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सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण, महाभारत को किया जाए शामिल:एनसीईआरटी समिति


नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की एक उच्चस्तरीय समिति ने सिफारिश की है कि सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल किया जाना चाहिए तथा कक्षाओं की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जानी चाहिए।

यह जानकारी समिति के अध्यक्ष सीआई आईजैक ने दी.पिछले साल गठित सात सदस्यीय समिति ने सामाजिक विज्ञान पर अपने अंतिम स्थिति दस्तावेज के लिए कई सिफारिश की हैं, जो नयी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों के विकास की नींव रखने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्देशात्मक दस्तावेज है।

एनसीईआरटी ने अभी तक सिफारिशों पर कोई फैसला नहीं लिया है.

आइजैक ने कहा कि 'समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान के पाठ्यक्रम में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है. हमारा मानना ​​​​है कि छात्र किशोरावस्था में अपने आत्मसम्मान, देशभक्ति और अपने राष्ट्र के लिए गौरव का निर्माण करते हैं। 

उन्होंने कहा कि हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता चाहते हैं क्योंकि उनमें देशभक्ति की कमी है।आइजैक ने कहा कि 'इसलिए, उनके लिए अपनी जड़ों को समझना और अपने देश तथा अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है. कुछ बोर्ड पहले से ही रामायण और महाभारत पढ़ाते हैं, लेकिन इसे और अधिक विस्तृत तरीके से किया जाना चाहिए.उन्होंने पूर्व में कहा था कि इसी समिति ने पाठ्यपुस्तकों में देश का नाम 'इंडिया' के स्थान पर 'भारत' करने, पाठ्यक्रम में प्राचीन इतिहास के बजाय 'क्लासिकल हिस्ट्री' को शामिल करने और कक्षा तीन से कक्षा 12 तक की पाठ्यपुस्तकों में 'हिंदुओं की जीतों' को रेखांकित करने की भी सिफारिश की थी.

आइजैक ने कहा कि 'हमारी प्रस्तावना लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता सहित सामाजिक मूल्यों को महत्व देती है. यह महान है. इसलिए, हमने इसे कक्षाओं की दीवारों पर लिखने की सिफारिश की है ताकि हर कोई इसे समझ सके और सीख सके.' एनसीईआरटी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप स्कूल पाठ्यक्रम को संशोधित कर रही है. नयी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र तक तैयार होने की संभावना है.

इन कक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और शिक्षण सामग्री को अंतिम रूप देने के लिए जुलाई में अधिसूचित 19 सदस्यीय राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शिक्षण अधिगम सामग्री समिति (एनएसटीसी) अब समिति की सिफारिशों पर विचार कर सकती है।

आगरा के शमसाबाद से हैरान करने वाला मामला आया सामने,शादी में कम पड़े रसगुल्ले तो मच गया बवाल,जमकर हुई मारपीट,6 लोग जख्मी


दिल्ली:-उत्तर प्रदेश के आगरा में एक शादी समारोह में रसगुल्ले की कमी को लेकर जमकर लाठी-डंडे चलने की मामला आया सामने जिसमें एक शादी समारोह में रसगुल्ले कम पड़ने के कारण हालात इतने खराब हो गए कि मारपीट में 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए,मारपीट में घायल हुए लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक थाना शमसाबाद कस्बे के नयावास रोड स्थित संतोषी माता के मंदिर के पास बृजभान कुशवाह के यहां शादी समारोह था। जिसकी दावत चल रही थी, दावत में दूसरा पक्ष मनोज पुत्र गौरी शंकर शर्मा अन्य तीन लोगों के साथ शामिल होने के लिए पहुंचा।

आरोप है कि इसी दौरान दावत में रसगुल्ला खाने को लेकर कहासुनी हुई। देखते ही देखते गाली गलौज के बाद मारपीट की नौबत आ गई, दोनों पक्षों की ओर से लाठी डंडे चलने लगे।

झगड़े में एक पक्ष से भगवान देवी पत्नी बृजभान सिंह और योगेश पुत्र बृजभान सिंह लहूलुहान हुए हैं तो वहीं दूसरे पक्ष से मनोज, कैलाश पुत्रगण गौरी शंकर शर्मा, धर्मेंद्र पुत्र रमेश शर्मा, पवन पुत्र गौरी शंकर को गंभीर चोटें आई है। दो पक्षों में हुए संघर्ष की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए भेजा है। 

