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पीएम मोदी की मेजबानी में आज G20 का वर्चुअल सम्मेलन, इजराइल-हमास जंग का निकलेगा समाधान?

#g_20_conference_in_india_pm_modi_effort_will_stop_israel_hamas_war

पिछले डेढ़ महीने से ज्यादा समय से इजरायल-हमास युद्ध जारी है। इस जंग में हजारों नागरिकों को अपनी जान गवांनी पड़ी है। अभी तक इस युद्ध का कोई ठोस समाधान नहीं खोजा जा सका है। हां, ये बात जरूर है कि आज ही इजरायल-हमास के बीच 4 दिनों के संघर्ष विराम पर सहमति बनी है।इस दौरान नों तरफ से बंधकों को छोड़े जाने पर भी समझौता हुआ है। लेकिन जंग पूरी तरह से कब खत्म होगी इस पर सवाल बरकरार है। इस बीच आज जी- 20 नेताओं के एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी में होने वाली इस बैठक में इजराइल-हमास के बीच छिड़ी जंग को लेकर चर्चा होने की संभावना है। इस दौरान जंग को खत्म करने पर जोर दिया जाएगा।

आज होने वाली बैठक में जी-20 के लगभग सभी सदस्य देश शामिल होगे। माना जा रहा है कि जी-20 के मंच से इस युद्ध के विभिन्न पहलुओं पर गहन मंथन के बाद इजराइल से तत्काल युद्ध विराम करने और हमास से बंधकों की सकुशल रिहाई का रास्ता साफ हो सकता है।आज होने वाला वर्चुअल सम्मेलन इजरायल-हमास जंग के साये में रह सकता है। अमेरिका और यूरोपीय देश इस मसले को उठा सकते हैं। इस मुद्दे पर चीन, रूस, अरब और तुर्किये का रुख क्या होता है, इसे लेकर भी चर्चा अभी से उठने लगी है।

वहीं, विदेश मंत्रालय ने कहा, जी-20 वर्चुअल शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में सितंबर में समूह के वार्षिक सम्मेलन में तय किए गए नतीजों और कार्रवाई बिंदुओं को आगे बढ़ाएगा। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध और इस्राइल-हमास संघर्ष के प्रभाव पर भी चर्चा की जाएगी। 

भारत की कोशिश है कि सात अक्तूबर को इजराइल पर हुए हमास के आतंकी हमले को लेकर वैश्विक समुदाय को एकजुट किया जाए, जिससे इजराइल के घाव पर भी मरहम लग सके। गाजा में उत्पन्न मानवीय संकट पर अंतर्राष्ट्रीय जगत को मिलकर काम करने की जी20 की अपील से हमास पर बंधकों की सुरक्षित रिहाई को लेकर दवाब बन सकेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद ये दूसरा ऐसा मुद्दा है जब भारत जी-20 के मंच पर सर्वसम्मति बनाने की पुरजोर कोशिश करेगा।

बता दें कि कि 10 सितंबर को नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान पीएम मोदी ने घोषणा की थी कि भारत एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। बैठक में अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष सहित जी20 देशों के नेताओं के साथ-साथ नौ अतिथि देशों और 11 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। भारत के पास 30 नवंबर तक जी20 की अध्यक्षता है। 2024 में ब्राजील की जी20 की अध्यक्षता के दौरान जी20 की टॉप तिकड़ी में भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका शामिल होंगे। भारत ने पिछले साल 1 दिसंबर को एक साल के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की और अगले साल तक वह शीर्ष तिकड़ी का हिस्सा बना रहेगा।

कांगो गणराज्य में सैन्य भर्ती के दौरान युवाओं की भीड़ उमड़ने के बाद स्टेडियम में मची भगदड़, 37 लोगों की मौत

 कांगो गणराज्य में एक भर्ती आयोजन के दौरान युवाओं की भीड़ उमड़ने के बाद सैन्य स्टेडियम में भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 37 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पिछले सप्ताह से हर दिन भर्ती केंद्रों के बाहर लंबी लाइनें लगी हैं, क्योंकि युवा सेना में शामिल होना चाह रहे हैं। प्रतिदिन लगभग 700 युवाओं ने पंजीकरण कराया है। हालांकि, कुल मिलाकर केवल 1,500 स्थान ही उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय की संकट प्रबंधन इकाई ने बताया कि आपातकालीन सेवाओं ने 37 मृतकों और कई घायलों की पुष्टि की है।

राहुल गांधी के बाद दिग्वजिय सिंह ने 'पनौती' शब्द पर दी अपनी प्रतिक्रिया, बोले- 'PM मोदी तो विश्वगुरु...'

