्हें बेंगलुरु में रहने में मदद मिलेगी। अफ़सोस, द्रविड़ टीम को छिटपुट रूप से कोचिंग दे रहे हैं लेकिन पूर्णकालिक कोच के रूप में नहीं।  

एक अन्य BCCI सूत्र का कहना है कि द्रविड़ इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) फ्रेंचाइजी के साथ बातचीत कर रहे हैं और दो साल के कार्यकाल के लिए वहां रह सकते हैं। बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़, गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे और क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप का क्या होगा यह अज्ञात है। नया कोच शायद उनके साथ काम करना चाहेगा या अपने साथ कुछ लोगों को लाना चाहेगा। इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है। लक्ष्मण के नाम का भी आधिकारिक ऐलान होना बाकी है।