थाना अध्यक्ष शमशाबाद अनिल शर्मा ने बताया कि दावत में रसगुल्ला खाने को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ है। दोनों को मेडिकल के लिए अस्पताल भेजा है। शिकायती पत्र मिलने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

आमला नवमी या अक्षय नवमी आज कई वर्षो बाद बन रहा अद्भुत संयोग,इस योग में पूजा करने से होगी सभी मनोकामना पूर्ण


हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर अक्षय नवमी या आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है। धर्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से साधक की सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है,ज्योतिष गणना के मुताबिक इस वर्ष अक्षय नवमी पर कई वर्षों बाद अद्भुत योग का निर्माण हो रहा है.

इस वर्ष अक्षय नवमी 21 नवंबर को मनाई जाएगी. कई जगहों पर इसे आवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. अक्षय नवमी का पर्व भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है, धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करने से साधक की सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है।

ज्योतिष गणना के मुताबिक इस वर्ष अक्षय नवमी पर कई वर्षों बाद अद्भुत योग का निर्माण हो रहा है. अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष यह 21 नवंबर को मनाया जाएगा।अक्षय नवमी तिथि की शुरुआत 21 नवंबर देर रात्रि 3:16 पर शुभारंभ होगा. जिसका समापन 22 नवंबर देर रात्रि 1 बजकर 9 मिनट पर समाप्त होगा।

अक्षय नवमी पर हर्षण योग का हो रहा है निर्माण

इतना ही नहीं इस बार अक्षय नवमी पर हर्षल योग का निर्माण हो रहा है. इस योग का निर्माण शाम 5:41 पर हो रहा है. इस वजह से अक्षय नवमी पर संध्या काल में ही पूजा आराधना की जाएगी. हर्षल योग के निर्माण में विधि विधान पूर्वक अगर भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाए तो जातक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है.इतना ही नहीं अक्षय नवमी पर बालव और कौलव करण का भी निर्माण हो रहा है. यह दोनों ही शुभ योग माने जाते हैं. इन दोनों योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से कई गुना की फल की प्राप्ति भी होती है.

दिल्ली के यमुना किनारे छठ पूजा पर उमड़ा बिहार और पूर्वांचल,भक्ति और आस्था का रहा अनुपम छटा

पूर्वांचल एवं मिथिलांचल छठ पूजा समिति द्वारा खिजराबाद में छठ पूजा का किया गया आयोजन

नई दिल्ली : पूर्वांचल एवं मिथिलांचल छठ पूजा समिति द्वारा हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली के दिल कहे जाने वाले न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी स्थित खिजराबाद तैमूर नगर स्थित यमुना जी के किनारे घाट पर छठ पूजा के अवसर पर सुबह और शाम का अर्घ्य दिया।

इस अवसर पर लगा दिल्ली के यमुना तीर पर बिहार औरऔर पूरा पूर्वांचल उमर पड़ा।

यहां पर करीब पिछले 15 सालों से छठ पर्व का भव्य आयोजन किया जा रहा है । यहां पर कम से कम 25000 के संख्या में लोग एक साथ सूरज भगवान को अर्घ्य देते हैं! पूर्वांचल मिथिलांचल छठ पूजा समिति यहां पर बहुत ही शानदार तरीके से छठ पूजा का आयोजन करती आ रही है। जिसमें पूरा मिथिलांचल और पूर्वांचल समाहित हो जाता है ।

यहां पर बहुत ही जोश के साथ कार्यकर्ता दिन रात एक कर के घाट के निर्माण से लेकर रास्ते का साफ-सफाई , लाइट एवं बिजली की व्यवस्था करते हैं। साथ हीं महिला बृद्धा के लिए कपड़ा चेंज करने के लिए चेंजिंग रूम,मेडिकल डेस्क से लेकर पानी में कीटनाशक दवाई की व्यवस्था करते हैं।  

पूजा समिति नाना प्रकार की सुविधा यहां पर उपलब्ध कराने में अपनी ओर से जी जान लगा देते हैं। पूजा समिति के पदाधिकारी और सभी छठ व्रती इसके लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया।