पीएम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पनौती शब्द का इस्तेमाल करने पर भाजपा कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रमुख राहुल गांधी को अभी घेर ही रही थी कि मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले को और भी बढ़ा दिया। दिग्विजय सिंह ने पनौती शब्द को परिभाषित करते हुए ट्वीट किया है। 

ट्वीट में दिग्विजय सिंह ने तंज कसते हुए लिखा, “पनौती” का क्या अर्थ है? मैंने पता लगाया। यह एक नकारात्मक शब्द है। जब कोई काम होते-होते रह जाए तो उस मनुष्य को 'पनौती' कह दिया जाता है। पनौती शब्द का उपयोग उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जो अपने आस-पास के लोगों के लिए दुर्भाग्य या बुरी खबर लाता है, इसीलिए इसे नकारात्मक शब्द बोलते हैं। वर्ल्ड कप शुरू होते ही सोशल मीडिया पर यह शब्द ट्रेंड करने लगा। यह किसके लिए कहा गया? स्टेडियम में हज़ारों लोग थे। बीजेपी ने मोदी जी को “पनौती” क्यों मान लिया? वे तो उनकी उनकी नज़र में “विश्वगुरु” हैं। दरअसल, एक सभा के चलते राहुल गांधी ने वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की हार के परिपेक्ष में पनौती शब्द का उपयोग किया था। इसको लेकर भाजपा ने राहुल गांधी पर पीएम मोदी को गाली देने का आरोप लगाया तथा उनसे माफी मांगने की मांग की। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि हार की हताशा में राहुल गांधी इतने परेशान हो गए हैं कि अब पीएम मोदी को गाली दे रहे हैं। 

रविशंकर प्रसाद ने कहा है "पीएम मोदी खिलाड़ियों के पास जाकर उनकी सहायता करते हैं, स्नेह करते हैं और उनका मनोबल बढ़ाते हैं। आज भारत के खिलाड़ी एशियाड में, ओलंपिक में, पैरा ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारे क्रिकेट खिलाड़ियों ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया है। ठीक है, हार-जीत होती रहती है, उसको लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ऐसे शब्दों का प्रयोग पहले उनके समर्थक करें तथा फिर राहुल गांधी स्वयं भी अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी के लिए ऐसे शब्द का प्रयोग करते हैं, यह निंदनीय है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस शब्द को पीड़ादायक बताते हुए राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग की।

उत्तरकाशी: रेस्क्यू अभियान में आई तेजी, कल सुबह तक बाहर आ सकते हैं मजदूर; एंबुलेंस तैयार

 उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में अभी भी 41 जिंदगियां कैद हैं। टनल के अंदर पिछले 10 दिनों से 41 मजदूर बाहर आने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। पिछले 10 दिनों से यहां युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन भी जारी है। मंगलवार की सुबह सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों की पहली बार फोटो और वीडियो सामने आने के सुखद समाचार के साथ शुरू हुई थी। अब बुधवार को इस अभियान को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है।

आज 11वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। देश के कोने-कोने से मशीनों को एयरलिफ्ट किया गया है और उत्तरकाशी में दिन रात ड्रिलिंग का काम जारी है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन रात को संचालित की गई। बुधवार की सुबह तक 800 एमएम व्यास के पाइप करीब 32 मीटर तक मलबे में डाले जा चुका है। उम्मीद की जा रही है बुधवार देर रात या फिर गुरूवार की सुबह टनल में फंसे 41 मजदूर बाहर आ सकते हैं।

रेस्क्यू अभियान ने गति पकड़ ली है। प्रशासन भी अपनी अन्य तैयारी में जुट गया है। श्रमिकों को अस्पताल पहुंचाने के लिए पर्याप्त एंबुलेंस का भी इंतजाम किया जा रहा है। जिसके लिए टिहरी और अन्य जनपद से भी एंबुलेंस मंगाई गई है। उम्मीद है कि बुधवार की रात या बृहस्पतिवार की सुबह तक श्रमिकों का रेस्क्यू किया जा सकेगा।

