नेचुरल ट्राइबल साडी, सिल्क की साड़ी और सिल्क के सूट ने झारखण्ड पवेलियन में बिखेरे रंग, लोगो को पसंद आ रहा है यहां के परिधान
दिल्ली : हर साल की तरह प्रगति मैदान का भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला अपने शीर्ष पर है। मेले में आने वाले लोग प्रदर्शनी देखने के साथ साथ खरीदारी का भी खूब लुफ्त उठा रहे है। झारखण्ड पवेलियन में लगे ट्राइबल परिधान लोगो को खूब पसंद आ रहे है।
झारखण्ड में तसर सिल्क बहुतायत उपलब्धता के कारण यहां पवेलियन में सिल्क की साड़ियां और सूट के स्टाल पर खासी भीड़ दिख रही है। ट्राइबल लोगो की अपनी अलग ही संस्कृति होती है। जिसकी झलक उनके कपड़ो पर देखी जाती है। यहाँ मिलने वाली साड़ियों पर ट्राइबल आर्ट का ही प्रिंट देखा जा रहा है।
झारखण्ड पवेलियन में ट्राइबल परिधान की बिक्री कर रहे दामु बोदरा ने बताया की उनके स्टाल पर सिल्क और कॉटन की पारम्परिक साड़ियां है। जिसकी कीमत 1000 से 3500 है। उन्होंने बताया की हम अपने कपड़ो पर प्राकृतिक रंगो द्वारा अपने ही कारीगरों द्वारा पेंटिंग या कढ़ाई करवाते है। जिससे की पहनने वाले को उसके नेचुरल लुक का आभास होता है| साथ ही हमारी कोशिश है की हम अपनी लोक संस्कृति को अपने काम के माध्यम से लोगो तक पहुचाये। जिसमे ट्राइबल डांस, इंस्ट्रूमेंट, प्रकृति की झलक मिलती है। ट्राइबल महिलाएं शादी के पहले हरे रंग की साड़ी और शादी के बाद लाल रंग की साड़ी पहनती है , जिसकी बिक्री यहां की जा रही है।
जोहार ग्राम के नाम से झारखण्ड के पारम्परिक परिधानों को बेचने वाले आशीष सत्यव्रत साहू ने बताया की उनके द्वारा भेचे जा रहे कपडे पारम्परिक और ओर्गानिक है। ये कपडे झारखण्ड के आदिवासी समुदाय जैसे खड़िया, मुड़ा, उरांव आदि उपयोग करते हैं। पवेलियन में झारखण्ड की पिनदना साडी जो की प्रदेश महिलाये विशेष अवसरों पर पहनती है, वीरू गमछा पुरुषो के लिए और कुखना शाल (जो की मोटा कपडा होता है) सेबने आधुनिक परिधान की बिक्री कर रहे है। इसके अलावां उनके पास जैकेट, ओवरकोट, शर्ट, टोपी, मास्क और बेतरा लुगा (जिसे महिलायें बच्चो को साथ लेने के लिए उपयोग करती है) उपलब्ध है।
उनकी पैकिंग भी झारखण्ड के स्टेट ट्री सखुआ के पत्तो के साथ किया जाता है। उन्होंने बताया की इसकी शुरुआत मार्च 2019 में जिला उद्योग केंद्र के प्रोजेक्ट पास होने के बाद शुरू की थी। जिसके बाद उन्हें सरकार की तरफ से 15 प्रतिशत की सब्सिडी भी मुहैया कराइ गई थी। वर्तमान में वे सभी कपडे स्थानीय बुनकरों से खरीदते है।जिससे उनके संस्थान के साथ लगभग 30 बुनकर परिवारों को भी रोजगार मिलता है।
Nov 17 2023, 18:42