, यहाँ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम से लेकर विभिन्न प्रकार की झांकी दिखाई जाती है जिससे यहां का वातावरण बहुत ही मनोरम और आनंदमय हो जाता है। पूजा समिति के कार्यकर्ता किस प्रकार सुंदर से सुंदर रूप से पूजा संपन्न हो इसके लिए कई हफ्तों पहले से लग जाते हैं इसमें पूर्वांचल मिथिलांचल छठ पूजा समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार कर्ण, कोषाध्यक्ष मोतीलाल सिंह कार्यकर्ता बबलू शर्मा पवन यादव ,सी एन झा ,राम प्रसाद यादव अमन मंडल, और भी कई बुद्धिजीवी सीनियर पदाधिकारी के दिशा निर्देश पर कयकर्ता कंधा से कंधा मिलाकर तमाम अपना योगदान देते हैं।  यहां पर खास करके सांस्कृतिक प्रोग्राम का जो थीम रहता है वह छठ मैया का पूजा संबंधित तमाम तरह की झांकी और मिथिलांचल कलाकार द्वारा छठी मैया का गीत का कार्यक्रम बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया जाता है, इस पूजा के कार्यक्रम में कई हमारे विशिष्ट मेहमान जिसमें एमएलए से लेकर निगम पार्षद तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं जिसमें हमारे लोकल विधायक भाई अमानतुल्लाह और स्थानीय निगम पार्षद श्रीमान मनीष चौधरी से लेकर आम आदमी पार्टी के सुंदर सिंह पप्पू भाई अभिषेक विधुरी नरेंद्र बिधूड़ी प्रियंका शर्मा नितिन बिधूड़ी दीपक चौधरी या तमाम गणमान्य लोग घाट पर आकर लोगों का हौसला अफजाई करते हैं। 

 जिसके लिये छठ पूजा समिति ने इन सभी गणमान्य लोगों को धन्यवाद दिया। 

जिस तरह लोग अपने बिहार प्रदेश से 1200 किलोमीटर दूर दिल्ली में आकर अपने सनातन धर्म का उद्घोष करते हैं वह दिल्ली में रहने वाले लोगों को भी रोमांचित कर देता है,आस्था के पर्व महापर्व छठ पूजा के अवसर पर प्रतीत होता है कि देश की राजधानी दिल्ली में मानो एक लघु बिहार बस गया है। 

 दिल्ली में यमुना किनारे ऐसा कोई जगह नहीं जहां यमुना किनारे के घाट पर छठ पूजा पर ऐसा नजारा नज़र नही आये। ऐसा कोई पार्क नहीं ऐसा कोई मकान का छत नहीं ऐसा कोई सोसाइटी नहीं जहां पर छठ का यह महापर्व अपने आप में घटा नहीं विखेर रहा हो। इस पुनीत पावन पर्व के अवसर पर पूर्वांचल मिथिलांचल छठ पूजा समिति सभी भक्तों और सहयोग करने वाले आभार व्यक्त किया और इस आस्था के पर्व बधाई दिया।

निर्माणाधीन सुरंग फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए एक्शन में केंद्र सरकार, मल्टीविटामिन और सूखे मेवे की कर रही आपूर्ति


नई दिल्ली:- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में ढही एक निर्माणाधीन सुरंग में पिछले सात दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए केंद्र सरकार कड़ी मेहनत कर रही है। सड़क, परिवहन और राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने बताया कि सरकार श्रमिकों को मल्टीविटामिन, अवसाद रोधी दवाएं और सूखे मेवे भेज रही है। 

पाइप से दिया जा रहा पानी और खाना

अनुराग ने बताया कि टनल में रोशनी होना सबसे सुकून की बात है। वहां एक पाइपलाइन है, जिससे पानी उपलब्ध कराया गया है। एक 4 इंच का पाइप है, जिसका उपयोग भोजन भेजने के लिए किया जाता है।

चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है सुरंग

जैन ने उत्तरकाशी ढहने के बचाव अभियान पर आगे कहा कि सुरंग के अंदर दो किमी हिस्से में पानी और बिजली है। उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से सात घंटे की ड्राइव पर सिल्कयारा सुरंग, केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा है।