बढ़ाई गई सुरक्षा-व्यवस्था

सुरंग के आसपास जिला प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। सुरंग के अंदर जाने वाले श्रमिकों और कर्मचारी की फोन भी सुरंग के गेट पर ही जमा किए जा रहे हैं।

राउरकेला और बेंगलुरु से एयरलिफ्ट की मशीनें

सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान में वायु सेना भी निरंतर सहयोग कर रही है। वर्तमान में राहत एवं बचाव कार्यों के सभी मोर्चों पर काम शुरू कर दिया गया है। लिहाजा, विभिन्न एजेंसियों को अत्याधुनिक मशीनों की जरूरत पड़ रही है। इन मशीनों को सुरंग तक पहुंचाने में वायु सेना के मालवाहक विमान मददगार साबित हो रहे हैं। मंगलवार को भी वायु सेना ने 18 टन वजन की विभिन्न अत्याधुनिक मशीनी उपकरणों व 24 विशेष स्पाइरल वेल्ड पाइप को राउरकेला और बंगलुरू से एयरलिफ्ट किया।

मजदूरों की राज्यवार संख्या

राज्य       –   मजदूर

झारखंड    –      15

उत्तर प्रदेश  –       9

ओडिशा    –       5

बंगाल      –       3

उत्तराखंड   –       2

बिहार      –       4

असम      –      2

हिमाचल प्रदेश  –    1

राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर की ‘अपमानजनक’ टिप्पणी, भाजपा ने अतीत से सीख लेने की दी सलाह

#rahul_gandhi_panauti_remark_to_pm_modi

वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली हार पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पनौती कह दिया है।दरअसल, अहमदाबाद के नरेन्दज्र मोदी स्टेडियम में खेले जा रहे फाइनल मैच के दौरान पीएम मोदी भी मौजूद थे। इसे मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस नेता ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। इस पर भाजपा भड़क गई है और कांग्रेस नेता को अतीत से सीखने की सलाह दी है।

राहुल गांधी से माफी की मांग

राहुल गांधी के इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी (उन पर हमलावर हो गई है और उनसे अपने बयान के लिए माफी मांगनी को कह रही है। इस संबंध में बीजेपी नेता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी पीएम मोदी के लिए जिस तरह के शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं वह अशोभनीय है। राहुल गांधी को मोदी जी से माफी मांगनी होगी।नहीं तो हम देश में इसको बड़ा मुद्दा बनाएंगे।

अतीत से सीख लेने की सलाह

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैच मे मिली हार के बाद पीएम मोदी ने सभी खिलाड़ियों से मुलाकात की और उन्हें प्रेरित किया। जीतना या हारना खेल का हिस्सा है। आप देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। आपको इस बयान को लेकर माफी मांगनी चाहिए। कांग्रेस नेता को अतीत से सीख लेने की सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि आपको अतीत से सीखने की जरूरत है। आपकी मां सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द का इस्तेमाल किया था। आप ही अब देखें कि कांग्रेस आज के समय कहां है।

क्या कहा था राहुल गांधी ने?

दरअसल मंगलवार को कांग्रेस नेता राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जालोर में एक रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने क्रिकेट विश्व कप फाइनल में भारत की हार के लिए पीएम मोदी को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, "वह (मोदी) क्रिकेट मैच में चले जाएंगे, वह अलग बात ही की मैच हरवा दें, पनौती! पीएम मतलब पनौती मोदी। कांग्रेस सांसद ने आगे कहा, अच्छा भला हमारे लड़के वहां वर्ल्डकप जीत जाते, लेकिन वहां पर पनौती हरवा दिया, लेकिन टीवी वाले यह नहीं कहेंगे. यह जनता जानती है।

एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने खुलेआम मंच से पुलिसकर्मी को धमकाया, बोले- 'मेरे एक इशारे पर..'

#aimimleaderakbaruddinowaisithreattocop

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के फायरब्रांड नेता अकबरुद्दीन ओवैसी अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। एक बार फिर अकबरुद्दीन ओवैसी सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मंच से ही भरी भीड़ के सामने एक पुलिस इंस्पेक्टर को धमकाया है। एक पुलिस निरीक्षक को खुलेआम धमकी देने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

पुलिसकर्मी की सलाह रास नहीं आई

दरअसल, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी हैदराबाद में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा उन्हें चुनाव आयोग द्वारा नियमों का हवाला देते हुए प्रचार खत्म करने के लिए कहा गया। ये बात उन्हें रास नहीं आई और मंच से ही पुलिसकर्मी को धमकाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं एआईएमआईएम नेता ने पुलिसकर्मी को मंच से नीचे उतार दिया।

अकबरुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस इंस्पेक्टर को धमकाते हुए कहा कि अगर वह अपने समर्थकों की तरफ इशारा कर दें, तो उन्हें यहां से दौड़कर भागना पड़ेगा। जूनियर ओवैसी ने कहा, आपको क्या लगता है कि चाकुओं और गोलियों को खाने के बाद मैं कमजोर हो गया हूं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि अभी भी मेरे भीतर बहुत हिम्मत है। अभी पांच मिनट बाकी हैं और मैं अभी पांच मिनट बोलूंगा।

“अकबरुद्दीन ओवैसी से मुकाबला करने वाला कोई नहीं”

ओवैसी ने लोगों से पूछते हुए कहा, सही बोला ना? अगर में इशारा दे दूं तो आपको यहां से भागना पड़ेगा क्या हम उन्हें दौड़ाएं? मैं आपसे यही कह रहा हूं कि हमें कमजोर करने के लिए यह लोग इसी तरह आते हैं। होशियार रहो। ये जानते हैं कि अकबरुद्दीन ओवैसी से मुकाबला करने वाला कोई नहीं है, तो ये लोग कैंडिडेट बनकर आ जाते हैं। आ जाओ, देख लेते हैं। तुम हो या हम हैं।

अलग-अलग थानों में चार एफआईआर दर्ज

बता दें कि अकबरुद्दीन ओवैसी को विवादित बयान देने के लिए जाना जाता है और कई मामलों में उनके ऊपर मामला भी दर्ज हो चुका है। ओवैसी के खिलाफ अलग-अलग थानों में चार एफआईआर दर्ज हैं। 1999 में पहली बार विधायक बने अकबरुद्दीन ओवैसी लगातार छठवीं बार विधायक चुने जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। वह चंद्रयानगुट्टा से चुनाव लड़ रहे हैं।

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एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने खुलेआम मंच से पुलिसकर्मी को धमकाया, बोले- 'मेरे एक इशारे पर..'

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के फायरब्रांड नेता अकबरुद्दीन ओवैसी अपने विवादित बयानों की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। एक बार फिर अकबरुद्दीन ओवैसी सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने मंच से ही भरी भीड़ के सामने एक पुलिस इंस्पेक्टर को धमकाया है। एक पुलिस निरीक्षक को खुलेआम धमकी देने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। 

पुलिसकर्मी की सलाह रास नहीं आई

दरअसल, एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी हैदराबाद में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान एक पुलिसकर्मी द्वारा उन्हें चुनाव आयोग द्वारा नियमों का हवाला देते हुए प्रचार खत्म करने के लिए कहा गया। ये बात उन्हें रास नहीं आई और मंच से ही पुलिसकर्मी को धमकाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं एआईएमआईएम नेता ने पुलिसकर्मी को मंच से नीचे उतार दिया।

अकबरुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अकबरुद्दीन ओवैसी ने पुलिस इंस्पेक्टर को धमकाते हुए कहा कि अगर वह अपने समर्थकों की तरफ इशारा कर दें, तो उन्हें यहां से दौड़कर भागना पड़ेगा। जूनियर ओवैसी ने कहा, आपको क्या लगता है कि चाकुओं और गोलियों को खाने के बाद मैं कमजोर हो गया हूं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, क्योंकि अभी भी मेरे भीतर बहुत हिम्मत है। अभी पांच मिनट बाकी हैं और मैं अभी पांच मिनट बोलूंगा।

“अकबरुद्दीन ओवैसी से मुकाबला करने वाला कोई नहीं”