शुक्रवार को रुक गया था बचाव अभियान

बता दें कि सुरंग पिछले रविवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे ढह गई। बचाव अभियान शुक्रवार दोपहर को निलंबित कर दिया गया था, जब श्रमिकों को निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए मलबे के माध्यम से पाइपों को ड्रिल करने और धकेलने के लिए तैनात अमेरिका निर्मित बरमा मशीन में एक खराबी आ गई।जब तक ड्रिलिंग रोकी गई, तब तक ऑगर मशीन सुरंग के अंदर 60 मीटर क्षेत्र में फैले मलबे के माध्यम से 24 मीटर तक ड्रिल कर चुकी थी।

ईसा पूर्व प्रथम सदी से रही है छठ की परंपरा,आइए जानते हैं महापर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में


नयी दिल्ली:- बिहार में छठ का विशेष महत्व है, छठ सिर्फ एक पर्व नहीं है, बल्कि महापर्व है, जो पूरे चार दिन तक चलता है। नहाए-खाए से इसकी शुरुआत होती है, जो डूबते और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होती है। ये पर्व साल में दो बार मनाया जाता है।

वैसे तो छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से हो जाती है, लेकिन षष्ठी और सप्तमी तिथि पर सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है. चार दिवसीय अनुष्ठान आज से शुरू हो रहे हैं, जानते हैं महापर्व से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में.

छठ की विकास यात्रा मगध से :

मगध क्षेत्र के इतिहास के जानकार अरविंद महाजन कहते हैं कि आदिकाल से मगध में सूर्य पूजन की पद्धति रही है. ऐसी मान्यता है कि छठ का विकास पहले-पहल मगध से ही शुरू होकर आज पूरी दुनिया में फैला. औरंगाबाद की सूर्य स्थली देव को सूर्य पूजन की लोक परंपरा का जन्मदाता माना जाता है।

साम्ब पुराण व भविष्य पुराण में इन बातों का जिक्र मिलता है कि किस प्रकार सूर्य की उपासना से कृष्ण के पुत्र साम्ब सूर्य की किरणों के सामने यज्ञ करने से ठीक हो गये थे.

वह कुष्ठ से ग्रसित थे. अरविंद महाजन कहते हैं कि कि मगध अंचल में छठ सदियों से मनाया जा रहा है।

मगध सम्राट जरासंध के किसी पूर्वज को कुष्ठ रोग हो गया था. उन्होंने भी शाक द्वीप से आगत मग द्विज के एक शाखा मिहिर को अपने प्रदेश (कीकट) में लाकर सूर्य चिकित्सा से आरोग्य की प्राप्ति की और राजा की पत्नी ने सूर्यव्रत प्रारंभ किया.

छट पूजा: नहाय-खाय के साथ छठ की शुरुआत, हुई घरों से लेकर घाट हुए गुलजार, जानें महापर्व की खास बातें: 

महाजन ने बताया कि शाक द्वीप से साम्ब द्वारा आगत मगद्विजों के आचार्य की प्रेरणा से राजा अभयपाल और वर्गवंश राजाओं ने छठ का प्रचलन बढ़ाया. मगध में सूर्य की प्रधानता का कम से कम प्रथम शती ईसा पूर्व से प्रमाण मिलने लगता है, जब बोधगया में शुंग कालीन रेलिंग पर सूर्य का अंकन दिखता है. साथ ही प्रथम धर्मोपदेश के बाद बुद्ध का गया आगमन होता है तो उनका उद्देश्य होता है कस्सप बंधुओं को दीक्षित करना. ये कस्सप बंधु सूर्य के उपासक थे।

हेल्थ टिप्स: अगर वजन घटाना चाहते हैं,तो सुबह के नाश्ते में खाएं ये हेल्दी चीजें, तेजी से घटने लगेगा वजन


दिल्ली:- आजकल खानपान की गलत आदतों और खराब जीवनशैली के कारण हर दूसरा व्यक्ति मोटापे का शिकार हो रहा हैं। अपने बढ़ते वजन को कम करने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते। वजन कम करने के लिए लोग सुबह का ब्रेकफास्ट भी नही करते,ब्रेकफास्ट को पूरे दिन का सबसे जरूरी मील माना जाता है।