ओवैसी ने लोगों से पूछते हुए कहा, सही बोला ना? अगर में इशारा दे दूं तो आपको यहां से भागना पड़ेगा क्या हम उन्हें दौड़ाएं? मैं आपसे यही कह रहा हूं कि हमें कमजोर करने के लिए यह लोग इसी तरह आते हैं। होशियार रहो। ये जानते हैं कि अकबरुद्दीन ओवैसी से मुकाबला करने वाला कोई नहीं है, तो ये लोग कैंडिडेट बनकर आ जाते हैं। आ जाओ, देख लेते हैं। तुम हो या हम हैं।

अलग-अलग थानों में चार एफआईआर दर्ज

बता दें कि अकबरुद्दीन ओवैसी को विवादित बयान देने के लिए जाना जाता है और कई मामलों में उनके ऊपर मामला भी दर्ज हो चुका है। ओवैसी के खिलाफ अलग-अलग थानों में चार एफआईआर दर्ज हैं। 1999 में पहली बार विधायक बने अकबरुद्दीन ओवैसी लगातार छठवीं बार विधायक चुने जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं। वह चंद्रयानगुट्टा से चुनाव लड़ रहे हैं।

50 बंधकों के बदले 150 फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ा जाएगा, इजराइल-हमास के बीच हुई डील

#agreement_between_israel_and_hamas_for_release_hostages

इजराइल पर सात अक्तूबर को हुए हमास के आतंकी हमले के बाद से युद्ध लगातार जारी है। एक महीने से अधिक समय से जारी हिंसक संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र समेत कई देशों ने चिंता जताई है। इस बीच इजराइल हमास के बीच बंधकों की रिहाई को लेकर समझौता हुआ है। इस दौरान हमास 50 बंधकों को रिहा करेगा। वहीं इजराइल को भी 150 फिलिस्तीनी कैदियों को आजाद करना होगा। बंधकों की रिहाई के दौरान इजराइल और हमास के बीच 4 दिन का अस्थायी युद्ध विराम होगा। 

इजरायल की सरकार ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए 50 महिलाओं और बच्चों की रिहाई के बदले 150 फिलिस्तीनी महिला और नाबालिग कैदियों की जेल से रिहाई के साथ 4 दिनों के संघर्ष विराम को मंजूरी दी है।अब से थोड़ी देर पहले इजराइल ने घोषणा की कि हमास के साथ इजराइली बंधकों को लेकर डील पर सहमति बन गई है और सात अक्टूबर से हमास के कब्ज़े में रह रहे 50 इजराइली बंधकों को छोड़ा जाएगा। इसके बदले में चार दिनों का अस्थायी युद्ध विराम होगा।

अब इस समझौते को लेकर हमास ने भी बयान जारी कर बताया है कि 50 इजराइली बंधकों के बदले इजराइल की जेलों में बंद 150 फ़िलिस्तीनी महिलाओं और बच्चों को रिहा किया जाएगा। इस डील के तहत मानवीय मदद, ज़रूरी दवाएं और ईंधन से भरे सैकड़ों ट्रकों को ग़ाज़ा में प्रवेश मिलेगा। हमास के बयान में कहा गया है कि चार दिनों के युद्ध विराम में इजराइल ना तो कोई हमले करेगा और ना ही किसी को गिरफ्तार करेगा।

इजराइल और हमास के बीच युद्ध को 40 दिन से ज्यादा का समय हो गया। इजरायल की ओर से गाजा पर जारी हमले के बाद यह पहला युद्ध विराम होगा। इस युद्ध विराम के कारण गाजा में मानवीय सहायता भी पहुंच सकेगी। हालांकि यह साफ नहीं है कि यह युद्ध विराम कब प्रभावी होगा। उम्मीद है कि बंधकों को गुरुवार से मुक्त किया जा सकता है। इजरायली सरकार ने कहा कि वह रिहा किए गए हर 10 बंधकों के लिए शांति को एक अतिरिक्त दिन के लिए बढ़ा देगी।

स्‍कूलों में पढ़ाई जाएगी रामायण और महाभारत! एनसीईआरटी पैनल ने की पाठ्यक्रम में शामिल करने की सिफारिश

#ncertpanelrecommendstoincluderamayanaandmahabharatainschoolbooks

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एनसीईआरटी के सिलेबस में रामायण और महाभारत को शामिल किया जा सकता है। दरअसल, पिछले साल गठित 7 सदस्यीय समिति ने सोशल साइंस की किताबों में रामायण और महाभारत को शामिल करने की सिफारिश की है। कमेटी ने ये सिफारिश भी की है कि टेक्स्ट बुक में इंडिया की जगह भारत लिखा जाए।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक प्रो. सीआई इसाक ने बताया कि पैनल ने टेक्स्ट बुक में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को शामिल करने और स्कूल में क्लासों की दीवारों पर संविधान की प्रस्तावना लिखने की सिफारिश की है।स्कूलों के लिए सोशल साइंस के सिलेबस को संशोधित करने के लिए गठित की गई एनसीईआरटी की सोशल साइंस कमेटी ने किताबों में इंडियन नॉलेज सिस्टम, वेदों और आयुर्वेद को शामिल करने सहित कई प्रस्ताव दिए हैं। प्रो. सीआई इसाक ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पैनल ने यह प्रस्ताव भी रखा कि स्कूल की हर क्लास में दीवार पर संविधान की प्रस्तावना लिखी जाए। यह क्षेत्रीय भाषा में होनी चाहिए। इसाक इतिहास के रिटायर्ड प्रोफेसर हैं।

छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण

इसाक ने जोर देते हुए कहा कि कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों को रामायण और महाभारत पढ़ाना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, समिति ने छात्रों को सामाजिक विज्ञान सिलेबस में रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को पढ़ाने पर जोर दिया है। हमारा मानना है कि किशोरावस्था में छात्र को अपने राष्ट्र के लिए आत्म-सम्मान, देशभक्ति और गौरव का एहसास होता है। इसाक ने कहा कि देशभक्ति की कमी के कारण हर साल हजारों छात्र देश छोड़कर दूसरे देशों में नागरिकता ले लेते हैं। इसलिए उनके लिए अपनी जड़ों को समझना, अपने देश और अपनी संस्कृति के प्रति प्रेम विकसित करना महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षा बोर्ड वर्तमान में छात्रों को रामायण पढ़ाते हैं, लेकिन वे इसे एक मिथक के रूप में पढ़ाते हैं। अगर छात्रों को ये महाकाव्य नहीं पढ़ाए गए तो शिक्षा प्रणाली का कोई उद्देश्य नहीं है, और यह राष्ट्र सेवा नहीं होगी।

इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश

इतिहास के एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने इसाक ने कहा, पैनल ने इतिहास को चार अवधियों में वर्गीकृत करने की सिफारिश की है: शास्त्रीय काल, मध्यकालीन काल, ब्रिटिश युग और आधुनिक भारत। अब तक, भारतीय इतिहास के केवल तीन वर्गीकरण हुए हैं- प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक भारत। उन्होंने आगे कहा,शास्त्रीय काल के तहत, हमने सिफारिश की है कि भारतीय महाकाव्यों - रामायण और महाभारत को पढ़ाया जाए। हमने सिफारिश की है कि छात्रों को यह पता होना चाहिए कि राम कौन थे और उनका उद्देश्य क्या था।

सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों के बारे में जानें छात्र

पैनल ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि पाठ्यपुस्तकों में केवल एक या दो के बजाय भारत पर शासन करने वाले सभी राजवंशों को जगह दी जानी चाहिए। इसाक ने बताया कि पैनल ने सुझाव दिया है कि किताब में सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों और उनकी विजयों के बारे में जानकारी हो। उन्होंने कहा,छात्रों को भारतीय नायकों, उनके संघर्षों और जीत के बारे में जानना चाहिए ताकि उनमें आत्मविश्वास आ सके।

श्रीलंका को झटका, आईसीसी ने छीनी वर्ल्ड कप की मेजबानी, जानें क्या है इसकी वजह

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आईसीसी ने 2024 अंडर-19 विश्व कप की मेजबानी श्रीलंका से छीन ली है।श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड में चल रही उठा-पटक को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।आईसीसी ने अब मेजबानी की जिम्मेदारी दक्षिण अफ्रीका को सौंपी है।हाल ही में आईसीसी ने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को सस्पेंड कर दिया था, इसके बाद विश्व कप की मेजबान टीम को एक और झटका लगा है।10 नवंबर को आईसीसी ने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब अंडर-19 विश्व कप की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका को सौंप दी है।