सुबह का नाश्ता बॉडी में दिनभर एनर्जी बनाकर रखता है. सुबह का नाश्ता ठीक से न खाने से पूरे दिन बार-बार भूख लगती है. वजन घटाने वाले ज्यादातर लोग अपने ब्रेकफास्ट को स्किप करते हैं. वही, कुछ लोग अपनी डाइट में प्रोटीन लेना शुरू कर देते हैं, जिससे उन्हें बार-बार भूख नहीं लगती और लंबे समय तक पेट भरा रहता है।

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें को प्रोटीन फैट लॉस में बड़ी भूमिका निभाता है. इसके अलावा, ये मेटाबॉलिक रेट को भी हाई रखता है. आज यहां हम आपको कुछ ऐसी डिशेज के बारे में बताने वाले हैं, जो वजन कम करने वाले लोगों के लिए परफेक्ट मील हैं.

दलिया

दलिया को सुपरफूड भी कहा जाता है. ये खाने में जितना हेल्दी होता है, पचने में भी उतना ही आसान ही होता है. इसे खाने से बार-बार भूख नहीं है. सुबह के नाश्ते में दलिया खाकर वजन कम किया जा सकता है. अगर आप मीठा दलिया नहीं खाना चाहते हैं तो नमकीन भी बना सकते हैं.

पोहा

पोहा उत्तर भारत में खूब खाया जाता है. पोहा लो कैलोरी फूड माना जाता है. स्वाद और हेल्थ में पोहा अच्छा माना जाता है. पोहा बनाने के दौरान कई मसालों और सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे शरीर को कई सारे न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं.

उपमा

साउथ इंडियन डिश उपमा भी खाने में बेहद टेस्टी लगता है. इसे पचाना भी आसान होता है. उपमा को लाइट नाश्ता माना जाता है, जो वेट लॉस के लिए जाना जाता है. ये कुछ ही मिनटों में तैयार हो जाता है.

अंडे की भुजिया

प्रोटीन के सबसे रिच सोर्स में अंडे को शामिल किया जाता है. सुबह के हेल्दी ब्रेकफास्ट में अंडे की भुजिया का ऑमलेट को शामिल किया जा सकता है. इसमें आप अपनी मनपसंद की सब्जियां बना सकते हैं।

दिल्ली:पाकिस्तान से भारतीय बैंक अकाउंट में 70 लाख आने पर हड़कंप,एक्शन में यूपी ATS, खुफिया एजेंट समेत 3 के खिलाफ केस दर्ज


दिल्ली:- पाकिस्तान से भारतीय बैंक अकाउंट में 70 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ है, जिसके बाद यूपी ATS की इस पर नजर गई और इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. इनमें से एक यूपी, एक बिहार का रहने वाला है, जबकि तीसरा खुफिया एजेंट है।

इस मामले में बीती 10 नवंबर को लखनऊ के गोमती नगर स्थित एटीएस पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज हुई थी. गाजियाबाद के रहने वाले रियाजुद्दीन, बिहार के रहने वाले इजहारुल हुसैन और खुफिया एजेंट के खिलाफ केस दर्ज हुआ है. एटीएस ने आईपीसी की धारा 121-Aयानी भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश के तहत केस दर्ज किया है।

गाजियाबाद ग्रामीण के डीसीपी विवेक चंद्र यादव ने कहा कि एटीएस अधिकारी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ रियाजुद्दीन और हुसैन के कनेक्शन की जांच कर रहे हैं, जहां से उन्हें ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से धन मिल रहा था।

एटीएस को अपनी जांच में पता चला कि केनरा बैंक के एक खाते से एक महीने के अंदर करीब 70 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है. एटीएस ने एफआईआर में कहा कि खाता रियाजुद्दीन के नाम पर था और इज़हारुल हुसैन द्वारा संचालित किया जाता था।

अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध खरीदार और विक्रेता के दायरे से आगे बढ़ा,अमेरिका ने अपने आधुनिक टैंक 'स्ट्राइकर' भारत में बनाने की पेशकश की

नई दिल्ली। भारत और अमेरिका शीत युद्ध के दौर में ऐसे देश थे, जिनके राष्ट्रीय हित टकरा रहे थे। 1971 के भारत-पाक युद्ध में अमेरिका ने भारत पर दबाव बनाने के लिए अपना सातवां बेड़ा तक अरब सागर में उतार दिया था।

उस समय इस बात की कल्पना करना मुश्किल था कि भारत और अमेरिका के रिश्ते आगे चल कर रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचेंगे और अमेरिका न सिर्फ अपने उन्नत हथियार और प्रणालियां भारत को बेचेगा बल्कि भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों के सह उत्पादन की पेशकश भी करेगा। करीब 5 दशक का समय जरूर लगा लेकिन अमेरिका ने अपने आधुनिक टैंक 'स्ट्राइकर' को भारत में बनाने की पेशकश करके रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है।

अब अमेरिका और भारत के रक्षा संबंध खरीदार और विक्रेता के दायरे से आगे बढ़ चुके हैं। आइये जानते हैं कि वर्ष 2000 के बाद भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध किस तरह से विकसित हुए हैं और वे कौन सी वजहें जो दोनों देशों को रक्षा के मोर्चे पर लगातार करीब ला रही हैं।

भारत ने खरीदा पी-8आई और सी 17 ग्लोबमास्टर

2000 के दशक में भारत अमेरिका रक्षा संबंधों में नया अध्याय तब शुरू हुआ जब भारत ने अमेरिका से समुद्र में लंबी दूरी तक निगरानी करने में सक्षम पी-8 आइ विमान खरीदने का सौदा किया। 2.1 अरब डालर में आठ विमानों के लिए यह सौदा 2009 में हुआ।

हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के लिहाज से ये विमान बहुत कारगर साबित हुए हैं और अमेरिका की कंपनी बोइंग के इन विमानों ने भारतीय नौसेना की निगरानी और पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाया है। अमेरिका ने चीन की चुनौती के खिलाफ भारतीय नौसेना की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए भारत को ये विमान बेचने की मंजूरी दी थी।

साल 2014 में भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों को मिली नई दिशा

आज समुद्र में चीन की नौसेना की बढ़ती गतिविधियों को ध्यान में रख कर भारत और अमेरिका की नौसेनाएं मिल कर काम कर रहीं हैं। भारत ने अमेरिका से 10 भारी परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर खरीदने का सौदा भी 2011 में किया था। अपाचे और चिनूक ने बढ़ाई भारतीय सेना की क्षमता 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को नई दिशा मिली।

साल 2015 में भारत ने चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदे

साल 2015 में भारत ने अमेरिका से 22 अपाचे और 15 चिनूक हेलिकाप्टर खरीदने की डील पर हस्ताक्षर किए। ये डील करीब 3 अरब डालर की थी। अपाचे हमलावर हेलीकाप्टर है और चिनूक भारी परिवहन हेलीकाप्टर है। 2020 में लद्दाख में चीन की घुसपैठ के बाद तेजी से सीमा पर सैनिको और युद्धक साजो-सामान की तैनाती में भारी परिवहन विमान सी 17 ग्लोबमास्टर और हेलिकाप्टर चिनूक ने अपनी क्षमता साबित की।

अपाचे हेलीकाप्टर घातक मिसाइलों से लैस हैं और इनको लद्दाख में चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए तैनात किया गया है। एम 77 हावित्जर तोप की तैनाती भारत ने अमेरिका से 145 एम 77 हावित्जर तोपें खरीदी हैं। इन तोपों को खरीदने का सौदा 2016 में किया गया था। भारतीय सेना ने अमेरिका से खरीदी गई तोपों को अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया है।

एम 77 तोपों की ये है खासियत

एम 77 तोपें कम वजन वाली हैं और उनको चिनूक हेलिकाप्टर पर ले जाकर कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है। भारत की ताकत बढ़ागा अमेरिकी ड्रोन जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू 9 बी ड्रोन खरीदने का समझौता किया है। माना जा रहा है कि ये सौदा करीब 3 अरब डालर का होगा।

ये ड्रोन मुख्यतौर पर निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। साथ इन ड्रोन को कई तरह के हथियारों से भी लैस किया जा सकता है। इसके अलावा भारत और अमेरिका ने भारत में जेट इंजन बनाने के लिए भी समझौता किया है। इससे भारत में लड़ाकू विमान के इंजन सहित सभी जरूरी स्पेयर पार्ट बनाने का इकोसिस्टम तैयार करने में मदद मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 6 हत्याओं के दोषी मदन के मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला,