आईसीसी ने इस फैसले को लेकर लंबी बैठक की और अंत में यह तय किया कि टूर्नामेंट को श्रीलंका से हटाकर दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया जाएगा। अंडर-19 विश्व कप का आयोजन श्रीलंका में 14 जनवरी से 15 फरवरी के बीच होने वाला था। आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका को मेजबानी तो सौंपी है, लेकिन उसने तारीखों में बदलाव नहीं किया है। दक्षिण अफ्रीका में 10 जनवरी से 10 फरवरी एसए टी20 (SA20) टूर्नामेंट का आयोजन भी होना है।

श्रीलंका क्रिकेट बुरे दौर से गुजर रहा है। श्रीलंकाई टीम को विश्व कप 2023 में बुरी तरह हार का सामना करके बाहर हुई थी।श्रीलंका के खेल मंत्री ने विश्व कप 2023 में खराब प्रदर्शन की वजह से पूरे बोर्ड को बर्खास्त कर दिया था। आईसीसी ने इसे बोर्ड में सरकार का दखल माना और श्रीलंका बोर्ड को सस्पेंड कर दिया था। अब श्रीलंका को आईसीसी से दूसरा झटका लगा है। वहीं आईसीसी ने श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड को निलंबित करने का अपना निर्णय बरकरार रखा है। बोर्ड को 10 नवंबर को निलंबित किया गया था।

बता दें कि यश ढुल की कप्तानी ने भारत में पिछले साल अंडर-19 वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था। इस बार भी टीम इंडिया ये वर्ल्ड कप जीतना चाहेगी जो अगले साल खेला जाना है।भारतीय क्रिकेट टीम अंडर-19 वर्ल्ड कप की सबसे सफल टीम है। भारत ने खिताब पांच बार जीता है। मोहम्मद कैफ की कप्तानी में भारत ने सबसे पहले 2000 में ये खिताब जीता था। इसके बाद 2008 में विराट कोहली की कप्तानी में भारत दूसरी बार अंडर-19 वर्ल्ड कप का चैंपियन बना। 2012 में उन्मुक्त चंद की कप्तानी में भारत ने फिर खिताब जीता। 2018 में फिर भारत पृथ्वी शॉ की कप्तानी में चैंपियन बना और 2022 में यश ढुल की कप्तानी में ये खिताब जीता।

अब काशी की तरह 'मथुरा' में भी बनेगा बांके बिहारी कॉरिडोर ! योगी सरकार को इलाहबाद HC की हरी झंडी, कहा- धर्मस्थल देश की धरोहर


इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा शुरू की गई बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना का लक्ष्य भगवान श्री कृष्णा की नगरी मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के चारों ओर एक गलियारा बनाना है। अदालत के फैसले से गलियारे की प्रगति में बाधक बन रहे अतिक्रमणों को हटाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

परियोजना

बता दें कि, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की याद दिलाने वाली बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना, उत्तर प्रदेश सरकार की एक रणनीतिक पहल है। अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान आगंतुकों को असुविधा का सामना न करना पड़े।

कानूनी पृष्ठभूमि

अनंत शर्मा और मधुमंगल दास सहित पुजारियों ने गलियारे को अनावश्यक बताते हुए इसका विरोध करते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। उन्होंने आग्रह किया कि चढ़ावे और दान से प्राप्त धनराशि को कॉरिडोर परियोजना में नहीं लगाया जाना चाहिए। इस याचिका के जवाब में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया था। जिसके बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कॉरिडोर को जरूरी बताया। कोर्ट ने 8 नवंबर 2023 को अपने आदेश में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और अब इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। उच्च न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तर प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गलियारे के पूरा होने के दौरान आगंतुकों को कोई असुविधा न हो। इस मामले में अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2024 को होनी है।

हाई कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंदिरों और तीर्थस्थलों का उचित प्रबंधन जनता से संबंधित विषय हैं। कोर्ट ने धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को देश की धरोहर के बराबर बताया, जहां जाने के बाद लोगों के भीतर अच्छे मनोभाव उत्पन्न होते हैं। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी की आपत्ति के कारण मानव जीवन को प्रभावित नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कॉरिडोर के निर्माण में टेक्निकल एक्सपर्ट की सहयता लेने की भी सलाह दी है, ताकि काम और बेहतर तरीके से पूर्ण हो।