इस केस में और एक दोषी की सजा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृत्युदंड से उम्र कैद में बदला था


 नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि दोषी का आपराधिक इतिहास अपने आप में मौत की सजा देने का एकमात्र आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने इसके साथ ही दोषी मदन की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा है कि दोषी मदन की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर 20 वर्ष का वास्तविक कारावास काट लेने से पहले विचार नहीं किया जाएगा।

छह लोगों की हत्या से जुड़ा है मामला

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का यह मामला छह लोगों की हत्या का था जिसमें सत्र अदालत ने तीन दोषियों को सजा सुनाई गई थी, ईश्वर, मदन और सुदेश पाल। सत्र अदालत ने ईश्वर को उम्रकैद की सजा दी थी और मदन व सुदेश पाल को मृत्युदंड दिया था, जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुदेश पाल की मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी थी, लेकिन मदन का मृत्युदंड बरकरार रखा था।

सुप्रीम कोर्ट में मदन और सुरेश ने की अपील

मदन और सुदेश पाल दोनों ही सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिस पर न्यायमूर्ति बीआर गवई, बी.वी. नागरत्ना और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने गत नौ नवंबर को यह फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने मदन की अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए उसकी मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी है, जबकि दूसरे दोषी सुदेश पाल की अपील खारिज करते हुए उसकी उम्रकैद की सजा पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि, कोर्ट ने दोषी दोनों को माना है।

सुप्रीम कोर्ट ने मदन की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील करते हुए कहा है कि हाई कोर्ट ने समान साक्ष्यों के आधार पर पर विचार करने के बाद मदन को मृत्युदंड दिया, जबकि दोषी सुदेश पाल की अपील आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए मृत्युदंड को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

'हाई कोर्ट ने एक आधार पर किया अंतर'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला देखने से पता चलता है कि हाई कोर्ट ने सुदेश पाल और मदन के मामले में सिर्फ एक आधार पर अंतर किया है और वह ये है कि मदन को एक अन्य मामले में पहले ही उम्रकैद की सजा हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजेन्द्र प्रल्हादराओ वासनिक के पूर्व केस में पहले ही कह चुका है कि किसी को मृत्युदंड की सजा देते वक्त उसका पूर्व आचरण यानी पूर्व आपराधिक इतिहास विचार का मुद्दा नहीं होता। स कोर्ट ने कहा कि इस मौजूदा मामले में चश्मदीद के बयानों के आधार पर सभी दोषियों की भूमिका समान थी। इन चीजों के देखते हुए उनका मानना है कि हाई कोर्ट का मदन की मौत की सजा पर मुहर लगाने और सुदेश पाल को उम्रकैद की सजा देने का फैसला न्यायोचित नहीं है।

स्वामी श्रद्धानंद के केस का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हाई कोर्ट के फैसले को बनाए रखा जाएगा तो यह बहुत ही विसंगत स्थितियां पैदा करेगा। जिसमें दोषी सुदेश पाल के पास निश्चित समय तक सजा भुगतने के बाद नियमों के तहत समय पूर्व रिहाई पर विचार का अधिकार होगा, जबकि मदन को मृत्युदंड का सामना करना होगा। शीर्ष अदालत ने मदन के मामले में कहा कि यह मामला बीच का रास्ता अपनाने का है, जैसा कि स्वामी श्रद्धानंद के केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मदन को मिले मृत्युदंड को उम्रकैद में तब्दील करना और 20 साल तक वास्तविक कारावास की सजा देना न्याय के हित में होगा। यह कहते हुए कोर्ट ने मदन की अपील आंशिक रूप से स्वीकार कर लीऔर उसका मृत्युदंड उम्रकैद जिसमें 20 वर्ष का निश्चित कारावास कर दिया है।

14 अक्टूबर 2023 का मामला

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मृत्युदंड पर विचार करते हुए अन्य भी कई पहलुओं पर गौर किया है और जेल में मदन के आचरण पर प्रोबेशन आफीसर की रिपोर्ट भी मंगा कर देखी थी। छह लोगों की हत्या का यह मामला 14 अक्टूबर 2003 का है, जिसमें कथित तौर पर राजनीतिक और पारिवारिक दुश्मनी के चलते गोलीबारी हुई थी।